Bharti Bhawan Economics Class-10:Chapter-5:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:अर्थशास्त्र:कक्षा-10:अध्याय-5:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


                रोजगार एवं सेवाएँ


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न




1. श्रमबल से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
देश की रोजगार जनसंख्या को ही कार्यशील (श्रमबल) जनसंख्या अथवा कार्यबल की संज्ञा दी जाती है जो कृषि, उद्योग एवं अन्य व्यवसायों में है| वास्तविक रूप में लगी होती है|
2. श्रमबल तथा कार्यबल में अंतर कीजिये–
उत्तर:-
जो व्यक्ति वास्तविक रूप में आर्थिक क्रियाकलापों में लगे हैं अथवा इन्हें करने के योग्य है, वे सभी श्रमबल कहलाते हैं| जो व्यक्ति आर्थिक क्रियाकलापों में वस्तुतः लगे होते हैं उन्हें कार्यबल के रूप में जाना जाता है| इस प्रकार श्रमबल तथा कार्यबल के अंतर को बेरोजगार श्रमबल कहते हैं|
3. एक अर्थव्यवस्था में रोजगार के प्रमुख क्षेत्र क्या है? 
उत्तर:-
प्राथमिक क्षेत्र—— कृषि, पशुपालन, वानिकी, खनन
द्वितीयक क्षेत्र—– उद्योग, विनिर्माण, निर्माण, विद्युत, गैस
तृतीयक क्षेत्र—— परिवहन, संचार, भंडारण व्यापार, बैंकिंग, बीमा तथा अन्य सभी प्रकार की सीमाएँ|
4. तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत कौन कौन सी सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है? 
उत्तर:-
तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत परिवहन, संचार भंडारण, व्यापार, बैंकिंग, बीमा तथा अन्य सभी प्रकार की सेवाएँ को सम्मिलित किया जाता है|
5. संचार सेवाओं से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
संचार सेवाओं से हमारा अभिप्राय उन साधनों से है जिनके माध्यम से विभिन्न स्थान के बीच विचारों और सूचनाओं का आदान प्रदान होता है| समाचारपत्र, डाक सेवा, टेलीग्राफ, टेलीफोन, रेडियो आदि संचार के साधन है| टेलीविजन, मोबाइल टेलीफोन, फैक्स तथा इंटरनेट के संचार सेवाओं के आधुनिक साधन है|
6. सूचना और संचार प्रणाली से जुड़ी पांच सेवाओं का उल्लेख करें—–
उत्तर:-
समाचार पत्र, डाक सेवा, टेलीविजन, मोबाइल टेलीफोन, तथा इंटरनेट सूचना और संचार प्रणाली से जुड़ी पांच पहले पूर्ण सेवाओं में से एक है|
7. कंप्यूटर साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
कंप्यूटर के दो प्रमुख अंग है—- साफ्टवेयर और हार्डवेयर| साफ्टवेयर का प्रयोग प्रोग्राम और आंकड़ों को संकलित, नियंत्रित तथा संचित करने के लिए किया जाता है| कंप्यूटर का भौतिक भाग हार्डवेयर के नाम से जाना जाता है|
8. आउटसोर्सिंग किसे कहते हैं? 
उत्तर:-
जब कोई कंपनी अपने उत्पादन से संबंधित सेवाएँ अन्य स्रोतों से प्राप्त करती है तो उसे आउटसोर्सिंग कहते हैं| एक विदेशी कंपनी द्वारा अपनी पुस्तक के डिजाइन छपाई आदि का कार्य हमारे देश में करवाना आउटसोर्सिंग का उदाहरण है|
9. स्वच्छता का क्या अभिप्राय है? 
उत्तर:-
स्वच्छता का संबंध नालियों तथा कूड़े की सफाई, शौचालय, मलव्ययन आदि की व्यवस्था से है| इसका अभाव स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्रभावित करता है|
10. प्रारंभिक शिक्षा क्या है? 
उत्तर:-
प्रारंभिक शिक्षा युवावर्ग को न्यूनतम एवं आधारभूत कौशल सिखायी है| सरकार ने 2001 के संविधान संशोधन द्वारा 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया गया है|
11. कार्यबल से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
देश में रोजगारत जनसंख्या को ही कार्यशील जनसंख्या अथवा कार्यबल की संज्ञा दी जाती है जो कृषि, उद्योग एवं अन्य व्यवसायों में कार्यरत होती है|
12. सेवा क्षेत्र क्या है? 
उत्तर:-
सेवा क्षेत्र वह है जो अर्थव्यवस्था में परिवहन, संचार, सिंचाई, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं आदि जैसी विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है|
13. सरकारी सेवा किसे कहते हैं? 
उत्तर:-
सरकारी सेवा का अभिप्राय राज्य अथवा सरकार द्वारा प्रदान की जानेवाली विभिन्न प्रकार की सेवाओं से है जिनमें सुरक्षा एवं प्रशासनिक सेवाएँ तथा सार्वजनिक सेवाएँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है|
14. गैर सरकारी सेवा क्या है? 
उत्तर:-
अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए कयी प्रकार की सेवाओं की आवश्यकता होती है तथा जो सेवाएँ निजी उद्यमियों द्वारा प्रदान की जाती है उन्हें गैर सरकारी सेवा कहते हैं|
15. सेवा क्षेत्र का क्या महत्व है? 
