विद्युत धारा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विभव और विभवांतर के S.I मात्रक क्या है?
उत्तर:-
विभव का S.I मात्रक वोल्ट (V) है तथा विभवांतर का S.I मात्रक भी वोल्ट(V) है|
2. विद्युत परिपथ किसे कहते हैं?
उत्तर:-
जिस पथ से होकर विद्युत परिपथ का प्रवाह होता है, उसे विद्युत परिपथ कहते हैं|
3. विद्युत परिपथ की प्रबलता की परिभाषा दें|
उत्तर:-
किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट को पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ काट से होकर प्रति एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है|
4. विद्युत धारा का मात्रक क्या है?
उत्तर:-
एम्पियर(A)
5. इलेक्ट्रॉन पर कितना आवेश रहता है?
उत्तर:- 1.6×10-19 कूलाम
6. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा दें|
उत्तर:-
किसी चालक के अनुप्रस्थ काट से यदि एक सेकेंड(s) को एक कूलाम (c) आवेश प्रवाहित होता है, तो उस काट से पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता एक एम्पियर कहलाती है|
7. क्या विभव धनात्मक, ऋणात्मक एवं शून्य हो सकता है?
उत्तर:-
हाँ,
8. ऐमीटर को किसी विद्युत परिपथ में समांतर क्रम में जोड़ा जाता है या श्रेणीक्रम में?
उत्तर:- श्रेणीक्रम में
9. ऐमीटर तथा वोल्टमीटर में किसका प्रतिरोध अधिक होता है?
उत्तर:- वोल्टमीटर
10. एम्पियर एवं ओम नामक मात्रकों में कोई एक अन्य गुणज है| इनमें वह एक कौन है?
उत्तर:- इनमें से एक वोल्ट है|
V=IR
11. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है?
उत्तर:-
सेल
12. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर 1V है?
उत्तर:-
यदि एक कूलाम (C) धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल (J) कार्य करना पड़े तो इन दोनों बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट (V) कहलाता है|
13. किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संचालित किया जाता है?
उत्तर:- समांतर क्रम (पार्श्वक्रम में)
14. विद्युत धारा, प्रतिरोध एवं विभवांतर के बीच क्या संबंध है?
उत्तर:-
R=V/I
15. प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उत्तर:- ओम
16 ओम के नियम में किसका ताप अचर रहता है?
उत्तर:-
ओम के नियम,
R=p l/A
जहाँ p(rho) दिए गए ताप पर तार के पदार्थ के लिए नियतांक (स्थिरांक) है|
17. ओम के नियम का गणित रूप क्या है?
उत्तर:-
ओम के नियम,
I@V
I=V/R
18. विद्युत विभव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
एकांक धन आवेश का अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु का वैद्युत वैभव कहते हैं|
19. सरल रेखा से धन ध्रुव का कार्य कौन करता है?
उत्तर:- तांबे का प्लेट
20. प्रतिरोधकता का S.I मात्रक क्या है?
उत्तर:-
प्रतिरोधकता का S.I मात्रक ओम मीटर है|
21. किसी चालक में धारा का प्रवाह से ऊष्मा में आंतरिक ऊर्जा का व्यंजक लिखें|
उत्तर:-
U=V2/R•T( V= विभवांतर,
R= प्रतिरोध, T=समय)
22. विद्युत शक्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:-
किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विद्युत शक्ति कहते हैं|
23. यदि किसी बल्ब पर 220V, 60W लिखा हो, तो इसका क्या अर्थ होता है?
उत्तर:-
बिजली के बल्ब पर 220V, 60W लिखा हो, तो इसका अर्थ होता है कि यदि किसी मकान के विद्युत परिपथ में इसे लगा दिया जाए तो यह 220 वोल्ट के विभवांतर पर 60W शक्ति का उपयोग करेगा, अर्थात प्रति सेकेंड इस बल्ब के कारण 60 जूल विद्युत ऊर्जा का व्यय होगा|
24. किलोवाट घंटा क्या है?
