ऊर्जा या शक्ति संसाधन
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत में सबसे बड़ा ऊर्जा संसाधन कौन है?
उत्तर:- कोयला
2. ग्रेफाइट किस पदार्थ का एक रूप है?
उत्तर:- कोयले का
3. कैम्बे ग्रेवान क्षेत्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:- गुजरात
4. भारत में पहला जल विद्युत केन्द्र कहाँ और कब स्थापित किया गया था?
उत्तर:- कर्नाटक के शिवसमुद्रम में 1902 में
5. पेट्रोलियम की खोज पेनसिलवेनिया में किस व्यक्ति ने की थी?
उत्तर: 1948 ई० में सैमुएल एम० कियर नामक व्यक्ति ने
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ऊर्जा संसाधन का क्या महत्व है?
उत्तर:-
शक्ति ऊर्जा का साधन किसी भी देश के औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक है| शक्ति संसाधन किसी राष्ट्र के उत्थान, विकास तथा प्रभुत्व की कुंजी कहे जाते हैं| आर्थिक महत्व के साथ साथ इनका राजनीतिक एवं सामरिक महत्व कम नहीं है| प्राकृतिक शक्ति के साधनों में कोयला, खनिज तेल, जल शक्ति आदि प्रमुख है|
2. दो परम्परागत और दो गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखें| दोनों स्रोतों की दो दो विशेषताएँ बताएं|
उत्तर:-
परम्परागत ऊर्जा के दो स्रोत कोयला और पेट्रोलियम (खनिज तेल) है|
विशेषता—-
(1) कोयला और पेट्रोलियम से विद्युत उत्पन्न की जाती है जिसका उपयोग मोटरगाड़ियों तथा वायुयानों में होता है|
(2) कोयला का उपयोग तरह तरह के समान बनाने में किया जाता है, जैसे— अलकतरा, रंग रोगन, सुगंधित तेल, कृत्रिम रबर, कृत्रिम चीनी (सैकरीन), कृत्रिम धागे (नाइलान), फिनायल, कीटनाशक दवाएँ, युद्ध के बहुत से समान इत्यादि बनाने में किया जाता है| पेट्रोलियम का उपयोग किसानों के खेतों के ट्रैक्टरों से लेकर डीजल के उपकरणों, घरों में रोशनी के लिए लालटेन, गैस लालटेन इत्यादि में किया जाता है|
गैर परम्परागत ऊर्जा के दो स्रोत पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा है|
विशेषता—-
पवन चक्की द्वारा भूमिगत जल निकालकर देहातों में सिंचाई की व्यवस्था की जाती है| सौर ऊर्जा का उपयोग सोलर चूल्हे, हीटरों, कूलर, प्रकाश आदि उपकरणों में की जाती है| पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न की जाती है| सौर ऊर्जा का उपयोग खाना बनाने में किया जाता है|
3. ऊर्जा संकट दूर करने के लिए ऊर्जा के किन स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है? इसके लिए कौन से प्रयत्न चल रहे हैं?
