Bharti Bhawan Geography Class-10:Chapter-4:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भूगोल:कक्षा-10:अध्याय-4:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न




                  वन और वन्य प्राणी संसाधन





अति लघु उत्तरीय प्रश्न






1. भारत में सर्वप्रथम किस वर्ष वन नीति बनायी गयी थी? 
उत्तर:- 1894 ई० में
2. पर्यावरण की दृष्टि से लगभग कितना प्रतिशत भू भाग वनाच्छादित रहना चाहिए? 
उत्तर:- 33.3℅
3. बाघों को बचाने के लिए लागू की गयी परियोजना का नाम क्या है? 
उत्तर:- बाघ परियोजना
4. भारत के किस राज्य में सर्वाधिक वन क्षेत्र है? 
उत्तर:- भारत का मध्य प्रदेश 11.22℅ के साथ प्रथम स्थान पर है| यानी यहाँ सर्वाधिक वन क्षेत्र पाया जाता है|
5. राजस्थान और पंजाब प्रदेशों में किस प्रकार के वन पाये जाते हैं? 
उत्तर:- राजस्थान और पंजाब प्रदेशों में कंटीले वन मिलते हैं क्योंकि इन प्रदेशों में 70 सेमी से भी कम वर्षा होती है|
6. नंदादेवी किस राज्य में स्थित है? 
उत्तर:- उत्तरांचल
लघु उत्तरीय प्रश्न






1. डेल्टाई वनों में मुख्य रूप से कौन कौन पेड़ उगते है? वे पेड़ किस प्रकार उपयोगी है? 
उत्तर:- डेल्टाई वनों में मुख्य रूप से गरोन, केवड़ा, मैंग्रोव, सुंदरी, हिरिटिरा, बुगुरिया पेड़ उगते है|

डेल्टाई वनों की उपयोगिता——
इनकी लकड़ियाँ छोटी नाव बनाने एवं जलावन के काम में आती है| इन वनों में नारियल और ताड़ के पेड़ों की मात्रा बहुतायत है| इन पेड़ों की लकड़ियों से अनेक प्रकार के फर्नीचर बनाए जाते हैं| इन वनों से अनेक प्रकार के औषधियों की प्राप्ति होती है जिनका उपयोग दवाइयों को बनाने में किया जाता है| साथ ही इन वनों से अनेक प्रकार के फल फूल इत्यादि की प्राप्ति होती है जिसका उपयोग मनुष्य और जीव जंतुएं अपने भोजन बनाने में करते हैं|
2. दक्षिण भारत के तीन राज्यों के नाम लिखें जहाँ वनों का वितरण कम है|
उत्तर:- दक्षिण भारत के तीन राज्य कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश और मध्य प्रदेश में वनों का वितरण कम है| क्योंकि यहाँ वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है| 
3. वन संरक्षण के कोई तीन कारगर उपाय बताएं|
उत्तर:- वन नीति के अनुरूप वन क्षेत्रफल का विस्तार करने तथा कयी अन्य कारणों से वन संरक्षण अनिवार्य है|वन संरक्षण हेतु कारगर उपाय ये है—-
जिन क्षेत्रों से निकट या अतीत में वृक्ष काट डाले गए हैं, वहाँ पुनः वृक्षारोपण किया जाए| वृक्षारोपण से न केवल वन संपदा की वृद्धि होगी, बल्कि मिट्टी का कटाव कम होगा, अपवाह घटेगा और भूमिजल की वृद्धि होगी|
वनों से केवल परिपक्व वृक्ष ही कट जाएं, अर्थात जिन वृक्षों का विकास अब और अधिक न होने वाला है उन्हें ही काटकर निकाला जाए| इससे विकासशील वृक्षों को बढ़ने की सुअवसर मिलेगा|
वन क्षेत्र का विस्तार किया जाए अर्थात नये वन लगाये जायें|
4. भारतीय वन्य प्राणियों के विविध प्रकारों का उल्लेख सोदाहरण करें|
उत्तर:-
भारत में अनेक प्रकार के वन्य प्राणी या जीव जंतु पाये जाते हैं| उन्हें निम्नलिखित वनों में बांटा गया है—-
मांसाहारी प्राणी—-
सिंह, बाघ, तेंदुआ, वनबिलार, भेड़िया, भालू इत्यादि|
शाकाहारी प्राणी—–
हाथी, गेंडा, हिरण, बारहसिंगा, सूअर, नीलगाय, जंगली बकरी इत्यादि|
कुतरने वाले प्राणी—–
गिलहरी, बानर, लंगूर, चूहा, खरगोश इत्यादि|
जल थलचर प्राणी—–
मगरमच्छ (घड़ियाल), कछुआ मेढक इत्यादि|
सरकने वाले या सरीसृप प्राणी—–
सांप इत्यादि
5. अभ्यारण्य क्या है? किन्हीं दो अभ्यारण्यों  के नाम लिखें और उनकी स्थिति बताएं|
उत्तर:-
वन्य प्राणियों को संरक्षित रखने के लिए, उन्हें भविष्य में लुप्त होने से बचाने के लिए सरकारी स्तर पर कयी प्रकार के प्रयास किए गए हैं| उन्हीं में एक, वन्य जीव अभ्यारण्य स्थापित किया जाता है| जिसमें सक्षम पदाधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी पक्षी या पशु को मारना, शिकार करना या पकड़ना वर्जित होता है| भारतवर्ष में कुल 513 अभ्यारण्य स्थापित है| जिसमें असम राज्य का काजीरंगा और अरूणाचल प्रदेश राज्य में नामदाफा महत्वपूर्ण माना जाता है|
6. वन्य पशु किस प्रकार लाभकारी है? 
