कार्बन तथा इसके यौगिक
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. निम्नलिखित के एक एक उदाहरण दें—-
उत्तर:-
एल्केन—- मिथेन(CH4);CH3-CH3(इथेन)
ऐल्कीन—-इथिलीन(CH2=CH2), प्रोपीन(CH3-CH=CH2)
ऐल्काइन—– इथाइन(CH=_CH); प्रोपाइन(CH=_C-CH3)
ऐल्कोहॉल—- इथाइल अल्कोहल(CH3-CH2-OH); मेथिल अल्कोहल(CH3-OH)
ऐल्डीहाइड—- फार्मल्डिहाइड(H-CHO); ऐसिटल्डिहाइड(CH3CHO)
कीटोन—– ऐसीटोन(CH3-CO-CH3);डाइएथिल कीटोन(CH3-CH2-CO-CH2-CH3)
कार्बोक्सिलिक अम्ल—- फार्मिक अम्ल(HCOOH), एसीटिक अम्ल(CH3COOCH3)
एस्टर—- मिथाइल प्रोपेनोएट(CH3CH2COOCH3)
ऐमीन—– इथाइल एमाइन(CH3CH2NH2)
ईथर—- इथोक्सी इथेन(CH3CH2OCH2CH3)
2. निम्नलिखित के संरचना सूत्र लिखें—–
उत्तर:-
2- मेथिल ब्यूटेन——
H H H H
| | | |
H—-C—-C—-C—–C—–H
| | | |
H H | H
|
H——C——H
|
H
OR, CH3-CH3-CH3-CH3
ब्यूटेनोइक अम्ल—–
CH3-CH2-CH2-C-OH
||
O
2- ब्यूटेनाल——-
CH3-CH2-CH-CH3
|
OH
मेथेनामीन—-
CH3-NH2
2- मेथिल-2- हेक्सीन——-
CH3-CH2-CH3-CH=C-CH3
|
CH3
3- मेथिल-3- हेक्सेनाल——
OH
|
CH3—CH2—CH2—C—CH2—CH3
|
CH3
प्रोपेनोन——
O
||
CH3—C—CH3
एथाइन——-
H—C=_C—H
एथिलीन—–CH2=CH2
एथिल ऐल्कोहॉल——CH3-CH2-OH
3. इनके IUPAC नाम बताएं|
उत्तर:-
1. H H H
| | |
H– -C—-C—-C—–H
| | |
H | H
|
H——-C——H
|
H
उत्तर:- 2- मेथिल इथेन
2. H H
| |
C—-C=_C—–C—–H
| |
H H
उत्तर:- 2- ब्यूटाइन
3. H H H H H
| | | | |
H—C—C—C—C—C—H
| | | | |
H H | H H
|
H—C—H
|
H
उत्तर:- 3 मेथिल पेन्टेन
4. H
|
H—C—H
|
H H | H
| | | |
H—C—C—C—C—OH
| | | |
H H H H
उत्तर:- 2- मेथिल ब्यूटेनाल
5. H H
| |
H—C—HH—C—H
H | | H
| | | |
H–C—C=C—C—H
| |
H H
उत्तर:- 2,3-डाइमेथिल-2-ब्यूटीन
6. CH3-CH2-CH2-COOH
उत्तर:- ब्यूटेनोइक अम्ल
7. CH3-CH2-CH2-NH2
उत्तर:- प्रोपेनामीन
8. H O
| ||
H—C—–C
| ||
H O—H
उत्तर:- इथेनोइक अम्ल
9. H H H
| | |
H—-C—C—C—–OH
| | |
H H H
उत्तर:- प्रोपेनाल
10. CH3-CH=CH-CH2-CH2-CH3-2-हेक्सीन
उत्तर:- 2-हेक्सीन
11. O
//
CH3—-C
H
उत्तर:- ऐथेनल
12. O
||
CH3——C—–CH2—–CH3
उत्तर:- ब्यूटेनोन
13. CH3 CH3
/
CH—CH2—CH
/
CH3 CH3
उत्तर:- 2,4- डामेथिल पेंटेन
4. निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों के क्रियाशील समूह बतायें—–
उत्तर:-
ऐल्डिहाइड—— CHO
कीटोन——-R
C=O
/
R
ईथर—– -O-
कार्बोक्सिलिक अम्ल—- -COOH
प्राइमरी ऐल्कोहॉल—– -OH
एस्टर—- -COOR
ऐल्काइन—- -CH_=C
ऐल्कीन—- -CH=CH-
ऐमीन—- -NH2
5. निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों का संघनित संरचना सूत्र लिखें—–
उत्तर:-
पेन्टेन (C5H12) — CH3-CH2-CH2-CH2-CH3
CH3
5 4 3 2 | 1
2- मेथिल पेन्टेन—- CH3-CH2-CH2-CH-CH3
2-2 डाइमेथिल ब्यूटेन ——- CH3
|
CH3—-C—-CH2—CH3
|
CH3
एथाइन—– H-C=_C-H
एथीन—— CH2=CH2
2- हेक्सीन——CH3-CH=CH-CH2-CH2-CH3
CH3
|
2-मेथिल-2-ब्यूटीन——- CH3—–CH=CH——CH3
2 ब्यूटाइन—— CH3-C=C-CH3
6. सिम-2-ब्यूटीन तथा ट्रांस-2-ब्यूटीन के संरचना सूत्र लिखें-
उत्तर:-
सिम-2-ब्यूटीन——
CH3 CH3
/
C=C
/
H H
ट्रांस-2-ब्यूटीन——-
CH3 H
/
C=C
/
H CH3
7. निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों में क्रियाशील समूह बतायें—-
उत्तर:- यौगिक क्रियाशील समूह
O
|| ——OH
CH3—-C——OH
CH3—-CH2—-NH2 —–NH2
CH3—–C—–CH2—CH2—COOH -COOH
||
O
CH3—CH—CH2—COOH –COOH
|
OH
CH3—CHO –CHO
CH3—CH=CH—-CH3 –CH=CH–
C2H5—O—C2H5 —O—
CH3—-COOC2H5 -COO–CH2
CH=_C—CH2—-CH3 CH_=C—
CH3—-CH2—-NO2 —NO2
8. कार्बन के दो अपरुपों के नाम लिखें-
उत्तर:- हीरा, ग्रेफाइट
9. अचार बनाने में किस कार्बोक्सिलिक अम्ल का उपयोग परिरक्षक के रूप में किया जाता है?
उत्तर:- ऐसीटिक अम्ल(CH3COOH) को सिरका कहते हैं जिसका उपयोग अचार बनाने में परिरक्षक के रूप में किया जाता है|
10. CnH2n+1 किसका सामान्य सूत्र है?
उत्तर:- CnH2n+1 ऐल्किल समूह (R) का सामान्य सूत्र है|
11. किन्हीं दो एंजाइम का नाम बतायें—-
उत्तर:- इनवरटेज, जाइमेंस
12. निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण को पूरा करें—-
उत्तर:-
H
1.CH_=CH+2H2–>CH2=CH2—–>CH3-CH3
Pd
सूर्य की
2. CH4 + Cl2——————->CH3Cl + HCl
विसरित किरणें
Cl
3. {| |} + Cl2—Fe——>{ } + HCl
क्लोरोबेंजीन
4. CH3—CH2—OH + PCL5—>CH3CH2Cl + POCl3 + HCl
एथिल क्लोराइड
13. सिरके में उपस्थित कार्बनिक अम्ल का नाम लिखें-
उत्तर:- ऐसीटिक अम्ल
14. निम्नलिखित के लिए कारण स्पष्ट करें–
औद्योगिक कार्यों के लिए आपूर्ति की जानेवाली ऐल्कोहॉल में कापर सल्फेट मिश्रित होता है|
उत्तर:-
औद्योगिक कार्यों में आपूर्ति की जानेवाली ऐल्कोहॉल में कापर सल्फेट (तूतिया) मिला दिया जाता है ताकि वह विषैला हो जाये और कोई व्यक्ति इसे नहीं पी सके| इसे मेथिलीकृत स्पिरिट भी कहते हैं|
15. सोडियम के एक छोटे टुकड़े को एथेनॉल में डालने पर क्या होता है?
