मानव नेत्र:वायुमंडलीय अपवर्तन:वर्ण विक्षेपण
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. नेत्र के उस गुण को जो विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं को फोकस करने में सहायता करता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:- समंजन क्षमता
2. क्या भिन्न भिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं के प्रतिबिंब को फोकस करने के लिए नेत्र लेंस की फोकस दूरी सिलीयरी पेशियों द्वारा परिवर्तित होती है?
उत्तर:- हां, सिलियरी पेशियों के द्वारा भिन्न भिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं का परिवर्तन होता है`
3. किसी व्यक्ति के चश्मे में लगे लेंस की क्षमता +1.5D है| लेंस उत्तल अथवा अवतल?
उत्तर:-
यदि किसी व्यक्ति के चश्मे में लगे हुए क्षमता +1.5D है तो यह उत्तल लेंस है|
4. मानव नेत्र के तीन मुख्य दृष्टि दोषों के नाम लिखें-
उत्तर:-
निकट दृष्टि दोष, दूर दृष्टि दोष, जरा दूरदर्शिता
5. स्पष्ट दूरी की न्यूनतम दूरी क्या है?
उत्तर:-
जिस न्यूनतम दूरी तक आंख वस्तु को साफ साफ देख सकता है, उसे स्पष्ट दूरी का न्यूनतम दूरी कहते हैं|
6. स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम लगभग कितना होता है?
उत्तर:- 25 सेमी
7. नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु और निकट बिंदु क्या है?
उत्तर:-
नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनंत दूरी पर और निकट बिंदु 25 सेमी पर होता है|
8. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब दूरी का क्या होता है?
उत्तर:-
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में समंजन के कारण प्रतिबिंब दूरी में परिवर्तन नहीं होता है|
9. एक व्यक्ति जिसका नेत्र निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है, 1.5 मीटर से अधिक दूरी पर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है| सामान्य दृष्टि प्राप्त करने के लिए उसे किस प्रकार के लेंस की आवश्यकता होती होगी?
उत्तर:-
कोई व्यक्ति जिसका नेत्र निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है, 1.5 मीटर से अधिक दूरी पर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है|सामान्य दृष्टि प्राप्त करने के लिए उसे अपसारी या अवतल लेंस की आवश्यकता होगी|
10. एक विद्यार्थी अपने क्लास के अंतिम पंक्ति में बैठने पर ब्लैकबोर्ड पर की लिखावट स्पष्ट नहीं देख पाता है| उसकी आंख किस प्रकार के दोष से ग्रसित है? इस दोष को दूर करने के लिए उसे किस प्रकार के लेंस का व्यवहार करना होगा?
उत्तर:-
इसे दूर करने के लिए उसे अपसारी या अवतल लेंस का व्यवहार करना होगा|
11. नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाने से कौन सा दृष्टि दोष होता है?
उत्तर:- निकट दृष्टि दोष उत्पन्न होती है
12. एक व्यक्ति के चश्मे में अवतल लेंस लगा है| वह किस दृष्टि दोष से पीड़ित है?
उत्तर:-
निकट दृष्टि दोष
13. किस दृष्टि दोष में किसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है?
उत्तर:-
दूर दृष्टि दोष में
15. दीर्घ दृष्टि दोष किस प्रकार के लेंस द्वारा दूर किया जाता?
उत्तर:- उत्तल लेंस द्वारा
16. तारों के टिमटिमाने की व्याख्या किस सिद्धांत पर आधारित है?
उत्तर:- वायुमंडलीय अपवर्तन के सिद्धांत पर आधारित
17. श्वेत प्रकाश के विभिन्न वर्णों (रंगों) में विभक्त होने की घटना को क्या कहते हैं?
उत्तर:- वर्ण विक्षेपण कहा जाता है|
18. जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से होकर गुजरता है किस वर्ण(रंग) का प्रकाश सबसे अधिक विचलित होता है और किस वर्ण (रंग) का सबसे कम विचलित होता है?
उत्तर:-
बैंगनी वर्ण (रंग) का विचलन सबसे अधिक और लाल वर्ण( रंग) का विचलन सबसे कम होता है|
19. क्या प्रकाश का रंग (वर्ण) प्रकाश तरंगों के तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करता है?