उत्तर:-
मकानों आदि में विद्युत ऊर्जा (बिजली) की खपत की माप के लिए जूल (J) एक छोटा मात्रक है| इसके लिए साधारणतः किलोवाट घंटा का उपयोग किया जाता है| 1 किलोवाट घंटा को 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा भी कहा जाता है|
1kWh=3.6×106J
25. श्रेणी क्रम में जुड़े प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम होता है या अधिक?
उत्तर:-
अधिक
26. तीन विद्युत उपस्करों के नाम लिखें जिनमें विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग होता है|
उत्तर:&
बिजली का चूल्हा (हीटर), विद्युत इस्तरी (आयरन), रूम हीटर
27. मात्रक एम्पीयर, वोल्ट एवं वाट में कोई एक अन्य दोनों गुणज है| इनमें वह एक कौन है?
उत्तर:- वाट
28. बिजली के बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का क्यों बना होता है?
उत्तर:-
टंगस्टन का फिलामेंट इसिलिए बनाया जाता है कि इसका गलनांक उच्च (लगभग 3400° सेल्सियस) होता है| अतः यह बिना गले 2700° सेल्सियस का श्वेत तप्त ताप प्राप्त कर सकता है| चूंकि टंगस्टन की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है, इसिलिए पतला और लंबा तंतु लेना पड़ता है ताकि प्रतिरोध अधिक हो और ऊष्मा अधिक उत्पन्न हो|
29. विद्युत शक्ति का मात्रक क्या है?
उत्तर:-
वाट, वाट=वोल्ट×ऐम्पियर
30. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर:-
विद्युत धारा द्वारा प्राप्त ऊर्जा की दर का निर्धारण एकांक समय में उपभुक्त विद्युत ऊर्जा से की जाती है|
31. प्रत्यावर्ती धारा किस उपकरण से प्राप्त होती है|
उत्तर:-
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र से
32. विद्युत हीटर में तार की कुंडली किस धातु की बनी होती है?
उत्तर:- नाइक्रोम
33. विद्युत हीटर में विद्युत धारा के किस प्रभाव का उपयोग होता है?
उत्तर:-
विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव का
34. विद्युत धारा में किस प्रभाव से बिजली की घंटी कार्य करती है?
उत्तर:-
विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव से बिजली की घंटी कार्य करती है|
35. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखें|
उत्तर:-
सेल (या बैटरी), डायनेमों (या दिष्ट धारा जनित्र)
36. विद्युत फ्यूज में प्रयुक्त तार की क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:-
उच्च प्रतिरोधकता एवं कम गलनांक
37. 6V की बैटरी से गुजरने वाले 1C आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर:-
1V=1C×6V=6J
38. 220V पर चालित एक लैंप 20A की धारा लेता है| लैंप का प्रतिरोध कितना है?
उत्तर:-
R•V/I
R=220V/20A=11 OHM
39. एक चालक का प्रतिरोध 5 ओम है| इसमें 0.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न विभवांतर कितना होगा?
उत्तर:-
V=IR
=0.5 एम्पियर×5 ओम=2.5 वोल्ट
40. एक विद्युत बल्ब पर 100 वाट-220 वोल्ट अंकित है|बल्ब से प्रवाहित धारा का मान कितना होगा?
उत्तर:-
विद्युत धारा
I=P/V
=100W/220V=5/11A
41. 220 V मेंस जोड़ने पर एक आर्क लैंप 20 A की धारा लेता है| आर्क लैंप का प्रतिरोध क्या है?
उत्तर:-
R=V/I
220V/20A =11 OHM
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किसी बिंदु पर विद्युत विभव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
किसी बिंदु पर विद्युत विभव कार्य का वह परिमाण है जो प्रति एकांक (इकाई) आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है|
नोट-अनंत पर विद्युत विभव शून्य माना गया है|
2. विद्युत धारा, विभवांतर एवं प्रतिरोध की परिभाषा दें| इनके S.I मात्रक भी लिखें|
उत्तर:-
विभवांतर—
एकांक धन आवेश को बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में जितना कार्य करना पड़ता है वह उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर कहलाता है| इसका S.I मात्रक वोल्ट(V) है|
विद्युत धारा—
आवेश के प्रवाहित होने की दर को विद्युत धारा कहते हैं| इसका S.I मात्रक ऐम्पियर (A) है|
प्रतिरोध—
प्रतिरोध किसी चालक का वह गुण है जिसके कारण वह चालक से होकर विद्युत धारा होने का विरोध करता है| इसका S.I मात्रक ओम होता है|
3. किसी तार का प्रतिरोध 1 ओम है| इस कथन का क्या अर्थ है?