उत्तर:- सोडियम एथाक्साइड और हाइड्रोजन गैस देता है|
16. हीरा किस तत्व का अपरुपों है?
उत्तर:- हीरा कार्बन का अपरुपों है|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. श्रृंखलन गुण क्या होते हैं?
उत्तर:-
कार्बन के परमाणु सहसंयोजक बंधन द्वारा आपस में संयोग करके श्रृंखला बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं| कार्बन में उपस्थित इस प्रवृत्ति को कार्बन का श्रृंखलन गुण कहते हैं|
2. ऐलिफैटिक यौगिक क्या है?
उत्तर:-
वे कार्बनिक यौगिक जिनमें सभी कार्बन परमाणु एक दूसरे से खुली श्रृंखला में जुड़े रहते, ऐलिफैटिक यौगिक कहलाते हैं|
3. क्रियाशील समूह क्या है?
उत्तर:-
किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह समूह जिसपर यौगिक का रासायनिक गुण निर्भर करता है| उसे यौगिक का क्रियाशील समूह कहते| जैसे— C2H5OH में -OH क्रियाशील समूह है| दूसरे शब्दों, किसी कार्बनिक यौगिक के अणु में सामान्यतः दो भाग होते हैं| ये भाग समूह या मूलक कहलाते हैं| इनमें एक समूह अधिक महत्वपूर्ण होता है और इसी समूह पर यौगिक के रासायनिक गुण निर्भर करते हैं| यह क्रियाशील समूह कहलाता है|
4. अकार्बनिक यौगिकों की अपेक्षा कार्बनिक यौगिकों की संख्या अधिक क्यों है?
उत्तर:-
कार्बन के परमाणु आपस में संयोग करके श्रृंखला बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं| कार्बन में उपस्थित इस गुण को श्रृंखलन गुण कहते हैं| इसी गुण के कारण कार्बन के कुल यौगिकों की संख्या अत्यधिक है| कार्बन के अतिरिक्त किसी भी तत्व के परमाणुओं में परस्पर संयुक्त होकर ऐसी श्रृंखलाएँ बनाने की क्षमता उतनी नहीं पायी जाती जितनी कार्बन में पायी जाती है| अत: अकार्बनिक यौगिक की अपेक्षा कार्बनिक यौगिकों की संख्या अधिक होती है|
5. कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों में मुख्य भेद बताएं—-
कार्बनिक यौगिक—-
इनके क्वथनांक एवं गलनांक अकार्बनिक यौगिकों से कम होते हैं|
उच्च ताप पर ये अपघटित हो जाते हैं|
इनमें समावयवता का गुण अधिक पाया जाता है|
अकार्बनिक यौगिक—–
अकार्बनिक यौगिक प्रायः रंगहीन होते हैं| (अपवाद—लोहा, तांबा तथा निकेल के यौगिक रंगहीन होते हैं|)
बहुत उच्च ताप पर भी ये स्थायी रहते हैं|
इनमें समावयवता का गुण कम पाया जाता है|
6. सहसंयोजक यौगिक क्या होते हैं? कार्बन परमाणु स्थायित्व को कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर:-
जब दो परमाणु अपने बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रोनों का आपस में साझा करके संयोग करते हैं तब उनके बीच स्थित बंधन को सहसंयोजक बंधन कहते हैं और इस प्रकार निर्मित यौगिक सहसंयोजक यौगिक कहलाते हैं| उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन परमाणु की बाह्यतम कक्षा में एक ही इलेक्ट्रॉन रहता है| हाइड्रोजन का अणु बनते समय हाइड्रोजन के दोनों परमाणु अपने एक एक इलेक्ट्रॉन का आपस में साझा निम्न रूप में करते हैं—-
H • • H ——>(H:H) OR, H—-H
चूंकि परमाणु अपने स्थायित्व के लिए अक्रिय गैस के विन्यास को प्राप्त करना चाहता है| अत: कार्बन इलेक्ट्रॉन त्याग कर 2 इलेक्ट्रॉन(He परमाणु) का स्थायित्व विन्यास प्राप्त कर लेता है| अतः कार्बन परमाणु स्थायित्व को प्राप्त करता है|
7. समावयवी क्या है?
उत्तर:-
वे कार्बनिक यौगिक जिनके अणुसूत्र समान होते हैं, लेकिन भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न भिन्न होते हैं, समावयवी कहलाते हैं और ऐसी घटना समावयवता कहलाती है| उदाहरण के तौर पर, अणुसूत्र C2H6O के दो समावयवी होंगे—
CH3-CH2-OH CH3-O-CH3
एथिल ऐल्कोहॉल डाइमेथिल ईथर
8. सिस ट्रांस समावयवता क्या होती है?
उत्तर:-
द्विबंध से जुड़े कार्बन परमाणुओं का मुक्त घूर्णन नहीं हो पाता जिससे दो ज्यामितिक समावयवी संभव हो पाते हैं| वैसे समावयवी जिनमें दो समान समूह द्विबंध के एक ओर स्थित हों, सिस समावयवता कहलाते हैं तथा जिनमें दो समान समूह द्विबंध के विपरीत दिशा में स्थित हों, ट्रांस समावयवता कहलाते हैं|
9. जीवन शक्ति का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:-
प्रारंभ में ऐसी मान्यता थी कि कार्बनिक यौगिक सिर्फ सजीव स्रोत से ही प्राप्त किये जा सकते हैं| किन्तु ऐसा संभव नहीं हुआ| बर्जीलियस ने 1815 ई० में एक सिद्धांत दिया जिसके अनुसार सजीव पदार्थों में कार्बनिक यौगिकों का निर्माण एक अदृश्य जीवन शक्ति द्वारा होता है| इसे ही जीवन शक्ति का सिद्धांत कहा जाता है| लेकिन कालांतर में इस धारणा का भी अंत हुआ जब वोहलर ने प्रयोगशाला में यूरिया का संश्लेषण अमोनियम सायनेट को गर्म करके किया| आज 10 लाख से ऊपर कार्बनिक यौगिक बनाये जा चुके हैं|
10. हीरा और ग्रेफाइट के भौतिक गुणों में अंतर पड़ने का कारण क्या है?
