Bharti Bhawan Geography Class-10:Chapter-10:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भूगोल:कक्षा-10:अध्याय-10:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



              बिहार—-संसाधन एवं उपयोग



अतिलघु उत्तरीय प्रश्न






1. पांच खरीफ फसलों के नाम लिखें|
उत्तर:-
धान, गन्ना, ज्वार, बाजरा, मकई
2. आलू उत्पादन के प्रमुख दो जिलों के नाम लिखें|
उत्तर:-
पटना, नालंदा
3. चर्म उद्योग से संबंधित किन्हीं पांच जिलों के नाम लिखें|
उत्तर:-
मुजफ्फरपुर, पटना, कटिहार, आरा, बेतिया
4. बिहार के किन्हीं पांच पर्यटन स्थलों के नाम लिखें|
उत्तर:-
पटना, राजगीर, बोधगया, नालंदा, सोनपुर
5. बिहार के तापीय विद्युत केन्द्रों का उल्लेख कीजिए|
उत्तर:-
कहलगाँव सुपर थर्मल पावर, कांटी तापीय विद्युत केंद्र, बरौनी तापीय विद्युत केन्द्र

लघु उत्तरीय प्रश्न






1. तसर रेशम का उत्पादन बिहार के किस जिला में अधिक होता है? 
उत्तर:-
तसर किस्म के रेशम के उत्पादन में भागलपुर जिला प्रसिद्ध है| यहाँ रेशम की मिलें भी है| बुनाई और कटाई का काम भी यहाँ होता है|
2. बिहार में पाए जाने वाले खनिजों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
बाक्साइट अभ्रक, चूना पत्थर डोलोमाइट फेल्सपार तथा ग्रेनाइट
3. मुंगेर में किस प्रकार का उद्योग है? 
उत्तर:-
मुंगेर में बंदूक तथा सिगरेट, तंबाकू उद्योग स्थापित है| घनी आबादी के कारण और मजदूर वर्ग के लोगों की अधिकता के कारण मुंगेर में सिगरेट तंबाकू उद्योग विकसित है| मुंगेर में बंदूक बनाने का पुराने कारखाना है|
4. बिहार राज्य के किन्हीं पांच गन्ना मिलों के नाम लिखें|
उत्तर:-
महाराजगंज, गोपालगंज, बिहटा, समस्तीपुर और सिवान
5. बिहार में उर्वरक संयंत्रों की स्थापना कहाँ कहाँ हुई? 
उत्तर:-
बरौनी, पी०सी०एल० (एच०), अमझोर स्थित फास्फेट उर्वरक का कारखाना (पी०पी०सी०एल०)
6. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावना बिहार में कितनी है? संक्षेप में लिखें|
उत्तर:-
वर्तमान समय में बिहार एक कृषि प्रधान राज्य हो गया है, क्योंकि झारखंड राज्य बनाने से खनिज भंडार वहाँ पर चले गए हैं जबकि बिहार में खनिज भंडार कम हो गये हैं| इसिलिए बिहार में कृषि की प्रधानता मानी जाती है| बिहार में खाद्यान्न वस्तुओं की पैदावार अधिक होती है| उदाहरण के लिए गेहूँ, चावल, गन्ना, दाल, सरसों, मकई इत्यादि की खेती पर्याप्त मात्रा में होती है| बिहार के कुछ क्षेत्रों में चावल का उत्पादन बहुत होता है| साथ ही बिहार के पश्चिमोत्तर जिलों में गेहूँ का उत्पादन होता है| गेहूँ से आटा पीसने की मिलें बहुत है| इसी प्रकार चावल को कूटकर भूसी अलग किया जाता है| इस भूसी से बिजली उत्पादन करने की ओर ध्यान दिया जा रहा है| साथ ही मक्के के विभिन्न सामानों को बनाने की मशीनें लगी है| गन्ना के दक्षिणी भागों में दाल का उद्योग तथा राज्य के कयी भागों में तेल निकालने के कोल्हू लगे हैं| पटना, गया, भोजपुर और मुंगेर में अनेकों तेल मिलें हैं| साथ ही हमारे राज्य में चावल कूटने की अनेकों मिलें हैं| इसी प्रकार चीनी उद्योग भी स्थापित किए गए हैं| मुख्य रूप से चीनी मिल मड़ेहरा, महाराजगंज, पंचराखी, सिवान, चनपटिया, गुरारू, हसनपुर, गोरौल और नरकटियागंज इत्यादि स्थानों पर चीनी की मिलें स्थापित हैं| इस प्रकार खाद्यान्न पदार्थों के प्रसंस्करण उद्योग की भावना बिहार में अच्छी है| फिर भी कुछ समस्याओं के कारण खाद्यान्न प्रसंस्करण उद्योग का अधिक विकास नहीं हो पाया है| इसिलिए खाद्य प्रसंस्करण का विकास करने की आवश्यकता है|
