निर्माण उद्योग
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. किस योजना में भारत में लोहा इस्पात का विचार प्रस्तुत किया गया?
उत्तर:-
द्वितीय पंचवर्षीय योजनाकाल
2. 1855 ई० में भारतीय पूंजी से सबसे पहली सूती वस्त्र की मिल कहाँ स्थापित की गई थी?
उत्तर:-
मुम्बई
3. भारत का कौन राज्य जूट उत्पादन में अग्रणी है?
उत्तर:-
भारत का पश्चिम बंगाल
4. भारत का पहला इस्पात कारखाना किस नदी घाटी में स्थापित हुआ था?
उत्तर:-
भारत में पहला इस्पात कारखाना सबसे पहले 1830 ई० तमिलनाडु में पोर्टोनोवो नदी घाटी में स्थापित हुआ था|
5. टीटागढ़ का काग़ज़ कारखाना किस राज्य में अवस्थित है?
उत्तर:- पश्चिम बंगाल
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. गौण उत्पाद किसे कहते हैं|कोई एक उदाहरण दें|
उत्तर:-
प्राकृतिक उत्पादों में कुछ ऐसे उत्पाद है जिन्हें अधिकाधिक उपयोग में लाने के लिए संबोधित करने की आवश्यकता होती है| प्राथमिक उत्पादों को संबोधित करने से जो उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं उन्हें गौण उत्पाद कहते हैं| रूई से तैयार किया गया कपड़ा और लौह अयस्क से तैयार किया गया इस्पात गौण उत्पाद के उदाहरण दें|
2. निर्माण उद्योग से आप क्या समझते हैं? कोई दो उदाहरण दें|
उत्तर:-
अधिक से अधिक कच्चा माल जुटाकर इससे बहुमूल्य और अधिक उपयोगी वस्तुओं का अधिकाधिक उत्पादन करने की प्रक्रिया ही निर्माण उद्योग है, अपनी कार्यकुशलता और तकनीकी ज्ञान से जब मानव प्राथमिक उत्पादों को गौण उत्पादों में परिवर्तित करता है तो उसका यह प्रयास और क्रियाशील निर्माण उद्योग या सिर्फ निर्माण कहलाता है| उदाहरण के लिए, गन्ने के 10 टन रस से 1 टन चीनी ही बनती है, परन्तु इसका मूल्य रस के मूल्य से 10 गुना हो जाता है| इसी प्रकार कच्चे माल बहुत सस्ते होते हैं, परन्तु उनसे बना माल मूल्यवान हो जाता है| जंगल में पेड़ के पत्ते का कोई मूल्य नहीं, परन्तु उसी से पत्तल बनाकर बेचने पर आमदनी होने लगता है|
3. उद्योगों का विकास क्यों आवश्यक है?
उत्तर:-
उद्योगों के विकास से लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठता है| भारत में कृषि पर आधारित अनेक उद्योग स्थापित है| जैसे सूती वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, चाय, काफी, जूट उद्योग आदि| कुछ उद्योग कृषि के विकास में लगे हैं, जैसे उर्वरक उद्योग| उद्योगों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए उच्च कोटि की कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धा लाने की आवश्यकता है| जब तक औद्योगिक उत्पाद अंतराष्ट्रीय स्तर का नहीं होगा, तब तक अन्य देशों से हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं| विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए हमें ऐसा करना जरूरी है| विदेशी मुद्रा अर्जित कर राष्ट्रीय सम्पत्ति बढ़ा सकते हैं और देश को खुशहाल बना सकते हैं|
4. उद्योगों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर प्रस्तुत करें|
उत्तर:-
उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार है जो इस प्रकार है—–
(क) कच्चे माल के स्रोत के आधार पर—-
इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं—–
कृषि पर आधारित उद्योग, जैसे—– चीनी, खाद्य तेल, सूती कपड़े और जूट उद्योग
खनिज पर आधारित उद्योग, जैसे—- लोहा इस्पात, ऐल्यूमिनियम और तांबा उद्योग
जंतु पर आधारित उद्योग, जैसे—- ऊनी वस्त्र, चमड़ा, दुध व्यवसाय, पशुचारण उद्योग
वन पर आधारित उद्योग, जैसे—- कागज और लौह उद्योग
(ख) उत्पाद अर्थात् तैयार माल के परिभाषा और भार के आधार पर—–
इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं—–
भारी उद्योग, जैसे— लोहा इस्पात उद्योग
हल्का उद्योग, जैसे— साइकिल निर्माण उद्योग
(ग) उद्योगों के आकार के आधार पर—–
इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं—–
बड़े पैमाने का उद्योग, जैसे— मिलों में सूती कपड़े तैयार करना
मध्यम आकार के उद्योग, जैसे— छोटी चीनी मिल, चावल मिल (राइस मिल)
छोटे पैमाने का उद्योग, जैसे—- गुड़ और संडसारी उद्योग
(घ) स्वामित्व के आधार पर—–
इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं—-
निजी क्षेत्र का उद्योग, जैसे— जमशेदपुर का लोहा इस्पात कारखाना
सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग, जैसे— समुद्री जहाज़ का निर्माण
संयुक्त क्षेत्र का उद्योग, जैसे—- आयल इंडिया लिमिटेड और गुजरात लिमिटेड
सहकारी क्षेत्र का उद्योग, जैसे— दक्षिण भारत की अधिकतर चीनी उद्योग
(ड़) अन्य आधार उद्योगों की स्थिति या उनके विस्तार के आधार पर—–
इसके अंतर्गत विभिन्न आते हैं—–
ग्रामीण उद्योग, जैसे— गाँवों के छोटे उद्योग, आटा मिल, पंसारी दुकान, खादी उद्योग
कुटीर उद्योग, जैसे—- हैंडलूम, पावरलूम, खाबुन बनाना, कशीदाकारी