उत्तर:-
हीरा और ग्रेफाइट दोनों ही कार्बन के परमाणुओं से बने हैं| कार्बन के परमाणुओं के परस्पर आबंधन के तरीकों के आधार पर ही इनमें अंतर होता है| हीरे में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होता है जिससे एक दृढ़ त्रिआयामी संरचना बनती है| ग्रेफाइट में कार्बन के प्रत्येक परमाणु का आबंधन कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ ही तल पर होता है जिससे षटकोणीय व्यूह मिलता है| इनमें से एक आबंध द्विआबंधी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है| ग्रेफाइट की संरचना में षटकोणीय तत्व एक दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं| इन दो विभिन्न संरचनाओं के कारण हीरे और ग्रेफाइट के भौतिक गुणधर्म अत्यंत भिन्न होते हैं जबकि उनके रासायनिक गुणधर्म एकसमान होते हैं|
12. कार्बनिक यौगिकों के स्रोत क्या होती है?
उत्तर:-
कार्बनिक यौगिकों के स्रोत मुख्य रूप से पेट्रोलियम, कोयला एवं पेड़ पौधे होते हैं| प्रारंभ में ऐसी मान्यता थी कि कार्बनिक यौगिक, सिर्फ सजीव स्रोत से ही प्राप्त किये जा सकते हैं तथा उन्हें प्रयोगशाला में तैयार करना संभव नहीं है| बर्जीलियस ने 1815 में जीवन शक्ति का सिद्धांत दिया जिसके अनुसार सजीव पदार्थों में कार्बनिक यौगिकों का निर्माण एक अदृश्य जीवन शक्ति द्वारा होता है| लेकिन इस धारणा का अंत हुआ जब वोहलर ने प्रयोगशाला में यूरिया (कार्बनिक यौगिक) का संश्लेषण अमोनियम सायनेट (अकार्बनिक यौगिक) को गर्म करके किया| बाद में कोल्बे ने ऐसीटिक अम्ल का तथा बर्थेलो ने मेथेन का संश्लेषण किया| अब तक 1 लाख से अधिक कार्बनिक यौगिक प्रयोगशाला में बनाये जा चुके हैं| लम्वाजे ने प्रयोग द्वारा यह दिखाया कि कार्बनिक यौगिक प्रायः कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हैलोजन, फास्फोरस, गंधक और कुछ धातुओं के संयोग से बने होते हैं तथा इनमें कार्बन सर्वदा विद्यमान होता है| इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि कार्बनिक यौगिकों के बहुत सारे स्रोत होते हैं, जिनकोे तरह तरह के प्रयोग कर प्राप्त किये जा सकते हैं|
12. अकार्बनिक यौगिकों से कार्बनिक यौगिक कैसे बनाये जाते हैं?
उत्तर:-
नीचे दिए कुछ अभिक्रिया दी गयी है जिससे अकार्बनिक यौगिक को कार्बनिक यौगिक में बदला जाता है—–
Al4C3 + 12H2O —–>3CH4 + 4Al(OH)3
ऐलुमिनियम कार्बाइड मेथेन
CaO+2C—->CaC2–H2O–>C2H2 + Ca(OH)2
कैल्सियम ऐसीटिलीन
कार्बाइड
CO + 2H2——–ZnO,Cr2O3——>CH2O
कार्बन फार्मल्डिहाइड
मोनोक्साइड
13. निम्नलिखित में एल्कीन चुनें—-
C2H6, C2H4, C3H4, C2H2, C6H6
उत्तर:-ऐल्कीन——C2H4
14. ऐल्कीन की जांच की एक विधि बतायें|
उत्तर:-
ऐल्कीन की जांच की प्रयोग विधि ऐल्कीन या ऐल्काइन CCl4 (या जल) में घुलित ब्रोमीन जल के पीले विलयन को रंगहीन बना देते हैं| इस अभिक्रिया का उपयोग कार्बनिक यौगिकों में असंतृप्तता का परीक्षण करने के लिए किया जाता है|
H H H Br Br H
/ / | /
C=C + Br2—-CCl4—> C——-C
/ /
H H H H
प्रयोग विधि—
दो परखनली लें| एक परखनली में एल्केन (संतृप्त हाइड्रोजन) लें तथा दूसरे परखनली में ऐल्कीन लें तथा इन्हें CCl4 में घुला लें| CCl4 में Br2 में द्रव्य को दोनों परखनलियों में बूंद बूंद डालकर परखनलियों को हिलाते रहें| एल्कीन वाले परखनली में विलयन का पीला रंग विरंजित होकर रंगहीन हो जाता है तथा एल्केन वाले परखनली में विलयन ज्यों त्यों पीला रह जाता है|
15. निम्नलिखित को कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:-
(1) एथेनॉल—-
व्यापारिक विधि में एथेनॉल (ऐल्कोहॉल) को चीनी या स्टार्च के किण्वन द्वारा प्राप्त किया जाता है|
इन्वर्टेस
C12H22O1+H2O—-> C6H12O6+C6H12O6
यीस्ट से
चीनी ग्लूकोस फ्रक्टोस
(2) एथेनोइक अम्ल—–
प्राइमरी ऐल्कोहॉल के आक्सीजन से कार्बोक्सिलिक अम्ल (एथेनोइक अम्ल) बनाया जाता है|
एथेनॉल एथेनल एथेनोइक अम्ल
KMnO4 KMnO4
CH3CH2OH——->CH3CHO——>CH3COOH
H H
एथेनॉल एथेनल एथेनोइक अम्ल
16. एथेनॉल पीने से कौन सा बुरा प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:-
एथेनॉल को ऐल्कोहॉल के नाम से भी जाना जाता है जिसका अधिकांश मात्रा में उपयोग ऐल्कोहॉलिक पेय(शराब) के रूप में किया जाता है| इसके अलावा ऐल्कोहॉलिक का उपयोग टिंचर आयोडीन (I2+C2H5OH) कफ सीरप एवं टानिक बनाने में भी किया जाता है| थोड़ी मात्रा में ऐल्कोहॉल पीने से नशा आता है| ऐल्कोहॉल के लगातार सेवन से आलस्य, मानसिक व्याकुलता तथा मुर्छा आती है| इसके अलावा मनुष्य अपनी सोचने समझने की शक्ति खो देता है|
17. सिरका क्या है? इसके उपयोग को बताएं|
उत्तर:-
एथेनोइक अम्ल का साधारण नाम ऐसीटिक अम्ल है| 6-8% तनु ऐसीटिक अम्ल को सिरका कहते हैं जिसका अचार बनाने में रक्षक के रूप में होता है|
18. वनस्पति, तेल और वसा क्या होते हैं?
उत्तर:-
वनस्पति, तेल और वसा उच्च वसीय अम्ल तथा ग्लिसराल से बने एस्टर होते हैं|
19. साबुनीकरण क्या होता है?
उत्तर:- वनस्पति, तेल और वसा का क्षार द्वारा जल अपघटन की क्रिया के फलस्वरूप साबुन एवं ग्लिसराल का बनना साबुनीकरण कहलाता है|
20. साबुन क्या है?
उत्तर:- साबुन उच्च वसा अम्लों के सोडियम लवण होते हैं| अत: यह आयनिक होता है| जैसे—- स्टीयरेट आयन
21. साबुन कैसे बनता है?
उत्तर:- वनस्पति तेल या वसा को सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ गर्म करने से साबुन बनता है|
22. एक एस्टर का नाम बताएं| एस्टर का गंध कैसा होता है?
उत्तर:-
एथिल ऐसीटेट एक एस्टर है| इसका गंध फल जैसा मीठा होता है|
23. ऐरोमैटिक यौगिकों की जांच कैसे की जाती है?
