Bharti Bhawan Physics Class-10:Chapter-6:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भौतिकी:कक्षा-10:अध्याय-6:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न




                       ऊर्जा के स्रोत






अतिलघु उत्तरीय प्रश्न





1. ऊर्जा के तीन विभिन्न रूपों के नाम लिखें–
उत्तर:-
यांत्रिक ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा
2. पवन को किस प्रकार की ऊर्जा होती है? 
उत्तर:- नाभिकीय ऊर्जा
3. पवन द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए पवन की चाल लगभग कितनी होनी चाहिए? 
उत्तर:- 15 किलोमीटर प्रति घंटा
4. जीवाश्म ईंधन, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत है या अनवीकरणीय स्रोत? 
उत्तर:- अनवीकरणीय स्रोत
5. जल विद्युत संयंत्र में पानी की किस ऊर्जा का उपयोग टरबाइन को चलाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है? 
उत्तर:- पानी की स्थितिज ऊर्जा का उपयोग कर विद्युत उत्पन्न किया जाता है|
6. क्या गोबर गैस, ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है? 
उत्तर:-
हाँ, क्योंकि गोबर गैस प्लान्ट आधुनिक युग में चलाए गए हैं, जिसमें गोबर गैस से ऊर्जा प्राप्त की जाती है|
7. दो विधियों के नाम लिखें जिनके द्वारा पानी का उपयोग जल विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है|
उत्तर:-
जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदी ऊंचे बांध बनाकर
जलप्रपात या वर्षा जल का संग्रहण
8. जीवाश्म ईंधन की ऊर्जा का अंतिम स्रोत क्या है? 
उत्तर:- पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस है|
9. बायोगैस का मुख्य घटक क्या है? 
उत्तर:- मिथेन
10. सौर ऊर्जा की कोई एक विशेषता लिखें|
उत्तर:- 
सौर ऊर्जा को कोई चल हिस्से नहीं होते हैं|
11. बाक्स प्रकार के सौर कुकर में ताप की सीमा क्या है जो वह दो तीन घंटे में प्राप्त कर सकता है? 
उत्तर:- बाक्स प्रकार के सौर कुकर में ताप की सीमा 100 से 140°C है जो वह दो से तीन घंटे में प्राप्त कर सकता है|
12. अवतल, उत्तल और समतल दर्पण में कौन सा दर्पण सौर कुकर में सबसे अधिक उपयुक्त होगा और क्यों? 
उत्तर:- सौर कुकर में समतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर देता है|
13. सौर सेल ऊर्जा के एक रूप को दूसरे रूप में बदलता है| ऊर्जा के ये दो रूप क्या है? 
उत्तर:- सौर सेल, सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है|
14. एक प्ररूपी सौर सेल कितनी वोल्टता एवं कितनी विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है? 
उत्तर:-
प्रारूपी सौर सेल 0.5 से लेकर 1 वोल्ट तक की वोल्टता तथा 0.7 वाट की विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है|
15. ईंधन से ऊर्जा को किस प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न किया जाता है? 
उत्तर:- दहन की प्रक्रिया द्वारा
16. ग्रीन हाउस गैसें कौन कौन सी है? 
उत्तर:- कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड
17. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से किस प्रकार की ऊर्जा की प्राप्ति होती है? 
उत्तर:- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से विद्युत ऊर्जा की प्राप्ति होती है|
18. उस प्रक्रिया का नाम लिखें जिसके द्वारा सूर्य अपनी ऊर्जा उत्पन्न करता है? 
उत्तर:- नाभिकीय संलयन द्वारा
19. यदि वायुमंडल की ऊपरी परत 100 जूल और सौर ऊर्जा प्राप्त करता है तो इसमें से कितनी ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर पहुँचती है? 
उत्तर:-
यदि वायुमंडल की ऊपरी परत 100 जूल सौर ऊर्जा प्राप्त करता है तो इसमें से लगभग 47 जूल ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर पहुँचती है|
20. उच्चतर ताप पर कौन सी प्रक्रिया पूरी की जाती है—नाभिकीय विखंडन या नाभिकीय संलयन? 
उत्तर:- उच्चतर ताप पर नाभिकीय संलयन प्रक्रिया पूरी की जाती है|