(च) क्रियाकलापों की विविधता के आधार पर–
इसके अंतर्गत विभिन्न उद्योग आते हैं—-
प्राथमिक उद्योग, जैसे— कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन, खनन, खाद्य पदार्थों का प्रसंस्करण इत्यादि
द्वितीयक उद्योग, जैसे— दो मुख्य रूप से विनिर्माण उद्योग है|
तृतीयक उद्योग, जैसे— परिवहन, वाणिज्य और व्यापार इत्यादि
चतुर्थक/पंचम उद्योग, जैसे—- ये वास्तविक रूप से उद्योग नहीं है, लेकिन उद्योगों की गुणवत्ता में सुधार के लिए ये उपयोगी होते हैं जैसे— शिक्षण, प्रशिक्षण और शोध कार्य के अन्तर्गत शामिल किए जाते हैं|
(छ) प्रमुख कार्यों के आधार पर—-
आधारभूत उद्योग, जैसे– लोहा इस्पात उद्योग
उपभोक्ता उद्योग, जैसे– चीनी और कागज उद्योग
5. कृषि आधारित दो प्रमुख उद्योगों के नाम लिखें| प्रत्येक के दो विकसित क्षेत्रों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
कृषि पर आधारित दो प्रमुख उद्योग जूट उद्योग एवं सूती वस्त्र उद्योग है| जूट उद्योग के दो विकसित क्षेत्र उत्तरी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में है| एवं सूती वस्त्र उद्योग के दो विकसित क्षेत्र मुम्बई और अहमदाबाद में है|
6. तीन मानवीय कारकों का उल्लेख करें जिनसे उद्योग स्थापन प्रभावित होता है|
उत्तर:-
उद्योग की स्थापना करने के लिए विभिन्न कारक उत्तरदायी है जिनमें मानवीय कारक या मानवीय संसाधन भी है| मानवीय संसाधन का अर्थ मजदूरों से लगाया जाता है| उद्योगों की स्थापना करने और उत्पादन कार्य करने के लिए कारीगरों और मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है| उद्योग उन्हीं स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं जहाँ पर योग्य और कुशल मजदूर उपलब्ध रहते हैं| साथ ही वे कम मजदूरी की दर पर काम करने के लिए तैयार रहते हैं| मजदूरों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता का होना आवश्यक है|
7. हल्का उद्योग और भारी उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
हल्का उद्योग—–
इन उद्योगों में भारी कच्चे माल का प्रयोग होता है जिससे विनिर्मित वस्तुएँ भी भारी होती है| जैसे— लोहा इस्पात उद्योग
भारी उद्योग—–
इस वर्ग के उद्योग में हल्के कच्चे माल का प्रयोग होता है जिससे हल्के कच्चा माल का निर्माण होता है| जैसे— इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सिलाई मशीन उद्योग
8. महाराष्ट्र और गुजरात के दो दो सूती वस्त्रोद्योग केंद्रों के नाम लिखें|
उत्तर:-
महाराष्ट्र—-
मुम्बई और पुणे
गुजरात—-
अहमदाबाद और वडोदरा
9. महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के पांच कारक कौन कौन है?
उत्तर:-
दोनों ही राज्यों में कच्चे माल के रूप में कपास की पर्याप्त उपलब्धता है, क्योंकि इन्हीं राज्यों में कपास की अच्छी खेती की जाती है|
दोनों ही राज्य तटवर्तीय भाग में पड़ते हैं, जहाँ बंदरगाह की सुविधा प्राप्त है, जिससे कपास और मशीनरी के आयात एवं निर्यात की सुविधा प्राप्त है|
समुद्र के निकट होने के कारण आर्द्रयुक्त वायु इस उद्योग के लिए मददगार है, इससे धागे नहीं टूटते और कपड़ा अच्छा तैयार होता है|
दोनों ही राज्यों में यातायात के साधन विकसित है जो माल ढोने में सहायक है|
यहाँ के तैयार वस्त्र की खपत देश विदेश के बाजारों में होती है|
10. किन चार राज्यों में सूती कपड़े की मिलें अधिक है? कुटीर और लघु उद्योग के रूप में सूती कपड़े कहाँ अधिक तैयार किए जाते हैं और क्यों?
उत्तर:-
महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में सूती कपड़े की मिलें अधिक है| कुटीर और लघु उद्योग के रूप में सूती कपड़े आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल में अधिक तैयार किए जाते हैं| क्योंकि इन राज्यों में शक्तिचालित करघों से कपड़ों को तैयार किया जाता है| हथकरघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों से आसानी के साथ अधिक से अधिक और गुणवत्ता वाले कपड़ों का निर्माण किया जा सकता है|
11. दक्षिण भारत में हाथ करघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक है| क्यों?
उत्तर:-
दक्षिण भारत जैसे—आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में हथकरघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक है| शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक होने के कारण यह है कि इन राज्यों में जलशक्ति की अनुकूल उपलब्धता है| जलशक्ति से बिजली पैदाकर शक्तिचालित करघों को चलाया जाता है जिसका उपयोग सूती वस्त्र उद्योग में किया जाता है| सूती वस्त्र उद्योग में शक्तिचालित करघों का उपयोग कर कम समय में अच्छी गुणवत्ता वाली कपड़ों का निर्माण किया जाता है| इसिलिए दक्षिण भारत में हथकरघों की अपेक्षा शक्तिचालित करघों की संख्या अधिक है|
12. सूती वस्त्र उद्योग की प्रमुख समस्याएँ क्या है?
