यूरोप में राष्ट्रवाद:उदय और विकास
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. अन्सर्ट रेनन ने राष्ट्रवाद को किस रूप में परिभाषित किया?
उत्तर:-
फ्रांसीसी दार्शनिक अन्सर्ट रेनन ने राष्ट्रवाद की एक नई और व्यापक परिभाषा दी| उनके अनुसार राष्ट्र समान भाषा, नस्ल, धर्म या क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है| राष्ट्रवाद के लिए अतीत में समान गौरव का होना, वर्तमान में एक समान इच्छा, संकल्प का होना, साथ मिलकर महान काम करना और आगे, ऐसे काम और करने की इच्छा एक जनसमूह होने की यह जरुरी शर्तें है| अत:, राष्ट्र एक बड़ी और व्यापक एकता है…. उसका अस्तित्व रोज होने वाला जनमत संग्रह है|
2. वियना कांग्रेस द्वारा फ्रांस में किस राजवंश की पुनर्स्थापना की गई?
उत्तर:-
वियना कांग्रेस 1815 द्वारा फ्रांस में बूर्बो राजवंश की पुनर्स्थापना की गई|
3. जर्मन राइन महासंघ की स्थापना किसने की?
उत्तर:-
नेपोलियन
4. चार्टिस्ट आंदोलन किस देश में हुआ?
उत्तर:-
इंगलैंड
5. 1832 का संसदीय सुधार अधिनियम किस देश में पारित किया गया था|
उत्तर:- इंग्लैंड
6. मेटरनिख कौन था? यूरोपीय इतिहास में वह क्यों विख्यात है?
उत्तर:-
काउंट क्लीमेंट मेटरनिख आस्ट्रिया का चांसलर था| नेपोलियन के पतन के पश्चात वह केवल आस्ट्रिया साम्राज्य का ही नहीं अपितु समस्त यूरोप का सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गया| वह स्वतंत्रता तथा सुधार आंदोलन का घोर विरोधी एवं पुरातन व्यवस्था का समर्थक था| यूरोपीय इतिहास में वह वियना व्यवस्था, यूरोपीय कन्सर्ट, पवित्र संघ की योजना, चतुर्राष्ट्र मैत्री और मेटरनिख व्यवस्था के लिए विख्यात है|
7. फ्रैंकफर्ट संसद की बैठक क्यों बुलाई गई? इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:-
फ्रैंकफर्ट संसद की बैठक का मुख्य उद्देश्य जर्मन राष्ट्र के निर्माण की योजना बनाना था| इसके अनुसार जर्मन राष्ट्र का प्रधान एक राजा को बनाना था जिसे संसद के नियंत्रण में काम करना था तथा जर्मनी एकीकरण उसी नेतृत्व में होना था| लेकिन जब प्रशा के राजा फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ ने यह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया तो एसेंबली भंग हो गई, जर्मनी का एकीकरण पूरा नहीं हो सका|
8. इटली के एकीकरण में मेजिनी की क्या भूमिका था?
उत्तर:-
ज्युसेपे मेत्सिनी इटली के एकीकरण का मसीहा था| मेत्सिनी एक महान दार्शनिक, लेखक, दूरदर्शी राजनेता और कर्मठ कार्यकर्ता था| इटली के नवनिर्माण म मेजिनी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी| वह बचपन से ही इटली की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्नशील था| 1831 में उसने यंग इटली नामक संस्था की स्थापना की| इस संस्था ने युवकों में नयी चेतना जगाई| वह रिपब्लिकन दल का नेता था| उसने मजदूरों, विद्यार्थियों तथा युवकों में इटली की स्वतंत्रता का भाव जगाया| मेत्सिनी के गणतंत्र वादी विचारों ने इटली के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया|
9. राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर:-
राष्टवाद एक ऐसी भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहन बनती है|
10. मेजिनी कौन था?
उत्तर:-
मेजिनी इटली का प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता था| वह साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था|
11. रक्त और तलवार की नीति किसने अपनायी?
उत्तर:-
बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए रक्त और तलवार की नीति अपनायी|
12. अन्सर्ट रेनन ने राष्ट्रवाद को किस रूप में परिभाषित किया?
उत्तर:-
अन्सर्ट रेनन ने राष्ट्रवाद की नयी व्याख्या की जिसके अनुसार राष्ट्र एक बड़ी और व्यापक एकता है|
13. फ्रांसीसी क्रांति के बाद राष्ट्र का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:-
फ्रांसीसी क्रांति के बाद पुरातन युग का अंत हुआ और नये आधुनिक युग का आरंभ हुआ| फ्रांसीसी क्रांति के बाद राष्ट्र का निर्माण राष्ट्रवादी विचारों के आधार पर हुआ| निरंकुश राजतंत्र का अंत हुआ और प्रजातंत्र की स्थापना की गई| मानव एवं नागरिक अधिकारों की घोषणा कर सामाजिक एवं आर्थिक समानता स्थापित की गई| स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत पर राष्ट्र का निर्माण किया गया|
14. उदारवादी राष्ट्रवाद को किस रूप में देखते थे?
उत्तर:-
उदारवादी राष्ट्रवाद को आजाद के अर्थ में देखते थे| उदारवादी राष्ट्रवाद के लिए व्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के समक्ष सभी की बराबरी, निरंकुश राजतंत्र के स्थान पर संविधान और प्रतिनिधि सरकार की स्थापना, निजी संपत्ति की सुरक्षा, प्रेस की आजू, आर्थिक क्षेत्र में मुक्त व्यापार आदि राष्ट्रीय से संबंधित विचार के समर्थक थे|
15. 18-19 वीं शताब्दियों में कलाकारों ने राष्ट्र की छवि किस रूप में प्रस्तुत की?
उत्तर:-
18-19 वीं शताब्दियों में कलाकारों ने मानवीय रूप में राष्ट्र को प्रस्तुत किया| नारी के रूप में राष्ट्र को दिखाया गया| राष्ट्र की कल्पना नारी रूप में की गई| नारी की छवि राष्ट्र की प्रतीक बन गयी| फ्रांस में मारीआन और जर्मनी में जर्मेनिया राष्ट्रीयता के प्रतीक रूप में नारी का चित्रांकन हुआ| इन्हें मूर्तियों, सिक्कों, डाक टिकटों और चित्रों में प्रदर्शित कर कलाकारों ने जनता में राष्ट्रवादी भावना का विकास हुआ|
16. वियना कांग्रेस सम्मेलन में फ्रांस में किस राजवंश की पुनर्स्थापना की गई?