लघु उत्तरीय प्रश्न






1. ऊर्जा का अच्छा स्रोत क्या है? 
उत्तर:-
ऊर्जा का अच्छा स्रोत वह है जो——
प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करें|
सरलता से सुलभ हो सके
भंडारण तथा परिवहन आसान हो सके
यह सस्ता भी है|
2. अच्छा ईंधन क्या है? 
उत्तर:-
वैसा ईंधन जो जलने पर अधिक ऊष्मा प्रदान करे तथा प्रदूषण कम उत्पन्न करे अच्छा ईंधन है| अच्छे ईंधन के निम्न गुण है———
जो जलने पर अधिक ऊष्मा उत्पन्न निर्मुक्त करे|
जो आसानी से उपलब्ध हो|
जो अधिक धुआँ उत्पन्न न करे|
जिसका भंडारण और परिवहन आसान हो|
जिसके दहन की दर मध्यम हो|
जिसके चलने पर विषैले उत्पाद पैदा न करे|
3. जीवाश्म ईंधन क्या है? उदाहरण सहित लिखें|
उत्तर:-
पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए पौधे और पशुओं के अवशेषों द्वारा बनाये गए ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं|
उदाहरण—
कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिक के अणु है|
4. कौन सा ऊष्मा स्रोत भोजन को गर्म करने के लिए काम में लाया जाएगा और क्यों? 
उत्तर:-
हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे| क्योंकि इसमें उत्तम ईंधन की अनेक विशेषताएँ विद्यमान हैं| इसका ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरी-मान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती|
5. जीवाश्म ईंधन के खामियां क्या है? 
उत्तर:-
जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत है और अब हमारे पास इनके सीमित भंडार ही बचे हैं| यह शीघ्र रिक्त हो जाएंगे| जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के आक्साइड उत्पन्न होते हैं| सल्फर के आक्साइड अम्लीय होते हैं और वे अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं जिससे हमारे जल और मृदा के संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है| जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु में हानिकारक कणिकाएँ और धुआँ प्रदूषण फैलाते हैं जिस कारण कयी तरह से श्वसन संबंधी रोग फैलाते हैं और कार्बन मोनोऑक्साइड तो बंद कमरों में सोते हुए लोगों में कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर उनका जीवन ही तो ले लेती है|
6. क्यों हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजते हैं? 
उत्तर:-
पृथ्वी में कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा यूरेनियम जैसे ईंधनों के ज्ञात भंडार बहुत ही सीमित है| यदि इसी दर से उनका उपयोग होता रहा तो वे शीघ्र समाप्त हो जाएंगे| इसिलिए हम ऊर्जा से निबटने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दें रहे हैं|
7. पवन और जल से प्राप्त ऊर्जा के परंपरागत उपयोग में किस प्रकार का सुधार हमारी सुविधा के लिए किया गया है? 
उत्तर:-
पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है| वर्तमान में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो|
पवन ऊर्जा—
सूर्य के विकिरणों से भूखंडों और जलाशयों के असमान गर्म होने के कारण वायु में गति उत्पन्न होती है और पवनों का प्रवाह होता है| पहले पवन ऊर्जा से पवन चक्कियां चलाकर कुओं से जल खींचने का काम होता था, लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में किया जाने लगा है| विद्युत उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को किसी विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं| जिन स्थानों पर 15km/h से अधिक गति से पवनें चलती है| जनित्रों से भी पवन चक्कियों की पंखुड़ियों को घूर्णी गति दी जा सकती है| 
जल ऊर्जा—-
जल वैद्युत संयंत्रों में ऊंचाई से गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है| ऐसे जल प्रपातों की संख्या बहुत कम है जिनका उपयोग स्थितिज ऊर्जा के स्रोतों के रूप में किया जा सकता है| इसिलिए अब जल विद्युत संयंत्रों को बांधों से संबंधित किया गया है| विश्व भर में बड़ी संख्या में बांध बनाए गए हैं| हमारे देश में विद्युत ऊर्जा की मांग का एक चौथाई भाग जल वैद्युत संयंत्रों से पूरा होता है| जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़ी बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया जाता है| इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है| बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बांध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न कराते हैं|
8. नदियों पर बांध बनाकर जल विद्युत उत्पादन के दो लाभ तथा दो हानियाँ बताएं|
उत्तर:-
लाभ—
जल वैद्युत ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है|
जल से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने पर पर्यावरण में प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है|
हानि—-
पर्यावरण असंतुलित हो जाता है|
बहुत से पौधे, मकान एवं जंतु बांध के कारण डूब जाते हैं|
9. ऊर्जा जो महासागरों से प्राप्त की जा सकती है, की सीमाएँ क्या है? 
उत्तर:-
महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है लेकिन सदा ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों—- ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनी अपनी सीमाएँ है|
ज्वारीय ऊर्जा—-
ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध बना कर किया जाता है| बांध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में रुपांतरित कर देता है| सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बांध निर्मित करने योग्य उचित स्थितियाँ सरलता से उपलब्ध नहीं होती|
