Bharti Bhawan Chemistry Class-10:Chapter-3:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:रसायनशास्त्र:कक्षा-10:अध्याय-3:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



धातु एवं अधातु




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न




1. दो धातु एवं दो अधातु के नाम लिखें|
उत्तर:- धातु– लोहा, तांबा
अधातु– हाइड्रोजन, आक्सीजन
2. समुद्री जल में पाये जाने वाले एक प्रमुख लवण का नाम लिखें|
उत्तर:- सोडियम सल्फेट
3. किसी अधातु का नाम लिखें जो साधारण ताप पर द्रव अवस्था में रहती है|
उत्तर:- पारा
4. एक अधातु का नाम लिखें जो वायु के संपर्क में आने पर जल उठती है? 
उत्तर:- फासफोरस
5. कौन सी अधातु विद्युत का सूचालक होती है? 
उत्तर:- ग्रेफाइट
6. क्या सभी खनिज अयस्क होते हैं? 
उत्तर:- नहीं
7. उल्फ्राम किस अयस्क में विद्यमान रहता है? 
उत्तर:- टिन के अयस्क, टिनस्टोन (SnO2) में उल्फ्राम विद्यमान रहता है|
8. क्या लोहे में जंग लगना आक्सीकरण है? 
उत्तर:- यह आक्सीकरण अवकरण अभिक्रिया है|
9. मिश्रधातु क्या है? 
उत्तर:- दो या दो से अधिक धातुओं के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं|
10. अमलगम से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:- जब मिश्रधातु में एक धातु पारा हो तो उसे अमलगम कहते हैं|
11. किस इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को प्राप्त कर तत्व स्थायी बन जाते हैं? 
उत्तर:- 2,8 (अष्टक) प्राप्त करके तत्व स्थायी बन जाते हैं|
12. सोडियम परमाणु जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करता है, किंतु सोडियम आयन नहीं, क्यों? 
उत्तर:- सोडियम आयन स्थायी होता है, इस कारण जल से अभिक्रिया नहीं करता है|
13. आयनिक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं, क्यों? 
उत्तर:- इनके धन आयनों एवं ऋण आयनों के बीच मजबूत स्थिर वैद्युत आकर्षण बल कार्य करता है, इस कारण इसके द्रवणांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं|
14. कार्बन टेट्राक्लोराइड से होकर विद्युत धारा क्यों नहीं प्रवाहित की जा सकती है? 
उत्तर:- कार्बन टेट्राक्लोराइड स्थायी विन्यास को प्राप्त कर लेते हैं| इसके बंधन काफी मजबूत होते हैं|
15. आयनिक बंधनों में आयनों के बीच किस प्रकार का बंधन कार्य करता है? 
उत्तर:- विद्युत संयोजक बंधन
16. नाइट्रोजन अणु में कितने सहसंयोजक बंधन होते हैं? 
उत्तर:- तीन सह संयोजक बंधन होते हैं|
17. रासायनिक अभिक्रिया में कौन से इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं? 
उत्तर:- संयोजकता या संयोजी इलेक्ट्रॉन
18. रासायनिक बंधन मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं? 
उत्तर:- दो प्रकार— वैद्युत संयोजक, सह संयोजक
19. एक परमाणु से दूसरे परमाणु में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होने से किस प्रकार का बंधन बनता है? 
उत्तर:- वैद्युत संयोजक बंधन
20. दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों का साझा होने पर किस प्रकार का बंधन बनता है? 
उत्तर:- सह संयोजक बंधन
21  द्विबंध वाले किसी अणु का उदाहरण दें|
उत्तर:- O2–>:O:+:O:—>O=O
22. त्रिबंध वाले किसी अणु का उदाहरण दें|
उत्तर:- N2–>N=_:N:–>N=_N
23. निम्नलिखित यौगिकों में बंधन की प्रकृति बताएं|
उत्तर:-
अमोनिया– एकल सह संयोजक बंधन
कार्बन डाइऑक्साइड– द्वितीय सह संयोजक बंधन
सोडियम मोनोक्साइड— आयनिक बंधन
24. आक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास नियान जैसा होने के लिए उसे कितने इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होगी? 
उत्तर:- 2 इलेक्ट्रॉन
25. एक तत्त्व A के संयोजी शेल में 4 इलेक्ट्रॉन हैं और दूसरे तत्त्व B के संयोजी शेल में इलेक्ट्रॉन 7 इलेक्ट्रॉन है| A और B के संयोग से बननेवाला यौगिक विद्युत का कुचालक है| इस यौगिक में बंधन की प्रकृति बताएं और इसकी इलेक्ट्रॉनिक संरचना लिखें|
उत्तर:-
यौगिक— कार्बन टेट्राक्लोराइड, बंधन की प्रकृति–एकल सह संयोजक बंधन
                                     Cl
                                       |
इलेक्ट्रॉनिक संरचना— Cl–Cl–Cl
                                       |
                                     Cl
26. एक यौगिक A और ऐलुमिनियम का उपयोग रेल लाइनों के जोड़ने में किया जाता है| यौगिक A की पहचान करें|
उत्तर:- कापर
27. धातु के निष्कर्ष में सल्फाइड और कार्बोनेट अयस्कों को धातु के आक्साइड में परिवर्तित करना पड़ता है, क्यों? 
उत्तर:-
धातुओं को अनेक आक्साइड से निष्कर्ष करने में सल्फाइड और कार्बोनेट की तुलना में काफी आसानी होती है|
28. उस मिश्र धातु का नाम लिखें जिसका उपयोग विद्युत तारों को जोड़ने में किया जाता है? 
उत्तर:- सोल्डर Sn(50℅) + Pb(50℅) 


लघु उत्तरीय प्रश्न







1. धातु एवं अधातु में एक अंतर बताएं|
उत्तर:- धातुओं में एक विशेष प्रकार की चमक होती है| अधातुओं में कोई चमक नहीं होती है|
2. धातुएँ विद्युत की सुचालक क्यों होती है? 
उत्तर:- धातुओं के परमाणुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन रहते हैं| इस कारण विद्युत की धारा प्रवाहित होने पर उससे इलेक्ट्रॉन का प्रवाह सतत होता है| इसिलिए यह विद्युत का सुचालक होता है|
3. धातु की तन्यता और आघातवर्धनीयता से क्या समझते हैं? 
उत्तर:- धातु की तन्यता का तात्पर्य है खींचकर तार बनाना| धातुएँ तन्य होती है| अर्थात वह गुण जिस कारण धातुओं से तार खींचे जा सकते हैं| आघातवर्धनीयता धातुओं का एक गुण है| इनसे हथौड़े से पीटकर चादरें बनायी जाती है अर्थात वह गुण जिस कारण धातुओं को पीटकर चादरें बनायी जाती है| सोना एवं सिल्वर सर्वाधिक आघातवर्ध्य एवं तन्य हैं|
4. द्विधर्मी आक्साइड क्या है? 
उत्तर:- धातुओं के वे आक्साइड जो अम्लीय एवं क्षारीय या भास्मिक दोनों गुण प्रदर्शित है द्विधर्मी आक्साइड कहलाते हैं| जैसे ऐलुमिनियम आक्साइड एवं जिंक आक्साइड|
5. ग्रेफाइट अधातु होते हुए भी कौन सा धातुई गुण प्रदर्शित करता है? 
उत्तर:- ग्रेफाइट में धातुई गुण मौजूद है क्योंकि उसमें चमक होती है और वह विद्युत धनात्मक होती है|
सहसंयोजक यौगिक— जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके बंध बनाते हो यह सहसंयोजक बंध कहलाते हैं तथा इनमें यौगिक सह संयोजक यौगिक कहलाते हैं| इसमें यौगिक के परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के बीच परस्पर साझेदारी होती है|
6. आर्गन के दो परमाणु परस्पर संयुक्त होकर आर्गन अणु (Ar2) क्यों नहीं बनाते हैं? 
उत्तर:- आर्गन अक्रिय गैस हैं| इसका अष्टक पूरा रहता है| इस कारण किसी से संयोजक या बंधन नहीं बनता है| इस कारण यह परमाणु के रूप में रहता है|
7. परमाणु एवं आयन में अंतर लिखें|
उत्तर:- परमाणु— किसी तत्त्व का सबसे सूक्ष्म कण परमाणु है| ये इलेक्ट्रॉन, प्रोटान एवं न्यूट्रॉन से मिलकर बने होते हैं|
आयन— किसी तत्त्व के परमाणु का इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने या त्याग करने से परमाणु परिवर्तित रूप को आयन कहते हैं| आयन दो प्रकार हैं धनायन तथा ऋणायन| उदाहरणार्थ Na अब एक इलेक्ट्रॉन खोता है तो यह Na+ आयन बनाता है| जब इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो Na आयन बनाता है|
8. सहसंयोजक बंधन कितने प्रकार के होते हैं और ये कैसे बनते हैं? 
उत्तर:- एकल सहसंयोजक बंधन (Single Covalent bond) 
द्विक सहसंयोजक बंधन (Double Covalent bond) 
त्रिक सहसंयोजक बंधन (Triple Covalent bond) 
एकल सहसंयोजक बंधन—
जब दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों के सिर्फ एक युग्म साझा होता है तब उनके बीच एकल सहसंयोजक बंधन बनता है—-
H  +   H —>  H:H or,    एकल बंधन
                                          |
                                      H—H
द्विक सहसंयोजक बंधन—
जब संयोग करने वाले दोनों परमाणु दो दो इलेक्ट्रॉनों का साझा करते हैं तब उनके बीच द्विक सहसंयोजक बंधन बनता है|
O:    +    :O —–> O : O    OR,    द्विबंधन
                                                      |
                                                  O==O
त्रिक सहसंयोजक बंधन—-
जब संयोग करनेवाले दो परमाणु तीन तीन (तीन जोड़ा) इलेक्ट्रॉनों (छ: इलेक्ट्रॉन) का साझा करते हैं तब उन परमाणुओं के बीच त्रिक सहसंयोजक बंधन बनता है| 
N:  +   :N:   —–> :N: :N:  OR,   त्रिबंधन
                                                     |
                                                  N=N 
9. आप कैसे प्रमाणित करेंगे कि कार्बन टेट्राक्लोराइड विद्युत का कुचालक होता है? 
उत्तर:- कार्बन टेट्राक्लोराइड उदासीन अणुओं से बने होते हैं| ये आयन से नहीं बने हैं| इस कारण यह जलीय विलयन या पिघली अवस्था में आयन उत्पन्न नहीं करता है| इसलिए यह विद्युत का कुचालक होता है|
10. सोडियम क्लोराइड जल में घुल जाता है, किन्तु कार्बन टेट्राक्लोराइड नहीं, क्यों? 
उत्तर:- 
सोडियम क्लोराइड जल में घुल जाता है, इसका कारण यह है कि जल के अणु सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिक में विद्यमान आयनों के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं जिससे सोडियम क्लोराइड में उपस्थित आयनों के बीच का आकर्षण बल कमजोर होकर टूट जाता है और आयन अलग अलग हो जाते हैं| परिणामस्वरूप सोडियम क्लोराइड जल में घुल जाता है| किन्तु दूसरी ओर कार्बन टेट्राक्लोराइड जल में नहीं घुलता है; क्योंकि कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसे कार्बनिक विलायक के साथ ऐसी कोई बात नहीं होती है| अत: सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिक में होती है|
11. CH4  और  CO2   इलेक्ट्रॉनिक संरचना लिखें|
उत्तर:-
                                 H
                                  |
CH4—->            H—–C—–H
                                   |
                                   H
CO2—>    O=C=
12. किसी रासायनिक यौगिक के बनने में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की क्या भूमिका होती है? 
