बिहार में पंचायती राज एवं नगरीय संस्थाएँ
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. उपमुखिया का निर्वाचन कैसे होता है?
उत्तर:-
प्रत्येक नवगठित ग्राम पंचायत अपनी प्रथम बैठक में चुने हुए सदस्यों में से एक का उपमुखिया के रूप में चुनौती है| मुखिया की अनुपस्थिति में उपमुखिया ही मुखिया की सभी शक्तियों का प्रयोग करता है|
2. पंचायत समिति का सचिव कौन होता है?
उत्तर:-
पंचायत समिति का सचिव वही होता है जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त होता है|
3. ग्राम रक्षा दल का क्या काम है?
उत्तर:-
ग्राम रक्षा दल का मुख्य काम पहरा देना, निगरानी रखना, अगलगी, बाढ़, बांध में दरार, पुल का टुटना, महामारी का फैलना, जैसी आकस्मिक घटनाओं का सामना करना तथा चोरी डकैती के समय टुटकर मुकाबला करना है|
4. जिला परिषद के उपाध्यक्ष का निर्वाचन कैसे होता है?
उत्तर:-
जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य अपने बीच से एक उपाध्यक्ष को निर्वाचित करते हैं|
5. पंचायत सचिव की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर:-
प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पंचायत सचिव होता है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है|
6. उपसरपंच को कौन चुनता है?
उत्तर:-
ग्राम कचहरी के निर्वाचित सदस्यों द्वारा उपसरपंच को चुना जाता है|
7. ग्राम कचहरी का प्रधान कौन होता है?
उत्तर:-
सरपंच
8. ग्राम रक्षा दल में कितने उम्र वाले युवकों को शामिल किया जाता है?
उत्तर:-
18-30 उम्र वाले
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. स्थानीय स्वशासन के महत्व का वर्णन करें|
उत्तर:-
भारत जैसे विशाल देश का शासन एक जगह से नहीं चलाया जा सकता|अत: सत्ता का विकेंद्रीकरण कर तीन स्तरीय सरकार की स्थापना की गई| स्थानीय कामों के लिए ही स्थानीय संस्थाओं का प्रबंध किया गया है| वर्तमान समय में राज्य के कार्य काफी विस्तृत हो गये हैं| अब राज्य का काम सिर्फ शांति और सुव्यवस्था तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि सभी लोगों के जीवन स्तर को अधिक से अधिक विकसित करना है| इस उद्देश्य की पूर्ति स्थानीय स्वशासन की स्थापना से ही संभव है| भारत में लोकतंत्र की इमारत को मजबूत करने में स्थानीय स्वशासन का काफी महत्व है|
2. पंचायती राज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
भारत सरकार ने संविधान में 73 वां संशोधन करते हुए तथा बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिश को लागू करते हुए पंचायती राज की स्थापना की है| पंचायती राज में त्रिस्तरीय व्यवस्था होती है जैसे ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद|
3. ग्राम पंचायत के किन्हीं चार कार्यों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों की सूची बनाई गई है| ग्राम पंचायत के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं——-
सामान्य कार्य——
पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तैयार करना, प्राकृतिक संकट मे सहायता प्रदान करना, सामुदायिक कार्यों में सहयोग करना इत्यादि|
सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य——-
पेयजल की व्यवस्था करना सड़क, भवन, नाली, पुलिया आदि का निर्माण कराना, गलियों में रोशनी की व्यवस्था करना इत्यादि|
शिक्षा संबंधी कार्य——
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में सहभागी बनना, वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देना, ग्रामीण पुस्तकालय एवं वाचनालय का संचालन करना|
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य—-
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था करना, परिवार कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना|
4. पंचायत समिति के किन्हीं चार कार्यों का विवेचना करें|
उत्तर:-
सरकार द्वारा सौंपे कार्य—-
विभिन्न कार्यक्रमों की वार्षिक योजनाएँ बनाकर जिला परिषद में प्रस्तुत करना, पंचायत समिति का बजट बनाना, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना|
कृषि एवं सिंचाई संबंधी कार्य—-
कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास, कीटनाशी एवं जीवनाशी औषधियों का भंडारण एवं वितरण, किसानों को प्रशिक्षण भूमि सुधार, भू संरक्षण तथा लघु सिंचाई संबंधित|
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य—-
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्यक्रमों को प्रोत्साहन करना, प्रतिरक्षण एवं टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ावा देना|
शिक्षा संबंधी कार्य—–
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देना, प्राथमिक विद्यालय के भवनों का निर्माण मरम्मत एवं देखरेख, तकनीकी प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहित करना इत्यादि|
