हमारा पर्यावरण
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. पर्यावरण किसे कहते हैं?
उत्तर:-
अजैव तथा जैव घटकों से बनी दुनिया को पर्यावरण कहा जाता है|
2. पारिस्थितिक तंत्र क्या है?
उत्तर:-
पारिस्थितिक तंत्र जीवमंडल का एक स्वसंपोषित संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई है|
3. पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं दो जैव घटकों के नाम लिखें|
उत्तर:- अजैव, जैव
4. पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं तीन अजैव घटकों के नाम लिखें|
उत्तर:-
भौतिक वातावरण, पोषण तथा जलवायु
5. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र का कोई दो उदाहरण दें|
उत्तर:- चारागाह, उद्यान
6. मैदानी पारिस्थितिक तंत्र के आहार श्रृंखला को नामों से दर्शाएं|
उत्तर:- घास—> बकरी—-> बाघ
7 उत्पादक किसे कहते हैं|
उत्तर:-
हरे पौधे जैसे शैवाल, घास, पेड़ इत्यादि ऐसे जीव है जिनमें प्रकाशसंश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता है| इस प्रकार के जीवों को उत्पादक कहते हैं|
8. एक आहार श्रृंखला का प्रथम पोषी स्तर क्या है?
उत्तर:- हरे पौधे (उत्पादक)
9. कोई दो जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के नाम लिखें|
उत्तर:- प्लास्टिक थैले एवं बोतल, अपमार्जक
10. निम्नलिखित में से कौन कौन जैव निम्नीकरणीय है?
कागज, DDT, गोबर, प्लैस्टिक की थैली, सब्जी के छिलके|
उत्तर:-
जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट—-कागज, गोबर, सब्जी के छिलके
11. किस कारण से कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं तथा कुछ जैव अनिम्नीकरणीय?
उत्तर:-
कुछ अपशिष्ट पदार्थों को निबटान आसानी से किया जा सकता है| किन्तु कुछ का जैव अपघटन आसानी से नहीं होता है| इन्हीं गुणों के कारण इसका वर्गीकरण किया गया है|
12. ओजोन स्तर क्या महत्व है?
उत्तर:-
ओजोन स्तर सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी पर के प्राणियों को बचाता है|
13. CFC का पूरा नाम लिखें|
उत्तर:-
क्लोरो फ्लोरो कार्बन
14. एक रासायनिक यौगिक का नाम लिखें जिससे ओजोन स्तर का अवक्षय होता है|
उत्तर:- क्लोरो कार्बन या क्लोरो फ्लोरो कार्बन
15. पराबैंगनी विकिरणों से मनुष्य में कौन सी बीमारी होती है?
उत्तर:- त्वचा कैंसर एवं मोतियाबिंद
16. जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई क्या होती है?
उत्तर:- पारिस्थितिक तंत्र
17. समुद्र किस प्रकार का पारिस्थितिक तंत्र है?
उत्तर:- प्राकृतिक
18. अपने पोषण के लिए उत्पादकों पर पूर्णरूपेण निर्भर रहनेवाले जीवों को क्या कहलाता है?
उत्तर:- उपभोक्ता
19. वैसे जीव, जो पौधे, जंतु दोनों खाते हैं, को क्या कहते हैं?
उत्तर:- सर्वभक्षी
20. जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीव को क्या कह सकते हैं?
उत्तर:- अपघटनकर्ता या अपमार्जक
21. एक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का कार्य कौन करता है?
उत्तर:- शैवाल
22. पृथ्वी तक पहुँचने वाली सौर ऊर्जा का कितना भाग उत्पादक ग्रहण कर रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन करता है?
उत्तर:-1℅
23. आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा का कितना हिस्सा अगले पोषी स्तर में स्थानांतरित होता है?
उत्तर:- 10℅
24. जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा का पहले पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में क्रमशः होनेवाली वृद्धि को क्या कहते हैं?
उत्तर:- जैव आवर्धन
25. रेडियोधर्मी पदार्थ किस प्रकार के अपशिष्ट है?
उत्तर:- अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट
26. अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाए तो किस प्रकार की आकृति बनती है?
उत्तर:-पिरामिड
27. कागज और कपास से निर्मित कपड़े किस प्रकार के अपशिष्ट है?