उत्तर:- रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉनें ही संयोजी इलेक्ट्रॉनों होते हैं| संयोजी इलेक्ट्रॉन ही तत्त्वों के साथ बंधन बनाकर यौगिक का निर्माण करते हैं| इस कारण इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है|
13. किसी तत्त्व A की परमाणु संख्या 12 है और दूसरे तत्व B की परमाणु संख्या 17 है| A और B के संयोग से बने यौगिक का सूत्र लिखें|
उत्तर:-
A (12) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास—–2, 8,2
B (17) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास—- 2,8,7
A धातु मैग्नीशियम (Mg)  तथा B धातु क्लोरीन (Cl ) है| इसके संयोग से मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) बनता है|
14. 1. अमोनिया के अणु के कुल कितने सहसंयोजक बंधन है? 
2. सोडियम अणु कहना क्या सही है? 
उत्तर:- 
1. अमोनिया के अणु में कुल 3 सहसंयोजक बंधन है|
2. हाँ, सोडियम को अणु कहना उचित है|
15. निम्नलिखित पदार्थों में बंधन की प्रकृति पर प्रकाश डालें—-
उत्तर:-
जल(H2O) —-
H परमाणु की बाह्यतम कक्षा में 1 इलेक्ट्रॉन है जबकि O परमाणु की बाह्यतम कक्षा में 6 इलेक्ट्रॉन| अत: हाइड्रोजन के दो परमाणुओं में प्रत्येक के एक एक इलेक्ट्रॉन आक्सीजन परमाणु के एक एक इलेक्ट्रॉन के साथ साझेदारी कर हाइड्रोजन परमाणु द्वयक पूरा करते हैं तथा आक्सीजन परमाणु अष्टक पूरा कर लेता है|
H—O—–H
इस प्रकार जल के अणु में दो सहसंयोजक बंधन होता है|
नाइट्रोजन अणु (N2)—-
नाइट्रोजन परमाणु के संयोजी शेल में 5 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| अतः, नाइट्रोजन के दो परमाणु आपस में तीन तीन इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा कर लेते हैं|
N=_N
अतः N2 अणु में तीन सहसंयोजक बंधन होते हैं|
मैग्नीशियम आक्साइड (MgO) —-
Mg—-> Mg2+   +    2e-
2,8,2     2,8
O  +  2e-  —-> O2-
2,6                   2,8
Mg:  +  O  —–> [Mg2+]  [:O] -2  या  MgO
MgO यौगिक में Mg2+ आयन तथा O2- आयन है|
कैल्सियम क्लोराइड (CaCl) —-
Ca   +   Cl:  ——> Ca•Cl—–> Ca+   +  [Cl]
Or    Ca+  Cl-
16. तत्त्व W, X, Y और Z की परमाणु संख्याएँ क्रमशः 7,9,10 और 11 है| तत्त्वों के निम्नांकित युग्मों से बने यौगिक का सूत्र लिखें और उनमें विद्यमान बंधन की प्रकृति बताएं—-
उत्तर:-
1. W2X3—- सहसंयोजी बंधन
2. X2— एकल सहसंयोजी बंधन
3. WX3— त्रि सह संयोजी बंधन
4. YZ2—- सह संयोजी बंधन
17. X और Y तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं—-
X   2,6
Y    2,8,8,2
X और Y के बीच बनने वाले बंधन की प्रकृति बताएं|
उत्तर:-
X का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,6 अर्थात यह O है|
Y  का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,8,2 अर्थात यह Ca है|
Ca  +   :O:   ——>  Ca2+  [:O:]
Or, Ca2+   +   O2-  = CaO  यह वैद्युत संयोजी बंधन बनाते हैं|
अर्थात CaO आयनिक यौगिक का निर्माण करते हैं|
18. एक धातु A (परमाणु संख्या 19) क्लोरीन के साथ अभिक्रिया कर एक सफेद ठोस क्लोराइड बनाता है| चित्र की सहायता से A का अभिक्रिया से पूर्व और पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दिखायें|
उत्तर:-
धातु A जिसकी परमाणु संख्या 19 है| वह पोटैशियम है| यानी K(19) जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,8,1 तथा क्लोरीन Cl(17) जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 है|
A का अभिक्रिया के पूर्व इलेक्ट्रॉनिक विन्यास—-
2,8,8,1 —> K=2, L=8, M=8, O=1

A का अभिक्रिया के  पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक विन्यास–
[A, 2,8,8]—>K=2, L=8, M=8
नोट— A धातु क्लोरीन के साथ अभिक्रिया कर एक ठोस क्लोराइड बनाती है और A धातु अपना एक परमाणु को त्याग देती है जिससे क्लोरीन अष्टक पूरा करते हैं|
19. एक परमाणु A दूसरे परमाणु B को दो इलेक्ट्रॉन प्रदान कर एक यौगिक बनाता है, तो A की संयोजकता और B की अंतिम कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताएं|
उत्तर:- 
A की संयोजकता 2 है और B की अंतिम कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 है| अतः A और B मिलकर मैग्नीशियम आक्साइड (MgO) यौगिक बनायेंगे जिसमें उपस्थित आयनज्ञ Mg2+ और O2- है|
20. हाइड्रोजन अणु (H2) के बनने में दोनों H- परमाणु अष्टक प्राप्त नहीं करते, फिर भी हाइड्रोजन का अणु काफी स्थायी होता है, क्यों? 
उत्तर:- हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के संयोग से हाइड्रोजन अणु (H2) बनता है| इसमें हाइड्रोजन के दोनों परमाणु एक एक इलेक्ट्रॉनों का साझा करके द्वितीय पूरा करते हैं|
H•  +   H•  —–>  H : H
साझेदारी में भाग लेने वाले दोनों इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं के बीच में रहते हैं| दोनों H परमाणुओं के बीच दो बिंदुयें साझेदारी के इलेक्ट्रॉन युग्म को निरूपित करती है साझेदारी के एक इलेक्ट्रॉन युग्म से एकल बंधन बनता है, जिसे दोनों H- परमाणुओं के बीच एक छोटी रेखा (—) द्वारा सूचित किया जाता है| अतः हाइड्रोजन के अणु को निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया जा सकता है——
H : H   या,    H—-H या, 
बंधन बन जाने के बाद दोनों परमाणुओं का इलेक्ट्रॉन विन्यास उत्कृष्ट गैस हीलियम की भांति स्थायी बन जाता है|
21. A, B  और C तीन तत्त्वों की परमाणु संख्याएँ क्रमशः 8,10 और 20 है| इनमें अक्रिय गैस की पहचान करें|
उत्तर:-
A तत्व की परमाणु संख्या 8, B तत्व की परमाणु संख्या 10 और C तत्व की परमाणु संख्या 20 है| इनमें B जिसका परमाणु संख्या 10 है वह अक्रिय गैस है| क्योंकि इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8 है जबकि गैस होने के लिए आखिरी शेल यानी संयोजी शेल में अष्टक पूरा होना चाहिए|
22. आक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,6 है| इसकी संयोजकता ज्ञात करें|
उत्तर:-
आक्सीजन परमाणु की संयोजकता 6 है; क्योंकि आखिरी शेल में 6 इलेक्ट्रॉन है जो संयोजकता के द्योतक है|
23. निम्नलिखित में वैद्युत संयोजक और सहसंयोजक यौगिकों का चयन करें—
उत्तर:-
वैद्युत संयोजक यौगिक—- पोटैशियम क्लोराइड, अमोनियम क्लोराइड, कापर सल्फेट
सहसंयोजक यौगिक—- ग्लूकोस, कार्बन टेट्राक्लोराइड, ऐसीटिलीन, यूरिया
24. जल में विलेय दो सहसंयोजक यौगिकों के नाम लिखें|
उत्तर:- ग्लूकोज, यूरिया
25. मैग्नेटाईट में एक अचुम्बकीय पदार्थ मिश्रित है| इन्हें अलग करने की एक विधि का उल्लेख करें|
उत्तर:- 
मैग्नेटाईट में एक अचुम्बकीय पदार्थ मिश्रित है इन्हें अलग करने की एक सर्वाधिक उपयुक्त विधि इस प्रकार है—–
चुम्बकीय पृथक्करण विधि—-
यह विधि वैसे अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है जब अयस्क और उसमें विद्यमान अपद्रव्यों में कोई एक चुम्बकीय हो| उदाहरण के लिए, टिन के अयस्क टिनस्टोन में उल्फ्राम अपद्रव्य के रूप में उपस्थित रहता है जो चुम्बकीय होता है| टिनस्टोन अयस्क को पीसकर महीन चूर्ण बना दिया जाता है| अब इस चूर्ण को एक विद्युत चुम्बकीय बेलनों के बेल्ट पर डालकर मशीन को चालू कर दिया जाता है| उल्फ्राम मैग्नेटाईट चुम्बकीय होने के कारण चुम्बक की ओर आकर्षित होकर एक पात्र में गिरता है, जबकि अचुम्बकीय पदार्थ उससे दूर होकर एक अलग पात्र में गिरता है| इस प्रक्रिया द्वारा सांद्रित मैग्नेटाईट अयस्क प्राप्त किया जाता है| अतः इस प्रक्रिया द्वारा मैग्नेटाईट में मिले अचुम्बकीय पदार्थ को आसानी से अलग किया जा सकता फलतः शुद्ध मैग्नेटाईट प्राप्त किया जा सकता है|
26. भर्जन क्या है? उदाहरण देकर समझाएँ|
उत्तर:-
भर्जन एक वैसी रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें सांद्रित अयस्क को पर्याप्त वायु की आपूर्ति में अयस्क के द्रवणांक से कम ताप पर तीव्रता से गर्म किया जाता है जिससे इसमें उपस्थित अपद्रव्य आर्सेनिक तथा अन्य उपस्थित अपद्रव्य आक्सीकृत होकर बाहर निकल जाते हैं और धातु आक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है|
जैसे– 2ZnS  +  3O2—–> 2Zno + 2So2
27. प्रगलन में द्रावक की क्या भूमिका होती है? 
उत्तर:-
द्रावक वह पदार्थ है जिसे निस्तापित या जारित अयस्क एवं कोक के साथ मिश्रित कर मिश्रण को गर्म किया जाता है| ऐसा करने से अयस्क में विद्यमान अद्रवणशील अपद्रव्य दूर जाते हैं| इस प्रकार प्रगलन में द्रावक की अति महत्वपूर्ण भूमिका है| क्योंकि इसी की सहायता से अयस्क में मौजूद अपद्रव्य को दूर किया जाता है|
28. सोडियम को किरोसिन में क्यों डुबाकर रखा जाता है? 
उत्तर:-
सोडियम सक्रिय धातु है जो वायु में उपस्थित आक्सीजन से क्रिया करके सोडियम आक्साइड बनाती है| यह पानी से क्रिया कर सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन उत्पन्न करती है| वायु में खुला छोड़ देने पर आग पकड़ लेती है, इसलिए इसे मिट्टी के तेल में डुबोकर सुरक्षित रखते हैं|
29. धातुओं के संरक्षण से क्या समझते हैं? 