5. जिला परिषद के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-
कृषि, सिंचाई एवं बागवानी संबंधी कार्य—-
उन्नत कृषि पद्धतियों के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना, कृषि, बीज फार्म तथा व्यावसायिक फार्म खोलना, लघु सिंचाई की व्यवस्था करना, फल एवं सब्जियों की खेती|
सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य—-
ग्रामीण विद्युतीकरण, ग्रामीण सड़कों, पुल एवं पुलिया, कार्यलय भवनों का निर्माण एवं देखरेख|
शिक्षा संबंधी कार्य—–
प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना एवं देखरेख, विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा का प्रचार प्रसार|
सामाजिक कल्याण संबंधी कार्य—–
अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए छात्रवृत्तियां एवं छात्रावास का प्रबंध, महिलाओं, बच्चों, विधवाओं, वृद्धों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाना, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों का प्रशिक्षण के लिए आदर्श कल्याण केंद्रों एवं शिल्प केन्द्रों का संचालन इत्यादि|
6. ग्राम पंचायत के आय के स्रोतों पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
(1) केन्द्र, राज्य सरकार, जिला परिषद, पंचायत समिति या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकारों द्वारा दिया गया अंशदान या अनुदान|
(2) केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति ऋण
(3) ग्राम पंचायत के नियंत्रण और प्रबंधन के अधीन विद्यालय, अस्पताल, औषधालय, भवन आदि से प्राप्त होनेवाली आय|
(4) कर और फीस से प्राप्त आय
(5) दंडरूप में वसूल की गई राशि
(6) ग्राम पंचायत द्वारा उसकी ओर से प्राप्त की जानेवाली अन्य राशियाँ
7. पंचायत समिति के आय के स्रोतों का वर्णन करें|
उत्तर:-
पंचायत समिति के आय के प्रमुख स्रोतों में जिला परिषद से प्राप्त राजस्व, भू राजस्व का अंश और अन्य रकम, कर, चुंगी, फीस से प्राप्त आय, सार्वजनिक घाट, मेलों, घाटों तथा ऐसे ही अन्य स्रोतों से आनेवाली आय, वैसे अंशदान या दान जो जिला परिषद को न्यायों एवं संस्थाओं से प्राप्त हो, भारत सरकार और राज्य सरकार से प्राप्त अंशदान या अनुदान या ऋण सहित अन्य प्रकार की निधियाँ इत्यादि|
8. जिला परिषद की आय के स्रोतों का विवेचना करें|
उत्तर:-
(1) केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किए गए अंशदान और अनुदान
(2) पंचायत समिति या अन्य स्थानीय संस्थाओं से प्राप्त अंशदान एवं अनुदान
(3) केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति ऋण
(4) जिला परिषद द्वारा लगाए गए शुल्क, उपहार या अंशदान तथा अस्पताल, स्कूल आदि से प्राप्त राशि
(5) जुर्माना एवं अर्थदंड से प्राप्त आय
9. ग्राम कचहरी के क्षेत्राधिकार बताएं|
उत्तर:-
प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यायिक कार्यों को संपन्न करने के लिए एक ग्राम कचहरी का गठन किया जाता है| ग्राम कचहरी के न्यायपीठ का निर्णय लिखित रूप में होता है और उसपर सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होता है| ग्राम कचहरी भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं से संबंधित मुकदमों को देख सकती है| उसे फौजदारी और दीवानी दोनों मुकदमों की सुनवाई करने का अधिकार होता है| फौजदारी मुकदमें में ग्राम कचहरी को अधिकतम तीन माह तक का साधारण कारावास तथा अधिकतम एक हजार रुपए तक का जुर्माना और उसका उल्लंघन होने पर अधिकतर पंद्रह दिनों का साधारण कारावास देने का अधिकार है| दस हजार रुपये तक के दीवानी मुकदमों का सुनने का भी अधिकार ग्राम कचहरी को प्राप्त है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ग्राम पंचायत के संगठन एवं कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-
बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 में ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है| अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि बिहार सरकार के आदेश से जिला दंडाधिकारी जिला गजट में अधिसूचना निकालकर किसी स्थानीय क्षेत्र को जिसमें कोई गाँव या निकटस्थ गाँवों के समूह अथवा किसी गाँव के कोई भाग को ग्राम पंचायत क्षेत्र घोषित कर सकता है| इस क्षेत्र की जनसंख्या लगभग सात हजार के करीब होगी| अधिनियम में जिला दंडाधिकारी को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह ग्राम पंचायत से किसी गाँव को या उसके भाग को अलग कर सकता है या उसमें शामिल भी कर सकता है|
ग्राम पंचायत के निम्नलिखित मुख्य कार्य है—-
सामान्य कार्य—–
पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजनाओं को तैयार करना, वार्षिक बजट तैयार करना, प्राकृतिक संकट में सहायता प्रदान करना, सार्वजनिक संपत्ति पर से अतिक्रमण हटाना इत्यादि|
कृषि विकास संबंधी कार्य——
कृषि और बागवानी का विकास एवं उन्नति, बंजर भूमिका विकास, चारागाह का विकास और उसका संरक्षण
पशुपालन संबंधी कार्य——
गव्यशाला, कुक्कुट पालन, मत्स्यपालन, के लिए उचित उपाय करना|
सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य——
ग्रामीण गृह निर्माण करना, पेयजल की व्यवस्था करना, सड़क, भवन, नाली, पुलिया आदि का निर्माण कराना और उनकी सुरक्षा करना| सार्वजनिक गलियों और अन्य स्थानों पर रोशनी की व्यवस्था करना
शिक्षा संबंधी कार्य——
शिक्षा के प्रति लोगों में रूचि उत्पन्न करना, वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देना और सर्वशिक्षा अभियान को बढ़ावा देना|
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य—
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था करना, परिवार कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, महामारियों से निपटना, सार्वजनिक टीका कार्यक्रमों को सफल बनाना इत्यादि|
2. पंचायत समिति के संगठन एवं कार्यों की विवेचना करें—–
प्रत्येक प्रखण्ड के लिए एक पंचायत समिति होती है| पंचायत समिति में निम्नलिखित प्रकार के सदस्य होते हैं—–
निर्वाचित सदस्य—–
प्रखण्ड को कोई निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है| प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित होते हैं जो 5,000 लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं| अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के जनसंख्या के हिसाब से स्थान सुरक्षित होते हैं| महिलाओं के लिए 50℅ स्थान आरक्षित है|
पदेन सदस्य——
निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त ग्राम पंचायत का मुखिया पंचायत समिति का पदेन सदस्य होता है| इसके अलावे सह सदस्य के रूप में विधान सभा और लोकसभा के सदस्य होते हैं| सभी सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है| पंचायत समिति का एक प्रमुख होता है, जिसका निर्वाचन समिति के सदस्य अपने में से करते हैं| पंचायत समिति के निर्वाचन सदस्य अपने में से करते हैं| पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने में से एक उपप्रमुख निर्वाचित करते हैं| सामान्यतः प्रखण्ड विकास पदाधिकारी पंचायत समिति का कार्यपालिका पदाधिकारी होता है|
पंचायत समिति के कार्य—-
सरकार द्वारा सौंपे कार्य—–
विभिन्न कार्यक्रमों की वार्षिक योजनाएँ बनाकर जिला योजना में सम्मिलित करने हेतु जिला परिषद में प्रस्तुत करना, पंचायत समिति का बजट बनाना प्राकृतिक आपदाओ से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना|
कृषि एवं सिंचाई कार्य——
कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास, कृषि बीज फार्मों एवं उद्यान पौधशालाओं की देखरेख, कीटनाशी एवं जीवनाशी औषधियों का भंडारण एवं वितरण| खेती के उन्नत तरीकों का प्रचार, सब्जियों, फलों औषधियों पौधों एवं फूलों को उगवाना|
सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य—–
पेयजल की व्यवस्था करना, सार्वजनिक सड़कों, नालियों, पुलियों आदि का निर्माण एवं संरक्षण, बाजार एवं मेलों का प्रबंधन, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाना|
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य—–
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना, प्रतिरक्षण एवं टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ाना|
शिक्षा संबंधी कार्य—–
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देना, प्राथमिक विद्यालयों के भवनों का निर्माण, मरम्मत एवं देखरेख| व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था|
इनके अतिरिक्त सरकार तथा जिला परिषद द्वारा समय समय पर सौंपे गये अन्य कार्यों को भी पंचायत समिति पूरा करती है|
3. जिला परिषद के संगठन एवं कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-
प्रत्येक जिला में एक जिला परिषद का गठन किया गया है| जिला परिषद में निम्नलिखित सदस्य होते हैं—– संपूर्ण जिला को क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है| प्रत्येक निर्वाचित क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित होते हैं जो 50,000 की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं जिले की सभी पंचायत समितियों के प्रमुख| लोकसभा और राज्य विधानसभा के वैसे सदस्य जो जिले के किसी भाग या पूरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हों तथा राज्यसभा और राजविधान परिषद के वैसे सदस्य जो जिले के अंतर्गत मतदाता के रूप में पंजीकृत हों| जिला परिषद का कार्यकाल उसकी प्रथम बैठक की निर्धारित तिथि से अगले पाँच वर्षों तक के लिए निश्चित होता है| जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य भी अपने में से एक को अध्यक्ष और एक को उपाध्यक्ष निर्वाचित करते हैं| जिलाधिकारी की श्रेणी का पदाधिकारी जिला परिषद का मुख्य का कार्यपालन पदाधिकारी होता है जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है|