उत्तर:-
सेवा क्षेत्र के द्वारा ही किसी अर्थव्यवस्था की आधार संरचना का निर्माण होता है जो कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान कर उनकी उत्पादन क्षमता को बढाती है|
16. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं? 
उत्तर:-
आधारभूत संरचना से हमारा अभिप्राय यातायात एवं संचार, शक्ति, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, जलापूर्ति आदि जैसी सेवाओं से है जो किसी अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए एक सहायक ढांचे का निर्माण करती है|
17. आर्थिक संरचना का क्या महत्व है? 
उत्तर:-
आर्थिक संरचना हमारी उत्पादक क्रियाओं को प्रत्यक्ष रूप में सहायता प्रदान करती है तथा इसके अभाव में एक आधुनिक अर्थव्यवस्था का संचालन संभव नहीं है|
18. रोजगार और सेवा में क्या संबंध है? 
उत्तर:-
रोजगार और सेवाओं में घनिष्ठ है तथा सेवा क्षेत्र के विस्तार से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है|
19. वैश्वीकरण का सेवा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है? 
उत्तर:-
वैश्वीकरण से सेवा क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ है तथा अन्य वस्तुओं के समान ही इस क्षेत्र के उत्पादन का भी निर्यात होने लगा है|
20. तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत कौन कौन सी सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है? 
उत्तर:-
तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत व्यापार, परिवहन, संचार, शक्ति, सिंचाई, मौद्रिक एवं वित्तीय संस्थाओं तथा सभी प्रकार की सामाजिक सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है जो प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र के लिए एक सहयोगी ढांचे का निर्माण करती है|
21. इंदिरा आवास योजना क्या है? 
उत्तर:-
1985-86 से सरकार द्वारा इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी, हरिजन एवं भूमिहीन श्रमिकों के लिए आवास अर्थात रहने के मकानों की व्यवस्था की जा रही है जिसे आवास योजना की संज्ञा दी गई है|
22. किंही पांच सामाजिक सेवाओं या सुविधाओं का उल्लेख कीजिये—-
उत्तर:-
शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, जलापूर्ति तथा स्वच्छता सामाजिक सेवाओं या सुविधाओं के पांच उदाहरण है तथा इन सेवाओं से हमारी उत्पादन क्षमता, योग्यता एवं कुशलता में वृद्धि होती है|



लघु उत्तरीय प्रश्न




1. भारत की कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश प्राथमिक अथवा कृषि क्षेत्र पर निर्भर है| इसके क्या कारण है? 
उत्तर:-
भारत के कार्यबल अथवा कार्यशील जनसंख्या का व्यावसायिक वितरण हमारे देश की अर्थव्यवस्था का अविकसित रूप प्रकट करता है| अर्द्ध विकसित एवं विकासशील देशों की कार्यशील जनसंख्या का एक बड़ा भाग प्राथमिक अथवा कृषि क्षेत्र में लगा होता है तथा औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम होती है| इसका कारण स्पष्ट है| अर्द्ध विकसित एवं पिछड़े हुए देश के निवासियों की प्रतिव्यक्ति आय बहुत कम होती है तथा इसका एक बहुत बड़ा भाग खाद्यान्न एवं अन्य अनिवार्य वस्तुओं पर ही खर्च हो जाता है| परिणामतः औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र की वस्तुओं और सेवाओं के लिए इनकी माँग बहुत कम होती है| पूंजी तथा आधुनिक तकनीक के अभाव में इन देशों का औद्योगिक क्षेत्र बहुत छोटा भी होता है तथा इसमें रोजगार की संभावनाएँ कम होती है| विकसित देशों की स्थिति इनसे सर्वथा भिन्न होती है| इन देशों की कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश भाग सेवा क्षेत्र में कार्यरत रहता है तथा कृषि क्षेत्र में सबसे कम व्यक्ति लगे होते हैं| इसका कारण यह है कि आय अधिक होने से विकसित देशों में औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र की वस्तुओं की माँग बहुत अधिक होती है| भारत की कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश (लगभग 65-70℅) भाग की कृषि कार्यों में संलग्न है तथा इसका एक बहुत छोटा भाग उद्योग और सेवाओं में कार्यरत हैं| हमारे देश के औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र का पूर्ण विकास नहीं होने के कारण ही कार्यशील जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग कृषि एवं इससे संबद्ध क्रियाकलापों द्वारा जीवनयापन करने के लिए बाध्य है|
2. संरचनात्मक सुविधाओं का विकास हमारे देश में बेरोजगारी एवं निर्धनता की समस्याओं के समाधान में किस प्रकार सहायक होगा? 