उत्तर:-
ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की माँग कृषि, उद्योग, परिवहन तथा दैनिक जीवन में बढ़ती जा रही है| अत: विद्युत का उत्पादन बढ़ाना आवश्यक हो गया है| इसके लिए ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है| इसके लिए आयोग बनाये गए हैं और गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत विभाग स्थापित किए गए हैं| इस दिशा में अन्य ऊर्जा संसाधनों की खोज की जा रही है| इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ से उत्पन्न ऊर्जा को विकसित करने पर बल दिया जा रहा है| भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर गैस प्लांट स्थापित कर ऊर्जा की प्राप्ति की जाती है| आजकल शहरों में भी सड़कों पर रोशनी के लिए बायोगैस का प्रयोग किया जा रहा है|
4. निम्नलिखित शक्ति के चार चार उत्पादन केन्द्रों के नाम लिखें|
उत्तर:-
आणविक शक्ति उत्पादन केन्द्र—–
रावतभाटा, नरोरा, कैगा एवं काकरापारा
तापीय शक्ति उत्पादन केन्द्र—–
बरौनी, पतरातू, बोकारो एवं कहलगाँव
जलविद्युत उत्पादन केन्द्र—–
मैथन, तिलैया, पंचेत एवं शिवसमुद्रम
5. कोयला और पेट्रोलियम के तीन तीन उपयोग बताएं|
उत्तर:-
कोयला और पेट्रोलियम का उपयोग——
कोयला और पेट्रोलियम से विद्युत उत्पन्न की जाती है जिसका उपयोग मोटरगाड़ियों तथा वायुयानों में होता है|
कोयला का उपयोग तरह तरह के समान बनाने में किया जाता है, जैसे—अलकतरा, रंग रोगन, सुगंधित तेल, कृत्रिम रबर, कृत्रिम चीनी (सैकरीन), कृत्रिम धागे (नाइलान), फिनायल, कीटनाशक दवाएँ, युद्ध के बहुत से समान इत्यादि बनाने में किया जाता है| पेट्रोलियम का उपयोग किसानों के खेतों के ट्रैक्टर से लेकर डीजल के उपकरणों, घरों में रोशनी के लिए लालटेन, गैस लालटेन इत्यादि में किया जाता है| कोयला का उपयोग लोहा इस्पात तैयार करने, सीमेंट बनाने और रसायन उद्योग में किया जाता है| पेट्रोलियम का उपयोग मशीनों को चिकनाई प्रदान करने वाले स्नेहक के रूप में भी किया जाता है|
6. खनिज तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन क्षेत्र कौन कौन है?
उत्तर:-
खनिज तेल के उत्पादन क्षेत्र——
भारत में 14 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में अधिक (लगभग 16 अरब टन) खनिज तेल का भंडार है| इस संभावित खनिज तेल क्षेत्र के अंतर्गत उत्तर के मैदान, तटीय पट्टियाँ, गुजरात के मैदान, धारमरुस्थल और अंडमान निकोबार द्वीप समूह आते हैं|
प्राकृतिक गैस के उत्पादन क्षेत्र——
भारत में त्रिपुरा और राजस्थान में प्राकृतिक गैस के भंडार खोज निकाले गये हैं और उत्पादन के लिए जा रहे हैं| इसके अतिरिक्त गुजरात, महाराष्ट्र (मुम्बई हाई), तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश (कृष्णा गोदावरी बेसिन), उड़ीसा के तट के हटकर समुद्र में, झारखंड, असम, अंडमान निकोबार और अरुणाचल प्रदेश में प्राकृतिक गैस के भंडार मिले हैं|
7. प्राकृतिक गैस का महत्व बताएं| भारत में इसकी पाइप लाइनें किस भाग में बिछाई गयी है?
उत्तर:-
प्राकृतिक गैस का महत्व—–
प्राकृतिक गैस का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है| प्राकृतिक गैस जैसे आक्सीजन का हमारे जीवन में इतना महत्व है कि इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं| अन्य प्राकृतिक गैसों का उपयोग उद्योग धंधों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है| प्राकृतिक गैस जैसे LPG का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में खाना बनाने के रूप में करते हैं जिससे हमारा जीवन आसान हो जाता है| अतः कहा जा सकता है कि प्राकृतिक गैस का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है| भारत में प्राकृतिक गैस की पाइप लाइनें हजीरा, विजय पुर और जगदीशपुर में बिछाई गयी है|
8. परम्परागत और गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में अंतर बताएं—-
उत्तर:-
परम्परागत ऊर्जा स्रोत—–
ऊर्जा के परंपरागत साधनों में कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि के नाम लिए जा सकते हैं|
परम्परागत साधनों में कोयले और तेल के भंडार अक्षय नहीं है|
परम्परागत साधनों के प्रयोग में काफी खर्च करना पड़ता है|
गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत——
ऊर्जा के गैर परम्परागत साधनों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा तथा गोबर, खेती के कूड़े कचरे तथा मानव के मल मूत्र से प्राप्त ऊर्जा सम्मिलित हैं|
गैर परम्परागत साधन या तो नवीकरणीय योग्य है या अक्षय है|
गैर परम्परागत ऊर्जा के साधन कम खर्चीले है|
9. भूरे कोयले का विशाल भंडार किस राज्य में मिला है? वहाँ का कौन क्षेत्र इसके उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है?