उत्तर:-
वन्य पशुओं से समाज को अनेक लाभ है| ये न केवल देखने में सुन्दर है और मनोरंजन के साधन है या शिकार के उपयुक्त है, बल्कि कृषि के लिए भी लाभकारी है, छोटे जानवर जो फसलों को नुकसान पहुंचाते है| मांसाहारी वन्य पशु उसे खाकर फसलों को नुकसान होने से बचाते है| वन्य पशुओं से कीमती पदार्थों की भी प्राप्ति होती है| जो किसी देश की प्रगति के लिए लाभकारी होता है| वन्य पशु जैसे हाथी, बंदर का उपयोग सर्कस में किया जाता है जो मनोरंजन के साधन है| हाथी के दांत से अनेक प्रकार के कीमती चीजों का निर्माण किया जाता है| वन्य पशु पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाये रखने में सहायक होते हैं, अत: वन्य पशुओं से बहुत अधिक लाभ है|
7. वन महोत्सव और बाघ परियोजना क्या है? 
उत्तर:-

वन महोत्सव—-
वन संरक्षण और वन विकास की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है| इसमें प्रतिवर्ष नये वन लगाए जाते हैं| 1952 ई० से प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव मनाया जाता है| गोष्ठियाँ होती है| इसमें वन के महत्व पर चर्चा की जाती है| विचार विमर्श किया जाता है और आगे की योजना बनायी जाती है|


बाघ परियोजना—–
बाघ जैसे महत्वपूर्ण वनजीव की सुरक्षा एवं वृद्धि के लिए बनायी गयी योजना है| इसके अंतर्गत 27 बाघ अभ्यारण्य है जैसे उत्तराखण्ड में कार्बेट, झारखंड में बेतला, मध्यप्रदेश में कान्हा, उड़ीसा में नंदकानन अभ्यारण्य बनाये गए हैं| जिसका परिणाम यह हुआ है कि दिनों दिन बाघों की संख्या में वृद्धि होने लगी है| इसका अच्छा परिणाम मिलने लगा है| 
8. इन पर टिप्पणी लिखें—–
संरक्षित वन—-
संरक्षित वन में इस बात पर विशेष जोर दिया जाता है कि उन जीव और जंतुओं को अधिक से अधिक आश्रम प्रदान किया जाए जिनकी संख्या दिन प्रतिदिन समाप्त होती जा रही है| इन जीव जंतुओं की देखभाल के लिए और इनके शिकार पर रोकथाम के लिए वन द्वारा अनेक कर्मचारी रखे गए हैं| हमारी कुल भूमि के 29.2 प्रतिशत भाग पर संरक्षित वन पाए जाते हैं|
राष्ट्रीय प्राणी उद्यान—–
राष्ट्रीय प्राणी उद्यान वह क्षेत्र है जो राष्ट्र के प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक गौरव को सुरक्षित रखने के लिए स्थायी नियमों द्वारा समर्पित किया गया है तथा उस क्षेत्र के वन्य जीवन को सुरक्षित रखते हुए इस प्रकार से मनोरंजन उपलब्ध करें कि उसमें भावी पीढ़ियों के लिए किसी प्रकार की कटौती न हो, भले ही स्थानीय कारणों से उसमें परिवर्तन होता रहे| भारत के राष्ट्रीय प्राणी उद्यानों की संख्या 99 है जिसमें 85 प्रमुख है|
वन संरक्षण के उपाय—-
वन संरक्षण के निम्नलिखित उपाय इस प्रकार है–
वृक्षारोपण करना, परिपक्व वृक्षों को ही काटना, काटे गए वन क्षेत्र पर वृक्षारोपण करना, वन संरक्षण का सख्ती से पालन करवाना, वन अग्नि को रोकने की उचित व्यवस्था करना, वन संरक्षण हेतु जनजागृति फैलाना
मानव के लिए वनों का महत्व—-
वनों से हमें निम्नलिखित लाभ मिलते हैं—-
वन स्थानीय जलवायु को संतुलित करते हैं| वन मृदा अपरदन को रोकते है| वन वनों पर आधारित उद्योगों को कच्चा माल पैदा करते हैं| जैसे– कागज उद्योग|वनों से चमड़ा रंगने के लिए पेड़ों की छाल, कत्था, लाख आदि प्राप्त होते हैं| वनों से हमें इमारती लकड़ी प्राप्त होती है| पेड़ों की गली सड़ी पत्तियों से मिट्टी में ह्यूमस की मात्रा बढ़ती है जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढती है|वन जंतुओं को आश्रय प्रदान करते हैं|