उत्तर:-
पुरानी मिलों में पुरानी प्रोद्योगिकी का प्रयोग
उत्तम कपड़ों का उत्पादन बढाने में उदासीनता
कृत्रिम कपड़ों की माँग का बढ़ना
विद्युत आपूर्ति में बाधा
राजनीतिक माहौल का बिगड़ना, कारखाने में हड़ताल होना|
कर्मचारियों के समयानुकूल प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों की जानकारी देने की व्यवस्था न होने के कारण उत्पाद की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित होती है|
13. जूट मिलों में किस प्रकार के सामान तैयार किए जाते हैं? जूट उद्योग को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
उत्तर:-
जूट मिलों में चार प्रकार के सामान तैयार किए जाते हैं–
बोरे, टाट, मोटी दरी या फर्शपोश, रस्सियाँ
जूट उद्योग को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे इस प्रकार है—–
कृत्रिम रेशों से बनी रस्सियाँ, टाट तथा बोरे अनेक देश तैयार लगे हैं जिससे इनकी माँग में कमी आयी है|
अधिक मूल्य होने के कारण इनके बिक्री में कमी आयी है|
अच्छी किस्म के सस्ते जूटों का अभाव है|
इनमें रूपयों का कम मूल्य यानी रुपए का का अवमूल्यन होता है|
जूट मिलों का पुराना पड़ जाना भी इसकी समस्या है|
बांग्लादेश में नयी जूट मिलों का स्थापित होना भी इसकी प्रमुख समस्या है|
14. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के चार चार राज्यों के नाम लें, जो चीनी उद्योग में विकसित है| इस उद्योग की प्रमुख समस्याएँ क्या है?
उत्तर:-
चीन उद्योग में विकसित उत्तर और दक्षिण भारत के चार चार राज्य निम्न है—–
उत्तर भारत के राज्य—- उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा
दक्षिण भारत के राज्य—– महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु
चीनी उद्योग की वर्तमान समस्याएँ निम्नलिखित हैं—
गन्ने की खेती का कम होते जाना जिसके कारण कच्चा माल गन्ना कारखाने को नहीं मिल पाता है|
उच्च कोटि के गन्ने की खेती की कमी
उत्तर भारत की मिलें पुरानी है| उसमें पुराने तकनीक का ही प्रयोग किया जा रहा है|
विद्युत आपूर्ति आवश्यकता के अनुसार नहीं मिलता है|
गन्ने की खेती में समय अधिक लगता है| इसलिए किसान इसकी खेती करने को लाभप्रद नहीं मानते और नकदी फसल पैदा करने पर बल देते हैं|
15. लोहा इस्पात उद्योग के कच्चे माल क्या क्या है? छत्तीसगढ़ में यह उद्योग कहाँ स्थापित है? वहाँ इसके स्थानीयकरण के प्रमुख कारक कौन कौन है?
उत्तर:-
स्क्रैप धातु अर्थात टूटे फूटे और रद्दी स्टील और स्पंज लोहा इस्पात उद्योग के कच्चे माल है| छत्तीसगढ़ में यह उद्योग भिलाई में स्थापित है| भिलाई (छत्तीसगढ़) में लोहा इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं——-
छत्तीसगढ़ स्थित यह भिलाई नगरी, कोलकाता मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित है| अन्य लौह इस्पात केंद्रों की अपेक्षा मुम्बई से इसकी समीपता अधिक है|
ढाली रजहरा क्षेत्र स लौह अयस्क की प्राप्ति होती है| जो 100 किलोमीटर के अंदर है|
कोरबा की खानों से कोयले की प्राप्ति होती है| कोरबा में तापीय विद्युत भी उपलब्ध है जो 200 किलोमीटर पर है| झारखंड के कोयला क्षेत्र से भी रेलमार्ग द्वारा कोयला मांगने की सुविधा होती है| यह दूरी 750 किलोमीटर पड़ जाती है|
100 किलोमीटर के अंदर चूनापत्थर, डोलोमाइट और मैंगनीज की प्राप्ति होती है| नंदिनी की खानें चूनापत्थर आदि के लिए प्रसिद्ध है| मैंगनीज भंडारा से प्राप्त हो जाता है|
तंदुला नहर और जलाशय से जल की प्राप्ति होती है|
पठारी क्षेत्र होने के कारण कड़ी भूमि और सस्ते श्रमिक भी मिल जाते हैं|
16. झारखंड और पश्चिम बंगाल में लोहा इस्पात के कारखाने कहाँ कहाँ स्थापित है? किसी एक की सुविधाओं का उल्लेख करें|
उत्तर:-
झारखंड में जमशेदपुर और बोकारो में लोहा इस्पात का कारखाना स्थापित है| पश्चिमी बंगाल में कुल्टी बर्नपुर और दुर्गापुर में लोहा इस्पात के कारखाने स्थापित है|
जमशेदपुर के लोहा इस्पात कारखाने को प्राप्त सुविधाएँ—–
लौह अयस्क की आपूर्ति नोआमंडी, सुलेपत, गुरूमहिसानी और बदाम पहाड़ी से होती है|
कोयला की प्राप्ति झरिया और रानीगंज से होती है|
वीरमित्रापुर और पानपोश की खानों से चूनापत्थर और डोलोमाइट की प्राप्ति होती है|
स्वर्ण रेखा और खरकयी नदियों से जल की प्राप्ति की जाती है|
कोलकाता मुम्बई रेलमार्ग पर होने से यातायात सुविधा उपलब्ध है|
17. दक्षिण भारत में स्थापित किए गए लोहा इस्पात के नये कारखानों की सुविधाएँ क्या है? उनका महत्व बताएं|