उत्तर:- धातुओं की सतह पर वायु, नमी, CO2, SO2 अथवा रसायनों आदि के प्रभाव से क्षय होने या नष्ट होने के संरक्षण कहते हैं| लोहे नमी एवं आक्सीजन या वायु से अभिक्रिया कर Fe2O3 का परत बना लेता है जो भूरे रंग का होता है| यह प्रक्रिया जंग लगना कहलाता है| जंग लोहे को धीरे धीरे नष्ट कर देता है|
30. धातुओं के शोधन की एक विधि का वर्णन करें|
उत्तर:- धातुओं के शोधन की कयी प्रचलित विधियाँ हैं| उनमें एक विधि इस प्रकार हैं—-
द्रवण विधि—
इस विधि के द्वारा कम द्रवणांक वाली धातुओं (टिन, लेड आदि) को उच्च द्रवणांक वाली धातुओं से अलग किया जाता है| इस विधि में एक मालुम भट्ठी का इस्तेमाल किया जाता है| इस भट्ठी का ताप धातु के द्रवणांक से थोड़ा अधिक रखा जाता है| अशुद्ध धातु को भट्ठी के सिरे पर रखते हैं| धातु द्रवित होकर भट्ठी के निचले भाग (ढलकाव) की ओर बहने लगती है, किन्तु अद्रवणशील अपद्रव्य पीछे ही छूट जाते हैं|
31. मिश्रधातु क्या है? किन्हीं दो मिश्रधातुओं के नाम और उपयोग लिखें|
उत्तर:- दो या अधिक धातुओं अथवा एक धातु एवं एक अधातु का समांग मिश्रण मिश्रधातु कहलाता है| इच्छित धातुओं को उपयुक्त मात्रा में मिश्रित कर मिश्रण को गर्म करके पिघला देते हैं| पिघले हुए द्रव को ठंडा करके ठोस रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है| फलस्वरूप प्राप्त ठोस पदार्थ मिश्रधातु कहलाता है|
दो मिश्रधातु के नाम निम्न हैं—
पीतल— 
इसका उपयोग तरह तरह के बर्तन बनाने में किया जाता है तथा नलियों एक कारतूस बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है|
तांबा—
इसका उपयोग तमगे बनाने में किया जाता है| चूंकि तांबा (कापर) जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती है| इसी कारण इसका उपयोग गर्म जल की टंकी के निर्माण में किया जाता है|
32. लोहा और तांबा के दो दो अयस्कों के नाम लिखें|
उत्तर:-
 लोहा— हेमेटाइट, मैग्नेटाईट
तांबा— कापर पाइराइट, मैलेकाइट
33. धातुकर्म किसे कहते हैं? 
उत्तर:- अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण एवं उनके शोधन की प्रक्रिया को धातुकर्म कहते हैं| धातुकर्म में प्रयुक्त होने वाले कुछ मुख्य पद होते हैं जो इस प्रकार हैं–
आधात्रि
अयस्क का सांद्रण
निस्तापन
जारण
धातुमल
प्रगलन
34. सोडियम धातु के निष्कर्ष का सिद्धांत लिखें|
उत्तर:- सोडियम धातु के निष्कर्षण इस प्रकार हैं—–
सोडियम धातु मुख्यतः द्रवित पेट्रोलियम क्लोराइड (NaCl) का वैद्युत अपघटन करके प्राप्त की जाती है| चूंकि सोडियम क्लोराइड का द्रवणांक काफी उच्च (820°C) होता है| अतः इसके द्रवणांक को कम करने के लिए इसमें थोड़ा कैल्सियम क्लोराइड मिश्रित कर दिया जाता है| द्रवित मिश्रण का वैद्युत अपघटन करने पर सोडियम धातु कैथोड पर एवं क्लोरीन गैस ऐनोड पर मुक्त होती है|
 NaCl —–> Na+   +    Cl-
द्रवित
Na+  +   e  ——> Na (कैथोड पर) 
2Cl-  —-> Cl2  (ऐनोड पर) 
इसमें प्रयुक्त को डाउन की विधि कहते हैं| मिश्रण में उपस्थित कैल्सियम क्लोराइड का वैद्युत अपघटन नहीं होता है| सोडियम धातु प्राप्त करने के लिए सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है| इसका कारण यह है कि इस विलयन का वैद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर मुक्त सोडियम विलयन में उपस्थित जल के साथ अभिक्रिया करके सोडियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है|
2Na  +  2H2O  —->  2NaOH   +  H2
अतः कैथोड पर सोडियम धातु न मुक्त होकर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है और सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में रह जाता है|
35. किसी औरत ने अपने गंदे एवं पुराने सोना के आभूषणों को स्वच्छ एवं चमकीला बनाने के लिए एक स्वर्णकार को दिया| स्वर्णकार ने उन आभूषणों को एक द्रव में डालकर उन्हें चमकीला बना दिया, किन्तु उन आभूषणों का भार पहले से कम हो गया| क्या आप बताएंगे कि वह कौन सा द्रव था तथा ऐसा क्यों हुआ? 
उत्तर:-
स्वर्णकार द्वारा प्रयोग किया गया विलयन एक्वारीजिया है| एक्वारीजिया विलयन में तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं 3:1 के अनुपात में होता है| सोना एक्वारीजिया में घुलनशील है| इसिलिए औरत के आभूषणों का भार पहले से कम हो गया|
36. ऐलुमिनियम विधि क्या है? 
उत्तर:- कुछ धातुओं के आक्साइड Cr2O3, MnO4, इत्यादि कार्बन द्वारा अवकृत नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि कार्बन के साथ उच्च ताप पर ये कार्बाइड बनाते हैं| ऐसी स्थिति में अवकरण की क्रिया एलुमिनियम धातु द्वारा करायी जाती है| इसी प्रक्रिया को एलुमिनोथर्मिअ विधि कहते हैं|
Cr2O3  +  2Al —–> 2Cr2  +   2Al2O2
37. पीतल एवं कांसे के अवयव तत्त्व बतायें|
उत्तर:-
पीतल— Cu—80℅,  Zn—-20%
 कांसे—- Cu—90℅,  Sn—–10%
38. दो ऐसी धातुओं के नाम लिखें जो ठण्डे जल से अति तीव्र अभिक्रिया करती है| ऐसी किसी धातु को जल में डालने पर अवलोकित कोई तीन प्रेक्षण लिखें| यदि अभिक्रिया में, कोई गैस उतपन्न होती है तो आप उसकी पहचान कैसे करेंगे? 
उत्तर:-
सोडियम और पोटैशियम ऐसी धातुयें हैं जो ठंडे जल में अति तीव्र अभिक्रिया करते हैं|
ठंडे जल के साथ अभिक्रिया—– सोडियम, पोटैशियम एवं कैल्सियम धातुयें ठंडे जल के साथ ही अभिक्रिया करती है|
2Na  +   2H2O  —–> 2NaOH   +   H2^
2K     +    2H2O  —–>  2KOH    +   H2^
Ca     +     2H2O  —–>   Ca(OH)2   +   H2^
(1) पोटैशियम एवं सोडियम की अभिक्रिया के फलस्वरूप इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि उत्पन्न हाइड्रोजन गैस में तुरंत आग पकड़ लेती है|  (2) कैल्सियम के साथ अभिक्रिया अपेक्षाकृत कम तीव्रता से होती है| इससे उत्पन्न ऊष्मा इतनी कम होती है कि कैल्सियम कैल्सियम में आग नहीं पकड़ती, किन्तु कैल्सियम को जल में डालने पर तैरने लगती है; क्योंकि मुक्त हाइड्रोजन (H2) गैस कैल्सियम की सतह को अच्छादित कर लेती है| (3) पोटैशियम की जल के साथ अभिक्रिया सोडियम की अपेक्षा अधिक तेजी से होती है| अतः पोटैशियम सोडियम की तुलना में अधिक क्रियाशील है| किन्तु सोडियम कैल्सियम की अपेक्षा अधिक तेजी से अभिक्रिया करता है| अतः सोडियम कैल्सियम की तुलना में अधिक क्रियाशील है| धातुएँ जो ठंड जल के साथ अभिक्रिया करती है उन अभिक्रियाओं के हर स्थिति में हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है| इन अभिक्रियाओं से उत्पन्न गैस हाइड्रोजन अलग होती है| उसमें तुरंत आग पकड़ लेती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न





1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्त्वों को धातु एवं अधातु में किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है? सोदाहरण समझाएँ|
उत्तर:- 
धातु के परमाणु की बाह्यतम कक्षा में साधारणतः 1,2 और 3 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| ये प्रकृति में धनात्मक होती है| उदाहरण के तौर पर सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम इत्यादि| अधातुओं के परमाणु के बाह्यतम कक्षा रिक्त होती है| ये साधारणतः इलेक्ट्रॉन को धातुओं से ग्रहण कर अपना अष्टक पूरा करती है| उदाहरण के तौर पर कार्बन, सल्फर, आक्सीजन इत्यादि|
2. कारण सहित बताएं कि धातुएँ विद्युत की सुचालक और अधातुएं विद्युत की कुचालक क्यों होती है? 