उत्तर:- हां
20. प्रकाश के किस रंग के लिए तरंगदैर्घ्य अधिकतम होता है?
उत्तर:- लाल रंग के लिए
21. लाल रंग (वर्ण) दूर से देखने पर भी लाल क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:- क्योंकि लाल रंग का तरंगदैर्घ्य का मान सबसे अधिक होता है|
22. क्या कारण है कि आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है?
उत्तर:-
प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण अन्य रंग यहाँ तक नहीं पहुंच पाता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आंख की समंजन क्षमता का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:-
आंख द्वारा अपने सिलियरी पेशियों के तनाव को घटा बढ़ा कर अपने लेंस की फोकस दूरी को बदल कर दूर या निकट की वस्तु का साफ साफ देखने की क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं|
2. नेत्र, अपने अंदर जानेवाले प्रकाश की मात्रा को किस प्रकार नियंत्रित करता है?
उत्तर:-
परितारिका या आइरिस की सहायता से आंख के लेंस से होकर जानेवाले प्रकाश के परिमाण को घटाया या बढाया जा सकता है| अंधेरे में परितारिका के बीच का छिद्र (अभिमुख) जिसे पुतली कहते हैं, स्वत: फैल जाती है और तेज रोशनी में सिकुड़ता है| अत: कैमरा में जो काम (प्रकाश के परिमाण को नियंत्रित करना) डायफ्राम करता है, वही काम आंख में पुतली करता है| अतः आइरिस की सहायता से नेत्र के लेंस से होकर जानेवाले प्रकाश की मात्रा के द्वारा नियंत्रित होता है|
3. निकटदृष्टिता क्या है? इसे दूर करने के लिए हम किस लेंस का व्यवहार करते हैं?
उत्तर:-
वह दृष्टि दोष जिसके कारण कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है इसे ही निकट दृष्टिता या निकट दृष्टि दोष कहते हैं|
निकट दृष्टि दोष के निम्नलिखित हैं——
1. नेत्र गोलक का लंबा हो जाना अर्थात नेत्र और रेटिना के बीच की दूरी का बढ़ जाना|
2. अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अधिक हो जाना|
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है जो दूर रखी वस्तु से आनेवाली समांतर किरणों को इतना अपसारित कर दें ताकि किरणें रेटिना के पहले मिलने के बजाय रेटिना पर ही मिले|
4. यदि हम तीव्र प्रकाश से किसी कम प्रकाश वाले कमरे में जाएं तो वहाँ वस्तुओं को देखने में कुछ समय क्यों लगता है?
उत्तर:-
तीव्र प्रकाश में आंख की पुतली सिकुड़कर छोटी हो जाती है| कम प्रकाश वाले कमरे की वस्तुओं को देखने के लिए आंख की पुतली सिकुड़कर छोटी हो जाती है| कम प्रकाश वाले कमरे की वस्तुओं को देखने के लिए आंख की पुतली का अधिक खुलकर बड़ा होना आवश्यक है| पुतली सिकुड़कर छोटी हो जाने के कारण कुछ समय बाद ही वह फैल कर अधिक खुल पाती है| यही कारण है कि तीव्र प्रकाश से कम प्रकाश वाले कमरे में जाने पर वहाँ रखी वस्तुओं को स्पष्ट देखने में कुछ समय लग जाता है|
5. सामान्य नेत्र 25 सेमी से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:-
अभिनेत्री लेंस की फोकस दूरी एक निश्चित सीमा से कम नहीं होती| कोई वस्तु नेत्र की अत्यधिक निकट है तो अभिनेत्र लेंस इतना अधिक वक्रित नहीं हो पाता कि वस्तु का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर बने, जिसके फलस्वरूप परिणामी प्रतिबिंब धुंधला सा बनता है| नेत्र की सिलियरी पेशियाँ उतनी नहीं खिंच पातीं जितनी कि 25 सेमी से निकट रखी वस्तु को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक है| यही कारण है कि सामान्य नेत्र 25 सेमी से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाती है|
6. दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:-
नेत्र से बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर बनाने की क्षमता खो देने को दृष्टि दोष कहते हैं| मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं—–
निकट दृष्टि दोष, दूर दृष्टि दोष, जरा दृष्टि दोष
7. नेत्र के दो मुख्य दोषों के नाम लिखें| इनके उपचार के लिए किस प्रकार के लेंस व्यवहार में लाए जाते हैं?