उत्तर:-
एक अर्थव्यवस्था का मुख्य कार्य मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करना है| कृषि एवं उद्योग इन सभी प्रकार की भौतिक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं| ये दोनों ही क्षेत्र प्रत्यक्ष उत्पादक क्रियाओं में भाग लेते हैं| परंतु, इनके संचालन के लिए कुछ संरचनात्मक सुविधाएँ या सेवाएँ आवश्यक होती है| सहायक अथवा आधार संरचना पूंजीगत ढांचे का वह रुप है जो अर्थव्यवस्था में सेवाएँ प्रदान करता है| जिस प्रकार भौतिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए हल, ट्रैक्टर, मशीन, उपकरण आदि जैसे पूंजीगत ढांचे की आवश्यकता होती है उसी प्रकार परिवहन, सिंचाई, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं आदि की व्यवस्था के लिए भी रेलवे, बस, कुएँ, विद्यालय, अस्पताल आदि के रूप में एक पूंजी ढांचे की जरूरत पड़ती है| इसे सेवाएँ प्रदान करने वाला पूंजी ढांचा कहते हैं| इस संरचना या ढांचे के बिना कोई अर्थव्यवस्था कार्यशील नहीं हो सकती तथा इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को ही संरचनात्मक सुविधाओं की संज्ञा दी जाती है| संरचनात्मक सेवाओं या सुविधाओं का विकास हमारे देश में बेरोजगारी एवं निर्धनता की समस्याओं के समाधान में बहुत सहायक होगा| हमारे देश में सड़क, बिजली, सिंचाई आदि सुविधाओं की बहुत कमी है| ग्रामीण क्षेत्रों में इन सेवाओं के विस्तार द्वारा गैर कृषि क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन संभव है| इससे निर्धनता के निवारण में भी बहुत सहायता मिलेगी जो हमारे देश की सबसे गंभीर समस्या है|
3. भारत में वित्तीय सेवाओं की क्या स्थिति है? 
उत्तर:-
वित्तीय सेवाओं के अंतर्गत कयी प्रकार की सेवाएँ शामिल हैं जिनमें बैंकिंग एवं सीमा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| पिछले लगभग तीन दशकों के अंतर्गत देश में बैंकिंग सेवाओं का बहुत विस्तार हुआ है| तथा व्यावसायिक बैंक की शाखाओं में 7 गुना से भी अधिक वृद्धि हुई है| बैंकिंग क्षेत्र में अधिक स्पर्द्धा पैदा करने के लिए अब सरकार ने निजी क्षेत्र में नये बैंक खोलने की भी अनुमति दे दी है| शहरीकरण विनिर्माण व्यापार आदि की प्रगति के साथ ही बीमा क्षेत्र की सेवाओं की माँग निरंतर बढ़ रही है|
4. संचार सेवाओं के विकास में कंप्यूटर का क्या योगदान है? 
उत्तर:-
संचार सेवाओं के प्रसार में कंप्यूटर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है| कंप्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसके अनेक उपयोग है| आज कंप्यूटर का दूरसंचार परिवहन, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा तथा शोध एवं अनुसंधान में प्रयोग लगातार बढ़ रहा है| कंप्यूटर के प्रयोग से इन सेवाओं के स्तर में सुधार हुआ है| कंप्यूटर साफ्टवेयर उद्योग श्रम प्रधान है तथा इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएँ है|
5. हमारे देश में किस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएँ आवश्यक है?
उत्तर:-
मानवीय संसाधन के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ अत्यधिक महत्वपूर्ण है| परंतु इन सेवाओं को देश के सभी नागरिकों को उपलब्ध कराने के लिए बहुत अधिक धन या साधनों की आवश्यकता होती है| भारत एक विकासशील राष्ट्र है| हमारे साधन सीमित है| इसिलिए यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है कि हम देश में किस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करें| इस दृष्टि से हमारे सामने दो विकल्प है| हम एक ओर रोग का नियंत्रण तथा दूसरी ओर उनके उपचार की व्यवस्था कर सकते हैं| अब तक हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाएँ रोगों के नियंत्रण एवं रोकथाम की अपेक्षा उनके उपचार पर बल देती रही है| परंतु, भारत जैसे एक निर्धन देश के लिए इस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएँ उपयुक्त नहीं है| रोगग्रस्त हो जाने पर एक श्रमिक काम पर नहीं जा सकता और उसे आर्थिक दृष्टि से घाटा होता है| दूसरी ओर, उसे अपने रोग के उपचार पर भी धन खर्च करना पड़ता है| कार्यशील नागरिकों के बीमार होने से राष्ट्रीय उत्पादकता भी कम हो जाती है| अत: यह आवश्यक है कि हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाओं में रोगों के उपचार की अपेक्षा उनके नियंत्रण पर अधिक बल दिया जाए| कुछ समय पूर्व तक हमारी स्वास्थ्य सेवाएँ शहरी क्षेत्रों के अस्पताल एवं चिकित्सालयों तक सीमित थी| परंतु, नगरों में निवास करने वाले कुछ संपन्न व्यक्तियों को ही इनकी सेवाएँ उपलब्ध होती है| हमारे देश की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है जिसे इस प्रकार की चिकित्सा सुविधाएँ नहीं प्राप्त होती है| इनके रोगों के निदान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार अधिकांश आवश्यक है| यही कारण है कि हमारी पंचवर्षीय योजनाओं में प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना पर अधिक बल दिया गया है|
6. भारत में आवास की क्या स्थिति है? 
उत्तर:-
भारत में आवास की कमी है| जनसंख्या वृद्धि के साथ ही देश में आवास और उससे संबद्ध आधारभूत आवश्यकताओं (पानी, बिजली, मलव्ययन इत्यादि) की माँग निरंतर बढ़ रही है| गाँव से नगरों की ओर रोजगार और उच्च शिक्षा के पलायन ने भी आवास समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है| योजना आयोग के अनुसार अभी देश में लगभग 247 लाख आवास इकाइयों की कमी होने का अनुमान है|
7. माध्यमिक शिक्षा की आवश्यकता क्यों होती है? 