उत्तर:-
भूरे कोयले का विशाल भंडार तमिलनाडु में मिला है| तमिलनाडु के नेवेली क्षेत्र भूरे कोयले (लिग्नाइट) के उत्पादन के लिए प्रमुख है| तमिलनाडु के अतिरिक्त भूरा कोयला, राजस्थान, गुजरात, केरल और जम्मू कश्मीर में मिलता है|
10. टिप्पणियाँ लिखें—–
(क) दामोदर नदी घाटी के कोयला क्षेत्र—-
उत्तर:-
भारत के कुल कोयला भंडार का 60℅ झारखंड तथा पश्चिम बंगाल की कोयला पट्टी मुख्यतः दामोदर नदी घाटी में है| रानीगंज, झरिया, गिरिडीह, बोकारो और कर्णपुरा इसी पट्टी के प्रमुख कोयला क्षेत्र है|
(ख) मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के कोयला क्षेत्र—-
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की कोयला पट्टी सोन और महानदी की घाटियों में है जो उत्तर में चौड़ी और दक्षिण पूर्व में पतली होती गयी है| मध्य प्रदेश में सिंगरौली, सोहागपुर, उमरिया तथा छत्तीसगढ़ में सोनहाट, झिलमिली, चिरमिरी, कोरवा और रायगढ़ प्रमुख कोयला खदानें है| उड़ीसा की कोयला खदानों में तालचर प्रमुख है जो ब्राह्माणी घाटी में स्थित है|
(ग) राष्ट्रीय कोयला विकास निगम—–
भारत सरकार ने अब कोयले का उत्पादन अपने हाथ में ले लिया है और सार्वजनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय कोयला विकास निगम की स्थापना की गयी है| यह हमारे देश में कोयला क्षेत्रों का तेजी से विकास कर रहा है और कोयले की बर्बादी को रोकने के लिए प्रयत्नशील है|
11. भारत के किस भाग में जल विद्युत शक्ति उत्पन्न करने की आवश्यकता है और क्यों? उद्योगों के विकेंद्रीकरण में यह किस प्रकार सहायक सिद्ध हो सकती है?
उत्तर:-
भारत में खासकर दक्षिण भारत में जल विद्युत शक्ति उत्पन्न करने की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि यहाँ कोयले और पेट्रोलियम का अभाव है| उद्योगों के विकेंद्रीकरण में जलविद्युत बहुत ही सहायक सिद्ध हो सकती है, क्योंकि जिन उद्योगों में सस्ती और अधिक बिजली चाहिए, उनके लिए जलविद्युत विशेष महत्वपूर्ण है| जलविद्युत से उत्पन्न बिजली को कारखानों में पहुँचाकर उसकी उत्पादन शक्ति को बढ़ा सकते हैं| जैसे— तमिलनाडु में सूती वस्त्र उद्योग का विकेंद्रीकरण वहाँ की विकसित जल शक्ति के कारण नहीं हो पाया है| अतः उद्योगों के विकेंद्रीकरण में जल विद्युत बहुत ही सहायक सिद्ध हो सकती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारत में विभिन्न ऊर्जा संसाधन का सापेक्ष महत्व बढ़ाएं|
उत्तर:-
भारत में ऊर्जा के विभिन्न साधन पाये जाते हैं जिनका औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग अधिक है, साथ ही इन संसाधनों के उपयोग से आर्थिक विकास करने में भी सहायता मिलती है| इन संसाधनों का विभिन्न उपयोग होने के कारण ही इनका महत्व अधिक है| ऊर्जा के विभिन्न संसाधनों के सापेक्षिक महत्व को निम्नलिखित ऊर्जा के संसाधनों के संदर्भ में विभिन्न विचार बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं–
कोयला—
यह ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन हैं| कोयले का उपयोग लोहा इस्पात उद्योग में किया जाता है| शक्ति के साधन के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है| चूल्हा जलाने से लेकर समुद्री जहाज़ चलाने में भी इसका उपयोग होता है| अतः इसका महत्व अधिक अधिक है|