उत्तर:-
किसी चालक के सिरों पर एक वोल्ट (V) का विभवांतर लगाने से चालक में 1 ऐम्पियर (A) की धारा प्रवाहित हो, तो चालक का प्रतिरोध 1 ओम कहते हैं|
4. किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है?
उत्तर:-
चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए उसके सिरों के बीच विभवांतर उतपन्न करना आवश्यक है| किसी चालक का प्रतिरोध उसके सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित धारा I का अनुपात है|
5. विद्युत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें|
उत्तर:-
किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट को पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ काट से गुजरने वाली प्रति एकांक समय में प्रवाहित होने वाले आवेश का परिमाण है|
6. विद्युत धारा क्या है? इसका समीकरण एवं मात्रक लिखें|
उत्तर:-
किसी चालक पदार्थ में, किसी दिशा में दो बिंदुओं के बीच आवेश के व्यवस्थित प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं|
1V=1J/1C=1J/C
7. ओम के नियम में चालक का ताप क्यों अचर रहता है|
उत्तर:-
I=V/R
जहाँ R नियतांक (अचर ताप पर) है| जिसे चालक का प्रतिरोध कहा जाता है|
8. ओम के नियम को लिखकर इसकी व्याख्या करें|
उत्तर:-
किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है|
I=V/R
जहाँ, R नियतांक है जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं|
9. किसी परिपथ में कयी प्रतिरोधकों में जुड़ा कब कहते हैं?
उत्तर:-
जब भिन्न भिन्न प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध भिन्न भिन्न प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है| जब चालकों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि एक एक अंतिम सिरा दूसरे के पहले सिरे से तथा दूसरे का अंतिम सिरा तीसरे के पहले सिरे से तथा इसी प्रकार से ऐसे संयोजन को श्रेणीक्रम संयोजन कहते हैं| ऐसे संयोजन में सभी चालकों में से बहने वाली विद्युत धारा का मान समान होता है| उदाहरण—- प्रतिरोध R1, R2, R3 श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं तो उनका कुल प्रतिरोध निम्नलिखित सूत्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है—-
R=R1+R2+R3
10. किसी परिपथ में कयी प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम (समांतर क्रम) में जुड़ा कब कहते हैं?
उत्तर:-
वह क्रम जिसमें सभी प्रतिरोधी के ओर के सिरे एक बिंदु तथा दूसरी ओर के सभी सिरे दूसरे बिंदु पर जुड़े होते हैं, इस प्रकार के संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं| मान लें यदि चालक जिनके प्रतिरोध क्रमशः R1, R2, R3 हों, को समांतर क्रम में जोड़ा जाए तो उनका कुल प्रतिरोध R निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है—–
1/R=1/R1+1/R2+1/R3
अर्थात प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने से उनका परिणामी प्रतिरोध विभिन्न प्रतिरोधों के विपरीत क्रम में जोड के बराबर होता है| प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में विद्युत धारा स्वतंत्रता पूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है|
11. प्रतिरोध के उत्पत्ति के कारण क्या है?