उत्तर:-
1815 में नेपोलियन बोनापार्ट की पराजय के पश्चात एक नई व्यवस्था की स्थापना की गई| आस्ट्रिया के वियना नगर में नेपोलियन को पराजित करने वाले प्रमुख राष्ट्रों ब्रिटेन, रूस, प्रशा और आस्ट्रिया के प्रतिनिधियों का सम्मेलन आयोजित किया गया| इसे वियना सम्मेलन कहा गया| वियना कांग्रेस सम्मेलन में नेपोलियन द्वारा पराजित राजवंशों की पुनर्स्थापना का प्रयास किया गया| फ्रांस और स्पेन में बुर्बो राजवंश का राज्य स्थापित हुआ| लुई 18 वां को फ्रांस में राजगद्दी मिली| लुई ने फ्रांस की बदली हुई परिस्थितियों को समझा और फ्रांसीसी जनता पर पुरातनपंथी व्यवस्था को थोपने का प्रयास नहीं किया|
17. जर्मन राइन महासंघ की स्थापना किसने की?
उत्तर:-
प्रशा और आस्ट्रिया को पराजित करने के बाद नेपोलियन ने जर्मन को तीन भागों में बांटने का निश्चय किया| इसके अंतर्गत प्रशा को उत्तरी भाग तक सीमित रहना था और आस्ट्रिया का प्रभाव क्षेत्र दक्षिण पूर्व माना गया| पश्चिमी भाग में राइन महासंघ की स्थापना की गई जो प्रशा और आस्ट्रिया से स्वतंत्र था और फ्रांस के संरक्षण में था| इस महासंघ में 16 स्वतंत्र राज्य थे| नेपोलियन ने स्वयं को इस राइन महासंघ का संरक्षक घोषित किया| इस महासंघ के सारे राज्यों को एक दूसरे को सामरिक मामले में मदद करना था|
18. 1830 की जुलाई क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:-
1830 के जुलाई में फ्रांस में क्रांति हुई| इसिलिए इसे जुलाई क्रांति कहा जाता है| इस क्रांति के अनेक दूरगामी परिणाम हुई| फ्रांस में बुर्बो वंश की सत्ता का अंत हुआ तथा आर्लेयंश वंश का शासन स्थापित हुआ| लुई फिलिप को राजगद्दी सौंपी गई| इस प्रकार 1830 की क्रांति द्वारा फ्रांस में वैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई| गणतंत्र की स्थापना तो नहीं हो सकी, परंतु निरंकुश राजशाही का स्थान सांविधिक राजतंत्र ने ले लिया| लुई फिलिप फ्रांसीसी जनता का राजा बना| उसने उदारवादी नीति को अपनाया| कुलीनों तथा पादरियों को विशेषाधिकार से वंचित कर दिया गया| फलस्वरूप स्वतंत्रता, समानता, धर्मनिरपेक्षता तथा वैधानिक शासन की नींव सुदृढ़ हुई|
19. 1830 की जुलाई क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:-
1830 ई० जुलाई क्रांति के फलस्वरूप के परिणामस्वरूप फ्रांस में निरंकुश राजशाही का स्थान सांविधानिक गणतंत्र ने ले लिया|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामूहिक पहचान का भाव बढ़ाने के लिए क्या किया?
उत्तर:-
फ्रांसीसी क्रांति आरंभ होने के साथ ही क्रांतिकारियों ने राष्ट्रीय और सामूहिक पहचान की भावना जगाने वाले कार्य किए| पितृभूमि और नागरिक जैसे शब्दों द्वारा फ्रांसिसियों में एक सामूहिक भावना और पहचान बढाने का प्रयास किया गया| क्षेत्रीय भाषा के स्थान पर फ्रेंच भाषा को प्रोत्साहित किया गया|
2. राष्ट्रवाद के विकास में नेपोलियन की क्या भूमिका थी?
उत्तर:-
नेपोलियन बोनापार्ट (1789-1821) ने अपने शासन काल में राष्ट्रवास के प्रसार के लिए अनेक सुधार संबंधी कार्य किए——
नेपोलियन ने विशेषाधिकार तथा आर्थिक असमानता को दूर कर समानता की स्थापना की|
करों में समानता स्थापित की गई|
नेपोलियन ने 1804 में नेपोलियन संहिता लागू कर कानून के समक्ष सबको बराबरी का अधिकार दिया|
देशभक्तों, विद्वानों और कलाकारों को सम्मानित करना प्रारंभ किया|
नेपोलियन ने एक समान शुल्क, समान और माप तौल प्रणाली और एक मुद्रा के द्वारा राष्ट्र को संगठित करने का प्रयास किया|
नागरिकों की संपत्ति संबंधी अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की|
यातायात और संचार व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास किया|
सामंती व्यवस्था समाप्त कर किसानों को भू दासत्व से मुक्त दिलाया|
नेपोलियन रास्ट्र निर्माण में शिक्षा को महत्वपूर्ण मानता था| अत:, शिक्षा प्रणाली की पुनर्व्यवस्था की| सेकेंडरी स्कूल तथा विश्वविद्यालयों से शिक्षित होने के कारण विद्यार्थियों में राष्ट्रप्रेम एवं देशभक्ति जैसे राष्ट्रवादी भावना का विकास हुआ|
उसने कयी धार्मिक सुधार किए| चर्च की संपत्ति को जब्त किया और उस पर राज्य का नियंत्रण स्थापित किया|
उसके अनेक सुधार द्वारा फ्रांस में राष्ट्रवादी भावना का विकास किया जिससे प्रेरणा लेकर यूरोप के अन्य देशों में राष्ट्रवादी भावना जागृत हुई|
3. वियना कांग्रेस की क्या उपलब्धियाँ है?