उत्तर:-
निकट दृष्टि दोष—-
नेत्रगोलक लंबा हो जाने के कारण नेत्र लेंस बहुत दूरी (अनंत) पर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के सामने बनाता है| इसलिए, दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है, किंतु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई पड़ती है| अतः, इस दोष से युक्त आंख के लिए दूर बिंदु निकटतर हो जाता है| इस दृष्टि दोष को निकट दृष्टि कहते हैं| अवतल लेंस किरणों को अपसारित करता है, इसलिए इस दृष्टि दोष को दूर करने के लिए उचित फोकस दूरी का अवतल लेंस काम में लाया जाता है|
दीर्घ दृष्टि दोष—–
इसमें नेत्रगोलक छोटा होने के कारण आंख का लेंस निकट के वस्तुओं के प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनाता है और इसिलिए आंख निकट के वस्तुओं को साफ साफ नहीं देख पाती, किंतु दूर के वस्तुओं को साफ साफ देख सकती है| यह दृष्टि दोष दीर्घ दृष्टि कहलाता है| इसमें निकट बिंदु अधिक दूर हो जाता है| उत्तल लेंस किरणों को अभिसारी बनाता है, अतः इस दोष को दूर करने के लिए उचित फोकसांतर का उत्तल लेंस काम में लाया जाता है|
8. दूर दृष्टिता नामक दोष के निवारण हेतु प्रयुक्त लेंस को दिखाते हुए किरण आरेख खींचे|
उत्तर:-
दूर दृष्टिता दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है| दूर दृष्टिता नामक दोष को उत्तल लेंस द्वारा दूर किया जा सकता है| इस लेंस का किरण आरेख इस प्रकार है—–
9. वर्ण विक्षेपण श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं|
उत्तर:-
वर्ण विक्षेपण—-
श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं|
वर्णपट (स्पेक्ट्रम)—–
श्वेत प्रकाश से प्राप्त प्रकाश की पट्टी स्पेक्ट्रम कहते हैं| इसमें वर्णों (रंगों) का क्रम है—-
बैंगनी(V) , जामुनी(I) , पीला(B) , हरा(G) , पीला(Y) , नारंगी (O) तथा लाल (R) है| संक्षेप में VIBGYOR कहते हैं|
10. तारे क्यों टिमटिमाते है? समझाइए|
उत्तर:-
तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है| हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी विचलित और कभी अधिक विचलित होती है| इससे आंखों में प्रकाश कभी कम पहुंचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं|
11. चन्द्रमा और ग्रह क्यों टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते हैं?
उत्तर:-
चंद्रमा और ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के निकट है| चंद्रमा और ग्रह से आती किरणों का भी अपवर्तन होता है| अत: अपवर्तन के कोण के परिवर्तन के कारण ग्रह और चंद्रमा भी आभासी स्थिति में नगण्य परिवर्तन होता है जिससे उससे आती किरणों की तीव्रता में आभासी परिवर्तन नहीं होता है| फलतः ग्रह और चंद्रमा टिमटिमाते हुए नहीं दिखाई देते हैं|
12. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:-
प्रातः के समय सूर्य क्षितिज के निकट होता है| सूर्य की किरणों को हम तक पहुँचने के लिए वातावरणीय मोटी परतों से गुजर कर पहुंचना पड़ता है| नीले और कम तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का अधिकांश भाग वहाँ उपस्थित कणों के द्वारा प्रकीर्णन कर दिया जाता है| हमारी आंखों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य का होता है| इसिलिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है|
13. किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:-
अंतरिक्ष यात्री आकाश में उस ऊंचाई पर होते हैं जहाँ वायुमंडलीय नहीं होता और न ही वहाँ कोई प्रकीर्णन हो पाता है इसलिए उन्हें आकाश नीला नहीं बल्कि काला प्रतीत होता है|
14. इन्द्रधनुष की व्याख्या करें| प्रकाश के वर्ण विक्षेपण से आप क्या समझते हैं|
उत्तर:-
वर्षा होने के बाद जब सूर्य चमकता है और हम सूर्य की ओर पीठ करके खड़े होते हैं, तो हमें कभी कभी आकाश में अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी दिखाई पड़ती है| इस अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी को इंद्र धनुष कहते हैं| श्वेत प्रकाश के इसके विभिन्न रंगों में विभक्त होने में विभक्त होने की घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं|
15. रेलवे के सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का ही होता है|
उत्तर:-
इसका कारण यह है कि लाल रंग कुहरे अथवा धुएँ में सबसे कम प्रकीर्णित होता है|
16. जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तब इसके अवयव किसी सफेद पर्दे या दीवार पर भिन्न भिन्न स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं| क्यों?