उत्तर:-
कुछ पदार्थ अपने से होकर दूसरे पदार्थों की अपेक्षा कम धारा प्रवाहित होने देते हैं| दूसरे शब्दों में, कुछ पदार्थ धारा के प्रवाह में अन्य पदार्थों की तुलना में अधिक प्रतिरोध उतपन्न करते हैं| निश्चित विभवांतर पर किसी चालक से कम धारा प्रवाहित होती है तो चालक का प्रतिरोध अधिक होता है| इसके विपरीत, यदि चालक से अधिक धारा प्रवाहित होती है, तो चालक का प्रतिरोध कम होता है|
12. प्रतिरोधों का समूहीकरण क्या है? विद्युत परिपथ के साथ वर्णन करें|
उत्तर:-
प्रतिरोधों का समूहीकरण दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को एक दूसरे से कयी विधियों द्वारा जोड़ा जाता है, उसे प्रतिरोधों का समूहीकरण कहते हैं| इनमें दो विधियाँ मुख्य है—-
श्रेणीक्रम समूहन—-
R=R1+R2+R3
समांतर क्रम या पार्श्वक्रम समूहन—-
1/R=1/R1+1/R2+1/R3
13. ऐमीटर या वोल्टमीटर के उपयोग बताएं|
उत्तर:-
जिस यंत्र द्वारा किसी विद्युत परिपथ की धारा मापी जाती है, उसे ऐमीटर कहा जाता है|
जिस यंत्र द्वारा किसी विद्युत परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच के विभवान्तर को मापा जाता है, उसे वोल्टमीटर कहते हैं|
14. किलोवाट घंटा (KWH) क्या है? इसका मान लिखें|
उत्तर:-
1 किलोवाट घंटा (KWH) विद्युत ऊर्जा का उपभोग हो रहा है| 1 किलोवाट घंटा (KWH) को 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा भी कहा जाता है|
1KWH=1 किलोवाट घंटा× 1 घंटा
=100 वाट ×60×60 सेकेंड
=3.6×106 जूल(J)
1KWH=3.6×106J
15. प्रतिरोध क्या है? इसका S.I मात्रक है?
उत्तर:-
किसी चालक का प्रतिरोध R उसके सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित धारा I अनुुुपात है|
R=V/I
इसका S.I मात्रक वोल्ट (v) है|
16. प्रतिरोधों का संयोजन क्या है? यह कितने प्रकार से होता है?
उत्तर:-
दो या दो अधिक प्रतिरोधकों को एक दूसरे से कोई विधियों द्वारा जोड़ा जा सकता है| इनमें दो विधियाँ है—
श्रेणीक्रम संयोजन, समांतर क्रम या पार्श्वक्रम संयोजन
17. विद्युत बल्ब में निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है?
उत्तर:-
विद्युत बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का बना होता है जिससे उच्च ताप पर प्रकाश निकलता है| यदि इस स्थिति में फिलामेंट हवा (वायु) के संपर्क में आ जाए तो वह हवा के आक्सीजन से आक्सीकृत होकर भंगुर हो जाएगा और टूट जाएगा| इसलिए बल्ब के भीतर की हवा को निकालकर निष्क्रिय गैस भर दी जाती है|
19. समान पदार्थ और समान लंबाई के तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो, तो इनमें से किसमें विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होंगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? इसका वर्णन करें|
उत्तर:-
मोटे तार में विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रतिरोध R उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है|
20. यदि किसी विद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है, तो उस अवयव से प्रवाहित विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:-
यदि प्रतिरोध नियत हो, तो ओम के नियम से अवयव में प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर से समानुपाती होती है| अत: विभवांतर को आधा करने पर विद्युत धारा भी आधी हो जाएगी|
21. किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर उसमें ऊष्मा क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर:-
जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब वह चालक गर्म हो जाता है, अर्थात विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा में रूपांतरण होता है| किसी चालक (जैसे धातु के एक तार) के दोनों सिरों को सेल या बैटरी से जोड़ा जाता है, तो चालक के सिरों के बीच एक विभवांतर स्थापित हो जाता है| चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों चालक के उच्च विभवांतर के सिरों की ओर त्वरित होते हैं| परंतु, इन इलेक्ट्रॉनों की चाल लगातार बढ़ नहीं पाती, क्योंकि वे अपने मार्ग में पड़नेवाले चालक के धनायनों से बार बार टकराते रहते हैं| इससे उनकी चाल मंद पड़ जाती है| इस प्रकार विभवांतर के कारण इलेक्ट्रॉन जो गतिज ऊर्जा प्राप्त करते हैं| उसका कुछ भाग वे चालक के आयनों को दे देते हैं| इससे चालक की आंतरिक ऊर्जा बढ़ जाती है और इसके फलस्वरूप चालक का ताप बढ़ जाता है| तप्त चालक इस प्रकार से प्राप्त ऊर्जा को अपने अगले बगल की वस्तुओं में ऊष्मा अंतरण वितरित करता है|
22. विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव किन कारकों पर निर्भर करता है|
उत्तर:-
विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है| विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव निम्न कारकों पर निर्भर करता है——-
प्रतिरोधकता—-
प्रतिरोधकता बहुत अधिक हो, ताकि इसके साधारण लम्बाई एवं मोटाई वाले तार का प्रतिरोध अधिक हो और इसमें कम धारा प्रवाहित होने पर भी अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके|
गलनांक—-
गलनांक अत्यधिक उच्च हो, ताकि इनपे प्रबल धारा प्रवाहित होने पर उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा से तापन अवयव पिघले नहीं|
23. किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी जूल के नियम क्या है?