उत्तर:- जैविक अपशिष्ट
28. धरती पर स्थित सभी जंतुओं को कास श्रेणी में रखा जाता है?
उत्तर:- पर्यावरण या वातावरण
29. तिलचट्टा एवं मनुष्य किस प्रकार का जीव है?
उत्तर:- सर्वभक्षी
30. आहार श्रृंखलाओं के जाल को क्या कहते हैं
उत्तर:- आहार जाल
31. अधिकतम ऊर्जा किस स्तर पर संचित रहती है?
उत्तर:- उत्पादक स्तर (हरे पौधे)
32. आहार श्रृंखला में मनुष्य का क्या स्थान है?
उत्तर:- प्राथमिक एवं द्वितीयक उपभोक्ता
33. हमारे खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायनों का जमाव किस क्रिया द्वारा होता है?
उत्तर:- जैव आवर्धन
34. किस क्षेत्र के ऊपर ओजोन स्तर में आई कमी को सामान्यतः ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है?
उत्तर:: अंटार्कटिका
35. एरोसोल के उपयोग से वायुमंडल एवं जीव मंडल सम्मिलित रूप से किसका निर्माण करते हैं?
उत्तर:- ओजोन मंडल का
36. जलमंडल, स्थलमंडल, वायुमंडल एवं जीवमंडल सम्मिलित रूप से किसका निर्माण करते हैं?
उत्तर:-पर्यावरण
37. उपभोक्ता को कितने श्रेणियों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:-3
38. वन पारिस्थितिक तंत्र में घास का पोषी स्तर क्या होता है?
उत्तर:- प्रथम उत्पादक
39. एक वन पारिस्थितिक तंत्र में चिड़ियों का क्या स्थान है?
उत्तर:- तृतीय पोषी स्तर
40. एक मैदानी पारिस्थितिक तंत्र के आहार श्रृंखला में गिद्ध कहाँ आते हैं?
उत्तर:- चतुर्थ पोषी स्तर
41. क्या ऊर्जा का स्थानांतरण उपभोक्ता से उत्पादक की ओर हो सकता है?
उत्तर:- नहीं
42. CFC के टूटने से किस गैस की उत्पत्ति होती है जो ओजोन से प्रतिक्रिया करता है?
उत्तर:- आणविक तथा परमाण्विक आक्सीजन में
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का क्या अर्थ है?
उत्तर:-
उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण घटक है| हरे पौधे एकमात्र उत्पादक है| यह प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं| प्रकाश संश्लेषण क्रिया के फलस्वरूप कार्बन यौगिक (कार्बोहाइड्रेट) का निर्माण करते हैं जो हरे पौधे में विभिन्न रूपों में ऊतकों में संचित रहता है| ये हरे पौधे पर ही पारिस्थितिक तंत्र के सारे सजीव निर्भर करते हैं अर्थात यह सभी सजीवों को पोषण प्रदान करते हैं|
2. आहार श्रृंखला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-
आहार श्रृंखला पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण तरीका है| इसमें ऊर्जा का श्रृंखलाबद्ध संचार होता है| एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवाह उसमें स्थित श्रृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है| जीवों की इस श्रृंखला को आहार श्रृंखला कहते हैं अर्थात आहार श्रृंखला, श्रृंखलाबद्ध तरीके से एकपथीय दिशा में व्यवस्थित वैसे जीवों के समूह है जिसमें एक जीव, श्रृंखला में अपने से ठीक नीचे स्थित जीव को खाता है तथा स्वयं उसी श्रृंखला में अपने से ठीक ऊपर स्थित जीव द्वारा खाया जाता है|
उदाहरण—
घास (पौधे)—-> बकरी—-> बाघ
शैवाल–>छोटे जंतु–>छोटी मछली–>बड़ी मछली
घास—>ग्रासहापर—-> मेढक—->सर्प—–> गिद्ध
इस श्रृंखला में घास (पौधे) उत्पादक, बकरी, छोटे जंतु, ग्रासहापर प्राथमिक उपभोक्ता तथा उनके बाद वाले द्वितीय उपभोक्ता कहलाते हैं| इस तरह आहार की श्रृंखला बनती है|
3. पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण देकर विभिन्न पोषी स्तर को बताएं|
उत्तर:-
आहार श्रृंखला में कयी पोषी स्तर होती है| प्रत्येक स्तर पर भोजन का स्थानांतरण होता है| आहार श्रृंखला के इन्हीं स्तरों को पोषी स्तर कहते हैं|
उच्च मांसाहारी जन्तु (चतुर्थ पोषी स्तर)
^
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मांसाहारी जंतु(तृतीय पोषी स्तर)
^
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शाकाहारी जन्तु (द्वितीय पोषी स्तर)
^
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उत्पादक (प्रथम पोषी स्तर)
4. आहार श्रृंखला का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:-
पारिस्थितिक तंत्र में एक साथ कयी आहार श्रृंखलाओं का निर्माण होता है| ये आहार श्रृंखला हमेशा सीधी नहीं होकर एक दूसरे से आड़े तिरछे जुड़कर एक जाल सा बनाती आहार श्रृंखलाओं के इस जाल को आहार जाल कहते हैं| ऐसा इसिलिए होता है कि पारिस्थितिक तंत्र उपभोक्ता एक से अधिक स्रोत का उपयोग करते हैं|
5. पारिस्थितिक तंत्र में अपघटनकर्ता की क्या भूमिका होती है?