उत्तर:-
श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है| प्रत्येक रंग का तरंगदैर्ध्य एक दूसरे से भिन्न है| भिन्न भिन्न तरंगदैर्ध्यों के लिए प्रिज्म के माध्यम का अपवर्तनांक अलग अलग होता है| इस कारण विभिन्न रंग की किरणों का प्रिज्म से विचलन भिन्न भिन्न होता है| अतः श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरने के बाद अपने अवयवी रंगों बैनीआहपीनाल में बंट जाता है| चूंकि श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण होता है और प्रत्येक रंगों का तरंगदैर्ध्य अलग होता है| परिणामस्वरूप विभिन्न रंगों का प्रिज्म से विचलन अलग अलग होता है| यही कारण है कि जब श्वेत एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तो इसके अवयव किसी सफेद या दीवार पर अलग अलग स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं|
17. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण क्या है? स्पेक्ट्रम कैसे बनता है?
उत्तर:-
श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं| रंगीन पट्टी (स्पेक्ट्रम) इस कारण उत्पन्न होती है कि प्रिज्म द्वारा (विभिन्न तरंगदैर्ध्य) के प्रकाश का विचलन अलग अलग होता है—लाल वर्ण (रंग) का विचलन सबसे कम और बैंगनी (रंग) का विचलन सबसे अधिक| प्रिज्म द्वारा विभिन्न वर्णों (रंगों) के अलग अलग विचलन का कारण यह है कि विभिन्न वर्णों (विभिन्न तरंगदैर्ध्यों) का प्रकाश कांच के विभिन्न चाल में चलता है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. निकट दृष्टि दोष से आप क्या अभिप्राय है? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:-
निकट दृष्टि दोष—-
इस दोष वाली आंख के पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती है परंतु दूर की वस्तुएँ ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती है| इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है|
निकट दृष्टि दोष के कारण—-
क्रिस्टलीय लेंस का मोटा हो जाना या इसकी फोकस दूरी का कम हो जाना|
आंख के गोले का लंबा हो जाना अर्थात रेटिना तथा लेंस के बीच की दूरी का अधिक हो जाना होता है| अनंत से आने वाली समानांतर किरणें रेटिना के सामने मिलती है तथा प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाई गया है|
निकट दृष्टि दोष को दूर करना—-
इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आंख के दूर बिंदु जितनी होती है|
2. दूर दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:-
दूर दृष्टि दोष—-
इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती है परन्तु समीप की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती है| इसका कारण यह है कि समीप की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है|
दूर दृष्टि दोष के कारण—–
नेत्र गोलक का छोटा होना|
आंख के क्रिस्टलीय लेंस का पतन होना या इनकी फोकस दूरी का अधिक हो जाना| बच्चों में यह रोग प्रायः नेत्र गोलक के छोटा होने के कारण होता है|
दूर दृष्टि दोष को दूर करना—-
इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है| इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है तथा समीप पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती है|
3. दृष्टि दोष मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं| किसी एक दोष को दूर करने की विधि का वर्णन करें|
उत्तर:-
दृष्टि दोष—
आंख के वे दोष जो नेत्र लेंस की फोकस दूरी तथा नेत्र गोलक के आकार में कमी या वृद्धि के कारण उत्पन्न होते हैं, दृष्टि दोष कहलाते हैं ये चार प्रकार के होते हैं—-
निकट दृष्टि दोष, दूर दृष्टि दोष, जरा दृष्टि दोष, अबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्य