उत्तर:-
प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही हमारे देश में एक बहुत बड़े समुदाय को माध्यमिक शिक्षा देने की भी व्यवस्था है| आर्थिक विकास एवं संरचनात्मक सुविधाओं को बनाए रखने के लिए हमें बहुत बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित श्रम की आवश्यकता पड़ती है| माध्यमिक शिक्षा के द्वारा ही इस प्रकार की श्रमशक्ति का निर्माण होता है| हमारी वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप सरकार इस प्रकार की शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने का प्रयास कर रही है| हमारे देश में लगभग 4000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है, जिनमें लगभग 7 लाख विद्यार्थियों के लिए विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण की क्षमता है| माध्यमिक शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए देश के प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालयों की स्थापना का कार्यक्रम अत्यधिक महत्वपूर्ण है|
8. उच्च शिक्षा का क्या अभिप्राय है? 
उत्तर:-
प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा की तुलना में उच्च शिक्षा की अपेक्षाकृत कम आवश्यकता होती है| परंतु, देश के आर्थिक विकास के लिए कुछ चुने हुए प्रतिभावान छात्रों को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा प्रदान करना भी अनिवार्य है| इस प्रकार की उच्च एवं विशिष्टीकृत शिक्षा हमारे देश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों में प्रदान की जाती है| इन संस्थानों द्वारा ही देश में डाक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं अन्य उच्च स्तर के कर्मचारियों की पूर्ति होती है| विश्व के विकसित देशों में जहाँ संख्या की दृष्टि से उच्च शिक्षा की प्राथमिकता निम्न हैं वहाँ स्तर की दृष्टि से इसे बहुत ऊँची प्राथमिकता दी जाती है| 1950-51 से भारत में शिक्षा प्रणाली का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है| अभी देश में 45 केन्द्रीय विश्वविद्यालय, 322 राज्य विश्वविद्यालय, 192 निजी विश्वविद्यालय, 130 मानद विश्वविद्यालय, 52 संसद के अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएँ तथा 5 राज्य विधानों के तहत स्थापित महत्व की संस्थाएँ है| इन विश्वविद्यालयों के अधीन देश में लगभग 35,000 महाविद्यालय है|
9. श्रमबल तथा कार्यबल में अंतर कीजिये–
उत्तर:-
जनसंख्या के सभी सदस्य आर्थिक दृष्टि से उत्पादक क्रियाओं में नहीं लगे होते हैं| परिवार के बच्चे एवं बूढ़े तथा मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति इन क्रियाओं में शामिल नहीं होते हैं| अत: समाज के जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन कर सकते हैं वे ही श्रमबल का निर्माण करते हैं| इसके अतिरिक्त हम श्रमबल में से ऐसे व्यक्तियों को भी निकाल देते हैं जो पारिवारिक आदि कार्यों में व्यस्त है या कार्य करने के लिए इच्छुक नहीं है| इसका अभिप्राय यह है कि जो व्यक्ति वास्तविक रूप से आर्थिक क्रियाकलापों में लगे हैं अथवा इन्हें करने के योग्य है, वे सभी श्रमबल के सदस्य है| इसके विपरीत, जो इन क्रियाकलापों में वस्तुतः लगे हुए हैं उन्हें कार्यबल के रूप में जाना जाता है|
10. एक अर्थव्यवस्था में रोजगार के प्रमुख क्षेत्र क्या है? 
उत्तर:-
एक अर्थव्यवस्था के व्यावसायिक ढांचे में रोजगार के तीन प्रमुख क्षेत्र होते हैं—– प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक|प्राथमिक क्षेत्र में कृषि, पशुपालन, वानिकी, खनन, आदि को सम्मिलित किया जाता है| इनमें कृषि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| द्वितीयक क्षेत्र को उद्योग क्षेत्र भी कहते हैं तथा इनमें विनिर्माण, निर्माण, विद्युत, गैस, जलापूर्ति आदि शामिल हैं| तृतीयक क्षेत्र में परिवहन, संचार, व्यापार, बैंकिंग, बीमा तथा अन्य सभी प्रकार की सेवाएँ आती है| यह क्षेत्र वस्तुओं का नहीं वरन सेवाओं का उत्पादन करता है| यही कारण है कि तृतीय क्षेत्र को सेवा क्षेत्र कहते हैं| विकसित देशों के कार्यबल का अधिकांश भाग सेवा क्षेत्र में ही लगा होता है| रोजगार अथवा आय की दृष्टि से किसी देश की जनसंख्या इन तीनों क्षेत्रों में विभाजित होती है|
11. रोजगार और सेवा में क्या संबंध है? सेवा क्षेत्र का महत्व बताएं|
उत्तर:-
रोजगार और सेवाओं में घनिष्ठ संबंध है| आर्थिक संवृद्धि के साथ ही सेवा क्षेत्र अब किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हो गया है तथा इसमें रोजगार की संभावनाएँ निरंतर बढ़ रही है| इस क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे अनेक व्यवसाय है जिनमें अपेक्षाकृत बहुत कम पूंजी निवेश के द्वारा बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन संभव है| विगत वर्षों के अंतर्गत संचार सेवाओं के प्रसार से सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में बहुत वृद्धि हुई है| भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का मात्र 22℅ योगदान होता है| जबकि देश की लगभग 70℅ जनसंख्या अपने जीवनयापन के लिए इसी पर निर्भर है| कृषि पर से इस अत्यधिक जनभार को लेकर कम करने के लिए सेवा क्षेत्र का विस्तार आवश्यक है|
12. आर्थिक विकास और रोजगार की दृष्टि से आर्थिक संरचना का महत्व बताएं|
उत्तर:-
किसी देश के आर्थिक विकास में उसकी आर्थिक संरचना का महत्वपूर्ण योगदान होता है| यातायात एवं संचार, शक्ति, सिंचाई तथा मौद्रिक एवं वित्तीय संस्थाएँ आर्थिक संरचना के प्रमुख अंग है| इस प्रकार की संरचनात्मक सेवाएँ या सुविधाएं ही एक अर्थव्यवस्था को क्रियाशील बनाती हैं| इनके अभाव में कृषि एवं उद्योग किसी भी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है| संरचनात्मक सुविधाओं का विकास बेरोजगारी की समस्या के समाधान में भी बहुत सहायक होगा| हमारे देश में सड़क, बिजली, जलापूर्ति, सिंचाई आदि सुविधाओं की बहुत कमी है| ग्रामीण क्षेत्रों में इन सुविधाओं की उपलब्धता निवेश को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे आर्थिक विकास के साथ ही रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होती है|
13. एक अर्थव्यवस्था की सामाजिक एवं आर्थिक संरचनाओं में क्या अंतर है? 