उत्तर:-
पारिस्थितिक संतुलन को कायम रखने में अपघटन की महत्वपूर्ण भूमिका है| यह पौधे तथा जंतुओं के मृत शरीर तथा अन्य वर्ज्य पदार्थों का जीवाणुओं और कवकों के द्वारा अपघटन करता है| ये जीवाणु मृत जीवों के शरीर में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों में मुक्त कर देते हैं| जो विभिन्न गैसों के रूप में वायुमंडल में चले जाते हैं| अन्य ठोस एवं द्रव्य पदार्थ मिट्टी में मिल जाते हैं| इस प्रकार यह पारिस्थितिक संतुलन कायम करने का प्रयास करता है|
6. उत्पादक और उपभोक्ता में क्या अंतर है?
उत्तर:-
उत्पादक—-
ऐसे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन बनाते हैं उन्हें उत्पादक कहते हैं|
हरे पौधे उत्पादक जीव कहलाते हैं|
उपभोक्ता—-
ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं|
सारे जंतु उपभोक्ता कहलाते हैं|
7. पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएं|
उत्तर:-
पारिस्थितिक तंत्र
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अजैव जैव घटक घटक
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मृदा,वायु, पौधे,जंतु,
जल,प्रकाश,ताप मनुष्य,सूक्ष्म जीव
8. जैव आवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर:-
बहुत से रासायनिक पदार्थों;जैसे कीटनाशक, उर्वरक आदि का उपयोग फसलों की उत्पादकता बढाने एवं इन्हें रोगों से बचाने के लिए किया जाता है| आहार श्रृंखला द्वारा ये रसायन विभिन्न पोषी स्तरों से अंततः मानव शरीर में प्रविष्ट हो जाता है|मिट्टी या जल से पौधे के शरीर में सर्वप्रथम इन हानिकारक रसायनों का प्रवेश होता है जो जंतुओं से होता हुआ मनुष्य के शरीर में आता है;क्योंकि आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ जीव है| इस क्रिया के दौरान जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा पहले पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में क्रमशः बढती जाती है| इस क्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं| इसी क्रिया के चलते हमारे खाद्य पदार्थों (फल, सब्जी, मांस, मछली तथा खाद्यान्नों) में हानिकारक रसायन एकत्रित हो जाते हैं जिसे पानी से धोने या अन्य तरीकों से भी अलग नहीं किया जा सकता है| इनके सेवन से मनुष्य में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पैदा होती है|
9. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुंचाती है?
उत्तर:-
जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण में लंबे समय तक रहते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं| ये पदार्थों के चक्रण में बाधा पहुंचाते हैं|
जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता| वे उद्योगों में तरह तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार होकर बाद में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिलकर पर्यावरण को हानि पहुंचाते है|
वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह तरह की हानि पहुंचाते है|
ये जल प्रदूषण करते जिससे जल पीने योग्य नहीं रहता|
ये भूमि प्रदूषण करते हैं जिससे भूमि की सुन्दरता नष्ट हो जाती है|
ये वायुमंडल को भी विषैला बनाते हैं|
10. कचरा प्रबंधन कैसे किया जाता है?