उत्तर:-
यहाँ स्थानीय लौह अयस्क की प्राप्ति होती है|
यहाँ लिग्नाइट कोयले का भंडार मिलता है|
यहाँ सीमापवर्ती क्षेत्रों से चूनापत्थर, डोलोमाइट और मैंगनीज की प्राप्ति होती है|
यहाँ व्यापार की सुविधा मिलती है| विशेष रूप में विशाखापत्तनम से जो समुद्रतट पर अवस्थित है|
यहाँ तुंगभद्रा बांध से विजयनगर को जल और जलविद्युत शक्ति की प्राप्ति होती है| सलेय को भी जलविद्युत की सुविधाएँ प्राप्त है| विशाखापट्टनम को मध्यप्रदेश एवं आंध्रप्रदेश से कोयला आयात की सुविधा प्राप्त है| साथ ही लौह अयस्क मांगने की भी सुविधा यहाँ उपलब्ध है|
इस्पात उद्योग के पूर्ववर्ती केन्द्रों से दक्षिण क्षेत्र काफी दूर पड़ जाते हैं| इस्पात उत्पादन में क्षेत्रीय संतुलन कायम रखने तथा स्थानीय लघु इस्पात संयंत्रों की माँग पूरी करने में भी इन कारखानों का महत्वपूर्ण योगदान हो, यह दृष्टिकोण अपनाया जाता है|
महत्व—
ऊपर लिखित सुविधाओं के प्राप्त होने से ही दक्षिण भारत में इन सुविधाओं का बहुत अधिक महत्व है| इन सारी सुविधाओं के प्राप्त होने से दक्षिण भारत में लोहा इस्पात उद्योग का विकास बहुत तेजी से हो रहा है जो वहाँ के राज्यों की प्रगति का प्रतीक है| इन सुविधाओं का और अधिक महत्व इसिलिए भी है कि इन सुविधाओं के प्राप्त होने से यहाँ औद्योगिक विकास करने में बहुत सहायता मिली है|
18. लोहा इस्पात उद्योग दक्षिण भारत में ही क्यों स्थापित है?
उत्तर:-
ज्यादातर लोहा इस्पात उद्योग दक्षिण भारत में ही स्थापित किये गए हैं| क्योंकि दक्षिण भारत में वे सभी सुविधाएँ उपलब्ध है जो लोहा इस्पात उद्योग को चाहिए| दक्षिण भारत में लौह अयस्क, मैंगनीज, कोकिंग कोयला और गालक खनिज जैसे चूनापत्थर और डोलोमाइट जो लोहा गलाने में काम आते हैं, प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है| यहाँ ऊष्मासह या दुर्लगनीय ईंटों को बनाने के लिए सामग्री प्राप्त होती है, जो धमन भट्ठी के निर्माण में काम आता है| यहाँ बहुत सारी भौगोलिक सुविधाएँ पायी जाती है| जो लोहा इस्पात उद्योग के लिए बहुत अनुकूल होते हैं|अत: कहा जा सकता है कि दक्षिण भारत में लोहा इस्पात उद्योगों की बहुत अधिक भरमार है|
19. भारत में जलयान निर्माण तथा रेलवे उपकरण निर्माण उद्योगों का वितरण बताएं|
उत्तर:-
भारत में जलयान निर्माण———
भारत में जलयान का निर्माण कोच्चि (कोचीन), विशाखापट्टनम, कोलकाता, मुम्बई और मार्मगाओ में किया जाता है|
भारत में रेलवे उपकरण निर्माण उद्योग——
भारत में रेलवे उपकरण का निर्माण वाराणसी, चितरंजन, जमशेदपुर, चेन्नई के निकट पेराम्बूर, पंजाब के कपूरथला तथा बंगलुरु में किया जाता है|
20. औद्योगिक प्रदूषण से आप क्या खतरा हो रहा है? इसके निराकरण के लिए सुझाव दें|
उत्तर:-
औद्योगिक गतिविधियों का सबसे खराब प्रभाव पर्यावरण पर पड़ा है| उद्योगों विशेषकर रासायनिक उद्योगों, सीमेंट, इस्पात, उर्वरक, चमड़ा उद्योग आदि से बड़ी मात्रा में विषैले गैस निकलकर वायु को प्रदूषित करते हैं| इसी प्रकार कारखाने से निकलने वाले कचड़े को जलाशय में प्रवाहित करने से जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है|
औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं——
कोयला और खनिज तेल के स्थान पर पनबिजली का उपयोग बढ़ाया जाए|
कारखाने के कचड़े को पहले उपचारित कर लिया जाए फिर विसर्जित किया जाए|
कारखाने से निकले प्रदूषित जल को रासायनिक प्रक्रिया से उसे साफ करने के बाद ही जलाशय में गिराना चाहिए|
21. आधारभूत उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
बड़े पैमाने के मूलभूत उद्योगों को आधारभूत उद्योग कहा जाता है| हमारे देश में कयी प्रमुख आधारभूत उद्योग है जिनकी स्थापना करने और प्रबंध और संचालन करने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता पड़ती है| साथ ही बड़े पैमाने के साधनों की भी आवश्यकता पड़ती है| भारत में कयी प्रमुख आधारभूत उद्योग है, जैसे— सूती वस्त्र उद्योग, लोहा इस्पात उद्योग, जूट उद्योग, सीमेंट उद्योग तथा चीनी उद्योग ये देश के आधारभूत उद्योग माने जाते हैं जो बड़े पैमाने पर गठित है|
22. सीमेंट निर्माण के लिए किन कच्चे मालों की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:-
सीमेंट निर्माण के लिए चूनापत्थर, चिकनी मिट्टी जिप्सम और कोयला की जरूरत पड़ती है| इनमें चूनापत्थर और कोयले का विशेष महत्व है|
23. लोहा के लघु कारखाने किस प्रकार महत्वपूर्ण है?