उत्तर:-
सहायक संरचना पूंजीगत ढांचा का वह रूप है जो अर्थव्यवस्था में सेवाएँ प्रदान करता है| सहायक संरचनाएँ सामाजिक एवं आर्थिक दो प्रकार की होती है| सामाजिक संरचनाएँ उत्पादक, अर्थात आर्थिक क्रियाओं को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है| उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य अथवा शिक्षा सेवाएँ उत्पादन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लेती है| परंतु, ये अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सहायक ढांचा का निर्माण करती है जिसे सामाजिक संरचना कहते हैं| इसके विपरीत, आर्थिक संरचना के अंतर्गत उन सेवाओं को शामिल किया जाता है जो उत्पादन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है| देश की परिवहन प्रणाली, शक्ति के साधन तथा मौद्रिक एवं वित्तीय संस्थाएँ उत्पादन और वितरण का हिस्सा बनकर सेवाएँ प्रदान करती है| इस प्रकार की संस्थाओं को आर्थिक संरचना की संज्ञा दी जाती है|
14. भारत की कमजोर सामाजिक संरचना के क्या आर्थिक परिणाम हुए हैं? इससे हमारी जनसंख्या का कौन सा भाग सर्वाधिक प्रभावित होता है? 
उत्तर:-
भारतीय अर्थव्यवस्था की सामाजिक संरचना बहुत कमजोर है| यहाँ व्याप्त व्यापक निर्धनता के कारण लोगों को सामान्य नागरिक सुविधाएँ नहीं उपलब्ध हो पाती है| देश के अधिकांश बच्चों और स्त्रियों को न्यूनतम पौष्टिक आहार नहीं मिलता है| जलापूर्ति एवं स्वच्छता भी हमारे देश की एक महत्वपूर्ण समस्या है| अनेक गांव ऐसे है जिनमें स्वच्छ पेयजल सुविधा उपलब्ध नहीं है या कुछ लोगों को ही उपलब्ध है| इन सेवाओं का अभाव ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित करता है| इससे उनकी कार्यक्षमता एवं उत्पादकता बहुत घट जाती है| समाज का धनी वर्ग अपने निजी साधनों द्वारा इन सेवाओं की व्यवस्था कर लेता है| परंतु, निर्धन वर्ग के लिए इस प्रकार की सेवाओं को प्राप्त करना कठिन होता है| इस वर्ग पर इसका सर्वाधिक कुप्रभाव पड़ता है|
15. भारत में सामाजिक सुविधाओं की कमी के क्या कारण है? इसका निदान क्या है? 
उत्तर:-
शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास तथा जलापूर्ति एवं स्वच्छता आदि जैसी सेवाएँ श्रम की कार्यक्षमता एवं उत्पादकता को बढाती है| परंतु, भारत में सामाजिक अथवा नागरिक सुविधाओं की कमी है और इनका स्तर बहुत ही निम्न हैं| इसके कयी कारण है| भारत एक निर्धन देश है तथा विकसित देशों की तुलना में हमारी राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है| साधनों का अभाव होने के कारण हम देशों में इन सेवाओं या सुविधाओं का तेजी से विकास नहीं कर पाए हैं| जनसंख्या में बहुत तेजी से वृद्धि होने के कारण इन सेवाओं पर भार भी निरंतर बढ़ रहा है| इस समस्या के समाधान के लिए आर्थिक विकास की गति को तीव्र करना नितांत आवश्यक है| इसके साथ ही हमें देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करने का भी प्रयास करना चाहिए|
16. संचार सेवाओं से आप क्या समझते हैं? सूचना और संचार प्रणाली से जुड़ी पांच सेवाओं का उल्लेख करें—
उत्तर:-
संचार सेवाओं से हमारा अभिप्राय उन साधनों से है जिनके माध्यम से विभिन्न स्थान के निवासियों के बीच विचारों और सूचनाओं का आदान प्रदान होता है| सामाचार पत्र, डाक सेवा, टेलीग्राफ, टेलीफोन, और रेडियो संचार के परंपरागत साधन है जिनका हम कयी दशकों से प्रयोग करते रहे हैं| लेकिन, विगत कुछ वर्षों से संदेश भेजने के लिए संचार उपग्रहों का प्रयोग होने लगा है| इसके फलस्वरूप सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं| आज टेलीविजन, मोबाइल, टेलीफोन, फैक्स, इंटरनेट आदि संचार के सबसे प्रभावशाली माध्यम है जो संचार उपग्रहों की सहायता से कार्य करते हैं|टेलीफोन के साथ कंप्यूटर के जुड़ जाने (इंटरनेट) से संचार सेवाओं में और अधिक प्रगति हुई है|
17. आउटसोर्सिंग किसे कहते हैं? 