उत्तर:-
किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी नियम का प्रतिपादन जूल ने किया था जिसे जूल का ऊष्मीय नियम कहते हैं| इस नियम के अनुसार चालक में उत्पन्न ऊष्मा Q
1. उस चालक से प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा I के वर्ग के सीधा समानुपाती होती है| अर्थात Q@I2 ( जहाँ R एवं t अचर है)
2. चालक के प्रतिरोध R का सीधा समानुपाती होती है अर्थात Q@R ( जहाँ R एवं t अचर है)
3. चालक से प्रवाहित होने वाली धारा में लगे समय t का सीधा समानुपाती होता है अर्थात Q@t ( जहाँ I और R अचर है)
24. विद्युत तापन युक्तियों के मूल सिद्धांत क्या है?
उत्तर:-
विद्युत तापन युक्ति की प्रतिरोधकता बहुत उच्च होती है तथा तापमान परिवर्तन से प्रतिरोधकता में विशेष कमी नहीं आ पाती, इसके साथ साथ यह अधिक तापमान पर आक्सीकृत भी नहीं होती है| इस युक्तियों के जइसे भाग में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है, उसे तापन अवयव कहा जाता है|
25. विद्युत तापन युक्तियों, जैसे ब्रेड टोस्टरों तथा विद्युत इस्तिरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं?
अथवा,
विद्युत तापन उपकरणों में नाइक्रोम के तार का व्यवहार किया जाता है?
उत्तर:-
मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता उन्हें बनाने वाली शुद्ध धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है| उच्च ताप पर भी ये मिश्रधातु आक्सीकृत नहीं होते| इसी कारण टोस्टर, इस्तरी आदि विद्युत तापन युक्तियों के चालक शुद्ध धातु के न बराबर मिश्रधातु के बनाए जाते हैं|
26. किसी विद्युत हीटर के परिपथ में जुड़ा चालक तार क्यों उत्पत्ति नहीं होता, जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
तापन अवयव का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है| इसिलिए जब विद्युत हीटर को कापर तार के साथ जोड़ा जाता है तो मापन अवयव उत्तप्त हो जाता है, क्योंकि इसका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है, परन्तु संयोजित हीटर का तार उत्तप्त होता क्योंकि हीटर के तार का प्रतिरोध बहुत ही कम होता है|
27. विद्युत परिपथ में फ्यूज तार क्यों लगाए जाते हैं?
उत्तर:-
फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्त है| विद्युत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो सकती है| ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ तहाँ फ्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं|फ्यूज ऐसे पदार्थ के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है, जिससे उसमें लगी युक्तियों तथा बल्ब, पंखा, हीटर इत्यादि जलने से बच जाते हैं|
28. फ्यूज की क्षमता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
विद्युत धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुँचते ही फ्यूज गल जाता है (जिसे साधारण भाषा में हम फ्यूज का उड़ जाना कहा जाता है) उसे फ्यूज या तार का अनुमतांक (या क्षमता) कहते हैं|
29. यदि एक ऐमीटर को समांतर क्रम में जोड़ा जाए तो उसकी कुंडली के जल जाने का खतरा रहता है| क्यों?