9. मानव के कार्य कलापों से वन तथा वन्य प्राणियों का ह्रास कहाँ तक हुआ है? 
उत्तर:-
मनुष्य ने अपने आवास, कृषि के विस्तार तथा उद्योगों की स्थापना के लिए वनों का विनाश किया है| फलस्वरूप कयी वन्य प्राणियों के आश्रय स्थल (आवास) नष्ट हो गये हैं और वे विलुप्त हो गये हैं या विलुप्त होते जा रहे हैं|
मनुष्य द्वारा कृषि के विशिष्टीकरण का भी पादपों तथा वन्य प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है| वास्तव में मनुष्य अपने लाभ को ध्यान में रखकर एक विशेष प्रकार की फसल अथवा पेड़ पौधों उगाने पर बल देने लगा है| इससे अन्य पेड़ पौधों की अवहेलना हुई है जिससे उनकी प्रजातियाँ समाप्त होती जा रही है|
10. वन को अनुपम संसाधन क्यों कहा गया है? 
उत्तर:-
वन एक नवीकरणीय राष्ट्रीय संपदा है| इस संसाधन की उपस्थिति से कयी जीव जंतुओं को आश्रम मिलता है| वन के कारण तापमान में कमी एवं वर्षा की मात्रा बढती है| भूमि कटाव को रोकता है, पशुओं के लिए इससे चारा मिल जाता है| मानव को ईंधन एवं अन्य कार्यों के लिए लकड़ियाँ, फल फूल तथा कयी कच्चे माल भी मिलते हैं| मानव जीवन के लिए आर्थिक विकास एवं पर्यावरण की अनिवार्यता के कारण वन निश्चित रूप से अनुपम संसाधन हैं|
11. बड़े पैमाने पर वनों का ह्रास कब हुआ? इसके परिणामों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
औद्योगिक क्रांति के बाद बड़े पैमाने पर वनों का ह्रास हुआ| इसके निम्नलिखित दुष्परिणाम हुए हैं—
कयी जीव जंतुओं की प्रजातियों का ह्रास|, वन उत्पादों की कमी, चारा एवं लकड़ी की कमी, पारिस्थितिकी संकट, कयी वनस्पतियों का विलुप्तीकरण, सूखा एवं दुर्भिक्ष में बढ़ोतरी| कयी जीव जंतुओं के आवासों में कमी|, कयी जड़ी बूटियों का खात्मा|
12. भारत में विभिन्न प्रकार के वन क्यों पाये जाते हैं? उनके नाम लिखें|
उत्तर:-
विशाल अक्षांशीय—-
देशांतरीय विस्तार, उच्चावच की विभिन्नता, जलवायु की आंतरिक विषमताओं के सम्मलित प्रभाव तथा समुद्र की निकटता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं| इनके नाम निम्न हैं—–
सदाबहार वन, पतझड़ वन, शुष्क एवं कटीले वन, पर्वतीय वन और डेल्टा वन
13. भारत में कौन वन कोणधारी पेटी के रूप में उगे हुए हैं? उनके पांच प्रमुख पेड़ों के नाम लिखें|
उत्तर:-
भारत में पर्वतीय वन कोणधारी पेटी के रूप में उगे हुए हैं| जो 1500-3000 मी० की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में मिलते हैं| अधिक ऊंचाई पर (हिमपात वाले क्षेत्रों में) कोणधारी वन उगता है| इनकी नुकीली पत्तियों से बर्फ फिसलकर गिर जाती है| कठोर शीत, पाला और बर्फ का मुकाबला करने में पेड़ समर्थ होते हैं| इनके प्रमुख पेड़ों के नाम ये है—— देवदार, पाइन, चीड़, बलूत, हेमलाक, ओक, चिनार, चेस्टनर, वालनट, मेंपुल, मैग्नोलिया, स्प्रूस
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न—–






1. विभिन्न प्रकार के भारतीय वनों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें| इनमें किसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और क्यों? 