उत्तर:-
धातुओं के ऊष्मा एवं विद्युत का सुचालक होने के कारण यह है कि परमाणुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन रहते हैं जो विद्युत धारा का संचालन करते हैं, कापर एवं सिल्वर की गणना सर्वोत्तम विद्युत चालकों में होती है| इसके बाद सोना, ऐलुमिनियम और टंगस्टन का स्थान आता है| आयरन एवं मरकरी (पारा) विद्युत प्रवाह में अपेक्षाकृत अधिक बाधक होते हैं| अधातुओं के कुचालक होने के कारण यह है कि इसके द्रवणांक और क्वथनांक निम्न होते हैं| इसी कारण ऊष्मा एवं विद्युत का संचालन प्रायः इसमें नहीं होता है जबकि ग्रेफाइट का द्रवणांक उच्च होता है| इसिलिए यह विद्युत की सुचालक होती है|
3. धातुओं के किन्हीं तीन गुणों का उल्लेख करें|
उत्तर:- 
धातुओं को मुख्यतः दो गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है—- भौतिक गुण, रासायनिक गुण
भौतिक गुण— 
धातुओं के तीन भौतिक गुण निम्न हैं—-
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास—–
धातुओं के परमाणु की बाह्यतम कक्षा में साधारणतः 1,2 या 3 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| उदाहरण के लिए; सोडियम, मैग्नीशियम एवं ऐलुमिनियम के इलेक्ट्रॉन क्रमशः 2,8,1;2, 8,2 तथा 2,8,3 होते हैं| इन तत्त्वों की बाह्यतम कक्षा में क्रमशः 1,2 और 3 इलेक्ट्रॉन हैं| इसलिए ये तत्व धातु है| यद्यपि हाइड्रोजन (H) और हीलियम (He) की बाह्यतम कक्षाओं में क्रमशः 1 और 2 इलेक्ट्रॉन है, फिर भी ये तत्व अधातु है|
विद्युत धनात्मक गुण—–
धातुएँ विद्युत धनात्मक होती है अर्थात इन धातुओं के परमाणु अपने संयोजी शेल के इलेक्ट्रॉन को आसानी से त्याग कर धनायन में परिवर्तित हो सकते हैं, ये परमाणु अपना इलेक्ट्रॉन खोकर अपने निकटस्थ अक्रिय गैस की भांति स्थायी विन्यास प्राप्त कर लेते हैं|
Na——-le——-> Na+ ( नियान- जैसा विन्यास) 
2,8,1                   2,8
Ca——- -2e—–Ca2+ (आर्गन जैसा विन्यास) 
2,8,8,2              2,8,8
आघातवर्धनीयता—–
धातुएँ आघातवर्धनीयता होती है, अर्थात इन्हें हथौड़े से पीटकर इनकी चादरें बनायी जा सकती हैं| सोना एवं सिल्वर सर्वाधिक आघातवर्ध्य होते हैं| इसलिए इनके कागज से भी पतले पत्तर बनाये जा सकते हैं|
रासायनिक गुण—-
धातुओं में धनायन में परिवर्तन हो जाने की प्रकृति होती है, धातुओं के इसी प्रकृति के कारण इनमें कुछ विशिष्ट रासायनिक गुण आ जाते हैं| ये तीन गुण इस प्रकार हैं—-
आक्सीजन के साथ अभिक्रिया—–
सभी धातुएँ आक्सीजन के साथ संयोग करके आक्साइड बनाती है—-
4Na  +  O2—-> 2Na2O(सोडियम मोनोक्साइड) 
2Mg  +  O2—->2MgO(मैग्नीशियम आक्साइड) 
धातु के आक्साइड भास्मिक होते हैं| कुछ आक्साइड जल में घुलकर क्षार बनाते हैं जैसे—–
Na2O(s) +  H2O(l) ——> 2NaOH(aq) 
K2O(s)   +   H2O(l) ——> 2KOH(aq) 
CaO (s)  +    H2O(l) ——> Ca(OH)2(aq) 
कुछ धातुएँ के आक्साइड (Al2O3, ZnO आदि) में अम्लीय एवं भास्मिक दोनों प्रकार के गुण रहते हैं| ये द्विधर्मी आक्साइड कहलाते हैं| ये अम्ल एवं भस्म दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं| उदाहरण के लिए ZnO तनु HCl के साथ अभिक्रिया करके ZnCl2 और H2O बनाता है|
जल के साथ अभिक्रिया—–
विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया भिन्न भिन्न वेग से होती है| कुछ धातुएँ ठंडे जल के साथ अभिक्रिया कर लेती है| कुछ धातुओं को जल के साथ गर्म करने पर अभिक्रिया होती है, जबकि कुछ धातुएँ भाप के साथ अभिक्रिया करती है, किन्तु हर स्थिति में H2 गैस मुक्त होती है, एवं इन धातुओं के आक्साइड/हाइड्राक्साइड बनते हैं| उदाहरण के लिए सोडियम, पोटैशियम एवं कैल्सियम धातुयें ठंडे जल के साथ ही अभिक्रिया करती है—–
2Na  +   2H2O  ——> 2NaOH  +   H2^
2K     +    2H2O  —–>  2KOH    +   H2^
Ca     +     2H2O   ——>  Ca(OH)2  +   H2^
अम्लों के साथ अभिक्रिया——
धातुएँ प्रायः अम्लों के साथ अभिक्रिया करके अम्लों से हाइड्रोजन मुक्त करती है| अम्लों के साथ धातु की अभिक्रिया का वेग धातु के विद्युत धनात्मक गुण या उसकी क्रियाशीलता पर निर्भर करता है| अधिक विद्युत धनात्मक धातु कम विद्युत धनात्मक धातु की अपेक्षा अम्लों के साथ तेजी से अभिक्रिया करती है| उदाहरण के लिए, सोडियम धातु तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड बनाती है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है|
4. अधातुओं के किन्हीं तीन गुणों का उल्लेख करें|
उत्तर:- धातुओं की तरह अधातुओं को भी मुख्यतः दो गुणों के आधार पर बांटा जाता है—-
भौतिक गुण तथा रासायनिक गुण
भौतिक गुण—-
भौतिक अवस्था—-
अधातुएं सामान्य ताप पर पदार्थ की तीनों अवस्थाओं (ठोस, द्रव एवं गैस के रूप में) में पायी जाती है| उदाहरण के लिए, कार्बन, सल्फर, फास्फोरस, आयोडीन ठोस रूप में ब्रोमीन द्रव की अवस्था में जबकि हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, क्लोरीन आदि गैसीय अवस्था में रहते हैं|
भंगुरता—-
अधातुएं प्रायः भंगुर होती हैं जिनसे चादरें एवं तार नहीं बनाए जा सकते हैं| अत: इनमें आघातवर्धनीयता और तन्यता नहीं होती है| इन्हें हथौड़े से पीटने पर या खींचने पर चूर चूर हो जाती है|
ऊष्मा एवं विद्युत चालकता—
अधातुएं प्रायः ऊष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं| सिर्फ ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है|
रासायनिक गुण—-
अधातुओं के तीन रासायनिक गुण इस प्रकार हैं——-
आक्सीजन के साथ अभिक्रिया—-
अधातुएं आक्सीजन के साथ संयोग करके अम्लीय आक्साइड बनाती है, ये आक्साइड जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं—–
C   +    O2 ——> CO2
   कार्बन डाइऑक्साइड
S    +     O2 ——> SO2
              कार्बनिक अम्ल
SO2    +    H2O ——> H2SO3
         सल्फर डाइऑक्साइड
2S    +    3O2   ——->  2SO3
          सल्फर ट्राइ आक्साइड
SO3   +    H2O   ——>  H2SO4
             सल्फ्यूरिक अम्ल
क्लोरीन के साथ अभिक्रिया—–
अधातुएं क्लोरीन के साथ अभिक्रिया करके क्लोराइड बनाती है| उदाहरण के लिए, फास्फोरस की अभिक्रिया क्लोरीन के साथ कराने पर फास्फोरस ट्राइक्लोराइड बनता है|
P4    +    6Cl2  ——> 4PCl3
उसी प्रकार हाइड्रोजन की अभिक्रिया क्लोरीन से कराने पर हाइड्रोजन क्लोराइड बनता है|
H2    +   Cl2   ——-> 2HCl
हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया——-
अधातुएं हाइड्रोजन के साथ संयोग करके हाइड्राइड का निर्माण करती है|
H2   +    S  ——>H2S
हाइड्रोजन सल्फाइड
N2   +    3H2   —–> 2NH3
अमोनिया
5. जस्ता कापर सल्फेट के विलयन से तांबा को विस्थापित कर देता है, किन्तु तांबा जिंक सल्फेट के विलयन से जस्ता को विस्थापित नहीं कर सकता, क्यों? 
उत्तर:-
क्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील धातु के लवण के विलयन से कम क्रियाशील धातु को विस्थापित कर देती है| जब जिंक धातु के टुकड़े को कापर सल्फेट के विलयन में डालते हैं तो कापर सल्फेट विलयन का नीला रंग धीरे धीरे गायब होने लगता है और कापर धातु की लाल परत जिंक धातु पर जम जाती है|
 Zn     +         CuSO4   ——–> ZnSO4  +  Cu
जिंक         कापर सल्फेट जिंक         सल्फेट कापर
धातु अधिक क्रियाशील होने के कारण विलयन से कापर धातु को विस्थापित कर देती है| तांबा (कापर) बेहद कम क्रियाशील धातु है| जो जिंक सल्फेट के विलयन से जस्ता विस्थापित नहीं कर सकता है| अत: कहा जा सकता है कि जस्ता कापर सल्फेट के विलयन से तांबा को विस्थापित कर देती है, जबकि तांबा जिंक सल्फेट के विलयन से जस्ता को विस्थापित नहीं कर सकता है|
6. द्विधर्मी आक्साइड क्या है? द्विधर्मी आक्साइडों को दो उदाहरण दें|
उत्तर:-
कुछ धातुओं के आक्साइड में अम्लीय एवं भास्मिक या क्षारीय दोनों प्रकार के गुण रहते हैं| ये द्विधर्मी आक्साइड कहलाते हैं| ये अम्ल एवं भस्म दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं| उदाहरण के लिए ऐलुमिनियम आक्साइड (Al2O3) तथा जिंक आक्साइड (ZnO) दोनों द्विधर्मी आक्साइड है|
7. भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में अंतर स्पष्ट करें|
उत्तर:-
भौतिक गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में विभेद—–


धातुएँ—-
धातुएँ सामान्य ताप पर ठोस होती है परंतु केवल पारा सामान्य ताप पर तरल अवस्था में होता है|
धातुएँ तन्य तथा आघातवर्ध्य तथा लगिष्णु होती है|
धातुएँ प्रायः चमकदार होती है अर्थात उनमें धात्विक चमक होती है|
धातुएँ ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती है परंतु बिस्मथ इसका अपवाद है|
धातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक बहुत अधिक होते हैं|
धातुएँ अधिकांशतः कठोर होती है परंतु सोडियम तथा पोटैशियम चाकू से काटी जा सकती है|
धातुओं का आपेक्षिक घनत्व अधिक होता है परंतु Na, K इसके अपवाद है| 
धातुएँ अपारदर्शक होती है|
अधातुएं—–
अधातुएं सामान्य ताप पर तीनों अवस्थाओं में पाई जाती है| फास्फोरस और सल्फर ठोस रूप में, H2, O2, N2 गैसीय रुप में तथा ब्रोमीन तरल रूप में होती है|
ये प्रायः भंगुर होती है|
अधातुओं में धात्विक चमक नहीं होती परंतु हीरा, ग्रेफाइट तथा आयोडीन इसके अपवाद है|
ग्रेफाइट और गैस कार्बन को छोड़कर सभी अधातुएं कुचालक हैं|
अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं| 
इनकी कठोरता भिन्न भिन्न होती है| हीरा सब पदार्थों से कठोरतम है|
अधातुओं का आपेक्षिक घनत्व प्रायः कम होता है|
गैसीय अधातुएं पारदर्शक हैं|
रासायनिक गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में विभेद——


धातुएँ—–
धातुएँ क्षारीय आक्साइड बनाती है जिसमें से कुछ क्षार बनाती है|
धातुएँ अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस पुनः स्थापित करती है तथा अनुरूप लवण बनाती है|
धातुएँ धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं|
धातुएँ क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं जो वैद्युत संयोजक होते हैं|
कुछ धातुएँ हाइड्रोजन से संयोग करके हाइड्रोक्साइड बनाती हैं जो विद्युत संयोजक होते हैं|
धातुएँ अपचायक हैं|
धातुएँ जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं|
अधातुएं——
अधातुएं अम्लीय तथा उदासीन आक्साइड बनाती हैं|
अधातुएं अम्लों में से हाइड्रोजन गैस को पुनः स्थापित नहीं करती हैं|
अधातुएं ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती है|
अधातुएं क्लोरीन से संयोग कर क्लोराइड बनाती हैं, परंतु वे सहसंयोजक होते हैं|
अधातुएं हाइड्रोजन के साथ अनेक स्थायी हाइड्राइड बनाती हैं जो सहसंयोजक होते हैं|
अधातुएं आक्सीकारक हैं|
अधातुएं जलीय विलयन में ऋणात्मक बनाती हैं|
8. वैद्युत अपघटन विधि से धातु का शोधन किस प्रकार किया जाता है? 