उत्तर:-
नेपोलियन बोनापार्ट की पराजय के पश्चात 1815 में यूरोप के प्रमुख नेता और कूटनीतिज्ञ वियना में प्रमुख समस्याओं पर विचार करने के लिए एकत्रित हुए| इसमें शक्ति संतुलन, उचितता, क्षतिपूर्ति तथा विजयी देशों को पुरूस्कार संबंधी मामलों पर विचार किया गया| इसकी प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार है—–
फ्रांस द्वारा विजयी प्रदेशों को छीन कर विभिन्न राष्ट्रों में बांटा गया|
स्पेन को पुनः तानाशाही देश बना दिया गया|
हालैंड को स्वतंत्र कर दिया गया|
नेपल्स, सार्डीनिया, स्विट्ज़रलैंड को फिर से स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया|
इस सम्मेलन में स्वीडन, रूस, जर्मनी, प्रशा, आस्ट्रिया तथा ब्रिटेन की स्थितियों पर विचार किया और इन्हें अनेक विजित प्रदेश सौंपे गए| इस सम्मेलन में अंतराष्ट्रीय कानून बनाने पर बल दिया गया और दासता को समाप्त करने का प्रस्ताव पास हुआ|
4. यूनानी स्वतंत्रता संग्राम के कारणों और परिणामों का उल्लेख करें?
उत्तर:-
यूनान एक प्राचीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र था| इसका अतीत गौरवमय था| पुनर्जागरण काल में यूनानी सभ्यता संस्कृति अनेक राष्ट्रों के लिए प्रेरणादायक बन गयी| लेकिन 15 वीं शताब्दी में यूनान आटोमन साम्राज्य के अंतर्गत आ गए| इस साम्राज्य के अंतर्गत विभिन्न भाषा, धर्म और नस्ल के निवासी थे| तुर्की के आटोमन साम्राज्य के प्रति उनमें लगाव की भावना नही थी| क्योंकि उन्हें तुर्की ने अपने साम्राज्य में आत्मसात करने का प्रयास नहीं किया|
यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन के निम्नलिखित कारण थे——-
18 वीं सदी के अंतिम चरण तक यूनान में राष्ट्रवादी भावना बलवती होने लगी| नेपोलियन के युद्धों और वियना कांग्रेस ने इस विचारधारा को आगे बढाया| राष्ट्रवादी भावना के विकास में धर्म की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी| 18 वीं शताब्दी के अंत में यूनान में बौद्धिक आंदोलन भी हुआ| करेंइस नामक दार्शनिक ने यूनानियों में राष्ट्रप्रेम की भावना का प्रचार किया| कान्सेटेण्टाइन रीगास नामक एक नेता ने गुप्त समाचारपत्रों का प्रकाशन कर यूनानियों में तुर्की से स्वतंत्र होने की भावना प्रज्ज्वलित की|
यूनानी स्वतंत्रता संग्राम के निम्न परिणाम हुए——
यूनानियों ने लंबे और कठिन संघर्ष के बाद आटोमन साम्राज्य के अत्याचारी शासन से मुक्ति पाई| यूनान के स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का उदय हुआ| यद्यपि गणतंत्र की स्थापना नहीं हो सकी परन्तु एक स्वतंत्र राष्ट्र के उद्देश्य मेटरनिख की प्रतिक्रिया वादी नीति को गहरी ठेस लगाई| यूनानियों के विजय से 1830 के क्रांतिकारियों को प्रेरणा मिली| बोस्कन क्षेत्र के अन्य इसाई राज्यों में भी राष्ट्रवादी आंदोलन आरंभ करने की चाह बढी|
5. इटली के एकीकरण में गैरीबॉल्डी की भूमिका पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
इटली के एकीकरण में गैरीबॉल्डी का भी महत्वपूर्ण योगदान था| गैरीबॉल्डी जानता था कि बिना युद्ध के इटली के एकीकरण संभव नहीं था| उसने सशस्त्र युवकों की एक सेना बनाई जो लाल कुर्ती कहलाए| उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किया| 1862 में गैरीबॉल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई| एकीकरण की प्रक्रिया में उसने अनेक युद्ध किए| काबूर ने जहाँ अपनी कूटनीति द्वारा इटली का एकीकरण संभव कर दिया| उसी प्रकार गैरीबॉल्डी ने तलवार द्वारा इसे संभव बनाया|
6. जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क ने कौन सी नीति अपनाई| इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:-
जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के प्रयासों का फल था| उसने कूटनीति और सैनिक शक्ति के सहारे जर्मनी का एकीकरण किया| वह प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण करना चाहता था| अतः, उसने प्रशा को सैनिक रूप से सशक्त करने का प्रयास किया| जर्मनी को एक सूत्र में बांधने के लिए बिस्मार्क ने रक्त और तलवार की नीति अपनाई| उसका विचार था कि जर्मनी के एकीकरण में सफलता राजकुमारों द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है न कि लोगों द्वारा| बिस्मार्क के जर्मन एकीकरण का उद्देश्य तीन युद्धों द्वारा पूर्ण हुआ जो 1864 से 1870 के सात वर्ष के अल्प समय में लड़े गए| जर्मनी के एकीकरण में प्रशा के राजा विलियम प्रथम का बहुत हाथ रहा| बिस्मार्क के नीतियों के परिणामस्वरूप यूरोप के नक्शे पर एकीकृत जर्मन राष्ट्र का उदय हुआ|
7. विलियम-1 के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था| कैसे?
उत्तर:-
प्रशा जर्मनी का बहुत ही प्रभावशाली राज्य था| प्रशा का राजा विलियम-1 बड़ा ही राष्ट्रवादी था| विलियम जानता था कि आस्ट्रिया और फ्रांस को पराजित किए बिना जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं है| 1862 ई० में विलियम-1 ने एकीकरण के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर महान कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया| बिस्मार्क का मानना था कि जर्मनी की समस्या का समाधान प्रशा के नेतृत्व में रक्त और तलवार की नीति से होगा| बिस्मार्क ने एकीकरण के लिए तीन युद्ध किए और जर्मनी को विश्व के मानचित्र पर ध्यान दिलाया| अत: अगर विलियम-1 बिस्मार्क को चांसलर न बनाया होता तो उसके लिए जर्मनी का एकीकरण असंभव था|
8. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ?