उत्तर:-
धरातलीय स्वरूप, मिट्टी और जलवायु की दशाओं में विविधता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं जो निम्नलिखित प्रकार के है—–
चिरहरित वन या सदाबहार वन
पर्णपाती वन या पतझड़ वन 
पर्वतीय वन या कोणधारी वन
डेल्टाई वन या ज्वारीय वन
कंटीले वन या मरुस्थलीय वन
सदाबहार वन—-
भारत में सदाबहार वन सघन होते हैं| इन्हें काटना, वनों से बाहर निकालना और उपयोग में लाना कठिन होता है| इनकी लड़की कड़ी होती है| इनमें कयी जाति के वृक्ष एक साथ मिलते हैं| अधिक वर्षा और दलदली भूमि के कारण यातायात में कठिनाई होती है| इसिलिए लकड़ियों का सही उपयोग नहीं हो पाता है| इनमें एबानी और महोगनी मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं|
पतझड़ वन—-
ये आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं| इनमें सागवान और साल मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं| अन्य वृक्षों में अंजन, चंदन, चिरौंजी, हर्रे वहेड़ा, आंवला, शहतूत, बरगद, पीपल, कटहल, आम, जामुन, नीम, नारियल, बांस मानसूनी वन के रूप में पाये जाते हैं| ये न तो अधिक घन होते हैं और न ही इनकी लकड़ी अधिक कठोर ही| इनकी लकड़ियाँ उपयोगी होती है|
कोणधारी वन—-
वन पर्वत के अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं| इनमें देवदार, चीड़, हेमलाक, स्प्रुस जाति के पेड़ पाये जाते हैं| इनकी लकड़ियाँ मुलायम होती है| इन्हें काटना और उपयोग में लाना आसान होता है|
ज्वारीय वन—
तटीय भागों में इस प्रकार के वन पाए जाते हैं| इनमें वृक्षों की बहुतायत रहती है| लकड़ियाँ जलावन और छोटी नाव बनाने के काम आती है| इनमें सुन्दरी वृक्ष, केवड़ा, मैंग्रोव, हिरिटिरा गरोन आदि मुख्य वृक्ष है| ताड़ और नारियल के पेड़ भी मिलते हैं|
मरुस्थलीय वन—-
यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं| इनमें बबूल एवं खजूर के पेड़ लगाए जाते हैं| नागफनी और कैकटस जाति की झारियाँ भी पायी जाती है|
2. भारत में वन संपदा की वृद्धि के उपायों पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-
भारत में वन संपदा की वृद्धि वनों के संरक्षण से हो सकती है| वन संपदा की वृद्धि के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं—-
काटे गए वृक्ष या क्षेत्र पर पुनः वृक्षारोपण करना चाहिए|
वनों को केवल परिपक्व वृक्षों को काटना चाहिए|
वनों में अग्निरक्षा पथ और अग्निरोधक पथ की व्यवस्था करनी चाहिए|
वृक्षों को बीमारियों एवं कीटाणुओं से बचाव हेतु वायुयान द्वारा छिड़काव की व्यवस्था करनी चाहिए|
सामाजिक वानिकी, क्षतिपूर्ति वानिकी कार्यक्रम का प्रचार प्रसार करना चाहिए|
अपार्टमेंट संस्कृति के लिए निश्चित क्षेत्र पर वृक्षारोपण की व्यवस्था करनी चाहिए|
अवैध कटाई पर अंकुश लगाना चाहिए|
समाज में वृक्ष की महत्ता के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए|
जंगल क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयत्न करना चाहिए जिसके तहत पेड लगाओ अभियान को तेजी से लागू करना चाहिए|
वनों की वृद्धि के लिए लोगों में अधिक से अधिक पेड़ लगाने की प्रेरणा उत्पन्न करनी चाहिए| विशेष रूप से परती और बेकार पड़ी हुयी भूमि पर अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए|
3. भारत में वन्य प्राणियों की विविधता देखते बनती है| इस कथन की पुष्टि उदाहरण देते हुए करें|
उत्तर:-