उत्तर:- नेप्थलीन (ऐरोमैटिक यौगिक) की गोली या अन्य ऐरोमैटिक यौगिक के चूर्ण को तांबे के पत्तर पर रखकर बर्नर के प्रकाशहीन लौ में गर्म करें| इसके बाद बर्नर की लौ का निरीक्षण करें| बर्नर कालिखयुक्त पीले लौ के साथ जलती है|
24. मिसेल्स क्या होते हैं?
उत्तर:-
स्टियरेट आयन (C17H35COO) का हाइड्रोजन भाग (C17H35) अध्रुवीय होता है जिसे पुछल्ला कहते हैं| यह भाग तेल या ग्रीस (एक हाइड्रोकार्बन) में घुल जाता है तथा इसका शीर्ष COO ध्रुवीय होता है जो जल के अणुओं से संयोजित होकर कोलाइडी आकार के कण बनाते हैं जिन्हें मिसेल्स कहते हैं| मिसेल्स के प्रत्येक कण चारों ओर से ऋण आवेश (साबुन के अतिरिक्त शीर्ष) से घिर जाते हैं जो एक दूसरे को विकर्षित कर जल में निलंबित हो जाते हैं ताकि वे फिर साफ होनेवाली वस्तुओं से पुनः चिपक न जायें| कपड़े को धोते समय कपड़े का मैल हाथ से मलने अथवा ब्रश द्वारा रगड़ने से मिसेल्स के रूप में कपड़े को तुरंत छोड़कर जल में निलंबित हो जाता है|
25. सममूलक श्रेणी क्या होते हैं?
उत्तर:-
समजातीय श्रेणी को ही सममूलक श्रेणी कहते| कार्बनिक यौगिकों के गुणों का अध्ययन सुचारू रुप से करने के लिए इन्हें कयी भागों में बांटा गया है जिन्हें समजातीय या सममूलक श्रेणी कहते तथा इनके प्रत्येक सदस्य सममूल या समजात कहलाते हैं| इस श्रेणी के किन्हीं दो क्रमागत यौगिकों के अणुसूत्रों में -CH2- का अंतर होता है| सममूलक यौगिकों में एक ही क्रियाशील मूलक उपस्थित रहने के कारण उनके रासायनिक गुणों में समानता पायी जाती है| एक श्रेणी विशेष के सभी सदस्यों के बनाने की विधि एक समान होती है|
26. जीवाश्म ईंधन क्या है?
उत्तर:- कोयला और पेट्रोलियम जीवाश्म ईंधन हैं| पृथ्वी के अंदर लाखों वर्ष तक मृत पेड़ पौधों और जानवरों का मिट्टी, बालू एवं चट्टानों की परतों के बीच दबे रहने के फलस्वरूप जो पदार्थ बनते हैं उन्हें जीवाश्म ईंधन कहते| बड़े आकार वाले पेड़ पौधों से कोयला बनता है, जबकि छोटे छोटे पौधों और जानवरों से पेट्रोलियम का निर्माण होता है|
27. (क) सहसंयोजी यौगिक प्रायः विद्युत के हीन चालक (कुचालक) क्यों होते हैं?
उत्तर:-
सहसंयोजक यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं| इसका कारण यह है कि ये उदासीन अणुओं से बने होते हैं आयनों से नहीं| ये पिछली या जलीय विलयन की अवस्था में आयन उत्पन्न नहीं करते हैं| इसलिए ये विद्युत के कुचालक होते हैं| उदाहरण के तौर पर ग्लूकोस, यूरिया, ऐल्कोहॉल, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि विद्युत के कुचालक होते हैं|
(ख) निम्नलिखित यौगिक का नाम लिखें—–
H H
| |
H——C—–C—–C——-H
| || |
H O H
उत्तर:- उपर्युक्त यौगिक का नाम प्रोपेनोन है|
(ग) उस गैस का नाम लिखें जो सोडियम कार्बोनेट पर एथेनोइक अम्ल डालने से उत्पन्न होती है| आप इस गैस की उपस्थिति कैसे सिद्ध करेंगे?
उत्तर:-
सोडियम कार्बोनेट पर एथेनोइक अम्ल डालने से फदफदाहट के साथ CO2 गैस मुक्त होती है| इस गैस की उपस्थिति सिद्ध करने के लिए हम एक जलती हुई मोमबत्ती को CO2 के पास ले जाते हैं| हम पायेंगे कि मोमबत्ती और अधिक तेजी से जलने लगती और कभी कभी असावधानी के कारण आग भी लग जाती है| इस गैस का हमें आसानी से पता चल जाता है|
28. प्रतिस्थापन अभिक्रिया क्या है? उदाहरण देकर समझाएँ|
उत्तर:- संतृप्त कार्बनिक यौगिकों से किसी परमाणु अथवा परमाणु समूह को दूसरे परमाणु या परमाणु समूह द्वारा विस्थापित करने को प्रतिस्थापित कहते हैं| इस प्रकार की अभिक्रिया को प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं|
CH4 + Cl2—————->CH3Cl + HCl
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. कार्बनिक रसायन क्या है? जीवन शक्ति का सिद्धांत क्या है? इस सिद्धांत का अंत कैसे हुआ?