उत्तर:-
यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति के पश्चात नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया| यूरोप के कयी राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग का संदेश पहुँचा| नेपोलियन ने इटली और जर्मनी के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर निकालकर उसे वास्तविक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की| जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ| दूसरी तरफ नेपोलियन की सुधारवादी नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्ति पूर्ण विक्षोभ भी जगा|
9. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामूहिक पहचान का भाव बढ़ाने के लिए क्या किया?
उत्तर:-
यूरोप में राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के साथ फ्रांस में हुई| फ्रांसीसी क्रांति के प्रारंभ के साथ ही फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने राष्ट्रीय और सामूहिक पहचान की भावना जगाने वाले अनेक कार्य किए—–
पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों के द्वारा संयुक्त समुदाय के रूप में फ्रांसीसियों में एक सामूहिक भावना और पहचान बढ़ाने का प्रयास किया गया|
एक नया संविधान बनाकर सभी नागरिकों को समान अधिकार देकर समानता की स्थापना पर बल दिया गया|
एक नया फ्रांसीसी झंडा— तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली|
राष्ट्र के नाम पर एकजुटता के लिए राष्ट्रभक्ति गीत एवं राष्ट्रगान अपनाया गया|
पुरानी संस्था स्टेट्स जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया गया और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया|
पेरिस की फ्रेंच भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया गया|
आंतरिक आयात निर्यात शूल्क समाप्त कर दिए गए|नाप तौल के लिए एक तरह की व्यवस्था की गई|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. 1848 की क्रांतियों के प्रभावों की समीक्षा कीजिये|
उत्तर:-
1830 की क्रांति के बाद लुई फिलिप फ्रांस का राजा बना| वह एक उदारवादी शासक था, परंतु बहुत महत्वाकांक्षी था| 1840 में उसने गिजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया| गिजो प्रतिक्रियावादी था और किसी भी प्रकार के सुधार का विरोधी था| खाद्यान्न की कमी और बढती बेरोजगारी की समस्या से लुई सरकार की आलोचना होने लगी| इस स्थिति की ओर राजा का ध्यान आकृष्ट करने के लिए सुधारवादी दल के नेता थेयर्स ने 22 फरवरी 1848 में पेरिस में एक विशाल सुधार भोज का आयोजन किया| लुई ने इस पर रोक लगा दी| पेरिस के एक समूह ने पेरिस की गलियों में जूलूस निकालकर राजशाही के विरोध में नारे लगाए| लुई फिलिप ने घबराकर गिजो को बरखास्त कर सुधार लागू करने की घोषणा की| परंतु, उत्तेजित जनता पर पुलिस ने गोली चला दी| इसमें अनेक लोग मारे गए| क्रोधित जनता ने राजमहल को घेर लिया| विवश होकर राजा राजगद्दी छोड़कर इंगलैंड चल गया| तत्पश्चात नेशनल एसेंबली ने गणतंत्र की घोषणा करते हुए 21 वर्ष से ऊपर के सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार प्रदान किया और काम के अधिकार की गारंटी दी| गणतंत्र वादियों का नेता लामारतीन एवं सुधारवादियों का नेता लुई ब्लां था| शीघ्र ही दोनों में मतभेद हो गया और 1852 में नेपोलियन फ्रांस का सम्राट बना| 1848 की क्रांति का प्रभाव इटली में भी हुआ| 1848 में इतालवी राज्यों में विद्रोह की चिनगारी सुलग गयी| मिलान और पोप के राज्य में विद्रोह हो गया| राजा चार्ल्स एलबर्ट ने इटली के राष्ट्रवादियों से मिलकर आस्ट्रिया के विरुद्ध आरंभ कर दिया| कुछ समय के लिए लोम्बार्डी और वेनेशिया से आस्ट्रिया का आधिपत्य समाप्त हो गया| 1848 की फ्रांसीसी क्रांति ने जर्मन राष्ट्रवाद को भी भड़का दिया| इस क्रांति ने मेटरनिख के युग का अंत कर दिया| जर्मन राष्ट्रवादियों ने 18 मई 1848 को पुराने संसद की बैठक फ्रैंकफर्ट में बुलाई| इस संसद में संपूर्ण जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया| यहाँ यह भी निर्णय लिया गया कि फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ जर्मन राष्ट्र का नेतृत्व करेगा| परंतु, फ्रेडरिक ने इंकार कर दिया क्योंकि वह आस्ट्रियाई संघर्ष से बचना चाहता था| संसद में कुलीनों और सैनिकों ने भी विरोध किया| अंततः, फ्रैंकफर्ट संसद को भंग करना पड़ा| 1848 की क्रांतियों में आस्ट्रिया प्रतिक्रियावादी शक्तियों का केंद्र था| मेटरनिख को आस्ट्रिया छोड़कर भागना पड़ा| जिससे संपूर्ण मेटरनिख व्यवस्था समाप्त हो गई| इसके बाद इटली की राजनीति में पुनः मेजिनी का आगमन हुआ| कालांतर में आस्ट्रिया द्वारा इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किए जाने लगे जिसमें आर्डिनिया के शासक चार्ल्स एलबर्ट की पराजय हो गई| 1848 में आस्ट्रिया के साथ हंगरी में भी क्रांति हुई| हंगरी आस्ट्रिया के अधीन था| हंगरी में भी राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत हुई| आंदोलन को कोसूथ तथा लुई फ्रांसिक डिक नामक क्रांतिकारियों