खनिज तेल या पेट्रोलियम—-
इसका उपयोग मोटरगाड़ियों के ईंधन के रूप में किया जाता है| इसका उपयोग घरों में रोशनी उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
प्राकृतिक गैस—-
यह ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है| प्राकृतिक गैस जैसे आक्सीजन हमारे लिए वरदान है जिससे हम सांस लेते और जीवित रहते हैं| प्राकृतिक गैस जैसे LPG का उपयोग हम अपने भोजन बनाने के लिए भी करते हैं| इसका उपयोग उद्योगों के कच्चे माल है के रूप में भी किया जाता है| अतः इसका महत्व बहुत अधिक है|
परमाणु ऊर्जा—-
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है| इसका उपयोग रोशनी उत्पन्न करने में किया जाता है| इसका उपयोग कर देश में उत्तम कोटि के कोयले और खनिज तेल की बचत की जा सकती है| अतः इसका महत्व बहुत अधिक है|
तापविद्युत ऊर्जा—-
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है| इसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने में किया जाता है| अत: यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
जलविद्युत ऊर्जा—–
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है| इसका उपयोग भी बिजली को उत्पन्न करने में किया जाता है| इसके उपयोग से उद्योगों का विकेंद्रीकरण किया जा सकता है| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
पवन ऊर्जा—–
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है| इसका उपयोग पवन चक्की द्वारा भूमिगत जल निकालकर देहातों में सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा पवन से विद्युत भी उत्पन्न की जा सकती है| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
ज्वारीय ऊर्जा—-
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है| टरबाइन की सहायता से इससे बिजली उत्पन्न की जाती है| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
सौर ऊर्जा—-
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है| इसकी सहायता से असीम सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है| इसका उपयोग हम अपना भोजन बनाने के रूप में भी करते हैं| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
भूतापीय ऊर्जा—–
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है| इसका उपयोग से हम अपने घरों के बिजली उपकरणों जैसे—- फ्रीज, कूलर इत्यादि चलाने के रूप में कर सकते हैं| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
बायोगैस ऊर्जा—-
यह भी ऊर्जा उत्पन्न करने का एक प्रमुख साधन है| इसका उपयोग हम विद्युत उत्पादन में करते हैं| अतः इसका बहुत अधिक महत्व है|
गोबर और मल मूत्र से उत्पन्न ऊर्जा—–
यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है|गोबर गैस संयंत्र लगाकर इससे गोबर गैस उत्पन्न की जा सकती है| इसका उपयोग अधिकतर गाँवों में पेट्रोलियम के रूप में किया जाता है|
2. जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ कौन कौन है? भारत के किन भागों में वे भौगोलिक दशाएँ उपलब्ध है?