उत्तर:-
इस विधि द्वारा तांबा (कापर), जिंक, टिन, निकेल, सिल्वर, गोल्ड, ऐलुमिनियम आदि धातुओं को शुद्ध रूप में प्राप्त किया जाता है| इसमें अशुद्ध धातु को ऐनोड एवं शुद्ध धातु की प्लेट को कैथोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| धातु के एक लवण का विलयन वैद्युत अपघट्य का कार्य करता है| विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऐनोड से शुद्ध धातु निकलकर विलयन में आती है और विलयन में से उतनी ही शुद्ध धातु कैथोड पर एकत्रित हो जाती है| विलेय अपद्रव्य विलयन में चले जाते हैं, जबकि अविलेय अपद्रव्य ऐनोड के नीचे पेंदी में एकत्र हो जाते हैं ऐनोड मड कहलाते हैं|
9. वैसे किन्हीं तीन अधातुई आक्साइडों के नाम लिखें जो अम्लीय होते हैं, जल के साथ आक्साइडों की अभिक्रिया कैसे होती है? 
उत्तर:-
कार्बोनिक अम्ल(H2CO3), सल्फ्यूरस अम्ल (H2SO3), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) ऐसे तीन अधातुई आक्साइड है जो अम्लीय होते हैं| अधातुएं आक्सीजन के साथ संयोग करके अम्लीय आक्साइड बनाती हैं| ये आक्साइड जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं|
C  +   O2    ——-> CO2
                   कार्बन डाइऑक्साइड
H2O   +   CO2   ——> H2CO3 
                               कार्बोनिक अम्ल
10. अयस्कों के सांद्रण से क्या समझते हैं? सल्फाइड अयस्क का सांद्रण आप किस विधि द्वारा करेंगे? 
उत्तर:-

अयस्क का सांद्रण—-
अयस्क में विद्यमान अपद्रव्यों को दूर करना अयस्क का सांद्रण कहलाता है| सल्फाइड अयस्क के सांद्रण के लिए फेन उत्प्लावन विधि का प्रयोग किया जा सकता है—-
प्रयोग—
सल्फाइड अयस्क के भारी चूर्ण को जल से भरी टैंक में डालते हैं| इसके बाद जल में थोड़ा तेल डालकर वायु प्रवाह द्वारा जल को खूब आलोडित (हिलाया) किया जाता है, विलय अपद्रव्य जल में घुल जाते हैं और सल्फाइड अयस्क के हल्के कण फेन के साथ जल की सतह के ऊपर आ जाते हैं जिन्हें अलग कर लिया जाता है| फेन (झाग) को समाप्त करने के लिए उसमें थोड़ा अम्ल मिलाया जाता है| फिर सल्फाइड अयस्क को छानकर सुखा लेते हैं|
11. अयस्कों के निस्तापन एवं जारण से आप क्या समझते हैं? इनमें अंतर स्पष्ट करें|
उत्तर:-


अयस्कों का निस्तापन—-
निस्तापन की प्रक्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में उसके द्रवणांक से कम ताप पर तीव्रता से गर्म किया जाता है|
उदाहरण—- 
(1) आक्साइड अयस्क को गर्म करने पर उसमें उपस्थित जलवाष्प एवं वाष्पशील अपद्रव्य बाहर निकल जाते हैं|
Al2O3•2H2O —–> Al2O3   +   2H2O
(2) कार्बोनेट अयस्क को गर्म करने पर वह धातु के आक्साइड में परिवर्तित हो जाता है|
CaCO3 ——> CaO  +   CO2
CaCO3 + MgCO3 —->CaO + MgO + 2CO2
ZnCO3 ——–> ZnO  +    CO2
कैलमीन अयस्क
CuCO3•Cu(OH) —–>2CuO  +  H2O +CO2
अयस्कों का जारण—–
जारण प्रक्रिया में सांद्रित अयस्क को पर्याप्त वायु की आपूर्ति में अयस्क के द्रवणांक से कम ताप पर तीव्रता से गर्म करते हैं| इससे उसमें विद्यमान आर्सेनिक तथा अन्य अपद्रव्य आक्सीकृत होकर वाष्प रुप में बाहर निकल जाते हैं तथा धातु आक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाती है|
उदाहरण—–
(1) जिंक ब्लेड ( ZnS) जारित होकर ZnO में बदल जाता है|
2ZnS   +   3O2 ——> 2ZnO  +   2SO2
(2) गैलेना (PbS) जारित होकर लिथार्ज (PbO) में परिणत हो जाता है|
2PbS   +   3O2  —–> 2PbO  +   2SO2
(3) सिनेबार (HgS) का जारण करने पर वह सीधे मरकरी (पारा) में बदल जाता है|
HgS   +   O2    ——-> Hg   +    SO2
(4) आइरन पाइराइट (FeS2) का जारण करने पर वह फेरिक आक्साइड (Fe2O3) में परिवर्तित हो जाता है|
4FeS    +   11O2   ——-> 2Fe2O3    +   8SO2
अतः कहा जा सकता है कि निस्तापन एवं जारण दोनों प्रक्रियाओं द्वारा धातु का आक्साइड ही प्राप्त होता है| किन्तु फिर भी इन दोनों प्रक्रियाओं में कुछ भिन्नता है, जो ये है——–
निस्तापन—–
इस प्रक्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है|
यह आक्साइड एवं कार्बोनेट अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है|
जारण—–
इस प्रक्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है|
यह सल्फाइड अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है|
12. कारण बताएं—–
1. सोना एवं चांदी का उपयोग आभूषणों के निर्माण में किया जाता है|
उत्तर:- सोना एवं चांदी के अग्रलिखित गुणधर्मी के कारण इनका प्रयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है—– तन्यता, आघातवर्ध्यता, जंग के प्रति सुरक्षित
2. सोडियम धातु को किरोसिन में डुबाकर रखा जाता है|
उत्तर:- सोडियम अत्यधिक अभिक्रियाशील होती है| यह वातावरण में पाई जानेवाली आक्सीजन के साथ मिलकर अपना अपना आक्साइड बनाते हैं तथा जल के संपर्क में आने पर जल जाता है| इसलिए इसे बचाने के लिए किरोसिन तेल में डुबोकर रखा जाता है|
3. ऐलुमिनियम के अतिक्रियाशील होने के बावजूद इसका उपयोग घरेलू बरतन बनाने में किया जाता है|
उत्तर:- ऐलुमिनियम एक शक्तिशाली एवं सस्ता धातु है| यह ताप का सुचालक है| परंतु अत्यधिक अभिक्रियाशील है| आर्द्र वायु के संपर्क में आने पर इसकी सतह पर जानेवाली ऐलुमिनियम आक्साइड (Al2O3) की परत चढ़ जाती है| यह परत आर्द्र वायु को क्रियाशील धातु के संपर्क में नहीं आने देती और धातु को जंग लगने से बचाती है| इन सभी कारणों से ऐलुमिनियम का प्रयोग खाना बनाने के बर्तन बनाने में किया जाता है|
4. मलिन पड़े तांबा के बरतनों को नींबू या इमली के रस से साफ किया जाता है|
उत्तर:- तांबा आक्साइड अम्लों में अभिक्रिया करता है, किन्तु तांबा स्वयं अभिक्रिया नहीं करता| अतः तांबे को अम्लीय पदार्थों यानी नींबू या इमली के रस से साफ किया जा सकता है ये तांबे में संरक्षित हिस्सों (कापर आक्साइड) को अलग कर देता है तथा शुद्ध रह जाता है|
13. उत्कृष्ट गैसों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें और यह बतायें कि ये गैसें अक्रियाशील क्यों होती है? 
उत्तर:-
उत्कृष्ट गैस                         इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
हीलियम(He)                                  2
निआन(Ne)                                   2,8
आर्गन(Ar)                                   2,8,8
क्रिप्टन(Kr)                                 2,8,18,8
जेनन(Xe)                                2,8,18,18,8
रेडान(Rn)                               2,8,18,32,18,8
उत्कृष्ट गैसें (He, Ne, Ar, Kr, Xe, Rn) एकदम अभिक्रियाशील होती है| और यौगिक नहीं बना सकती है| ये स्थायी होती है| इसलिए ये दूसरे परमाणु के साथ अभिक्रिया नहीं करती हैं| हीलियम (He) परमाणु का प्रथम शेल ही अंतिम शेल है और जिसमें 2 इलेक्ट्रॉन ही रह सकते हैं| अतः यह शेल भी पूर्णतः भरा हुआ है| अन्य उत्कृष्ट गैसों के परमाणुओं के बाह्यतम शेल में आठ इलेक्शन रहने के कारण इनके भी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थायी है| इसलिए उत्कृष्ट गैसें अक्रियाशील होती है|
14. रासायनिक बंधन किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है? 
उत्तर:-
रासायनिक बंधन—-
तत्वों के दो या अधिक परमाणुओं के बीच रासायनिक संयोग होने से अणु का निर्माण होता है| परमाणु एक बल से आपस में बंधे होते हैं, जो रासायनिक बंधन कहलाता है| अतः वह रासायनिक बल जो किसी अणु में परमाणुओं को एक साथ बांध कर रखता है| अतः रासायनिक बंधन कहलाता है|
रासायनिक बंधन के प्रकार—–
वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन
सहसंयोजक बंधन
वैद्युत संयोजन बंधन—–
दो परमाणुओं के बीच एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण के फलस्वरूप जो रासायनिक बंधन बनता है| उसे वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन कहलाता है| इसे ध्रुवीय बंधन भी कहते हैं|
Na+Cl-   ——> NaCl
विपरीत आवेश वाले Na+ और Cl- आयन स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा एक दूसरे के साथ जुड़कर Na+Cl- बनाते हैं|
सहसंयोजक बंधन—–
जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं, तब उनके बीच बना हुआ रासायनिक बंधन सहसंयोजक बंधन कहलाता है| 
एकल सहसंयोजक बंधन
द्विक सहसंयोजक बंधन
त्रिक सहसंयोजक बंधन
एकल बंधन—–
H2 —–> H. + H. —–> H:H —–> H–H
                                   Cl
                                    |
CCl4 —–>         Cl——C——-Cl
                                     |
                                   Cl
                              एकल बंधन
द्विक बंधन—–
CO2 ——>      O=C=O
                       द्विआबंध
त्रिआबंध——-
N2 —–> N=_N
C2H2  ——>     H–C=_C–H
15. वैद्युत संयोजक बंधन क्या है और यह कैसे बनता है? 