उत्तर:-
लभ्वाजे ने प्रयोग द्वारा यह दिखाया कि कार्बनिक यौगिक प्रायः कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हैलोजन, फास्फोरस, गंधक और कुछ धातुओं के संयोग से बने होते हैं तथा इनमें कार्बन सर्वदा विद्यमान होता है| इस आधार पर कार्बन के यौगिकों को कार्बनिक यौगिक तथा कार्बन के यौगिकों के अध्ययन को कार्बनिक रसायन कहा गया| लगभग सभी कार्बनिक यौगिक कार्बन और हाइड्रोजन के बने होते हैं| अतः कार्बनिक रसायन वस्तुतः हाइड्रोकार्बन और इनके व्युत्पन्नों का रसायन है|
जीवन शक्ति का सिद्धांत—–
प्रारंभ में ऐसी मान्यता थी कि कार्बनिक यौगिक सिर्फ सजीव स्रोत से ही प्राप्त किये जा सकते हैं| किन्तु ऐसा संभव नहीं हुआ| बर्जीलिय ने 1815 ई० में एक सिद्धांत दिया जिसके अनुसार सजीव पदार्थों में कार्बनिक यौगिकों का निर्माण एक अदृश्य जीवन शक्ति द्वारा होता है| इसे ही जीवन शक्ति का सिद्धांत कहा जाता है| लेकिन कालांतर में इस धारणा का भी अंत हुआ जब वोहलर ने प्रयोगशाला में यूरिया का संश्लेषण अमोनियम सायनेट को गर्म करके किया| आज 10 लाख से ऊपर कार्बनिक यौगिक बनाये जा चुके हैं|
2. कार्बनिक यौगिकों के स्रोत एवं महत्व का उल्लेख करें|
उत्तर:-
कार्बनिक यौगिकों के स्रोत मुख्य रूप से पेट्रोलियम, कोयला एवं पेड़ पौधे होते हैं| प्रारंभ में ऐसी मान्यता थी कि कार्बनिक यौगिक, सिर्फ सजीव स्रोत से ही प्राप्त किये जा सकते हैं तथा उन्हें प्रयोगशाला में तैयार करना संभव नहीं है| बर्जीलियस ने 1815 में जीवन शक्ति का सिद्धांत दिया जिसके अनुसार सजीव पदार्थों में कार्बनिक यौगिकों का निर्माण एक अदृश्य जीवन शक्ति द्वारा होता है| लेकिन इस धारणा का अंत हुआ जब वोहलर ने प्रयोगशाला में यूरिया का संश्लेषण अमोनियम सायनेट को गर्म करके किया| बाद में कोल्बे ने ऐसीटिक अम्ल का तथा बर्थेलो ने मेथेन का संश्लेषण किया| अबतक 1 लाख से अधिक कार्बनिक यौगिक प्रयोगशाला में बनाये जा चुके हैं| लम्वाजे ने प्रयोग द्वारा यह दिखाया कि कार्बनिक यौगिक प्रायः कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हैलोजन, फास्फोरस, गंधक और कुछ धातुओं के संयोग से बने होते हैं तथा इनमें कार्बन सर्वदा विद्यमान होता है| इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि कार्बनिक यौगिकों के बहुत सारे स्रोत होते हैं, जिनकोे तरह तरह के प्रयोग कर प्राप्त किये जा सकते हैं|
कार्बनिक यौगिक का महत्व—-
कार्बनिक यौगिकों का हमारे दैनिक जीवन में काफी अधिक महत्व है| सुबह से शाम तक जिन वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं, वे सभी कार्बनिक यौगिकों के बने होते हैं| हमारे भोजन (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन), कपड़ा, कागज, चमड़ा, साबुन, रंग, प्लास्टिक की वस्तुएँ, बच्चों का खिलौना इत्यादि कार्बनिक यौगिकों के बने होते हैं| कार्बनिक यौगिकों का उपयोग कृत्रिम वस्त्र (रेयान, नाइलान, डेक्रान, टेरीलीन इत्यादि) बनाने में होता है| कार्बनिक यौगिकों का उपयोग कीटाणुनाशक DDT, गैमेक्सीन आदि के रूप में भी होता है| रोग से मुक्त होने के लिए कार्बनिक यौगिकों का व्यवहार होता है| उदाहरण के लिए, सल्फा ड्रग्स, पेनीसिलीन, क्लोरोमाइसेटीन, टेरामाझ्सीन, ऐस्पिरिन इत्यादि| कार्बनिक विस्फोटक जैसे डाइनामाइट, ट्राइनाइट्रोटालूईन (TNT), ट्राइनाइट्रोबेंजीनज्ञ (TNB) इत्यादि का उपयोग युद्ध काल से होता आ रहा है| इस प्रकार यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि कार्बनिक यौगिकों का हमारे दैनिक जीवन में बहुत अधिक महत्व है|
3. आयनिक यौगिक और कार्बनिक यौगिक में भेद बतायें|
उत्तर:-
वैद्युत संयोजक यौगिक को ही आयनिक यौगिक कहा जाता है और सहसंयोजक यौगिक को ही कार्बनिक यौगिक कहा जाता है| आयनिक या वैद्युत संयोजक और कार्बनिक या सहसंयोजक यौगिक में निम्नलिखित अंतर इस प्रकार है—–
वैद्युत संयोजक/आयनिक यौगिक—–
ये इलेक्ट्रॉन के पूर्ण स्थानांतरण के फलस्वरूप बनता है|
Na + Cl:——> Na+ Cl-
ये आयनों से बने होते हैं|
ये मुख्यतः क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ होते हैं|
इनके द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं|
ये जल में प्रायः विलेय किन्तु बेंजीन, क्लोरोफॉर्म आदि कार्बनिक विलायकों में प्रायः अविलेय होते हैं|
विद्युत अपघटन करने पर ये विघटित हो जाते हैं|
यह विलयन में तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं|
ठोस अवस्था में ये विद्युत के कुचालक किन्तु द्रवित या जलीय विलयन की अवस्था में विद्युत के कुचालक होते हैं|
इनके अणुओं की कोई निश्चित आकृति नहीं होती है|
सह संयोजक यौगिक——
यह इलेक्ट्रॉन के पारस्परिक साझेदारी के फलस्वरूप बनता है|
H
|
H——-C———-H
|
H
ये उदासीन अणुओं से मिलकर बने होते हैं|
ये प्रायः ठोस या द्रव होते हैं|
इनके द्रवणांक और क्वथनांक निम्न होते हैं|
ये जल में अविलेय किन्तु कार्बनिक विलायकों में विलेय होता है|
इनका विद्युत अपघटन प्रायः नहीं होता है|
विलयन में इनकी अभिक्रियाएँ प्रायः धीरे धीरे होती है|
सहसंयोजक यौगिक ध्रुवीय सहसंयोजक यौगिकों को छोड़कर विद्युत के कुचालक होते हैं|
इनके अणुओं की एक निश्चित ज्यामितीय आकृति होती है|
5. कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:-
कार्बनिक यौगिकों की कुल संख्या अनगिनत होने के कारण कार्बनिक यौगिकों को कयी वर्गों में विभाजित किया जाता है जिससे कार्बनिक यौगिकों के गुणों का अध्ययन नियमित रूप से हो सके|सबसे साधारण कार्बनिक यौगिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं जो कार्बन तथा हाइड्रोजन के संयोग से बनते हैं| हाइड्रोकार्बन निम्नलिखित रूप से विभाजित किये जाते हैं—–
हाइड्रोकार्बन
|
————————————————
| | | |
संतृप्त असंतृप्त ऐलिसाइक्लिक ऐरो
हाइड्रोकार्बन हाइड्रोकार्बन मैटिक
पैराफिन |
या एल्केन |
(Alkanes) |
————————————————
| |
ओलिफिन ऐसीटिलीन
या, ऐल्कीन या, ऐल्काइन
(Alkenes) (Alkynes)
दूसरी व्यवस्था में कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण क्रियाशील मूलकों के आधार पर किया जाता है|
6. (1) क्रियाशील समूह क्या है?
(2) निम्नलिखित यौगिक के क्रियाशील समूह के नाम और संरचना बताएं—–
उत्तर:-
1. क्रियाशील समूह—–
किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह समूह जिसपर यौगिक का रासायनिक गुण निर्भर करता है| उसे यौगिक का क्रियाशील समूह कहते हैं| जैसे— C2H5OH में -OH क्रियाशील समूह है| दूसरे शब्दों में, किसी कार्बनिक यौगिक के अणु में सामान्यतः दो भाग होते हैं| ये भाग समूह या मूलक कहलाते हैं| इनमें एक समूह अधिक महत्वपूर्ण होता है और इसी समूह पर यौगिक के रासायनिक गुण निर्भर करता है| यह क्रियाशील समूह कहलाता है|
2.
यौगिक क्रियाशील समूह संरचना
ऐल्कोहॉल हाइड्रोक्सिल समूह -O-H
ऐल्डीहाइड कार्बोक्सिल ,,
C=O
/
कीटोन कीटोनिक ,, R
C=O
/
R
कार्बोक्सिलिक अम्ल कार्बोक्सिलिक ,, O
||
—–C—O—-H
एस्टर एस्टर ,, O
||
—–C—-O–R
ऐमीन ऐमीनों ,, H
/
——N
H
H
ऐल्कीन ऐल्कीन ,, /
C=C
/
H
ऐल्काइन ऐल्काइन ,, -C=_C-
7. कार्बनिक के कुछ विलक्षण गुणों का उल्लेख करें तथा बताएं कि कार्बन यौगिकों की संख्या असंख्य क्यों है?