7. बिहार के विश्वविद्यालयों के किन्हीं पांच के नाम लिखें|
उत्तर:-
विश्वविद्यालय             मुख्यालय      स्थापना
1.पटना                        पटना           1917
विश्वविद्यालय   
2.मगध                        बोधगया       1962
विश्वविद्यालय
3.नालंदा खुला              नालंदा         1988
विश्वविद्यालय
4.वीर कुंवर सिंह            आरा          1992
विश्वविद्यालय
5. मौलाना मजहरूल      पटना         1994
हक अरबी फारसी
विश्वविद्यालय
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न





1. बिहार की किन्हीं पांच प्रमुख फसलों का नाम लिखें| उनमें से किसी एक के उत्पादन की भौगोलिक दशाओं एवं उत्पादन क्षेत्रों का वर्णन करें|
उत्तर:-
बिहार राज्य में जिन खाद्यान्न का उत्पादन कृषि द्वारा होता है उनमें प्रमुख है— चावल, गेहूँ, जौ, मकई, दलहन, तेलहन, सब्जी और विभिन्न प्रकार के फल| इनमें धान के उत्पादन लिए निम्न भौगोलिक दशाएँ उपयुक्त होती है—
मानसूनी जलवायु
उच्च तापमान (20° सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक) 
ग्रीष्मकालीन अधिक वर्षा (वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक) (कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की उत्तम व्यवस्था) 
समतल भूमि (ताकि खेतों में जल जमा रहे) 
जलोढ़ मिट्टी
पर्याप्त मिट्टी
पर्याप्त संख्या में सस्ते श्रमिक
बिहार में धान की खेती मुख्यतः उत्तर के मैदानी भाग में होती है जहाँ वर्षा से भरपूर जल की प्राप्ति होती है| बिहार में उत्तरी चंपारण, रोहतास, औरंगाबाद, बक्सर, भोजपुर प्रमुख धान उत्पादक जिले है जहाँ सिंचाई और जलोढ़ मिट्टी की सुविधा प्राप्त है और मानसूनी जलवायु क्षेत्र में पड़ता है| फसलों की उपज बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनायी जा रही है जिससे उत्पादन भी बढ़ा हैं| वर्ष 2009-10 में बिहार में 55 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था|
2. बिहार के औद्योगिक विकास की संभावना पर विचार प्रस्तुत करें|
उत्तर:-
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है| यहाँ खनिज संपदा की कमी है| इसिलिए यहाँ खनिज पर आधारित उद्योग का विकास बहुत अधिक नहीं किया जा सकता है| हाँ, कृषि से उत्पादित कच्चा माल और शक्ति के साधनों की कमी नहीं है| बिहार गन्ना और जूट आदि का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है| शक्ति के साधनों के रूप में नदी घाटियाँ जल शक्ति प्रदान करने में सक्षम है| घनी जनसंख्या मिलने के कारण श्रमिकों का अभाव नहीं है| इसलिए बिहार में कृषि उत्पाद पर आधारित उद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है| इस प्रकार हल्के उद्योगों में चीनी, सिगरेट, अबरख की छिलाई और वन उद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है| इसके अतिरिक्त प्लास्टिक उद्योग, धान की भूसी से बिजली उत्पादन करने की मिल, कागज बनाने का उद्योग, धान की भूसी से बिजली उत्पादन करने की बड़ी संभावनाएँ है| सूती वस्त्र उद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है| सरकार को इस दिशा में विचार करते हुए सहयोग करना चाहिए जिससे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे|
3. बिहार में पर्यटन के विकास के लिए क्या उपाय अपेक्षित है? 