उत्तर:-
विभिन्न प्रकार से प्राप्त कचरे को एक जगह एकत्र कर उसका वैज्ञानिक तरीके से समुचित निपटारा करने को कचरा प्रबंधन कहते हैं| बड़े बड़े शहरों में कचरे को एकत्र करने के लिए बड़ी बड़ी धानियां रखी जाती है| जैव निम्नीकरणीय एवं जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के लिए अलग अलग धानियां रहती है| कचरे को अलग अलग छांटकर कुछ कचरे का पुनः चक्रण किया जाता है| जिस कचरे का पुनः चक्रण संभव नहीं है उसे शहर से बाहर गड्ढे में डालकर ढंक दिया जाता है| द्रव कचरे जैसे मल, जल एवं अन्य रसायन को पाइपों के द्वारा एक जगह एकत्रित कर समुचित निपटारा किया जाता है| इस तरह कचरे का प्रबंधन किया जाता है|
11. ओजोन क्या है? इसके स्तर में अवक्षय होने से हमें क्या नुकसान हो सकता है?
उत्तर:-
आक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना यह एक गैस है| जो वायुमंडल में 15 किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर ऊंचाई वाले क्षेत्र के बीच एक स्तर के रूप में पाया जाता है| यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकता है| कुछ समय जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन, फ्लोरो कार्बन ओजोन से अभिक्रिया कर आणविक एवं परमाण्विक आक्सीजन के रूप में विखंडित कर ओजोन स्तर को अवक्षय कर रहे हैं| इससे सभी जीव जंतुओं को हानि पहुंच सकता है| अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन के स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र तक कहा जा रहा है| ऐसा होने से हिमालय का बर्फ़ पिघल सकता है और समुद्र का जल स्तर अधिक ऊपर उठ जाएगा जिसमें बड़े समुद्र के किनारे बसे शहर पानी से डूबा सकते हैं|
12. अगर किसी पोषी स्तर के सभी जीवों को नष्ट कर दिया जाए तो इसका पारिस्थितिक तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:-
यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो जाएगा| प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएँ एक दूसरे से जुड़ी हुई है| जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है| यदि आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी| उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी| उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी कि वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा| सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है|
13. ऐरोसाल रसायन के हानिकारक प्रभाव क्या है?
उत्तर:-
कुछ कास्मेटिक पदार्थों, सुगंधियां, झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक आदि डिब्बों में बंद आते हैं| ये फुहारे या झाग के रूप में बाहर निकलते| इन्हें ऐरोसाल कहा जाता है| इनके उपयोग से क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकलता है| जो वायुमंडल के ओजोन स्तर को नष्ट करता है|
14. जैव अनिम्नकरणीय एवं जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में क्या अंतर है? उदाहरण सहित समझाएँ|
उत्तर:-
जैव अनिम्नकरणीय अपशिष्ट—-
प्रदूषण के ऐसे कारक जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, जैव अनिम्नकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं| विभिन्न प्रकार के रसायनों जैसे कीटनाशक एवं पीड़कनाशक, डीडीटी, शीशा, आर्सेनिक, ऐलुमिनियम, कारक जैव अनिम्नकरणीय पदार्थों के उदाहरण है|
जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट—-
ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुनः उपयोग में आनेवाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं| जंतुओं के मल मूत्र, वाहितमल, कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, कागज, कपास, कपास से निर्मित कपड़े, जंतुओं और पेड़ पौधों के मूल शरीर, साधारण घरेलू अपशिष्ट जैसे प्रदूषण के कारक ऐसे जैविक अपशिष्ट पदार्थों के उदाहरण है|
15. निचले पोषी स्तर पर सामान्यतः ऊपरी पोषी स्तर की तुलना में जीवों की संख्या अधिक क्यों रहती है?