उत्तर:-
कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ बंध बनाने की अद्भुत क्षमता होती है| इस गुण को श्रृखलन कहते हैं| इन यौगिकों में कार्बन की लंबी श्रृंखला कार्बन की विभिन्न शाखाओं वाली श्रृंखला या अंगूठी के आकार में व्यवस्थित कार्बन पाये जाते हैं| कार्बन के परमाणु एकल, युगल या तिहरे बंध में जुड़ सकते हैं|
कार्बन में चार संयोजकता होती है| इसलिए इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं या कुछ अन्य संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ बंधन बनाने की क्षमता होती है| आक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन तथा अनेक अन्य तत्व के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं| इससे ऐसे विशेष गुण करने वाले यौगिक बनते हैं, जो अणु में कार्बन के अतिरिक्त उपस्थित तत्व पर निर्भर करते हैं|
8. समावयवता क्या है? विभिन्न प्रकार के समावयवता का उल्लेख उदाहरण के साथ करें|
उत्तर:-
समावयवता—-
वे कार्बनिक यौगिक जिनके अणुसूत्र होते हैं, लेकिन भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न भिन्न होते हैं, समावयवी कहलाते हैं और ऐसी घटना को समावयवता कहलाते हैं|
C2H6O के दो समावयवी हैं——
1. CH3-CH2-OH(एथिल अल्कोहल)
2. CH3-CH3(डाइमेथिल ईथर)
समावयवता के प्रकार—–
समावयवता को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है—–
संरचनात्मक समावयवता, त्रिविम समावयवता
संरचनात्मक समावयवता—–
कार्बनिक यौगिकों के अणु में उपस्थित परमाणुओं एवं समूहों के विभिन्न प्रकार से जुड़े होने के कारण जो समावयवता होती है, उसे संरचनात्मक समावयवता कहलाते हैं| ये निम्न प्रकार के हैं——
1. श्रृंखला समावयवता—–
कार्बन की श्रृंखला में भिन्नता के कारण उतपन्न होनेवाली समावयवता को श्रृंखला समावयवता कहते हैं|जैसे अणुसूत्र C4H10 के दो श्रृंखला समावयवी होते हैं——
CH3-CH2-CH2-CH3 CH3-CH-CH3
n-ब्यूटेन |
(C-C-C-C) CH3
सीधी श्रृंखला 2- मेथिलप्रोपेन
( C-C-C)
|
C
शाखित श्रृंखला
2. स्थान समावयवता——-
क्रियाशील समूह के स्थान में भिन्नता के कारण उतपन्न होनेवाली समावयवता को स्थान समावयवता कहलाते हैं| उदाहरण— ऐल्कोहॉल के अणुसूत्र C3H8O के दो समावयवी 1- प्रोपेनाल एवं 2- प्रोपेनाल होते हैं| 1- प्रोपेनाल में क्रियाशील समूह -OH का स्थान C1 पर तथा 2 -प्रोपेनाल में -OH का स्थान C2 पर है|
3 2 1 1 2 3
CH3-CH2-CH2-OH CH3-CH-CH3
|
OH
1- प्रोपेनाल (n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल) 2- प्रोपेनाल
(आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल)
3. क्रियाशील समावयवता—–
जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र एक ही हों, किन्तु उनमें उपस्थित क्रियाशील भिन्न भिन्न हों तो इस घटना को क्रियाशील समावयवता कहलाते हैं| उदाहरण के लिए, C2H6O अणुसूत्र के दो क्रियाशील समावयवी एथेनॉल और डाइमेथिल ईथर होते हैं|
CH3-CH2-OH CH3-O-CH3
एथेनॉल (एथिल ऐल्कोहॉल) डाइमेथिल ईथर
त्रिविम समावयवता——
त्रिविम समावयवियों का संख्या सूत्र समान होता है, किन्तु परमाणुओं एवं समूहों की स्थानिक व्यवस्था या विन्यास भिन्न होते हैं| ये दो प्रकार के हैं——
1. ज्यामितिक समावयवता——
यह समावयवता वैसे ऐल्किनों या उनके व्युत्पन्नों द्वारा प्रदर्शित होती है जिनके द्विबंध से जुड़े प्रत्येक कार्बन के साथ दो भिन्न भिन्न समूह जुड़े हों| जैसे—-
H H H CH3
/ /
C=C C=C
/ /
CH3 CH3 CH3 H
सिस-2- ब्यूटीन ट्रांस -2- ब्यूटीन
2. प्रकाशिक समावयवता—–
एक कार्बन परमाणु से चार भिन्न परमाणु या समूह जुड़े हों तो ऐसे कार्बनिक यौगिक के दो प्रकाशिक समावयवी होंगे| दोनों समावयवी एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब होते हैं| जैसे—–CH3CHBrCl के प्रकाशिक समावयवी है—
9. एथिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र लिखकर IUPAC पद्धति में इसका नाम बताएं तथा इसके बनने की एक विधि बताएं| इसके चार प्रमुख गुणों को लिखें|
उत्तर:-
एथिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र CH3-CH2-OH और IUPAC पद्धति में इसका नाम एथेनॉल होता है|
एथिल ऐल्कोहॉल के बनने की विधि—–
व्यापारिक विधि में इसको चीनी या स्टार्च के किण्वन द्वारा बनाया जाता है|
इन्वर्टेस
C12H22O11+H2O—–>C6H12O6+C6H12O6
यीस्ट से
चीनी ग्लूकोस फ्रक्टोस
जाइमेंस
C6H12O6————–>2C2H5OH+2CO2 यीस्ट से
एंथिल ऐल्कोहॉल
एथिल ऐल्कोहॉल के गुण——
इसके बहुत सारे गुण होते हैं| चार प्रमुख गुण निम्न हैं—-
एथिल रंगहीन एवं वाष्पशील
इसका क्वथनांक 351K है
इसका गलनांक 156K है
यह एक अच्छा विलायक है
10. एथिल ऐल्कोहॉल से निम्नलिखित यौगिक किस प्रकार बनाये जाते हैं?