उत्तर:-
यहाँ आधारभूत संरचना का विकास करना होगा
यहाँ परिवहन के साधनों का भी विकास करना होगा
यहाँ होटल, सड़क, रेलमार्ग, मनोरंजक वातावरण का निर्माण करना होगा|
यहाँ की कानून व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त करना होगा तथा नये कानून व्यवस्था की स्थापित करनी होगी|
यहाँ की टूटी फूटी इमारतों का मरम्मत करना होगा
यहाँ ऐतिहासिक तथा धार्मिक स्थलों का भी निर्माण करना होगा
साथ ही यहाँ के नागरिकों को अतिथि देवो भवः का भी अर्थ समझना होगा
4. ऊर्जा उत्पादन में बिहार की स्थिति पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
उद्योगों को चलाने, विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने में ऊर्जा के साधन की आवश्यकता होती है| बिहार के पास 592.1 मेगावाट ताप विद्युत, 47.1 मेगावाट जलविद्युत तथा 5 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में उत्पादन है| परंतु तापविद्युत् केन्द्र की स्थिति अच्छी नहीं है| मुजफ्फरपुर का ताप विद्युत केन्द्र बंद पड़ा है| बरौनी से भी 30 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है और लागत भी अधिक पड़ती है अर्थात उत्पादन खर्च महंगा है| वर्तमान में बिहार को 900 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है जो कभी कभी 1000 मेगावाट तक पहुँच जाती है| केन्द्रीय क्षेत्रों से बिजली खरीद कर बिहार अपना काम चलाता है| नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन से 959 मेगावाट, चुखा पनबिजली से 80 मेगावाट तथा मांग बढ़ने पर रंगीत बिजली से 21 मेगावाट बिजली खरीदी जाती है| इस प्रकार राज्य कोष का बहुत धन इसी पर खर्च हो जाता है| वह भी इस स्थिति में जब बिहार में प्रतिव्यक्ति बिजली की खपत बहुत कम मात्रा 60 किलोवाट प्रतिवर्ष है| जबकि राष्ट्रीय औसत खपत 354.75 किलोवाट प्रतिवर्ष है| 
5. उद्योगों के विकास के लिए बिहार सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना करें|
उत्तर:-
औद्योगिक इकाइयों की स्थापना एवं उद्यमियों की सहायता करने के लिए उद्योग मित्र नाम से एक संस्था बनायी गयी है| इससे 2004-2007 तक के चार वर्षों में क्रमशः 443,957,717,512 उद्यमियों को लाभ मिला|
फतुहा में सुदृढ़ औद्योगिक क्षेत्र, बेगूसराय, हाजीपुर में 100-100 एकड़ में फ्रूट पार्क तथा बिहटा, हाजीपुर में 100  एकड़ में वृहत् औद्योगिक पार्क की स्थापना की गयी|
पटना हवाई अड्डा परिसरों में एयर कार्गो काम्पलेक्स बनाए गए हैं|
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा नोलेज सिटी, आई०टी ० भवन, आई०टी ० पार्क, आई०टी ०, अकादमी, आई०टी ० फेयर्स एंड कान्फ्रेंस इत्यादि का विकास किया गया है|
किसी प्रकार के फोन से 15531 नंबर पर डायल करने से राज्य की कोई सूचना प्राप्त की जा सकती है|
पशुओं के लिए उपचार एवं चारा बीज का मुफ्त वितरण का प्रबंधन किया गया है| डेयरी और मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने का प्रयास जारी है|
किसानों को कृषि कार्य के लिए क्रेडिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है|
उत्पादित साधनों को उचित मूल्यों पर बाजार में पहुँचाने का भी कार्य किया जा रहा है|
6. कृषि की विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
बिहार की 90℅ आबादी गाँवों में रहती है और 80℅ जनसंख्या कृषि पर आश्रित है| इसके बावजूद यहाँ का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अन्य राज्यों की अपेक्षा कम है| बिहार राज्य कृषि संबंधी अनेक समस्याओं से जूझ रहा है|
मिट्टी कटाव एवं गुणवत्ता का ह्रास—-
भारी वर्षा और बाढ़ के कारण मिट्टी का कटाव होता है और लगातार रासायनिक खाद के उपयोग से भी मिट्टी का ह्रास होता है|
घटिया बीजों का उपयोग—-
उच्च कोटि कोटि के बीज का उपयोग नहीं होने के कारण प्रति एकड़ उपज अन्य राज्यों की अपेक्षा कम होती है|
खेतों का आकार छोटा होना—–
खेतों के छोटा होने से वैज्ञानिक पद्धति से खेती संभव नहीं हो पाता है|