उत्तर:-
पर्याप्त वर्ष भर जलापूर्ति या जल का वर्ष भर बहाव मिलना
पहाड़ी भूमि या जलप्रपात का होना
विद्युत की माँग अर्थात खपत का व्यापक क्षेत्र
तकनीकी ज्ञान
पूंजी और दूसरे ऊर्जा के स्रोतों का काम मिलना|
भारत में ये सभी दशाएँ उपलब्ध है| खासकर दक्षिण भारत में जहाँ कोयला और पेट्रोलियम का अभाव है| खनिजों में धनी प्रायद्वीपीय भारत आर्थिक विकास के लिए सस्ती जल विद्युत की माँग रखता है| भारत में जल विद्युत का पहला केन्द्र वहीं खुला, जो बाद में ग्रिड प्रणाली के द्वारा अधिक केन्द्र एक दूसरे से जोड़ दिए गए हैं| ताकि दूर दूर तक बिजली उपलब्ध करायी जा सके| जल विद्युत अन्य शक्ति के साधनों से सस्ता पड़ता है| इसिलिए दक्षिण भारत में जल विद्युत से उद्योगों को बढाने में बड़ी सहायता मिली है| भारत की 60℅ संभावित जल शक्ति हिमाचल क्षेत्र में है जिसका आधा से अधिक भाग ब्रह्मपुत्र क्षेत्र और मणिपुर क्षेत्र में मिलता है| 20% जलशक्ति भारत की पश्चिम की ओर बहनेवाली नदियों से मिलती है|
3. भारत के जल विद्युत परियोजना का विवरण करें|
उत्तर:-
सर्वप्रथम दक्षिण भारत में कोयला और खनिज तेल के अभाव में कर्नाटक के शिवसमुद्रम में जल शक्ति गृह स्थापित किया गया| इसके बाद बम्बई, पूणे क्षेत्र में टाटा जल विद्युत परियोजना बनी| इसके बाद दक्षिण भारत में पायकारा योजना बनी जिससे कोयंबटूर, तिरूचिरापल्ली, मदुरै आदि नगरों को जल विद्युत की आपूर्ति की गयी| हिमालय क्षेत्र में प्रथम जल विद्युत केंद्र मंडी है| इसके बाद गंगा नहर की जिला विद्युत ग्रिड स्थापित की गयी| इसके बाद भाखड़ा नंगल योजना बनी| आज देश भर में 80 जल विद्युत केंद्र स्थापित है| इनमें अधिक केंद्र बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के अंतर्गत आते हैं जैसे महाराष्ट्र में टाटा जलविद्युत तथा कोयला काकरापारा परियोजनाएँ, कर्नाटक में शिवसमुद्रम, शिमोगा, शरावती एवं भद्रा परियोजनाएँ, केरल में पल्लीवासल आदि, तमिलनाडु में पापनशम आदि, आंध्र प्रदेश में तुंगभद्रा, नागार्जुन आदि, उड़ीसा में हीराकुंड, बिहार में कोसी, गंडक, झारखंड में दामोदर, पश्चिमी बंगाल में मयूराक्षी, उत्तर प्रदेश में गंगा ग्रिड, शारदा रिहंद, हिमाचल प्रदेश में मंडी, भाखड़ा नंगल, कश्मीर में बारामुला, निम्न झेलम आदि परियोजनाएँ है| उत्तराखंड में टिहरी बांध परियोजना और मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी परियोजनाएँ भी बनायी गयी है जो विवाद के घेरे में है| आशा है कि विवाद निपटेगी और परियोजनाएँ काम करने लगेंगी|
4. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों का उल्लेख करते हुए बताएं कि भारत इस दिशा में किस तरह आगे बढ़ रहा है?
उत्तर:-
ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों में—-
पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, जैव पदार्थ ऊर्जा आते हैं| ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, गैर परम्परागत ऊर्जा से भारत 95000 मेगावाट बिजली उत्पन्न कर सकता है| अभी इस दिशा में कुछ का ही उपयोग किया जा रहा है|
पवन ऊर्जा—-
पवन चक्की द्वारा भूमिगत जल निकालकर देहातों में सिंचाई के अलावा पवन से विद्युत भी उत्पन्न की जाती है| उदाहरण के लिए गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा में जहाँ पवन तेज गति से चला करती है| लगभग 2 हजार पवन चक्कियां लगाई गई है और 5 लाख यूनिट विद्युत उत्पन्न किया जाता है|
ज्वारीय ऊर्जा—–
कच्छ और खंभात की खाड़ी में जहाँ ऊंचे ज्वार ऊठते है ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है|
सौर ऊर्जा—-