तरंग ऊर्जा—-
तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहाँ तरंगें अति प्रबल हो| विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम है जहाँ सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती है कि उनकी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके|
सागरीय तापीय ऊर्जा—-
सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र तभी कार्य कर सकता है| तब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि०मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हों तो इस प्रकार विद्युत ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है| पर यह प्रणाली बहुत महंगी है| 
10. भूऊष्मीय ऊर्जा क्या है? 
उत्तर:-
पृथ्वी के अंदर दबावकारी शक्तियाँ कार्य करती है जिस कारण चट्टानें पिघल जाती है और गहरे गर्म क्षेत्र का निर्माण हो जाता है| भूमिगत जल इस गर्म क्षेत्र के संपर्क में आता है तो बड़ी मात्रा में गर्म भाप उत्पन्न होता है| कभी कभी इस क्षेत्र से गर्म पानी एवं भाप बाहर झरने के रूप में निकलते हैं| चट्टानों में कैसी भाप पाइप से होकर टरबाइन तक भेज दी जाती है तथा विद्युत का उत्पादन किया जाता है| इस प्रकार पृथ्वी के भू गर्भ से निकले गर्म भाप एवं पानी का जो ऊर्जा प्राप्त होता है उसे भू ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं|
11. नाभिकीय ऊर्जा के क्या लाभ है? 
उत्तर:-
नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है| 
बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है|
ऊर्जा के साथ त्वरित होने वाले कणों के प्रयोग से बड़ी संख्या में शोध किये जाते हैं|
कम खर्च में अत्यधिक ऊर्जा उपलब्ध|
अवशिष्ट पदार्थों का पुनः इस्तेमाल संभव|
12. क्या ऊर्जा का कोई स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं? 
उत्तर:-
किसी भी प्रकार के ऊर्जा स्रोत के समाप्त होने से वातावरण असंतुलित होता है| इसिलिए हम कह सकते हैं कि कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है| उदाहरणार्थ, यदि हम लकड़ी को ऊर्जा स्रोत की तरह उपयोग करते हैं तब पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न होता है| वायु में CO2 और O2 का भी संतुलन प्रभावित होता है| लकड़ी जलने से उत्पन्न CO2, SO2, NO2 वायु प्रदूषण करते हैं| यहाँ तक की सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग भूमंडलीय ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न होगा|
13. ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप नवीकरणीय होना सोचते हैं| अपने चुनाव के लिए कारण लिखें|
उत्तर:-
जल ऊर्जा—
बहते जल में उपस्थित ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं| यहाँ ऊंचाई से नीचे बहते जल की ऊर्जा का उपयोग कर लिया जाता है तथा उपयोग के बाद बहता हुआ पानी समुद्र में चला जाता है| जल चक्र के कारण पानी पुनः ऊंचाई पर पहुँच जाता है| इसलिए जल ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं|
पवन ऊर्जा—
पवन ऊर्जा का विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग करते हैं| प्रकृति में पवनें चक्रीय प्रक्रमों के कारण उत्पन्न होती है| इसलिए यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है|
14. जीवाश्म ईंधन क्या है? उदाहरण सहित लिखें
उत्तर:- प्रश्न संख्या 3 का उत्तर देखें|
15. विद्युत की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए सौर पैनलों के उपयोग में कौन सी रूकावटें है? 
उत्तर:-
सिलिकॉन जो सौर सेलों को बनाने के लिए इस्तेमाल होता है, प्रकृति में भरपूर है, किन्तु सौर सेल को बनाने के लिए विशिष्ट ग्रेड वाले सिलिकॉन की उपलब्धता सीमित है| निर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया अभी भी बहुत खर्चीली है, पैनल के सेलों से अंत:संबंध के लिए प्रयुक्त चांदी इसकी कीमत को और भी बढ़ा देती है|
16. पवन चक्की के कार्य करने का क्या सिद्धांत है| इससे उपयोगी प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए? 
उत्तर:-
पवन चक्की पवन ऊर्जा का रूपांतर यांत्रिक ऊर्जा में होता है| विशेष आकार प्रकार के ब्लेडी के कारण, पवन टकराने पर इसके विभिन्न क्षेत्रों में दावांतर उत्पन्न होता है जिससे एक घूर्णी प्रभाव उत्पन्न होता है| जो लेडो को घुमा देता है| इसका प्रयोग विद्युत जनित्र के आर्मेचर को घुमाने के लिए किया जाता है| पवन का न्यूनतम वेग 15km/hr होना चाहिए|
17. ऊर्जा के दो ऐसे स्रोतों के नाम लिखें जिन्हें आप समाप्त होने वाला समझते हैं| अपने चुनाव के लिए कारण लिखें|
उत्तर:-
कोयला तथा पेट्रोलियम समाप्त होने वाला ऊर्जा स्रोत है| कोयला उन पौधों का जीवाश्म अवशेष हैं जो करोड़ों वर्ष पूर्व भूपर्पटी के नीचे गहराइयों में दब गए थे| इसी प्रकार पेट्रोलियम समुद्री जीवों व पौधों के जीवाश्म अवशेष हैं| इस प्रकार इन ईंधनों के बनने की यह प्रक्रिया अत्यंत धीमी है और इसमें करोड़ों वर्षों का समय लगता है| एक बार यदि यह समाप्त हो गये तो दोबारा नहीं बन सकेंगे| इसलिए इन्हें समाप्त होनेवाला ऊर्जा स्रोत समझते हैं|
18. सौर कुकर के उपयोग के लाभ और अलाभ (हानि) क्या है? क्या ऐसे स्थान है जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता होगी? 
उत्तर:-