सिंचाई की समस्या—-
कृषि मानसून पर आधारित है| कृषि भूमि की मात्र 46℅ पर ही सिंचाई उपलब्ध है|
बाढ़—–
प्रत्येक साल नदियों के मार्ग बदलने से नदी मार्ग से बाहर निकली हुई भूमि पर आधिपत्य को लेकर बाहुबलियों एवं नक्सलियों का आतंक दियरा प्रदेश की एक समस्या बन गयी है| 
बिहार के वनों का वर्णन करें|
बिहार में कुल भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 6.65 प्रतिशत भाग ही वनाच्छादित है| राष्ट्रीय नीति के अनुसार 33.3 प्रतिशत भाग पर वन होने चाहिए| लेकिन बिहार में वनों की लगातार कटाई तथा वन क्षेत्र को कृषि क्षेत्रों में बदल दिए जाने के कारण यहाँ के वन विलुप्त होते जा रहे हैं| यहाँ के वन मानसूनी प्रकार के पर्णपाती (पतझड़ वाले) अर्थात इन वनों के पेड़ वर्ष में एक बार अपने पत्ते झाड़ देते हैं|

बिहार में दो प्रकार के होता है—-
आर्द्र पर्णपाती वन—-
इस प्रकार के वन मुख्यतः पश्चिमी चंपारण के सोमेश्वर और दूर की श्रेणियों की ढालों पर तथा सहरसा, पूर्णियां, एवं अररिया के उत्तरी तराई क्षेत्र में (197 वर्ग किलोमीटर में) पाए जाते हैं| आम, जामुन, कटहल, सखुओ, पलास, पीपल, सेमल, अमलतास, बरगद, करंज, केन, गंभार आदि के पेड़ इन वनों में बहुतायत से उगते है|
शुष्क पर्णपाती वन——
शुष्क पर्णपाती वनों में भी प्रायः वे ही पेड़ उगते है जो आर्द्र पर्णपाती वनों में उगते है, किन्तु उनका आकार छोटा होता है| इस प्रकार के वनों में शीशम, महुआ, पलास, बबूल, खजूर, और बांस मुख्य रूप से उगते है| ऐसे वन मैदानी भागों में पाये जाने के कारण कृषि कार्य एवं आवास हेतु तेजी से काटे जा रहे हैं| बिहार में गया, दक्षिणी मुंगेर तथा दक्षिणी भागलपुर में इस प्रकार के वन सघनता से मिलते हैं| वनों के अभाव के कारण बिहार में वन्य जीवों की कमी है| वनों की कटाई पर रोउ, विलुप्त वन क्षेत्र में नया वन लगाने, उद्यानों के विकास तथा कृषि वानिकी पर बल देने के फलस्वरूप वनों का क्षेत्रफल 2008-09 में 6,22,000 हेक्टेयर हो गया है|
8. बिहार में नगरों के विकास पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
बिहार में नगरों के विकास की गति काफी धीमी है| वास्तव में नगरीकरण की अवस्था आर्थिक समृद्धि एवं विकास का सूचक होती है| बिहार की कुल जनसंख्या 10.38 करोड़ है जबकि राज्य की कुल जनसंख्या का मात्र 11.3 प्रतिशत लोग ही नगरों में निवास करते हैं| यह भारत की नगरीय जनसंख्या की अपेक्षा काफी कम है| यहाँ के लगभग 88.7 प्रतिशत आबादी आज भी गाँवों में निवास करते हैं| बिहार में केवल 117.29 लाख व्यक्ति ही नगरों में निवास करते हैं| एवं नगरीय सुविधा का लाभ उठाते हैं| बिहार भारत में सबसे अधिक घनत्व वाला राज्य है| 1991 की जनगणना के अनुसार यहाँ 21 बड़े नगर थे| वर्तमान में इनकी संख्या 27 हो गई है| बिहार में नगरीकरण कम होने के पीछे अनेक कारण है| यथा— बड़े आकार ने उद्योग धंधों का अभाव गरीबी, निम्न साक्षरता दर, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था इत्यादि| बिहार की राजधानी पटना की नगरीय आबादी बिहार के अन्य नगरों की तुलना में सबसे अधिक है| बिहार के अधिकांश नगरों का अनियमित एवं अनियोजित विकास हुआ है| हाल के वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन में वृद्धि हुई है| इससे नगरों की स्थिति भी भयानक रूप से प्रभावित हुई है| स्वास्थ्य, संस्कृति एवं परिवहन सुविधाओं के कारण ध्वनि एवं वायु प्रदूषण की समस्याएँ भी विकराल रूप धारण कर रही है| बिहार के नगरों के सामने भी अनेक समस्याएँ है| जैसे— आवास परिवहन पेयजल जल निकास, स्वास्थ्य, प्रदूषण, झुग्गी झोपड़ियों हिंसा एवं अपराध का बढता ग्राफ इत्यादि| पटना, नालंदा राजगीर गया, वैशाली बोधगया, उदंतपुरी, सीतामढ़ी प्राचीन नगरों में गिने जाते हैं| मध्यकाल में सासाराम, दरभंगा, पूर्णिया छपरा सीवान आदि नगरों का विकास हुआ है| ब्रिटिश काल में रेल औ विभिन्न उद्योगों के कारण बरौनी, हाजीपुर, दानापुर, डालमियानगर, मुंगेर, जमालपुर, कटिहार इत्यादि नगरों का विकास हुआ|