उत्तर:-
लोहा इस्पात उद्योग के लघु कारखाने बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये स्क्रैप धातु यानी टूटे फूटे रद्दी स्टील और स्पंज लोहे का कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हैं| इन कारखानों में लोहे के संबंधित छोटे छोटे औजारों और वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है| अभी हमारे देश में लोहा इस्पात तैयार करने के 200 से अधिक लघु कारखाने स्थापित है जिनकी उत्पादन क्षमता लगभग 84 लाख टन है| इन लघु कारखानों का महत्व लोहा इस्पात उद्योग के विकास के लिए अधिक है|
24. उद्योग धंधे किस प्रकार प्रदूषण बढ़ाते हैं?
उत्तर:-
अपने लाभ को बढाने के उद्देश्य से कारखाने दिन रात चलते रहते हैं और हवा में धूल, धूम, धुआँ और गंध छोड़ते रहते हैं जिससे वायु में प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण का प्रदूषण होता है|
कारखाने हवा को ही नहीं बल्कि जल को भी बुरी तरह से प्रदूषित कर देते हैं| वे दिन रात अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ तथा धातु युक्त कड़ा करकट पानी में मिलाते रहते हैं| जब यह पानी नदी में जा मिलता है तो जल का प्रदूषण होता है|
कारखानों से निकलने वाले विषैले द्रव्य पदार्थ और धातु युक्त कूड़ा कचरा भूमि और मिट्टी को भी प्रदूषित किए बिना नहीं छोड़ता है| जब ऐसा विषैला पानी किसी भी स्थान पर बहुत समय तक पड़ा रहता है तो वह वहाँ सड़ने लगता है और अपने साथ वह भूमि को भी प्रदूषित करता है|
जब कारखानों का विषैला जल एक स्थान पर पड़ा रहता है तो उसमें से कुछ भाग रिस रिसकर भूमि के अंदर चला जाता है| इस प्रकार धरातल के नीचे का जल भी प्रदूषित हो जाता है|
यांत्रिक द्वारा मिलें और खराद मिलें दिन रात अपनी असहनीय आवाज से ध्वनि प्रदूषण फैलाती रहती है और लोगों को परेशान करती रहती है|
25. तीन प्राकृतिक कारकों का उल्लेख करें जिनसे उद्योगों का स्थिति निर्धारण प्रभावित होता है|
उत्तर:-
कच्चे माल की प्राप्ति
शक्ति के साधन
यातायात के साधन
किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए कुछ आधारभूत साधनों की आवश्यकता होती है| जैसे लौह उद्योग स्थापित करने के लिए कच्चा माल के रूप में लौह अयस्क भरपूर मात्रा में उद्योग स्थापित करने के स्थान के निकट उपलब्ध होना चाहिए क्योंकि यह भारी होता है, दूर से लाने में खर्च अधिक होगा| इसी प्रकार शक्ति के साधन के रूप कोयला भी निकट से ही प्राप्त होना चाहिए| साथ ही कच्चे माल और शक्ति के साधन को कारखाने तक लाने और तैयार माल को बाजार केन्द्र तक ले जाने के लिए यातायात के साधन का विकसित होना आवश्यक है|
26. भारत में कागज उद्योग के लिए उपलब्ध कच्चे माल क्या क्या है? यह उद्योग किन राज्यों में अधिक विकसित है?
उत्तर:-
भारत में कागज उद्योग के लिए उपलब्ध कच्चे मालों में बांस, साबै घास और गन्ने की खोई, रद्दी कागज और फटे पुराने कपड़े इत्यादि प्रमुख है| अखबारी कागज के लिए विदेशों से आयातित लुगदी का भी व्यवहार किया जाता है| पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक कागज उद्योग में अधिक विकसित है|
27. भारत में औद्योगिक विकास की तीन समस्याओं का उल्लेख करें|
उत्तर:-
भारत में औद्योगिक विकास सामान्य ढंग से न होने जैसे पश्चिमी और पूर्वी तट पर इस्पात कारखाने का अभाव, असम, उड़ीसा में सूती वस्त्र उद्योग की कमी|
कयी उद्योगों में आधुनिक प्रकार के यंत्र नहीं है, जिससे क्षमता भर उत्पादन नहीं हो पाता है|
औद्योगिक केंद्रों को पर्याप्त सस्ती बिजली की आवश्यकता होती है, पर बिजली की आपूर्ति कम होती है|
यातायात के साधनों का सघन जाल बिछाना होगा, बहुत सारे क्षेत्र अब भी रेलमार्ग से वंचित है|
औद्योगिक क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल बिगड़ रहा है| आए दिन हड़ताल और तालाबंदी की नौबत रहती है इससे उत्पादन प्रभावित होता है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारत में लोहा इस्पात उद्योग के विकास का सकारण विवरण दें|
उत्तर:-
लोहा इस्पात उद्योग खनिज पर आधारित उद्योगों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण उद्योग है| जिसपर आधुनिक युग के छोटे बड़े सभी उद्योग आश्रित है| भारत में लौह इस्पात उद्योग का इतिहास अत्यंत प्राचीन है| दिल्ली स्थित जंगरहित लौह स्तंभ भारत में प्राचीन काल से ही निर्मित होने वाले उत्तम किस्म के इस्पात का एक सुंदर उदाहरण है| आधुनिक लोहा और इस्पात कारखानों की स्थापना सन् 1779 ई० में तमिलनाडु के दक्षिण में अर्काट जिले में की गयी थी| सभी मसालों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं होने के कारण यह कारखाना असफल रहा| पुनः 1874 में पश्चिम बंगाल में कुल्टी नामक स्थान पर बराकर लौह कंपनी स्थापित हुई जिसे ब्रिटिश सरकार ने सन् 1882 में अपने नियंत्रण में ले लिया 1918 ई० में हीरापुर में एक इस्पात कारखाने की स्थापना की गई| 1936 ई० में इसे कुल्टी कारखाने में मिलाकर 1952 इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी का नाम दिया गया| स्वतंत्रता के पूर्व श्री जमशेद जी टाटा के द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रयास के तहत 1907 में साकची नामक स्थान पर एक इस्पात कारखाने की स्थापना की गई जो अभी टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के रूप में देश के निजी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण कारखाना है| स्वतंत्रता के बाद भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत 6 नवीन कारखानों की स्थापना की गयी है| ये है—– राउरकेला (उड़ीसा), भिलाई (मध्य प्रदेश), विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश), बोकारो, दुर्गा पुर, सलेम| उड़ीसा के पाराद्वीप और कर्नाटक के विजयनगर में अन्य कारखानों का निर्माण हो रहा है| नवीन औद्योगिक नीति के तहत निजी क्षेत्र में इस उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है| भारत में लोहा इस्पात उद्योग का विकास बहुत तेजी गति से हो रहा है| इसका प्रमुख कारण यह है कि यहाँ उच्च कोटि का हेमाटाइट और मैग्नेटाईट लौह अयस्क मिलता है, जिसमें 50%-70℅ तक लौहांश पाया जाता है| झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में इसका बहुल्य है| कोयले की प्राप्ति रानीगंज, झूरिया, गिरिडीह और बोकारो कोयला क्षेत्रों से की जाती है| गालक के रूप में प्रयुक्त होनेवाले खनिजों की भी यहाँ कमी नहीं है| उड़ीसा के सुंदरगढ़, झारखंड के रांची, छत्तीसगढ़ के दुर्ग और मध्य प्रदेश के सतना तथा कर्नाटक के शियोगा जिलों में चूनापत्थर के भंडार मिलते हैं| डोलोमाइट, मैंगनीज और ऊष्मा सह पदार्थ लौह अयस्क तथा कोयला क्षेत्रों के निकट सुलभ हैं| यही कारण है कि इन सारी आवश्यक सुविधाओं से लबरेज होने के कारण भारत में लोहा इस्पात उद्योग का विकास बहुत ही तेजी के साथ हो रहा है| आवश्यकता इस बात की है कि इस विकास की गति को लंबे समय तक बनाए रखना आवश्यक है| जिससे यहाँ इस उद्योग के विकास की गति और तेजी हो सके| जिसके फलस्वरूप जहाँ के लोगों (मजदूरों) को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे और देश का आर्थिक विकास भी चरम सीमा पर होगा|
2. भारत में सूती कपड़े या चीनी उद्योग का विकास किन क्षेत्रों में और किन कारणों से हुआ है? विस्तृत विवरण दे ं|
उत्तर:-
भारत सूती वस्त्र का निर्माता प्राचीन काल से हो रहा है| मुगलकालीन भारत में ढांका का मलमल विश्व विख्यात था| परंतु इंगलैंड के औद्योगिक क्रांति ने इसे बर्बाद कर दिया| आज फिर सूती वस्त्र उद्योग देश का बड़ा उद्योग बन गया है| औद्योगिक उत्पादन में इसका 20% योगदान है| इस उद्योग में लगभग डेढ़ करोड़ लोग लगे हैं| भारत में कुल निर्वात में इसका योगदान 25% है| सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना सबसे अधिक महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में हुआ है| महाराष्ट्र में 122 कारखाने स्थापित है| केवल मुम्बई महानगर में 62 कारखाने स्थापित है| गुजरात दूसरा बड़ा वस्त्र उत्पादक राज्य है| यहाँ 120 कारखाना स्थापित है जिनमें 72 कारखाने अहमदाबाद में स्थापित है| महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण है कपास की पर्याप्त उपलब्ध, कपास एवं मशीनरी के आयात निर्यात की सुविधा मुम्बई और कांडला बंदरगाह से प्राप्त है| कुशल कारीगर की उपलब्धता है| इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में भी सूती वस्त्र उद्योग का अच्छा विकास हुआ है| इन जगहों पर सस्ते श्रमिक, परिवहन के साधन जल विद्युत की सुविधा उपलब्ध होने के कारण विकास में मदद मिला है| चीनी उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग है| इसका कच्चा माल गन्ना है| चीनी उद्योग की गन्ना उत्पादक क्षेत्र में ही स्थापित करना उपयुक्त होता है| इसिलिए चीनी मिलें गन्ना उत्पादक राज्यों में मुख्य रूप से स्थापित की गयी है| उत्तर भारत में प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा राज्यों में चीनी की मिलें स्थापित की गयी है| उत्तर प्रदेश में चीनी की लगभग 100 मिलें हैं| यहाँ इसके लिए निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध है—–
गन्ने की अच्छी खेती,
परिवहन की अच्छी व्यवस्था
सस्ते श्रमिक और घरेलू बाजार
1960 तक यह देश का प्रथम उत्पादक राज्य था| परंतु अब उत्पादन घट कर एक चौथाई पर आ गया है| बिहार राज्य में चीनी की बीसों मिलें स्थापित है, परंतु उत्पादन कम है| उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा राज्य में भी एक दर्जन से अधिक चीनी की मिलें स्थापित है| दक्षिण भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में चीनी की मिलें स्थापित है| महाराष्ट्र में चीनी मिलों के लिए निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त है—–
गन्ने की प्रति हक्टेयर उपज अधिक, रस का अधिक मीठा होना और रस अधिक निकलना|
उपयुक्त जलवायु
यहाँ चीनी की मिलें स्वयं गन्ने की खेती करती है|
