सत्ता में भागीदारी की कार्य प्रणाली
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. सत्ता में भागीदारी की एक अच्छी परिभाषा दें|
उत्तर:-
राज्य के नागरिकों द्वारा सरकारी स्तर पर निर्णय लेने या निर्णय निर्माण की प्रक्रिया को प्रभावित करना सत्ता में भागीदारी है|
2. सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता क्या है?
उत्तर:-
सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता लोकतंत्र के सफल संचालन में सहायक होती है| सत्ता में भागीदारी राजनीतिक व्यवस्था को दृढ़ता प्रदान करती है| विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का विभाजन करके आपसी टकराव को कम किया जाता है|
3. बेल्जियम की राजधानी कहाँ है? राजधानी में किन भाषाओं के बोलनेवाले लोग निवास करते हैं?
उत्तर:-
बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है| राजधानी में लगभग 80 प्रतिशत फ्रेंच भाषी निवास करते हैं और 20℅ की डचभाषी रहते हैं|
4. श्रीलंका की राष्ट्रीय एकता खतरे में क्या रही है?
उत्तर:-
श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहली भाषियों को सत्ता में भागीदारी अधिक है जबकि अल्पसंख्यक तमिल भाषियों के हितों को नजरअंदाज किया गया है| यही कारण है कि दोनों समुदायों के बीच निरंतर संघर्ष के कारण देश की एकता खतरे में रही है|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बेल्जियम में सत्ता में भागीदारी के लिए अपनाए गए तरीके का उदाहरण के साथ वर्णन करें|
उत्तर:-
बेल्जियम में डच फ्रेंच तथा जर्मन भाषायी लोग निवास करते हैं| बहुसंख्यक आबादी डच भाषी है उसके बाद फ्रेंच तथा जर्मन भाषा बोलनेवालों की संख्या एक प्रतिशत है| सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर बेल्जियम की सरकार ने संविधान में संशोधन करके यह व्यवस्था की–
(1) केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी|
(2) कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जब दोनों भाषायी समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो|
(3) संघीय व्यवस्था के गले लगाते हुए राज्य सरकारों को केन्द्र की अपेक्षा सत्ता में अधिक भागीदारी दी गई है|
(4) बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में एक अलग सरकार गठित की गई है और इस सरकार में भी सत्ता में भागीदारी में केन्द्र सरकार की तरह समानता के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है जबकि राजधानी में लगभग 80 प्रतिशत फ्रेंच भाषी निवास करते हैं और 20℅ ही डच भाषी रहते हैं|
2. भारत में सत्ता में भागीदारी के लिए कौन कौन से तरीके अपनाए गये हैं?
उत्तर:-
भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर भाषा, धर्म, और समुदायों के बीच किसी तरह का भेदभाव नही है| भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न को अवसर की समानता के सिद्धांत को अपनाकर सुलझा लिया गया है| भारत में राष्ट्रीय एकता अक्षुण्ण रखने का कारण सत्ता में भागीदारी के क्षेत्र में अवसर की समानता का सिद्धांत को अपनाया है|
3. क्या श्रीलंका में सत्ता की भागीदारी के लिए अपनाए गये तरीके सहीं है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क है?
उत्तर:-
श्रीलंका 1948 ई० में एक स्वतंत्र बना| यहाँ सिंहली (बहुसंख्यक) तथा तमिल (अल्पसंख्यक) भाषायी लोग है| यहाँ की सरकार ने सत्ता में भागीदारी के लिए जो तरीके अपनाए है वे गलत है| इसके पक्ष में हम तर्क दे सकते हैं कि सिंहली (बहुसंख्यक) लोगों को सत्ता में भागीदारी अधिक है जबकि तमिल जो अल्पसंख्यक है उनके हितों की अनदेखी की गई है| सभी क्षेत्रों में सिंहली भाषियों को अधिक भागीदारी प्राप्त है जिसके कारण दोनों समुदायों के बीच निरंतर संघर्ष की स्थिति बनी रहती है| सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर श्रीलंका में गृहयुद्ध की स्थिति काफी दिनों से बनी हुई थी| तमिलों की समस्या को लेकर ही वहाँ लिट्टे का गठन हुआ था| सिंहलियों और तमिलों के बीच भेदभाव के कारण ही श्रीलंका की राष्ट्रीय एकता खतरे में है|
4. संघीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताओं को बताएं—-
उत्तर:-
(1) यहाँ सरकार दो या दो से अधिक स्तरों वाली होती है|
(2) अलग अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती है पर कानून बनाने कर वसूलने और प्रशासन का उनका अपना अपना अधिकार क्षेत्र होता है|
(3) विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं|
(4) संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती| ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों की सहमति से ही हो सकतें है|
5. सत्ता की भागीदारी एक लोकतांत्रिक देश की आवश्यकता है| कैसे?