सौर कुकर के उपयोग के लाभ—–
यह बिना प्रदूषण किए भोजन पकाने में सहायक है|
सौर कुकर का उपयोग सस्ता भी है क्योंकि सौर ऊर्जा के उपयोग का मूल्य नहीं चुकाना पड़ता है|
सौर कुकर का रख रखाव आसान होता है| इसमें किसी प्रकार के खतरे की संभावना नहीं होती है|
सौर कुकर के उपयोग के हानि—-
रात में और बादल वाले दिनों में सौर कुकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है|
यह भोजन पकाने में अधिक समय लेता है|
सभी स्थानों पर हर समय सूर्य की रोशनी उपलब्ध नहीं होती|
इसका उपयोग शीघ्रता से खाना बनाने में नहीं किया जा सकता|
सौर कुकर के सीमित उपयोगिता वाले क्षेत्र—–
हाँ, कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ सौर कुकर की सीमित उपयोगिता है| ध्रुवों पर जहाँ सूर्य आधे वर्ष तक नहीं दिखाई देता है| वहाँ सौर कुकर का उपयोग सीमित है| पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए और काफी तिरछी पड़ती है वहाँ सौर कुकर का उपयोग बहुत कठिन है|
19. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या है? ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए आपके सुझाव क्या होंगे? 
उत्तर:-
ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढती ही जाएगी| ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा| ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती| उद्योग धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएँ आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी| यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा| ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है| लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा| जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है| ऊर्जा के विभिन्न नये स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरी-मान अधिक हो| उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो| स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए|
20. शारीरिक कार्यों को रोकने के लिए विभिन्न वैद्युत साधित्रों को चलाने के लिए तथा भोजन पकाने अथवा वाहनों को चलाने के लिए किस प्रकार के ऊर्जाओं की आवश्यकता होती है? 
उत्तर:-
शारीरिक कार्यों को करने के लिए विभिन्न वैद्युत साधित्रों को चलाने के लिए तथा वाहनों को चलाने के लिए पेशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा भोजन को पकाने के लिए ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न






1. बायोगैस संयंत्र की बनावट और कार्यविधि का वर्णन करें|
उत्तर:-
तैरती हुई गैस टंकी वाले बायोगैस संयंत्र की रचना-
इस बायोगैस संयंत्र में कुएँ के आकार वाला एक भूमिगत टैंक T होता है जिसे संपाचक टैंक कहते हैं| यह ईंटों का बना होता है| इस भूमिगत टैंक में गोबर तथा पानी का घोल भर देते हैं| ड्रम के आकार वाली एक स्टील की बनी गैस टंकी H संपाचक टैंक के भरे गोबर के घोल के ऊपर तैरती रहती है| यह टंकी बायोगैस इकट्ठा करने के लिए होती है| गैस टंकी की चोटी पर एक गैस निर्गम, S होता है जिसमें गैस वाल्व V लगा होता है| घरों में सप्लाई करने के लिए बायोगैस, निर्गम S से ही निकाली जाती है|
कार्यविधि—
गोबर तथा पानी की बराबर मात्रा टैंक M में मिलाकर एक घोल बनाया जाता है जिसे स्लरी कहते हैं| गोबर गैस तथा पानी के इस घोल को प्रवेश पाइप के द्वारा संपाचक टैंक T में डाल दिया जाता है| गोबर तथा पानी के घोल को संपाचक टंकी में लगभग 50-60 दिन के लिए ऐसे ही रखा जाता है| इस अवधि के दौरान गोबर व पानी की उपस्थिति में अनाक्सी सूक्ष्मजीवों द्वारा निम्नीकरण होता है जिससे बायोगैस बनती है जो टंकी H में इकट्ठी रहती है| बायोगैस को निर्गम S पाइपों द्वारा घरों तक पहुँचाया जाता है| अनाक्सी अपघटन अनाक्सी बैक्टीरिया नामक सूक्ष्म जीवों द्वारा संपन्न की जाती है| यह अपघटन पानी की उपस्थिति में होता है परन्तु आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है|