जिला परिषद के कार्य निम्नलिखित हैं——
कृषि, सिंचाई एवं बागवानी संबंधी कार्य——
कृषि उत्पादन को बढ़ानेवाले साधनों को प्रोत्साहित करना, कृषि, बीज फर्म तथा व्यावसायिक फार्म खोलना, कृषि मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन करना, कृषि एवं बागवानी प्रसार प्रशिक्षण केन्द्रों का प्रबंधन करना|
उद्योग धंधे संबंधी कार्य——
घरेलू एवं लघु उद्योगों का विकास, पशुपालन एवं गत्य विकास, मत्स्यपालन, वृक्षारोपण और उसकी देखरेख
सार्वजनिक सुविधा संबंधी कार्य——
ग्रामीण विद्युतीकरण, आवश्यक वस्तुओं का वितरण, ग्रामीण सड़कों, पुल एवं पुलिया, कार्यलय भवनों का निर्माण एवं देखरेख
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी कार्य—-
अस्पतालों प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और औषधालयों का निर्माण एवं देखरेख, रोग प्रतिरक्षण एवं टीकाकरण कार्यक्रम का कार्यान्वयन, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन तथा प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
शिक्षा संबंधी कार्य——
प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना एवं देखरेख, विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा का प्रचार प्रसार, पुस्तकालयों की व्यवस्था
सामाजिक कल्याण संबंधी कार्य——–
अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए छात्र वृत्तियों एवं छात्रावासों की व्यवस्था करना, निरक्षरता उन्मूलन कार्यक्रम, आदर्श कल्याण केन्द्रों एवं शिल्प केन्द्रों का संचालन, महिलाओं, बच्चों, विधवाओं, वृद्धों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाना इत्यादि जिला परिषद के प्रमुख कार्य है|
4. ग्राम कचहरी के संगठन एवं क्षेत्राधिकार का वर्णन करें|
उत्तर:-
प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र में न्यायिक कार्यों को संपन्न करने के लिए एक ग्राम कचहरी का गठन किया जाता है| ग्राम कचहरी का गठन प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है जिसमें एक निर्वाचित सरपंच होता है और निश्चित संख्या में प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित पंच| प्रत्येक पंच लगभग पांच सौ आबादी का प्रतिनिधित्व करता है| ग्राम कचहरी में भी अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं महिलाओं के स्थान आरक्षित है| ग्राम पंचायत की तरह ग्राम कचहरी का भी कार्यकाल पांच वर्ष है| यदि ग्राम कचहरी को पहले विघटित कर दिया जाता है तो पुनर्निवाचन छह महीने के अंदर करा लेना पड़ता है| ग्राम कचहरी का प्रधान सरपंच होता है| अधिनियम के अनुसार ग्राम कचहरी का सरपंच उस ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में पंजीकृत मतदाताओं के बहुमत द्वारा प्रत्यक्ष ढंग से निर्वाचित किया जाएगा| निर्वाचन के बाद प्रत्येक ग्राम कचहरी अपनी पहली बैठक में निर्वाचित पंचों में से बहुमत द्वारा एक उपसरपंच का चुनाव करती है| ग्राम कचहरी का एक सचिव होता है जिसे न्यायमित्र के नाम से जाना जाता है जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा विहित रीति से की जाती है|
ग्राम कचहरी का अधिकार क्षेत्र—–
ग्राम कचहरी अपने न्यायपीठ द्वारा विवादों का पहले सौहार्द पूर्ण समझौता कराने का प्रयास करती है| इसके लिए वह. उचित कदम उठाने को अधिकृत है| ऐसा समझौता हो जाने पर न्यायपीठ अपना निर्णय देता है| ग्राम कचहरी के न्यायपीठ का निर्णय लिखित रूप में होता है और उसपर सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होता है| ग्राम कचहरी भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं से संबंधित मुकदमों को देख सकती है| उसे फौजदारी और दीवानी दोनों मुकदमों की सुनवाई करने का अधिकार है| फौजदारी मुकदमों में ग्राम कचहरी की अधिकतम एक हजार रुपये तक का जुर्माना और उसका उल्लंघन होने पर अधिकतम पंद्रह दिन का साधारण कारावास देने का अधिकार है| जब किसी व्यक्ति को ग्राम कचहरी के किसी न्यायपीठ द्वारा कारावास की संज्ञा दी जाए और दोषी व्यक्ति न्यायपीठ को संतुष्ट कर दे कि वह अपील करने का इरादा रखता है तब न्यायपीठ उसे उतनी अवधि तक के लिए जमानत पर छोड़ देने का आदेश दे सकता है| दस हजार रुपये तक के दीवानी मुकदमें सुनने का भी अधिकार ग्राम कचहरी को प्राप्त है|
0 टिप्पणियाँ