उत्तर:-
वर्तमान लोकतांत्रिक युग में सत्ता में भागीदारी की अनिवार्यता काफी बढ़ गई है| सत्ता भागीदारी की सीमित मात्रा भी लोकतंत्र के सफल संचालन में बहुत हद तक सहायक रही है| विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच यदि सत्ता का समुचित विभाजन कर दिया जाता है तब आपसी टकराव की संभावना क्षीण हो जाती है| लोकतंत्र में सत्ता की भागीदारी की आवश्यकता दो महत्वपूर्ण कारणों से है—–
(1) देश की एकता और अखंडता के लिए जिससे राजनीतिक व्यवस्था में स्थायित्व बना रहे हैं|
(2) अधिक से अधिक लोगों तथा समूहों को शासन व्यवस्था से जोड़ने के लिए जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो सके|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. सत्ता में भागीदारी को सशक्त रूप देने के उद्देश्य से बेल्जियम के संविधान में किए गए संशोधन का वर्णन करें|
उत्तर:-
बेल्जियम यूरोप का एक छोटा सा लोकतांत्रिक देश है| बेल्जियम में डच, फ्रेंच और जर्मन तीन तरह की भाषा बोलने वाले लोग है| सत्ता में भागीदारी को लेकर तीनों भाषा बोलनेवालों के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई थी| बेल्जियम के शासकों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और सत्ता में भागीदारी के प्रश्न को सहज ढंग से सुलझा लिया| इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए 1970 और 1993 के बीच उन्होंने अपने संविधान में चार संशोधन कर इस बात की व्यवस्था की है—–
(1) केंद्र सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या बराबर रहेगी|
(2) देश की व्यवस्थापिका कोई विशेष कानून तभी बना सकती है जब दोनों भाषायी समूहों के सदस्य सदन में कानून के पक्ष में मतदान करेंगे|
(3) संघीय व्यवस्था को गले लगाते हुए राज्य सरकारों को केन्द्र की अपेक्षा सत्ता में अधिक भागीदारी दी गई है|
(4) बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में एक अलग सरकार गठित की गई है और इस सरकार में भी सत्ता में भागीदारी में केन्द्र सरकार की तरह समानता के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है|
(5) सत्ता में भागीदारी को अधिक सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के अतिरिक्त एक अन्य सरकार सामुदायिक सरकार का गठन किया गया है| अलग अलग भाषा बोलने वाले लोगों को अपनी सामुदायिक सरकार गठन करने का अधिकार दे दिया गया है|
2. सत्ता में भागीदारी के विभिन्न रूपों का वर्णन करें|
उत्तर:-
पहले यह मान्यता थी कि राजनीतिक सत्ता का विभाजन नहीं किया जा सकता| इस मान्यता के पक्ष में यह तर्क दिया जाता रहा है कि राज्यसत्ता एक व्यक्ति अथवा कुछ थोड़े से लोगों के हाथ में सिमटी रहनी चाहिए और यदि शक्ति कयी स्तरों पर बिखर गयी तो किसी निर्णय पर पहुँचना कठिन ही नहीं होगा, बल्कि निर्णय को लागू करने में भी कठिनाई होगी| लेकिन लोकतंत्र का एक बुनियादी सिद्धांत यह है कि जनता ही सारी राजनीतिक शक्ति का स्रोत है| उसी लोकतांत्रिक शासन को अच्छा माना जाता है जिसमें ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदार बनाया जाए| आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप है जो निम्नलिखित हैं—–
(1) शासन के विभिन्न अंग जैसे, विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है| इसे हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं| ऐसे बंटवारे से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता है| हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है| इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बना रहता है|
(2) सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा हो सकता है जैसे पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार जिसे संघ या केंद्र सरकार कहते हैं तथा प्रांत या क्षेत्रीय स्तर की सरकार जिन्हें राज्य सरकार कहते हैं| राज्य के नीचे भी स्थानीय स्तर की सरकारें होती है| सत्ता के उच्चतर और बंटवारे को उर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है|
(3) सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों जैसे—- भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है| इस तरह की व्यवस्था विधायिका और प्रशासन में अलग अलग सामाजिक समूहों को हिस्सेदारी देने के लिए की जाती है|
(4) सत्ता के बंटवारे का हम रुप हम विभिन्न प्रकार के दबाव समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं| दो या दो से अधिक पार्टियाँ मिलकर चुनाव लड़ती है या सरकार का गठन करती है| लोकतंत्र में हम व्यापारी उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कयी संगठित हित समूहों को भी सक्रिय देखते हैं| सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करने या नीतियों पर अपने सदस्य वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं|
3. आप कैसे कह सकते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है?
उत्तर:-
भारत प्रारंभ से ही धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को अपनाया है| स्वतंत्रता आंदोलन के विभिन्न चरणों में भी देश के भीतर भेदभाव की जगह आपसी भाईचारा देखने को मिला| भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है यह निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होता है——-
भारत का अपना कोई राजधर्म नहीं है| यह प्रत्येक धर्म को समान रूप से बढ़ने का अवसर देता है| इसके लिए भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रदान किया है| भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी इसका उल्लेख मिलता है|भारतीय नागरिक चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सिक्ख हो या इसाई सभी के अंदर राष्ट्रीयता की भावना देखी जाती है| देश के अंदर धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव करना निषिद्ध है| धर्म निरपेक्षता के कारण ही हमारी राष्ट्रीयता एकता कायम है| इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है|
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