उत्तर:-
वैद्युत संयोजक बंधन—–
दो परमाणुओं के बीच एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण के फलस्वरूप बने रासायनिक बंधन को वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन कहते हैं| इसे ध्रुवीय बंधन भी कहते हैं| इस प्रकार के बंधन में एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है| एक परमाणु अपना अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन दूसरे परमाणु को प्रदान करता है| जिससे दोनों परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उनके निकटतम उत्कृष्ट गैस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की तरह ही स्थायी हो जाते हैं| जो परमाणु इलेक्ट्रॉन प्रदान करता है| उसपर धन आवेश और जो परमाणु प्रदत्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है उसपर ऋण आवेश उत्पन्न हो जाते हैं| धनाविष्ट परमाणु धनायन और ऋणाविष्ट परमाणु ऋणायन कहलाता है| विपरीत आवेश वाले ये दोनों आयन स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा परस्पर जुट जाते हैं| इन दोनों परमाणुओं को एक साथ बांधकर रखनेवाला यह आकर्षण बल वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन कहलाता है|
वैद्युत संयोजक बंधन का बनना—-
इसके अंतर्गत हम कैल्सियम आक्साइड के बनने का वर्णन करेंगे—-
कैल्सियम  (Ca) और आक्सीजन (O) परमाणु परस्पर संयोग करके कैल्सियम आक्साइड (CaO) का निर्माण करते हैं| कैल्सियम और आक्सीजन की परमाणु संख्यायें क्रमशः 20 और 8 होती है| अतः इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार हैं—
Ca(20)   2,8,8,2
O(8)        2,6
Ca परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 है| जबकि O परमाणु में 6 है| जब ये दोनों परमाणु परस्पर संयोग करते हैं तब Ca परमाणु के दोनों संयोजी इलेक्ट्रॉन आक्सीजन के संयोग शेल में चले जाते हैं| अब कैल्सियम और आक्सीजन दोनों के बाह्यतम शेल में अष्टक पूरा हो जाता है जिससे वे उत्कृष्ट गैस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करके स्थायी बन जाते हैं| इस अवस्था में कैल्सियम परमाणु पर दो धन आवेश और आक्सीजन परमाणु पर दो ऋण आवेश उत्पन्न हो जाते हैं
Ca      ——->  Ca2+   +   2e
 कैल्सियम         कैल्सियम आयन
  परमाणु
O   + 2e    ——> O2-
आक्सीजन         आक्साइड
 परमाणु                आयन
दो विपरीत आवेश वाले Ca2+ और O2- आयन स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा परस्पर जुड़कर कैल्सियम आक्साइड (Ca2+O2- या CaO) बनाते हैं|
अतः कैल्सियम आक्साइड एवं वैद्युत संयोजक यौगिक या आयनिक यौगिक है|
16. सहसंयोजक बंधन से आप क्या समझते हैं? इसके बनने की प्रक्रिया की उल्लेख करें|
उत्तर:-
सहसंयोजक बंधन—–
जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं तब उनके बीच बना हुआ रासायनिक बंधन सहसंयोजक बंधन कहलाता है| जब संयोग करने वाले दोनों परमाणु के पास अपने निकटस्थ उत्कृष्ट गैस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की अपेक्षा इलेक्ट्रॉनों की कमी हो तब वे दोनों परमाणु आपस में समान संख्या में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं| साझेदारी में शामिल इलेक्ट्रॉन युग्मों पर दोनों परमाणुओं का समान अधिकार रहता है| इस प्रकार ये दोनों परमाणुओं के बीच बना बंधन सहसंयोजक बंधन कहलाता है|
सहसंयोजक बंधन का बनना—-
सहसंयोजक बंधन के बनने की तीन प्रक्रिया होती है—– एकल सहसंयोजक बंधन, द्विक सहसंयोजक बंधन, त्रिक सहसंयोजक बंधन
एकल सहसंयोजक बंधन—–
इसके अंतर्गत हम क्लोरीन अणु के बनने का वर्णन करेंगे—-
क्लोरीन के दो परमाणु परस्पर संयोग कर क्लोरीन अणु (Cl2) बनाते हैं| क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 होती है| अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 होता है, क्लोरीन परमाणु को अपने निकटस्थ उत्कृष्ट गैस आर्गन का स्थायी विन्यास (2, 8,8) प्राप्त करने के एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है, संयोग करने वाले दोनों परमाणु एक एक इलेक्ट्रॉन का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं| ऐसा करके दोनों परमाणु आर्गन जैसा स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेते हैं——
द्विक सहसंयोजक बंधन या द्विबंधन—–
इसके अंतर्गत हम आक्सीजन अणु (O2) के बनने का वर्णन करेंगे——
आक्सीजन परमाणु के संयोजी शेल में 6 इलेक्ट्रॉन है| अष्टक पूर्ण करने के लिए आक्सीजन परमाणु को दो इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है| अतः आक्सीजन के दो परमाणु दो दो इलेक्ट्रॉनों का परस्पर साझा कर स्थायी आक्सीजन का निर्माण करते हैं|
त्रिक सहसंयोजक बंधन या त्रिबंधन—–
इसके अंतर्गत हम नाइट्रोजन अणु (N2) के बनने का वर्णन करेंगे——
नाइट्रोजन परमाणु के संयोजी शेल में इलेक्ट्रॉन रहते हैं| अतः नाइट्रोजन के दो परमाणु आपस में तीन तीन इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना स्थायी अष्टक पूरा करते हैं—-
17. निम्नलिखित में सहसंयोजक बंधन बनने की प्रक्रिया का वर्णन करें—-
HCl, CCl4, CH4, O2, Cl2
उत्तर:-
HCl यानी हाइड्रोजन क्लोराइड में सहसंयोजक बंधन बनने की प्रक्रिया—–
H          +      Cl———->HCl
हाइड्रोजन     क्लोरीन        हाइड्रोजन क्लोराइड
 CCl4 यानी कार्बन टेट्राक्लोराइड में सहसंयोजक बंधन बनने की प्रक्रिया——
कार्बन टेट्राक्लोराइड(CCl4) के अणु के बनने में कार्बन का एक परमाणु क्लोरीन के परमाणुओं के साथ चार एकल बंधन बनाता है|
         Cl4
           |
Cl4—-C——Cl4
           |
        Cl4
कार्बन टेट्राक्लोराइड में कार्बन और क्लोरीन के चारों परमाणुओं के बाह्यतम शेल में 8 इलेक्ट्रॉन हो जाने से वे स्थायी विन्यास प्राप्त कर लेते हैं| इसमें कार्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निआन (2, 8) की तरह और क्लोरीन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आर्गन (2, 8,8) की तरह होते हैं|
CH4 यानी मेथेन अणु में सहसंयोजक बंधन बनने की प्रक्रिया—–
मेथेन अणु (CH4) के अणु में कार्बन की परमाणु संख्या 6 होती है| अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,4 होता है| इस प्रकार कार्बन के बाह्यतम शेल में चार इलेक्ट्रॉन हैं| कार्बन अपने इन चारों इलेक्ट्रॉनों का साझा चार हाइड्रोजन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ करता है| अतः कार्बन का एक परमाणु H– परमाणुओं के साथ चार एकल बंधन बनाता है|
O2 यानी आक्सीजन अणु में सहसंयोजक बंधन बनने की प्रक्रिया—-
आक्सीजन (O2) परमाणु के संयोजी शेल में 6 इलेक्ट्रॉन हैं| अष्टक पूर्ण करने के लिए आक्सीजन परमाणु को दो इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है| अतः आक्सीजन के दो परमाणु दो दो इलेक्ट्रॉनों का परस्पर साझा कर स्थायी आक्सीजन का निर्माण करते हैं|
Cl2 यानी क्लोरीन अणु में सहसंयोजक बंधन बनने की प्रक्रिया—–
क्लोरीन के दो परमाणु परस्पर संयोग कर क्लोरीन अणु (Cl2) बनाते हैं| क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 होती है, अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 होती है| क्लोरीन परमाणु को अपने निकटस्थ उत्कृष्ट गैस आर्गन का स्थायी विन्यास (2, 8,8) प्राप्त करने के लिए एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है| संयोग करनेवाले दोनों परमाणु एक एक इलेक्ट्रॉन का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं| ऐसा करके दोनों परमाणु आर्गन जैसा स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेते हैं|
Cl—Cl
18. आयनिक और सहसंयोजक यौगिकों की विभिन्नताओं का वर्णन करें—-
उत्तर:-
वैद्युत संयोजक/आयनिक यौगिक—–
ये इलेक्ट्रॉन के पूर्ण स्थानान्तरण के फलस्वरूप बनता है|
Na  +   Cl  ——> Na+   Cl-
ये आयनों से बने होते हैं|
ये मुख्यतः क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ होते हैं|
इनके द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं|
ये जल में प्रायः विलेय किन्तु बेंजीन, क्लोरोफॉर्म आदि कार्बनिक विलायकों में प्रायः अविलेय होते हैं|
विद्युत अपघटन करने पर ये विघटित हो जाते हैं|
यह विलयन में तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं|
ठोस अवस्था में ये विद्युत के कुचालक किन्तु द्रवित या जलीय विलयन की अवस्था में विद्युत के कुचालक होते हैं|
सहसंयोजक यौगिक—–
ये इलेक्ट्रॉन के पारस्परिक साझेदारी के फलस्वरूप बनता है|
C   +    H4  ——->  H   C    H
ये उदासीन अणुओं से मिलकर बने होते हैं|
ये प्रायः ठोस या द्रव होते हैं|
इनके द्रवणांक और क्वथनांक निम्न होते हैं|
ये जल में अविलेय किन्तु कार्बनिक विलायकों में विलेय होता है|
इनका विद्युत अपघटन प्रायः नहीं होता है|
विलयन में इनकी अभिक्रियाएँ प्रायः धीरे धीरे होती है| सहसंयोजक यौगिक ध्रुवीय सहसंयोजक यौगिकों को छोड़कर विद्युत के कुचालक होते हैं|
इनके अणुओं की एक निश्चित ज्यामितीय आकृति होती है|
19. वैद्युत संयोजक यौगिकों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें–
उत्तर:-
ये यौगिक धन और ऋण आवेश युक्त आयनों के बने होते हैं| उदाहरण के लिए, सोडियम क्लोराइड (NaCl) Na+ और Cl- आयनों का बना होता है| ये आयन त्रिआयामी रूप से एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होकर रवा (क्रिस्टल) बनाते हैं|
इनके द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं| इसका कारण है कि धन आयनों एवं ऋण आयनों के बीच मजबूत स्थिर वैद्युत आकर्षण बल कार्य करता है| इस आकर्षण बल को तोड़ने के लिए पर्याप्त ऊष्मा ऊर्जा की आवश्यकता होती है| अतः वैद्युत संयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं| इसे एक प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है——
प्रयोग—
एक स्पैचुला में थोड़ा सोडियम क्लोराइड लें| यह एक सफेद ठोस पदार्थ है| इसे ज्वालक की सहायता से गर्म करें| आप देखेंगे कि सोडियम क्लोराइड नहीं पिघलता है| इससे स्पष्ट है कि इसका द्रवणांक काफी उच्च होने के कारण यह आसानी से नहीं पिघलता है|
ये जल में प्रायः विलेय किन्तु बेंजीन, ऐसीटोन, कार्बन डाइसल्फ़ाइड और कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसे कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं|इसका कारण यह है कि जल के अणु आयनिक यौगिक में विद्यमान आयनों के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं जिससे आयनों के बीच का आकर्षण बल कमजोर होकर टूट जाता है और आयन अलग अलग हो जाते हैं| परन्तु कार्बनिक विलायकों के साथ ऐसी कोई बात नहीं होती है|
ये द्रवित या जलीय विलयन की अवस्था में विद्युत के सुचालक होते हैं| ठोस अवस्था में इन नागरिकों के आयन निश्चित स्थानों पर बंधे रहते हैं और ये एक स्थान से दूसरे स्थान में गमन नहीं कर सकते हैं| अतः ठोस की अवस्था में ये यौगिक विद्युत का चालक नहीं होते हैं| परन्तु पिघली हुई अवस्था में या इनके जलीय विलयन में इनके आयन मुक्त रुप से एक स्थान से दूसरे स्थान में गमन कर सकते हैं| अर्थात इन अवस्थाओं में ये विद्युत के सुचालक हो जाते हैं| इसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा आसानी से समझा जा सकता है—–
प्रयोग– 
एक उन्नाव पत्र ( Filter paper) लेकर उसे पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) के जलीय विलयन में भिगोकर ग्रेफाइट की दो छड़ों पर लपेट देते हैं,जैसा कि चित्र में दिखाया गया है| तन्हा पत्र में मध्य में कापर क्रोमेट (CuCrO4) के विलयन की एक बूंद टपका देते हैं| अब ग्रेफाइट की छड़ों में एक बैटरी की सहायता से विद्युत प्रवाहित करते हैं| आप देखेंगे कि नीले रंग के क्यूप्रस आयन (Cu2+) बैटरी के ऋण ध्रुव की ओर गमन कर रहे हैं जबकि पीले रंग के क्रोमेट आयन (CrO2-) बैटरी के धन की ओर गमन कर रहे हैं| अतः इस प्रकार निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि वैद्युत संयोजक या आयनिक यौगिकों की कयी विशेषतायें हैं|
20. सहसंयोजक यौगिकों की मुख्य विशेषताएँ क्या है? 