उत्तर:-
आहत श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा के 10 प्रतिशत ऊर्जा का ही स्थानांतरण अगले पोषी स्तर को हो पाता है तथा शेष 90 प्रतिशत ऊर्जा का व्यवहार विभिन्न प्रकार से हो जाता है| इस तरह विभिन्न पोषी स्तरों पर उपलब्ध होनेवाली ऊर्जा में उत्तरोत्तर ह्रास या कमी होती जाती है| उदाहरण के लिए, मान लिया कि अगर घास में 10,000 किलो कैलोरी ऊर्जा संचित है, तो मात्र 1000 किलो कैलोरी ऊर्जा ही ग्रासहापर को उपलब्ध होगी| इसी प्रकार मात्र 100 किलो कैलोरी ऊर्जा मेंढक को तथा मात्र 10 किलो कैलोरी ऊर्जा सर्प को उपलब्ध होगी| इस प्रकार हम पाते हैं कि अधिकतम ऊर्जा, उत्पादक (हरे पौधे) स्तर पर संचित है तथा इस ऊर्जा में हर पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर कमी आती जाती है| अर्थात शाकाहारी, तीसरे और चौथे पोषी स्तरों पर स्थित मांसाहारी की अपेक्षा ज्यादा ऊर्जा समृद्ध भोजन का उपयोग करते हैं|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. पारिस्थितिक तंत्र की संरचना का संक्षिप्त वर्णन करें|
उत्तर:-
पारिस्थितिक तंत्र जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होता है| यह ऊर्जा के लिए पूर्ण रूप से सूर्य पर निर्भर रहता है| पारिस्थितिक तंत्र के मुख्य अवयव दो हैं—- अजैव अवयव, जैव अवयव
इन दोनों के सम्मिलित रूप से पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण होता है| मृदा, वायु, जल, प्रकाश, ताप इत्यादि अजैव घटक है| हरे पौधे, मनुष्य, अन्य सजीव आदि जैव घटक है| किसी क्षेत्र के अजैव एवं जैव घटकों में लगातार पारस्परिक क्रिया होती रहती है| दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं| अपने अस्तित्व के लिए दोनों एक दूसरे पर निर्भर करते हैं| अगर हम किसी बगीचे का अवलोकन करने पर देखते हैं तो विभिन्न प्रकार के छोटे एवं बड़े पेड़ पौधे, आस पास में विभिन्न प्रकार की तितलियों, कीड़े, पक्षी, मेढक आदि दिखाई देंगे| इन जीवों के बीच पारस्परिक क्रिया होती रहती है| जिनसे इनकी वृद्धि, जनन एवं अन्य जैविक क्रियाएँ प्रभावित होती है| तालाब भी पारिस्थितिक तंत्र का एक अच्छा उदाहरण है|
2. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह किस प्रकार होता है?
उत्तर:-
जीवमंडल में ऊर्जा का मूल स्रोत सौर ऊर्जा है| उत्पादक इसे प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान ग्रहण करते| प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा रासायनिक ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट के रूप में मुक्त होती है| जो पौधे में अनेक रूपों में संचित रहती है| जब हरे पौधे को शाकाहारी जंतु खाते हैं| तब यह संचित ऊर्जा स्थानांतरित होकर इन जंतुओं यानी प्राथमिक उपभोक्ता में चली जाती है| इसके कुछ ऊर्जा ऊष्मा के रूप में मुक्त हो जाती है| शेष संचित ऊर्जा उसके शरीर में संचित रहती है| जब द्वितीय उपभोक्ता उसे खाता है तो वह ऊर्जा उसमें स्थानांतरित हो जाता है|इस तरह द्वितीयक उपभोक्ता से ऊर्जा तृतीयक उपभोक्ता| इस प्रकार ऊर्जा का प्रवाह होता है| ऊर्जा का प्रवाह सदा एक दिशा में ही होता है| आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा के 10 प्रतिशत ऊर्जा का ही स्थानांतरण अगले पोषी स्तर को हो पाता है तथा शेष 90 प्रतिशत ऊर्जा का व्यवहार विभिन्न प्रकार से हो जाता है| इस प्रकार विभिन्न पोषी स्तरों पर उपलब्ध होने वाले ऊर्जा में उत्तरोत्तर कमी जाती है| इस प्रकार हम पाते हैं कि अधिकतम ऊर्जा उत्पादक स्तर पर संचित है तथा इस ऊर्जा में हर पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर कमी आती| इस तरह ऊर्जा का प्रवाह होता है|
3. पीड़कनाशी अगर अपघटित न हो आहार श्रृंखला में उसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:-