समुद्र तट के कारण निर्यात की सुविधा
चीनी उत्पादन में आज महाराष्ट्र देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है|
3. उद्योगों की स्थापना के प्रमुख कारकों का वर्णन करें| भारत में औद्योगिक विकास की समस्याओं का उल्लेख करें|
उत्तर:-
उद्योगों की स्थापना के कयी कारक होते हैं| जैसे— कच्चे माल की प्राप्ति, जलवायु, राजनीतिक स्थिरता ऐतिहासिक स्थिति, पूंजी, शक्ति आपूर्ति, यातायात की सुविधा, राष्ट्रीय नीति संरक्षण, बाजार, श्रमिक या मानव संसाधन आदि| कृषि प्रधान भारतवर्ष में औद्योगिक विकास भी तेजी से हो रहा है| औद्योगिक विकास से कयी समस्याएँ दूर हो सकता है| किन्तु विकास के राह में अनेकों समस्याएँ सामने आती है जिनमें कुछ समस्याएँ निम्नलिखित हैं—
कयी ऐसे उद्योग है जिनमें आधुनिक संयंत्र नहीं है जिससे उत्पादन कम होता है| जैसे— उत्तर भारत की चीनी मिलें और पश्चिम बंगाल की जूट मिलों में
कुछ उद्योगों के गौण उत्पादों का समुचित उपयोग होना चाहिए| जैसे रबर की बढ़ती मांग को देखकर खनिज तेल के अवांछनीय पदार्थों से रासायनिक रबर तैयार किया जा सकता है|
कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक संपदा का उपयोग उद्योगों के विकास में नहीं हो पा रहा है| जैसे उत्तरी पूर्वी राज्यों में कागज बनाने की संपदा उपलब्ध है जिसका उपयोग न कर कागज का आयात किया जा सकता है|
कुटीर उद्योग और लघु उद्योग का पुनर्गठन आधुनिक ढंग से नहीं किया जा रहा है|
यातायात के साधनों का विकास होना चाहिए| अभी भी बहुत सारे क्षेत्र रेल साधनों से वंचित है|
औद्योगिक केन्द्रों को भरपूर बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए| ब्रेकडाउन पर नियंत्रण करना चाहिए|
औद्योगिक क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल बिगड़ता जा रहा है जिससे श्रमिकों की समस्या उत्पन्न हो रही है| इसपर नियंत्रण की आवश्यकता है|
4. इनमें से किन्हीं दो उद्योगों का भौगोलिक वितरण प्रस्तुत करें—– सीमेंट, परिवहन, पेट्रो रसायन, रेशमी वस्त्र
उत्तर:-
भारत में विभिन्न उद्योग धंधों को स्थापित करके उसे चलाया जाता है जिनमें सीमेंट उद्योग, परिवहन उद्योग, पेट्रोरसायन उद्योग तथा रेशमी वस्त्र उद्योग का भी महत्वपूर्ण स्थान है| इन उद्योग धंधों से बहुत से लोगों को रोजगार प्राप्त होता है और देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है| इन सभी प्रस्तुत उद्योगों का भौगोलिक वितरण के संबंध में पूर्ण जानकारी की की बातें अपेक्षित है|
5. उद्योगों से होनेवाले प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
उत्तर:-
जब से भारत में औद्योगीकरण की शुरुआत हुई है, तब से भारत में उद्योगों का विकास बहुत तेजी से हुआ है| उद्योगों के विकास होने से यहाँ आर्थिक विकास हुआ है और लोगों को रोजगार के भी अवसर अधिक मात्रा में उपलब्ध हुए हैं| लेकिन उद्योगों के विकास होने से एक ओर अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं तो दूसरी ओर इसके बुरे परिणाम भी हमें झेलने पड़ रहे हैं| उद्योगों के विकास होने से प्रदूषण को बढ़ावा मिला है| जो मानव और जीव जंतुओं के लिए हानिकारक है| लेकिन विगत वर्षों में सरकार द्वारा उचित कदम उठाए गए हैं| उद्योगों से होनेवाले प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उठाए गए हैं——
कारखानों में ऊंची चिमनियां लगायी जाएं, चिमनियों में इलेक्ट्रोस्टैटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण तथा गैसीय प्रदूषक पदार्थों को पृथक करने के लिए उपकरण लगाएं जाएं|
तापीय विद्युत की जगह जलविद्युत का उपयोग कर वायु प्रदूषण में कमी लायी जा सकती है|
नदियों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन कर लिया जाए| औद्योगिक कचरों से मिले जल की भौतिक, जैविक तथा रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा शोधन कर पुनः चक्रण द्वारा पुनः प्रयोग योग्य बनाया जाए|
मशीनों, उपकरणों तथा जेनेरेटरों में साइलेंसर लगाकर ध्वनि प्रदूषण रोका जाए| कारखानों में कार्यरत श्रमिकों को कानों पर शोर नियंत्रण उपकरण पहनने के लिए प्रेरित किया जाए|
भूमि पर औद्योगिक कचरों को बहुत दिनों तक जमा होने से रोका जाए| अत: स्पष्ट है कि कल कारखाने वाले उद्योगों के बढने से पर्यावरण प्रदूषण बढता है| प्राकृतिक पर्यावरण की गुणवत्ता घटने लगती है| इसिलिए इसे रोकने के लिए समुचित कदम उठाए जाने चाहिए|
कारण बताएं——
1. जूट की अधिकतर मिलें हुगली तट पर अवस्थित है| क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि,
जूट उत्पन्न करने वाले क्षेत्र मिलों के निकट ही स्थित है|
जूट को साफ करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है|
यहाँ सस्ते जल परिवहन की सुविधा उपलब्ध है|
यहाँ बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं|
यहाँ बैंक, बीमे आदि की सुविधाएँ प्राप्त है|
यहाँ के पतनों से जूट के सामान का सरलता से निर्यात किया जा सकता है|
2. चीनी मिलें दक्षिण भारत में बढ़ती जा रही है|क्यों?