2. महासागर की विभिन्न गहराइयों पर तापों में अंतर का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिए कैसे किया जा सकता है? वर्णन करें|
उत्तर:-
सागर या महासागर की सतह पर स्थित पानी सूर्य द्वारा गर्म होता है जबकि इसकी गहराई में स्थित पानी अपेक्षाकृत ठंडा होता है| ताप के अंतर का उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने के लिए महासागर तापीय ऊर्जा परिवर्तन संयंत्रों में किया जाता है| ये संयंत्रों तभी काम कर सकते हैं जब सतह पर पानी और 2 किलोमीटर की गहराई तक पानी के बीच के ताप का अंतर 20° सेल्सियस या उससे अधिक हो| गर्म सतह पानी का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रव को उबालने के लिए किया जाता है तथा द्रव के वाष्प का उपयोग जनित्र के टरबाइन को चलाने के लिए किया जाता है| महासागर की गहराई से ठंडे पानी के ऊपर की ओर पंप किया जाता है और वाष्प को फिर से द्रव में संघनित किया जाता है|
3. समझाएँ कि कैसे जल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है|जल ऊर्जा के दो लाभ भी लिखें|
उत्तर:-
जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़े जलाशयों (कृत्रिम झीलों) में जल एकत्र करने के लिए ऊंचे ऊंचे बांध बनाए जाते हैं| इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊंचा हो जाता है| बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बांध के आकार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है| फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णित गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है|
जल ऊर्जा के दो लाभ—-
ऊर्जा का यह स्रोत नवीकरणीय है और प्रदूषण मुक्त है|
जल विद्युत संयंत्र के लिए बनाए गए बांध नियंत्रण और सिंचाई में भी सहायक है|
4. (क) पवन (ख) तरंग (ग) ज्वार निष्कर्षण की सीमाएँ क्या है—-
उत्तर:-
पवन—
पवन ऊर्जा निष्कर्ष के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है|
पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब हवा की गति 15 किलोमीटर/घंटा से अधिक हो|
हवा की तेज गति के कारण टूट फूट और नुकसान की संभावनाएँ अधिक होती है|
तरंग—
तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हो|
इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएं है|
ज्वार—-
ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरूत्वीय खिंचाव के कारण होता है| तरंगों की ऊंचाई और बांध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएं है|
5. जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा के प्रत्यक्ष रूप में सूर्य की तुलना करें|
उत्तर:-
जीवाश्म ईंधन—-
यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है|
यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है|
रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है|
निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है|
मानव मन चाहे ढंग से उसपर नियंत्रण कर सकता है|
सूर्य—
यह ऊर्जा का विकीरणीय स्रोत है|
यह प्रदूषण नहीं फैलाता है|
परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है|
निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है|
मन चाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता है|
6. ऊर्जा के स्रोतों के रूप में जीव द्रव्यमान और जल विद्युत की तुलना करें|
उत्तर:-
जीव द्रव्यमान—-
जीव द्रव्यमान नवीकरणीय एवं परंपरागत ऊर्जा स्रोत है|
जीव द्रव्यमान में रसायनिक ऊर्जा निहित होती है|
जीव द्रव्यमान के उपयोग से वातावरण प्रदूषित होती है|
जीव द्रव्यमान का प्रयोग पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न नहीं करता है|
जल विद्युत की अपेक्षा जीव द्रव्यमान सस्ता ऊर्जा स्रोत है|
जल विद्युत—-
जल विद्युत भी नवीकरणीय एवं परंपरागत ऊर्जा स्रोत है|
बहते जल में उपस्थित गतिथ ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है|
जल विद्युत, ऊर्जा का प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है|
जल विद्युत के लिए बांध बनाने पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न होता है|
जल विद्युत अपेक्षाकृत महंगा ऊर्जा स्रोत है|

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