ने भी नेतृत्व प्रदान किया| 1848 में फ्रांस में लुई फिलिप के पतन से उत्साहित होकर कोसथ ने एक सशक्त आंदोलन चलाया| परिणामस्वरूप आस्ट्रिया को हंगरी में अनेक संवैधानिक सुधार करने पड़े| 31 मार्च 1848 को आस्ट्रिया की सरकार ने हंगरी की कयी बातें मान ली, जिसके अनुसार स्वतंत्र मंत्रिपरिषद की मांग स्वीकार की गई| इसमें केवल हंगरी के सदस्य ही सम्मिलित हुए| प्रेस को स्वतंत्रता दी गई तथा सामंती प्रथा समाप्त कर दी गई| पोलैंड में भी राष्ट्रवादी भावना के कारण रूसी शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गये थे| परंतु, इन्हें इंगलैंड तथा फ्रांस की सहायता नहीं मिल सकी| अतः इस समय रूस ने पोलैंड के विद्रोह को कुचल दिया| बोहेमिया जो आस्ट्रियाई शासन के अंतर्गत था, में भी हंगरी के घटनाक्रम का प्रभाव पड़ा| हंगरी के समान बोहेमिया ने भी स्वायत्त शासन की माँग की| बोहेमिया की बहुसंख्यक जनता चेक प्रजाति की थी| इनकी स्वायत्त शासन की माँग को स्वीकार कर लिया गया परंतु आंदोलन के हिंसात्मक रूप धारण करने के कारण इसे कुचल दिया गया| इस प्रकार बोहेमिया में होनेवाले क्रांतिकारी आंदोलन की उपलब्धियाँ स्थायी न रह सकी| यूरोप में जहाँ भी क्रांतियाँ हुई उनमें एक समान बात थी| वे सभी क्रांतिकारी प्रतिक्रियावादी और निरंकुश शासन से मुक्ति चाहते थे| राष्ट्र उनके लिए सर्वोत्तम था, व्यक्ति नहीं| वे सभी और जर्मनी क्रांति द्वारा एकीकृत राष्ट्र का निर्माण करना चाहते थे|
2. राष्ट्रवाद के उदय का यूरोप और विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:-
18 वीं 19 वीं शताब्दियों में यूरोप में जिस राष्ट्रवाद की लहर चली, उसके व्यापक और दूरगामी प्रभाव यूरोप और विश्व पर पड़ा जो निम्नलिखित थे——–
राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर अनेक राष्ट्रों में क्रांतियाँ औ आन्दोलन हुए जिसके परिणामस्वरूप अनेक नये राष्ट्रों का उदय हुआ| इटली और जर्मनी के एकीकृत राष्ट्रों का उदय भी इसी का परिणाम था|
यूरोपीय राष्ट्रवाद के विकास का प्रभाव एशिया और अफ्रीका में भी पड़ा|यूरोपीय उपनिवेशों के आधिपत्य के विरुद्ध वहाँ भी औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए राष्ट्रीय आंदोलन आरंभ हो गये|
भारतीय राष्ट्रवादी भी यूरोपीय राष्ट्रवाद से प्रभावित हुए| मैसूर के टीपू सुल्तान ने फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर जैकोबिन क्लब की स्थापना की एवं स्वयं इसका सदस्य भी बना| उसने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टम में स्वतंत्रता का प्रतीक वृक्ष लगवाया|
धर्म सुधार आंदोलन के भारतीय नेताओं ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं से प्रभावित होकर राष्ट्रीय आंदोलनों को अपना समर्थन दिया| राजा राजमोहन राय अंतर्राष्ट्रीयता के समर्थक बन गए|
राष्ट्रवाद के विकास ने प्रतिक्रियावादी शक्तियों और निरंकुश शासकों के प्रभाव को कमजोर कर दिया|
राष्ट्रवाद का नाकारात्मक प्रभाव भी पड़ा| 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध से राष्ट्रवाद संकीर्ण राष्ट्रवाद में बदल गया| प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हित की दुहाई देकर उचित अनुचित सब कार्य करने लगे|
राष्ट्रवादी प्रवृत्ति ने साम्राज्यवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया| यूरोप का प्रत्येक शक्तिशाली राष्ट्र यथा जर्मनी, फ्रांस, इंगलैंड, रूस यहाँ तक कि अमेरिका भी साम्राज्यवादी और उपनिवेशवादी दौड़ में संलग्न हो गया| इस साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण ही ओटोमन साम्राज्य ध्वस्त हुआ और पूरा बाल्कन क्षेत्र युद्ध का अखाड़ा बन. गया|
3. यूनान का स्वतंत्रता संग्राम क्यों हुआ? इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:-
यूनान का अपना गौरवमय अतीत रहा है| यूनानी सभ्यता की साहित्यिक प्रगति, विचार दर्शन, कला, चिकित्सा विज्ञान आदि की उपलब्धियाँ यूनानियों के लिए प्रेरणास्रोत थे| परंतु इसके बावजूद भी यूनान तुर्की साम्राज्य के अधीन था| फ्रांसीसी क्रांति से यूनानियों में भी राष्ट्रीयता की भावना की लहर जागी क्योंकि धर्म जाति और संस्कृति के आधार पर इसकी पहचान एक थी| फलतः तुर्की शासन से अलग होने के लिए आंदोलन चलाए जाने लगे| क्रांति के नेतृत्व के लिए यूनान में शक्तिशाली मध्यवर्ग का उदय भी हो चुका था| हितेरिया फिलाइक नामक संस्था की स्थापना ओडेसा नामक स्थान पर की गई जिसका उद्देश्य तुर्की शासन को यूनान से निष्कासित कर उसे स्वतंत्र बनाना था| 18 वीं सदी के अंत में यूनान में बौद्धिक आंदोलन भी हुआ| कोरेंइस नामक दार्शनिक ने यूनानियों में राष्ट्रप्रेम की भावना का प्रचार किया| कान्सटेण्टाइन रीगास नामक एक अन्य नेता ने गुप्त समाचारपत्रों का प्रकाशन कर यूनानियों में तुर्की से स्वतंत्र होने की भावना प्रज्ज्वलित की| यूनान में विस्फोटक स्थिति तब और बन गयी जब तुर्की शासकों के द्वारा यूनानी स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न लोगों को बुरी तरह कुचलना शूरू हो गया| कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालना बताकर राष्ट्रवादियों के लिए समर्थन जुटाया| 1827 के लंदन सम्मेलन में इंगलैंड फ्रांस तथा रूस ने तुर्की के विरुद्ध संयुक्त कारवाई करने का निश्चय किया| अंततः 1829 ई० में एड्रियानोपुल की संधि द्वारा तुर्की की नामात्र की अधीनता में यूनान को स्वतंत्रता देने की बात तय हुई| फलतः 1832 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया| बवेरिया के राजकुमार ओटो को यूनान का शासक बनाया गया|