•• किसी एक दोष दूर करने की विधि का वर्णन—-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 और 2 का उत्तर देखें|••
4. वायुमंडलीय अपवर्तन से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण द्वारा इसे समझाएँ|
उत्तर:-
पृथ्वी के वायुमंडलीय द्वारा प्रकाश के अपवर्तन को वायुमंडलीय अपवर्तन कहते हैं| संभवतः आपने कभी आग या भट्ठी अथवा किसी ऊष्मीय विकिरक के ऊपर उठती गर्म वायु के विक्षुब्ध प्रवाह में धूल के कणों को आभासी, अनियमित अस्थिर गति अथवा छिलमिलाहट देखी होगी| आग के तुरंत ऊपर की वायु अपने ऊपर की वायु की तुलना में अधिक गर्म हो जाती है| गर्म वायु अपने ऊपर ठंडी वायु की तुलना में हल्की (कम सघन) होती है तथा इसका अपवर्तनांक ठंडी वायु की अपेक्षा थोड़ा कम होता है| क्योंकि अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएँ स्थिर नहीं है, इसिलिए गर्म वायु में से होकर देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है| इस प्रकार यह अस्थिरता हमारे स्थानीय पर्यावरण में लघु स्तर पर वायुमंडलीय अपवर्तन (पृथ्वी के वायुमंडल के कारण प्रकाश का अपवर्तन) का ही एक प्रभाव है| तारों का टिमटिमाना वृहत् स्तर की एक ऐसी ही परिघटना है| तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है| हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है| इससे आंखों में प्रकाश कभी कम पहुंचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं|
5. स्पेक्ट्रम क्या है? आप किस प्रकार दिखाएंगे कि सूर्य का प्रकाश सात वर्णों (रंगों) से बना है?
उत्तर:-
जब श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरती है तो पर्दे पर फोकसित विभिन्न रंगों की पट्टी कहलाती है| दूसरे शब्दों में श्वेत प्रकाश के वर्ण विक्षेपण से प्राप्त प्रकाश की रंगीन पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते हैं|
स्पेक्ट्रम के रंगों का क्रम—–
बैंगनी(V) , जामुनी(J) , पीला(B) , हरा(G) , पीला(Y) , नारंगी (O) तथा लाल (R) है| संक्षेप में VIBGYOR कहते हैं|
सूर्य प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है| इसको दर्शाने के लिए एक क्राउन ग्लास का प्रिज्म लेते हैं उसको सूर्य की ओर इस ढंग से व्यवस्थित करते हैं कि दूसरी ओर पटल पर किरणें विच्छेपित होकर पड़े| पर्दे पर सात रंग की पट्टी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है| इससे प्रमाणित होता है कि सूर्य सात रंगों का सम्मिश्रण है| यह रंग बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल है|
6. एक प्रयोग द्वारा दिखाएं कि श्वेत प्रकाश के अवयवी कणों (रंगों) के मिलने से पुनः श्वेत प्रकाश का पुननिर्माण होता है|
उत्तर:-
निम्नलिखित प्रयोग द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि श्वेत प्रकाश के विभिन्न (सात) वर्णों (रंगों) के मिलने से पुनः श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है|
श्वेत प्रकाश की एक किरण जब प्रिज्म पर पड़ती है तो वह विभिन्न (सात) वर्णों (रंगों) में बंट जाती है और प्रिज्म के पीछे रखे पर्दे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है| अब यदि प्रिज्म के ही पदार्थ से बने और उसी अपवर्तक कोण के दूसरे प्रिज्म को पहले प्रिज्म के उस पार्श्व के समांतर इस प्रकार रखा जाए कि दूसरे प्रिज्म का अपवर्तक कोण पहले (प्रिज्म) के अपवर्तन कोण के विपरीत हो तो पर्दे पर स्पेक्ट्रम के स्थान पर श्वेत धब्बा दिखाई पड़ता है| इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि श्वेत प्रकाश के अवयवी (सात) वर्णों (रंगों) के मिलने से श्वेत प्रकाश का पुनर्निर्माण होता है|
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