Bharti Bhawan Geography Class-10:Chapter-11:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भूगोल:कक्षा-10:अध्याय-11:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न




         मानचित्र अध्ययन (उच्चावच प्रदर्शन) 





अतिलघु उत्तरीय प्रश्न






1. तल चिह्न से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
स्थाई पर्यवेक्षण स्थलों को किसी पत्थर या भवन के द्वारा निर्देशित किया जाता है| इनके ऊपर स्पष्ट और बड़े रूप में समुद्रतल से उस स्थान की ऊंचाई अंकित कर दी जाती है|
2. किसी देश के मानचित्र में हरे रंग का प्रयोग किस प्रकार के उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है? 
उत्तर:-
किसी देश के मानचित्र में हरे रंग का प्रयोग मैदानों के उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है|
3. समोच्च रेखाएँ क्या है? 
उत्तर:-
वे कल्पित रेखाएँ जो मानचित्र पर स्थित उन सभी स्थानों को मिलती है जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से समान हो, समोच्च रेखाएँ कहलाती है| मानचित्र पर इन समोच्च रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है| इसका प्रतिपादन एक डच अभियंता एन ० कुकुइस ने 1730 ई० में किया था|
लघु उत्तरीय प्रश्न







1. हैश्यूर से आप क्या समझते हैं? इसका प्रयोग किस काम के लिए किया जाता है? 
उत्तर:-
मानचित्र बनाने में भूमि की ढाल दिखाने के लिए छोटी छोटी और सटी रेखाओं से काम लिया जाता है, जिन्हें हैश्यूर कहते हैं| खड़ी ढाल प्रदर्शित करने के लिए अधिक छोटी और सटी रेखाएँ तथा धीमी ढाल प्रदर्शित करने के लिए अपेक्षाकृत बड़े और दूर दूर रेखा चिह्न खींचे जाते हैं| समतल भाग के लिए रेखा चिह्न नहीं खींचे जाते, ये भाग खाली छोड़ दिए जाते हैं| इस विधि से स्थलाकृति का साधारण ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है| ऊँचाई का सही ज्ञान नहीं हो पाता है| इस विधि में रेखाचिह्नों को खींचने में अधिक समय लगता है| समोच्च रेखा वाले मानचित्र में छोटी आकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए यह विधि अपनायी जाती है| इस विधि का विकास आस्ट्रेलिया के एक सैन्य अधिकारी लेहमान ने किया था|
2. समोच्च रेखाएँ क्या है? 
उत्तर:-
समुद्र की सतह के सामानांतर समान ऊंचाई वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा समोच्च रेखा कहलाती है| विभिन्न ऊंचाई के लिए विभिन्न समोच्च रेखाएँ खींची जाती है जो एक दूसरे से कभी नहीं कटती है| जिस भू भाग में खड़ी ढाल रहती है, वहाँ यह रेखाएँ सटी और घनी नजर आती है| इसके विपरीत कम ढाल आने पर ये दूर हो जाती है| प्रत्येक समोच्च रेखा पर ऊंचाई के अंक अंकित किए जाते हैं| ऊंचाई गहराई दिखाने की यह सर्वोत्तम विधि है| इस विधि से पहाड़, पठार, नदी घाटी, जल प्रपात या विभिन्न प्रकार की ढाल को भली भाँति दिखाया जा सकता है|
3. मानचित्र में स्थानीय ऊंचाई किस तरह दिखाई जाती है? 
उत्तर:-
स्थानिक ऊंचाई किसी देय या भू भाग के मानचित्र में विविध सूचनाओं के साथ ही उच्चावच प्रदर्शित करने की उत्तम और सरल विधि है| इसमें समुद्रतल से किसी स्थान की ऊँचाई प्रदर्शित करने के लिए एक स्पष्ट बिंदु के बाद अंक लिखे जाते हैं| अंकों से निर्मित संख्या समुद्रतल से उस स्थान की ऊँचाई मीटर से प्रदर्शित करती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न






1. उच्चावच प्रदर्शन में पहाड़ी छाया विधि का वर्णन करें|
उत्तर:-
इस विधि के अंतर्गत उच्चावच प्रदर्शन के लिए भू आकृतियों पर उत्तर पश्चिम कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है| इसके कारण अंधेरे में पड़ने वाले हिस्से को या ढाल को गहरी आभा से भर देते हैं जबकि प्रकाश वाले हिस्से या कम ढाल को हल्की आभा से भर देते हैं या खाली छोड़ देते हैं| इस विधि से स्थलाकृति का साधारण ज्ञान तो प्राप्त किया जा सकता है, पर सही सही ऊंचाई या सिंचाई का पता नहीं लगाया जा सकता है और न ढाल की यथेष्ट जानकारी ही मिल सकती है| लघु मापक मानचित्रों में यह विधि काम में लायी जा सकती है|
2. रंग विधि से उच्चावच प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है? समझाकर लिखें|
उत्तर:-
रंग विधि या स्तर रंजन में स्थल के विभिन्न भागों को विभिन्न रंगों से भी दिखाया जाता है| साधारणतया मैदान को हरे रंग से और पहाड़ को या पठार को भूरे रंग से दिखाया जाता है| भूरे रंग के साथ हल्के गुलाबी रंग का भी प्रयोग किया जा सकता है| बर्फीली भाग सफेद रंग से एवं जलीय भाग या समुद्र नीले रंग से प्रदर्शित किया जाता है| मरूभूमि पीले रंग से दिखाई जाती है| रंगों के अभाव में काली स्याही के विभिन्न स्तरों से ही काम लिया जाता है| यह विधि भी दोष से युक्त नहीं है| इसमें भी ऊंचाई निचाई का ठीक ठीक पता नहीं चलता है| उदाहरण के लिए, 0 मीटर से 100 मीटर तक ऊंची भूमि के लिए जब एक ही रंग का प्रयोग किया जाता है तो भूमि की वास्तविक ढाल नहीं जानी जा सकती है| 
3. उच्चावच प्रदर्शन की कौन कौन सी प्रमुख विधियाँ है? प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण दें| 
उत्तर:-