4. इटली के एकीकरण के विभिन्न चरणों को इंगित करें|
उत्तर:-
इटली के एकीकरण चार चरणों में पूरा हुआ| आरंभिक चरण में इटली के एकीकर के पैंगबर मेजिनी का महत्वपूर्ण योगदान था| विक्टर इमैनुएल के शासनकाल से इटली के एकीकरण का वास्तविक प्रयास आरंभ हुआ| जिसमें काबूर और गैरीबॉल्डी का महत्वपूर्ण योगदान था| इटली के एकीकरण के चार चरण निम्नलिखित हैं——
ज्युसेपे मेत्सिनी के नेतृत्व में—–
मेजिनी गणतंत्रात्मक दल का नेता था| उसने अपने निर्वासन काल में गणतंत्रवादी उद्देश्यों के प्रचार के लिए यंग इटली नामक औरंगजेब यंग यूरोप की स्थापना की थी| यद्यपि इटली के एकीकरण के लिए 1831 तथा 1848 में दो क्रांतिकारी प्रयास किए गए थे, परंतु वे दोनों असफल रहे|
काउंट काबूर के नेतृत्व में——
काबूर 1858 में पीडमौंट का मंत्री प्रमुख था| उसका मुख्य लक्ष्य आस्ट्रिया से इटली के उद्धार को प्रभावित करना था| वह न तो क्रांतिकारी था और न ही गणतंत्रवादी परंतु उसे इटली का वास्तविक निर्माता माना जाता है| उसने फ्रांस के साथ एक चतुर कूटनीतिक गठबंधन कायम किया और इसके माध्यम से 1859 में आस्ट्रियाई सेवाओं को परास्त करने में सफलता प्राप्त की|
गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में—–
गैरीबॉल्डी लाल कुर्ती नामक क्रांतिकारी आंदोलन का नायक था| 1860 में उसने दक्षिणी इटली तथा दो सिसलियों की राजधानी में पदयात्रा की और स्थानीय कृषकों का समर्थन प्राप्त कर स्पेन के शासकों को हटाने में सफल हुआ|
विक्टर इमैनुएल द्वितीय—-
1861 में
रोम और वेनेशिया को छोड़कर समस्त इटली की इतालवी संसद के प्रतिनिधि तूरिन में एकत्र हुए और उन्होंने इटली के राजा के रूप में विक्टर इमैनुएल द्वितीय को विधिवत रूप से स्वीकार किया| 1870 में विक्टर इमैनुएल ने रोम पर आक्रमण कर उस अधिकार कर लिया|1875 में रोम को इटली की राजधानी बनाया गया|
5. जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें|
उत्तर:-
1848 की फ्रैंकफर्ट संसद—–
प्रशा ने नरेश फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ के नेतृत्व में फ्रैंकफर्ट संसद ने जर्मनी के एकीकरण के लिए भरसक प्रयास किए गए परंतु वे असफल रहे| यद्यपि जर्मन लोगों में 1848 के पहले ही रष्ट्रीयता की भावना जागृत हो चुकी थी| राष्ट्रीयता की भावना मध्यवर्गीय जर्मन लोगों में बहुत अधिक है|
प्रशा के नेतृत्व में एकीकरण—-
राष्ट्र निर्माण की इस उदारवादी विचारधारा को राजशाही और फौजी ताकतों के विरुद्ध कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा जिन्हें प्रशा के बड़े भूस्वामियों ने भी समर्थन दिया था उसके बाद प्रशा ने रष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया| प्रशा का प्रधानमंत्री आटो वान बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली|
बिस्मार्क का योगदान—-
बिस्मार्क प्रशा के उन महान सपूतों में से एक था जिसने सेना और नौकरशाही की मदद से जर्मनी के एकीकरण का उत्कृष्ट प्रयास किया| उसका मानना था कि जर्मनी के एकीकरण में सफलता राजकुमारों द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है न कि लोगों द्वारा| वह प्रशा के जर्मनी में विलय द्वारा नहीं बल्कि प्रशा का जर्मनी तक विस्तार के द्वारा इस उद्देश्य को पूरा करना चाहता था|
तीन युद्ध—-
बिस्मार्क के जर्मन एकीकरण का उद्देश्य सात वर्ष में आस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों द्वारा पूर्ण हुआ जो 1864 से 1870 के बीच लड़े गए|
जर्मनी के एकीकरण की अंतिम प्रक्रिया—
उपर्युक्त युद्धों का परिणाम प्रशा की जीत के रूप में आया जिससे एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई| 18 जनवरी 1871 में, वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा काइजर विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट बनाया गया और नये जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई|
यूनानी स्वतंत्रता संग्राम के परिणाम—-
यूनानियों ने लंबे और कठिन संघर्ष के बाद आटोमन साम्राज्य के अत्याचारी शासन से मुक्ति पायी| यूनान के स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का उदय हुआ| यद्यपि इस प्रक्रिया में गणतंत्र की स्थापना नहीं हो सकी परंतु एक स्वतंत्र राष्ट्र के उदय ने मेटरनिख की प्रतिक्रियावादी नीति को गहरी केस लगाई| यूनानियों के विजय से 1830 के क्रांतिकारियों को प्रेरणा मिली| बाल्कन क्षेत्र के अन्य ईसाई राज्यों में भी राष्ट्रवादी आंदोलन आरंभ करने की चाह बढ़ी|
6. यूरोपीय राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति का योगदान था?