9. बिहार में चीनी उद्योग पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
नकदी फसल होने के कारण गन्ने का उत्पादन किया जाता है, यह चीनी उद्योग का कच्चा माल है| बिहार की उपजाऊ मिट्टी में गन्ने का उत्पादन अनेक भागों में किया जाता है| महाराजगंज, पचरुखी, हथरूखी, हथुआ, गोपालगंज, मझौलिया, चनपटिया, नरकटियागंज, बगहा, गोरौल, सकरी, रैयाम, लोहट, समस्तीपुर, सीवान, हसनपुर, गुरारू, बिहटा, वारसलीगंज इत्यादि स्थानों पर चीनी मिलें स्थापित है|
चीनी उद्योग के प्रमुख निम्नलिखित कुछ कठिनाइयाँ—-
बिहार की चीनी मिलें बहुत पुरानी है| मशीनों की डिजाइन भी पुरानी है और प्रायः सभी घिस गयी है| आधुनिक तकनीकों पर काम करनेवाली नयी मशीनों से उत्पादन अधिक हो सकता है| घाटे के कारण कुछ मिलें बंद हो गई| संप्रति में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को मिलाकर मात्र 28 चीनी मिलें विद्यमान है जिनमें से 16 रुग्ण और बंद हो गई है| वास्तव में, निजी क्षेत्र की 10 और सार्वजनिक क्षेत्र की 2( कुल 12) मिलें ही कार्यशील है|
1960 के पहले देश के कुल चीनी उत्पादन का एक तिहाई भाग बिहार से प्राप्त होता था| 2012-13 में मात्र 3.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हो पाया|
बिहार में 10 टन गन्ने से एक टन चीनी प्राप्त होती है|
गन्ने की फसल में खाद, पानी, निराई, गुड़ाई में बहुत खर्च पड़ता है| मध्यम किसान अपनी सारी पूंजी लगाकर सालभर के बाद जब गन्ना मिलों में पहुँचाते है तो उन्हें समय पर गन्ने की कीमत नहीं मिलती है| इससे उनकी आर्थिक कमर टूट जाती है| अत: वे गन्ने की खेती बंदकर दूसरी फसलों का उत्पादन करने लगते हैं|
उत्तर भारत के गन्ने से वैसे भी चीनी कुछ कम प्राप्त होती है| साथ ही, मौसम के बाद भी मई जून तक गन्ने की पेराई होती रहती है|फरवरी के बाद धूप के कारण चीनी की मात्रा घठ जाती है| 
2004 के बाद से पुनः चीनी उद्योग विकास के मार्ग पर अग्रसर है|
10. बिहार के तीन प्रमुख नदीघाटी परियोजनाओं का नाम बताएं एवं किसी एक का वर्णन विस्तार पूर्वक करें|
उत्तर:-
बिहार की प्रमुख नदीघाटी परियोजनाएँ—–
कोसी परियोजना, गंडक परियोजना, सोन परियोजना


कोसी परियोजना—–
यह उत्तर पूर्वी बिहार की बड़ी नदी कोसी से संबंधित परियोजना है, जो हिमालय से निकलती है और विनाशकारी बाढ़ और बदलती धारा के कारण बिहार का शोक कहलाती है| अपने दोनों ओर की भूमि में यह बालू भर देती है| जिससे कृषि बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है| 1896 में ब्रिटिश शासनकाल में इस परियोजना की कल्पना की गई थी, परंतु स्वतंत्र भारत में 1955 में से इसे परियोजना के रूप में विकसित करने का प्रयत्न किया गया| इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण था, किंतु बाद में सिंचाई हेतु नहरें निकालकर कृषि विकास करना और जल विद्युत उतपन्न कर औद्योगिक विकास करना भी इसमें सम्मिलित किया गया| यह परियोजना भारत और नेपाल सरकारों की सहमति से बनी| बिहार नेपाल की सीमा पर स्थित हनुमान नगर में नदी के आरपार बराज बना, फिर दो तटबंध और दो जल मोड़ बांध बनाए गए| बाढ़ के रूक जाने से इस क्षेत्र में होनेवाली मलेरिया, घेघा आदि बीमारियों पर भी काबू पाया गया| इस परियोजना से नदी के दोनों ओर नहरें निकाली गई और जलविद्युत उत्पन्न करने के लिए शक्ति गह बनाए गए| इस परियोजना से उत्पन्न की जा रही जलविद्युत का उपयोग बिहार के अतिरिक्त नेपाल सरकार भी कर रही है| अब कोसी क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा से फसलों का उत्पादन बढ़ चला है और मानव बसाव बढ रहा है| कोसी बराज 12,161.3 मीटर लंबा है, बांध की लंबाई नदी के दोनों तटों पर 240 किलोमीटर है| नहरों से 3.78 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई का लक्ष्य रखा गया|
कारण बताएं—–






1. बिहार में भारी उद्योगों का अभाव है| क्यों? 