हैश्यूर—-
आस्ट्रिया के सैन्य अधिकारी लेहमान ने इसकी खोज की थी| मानचित्र में छोटी महीन खंडित रेखाओं के सहारे उच्चावच प्रदर्शित किया जाता है| तीव्र ढालनेवाले क्षेत्रों में पास पास रेखाएँ होने के कारण रेखाएँ मोटी और गहरी दिखायी जाती है|
पर्वतीय छायाकरण विधि—-
इस विधि द्वारा भू आकृतियों पर उत्तर पश्चिम कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है| इस कारण अंधकार वाले हिस्से में ढाल को हल्की आभा से या कम ढाल वाले हिस्से को प्रकाश की हल्की आभा से भर देते हैं या छोड़ देते हैं| इससे पर्वतीय क्षेत्र के उच्चावच को प्रभावी ढंग से दिखाया जाता है|
तल चिह्न—-
वास्तविक सर्वेक्षण के दौरान दीवारों, पुलों, खंभों, पत्थरों जैसे स्थायी वस्तु पर समुद्र तल से मापी गयी ऊंचाई को प्रदर्शित वाले चिह्नों का तल चिह्न कहते हैं| जिसे फीट या मीटर में लिखा जाता है|
स्थानिक ऊंचाई—-
तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गयी ऊंचाई को स्थानिक ऊंचाई कहते हैं| इस विधि का प्रयोग बिंदुओं के द्वारा अंकित करके उसकी ऊंचाई लिखकर किया जाता है|
त्रिकोणीय स्टेशन—–
इसका उपयोग त्रिभुज विधि द्वारा सर्वेक्षण करते समय स्टेशन के रूप में किया जाता है| मानचित्र पर त्रिभुज बनाकर उसके बगल में धरातल की समुद्र तल से ऊंचाई लिख दिया जाता है|
स्तर रंजन—-
रंगीन मानचित्रों में रंगों की विभिन्न आभा द्वारा उच्चावच प्रदर्शन का मानक निश्चित किया गया है| ऊंचाई में वृद्धि के हिसाब से रंगों की आभाएं हल्की होती जाती है| जलीय भाग के लिए नीला, मैदान के लिए हरा, पर्वतों के लिए बादामी या हल्का कत्थई रंग का चयन किया गया है| जबकि बर्फीले क्षेत्र को सफेद रंग से दिखाया जाता है|
समोच्च रेखाएँ——
समोच्च रेखाओं की सहायता से उच्चावच प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है| यह एक मानक विधि है| समोच्च रेखाएँ भूतल पर समुद्री तल से समान ऊंचाई वाली बिन्दुओं को मिलाकर मानचित्र पर खींची गयी काल्पनिक रेखाएँ होती है| प्रत्येक समोच्च रेखाओं के मान को भी लिख दिया जाता है| यह समोच्च रेखाएँ बादामी रंग से खींची जाती है|
कारण बताएं—-





1. उच्चावच प्रदर्शन की सबसे सरल विधि समोच्च रेखाएँ खींचना है| क्यों? 
उत्तर:-
उच्चावच प्रदर्शन की सबसे सरल विधि समोच्च रेखाएँ है| क्योंकि इसमें धरातल की ऊँचाई निचाई का सही सही ज्ञान प्राप्त होता है| साथ ही इसमें सूक्ष्म प्राकृतिक आकृतियों का ठीक ठीक से प्रदर्शन किया जा सकता है| पहाड़, पठार, नदीघाटी, जलप्रपात या विभिन्न प्रकार की ढाल इत्यादि समोच्च रेखाओं में भली भाँति दिखाई जा सकती है| 
2. समोच्च रेखाओं द्वारा किसी पर्वत को प्रदर्शित करते समय बीच की रेखाएँ छोटी बनायी जाती है| क्यों? 
उत्तर:-
समोच्च रेखाओं द्वारा किसी पर्वत को प्रदर्शित करते समय बीच की रेखाएँ छोटी बनायी जाती है| इसका कारण यह है कि पर्वत की ऊँचाई अधिक होती है| इसकी ढाल को देखने के लिए बीच की रेखाओं को छोटी बनायी जाती है| समान ऊंचाई के स्थानों को सरल और सतत रेखा से प्रदर्शित किया जाता है तो स्वरेखा को रेखा कहा जाता है| समोच्च रेखाएँ एक दूसरे से छोटी और सटी हुई बनायी जाती है तो किसी पर्वत का प्रदर्शन सही रूप से होता है और इससे पर्वत की खड़ी ढाल का पता चलता है|

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