उत्तर:-
यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति की अहम भूमिका रही| कला, साहित्य और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को गढ़ने और व्यक्त करने में सहयोग दिया| इसके कयी उदाहरण हमें फ्रांस, इटली, यूनान और जर्मनी में देखने को मिलते हैं| राष्ट्रप्रेम की भावना का प्रसार कलाकारों, विचारकों, साहित्यकारों, कवियों, संगीतकारों आदि ने संस्कृति को आधार बनाकर किया| इसके निम्नलिखित उदाहरण यूरोप में देखने को मिलते हैं———–
फ्रेडरिक सारयू का कल्पनादर्श—–
फ्रांसीसी कलाकार फ्रेडरिक सारयू ने एक कल्पनादर्श की रचना अपने चित्रों के द्वारा की जिसमें आदर्श समाज की कल्पना की गई| इन चित्रों में विभिन्न राष्ट्रों की पहचान कपडों और प्रतीक चिह्नों द्वारा एक राष्ट्र राज्य के रूप में की गई| इस प्रकार 19 वीं शताब्दी में यूरोप में राष्ट्रीयता के विकास में सारयू की कल्पनादर्श ने प्रेरणा का काम किया| कलाकारों ने मानवीय रूप में राष्ट्र को प्रस्तुत किया| राष्ट्र की कल्पना नारी रूप में की| फ्रांस में मारीआन को एवं जर्मनी में जर्मेनिया को राष्ट्रवाद के प्रतीक रूप में नारी का चित्रांकन हुआ|
रूमानीवाद—-
रूमानीवाद एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन था जो एक विशिष्ट प्रकार के राष्ट्रवाद का प्रचार किया| आमतौर पर रूमानी कलाकारों और कवियों ने तर्क वितर्क और विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की और उसकी जगह भावनाओं, अंतर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर अधिक बल दिया| उनका प्रयास था कि सामूहिक विरासत और संस्कृति को राष्ट्र का आधार बनाया जाए|
लोक परंपराएँ——
जर्मनी के चिंतक योहान गाटफ्रीड का मानना था कि सच्ची जर्मन संस्कृति आम लोगों में निहित थी| राष्ट्र की अभिव्यक्ति लोकगीतों, लोकनृत्यों और जन काव्य से प्रकट होती थी इसलिए राष्ट्र निर्माण के लिए इनका संकलन आवश्यक था| निरक्षर लोगों में रष्ट्रीय भावना संगीत, लोककथा के द्वारा जीवित रखी गई| कैरोल कुर्पिस्की ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने आपेरा और संगीत से गुणगान किया|
भाषा—-
भाषा ने भी राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| रूसी कब्जे के बाद पोलिश भाषा को स्कूलों में बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को जबरन लादा गया| 1831 के पोलिश विद्रोह को यद्यपि रूस ने कुचल दिया| परंतु राष्ट्रवाद के विरोध के लिए भाषा को एक हथियार बनाया| धार्मिक शिक्षा और चर्च में पोलिश भाषा का व्यवहार किया गया| इसका परिणाम यह हुआ कि पादरियों और विशपों को दंडित कर साबेरिया भेज दिया गया| पोलिश भाषा रुसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी|
7. 1848 में उदारवादी क्रांतिकारियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को बढ़ावा दिया?
उत्तर:-
यूरोप में 1848 का वर्ष क्रांतियों का वर्ष था इस वर्ष फ्रांस, आस्ट्रिया, हंगरी, इटली, पोलैंड, जर्मनी आदि देशों में क्रांतियों हुई| इन क्रांतियों के होने में अनेक परिस्थितियों ने योगदान किया———
निरंकुश शासकों का निकम्मा शासन
यूरोप की आर्थिक दशा शोचनीय
राजनीतिक जीवन अस्थायी
यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास
सामाजिक विद्वेष
राजनीतिक दलों द्वारा प्रजा में उत्तेजनात्मक भावना जागृत करना
1848 की क्रांति का यूरोपीय देशों की सरकार द्वारा दमन कर दिया गया और इसे आशातीत सफलता प्राप्त नहीं हुई| परंतु इसे पूर्णरूप से असफल भी नहीं कहा जा सकता| इस क्रांति से यूरोप की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा| उदारवादी क्रांतिकारियों की 1848 की क्रांति का अर्थ था राजतंत्र का अंत और गणतंत्र की स्थापना| इसके बाद उदारवादी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित विचारों को बढ़ावा दिया| उदारवादियों ने जनता के असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया| यह राष्ट्र राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की स्वतंत्रता जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित था| उदारवादी क्रांतिकारियों द्वारा सार्वजनिक मताधिकार पर आधारित जनप्रतिनिधि सीमाओं के निर्माण, भू दास और बंधुआ मजदूरी की प्रथा समाप्त करने की माँग की गई| उदारवादी आंदोलन के अंदर महिलाओं को राजनैतिक अधिकार प्रदान करने की माँग बढ़ने लगी| उदारवादी मध्यमवर्ग के स्त्री पुरुष ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया| इसी समय समाजवादी (साम्यवादी) विचार का प्रचार उदारवादियों द्वारा की गई| 1848 में खाद्य सामग्री का अभाव तथा बेरोजगारी की बढ़ती हुई समस्या से आम जनता जीवन अस्त व्यस्त हो गया था| इस संकट के समाधान के लिए उदारवादी क्रांतिकारियों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया|
8. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में भिन्न था| स्पष्ट करें|
उत्तर:-
ब्रिटेन में राष्ट्र राज्य का निर्माण किसी क्रांति का परिणाम नहीं था बल्कि शांतिपूर्वक संसद के माध्यम से हुई| अत:, ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास यूरोप के शेष देशों से भिन्न था| इसके कयी कारण थे—–
18 वीं शताब्दी के पहले ब्रिटेन राष्ट्र नहीं था| ब्रितानी द्वीपसमूह में रहनेवाले निवासी अंग्रेज, वेल्स, स्काटिश या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय थी| इन सभी की अपनी अपनी अलग अलग सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थी|
ब्रिटिश राष्ट्र की राजनैतिक शक्ति और आर्थिक समृद्धि में जैसे जैसे वृद्धि हुई वैसे वैसे वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करते हुए वहाँ आंग्ल संस्कृति का विकास किया|
एक लंबे संघर्ष के बाद 1688 में रक्तहीन या गौरवपूर्ण क्रांति के माध्यम से समस्त शक्ति आंग्ल संसद के हाथों में आ गयी| संसद के द्वारा ब्रिटेन में राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ जिसका केंद्र इंगलैंड था|
स्काटलैंड और आयरलैंड पर प्रभाव स्थापित कर इंगलैंड ने स्काटलैंड के साथ 1707 के ऐक्ट आफ यूनियन द्वारा यूनाइटेड किंगडम आफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ|
ब्रितानी पहचान के विकास के लिए स्काटलैंड की खास संस्कृति एवं राजनीतिक संस्थाओं को दबाया गया| उन्हें अपनी गोलिक भाषा बोलने और अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने से रोका गया| अनेकों स्काटिशों को अपना वतन छोड़ने को बाध्य किया गया|
आयरलैंड कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट मतावलंबियों में बंटा हुआ था| बहुसंख्यक कैथोलिकों के विरुद्ध अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेंट धर्म के समर्थकों को प्रश्रय देकर वहाँ प्रोटेस्टेंटों के प्रभाव स्थापित करने में मदद की| कैथोलिक विद्रोह को बलपूर्वक दबा दिया गया|
1801 में विद्रोह को दबाकर आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम में मिला लिया गया|
एक नवीन ब्रिटिश राष्ट्र का निर्माण किया गया और आंग्ल संस्कृति का प्रचार और प्रसार किया गया|ब्रिटिश प्रतीक चिन्हों, राष्ट्रीय झंडा (यूनियन जैक) और राष्ट्रीय गान (गाड सेव आवर नोबल किंग) को अपनाकर सम्मान दिया गया|
9. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें?