1. ऐसीटिक अम्ल 2. डाइएथिल ईथर
3. एथिल क्लोराइड 4. एथिलीन
उत्तर:-
एथिल ऐल्कोहॉल को IUPAC एथेनॉल ऐल्कोहॉल के रूप में जाना जाता है|
एथिल या एथेनॉल ऐल्कोहॉल से ऐसीटिक अम्ल का बनना—-
एथेनॉल अम्लीय KMnO4 से आक्सीकृत होकर एसीटैल्डिहाइड देता है| एसीटैल्डिहाइड पुनः आक्सीकृत होकर ऐसीटिक अम्ल देता है|
O
KMnO4 || KMnO4
CH3-CH2OH———>CH3—–C——-H ———->
H+ H+
CH3COOH
एथेनॉल
(एथिल ऐल्कोहॉल) एसीटैल्डिहाइड ऐसीटिक अम्ल
एथिल या एथेनॉल ऐल्कोहॉल से डाइएथिल ईथर का बनना—–
एथेनॉल की अधिकता में यदि सांद्र H2SO4 के साथ 140°C पर गर्म किया जाये तो डाइएथिल ईथर बनता है| यह अभिअभिक्रिया दो चरणों में होती है—–
140°C
C2H5OH+H2SO4——–>C2H5H2SO4+H2O
एथिल हाइड्रोजन सल्फेट
140°C
C2H5HSO4+C2H5OH———>
C2H5O-O-C2H5+H2SO4 डाइएथिल ईथर
एथिल या ऐल्कोहॉल द्वारा एथिल क्लोराइड का बनना—-
एथेनॉल PCl5 से अभिक्रिया कर एथिल क्लोराइड बनाता है|
CH3CH2OH+PCl5->CH3CH2Cl+POCl3+HCl
एथेनॉल एथिल क्लोराइड
एथिल या एथेनॉल ऐल्कोहॉल द्वारा एथिलीन का बनना—–
एथेनॉल को यदि सांद्र की अधिकता में 170°C पर गर्म किया जाये तो एथिलीन बनता है|
170°C
C2H5OH+H2SO4——–>C2H5HSO4+H2O
170°C
C2H5HSO4————->C2H4+H2SO4
एथिलीन
11. किण्वन क्या है? चीनी से एथेनॉल किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:-
किण्वन—-
किण्वन वह क्रिया है जिसमें शक्कर तथा स्टार्च के अणु छोटे अणुओं में टूट जाते हैं और साथ में कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है|
एथेनॉल, शर्करा या स्टार्च के किण्वन द्वारा बनाया जाता है| यह किण्वन खमीर (यीस्ट) की उपस्थिति में होता है जिसमें दो एन्जाइम “इनवरटेज” तथा “जाइमेंस” होते हैं|
इनवरटेज+ जाइमेंस
C12H22O11+H2O———>4C2H5OH+4CO2
खमीर से
शर्करा (चीनी) एथेनॉल कार्बन (मौलेसेज या स्टार्च से) डाइऑक्साइड
किण्वन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है| शर्करा के किण्वन की अभिक्रिया से तक के नियंत्रित ताप परास पर की जाती है| शक्कर के किण्वन की अभिक्रिया एक ऐसे पात्र में की जाती है जिसमें से किण्वन के दौरान बनी कार्बन डाइऑक्साइड गैस तो बाहर जा सकती है परन्तु बाहर की वायु पात्र के अंदर नहीं जा सकती| इससे किण्वन से बने एथेनॉल का वायु की आक्सीजन द्वारा उपचयन नहीं होगा| शर्करा के किण्वन से एथेनॉल का तनु जलीय विलयन प्राप्त होता है| एथेनॉल का जल से पृथक्करण तथा शुद्धिकरण आसवन की प्रक्रिया द्वारा किया जाता है| इस प्रकार स्पष्ट कहा जा सकता है कि एथेनॉल चीनी या स्टार्च के किण्वन द्वारा प्राप्त किया जाता है|
12. एथेनोइक अम्ल एवं निम्नलिखित के साथ होनेवाली अभिक्रियाओं का रासायनिक समीकरण दें—-
1. सोडियम 2. सोडियम कार्बोनेट
3. सोडियम बाइकार्बोनेट
4. सांद्र H2SO4 की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया
उत्तर:-
एथेनोइक अम्ल का सोडियम के साथ अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण——
एथेनोइक अम्ल सोडियम से अभिक्रिया नहीं करता है जिसके फलस्वरूप कोई रासायनिक समीकरण नहीं बनता है|
एथेनोइक अम्ल का सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण—–
एथेनोइक अम्ल सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके फदफदाहट के साथ CO2 गैस मुक्त करता है|
2CH3COOH+Na2CO3———>
2CH3COONa+H2O+CO2
एथेनोइक सोडियम कार्बन
अम्ल कार्बोनेट डाइऑक्साइड
एथेनोइक अम्ल का सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण——
एथेनोइक अम्ल की सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कर फदफदाहट के साथ CO2 गैस मुक्त करता है|
CH3COOH+NaHCO3——>
CH3COONa+H2O+CO2
एथेनोइक सोडियम कार्बन
अम्ल बाइकार्बोनेट डाइऑक्साइड
एथेनोइक अम्ल का सांद्र H2SO4 की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल के साथ अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण——–
सांद्र H2SO4 की उपस्थिति में एथेनोइक अम्ल को एथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर एथिल ऐसीटेट बनता है|
सांद्र
CH3COOH+HOC2H5->CH3COOC2H5+H2O
H2SO4
एथेनोइक एथिल ऐल्कोहॉल एथिल ऐसीटेट
अम्ल
13. निम्नलिखित पर नोट लिखें—–
1. एस्टीकरण—–
सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल को एथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर एथिल ऐसीटेट बनता है जो एक एस्टर श्रेणी का यौगिक है| एस्टर बनने की इस क्रिया को एस्टीकरण कहते हैं|
सांद्र
CH3COOH+HOC2H5->CH3COOC2H5+H2O
H2SO4
एथेनोइक एथिल ऐल्कोहॉल एथिल ऐसीटेट
अम्ल
हैलोजनीकरण—–
विसरित सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में एल्केन की अभिक्रिया क्लोरीन के साथ होने पर एल्केन के सभी हाइड्रोजन परमाणु बारी बारी से क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं| इस अभिक्रिया को हैलोजनीकरण कहते हैं इसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया भी कहा जाता है|जैसे—-
H H
| |
H—-C——-H+Cl2——> H——C——Cl+HCl
| |
H H
क्लोरोमेथेन(मेथिल क्लोराइड)
14. क्या होता है जब—–
1. ऐल्यूमिनियम कार्बाइड पर जल की अभिक्रिया करायी जाती है|
उत्तर:-
ऐल्यूमिनियम कार्बाइड (Al4C3) पर जल (H2O) से अभिक्रिया कर मेथेन बनता है|
Al4C3 +12H2O—>3CH4+4Al(OH)3
ऐलुमिनियम जल मेथेन
कार्बाइड
2. कैल्सियम कार्बाइड पर जल की अभिक्रिया करायी जाती है|
उत्तर:- कैल्सियम कार्बाइड CaC2 पर जल H2O से अभिक्रिया कर ऐसीटिलीन बनता है|
CaC2 + H2O—–>C2H2+Ca(OH)2
कैल्सियम जल ऐसीटिलीन
कार्बाइड
3. बेंजीन को सांद्र H2SO4 की उपस्थिति में सांद्र HNO3 के साथ अभिक्रिया करायी जाती है|
उत्तर:- सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल H2SO4 की उपस्थिति में बेंजीन नाइट्रिक अम्ल HNO3 से अभिक्रिया कर नाइट्रो बेंजीन बनाता है|
H2SO4