भारत में वन्य प्राणियों की विविधता देखने बनती है| इस कथन की पुष्टि करने के लिए भारत में पाए जाने वाले विभिन्न वन्य प्राणियों का विवेचन करना जरूरी है|  चूंकि भारत में विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणी पाए जाते हैं| इसिलिए यह कहा जाता है कि हमारे देश में वन्य प्राणियों की विविधता देखते बनती है| हमारे देश में विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणी और उसकी प्रजातियाँ पायी जाती| उदाहरण के लिए बाघ, शेर, गेण्डा, हिरण, बारहसिंगा, वनैला सूअर, बंदर और लंगूर, घड़ियाल, मोर, अनेक प्रकार के सांप इत्यादि पाए जाते हैं| जो जीव जगत और पारिस्थितिक संतुलन के लिए आवश्यक है| ये वन्य प्राणी देश के विभिन्न वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं| अत: यह कथन बिल्कुल सही है कि भारत में वन्य प्राणियों की विविधता देखते बनती है|
4. वन्य प्राणियों के संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए इनके संरक्षण के उपाय बताएं|
उत्तर:-
वन्य प्राणियों का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है| क्योंकि इससे जानवरों और पक्षियों की रक्षा होती है| साथ ही पारितंत्र का संतुलन बना रहता है| वन्य प्राणियों से समाज को अनेक लाभ है| इसिलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है| वन्य प्राणी देखने में सुन्दर होते हैं, जो मनोरंजन के साधन भी है, पर्यटक लोग इसे देखते हैं| वन्य प्राणी शिकार के लिए भी उपयुक्त है| साथ ही कृषि के लिए भी लाभदायक सिद्ध होते हैं| बहुत से छोटे जानवर जो फसलों को नुकसान पहुंचाते है उसे मांसाहारी वन्य पक्षी खा जाते हैं जिससे समाज को लाभ मिलता है| वन्य प्राणियों से बहुमूल्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं| इसिलिए संरक्षण करना आवश्यक है| संकटापन्न प्राणियों के संरक्षण के विशेष उपाय किये जा रहे हैं| इस विषय में सामयिक गणना की जाती है जिससे उनकी नवीन स्थिति का पता किया जा सके| बाघ परियोजना एक सफल कार्यक्रम है| देश के विभिन्न भागों में 16 बाघ परियोजनाएँ चल रही है| इसी प्रकार गैण्डा परियोजना आसाम मे विकसित की गई है| भारतीय मैना राजस्थान और मालवा की दूसरी संकटापन्न प्रजाति की परियोजना है| यद्यपि शेर की भी संख्या घट रही है| देश में जैव विविधता के संरक्षण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं| इस योजना के अंतर्गत पहला जैव आरक्षित क्षेत्र नीलगिरी में स्थापित किया गया| इसके अंतर्गत 5500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र फैला है जो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर है| इस प्रकार के 13 क्षेत्र है| देश में 63 राष्ट्रीय उद्यान, 358 वन्य जीव अभ्यारण्य, 35 चिड़ियाघर है जो 130000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को घेरे है| वन्य जीव संरक्षण आवश्यक है, क्योंकि—-
पक्षी और जानवरों की रक्षा होती है|
पारितंत्र संतुलन बना रहता है|
वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय किये जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं——-
शिकार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए|
पशुओं के झुण्ड के प्रवेश पर रोक लगाना चाहिए| 
अधिक राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारय स्थापित किए जाने चाहिए|
वन्य जीव और बंदी प्रजनन किया जाना चाहिए|
सेमिनार, कार्याशाला आदि का आयोजन किया जाना चाहिए|
पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान किए जाने चाहिए|
प्रजनन के लिए उचित दशाएँ प्रदान किए जाने चाहिए|
5. विस्तार से बताए कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार वन तथा वन्य प्राणियों के ह्रास के कारण है? 