उत्तर:-
जुलाई 1830 में चार्ल्स-X के स्वेच्छाचारी शासन के विरुद्ध फ्रांस में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी| फ्रांस में वियना व्यवस्था के तहत बूर्वो राजवंश को पुनर्स्थापित किया गया तथा लुई 18 वां फ्रांस का राजा बना था| उसने फ्रांस की बदली हुई परिस्थितियों को समझा और फ्रांसीसी जनता पर पुरातन पंथी व्यवस्था को थोपने का प्रयास नहीं किया| उसने सांवैधानिक सुधारों की भी घोषणा की| 1824 में उसकी मृत्यु के बाद फ्रांस का राजसिंहासन चार्ल्स दशम को मिला| वह एक स्वेच्छाचारी तथा निरंकुश शासक था जिसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्र वदी भावनाओं को दबाने का कार्य किया|उसके द्वारा प्रतिक्रियावादी पोलिग्नेक को प्रधानमंत्री बनाया गया| पोलिग्नेक ने लुई 18 वें द्वारा स्थापित समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजाल वर्ग की स्थापना तथा उसे विशेषाधिकारों से विभाजित करने का प्रयास किया| उसके इस कदम को उत्तर वादियों ने चुनौती तथा क्रांति के विरुद्ध षडयंत्र समझा| प्रतिनिधि सदन एवं दूसरे उदारवादियों ने पोलिग्नेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया| चार्ल्स-X ने इस विरोध के प्रति क्रिया स्वरूप 25 जुलाई 1830 ई० को चार अध्यादेशों को जारी कर उदार तत्वों को गला घोटने का प्रयास किया| इन अध्यादेशों के विरुद्ध पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गयी| 21-29 जुलाई तक जनता और राजशाही में संघर्ष होता रहा| इसे ही जुलाई क्रांति कहते हैं| परिणामस्वरूप चार्ल्स-X फ्रांस की राजगद्दी त्यागकर इंग्लैंड पलायन कर गया और इस प्रकार फ्रांस में बूर्वो वंश के शासन का अंत हुआ तथा उसके स्थान पर आर्लेयेंस वंश को गद्दी सौंपी गई|
10. इटली के एकीकरण में मेजिनी, काबूर और गैरीबॉल्डी के योगदान को बतावें|
उत्तर:-
इटली के एकीकरण—–
मेजिनी को इटली के एकीकरण का पैगंबर कहा जाता है| वह दार्शनिक लेखक राजनेता, गणतंत्र का समर्थक एक कर्मठ कार्यकर्ता था| उसका जन्म 1805 में सार्डिनिया के जिनोआ नगर में हुआ था| 1815 में जब जिनोआ को पिडमौंट के अधीन कर दिया गया तब इसका विरोध करने वालों में मेजिनी भी था| राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित होकर उसने गुप्त क्रांतिकारी संगठन कार्बोनारी की सदस्यता ग्रहण की| अपने गणतंत्र वदी उद्देश्यों के प्रचार के लिए मेजिनी ने 1831 में मार्सेई में यंग इटली तथा 1834 में बर्न में यंग यरोप की स्थापना की| इसका सदस्य युवाओं को बनाया गया| मेजिनी जन संप्रभुता के सिद्धांत में विश्वास रखता था| उसने जनार्दन जनता तथा इटली का नारा दिया| उसका उद्देश्य आस्ट्रिया के प्रभाव से टली को मुक्त करवाना तथा संपूर्ण इटली का एकीकरण करना था|
काउंट कावूर का योगदान—–
काउंट कावूर का जन्म 1819 में हुआ था| उसका मानना था कि इटली के एकीकरण के लिए आर्थिक उन्नति एवं सैनिक शक्ति अनिवार्य थी| वह एकीकरण के लिए विदेशी सहायता को भी आवश्यक मानता था| विदेशी सैनिक सहायता से ही आस्ट्रिया को इटली से बाहर निकालना संभव था| कावूर एक कूटनीतिज्ञ तथा राष्ट्रवादी था| उसका विचार था कि सार्डिनिया के नेतृत्व में ही इटली का एकीकरण संभव था| 1852 में सार्डिनिया के राजा विक्टर इमैनुएल ने काबूर को प्रधानमंत्री नियुक्त किया| कावूर की गृहनीति उदारवाद पर और विदेशनीति युद्ध तथा सैन्यवाद पर आधारित थी| 1853-54 के क्रिमिया युद्ध में कावूर ने फ्रांस की ओर से युद्ध में सम्मेलन में कावूर को भी बुलाया गया जहाँ उसने अपने कूटनीति के बल पर इटली की समस्या को संपूर्ण यूरोप की समस्या बना दिया|
गैरीबॉल्डी का योगदान——-
इटली के एकीकरण में गैरीबॉल्डी का भी महत्वपूर्ण योगदान था| उसका जन्म 1807 में नीस में हुआ था| गैरीबॉल्डी पेशे से एक नाविक था| बाद में वह काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया| राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर उसने यंग इटली की सदस्यता ग्रहण की| गैरीबॉल्डी का मानना था कि युद्ध के बिना इटली का एकीकरण संभव नहीं है| उसे सशस्त्र युवकों की एक सेना बनाई जो लाल कुर्ती कहलाए| उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किये| 1862 में गैरीबॉल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई लेकिन काबूर ने गैरीबॉल्डी के इस अभियान का विरोध किया| काबूर ने जहाँ अपनी कूटनीति द्वारा इटली का एकीकरण संभव कर दिया उसी प्रकार गैरीबॉल्डी ने अपनी तलवार द्वारा इसे संभव बनाया|
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