उत्तर:-
विगत वर्षों के अंतर्गत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का बहुत तेजी से विकास हुआ है| आज दूर संचार सुविधाओं द्वारा पूर्व की अपेक्षा विभिन्न देशों से संपर्क स्थापित करना तथा सूचनाओं का आदान प्रदान अधिक सुगम हो गया है| अत:, अब हम अपने देश में रहकर भी विश्व के अन्य देशों को अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं| इससे सेवा क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ है तथा अन्य वस्तुओं के समान ही इस क्षेत्र के उत्पादन का भी निर्यात होने लगा है| जब कोई कंपनी अपने उत्पादन से संबंधित सेवाएँ अन्य स्रोतों अथवा देशों से प्राप्त करती है तो इसे आउटसोर्सिंग कहते हैं| हमारे देश में श्रम सस्ता होने के कारण विकसित देशों की अनेक कंपनियों अब अपनी सेवाओं का भारत में आउटसोर्सिंग करने लगी है| एक विदेशी फर्म द्वारा अपनी पुस्तक के डिजाइन, छपाई आदि का कार्य हमारे देश में करवाना आउटसोर्सिंग का उदाहरण है|
18. सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की क्या भूमिका है? 
उत्तर:-
सेवा क्षेत्र का विकास मुख्य रूप से मानवीय तत्वों पर निर्भर है तथा इसमें शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है|21 वी सदी को ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है| विगत वर्षों के अंतर्गत हमारे देश ने भी संचार एवं सूचना सेवाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है| यह शिक्षा के स्तर में होनेवाले सुधार तथा ज्ञान एवं कौशल के विकास का विकास का ही परिणाम है| हमारे देश के लिए शिक्षा का महत्व इस कारण और बढ जाता है क्योंकि भारत में युवा शक्ति का विशाल भंडार है| इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं|
19. आवास सुविधाओं से आप क्या समझते हैं? भारत में आवास की वर्तमान स्थिति क्या है? 
उत्तर:-
भोजन और वस्त्र के साथ ही आवास भी मनुष्य की एक आधारभूत आवश्यकता है| आवास जलवायु की विभिन्नताओं से सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही समाज के भावी नागरिकों के जन्म और पालन पोषण की व्यवस्था करता है| आवास का संबंध केवल रहने के मकानों ही नहीं, वरन स्वच्छ वायु, शुद्ध पेयजल, शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा तथा एक अच्छे पड़ोस और वातावरण से भी है| भारत में आवास अथवा रहने के मकानों की बहुत कमी है| जनसंख्या वृद्धि के साथ ही देश में आवास और उससे संबद्ध आधारभूत आवश्यकताओं (पानी, बिजली, मलव्ययन इत्यादि) की माँग निरंतर बढ़ रही है| रोजगार एवं उच्च शिक्षा के लिए गाँवों और कस्बों से नगरों की ओर होनेवाले प्रवसन ने आवास समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है| योजना आयोग के अनुसार अभी देश में लगभग 247 लाख इकाइयों की कमी होने का अनुमान है| आवास समस्या का एक अन्य पक्ष मकानों में रहते हैं| इनमें प्रायः हवा, पानी, रोशनी, शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं होती है| बड़े शहरों और महानगरों में भी झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले परिवारों की संख्या बहुत अधिक है| आवास समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पृथक कार्यक्रम बनाए गए हैं| सरकार ने प्रत्येक राज्य में एक आवास परिषद की स्थापना की है| यह शहरी क्षेत्रों में निम्न एवं माध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए मकानों का निर्माण करती है| इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी, हरिजन एवं भूमिहीन श्रमिकों के लिए आवास की व्यवस्था की जा रही है|
20. वर्तमान आर्थिक मंदी का भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है? 