भारत उष्णकटिबंध में स्थित होने के कारण असीम सौर ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है| अभी गुजरात में भुज के पास इसका सबसे बड़ा संयंत्र लगाया गया है| थार मरुस्थल में भी इसकी असीम सम्भावनाएँ है|
बायो गैस ऊर्जा—–
गोबर और मल मूत्र से उत्पन्न ऊर्जा गोबर गैस संयंत्र लगाकर प्राप्त किये जा सकते हैं, इससे गाँव में विद्युत की आवश्यकता पुरी की जा सकता है|
5. भारत में कोयले का कुल भंडार कितना है? कोयले का वार्षिक उत्पादन क्या है? इसके दो महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों का विवरण दें तथा दो उपयोग बताएं|
उत्तर:-
भारतीय भू गर्भ सर्वेक्षण विभाग के अनुसार भारत में कोयला का भंडार 264.45 अरब टन है| इनमें 98℅ कोयला भंडार प्राचीन गोंडावानाकाल का है और 20℅ टर्शियरी काल का| गोंडावानाकाल का भंडार झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की गोंडावाना चट्टानों में मिलती है और टर्शियरी काल का भंडार असम, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड तथा जम्मू कश्मीर की टर्शियरी काल की चट्टानों में पाया जाता है| वर्तमान समय में भारत में 45.6 करोड़ टन वार्षिक कोयले का उत्पादन किया जा रहा है| भारत में दामोदर घाटी के रानीगंज, झरिया, गिरिडीह बोकारो, कर्णपुरा से कोयले का उत्पादन किया जा रहा है| यहाँ भारत का आधे से अधिक कोयला निकाला जाता है| यहाँ उच्च कोटि का कोयला प्राप्त होता है| कोयले का दूसरा मुख्य उत्पादक क्षेत्र मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्यों में है| ये पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र है| यहाँ मध्यप्रदेश में सिंगरौली, छत्तीसगढ़ में कोरबा, उड़ीसा में तालचर उत्पादन के लिए प्रमुख है|
कोयले का उपयोग—-
कोयले का सबसे अधिक उपयोग ताप विद्युत उत्पादन में किया जाता है और कोयले का दूसरा बड़ा उपयोग लौह इस्पात उद्योग में होता है|
6. भारत में कोयले के वितरण का वर्णन करें|
उत्तर:-
कोयला भारत का महत्वपूर्ण खनिज और ऊर्जा का संसाधन हैं| हमारा देश संसार का पांचवाँ बड़ा कोयला उत्पादक देश है| कोयला को काले सोने के नाम से जाना जाता है| कोयले को कांच एवं रासायनिक उद्योग में मुख्य रूप से कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है|
कोयले का प्रादेशिक वितरण—–
गोंडवाना कोयला क्षेत्र—-
इस क्षेत्र का कोयला गोंडावाना युग से संबंधित है| इसके निकट दामोदर घाटी, गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा घाटी में तीन चौथाई कोयले के भंडार है|
झारखंड—-
भारत के कुल कोयले का 60℅ कोयला झारखंड राज्य से प्राप्त होता है| झरिया, बोकारो, दौलतगंज झारखंड राज्य के मुख्य जिले है जहाँ से कोयला प्राप्त किया जाता है|
पश्चिमी बंगाल—-
इस क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र रानीगंज है जिसके 1267 वर्ग किलोमीटर में 25,303.71 मिलियन टन कोयला के भंडार है|
मध्य प्रदेश—-
सोहमपुर, कोरबा, रामपुर, वातापानी, सिंगरौली, इन राज्य में 42,772.43 मिलियन टन कोयले के भंडार है|
तृतीय कोयला क्षेत्र—-
इसके अंतर्गत नेवेली तमिलनाडु में, मादून आसाम में, बीकानेर राजस्थान में, मेघालय की गारो खासी की पहाड़ियाँ, रौबसी (जम्मू कश्मीर) आते हैं|
कारण बताएं——
1. कोयले को काला हीरा कहा जाता है| क्यों?
उत्तर:-
कोयले का उपयोग शक्ति उत्पन्न करने में किया जाता है तथा इसकी सहायता से विभिन्न प्रकार के उपयोगी चीजों का भी निर्माण किया जाता है| कोयले की बढती उपयोगिता के कारण इसे काला हीरा कहा जाता है|
2. कोयला की अपेक्षा पेट्रोलियम के उत्पादन और उपयोग पर अधिक बल दिया जा रहा है| क्यों?