उत्तर:-
बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य है| यहाँ पर पूंजी का अभाव है| कल कारखानों के लिए आधुनिक भारी मशीनों और यंत्रों का अभाव पाया जाता है| साथ ही तकनीकी कुशलता की भी कमी है| कच्चे माल के रूप में खनिजों का अभाव है| कल कारखानों को चलाने के लिए बिजली के रूप में ऊर्जा की भी कमी पायी जाती है| इन सभी समस्याओं के रहने के कारण बिहार में भारी आधारभूत उद्योग धंधों का अभाव है|
2. बिहार में कृषि की प्रधानता है| क्यों? 
उत्तर:-
बिहार एक कृषि प्रधान है| यहाँ की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है| बिहार की कुल जनसंख्या का लगभग 75℅ भाग कृषि पर निर्भर करता है| इसकी तीन चौथाई भूमि कृषि क्षेत्र के अंतर्गत आती है| कृषि कार्य करने के लिए अनुकूल दशाएँ पायी जाती है| यहाँ पर मौसम के अनुसार फसलें बोई और काटी जाती है| इस आधार पर कृषि की फसलें चार प्रकार की है—- भदई, अगहनी, रबी और गरमा फसलें| कृषि के लिए गंगा का मैदान सबसे अधिक उपयुक्त है| जहाँ पर उपजाऊ मिट्टी, साधारण वर्षा और सिंचाई के साधन सुलभ हैं| कृषि कार्य करने के लिए यहाँ पर उपजाऊ भूमि बहुत पायी जाती है| इसलिए कृषि कार्य अधिक होता है|
3. बरौनी के पास रसायन उद्योग के विकास की संभावना अधिक है, क्यों? 
उत्तर:-
बरौनी के पास रसायन उद्योग के विकास की संभावना अधिक है, क्योंकि बरौनी के पास तापीय विद्युत केन्द्र स्थापित है| साथ ही रसायन उद्योग के विकास के लिए भौगोलिक दशाएँ भी अनुकूल है|
4. सीमेंट के कारखाने दक्षिण पश्चिमी बिहार में अधिक है| क्यों? 
उत्तर:-
सीमेंट के कारखाने दक्षिण पश्चिमी बिहार में अधिक है| इसका कारण है यह है कि इन क्षेत्रों में चूनापत्थर पर्याप्त मात्रा में मिलता है| साथ ही जिप्सम भी उपलब्ध है| इसके अतिरिक्त इन क्षेत्रों में लोहा और उर्वरक कारखानों के कचरे भी मिल जाती है| इन सभी के चलते दक्षिण पश्चिमी बिहार में सीमेंट के कारखाने अधिक है| उदाहरण के लिए, कल्याण पुर, बंजारी और जपला में सीमेंट के कारखाने है|
5. पूर्णिया के पूरब के चार जिलों में भेड़ बकरियाँ अधिक पायी जाती है| क्यों? 
उत्तर:-
पूर्णिया के पूरब के चार जिलों में भेड़ बकरियाँ अधिक पायी जाती है, क्योंकि इन चारों जिलों में भेड़ बकरियों का पालन अधिक होता है| ये इन चारों के प्रमुख पशुधन है| चारागाह भी यहाँ उपलब्ध है| इन चारों जिलों में भेड़ बकरियाँ पालने की दशाएँ भी अनुकूल पायी जाती है|

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