उत्तर:-
सहसंयोजक यौगिकों की कयी प्रमुख विशेषताएँ होती है जो इस प्रकार हैं—–
सहसंयोजक यौगिक उदासीन अणुओं द्वारा बने होते अतः इन अणुओं के बीच विद्यमान आकर्षण बल आयनिक यौगिकों के आयनों के बीच वाले आकर्षण बल की तुलना में काफी कमजोर होते हैं, इसलिए सहसंयोजक यौगिक में प्रायः वाष्पशील द्रव या गैस होते हैं| किन्तु कुछ सहसंयोजक यौगिक ठोस भी होते हैं| उदाहरण के तौर पर, 
द्रव—जल, ऐल्कोहॉल, बेंजीन, कार्बन डाइसल्फ़ाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि|
गैस—-मेथेन, एथेन, एथिलीन, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि|
ठोस—ग्लूकोज, यूरिया इत्यादि|
सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक प्रायः निम्न होते हैं| इसका कारण यह है कि सहसंयोजक यौगिकों के उदासीन अणुओं के मध्य स्थित अंतराण्विक आकर्षण बल बहुत कमजोर होता है| अतः अणुओं को अलग करने के लिए कम ऊष्मा ऊर्जा की आवश्यकता होती है| इसी कारण सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक प्रायः निम्न होते हैं| इसे निम्न प्रयोग द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं—–
प्रयोग—
एक परखनली में थोड़ी चीनी लेकर परखनली को गर्म करें| चीनी शीघ्र ही द्रवित हो जाती है| चूंकि चीनी एक सहसंयोजक पदार्थ है| अतः यह कम ही ताप पर पिघल जाती है|
सहसंयोजक यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं| उदाहरण के लिए ग्लूकोज, यूरिया, ऐल्कोहॉल, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि विद्युत के कुचालक होते हैं, इसका कारण यह है कि ये उदासीन अणुओं से बने होते हैं आयनों से नहीं| ये पिघली या जलीय विलयन की अवस्था में आयन उत्पन्न नहीं करते हैं| इसलिए ये विद्युत के कुचालक होते हैं| 
सहसंयोजक यौगिक जल में प्रायः अविलेय, किन्तु कार्बनिक विलायकों में प्रायः विलेय होते हैं| उदाहरण के तौर पर बेंजीन, कार्बन डाइसल्फ़ाइड, नेफ्थलीन आदि जल में अविलेय होते हैं| किन्तु ग्लूकोज, यूरिया आदि जल में विलेय होते हैं|
अतः इस प्रकार निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि सहसंयोजक यौगिकों के कयी विशेषताएँ हैं|
21. परमाणु संख्या 6,7 और 8 वाले तत्वों की संयोजकता एवं उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें| इनमें किस प्रकार की संयोजकता है और क्यों? 
उत्तर:- परमाणु संख्या 6 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,4 होता है| परमाणु संख्या 7 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,5 होता है तथा परमाणु संख्या 8 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,6 होता है| संयोजकता क्रमशः 4,5,6 होगी| परमाणु संख्या 6,7 धनायन संयोजकता है और परमाणु संख्या 8 ऋणायन संयोजकता है|
22. अष्टक नियम क्या है? एक आयनिक और एक सहसंयोजक यौगिक का उदाहरण देते हुए इस नियम को समझाएँ|
उत्तर:- उत्कृष्ट गैसों के अतिरिक्त जितने भी तत्व है उनके परमाणुओं के बाह्यतम शेल(संयोजी शेल) में 8 से इलेक्ट्रॉन रहते हैं, अर्थात इनके संयोजी शेल अपूर्ण होते हैं| इसिलिए इन तत्वों के परमाणु अन्य परमाणुओं से संयोग करके उत्कृष्ट गैसों की भांति इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेने की प्रवृत्ति रखते| इनके परमाणुओं में उत्कृष्ट (अक्रिय) गैसों की भांति स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेने की प्रवृत्ति के कारण ही वे रासायनिक दृष्टि से क्रियाशील होते| इन परमाणुओं में अपने इलेक्ट्रॉनों को इस प्रकार से व्यवस्थित करने की प्रवृत्ति होती है कि इनके बाह्यतम शेल में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 हो जाये| इसे ही अष्टक नियम त्याग या उन्हें प्राप्त करता है| आयनिक या वैद्युत संयोजक तथा सहसंयोजक यौगिक के उदाहरण को अष्टक नियम द्वारा इस प्रकार समझा जा सकता है—–
आयनिक/वैद्युत संयोजक यौगिक के उदाहरण द्वारा अष्टक नियम का सत्यापन—–
इसके अंतर्गत हम सोडियम मोनोक्साइड (Na2O) के बनने का वर्णन करेंगे———–
सोडियम (Na) और आक्सीजन (O) परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं—–
Na(11)         2,8,1
O(8)              2,6
Na परमाणु के पास सिर्फ 1 संयोजी इलेक्ट्रॉन है, जबकि O परमाणु के पास 6 अतः Na और O के बीच संयोग के क्रम में Na के दो परमाणु अपने संयोजी इलेक्ट्रॉनों को O के पास परमाणु में स्थानांतरित करते हैं, ऐसा करने से Na के दोनों परमाणुओं और O के परमाणु के अष्टक पूर्ण हो जाता है|
अतः Na2O एक आयनिक यौगिक है|
सहसंयोजक यौगिक के उदाहरण द्वारा अष्टक नियम का सत्यापन——
सहसंयोजक तीन प्रकार के होते हैं—- एकल सहसंयोजक बंधन, द्विक सहसंयोजक बंधन या द्विबंधन, त्रिक सहसंयोजक बंधन या त्रिबंधन| इसलिए हम इन तीनों प्रकार के उदाहरणों द्वारा अष्टक नियम को समझेंगे|
एकल सहसंयोजक बंधन—–
इसके अंतर्गत हम क्लोरीन अणु के बनने का वर्णन करेंगे—–
क्लोरीन के दो परमाणु परस्पर संयोग कर क्लोरीन अणु (Cl2) बनाते हैं| क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 होती है| अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 होता है, क्लोरीन परमाणु को अपने निकटस्थ उत्कृष्ट गैस आर्गन का स्थायी विन्यास (2, 8,8) प्राप्त करने के लिए एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है, संयोग करने वाले दोनों परमाणु एक एक इलेक्ट्रॉन का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं| ऐसा करके दोनों परमाणु आर्गन जैसा स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेते हैं—–
द्विक सहसंयोजक बंधन या द्विबंधन——
इसके अंतर्गत हम आक्सीजन अणु (O2) के बनने का वर्णन करेंगे—-
आक्सीजन परमाणु के संयोजी शेल में 6 इलेक्ट्रॉन है| अष्टक पूर्ण करने के लिए आक्सीजन परमाणु को दो इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है| अतः आक्सीजन के दो परमाणु दो दो इलेक्ट्रॉनों का परस्पर साझा कर स्थायी आक्सीजन का निर्माण करते हैं|
त्रिक सहसंयोजक बंधन या त्रित्रिबंधन—
इसके अंतर्गत हम नाइट्रोजन अणु (N2) के बनने का वर्णन करेंगे—–
नाइट्रोजन परमाणु के संयोजी शेल में 5 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| अतः नाइट्रोजन के दो परमाणु आपस में तीन तीन इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना स्थायी अष्टक पूरा करते हैं——
N(7) ——-2, 5
23. एक तत्व A आक्सीजन में जलकर एक आयोनिक यौगिक AO बनाता है कि यदि यह तत्व क्लोरीन और गंधक के साथ संयोग करे तब किस प्रकार के यौगिक बनेंगे? 
उत्तर:-
दिया गया है कि
A  +   O ——–>AO
जहाँ AO एक आयनिक यौगिक बनाता है|
यदि A क्लोरीन और गंधक के साथ संयोग करे, तब 
A  +   2Cl ———> AOCl2
(यदि क्लोरीन के साथ अभिक्रिया करे तब ) 
पुनः A   +    2S ——->AS2
पुनः दोनों अभिक्रियाओं को अभिक्रिया कराने पर
2AOCl2   +    AS2 —–> 2SOCl2   +    AO
(a)कैल्सियम वह तत्व है जबकि (b),(c) और(d) गलत है|
24.  वैद्युत संयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं, किन्तु सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक अपेक्षाकृत निम्न होते हैं? ऐसा क्यों होता है? 
उत्तर:-
वैद्युत संयोजक या आयनिक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं| इसका कारण यह है कि धन आयनों एवं ऋण आयनों के बीच मजबूत स्थिर वैद्युत आकर्षण बल कार्य करता है| इस आकर्षण बल को तोड़ने के लिए पर्याप्त ऊष्मा ऊर्जा की आवश्यकता होती है| अतः वैद्युत संयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं| किन्तु दूसरी ओर सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक प्रायः निम्न होते हैं| इसका कारण यह है कि सहसंयोजक यौगिकों के उदासीन अणुओं के बीच स्थित अंतराण्विक आकर्षण बल बहुत कमजोर होता है| अतः अणुओं को अलग करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है| इसी कारण सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और वैद्युत संयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक से अपेक्षाकृत निम्न होते हैं|
25. जस्ता के निष्कर्षण का सिद्धांत लिखें|
उत्तर:-
जस्ता (Zn) के निष्कर्षण का सिद्धांत—–
जस्ता(Zn) के प्रमुख अयस्क है—- जिंक ब्लेड(Zns) , कैलमाइन(ZnCO3) , जिंकाइट(ZnO) | जस्ता का निष्कर्षण मुख्यतः कैलमाइन एवं जिंक ब्लेड अयस्कों से किया जाता है|
कैलेमाइन अयस्क से जस्ता का निष्कर्षण—–
कैलेमाइन को निस्तापित करने पर जिंक आक्साइड प्राप्त होता है|
ZnCO3—– निस्तापित—–> ZnO +  CO2
                                        जिंक आक्साइड^
जिंक आक्साइड (ZnO)को कोयले के चूर्ण के साथ गर्म करने पर जस्ता धातु प्राप्त होती है|
ZnO    +     C—–अवकरण—-> Zn   +   CO^
जिंक ब्लेड से जस्ता का निष्कर्षण——
सांद्रित जिंक ब्लेड को वायु की उपस्थिति में उच्च ताप पर गर्म करने पर जिंक आक्साइड(ZnO)प्राप्त होता है|
32ZnS  +  3O2—जारण—>2ZnO  +  2SO2^
जिंक ब्लेड                            जिंक आक्साइड
इस  ZnO से उपर्युक्त विधि द्वारा जस्ता प्राप्त कर लिया जाता है| प्राप्त जस्ता अशुद्ध होता है| अतः इसे वैद्युत अपघटन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है| शुद्ध ऐलुमिनियम के पत्तर को कैथोड तथा अशुद्ध जस्ता को ऐनोड बनाकर वैद्युत अपघट्य के रूप में ZnSO4 के विलयन का उपयोग किया जाता है| विद्युत धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध जस्ता कैथोड पर एकत्र होता है| इसे समय समय पर छानकर अलग कर दिया जाता है| अतः उपर्युक्त विधि द्वारा जस्ता (Zn) का निष्कर्षण किया जाता है और शुद्ध जस्ता को प्राप्त किया जाता है|
26. पारा धातु का निष्कर्षण कैसे होता है? इसकी उपयोगिता बताएं|
उत्तर:-
पारा या मरकरी (Hg) धातु का निष्कर्षण——
पारा का प्रमुख अयस्क सिनेबार है जिससे पारा का निष्कर्षण किया जाता है| सांद्रित सिनेबार अयस्क को चारकोल के साथ गर्म करने पर पारा प्राप्त होता है|
2HgS  +  3O2 —–> 2HgO   +    2SO2^
2HgO   ——> 2Hg   +    O2^
HgO   +    C   ——> Hg   +   CO^
पारा के वाष्प CO एवं SO2 के मिश्रण को संघनक से प्रवाहित कर उसे संघनित कर लिया जाता है| अतः उपर्युक्त विधि द्वारा पारा (Hg) का निष्कर्षण किया जाता है|
27. धातुओं के संक्षारण से आप क्या समझते हैं? लोहे को जंग से बचाने के लिए क्या उपाय है? 