उत्तर:-
कोयला की अपेक्षा पेट्रोलियम के उत्पादन और उपयोग पर अधिक बल दिया जा रहा है, क्योंकि कोयले की अपेक्षा इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तथा यह अधिक मात्रा में विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध है| साथ ही इसका वितरण करना भी सरल है|
3. ऐंथ्रासाइट कोयला उच्च कोटि का है जबकि लिग्नाइट निम्न कोटि का| क्यों?
उत्तर:-
ऐंथ्रासाइट कोयला उच्च कोटि का कोयला है, क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 80℅ से अधिक होती है तथा जलने पर यह जरा भी धुआँ नहीं देता है| साथ ही यह बहुत कड़ा और देर तक ताप देने वाला होता है| जबकि लिग्नाइट कोयला निम्न कोटि का कोयला है, क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 50-60℅ होती है तथा आर्द्रता होने के कारण यह धुआँ देता है| साथ ही इसकी तापीय शक्ति भी कम होती है|
4. खनिज तेलों का उत्पादन असम में घटता जा रहा है, वहीं मुम्बई के निकट बढ़ता जा रहा है| क्यों?
उत्तर:-
खनिज तेलों का उत्पादन असम में घटता जा रहा है, वहीं मुम्बई के निकट बढता जा रहा है, क्योंकि मुंबई में सागर सम्राट नामक जलमंच बनाया गया है| जिससे तेल की खुदाई में सुविधा होती है| जबकि असम में ऐसा कोई जलमंच नहीं है, इसिलिए यहाँ खनिज तेलों का उत्पादन घटता जा रहा है|
5. भारत के दक्षिण भाग में पश्चिमी घाट के निकट के राज्यों में जलविद्युत के उत्पादन पर बहुत जोर दिया जा रहा है| क्यों?
उत्तर:-
कोयला और खनिज तेल की कमी के कारण भारत के दक्षिणी भाग में पश्चिमी घाट के निकट के राज्यों में जलविद्युत के उत्पादन पर बहुत जोर दिया जा रहा है|
6. भारत में सौर ऊर्जा की संभावनाएँ बहुत अधिक है|क्यों?
उत्तर:-
भारत उष्ण कटिबंधीय वाला देश है| यहाँ अधिक समय तक धूप मिलती है| इसिलिए यहाँ सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की असीम संभावनाएँ है|
7. भारत एक शांतिप्रिय देश होते हुए भी स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही परमाणु ऊर्जा कमीशन की स्थापना कर इसके विकास पर अधिक जोर देने लगा| क्यों?
उत्तर:-
भारत एक शांतिप्रिय देश होते हुए भी स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही परमाणु ऊर्जा कमीशन की स्थापना कर इसके विकास पर अधिक जोर देने लगा, क्योंकि यह ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण साधन है| ताप विद्युत की अपेक्षा इसका खर्च भी बहुत कम है| साथ ही यह एक नवीकृत संसाधन हैं| इसिलिए इसका विकास स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अधिक होने लगा है|
8. बिजली के बल्ब के स्थान पर ट्यूब लाइट के उपयोग पर अधिक बल देना श्रेयस्कर है| क्यों?
उत्तर:-
बिजली के बल्ब के स्थान पर ट्यूब लाइट के उपयोग पर अधिक बल देना श्रेयस्कर इसिलिए होता है, क्योंकि बिजली के बल्ब की अपेक्षा ट्यूब लाइट कम ऊर्जा की खपत करता है| ऊर्जा के कम खपत होने से हमें भविष्य में इसकी कमी महसूस नहीं होगी जिससे हमारा जीवन आसान होगा| साथ ही ट्यूब लाइट का अधिक से अधिक प्रयोग करने से ऊर्जा की खपत कम है जिससे हमें बिजली के बिलों का कम भुगतान करना पड़ता है| अतः यह हमारी आर्थिक तौर पर भी मदद करती है| इसिलिए हमें अधिक से अधिक ट्यूब लाइटों का इस्तेमाल करना चाहिए|
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