उत्तर:-
किसी भी अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियाँ सदैव स्थिर नहीं रहती है तथा इसमें समय समय उतार चढ़ाव होते रहते हैं| मंदी एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यावसायिक क्रियाएँ सामान्य स्तर से नीचे रहती है| इसके परिणामस्वरूप उत्पादन एवं आय की मात्रा में गिरावट आने लगती है, श्रमिक और उत्पादन के अन्य साधन बेरोजगार हो जाते हैं तथा मजदूरी की दरों में कमी हो जाती है| विश्व स्तर पर इस प्रकार की मंदी सर्वप्रथम 1930 में हुई| यह मंदी संयुक्त राज्य अमेरिका से आरम्भ हुई जिसने विश्व के प्रायः सभी देशों को प्रभावित किया| व्यापार के विस्तार से अब विश्व के विभिन्न देश एक दूसरे से जुड़ गये थे जिनमें अमेरिका सबसे समृद्ध देश था| अतः इसकी आर्थिक मंदी से प्रायः सभी देश प्रभावित हुए थे| वर्तमान मंदी का प्रारंभ भी 2008 में अमेरिका से हुआ जिससे सेवा क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित हुआ है| उपभोक्ताओं की माँग कम हो जाने के कारण बहुराष्ट्रीय निगमों का लाभ भी कम हो गया है और वे श्रमिकों की छंटनी कर रहे हैं| इस मंदी से भारत भी प्रभावित हुआ है तथा हमारे सेवा क्षेत्र पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है| इससे निजी क्षेत्र के उद्योग एवं व्यवसाय में अस्थिरता आयी है, श्रमिकों की छंटनी हुई है और यहाँ के तकनीकी कर्मचारियों की माँग विदेशों में कम हो गई है| परंतु, अमेरिका और यूरोप के देशों की अपेक्षा भारत इससे कम प्रभावित हुआ है| इसका प्रमुख कारण वित्तीय संस्थाओं तथा पूंजी बाजार पर सरकार का प्रभाव पूर्ण नियंत्रण है| 
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



1. सेवा क्षेत्र का महत्व बताएं|
उत्तर:-
आर्थिक विकास और रोजगार की दृष्टि से सेवा क्षेत्र अत्यधिक महत्वपूर्ण है| सेवा क्षेत्र के द्वारा ही किसी अर्थव्यवस्था की आधार संरचना का निर्माण होता है जो कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान कर उनकी उत्पादन क्षमता को बढाती है| सेवा क्षेत्र की सेवाओं में परिवहन, संचार, विपणन, वाणिज्य तथा सभी प्रकार की सरकारी एवं गैर सरकारी सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है| सेवा क्षेत्र की सेवाओं से सुख सुविधाओं में विस्तार होता है| भारत का सेवा क्षेत्र बहुत विकसित नहीं है| लेकिन राष्ट्रीय उत्पाद में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है|सेवा क्षेत्र द्वारा जानेवाली विभिन्न प्रकार की संरचनात्मक सुविधाएँ ही एक अर्थव्यवस्था को क्रियाशील बनाती है| उदाहरण के लिए शक्ति औद्योगिक उत्पादन का आधार है| आधुनिक उद्योगों में मुख्यतः मशीनों का प्रयोग होता है, जो शक्ति अथवा बिजली से संचालित होते हैं| संरचनात्मक सुविधाओं के अभाव में कृषि एवं उद्योग किसी भी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है| भारत के तीव्र आर्थिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की आवश्यकता है| संरचनात्मक सुविधाओं की उपलब्धता निवेश को भी प्रोत्साहित करती है| बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पूंजी निवेश उन्हीं राज्यों या क्षेत्रों में करते हैं जहाँ सड़क, बिजली, पानी आदि संरचनात्मक सुविधाएँ उपलब्ध है| संरचनात्मक सुविधाओं का विकास हमारे देश की बेरोजगारी एवं निर्धनता की समस्याओं के समाधान में भी सहायक होता है| ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा क्षेत्रों के विस्तार द्वारा रोजगार सृजन तथा गरीबी के निवारण में बहुत सहायता मिलेगी|
2. रोजगार सृजन में सेवाओं की भूमिका की विवेचना कीजिये—-
उत्तर:-
आज विश्व के सभी देशों में कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र की उत्पादन विधियों एवं तकनीक में परिवर्तन हो रहे हैं| इन परिवर्तनों से सेवा क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन मिला है| सेवा क्षेत्र किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हो गया है| तथा इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ निरंतर बढ़ रही है| सेवा क्षेत्र की पारंपरिक सेवाओं में परिवहन वित्त, संचार विपणन, व्यापार आदि महत्वपूर्ण है| सेवा क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को भी सम्मिलित किया जाता है| सेवा क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार की व्यवस्था करती है तथा इससे आर्थिक विकास के साथ ही इनमें रोजगार के अवसरों में बहुत वृद्धि हुई है| सुरक्षा सेवाओं के बाद रेलवे देश में सबसे अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है| ग्रामीण सड़कों के निर्माण द्वारा बहुत अधिक रोजगार सृजन संभव है| जहाजरानी और विमान सेवाएँ भी आर्थिक विकास के साथ साथ रोजगार सृजन में सहायता प्रदान कर रही है| वित्तीय सेवाओं का जैसे बैंकिंग और बीमा क्षेत्र का बहुत अधिक विस्तार हुआ है| शहरीकरण विनिर्माण, व्यापार आदि की प्रगति के साथ ही बीमा क्षेत्र की सेवाओं की माँग निरंतर बढ़ रही है| उदारीकरण के फलस्वरूप भी हमारे विदेश व्यापार में वृद्धि हुई है| आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन की दृष्टि से संचार सेवाएँ बहुत महत्वपूर्ण है| आज देश में संचार उपग्रह और सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से नयी नयी प्रकार के उद्योगों तथा रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है| टेलीविजन की वाणिज्य सेवाएँ व्यापार के विस्तार में बहुत सहायक सिद्ध हुई है| संचार सेवाओं में कंप्यूटर का योगदान भी महत्वपूर्ण है| कंप्यूटर साफ्टवेयर उद्योग श्रम प्रधान है तथा इसके उत्पादन में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है|