उत्तर:-
दो युक्तियों को किसी विद्युत परिपथ में समांतर क्रम में जोड़ने पर कम प्रतिरोध वाली युक्ति से अधिक धारा प्रवाहित होती है| चूंकि ऐमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है, इसलिए किसी युक्ति के साथ इसे समांतर क्रम में जोड़ने पर परिपथ की लगभग कुल धारा ऐमीटर से होकर प्रवाहित होती है| इसके कारण उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा से उसकी कुंडली के जल जाने का खतरा होता है|
31. जब (a)1 ओम तथा 106 ओम (b) 1 ओम , 103 ओम तथा 106 ओम के प्रतिरोध पार्श्वक्रम क्रम (समांतर क्रम) में संयोजित किये जाते हैं, तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?
उत्तर:-
जब प्रतिरोध पार्श्वक्रम क्रम (समांतर क्रम) में संयोजित किये जाते हैं, तो तुल्य प्रतिरोध व्यक्तिगत निम्नतम प्रतिरोध से कम होता है—-
(a)तुल्य प्रतिरोध<1 ओम
(b) तुल्य प्रतिरोध<1 ओम
32. बिजली के एक बल्ब पर 220-100 लिखा है| बल्ब से प्रवाहित विद्युत धारा तथा बल्ब का प्रतिरोध ज्ञात करें|
उत्तर:-
यदि बल्ब से I विद्युत धारा प्रवाहित हो, तो I=W/V
या I=100W/200V=5/11A
फिर यदि बल्ब का प्रतिरोध R हो, तो
R=V/I=220V/5/11A
=220V×11/5 ohm
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. S.I मात्रक के साथ विद्युत धारा, विभवांतर और प्रतिरोध को परिभाषित करें और इनमें जिस नियम के द्वारा संबंध प्राप्त होता है, उसे व्याख्या के साथ स्थापित करें|
उत्तर:-
विभवांतर—
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) आवेश को ले जाने में किया गया कार्य है| इसका S.I मात्रक V होता है|
विद्युत धारा—
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिणाम है| विद्युत धारा का S.I मात्रक ऐम्पियर (A) है|
प्रतिरोध—
किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध या केवल प्रतिरोध कहलाता है| उसका मात्रक ओम होता है|
2. ओम का नियम क्या है? इसे कैसे सत्यापित किया जाता है?
अथवा,
ओम के नियम को लिखें, ऐमीटर तथा वोल्टमीटर द्वारा इस नियम की जांच करें|
उत्तर:-
ओम का नियम—-
नियत ताप पर किसी चालक से प्रवाहित धारा चालक के सिरों के विभवांतर का समानुपाती होता है|
माना कि चालक से प्रवाहित धारा तथा विभवांतर है| अत: नियम से—–
V=R.I
जहाँ R एक नियतांक है जिसे चालक का प्रतिरोध कहा जाता है|
सत्यापन—-
चित्रानुसार आमीटर, वोल्टमीटर, प्रतिरोध, सेल, स्विच आदि को संयोजक तार से जोड़ा | एक सेल लगाकर विभवमापी से विभवांतर तथा धारामापी से धारा का माप प्राप्त किया| उसी ढंग से क्रमशः दो, तीन चार एवं पांच सेल लगाकर प्रत्येक स्थिति में विभवांतर और धारा का मान प्राप्त किया| प्रत्येक स्थित में इसके अनुपात का मान समान आता है, जो इस नियम को सत्यापित करता है|यदि विभवांतर और धारा के बीच ग्राफ खींचते है, तो जो ग्राफ प्राप्त होता है, उससे भी यह नियम सत्यापित होता है|
3 प्रतिरोध क्या है? एक तार की कुंडली का प्रतिरोध ऐमीटर तथा वोल्टमीटर की सहायता से कैसे किया जाता है? एक प्रयोग का वर्णन करें|
उत्तर:-