{| |}+HNO3————->{| |}+H2O
बेंजीन नाइट्रो बेंजीन
4. बेंजीन को की उपस्थिति में से अभिक्रिया करायी जाती है|
उत्तर:- लोहा Fe की उपस्थिति में बेंजीन क्लोरीन Cl2 से अभिक्रिया कर क्लोरो बेंजीन बनाता है|
Cl
Fe |
{| |}+Cl2——-> {| |} + HCl
क्लोरो बेजीन
15. साबुन और अपमार्जक में विभेद करें—–
उत्तर—
साबुन—-
साबुन उच्च वसीय अम्लों जैसे आएलिक अम्ल, पामिटिक अम्ल के सोडियम या पोटैशियम है|
अम्ल अपने एस्टर के रूप में उपस्थित होते हैं|
साबुन लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवण होते हैं| इसमें -COO-Na+ आयन होते हैं|
ये जैव अपघटित हो जाते हैं|
ये कठोर जल से अच्छी धुलाई नहीं देते हैं|
अपमार्जक—–
अपमार्जक सल्फोनिक अम्लों के सोडियम लवण हैं|
अपमार्जकों में -COOH के स्थान पर -SO3H समूह उपस्थित होता है|
अपमार्जक सल्फोनिक अम्लों के सोडियम लवण होते हैं| इनमें आयनिक समूह -SO3-Na+ होता है|
कुछ अपमार्जकों का जैव अपघटन नहीं हो पाता है|
इनकी क्रिया जल की कठोरता से प्रभावित नहीं होती है| अत: ये अच्छे धुलाई कारक माने जाते हैं|
16. ऐल्कोहॉल क्या है? यह कैसे प्राप्त होता है? इसके प्रमुख उपयोगों एवं गुणों को लिखें—-
उत्तर:-
ऐल्कोहॉल—-
ऐल्कोहॉल वे कार्बनिक यौगिक है जिसमें कार्बन परमाणु हाइड्राक्सिल समूह (—OH) जुड़ा रहता है|—OH समूह ऐल्कोहॉल का अभिलक्षण समूह है| ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र R–OH है| जहाँ R— ऐल्कोहॉल समूह है| इसका सामान्य सूत्र CnH2n+1OH होता है| ऐल्किल हैलाइड को जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है|
CH3-Cl+NaOH—->CH3-OH+NaCl
मेथिल क्लोराइड मेथिल ऐल्कोहॉल
CH3-CH2-Cl+NaOH—–>CH3-CH2-OH
एथिल क्लोराइड एथिल ऐल्कोहॉल
व्यापारिक स्तर पर चीनी या स्टार्च के किण्वन द्वारा अल्कोहल प्राप्त किया जाता है तथा कार्बन मोनोऑक्साइड के अवकरण से मेथेनॉल प्राप्त होता है|
इनवरटेज
C12H22O11+H2O—->C6H22O6+C6H12O6
यीस्ट
ग्लूकोज फ्रक्टोज
जाइमेज
C6H12O8—————->2C2H5OH+2CO2
यीस्ट से
एथेनॉल ऐल्कोहॉल
ZnO
CO+2H2—————>CH3OH
मेथिल ऐल्कोहॉल
ऐल्कोहॉल को –OH मूलक की संख्या के आधार पर निम्न वर्गों में विभाजित करते हैं——
मोनो हाइड्रिक ऐल्कोहॉल—मेथेनॉल,एथेनॉल,प्रोपेनाल
डाइ हाइड्रिक ऐल्कोहॉल—एथिलीन ग्लाइकाल
ट्राइ हाइड्रिक ऐल्कोहॉल—ग्लिसराल
पाली हाइड्रिक ऐल्कोहॉल—-सौर बिहार
ऐल्कोहॉल के गुण:भौतिक गुण—-
शुद्ध एथेनॉल रंगहीन द्रव है| इसका क्वथनांक 351K है| यह जल में सभी अनुपात में मिश्रणीय है| यह एक अच्छा घोलक है| 20° Cपर इसका आपेक्षिक घनत्व 0.789 होता है| इसके लगातार सेवन से आलस्य, मानसिक व्याकुलता तथा मूर्च्छा आती है|
रासायनिक गुण:—
एथेनॉल अति ज्वलनशील द्रव है| यह आसानी से आग पकड़ लेता है| यह नीली ज्वाला के साथ जलकर CO2 तथा H2O देता है|
दहन
CH3-CH2-OH+3O2————->2CO2+3H2O
एथेनॉल सोडियम के साथ अभिक्रिया कर सोडियम एथाक्साइड तथा H2 गैस प्रदान करता है|
2C2H5OH+2Na—–>2CH3-CH2-ONa+H2
एथेनॉल सोडियम एथाक्साइड
एथेनॉल को क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट(KMnO4) के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर एथेनॉल आक्सीकृत होकर एथेनोइक अम्ल देता|
H H
| | क्षारीयKMnO2
H——–C——-C——-OH + 2[O]——————>
| | गर्म करने पर
H H
एथेनॉल
H———-O
/ |
H——–C——-C |
|
H———–OH
एथेनोइक अम्ल
17. साबुनीकरण प्रक्रिया क्या है? अपमार्जकों ने साबुन का स्थान क्यों लिया है?
उत्तर:-
वनस्पति तेल एवं वसा का क्षार द्वारा जल अपघटन की क्रिया के फलस्वरूप साबुन तथा ग्लिसराल का बनना साबुनीकरण प्रक्रिया कहलाता है| कठोर जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के विलेय सल्फेट, क्लोराइड, बाइकार्बोनेट लवण उपस्थित रहते| जब साबुन कठोर जल के संपर्क में आता है तो साबुन में उपस्थित वसा अम्ल का सोडियम लवण कैल्सियम या मैग्नीशियम लवणों से अभिक्रिया करता है जिसके फलस्वरूप वसा अम्ल का अविलेय कैल्सियम या मैग्नीशियम लवण बनता है जो अवक्षेप के रूप में पृथक हो जाता है| इन अविलेय लवणों के बनने में साबुन व्यर्थ हो जाता है| अविलेय साबुन कपडों की छिद्रों में बैठ जाता है जिससे उनकी धुलायी में कठिनाई होती है| इसके निदान के लिए एक अन्य धुलायी सामग्री प्रस्तुत किया गया जिसे अपमार्जक कहते हैं| अपमार्जक की रासायनिक प्रकृति साबुन से भिन्न होती है| यह सफाई के लिए साबुन से अच्छा पदार्थ है, चूंकि यह शीघ्र ही घुल जाता है तथा कठोर कठोर जल के साथ अविलेय कैल्सियम अथवा मैग्नीशियम लवण नहीं बनता है| अत: कठोर जल के साथ भी यह खूब झाग देता है| इसलिए अपमार्जकों ने साबुन का स्थान ले लिया है|
18. 1. कार्बनिक यौगिकों में होनेवाली एस्टीकरण तथा साबुनीकरण अभिक्रियाओं में भेद करें|
2. एक नामांकित आरेख की सहायता से एस्टर बनाने के क्रियाकलाप का वर्णन करें|
उत्तर:- 1. कार्बनिक यौगिक में होनेवाली एस्टीकरण तथा साबुनीकरण अभिक्रियाओं में अंतर इस प्रकार है—–
एस्टीकरण—-
सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल को एथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर ऐसीटेट बनता है जो एक एस्टर श्रेणी का यौगिक है| एस्टर बनने की इस क्रिया को एस्टीकरण कहते हैं|
साबुनीकरण—-
वनस्पति तेल और वसा का क्षार द्वारा जल अपघटन की क्रिया के फलस्वरूप साबुन तथा ग्लिसराल का बनना साबुनीकरण प्रक्रिया कहलाता है|
एस्टर बनाने का क्रियाकलाप—–
एस्टर मुख्य रूप से अम्ल एवं ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से निर्मित होते हैं| एथेनोइक अम्ल किसी अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में परिशुद्ध एथेनॉल से अभिक्रिया करके एस्टर बनाते हैं|
अम्ल
CH3COOH+CH3CH2OH->CH3 COCH2CH3
एथेनोइक अम्ल एथेनॉल एस्टर ||
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