उत्तर:-
वनस्पति प्रकृति का मानव को दिया गया एक अमूल्य उपहार है| ये वनस्पतियाँ अपने नाना रूपों से मानव के जीवन की रक्षा करते हुए विकास को गतिशील बनाने में सहायक होती है| दुर्भाग्य से विकास के इस दौर में मानव प्रकृति के अमूल्य योगदान को हमेशा यही रख पाते| मानव ने स्वार्थ के वशीभूत होकर प्रकृति का चीरहरण ही शुरू कर दिया है| विकास एक आवश्यक पहलू है, किन्तु संतुलित विकास द्वारा ही स्थायी विकास की कल्पना की जा सकती है| मानव ने विकास के नाम पर सड़कों, रेलमार्गों, शहरों का निर्माण करना शुरू किया| इसके लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई| फलतः वनों का तो नाश तो हुआ ही, वन्य प्राणियों का आश्रय स्थल भी छिनने लगा| आवास हेतु इमारती लकड़ियाँ की आवश्यकता ने भी वनों का ह्रास करवा दिया| पुनः कृषि में अत्यधिक उपज के लिए अत्यधिक सिंचाई, रासायनिक खाद व रसायनों का प्रयोग किया गया| इसके कारण एक ओर भूमि निम्नीकरण से वनों को क्षति पहुँची, तो दूसरी तरफ रसायनों के द्वारा जलों को दूषित होने से कयी प्राणिजगत के अस्तित्व पर ही खतरा उत्पन्न हो गये| प्रगति के नाम पर कल कारखानों की स्थापना हुई| इससे भी वन कटे| पुनः इन कल कारखानों के धुओं ने जहाँ वातावरण को प्रदूषित कर अम्लीय वर्षा जैसे अनेक प्रदूषण जनित परिणामों को जन्म दिया, वहीं इनके कचरों से अनेक जलस्रोत दूषित हो गये| इससे इन जलस्रोत का अमृतसर दूषित तो हुए ही, साथ ही साथ अनेक जलीय जीवों के अस्तित्व पर संकट के बादल छाने गए| वनों का ह्रास ने प्राकृतिक संतुलन को गड़बड़ कर दिया| फलतः मौसमजनित समस्या भी सामने आने लगी| इस प्रकार हम देखते हैं कि मानवीय क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक वनस्पति व प्राणिमात्र का काफी ह्रास हुआ|
कारण बताएं——




1. प्राचीन काल से ही कयी पेड़ पौधों की पूजा की जाती है| क्यों? 
उत्तर:-
भारत में प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का विकास वनों में ही हुआ है| वनों से हमारे ऋषि मुनियों ने तपस्या की है| चिंतन और मनन किया और वेद पुराणों की रचना की है| प्राचीन काल से ही भारत में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों की पूजा की जाती है, क्योंकि यहाँ के लोगों की आस्था पेड़ पौधों में अधिक है|
2. पंजाब और हरियाणा में वनों का अभाव है| क्यों? 
उत्तर:-
पंजाब और हरियाणा में वनों का अभाव है, क्योंकि कंटीले वन यहाँ पर अधिक पाए जाते हैं और वर्षा भी कम होती है| वर्षा का अभाव होने से पंजाब और हरियाणा में वनों का अभाव है|
3. शेर और बाघ यद्यपि हिंसक जंतु हैं तथापि इन्हें बचाने के लिए प्रयत्न किया जा रहे हैं| क्यों? 
उत्तर:-
हम जानते हैं कि शेर और बाघ हिंसक पशुओं है लेकिन इन्हें बचाने के लिए प्रयत्न किया जा रहे हैं, क्योंकि इन पशुओं को बचाने से पारितंत्र का संतुलन बना रह सकता है|
4. भारत में प्रतिवर्ष वन महोत्सव धूम धाम से मनाया जाता है, क्यों? 
उत्तर:-
भारत में प्रतिवर्ष वन महोत्सव इसिलिए मनाया जाता है जिससे लोगों में वन संरक्षण करने की जागृत उत्पन्न होती है| इससे वन क्षेत्र के बढाने में भी जगरूकता उत्पन्न होती है|
5. देश के अनेक भागों में वन क्षेत्रों को संरक्षित कर दिया गया है| क्यों? 
उत्तर:-
देश के अनेक भागों में वन क्षेत्रों को संरक्षित कर दिया गया है, क्योंकि ऐसे वनों पर सरकार का संरक्षण स्थापित रहता है| ऐसे वन सरकारी ही है| लेकिन इनमें सरकार की ओर से लाइसेंस प्राप्त लोग लकड़ी काटकर सकते हैं और जानवरों को चरा सकते हैं| इससे देश में वन क्षेत्रों का संरक्षण होता है|

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