निम्नलिखित चित्र में दिखाई गयी विधि के अनुसार परिपथ पूरा करते हैं| बिन्दु P और Q के बीच बारी बारी से तांबे के तार, एक लोहे का तार, एक ऐलुमिनियम का तार जोड़कर प्रत्येक बार परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा का मान ऐमीटर से नोट कर लेते हैं| हम पाते हैं कि प्रत्येक बार परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा का मान भिन्न भिन्न होता है| कुछ पदार्थ अपने से होकर दूसरे पदार्थों की अपेक्षा कम धारा प्रवाहित होने देते हैं| किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध का केवल प्रतिरोध कहलाता है|
R=V/I
4. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन किन बातों पर निर्भर करता है? व्याख्या करें|
उत्तर:-
किसी चालक पदार्थ से बने तार का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है—–
क. तार की लंबाई(l)
ख. तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल(A)
ग. तार के पदार्थ की प्रकृति
प्रयोग द्वारा यह पाया जाता है कि किसी भी चालक तार का प्रतिरोध तार की लंबाई के समानुपाती होता है तथा उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है|
गणितीय रूप में
R@l
R@l/A
R@l/A
R=p(l/A)
जहाँ p एक नियतांक है जिसे चालक का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं|
5. श्रेणीक्रम में प्रतिरोधों को किसी प्रकार जोड़ा जाता है? प्रतिरोधों के इस संयोजन के लिए व्यंजक प्राप्त करें|
अथवा,
समांतर क्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार संयोजित किया जाता है| इस संयोजन के लिए प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त करें|
उत्तर:–
श्रेणीक्रम समूहन—-
निम्नलिखित चित्र में AB, BC, और CD तीन प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े दिखाए गए हैं| उनके प्रतिरोध क्रमशः R1, R2, R3 है| इनके मुक्त सिरे A और D बैटरी के ध्रुवों से जुड़े हैं| मान लिया a कि तीनों प्रतिरोधों से धारा I प्रवाहित हो रही है और प्रतिरोधक AB, BC, CD के सिरों के बीच विभवांतर क्रमशः V1, V2 तथा V3 है| अत: ओम के नियम से
V1=IR1,
V2=IR2,
तथा V3=IR3
यदि बैटरी का विभवांतर V हो तो सिरों A, D के बीच विभवांतर हो, तो
V=V1+V2+V3=IR1+IR2+IR3=I(R1+R2+R3)
इस समूहन का समतुल्य प्रतिरोध उस अकेले प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के बराबर होता है| जिसे यदि जुड़े हुए तीन प्रतिरोधकों के स्थान पर लगा दिया जाए तो विद्युत परिपथ से प्रवाहित धारा पर कोई प्रभाव न पड़े|
अतः ओम के नियम से
V=IRs
समीकरण 1 तथा 2 की तुलना करने पर,
IRs=I(R1+R2+R3)
Rs=R1+R2+R3
अथवा,
समांतर क्रम समूहन—-
निम्नलिखित चित्र में बिंदु A एवं B के बीच तीन प्रतिरोधक है, जिनके प्रतिरोध क्रमशः R1, R2 तथा R3 है, पार्श्वक्रम या समांतर क्रम में पड़े हुए दिखाए गए हैं| बैटरी द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा है| बिंदु A पर यह धारा तीन भागों में बंट जाता है| मान लिया कि R1, R2 एवं R3 प्रतिरोध वाले प्रतिरोधकों से क्रमशः I1, I2 तथा I3 प्रवाहित होती है| बिंदु B पर तीनों धाराएँ मिलकर पुनः धारा बन जाती है| अतः
I=I1+I2+I3
मान लिया कि A और B बिंदुओं के बीच विभवांतर V है| चूंकि प्रत्येक प्रतिरोधक A और B के बीच जुड़ा है, अतः प्रत्येक के
सिरों के बीच विभवांतर V ही होगा| ओम के नियम से
I1=V/R1, I2=V/R2, I3=V/R3
इन मानों को समीकरण (1) में रखने पर,
I=V/R1+V/R2+V/R3
V/Rp=V/R1+V/R2+V/R3
6. श्रेणी क्रम में संयोजित प्रतिरोधकों एवं समांतर क्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोधी के लिए व्यंजक प्राप्त करें|