उत्तर:-
भारत के दक्षिणी राज्यों में गन्ने का प्रति एकड़ उत्पादन अधिक है| इससे चीनी मिलों को अधिक कच्चा माल मिल जाता है|
दक्षिणी राज्यों में उत्पादित गन्ने में मिठास के तत्व उत्तरी भारत के गन्ने से अधिक पाये जाते हैं, जिससे चीनी का उत्पादन अधिक हो जाता है|
दक्षिणी राज्यों की जलवायु अपेक्षाकृत रूक्ष है| अतः गन्ने की पिटाई एक लंबे समय तक हो सकती है| गन्ने की पिराई अक्टूबर में आरंभ होती है तथा मई जून तक चलती रहती है|
दक्षिणी राज्यों में गन्ने की पिराई के लिए नवीनतम मशीन तथा तकनीक का प्रयोग होता है|
3. भारत में चीनी की अधिकतर मिलें उत्तर प्रदेश में स्थापित है| क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि,
यहाँ गन्ने की अच्छी खेती की जाती है| खासकर गंगा यमुना दोआब और तराई क्षेत्र में
यहाँ परिवहन की सुविधा है|
यहाँ जनसंख्या घनी है| इसिलिए यहाँ सस्ते श्रमिक और घरेलू बाजार उपलब्ध है|
4. लोहा इस्पात के कारखाने प्रायः कोयला क्षेत्रों में निकट स्थापित किए जाते हैं|
उत्तर:-
कोयला लोहा एवं इस्पात उद्योग का कच्चा माल है जो भारी और अधिक परिमाण वाला होती है| इसे एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जाना महंगा और कठिन भी है, अतः ये उद्योग वहीं स्थापित किए जाते हैं जहाँ आसपास कोयला क्षेत्र पाया जाता है|
5. मुम्बई और बडोदरा के निकट पेट्रोरसायन उद्योग केंद्रित है| क्यों?
उत्तर:-
मुम्बई और बड़ोदरा के निकट पेट्रोरसायन उद्योग केंद्रित है, क्योंकि इन क्षेत्रों में तेलशोधक संयंत्र या पेट्रोकेमिकल्स संयंत्र स्थापित है| जिससे पृथ्वी के भूगर्भ से निकालने गए अशुद्ध कार्बनिक रसायन आसानी से शुद्ध किए जा सकते हैं| इसलिए मुम्बई और बड़ोदरा के निकट पेट्रोरसायन उद्योग स्थापित है|
6. सूती वस्त्र उद्योग का विकास गुजरात और महाराष्ट्र में अधिक हुआ है| क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि,
दोनों ही राज्यों में कच्चे माल के रूप में कपास की पर्याप्त उपलब्धता है, क्योंकि इन्हीं राज्यों में कपास की अच्छी खेती की जाती है|
दोनों ही राज्य तटवर्तीय भाग में पड़ते हैं, जहाँ बंदरगाह की सुविधा प्राप्त है, जिससे कपास और मशीनरी के आयात एवं निर्यात की सुविधा प्राप्त है|
समुद्र के निकट होने के कारण आर्द्रयुक्त वायु इस उद्योग के लिए मददगार है, इससे धागे नहीं टूटते और कपड़ा अच्छा तैयार होता है|
दोनों ही राज्यों में यातायात के साधन विकसित है जो माल ढोने में सहायक है|
यहाँ के तैयार वस्त्र की खपत देश विदेश के बाजारों में होती है|
7. भारत के उत्तरी भाग में भारी उद्योगों का अभाव है| क्यों?
उत्तर:-
चूंकि भारी उद्योगों यानी लोहा इस्पात उद्योग को लौह अयस्क, कोयला, पर्याप्त जल, यातायात की उत्तम व्यवस्था, सस्ते श्रमिक, पूंजी, अनुसंधान इत्यादि नयी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है| चूंकि भारत के उत्तरी भागों में इन चीनों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध नहीं है| इसिलिए भारत के उत्तरी भाग में भारी उद्योगों का अभाव पाया जाता है|
8. भारत में इस्पात के कारखाने सबसे पहले बर्नपुर और जमशेदपुर (टाटा) में लगाए गए| क्यों?
उत्तर:-
भारत में इस्पात के कारखाने सबसे पहले बर्नपुर और जमशेदपुर (टाटा) में लगाए गए, क्योंकि इस्पात उद्योग की जिन आवश्यक चीजों जैसे—- कोयला, लौह अयस्क, सस्ते श्रमिक, चूना पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज “यातायात की सुविधा” विस्तृत बाजार इत्यादि की आवश्यकता पड़ती है| इन क्षेत्रों में आसानी के साथ और पर्याप्त मात्रा में ये उपलब्ध है| यही कारण है कि भारत में इस्पात के कारखाने सबसे पहले बर्नपुर और जमशेदपुर में लगाए गए|
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