3. विगत वर्षों के अंतर्गत विश्व में सेवा प्रदान के रूप में भारत के सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ है| इसके क्या कारण है|
उत्तर:-
भारतीय आरंभ से ही विश्व के विकसित देशों में जाकर अपनी सेवाएँ प्रदान करते रहे हैं| अपने देश में अवसरों की कमी तथा इन देशों का उच्च जीवन स्तर ही भारतवासियों को विकसित देशों में जाने के लिए प्रेरित करता है सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का बहुत तेजी से विस्तार तथा विकास होने से आज विभिन्न देश के निवासियों से संपर्क करना तथा सूचनाओं का आदान प्रदान अधिक आसान हो गया है| अब हम अपने देश में रहकर ही विश्व के अन्य देशों को अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं| इससे सेवा क्षेत्र के उत्पादन का भी निर्यात तेजी से होने लगा है| हमारे देश में श्रम की बहुलता है| इसके फलस्वरूप यहाँ कयी प्रकार की सेवाएँ अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध है| इसका लाभ उठाने के लिए विकसित देशों की अनेक कंपनियाँ अब अपनी सेवाओं का भारत तथा अन्य विकासशील देशों में आउटसोर्सिंग करने लगी है| इस प्रकार श्रम की बहुलता तथा सेवाओं की कीमत में उपलब्धता ही ने भारत का विश्व में सेवा प्रदाता के रूप में सामने आया है|
4. बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ सेना क्षेत्र के विकास में किस प्रकार सहायक होती है? 
उत्तर-
सेवा क्षेत्र का संबंध मनुष्य की आवश्यकताओं और सुख सुविधाओं से है| आर्थिक विकास एवं आय में वृद्धि के साथ ही इस क्षेत्र द्वारा उत्पादित सेवाओं की माँग बढती है| कृषि और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों के साथ ही परिवहन संचार, शक्ति आदि सेवाओं की माँग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है| सेवा क्षेत्र के विकास द्वारा ही हम कृषि एवं उद्योग की वर्तमान तथा भावी माँग को पूरा कर सकते हैं| योग्य, कुशल और प्रशिक्षित श्रम के अभाव में सेवा क्षेत्र का विकास संभव नहीं है| एक सक्षम श्रमबल के निर्माण के लिए कुछ बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ आवश्यक है| बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ निम्नलिखित हैं—–
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण—–
मानवीय संसाधनों के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| देश में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएँ ही एक सक्रिय श्रम शक्ति का निर्माण करती है| परिवार कल्याण कार्यक्रम नागरिकों को औसत आयु बढाने और जीवन स्तर को ऊंचा करने में सहायक है|
आवास—-
आवास मनुष्य की एक आधारभूत आवश्यकता है| आवास की उचित व्यवस्था मानवीय संसाधनों के विकास में सहायक होती है|
स्वच्छता—-
स्वच्छता अर्थात साफ सफाई की अच्छी व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं को बढाने में सहायक अनिवार्य है|
शिक्षा—-
मानवीय संसाधनों के विकास तथा सेवा क्षेत्र के विस्तार में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है| 21 वीं सदी के ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है| हमारे देश में यथाशक्ति का विशाल भंडार है| इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं|
5. सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिये—–
उत्तर:-
सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| शिक्षा द्वारा ही मानवीय संसाधनों का पूर्ण विकास तथा विस्तार हो सकता है| 21 वीं सदी को ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है| अर्थात शिक्षित तथा प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही सेवा तथा अन्य क्षेत्रों का कार्य संपन्न हो सकेगा| कार्यकुशल लोगों का ही कृषि, उद्योग, सेना क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्रों में माँग रहेगी| भारत ने संचार एवं सूचना सेवाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है| इसका प्रमुख कारण शिक्षा में सुधार तथा ज्ञान और कौशल का विकास है|हमारे देश भी युवाशक्ति का विशाल भंडार है| इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं| सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा और प्रशिक्षण के तीन मुख्य स्तर होते हैं——-
प्रारंभिक शिक्षा——
प्रारंभिक शिक्षा युवावर्ग को न्यूनतम एवं आधारभूत कौशल सिखाती है| प्रारंभिक शिक्षा का हमारी उत्पादक क्रियाओं पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है| इसी कारण प्रारंभिक शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है|
माध्यमिक शिक्षा——
आर्थिक विकास एवं संरचनात्मक सुविधाओं को बनाए रखने के लिए में बहुत बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित श्रम की आवश्यकता पड़ती है| माध्यमिक शिक्षा द्वारा ही इस प्रकार श्रमशक्ति का निर्माण होता है|
उच्च शिक्षा—–
देश के आर्थिक विकास के लिए कुछ चुने हुए प्रतिभावान छात्रों की उच्च एवं तकनीकी शिक्षा प्रदान करना भी अनिवार्य है| उच्च शिक्षा द्वारा ही देश में डाक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं अन्य उच्च स्तर के कर्मचारियों की पूर्ति होती है|

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