आहार श्रृंखला का एक आयाम है कि हमारी जानकारी के बिना ही कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला से होते हुए हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं| हम जानते हैं कि जल प्रदूषण किस प्रकार होता है| इसका एक कारण है कि विभिन्न फसलों को रोग एवं पीड़कों से बचाने के लिए पीड़कनाशक एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करना है| ये रसायन बहकर मिट्टियों में अथवा जल स्रोत के में चले जाते हैं| मिट्टी से इन पदार्थों का पौधे द्वारा जल एवं खनिजों के साथ साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से यह जलीय पौधों एवं जंतुओं में प्रवेश कर पाते हैं| यह केवल एक तरीका है जिससे यह आहार श्रृंखला में प्रवेश करते हैं| क्योंकि यह पदार्थ अजैव निम्नीकृत है, यह प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर संग्रहित होते जाते हैं| क्योंकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है, अत: हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं| इसे जैव आवर्धन कहते हैं| यही कारण है कि हमारे खाद्यान्न गेहूँ तथा चावल, सब्जियाँ, फल तथा मांस में पीड़क रसायन के अवशिष्ट विभिन्न मात्रा में उपस्थित होते हैं| वास्तव में पीड़कनाशी का अपघटन आहार श्रृंखला में नहीं होता है| ये पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर जनक होते जाते हैं| जिसके कारण हमारे खाद्यान्न में ये उपस्थित रहते हैं| जिन्हें हम इसे धोकर या किसी अन्य प्रकार से अलग नहीं कर सकते हैं|
4. किसी पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता के बारे में समझाएँ|
उत्तर:-
प्राथमिक उपभोक्ता—-
वनों में पाये जाने वाले सभी शाकाहारी जंतुओं को इसके अंतर्गत सम्मिलित किया गया है| ये शाकाहारी जंत हरे पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं| अत: इन्हें प्राथमिक उपभोक्ता कहते हैं|
उदाहरण— हिरण, बकरी, गाय, बंदर, गिलहरी
द्वितीयक उपभोक्ता—-
इसके अंतर्गत मांसाहारी जंतुओं को सम्मिलित किया गया है क्योंकि ये प्राथमिक श्रेणी के उपभोक्ता तथा शाकाहारी जंतुओं से अपना भोजन करते हैं| चूंकि ये प्राथमिक श्रेणी के उपभोक्ता को खाकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं| अतः उन्हें द्वितीयक श्रेणी का उपभोक्ता कहते हैं|
उदाहरण—गिरगिट, लोमड़ी, सांप, छिपकली
तृतीयक उपभोक्ता—-
सर्वोच्च मांसाहारी जंतुओं को इसके अंतर्गत सम्मिलित किया गया है| ये जंतु द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ताओं को खाकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं तथा इसके पश्चात इन्हें खाने वाले अन्य जंतु नहीं होते हैं| इसिलिए इन्हें सर्वाहारी भी कहा जाता है|
उदाहरण— बाघ, चीता, शेर
5. ओजोन छिद्र से आप क्या समझते हैं? यह कैसा उत्पन्न होता है? इससे होनेवाली हानियों के बारे में लिखें|
उत्तर:-
वैज्ञानिकों के अध्ययन से यह पता चला है कि 1980 के बाद ओजोन स्तर में तीव्रता से गिरावट आई है| अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन के स्तर में इतनी कमी आई है कि ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है| विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत की क्षति बहुत तेजी से हो रही है| क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गये हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी है जो कैंसर और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं| 1998 तक क्लोरोफ्लोरोकार्बन के प्रयोग में 50℅ की कमी करने की बात कही गई| सन् 1992 में मांट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFCs पर धीरे धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया| अब क्लोरोफ्लोरोकार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं है| जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है| ओजोन परत पराबैंगनी विकिरणों का अवशोषण कर लेती है| इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में सर्वसम्मति यही बना है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन CFCs के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए| इससे होने वाली निम्नलिखित हानियाँ हैं——
इनका प्रभाव त्वचा पर पडता है जिससे त्वचा के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है|
पौधों में वृद्धि दर कम हो जाती है|
ये सूक्ष्म जीवों तथा अपघटकों को मारती है इससे पारितंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है|
ये पौधों में पिगमेंटों को नष्ट करती है|
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