उत्तर:-
यदि कयी प्रतिरोधों का संयोजन पहले प्रतिरोध का दूसरा किनारा दूसरे प्रतिरोध के पहले किनारे से तथा तीसरे प्रतिरोध का पहला किनारा दूसरे प्रतिरोध के दूसरे किनारे से जोड़ा जाए, तो प्रतिरोधों के इस प्रकार के संयोजन को श्रेणीबद्ध संयोजन कहलाता है| इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से एक ही धारा प्रवाहित होती है|
माना कि R1, R2 तथा R3 तीन प्रतिरोध है| इन तीनों को श्रेणीबद्ध संयोजन किया गया है| माना कि A पर विभव V1, B पर विभव V2 तथा C पर विभव V3 तथा D पर विभव V4 है| इसलिए A और B के बीच विभवांतर V1-V2, B और C के बीच विभवांतर V2-V3 तथा C और D के बीच विभवांतर V3-V4 है| परिवार में I धारा प्रवाहित होती है| ओम के नियम अनुसार
V1-V2=IR1
V2-V3=IR2
V3-V4=IR3
समीकरण (1), (2), (3) को जोड़ने पर,
V1-V4=IR1+IR2+IR3
V1-V4=I(R1+R2+R3)
कयी प्रतिरोधों को एक साथ जोड़ने के बाद जो प्रतिरोध प्राप्त होता है उसे समतुल्य प्रतिरोध कहते हैं| माना कि समतुल्य प्रतिरोध का मान R है फिर A और D के बीच विभवांतर V1-V4 है,
इसलिए
V1-V4=IR
इसका मान समीकरण (4) में रखने पर,
IR=I(R1+R2+R3)
R=(R1+R2+R3) OHM
इस प्रकार श्रेणीक्रम में समतुल्य प्रतिरोध का मान कुल प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है|
समांतर क्रम में संयोजित प्रतिरोध—-
मान लिया कि तीन प्रतिरोध R1, R2 तथा R3 है| इन्हें समांतर क्रम में संयोजित किया गया है| मान कि सेल से I धारा प्रवाहित होता है जो प्रतिरोध समांतर क्रम I1, I2 तथा I3 भाग में प्रवाहित हो रही है|
अतः ओम के नियम से,
I1=V1-V2 I2=V1-V2 I3=V1-V2
R1 R2 R3
हम जानते हैं कि I=I1+I2+I3
I=V1-V2 + V1-V2 + V1-V2
R1 R2 R3
(V1-V2)1/R1+1/R2+1/R3
1/V1-V2=1/R1+1/R2+1/R3
यदि तुल्य प्रतिरोध का मान R हो , तो
1 = 1
V1-V2 R
समीकरण (1) से,
1/R= 1/R1+1/R2+1/R3
अतः प्रतिरोधों के समांतर क्रम में तुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोध से कम होता है|
7. विद्युत धारा प्रवाह के कारण किसी प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा का व्यंजक प्राप्त करें|
उत्तर:-
किसी विद्युत परिपथ में किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवांतर की परिभाषा एकांक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक प्रवाहित करने में किए गए कार्य के रूप में दी जाती है| अर्थात ्,
V=W/Q,
जहाँ V=विभवांतर
W=किया गया कार्य और Q= आवेश
किंतु, किसी परिपथ में विद्युत धारा की परिभाषा प्रति सेकेंड प्रवाहित होने वाले आवेश के रूप में दी जाती है| अर्थात,
I=Q/t
जहाँ I=धारा, Q=आवेश और t= आवेश के प्रवाह का समय
अतः, W=VQ=(V) (It)=VIt
फिर, प्रतिरोध R=V/I, या V=RI
अतः, W=(RI)(It)=I2Rt
या, W=(V)(V/R)(t) =V2t/R
किसी तार या चालक अर्थात प्रतिरोध में विद्युत आवेशों को प्रवाहित करने से जो कार्य किया जाता है वह प्रायः ऊष्मा के रूप में प्रकट हो जाता है| यदि किसी R ओम प्रतिरोध वाले तार या चालक में I ऐम्पियर की धारा t सेकेंड के लिए प्रवाहित हो तो उसमें I2Rt जूल के बराबर ऊष्मा H उत्पन्न होगी|
H=I2Rt(जूल में)
[किंतु 1 कैलोरी=4.2 जूल
H=(1/4.2)I2Rt=0.24I2Rt (कैलोरी में)]
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