उत्तर:-
लोहे का संक्षारण—–
धातुओं की सतह पर वायु, नमी, CO2, SO2, अथवा रसायनों आदि के प्रभाव से क्षय होने या नष्ट होने को संक्षारण कहते हैं| लोहे नमी एवं आक्सीजन या वायु से अभिक्रिया कर Fe2O का परत बना लेता है| जो भूरे रंग का होता है| यह प्रक्रिया जंग लगना कहलाता है| जंग लोहे को धीरे धीरे नष्ट कर देता है|
लोहे को जंग (संक्षारण) से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं—–
तेल या ग्रीस की तह जमाकर——
यदि लोहे पर तेल या ग्रीस की तह जमा दें तो नम वायु लोहे के संपर्क में नहीं आ पाती जिससे जंग नहीं लगता| मशीनों के पुर्जों पर ऐसा ही किया जाता है|
एनेमल—–
लोहे की सतह पर रंग रोगन की तह जमाकर जंग लगाने पर नियंत्रण पाया जाता है| बसों, कारों,स्कूटर मोटर साइकिल, खिड़कियों, रेलगाड़ियों आदि पर एनेतो की तह जमाई जाती है|
प्लास्टिक की परत लगाने से—–
लोहे की सतह को प्लास्टिक से ढांप दिया जाता है| लोहे के फर्नीचर की रक्षा ऐसे ही की जाती है|
गैलवेनीकरण——
लोहे पर जिंक की तह जमाने को गैलवेनीकरण कहते हैं| इस विधि से लोहे की बाल्टियों, टबों, ड्रमों की चादरें की जंग से रक्षा की जाती है|
विद्युत लेपन से—–
निकेल, क्रोमियम, एलुमिनियम आदि धातुओं की तह विद्युत लेपन से लोहे की सतह पर चढ़ा दी जाती है| वाहनों के रिम, हैंडल, बंपर आदि की रक्षा की जाती है|
कलई करके—-
लोहे पर कलई की तह जमाई जाती है| घी के कनस्तर एवं खाना पैक करने के डिब्बों पर ऐसा ही किया जाता है|
इस्पात में बदल कर——
लोहे को इस्पात में बदल कर जंग से बचाया जा सकता है|
28. ऐलुमिनोथर्मिक विधि क्या है? 
उत्तर:- कुछ धातुओं के आक्साइड कार्बन द्वारा अवकृत नहीं हो पाते हैं| इनके ऐलुमिनियम जैसे किसी अधिक क्रियाशील धातु का इस्तेमाल किया जाता है| यह विधि थर्मिट विधि या ऐलुमिनोथर्मिक विधि कहलाती है| मैंगनीज, क्रोमियम आदि के आक्साइड कार्बन द्वारा अवकृत नहीं किये जा सकते हैं| अतः ऐसे आक्साइडों का अवकरण ऐलुमिनियम द्वारा किया जाता है|
 3Mn3O4  +   8 AI —–>4AI2O3   +   9 Mn
Cr2O3   +   2AI   ——->AI2O3    +    2Cr
ऐलुमिनोथर्मिक विधि या थर्मिट विधि को एक प्रयोग द्वारा स्पष्ट समझा जा सकता है|
प्रयोग—- ऐलुमिनियम के चूर्ण को धातु के आक्साइड के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करते हैं| इस मिश्रण में एक जलते हुए मैग्नीशियम का टुकड़ा प्रविष्ट कराकर अभिक्रिया प्रारंभ कराई जाती है| ऐलुमिनियम आक्साइड को धातु में परिवर्तित कर देता है| इस अभिक्रिया में इतनी अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है कि धातु पिघली हुई अवस्था में प्राप्त होती है| लौह आक्साइड की अवस्था में लोहा द्रवित अवस्था में प्राप्त होता है| लौह आक्साइड एवं ऐलुमिनियम चूर्ण के मिश्रण को थर्मिट कहते हैं| द्रवित लोहा को दो टुकड़ों के बीच टपकाकर दोनों टुकड़ों को जोड़ा जाता है| किसी मशीन के छिद्रों, रेल की पटरियों में पड़े दरारों आदि को इसी विधि द्वारा जोड़ा जाता है|
29. बाक्साइट का रासायनिक सूत्र लिखें| इसका शोधन कैसे किया जाता है? 
उत्तर:- बाक्साइट का रासायनिक सू—- Al2O3•2H2O
 बाक्साइट का शोधन—-
पृथ्वी की परत से प्राप्त बाक्साइट में कयी प्रकार के अवांछनीय पदार्थ जैसे— बालू, कंकड़ या मिट्टी के टुकड़े आदि मिश्रित रहते हैं| ये पदार्थ आधात्रि कहलाते हैं| इन पदार्थों को धातु के शोधन के पूर्व अयस्क को दूर करना अतिआवश्यक होता है|
30.( क) आयनिक और सहसंयोजी यौगिकों में निम्नलिखित गुणों के आधार पर भेद करें|
(1) संघटक तत्वों के बीच क्रियाकारी बलों की दृढ़ता
(2) यौगिकों की जल में घुलनशीलता
(3) पदार्थों में वैद्युत चालकता
उत्तर:-
आयनिक और सहसंयोजी यौगिकों में निम्नलिखित गुणों के आधार पर अन्तर या भेद कर सकते—–
गुणों का                 आयनिक               सहसंयोजी
आधार                    यौगिक                  यौगिक
1.संघटक             इनके धन आयनों        इन अणुओं 
तत्वों के बीच         एवं ऋण आयनों के      के बीच
की दृढ़ता             बीच मजबूत स्थिर        विद्यमान
                         वैद्युत आकर्षण बल      आकर्षण
                          कार्य करता है           बल आयनिक
                                                         यौगिकों के
                                                    आयनों के बीच
                                          वाले आकर्षण बल की
                                        तुलना में काफी कमजोर
                                                          होते हैं
2.यौगिकों की        ये जल में प्रायः        ये जल में
जल में                   विलेय, किन्तु         अविलेय किंतु
घुलनशीलता         बेंजीन,क्लोरोफॉर्म     कार्बनिक
                         आदि कार्बनिक          यौगिकों में
                         विलायकों में प्रायः     विलेय होते हैं
                         अविलेय होते हैं
3.पदार्थों में         ये ठोस अवस्था          ये यौगिक 
वैद्युत                 में विद्युत के                ध्रुवीय
चालकता           कुचालक,किंतु         सहसंयोजक
                       द्रवित या जलीय       यौगिकों को
                   विलयन की अवस्था       छोड़कर
                        में विद्युत के             विद्युत के
                       सुचालक होते हैं      कुचालक होते हैं
(ख) स्पष्ट करें कि निम्नलिखित धातुयें अपने यौगिकों से अपचयन विधि द्वारा किस प्रकार प्राप्त की जाती है—–
(1)धातु M जो सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित है|
(2)धातु M जो सक्रियता श्रेणी में ऊपर की ओर है| प्रत्येक प्रकार का एक एक उदाहरण दें|
उत्तर:-
ये धातुएँ अपने यौगिकों से अपचयन विधि द्वारा निम्नलिखित प्रकार से प्राप्त की जा सकती है——
(1)धातु M जो सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित है|
उत्तर:-
सक्रियता श्रेणी के मध्य में इस स्थित इस धातु की अभिक्रियाशीलता मध्यम होती है| प्रकृति में यह प्रायः सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पायी जाती है| सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में इस धातु को उसके आक्साइड से प्राप्त करना अधिक आसान होता है| उदाहरण के तौर पर
ZnO(s)  +  C(s) —- तापन—->Zn(s) +  CO(g) 
(2)धातु  N जो सक्रियता श्रेणी में ऊपर की ओर है–
अभिक्रियाशीलता श्रेणी में सबसे ऊपर धातु N है, जो अत्यंत अभिक्रियाशीलता होती है| इस धातु को कार्बन के साथ गर्म कर इसके यौगिक से प्राप्त नहीं किया जा सकता है| उदाहरण के लिए; कार्बन के द्वारा सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्सियम, ऐलुमिनियम आदि के आक्साइड का अपचयन कर उन्हें धातुओं में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है| इस धातु की बंधुता कार्बन की अपेक्षा आक्सीजन के प्रति अधिक होती है| इस धातु को विद्युत अपघटनी अपचयन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है| उदाहरण के तौर पर सोडियम मैग्नीशियम एवं कैल्सियम को उनके गलित क्लोराइडों के विद्युत अपघटन से प्राप्त किया जाता है| कैथोड (ऋण आवेशित इलेक्ट्रो) पर धातुएँ निक्षेपित हो जाती है तथा ऐनोड (धन आवेशित इलेक्ट्रोड) पर क्लोरीन मुक्त होती है| अभिक्रिया इस प्रकार हैं—–
कैथोड पर    Na+  +   e-     —–> Na
ऐनोड पर     2Cl-   ——> Cl2  +   2e-
इसी प्रकार ऐलुमिनियम आक्साइड के विद्युत अपघटनी अपचयन से ऐलुमिनियम प्राप्त किया जाता है|
अथवा, (क) भर्ती (जारण) और निस्तापन में अंतर लिखे ं| सल्फाइड अयस्कों के लिए इन दोनों में से किस प्रक्रम का उपयोग होता है और क्यों? 
उत्तर:- 
भर्जन—-
यह विधि सल्फाइड अयस्कों को आक्साइड अयस्कों में बदलने के लिए अधिक उपयुक्त है|
इस विधि में अयस्क को वायु में गर्म किया जाता है|
निस्तापन—-
यह विधि कार्बोनेट व हाइड्रोक्साइड अयस्कों के सांद्रण के लिए उपयुक्त है|
इस विधि में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है|
सल्फाइड अयस्कों के लिए भर्जन (जारण) के प्रक्रम कि उपयोग होता है| इसका कारण यह है कि जारण प्रक्रिया में सांद्रित अयस्क को पर्याप्त वायु की आपूर्ति में सल्फाइड अयस्क के द्रवणांक से कम ताप पर तीव्रता से गर्म करते हैं| इससे उसमें विद्यमान आर्सेनिक तथा अन्य अपद्रव्य आक्सीकृत होकर वाष्प रुप में बाहर निकल जाते हैं और धातु आक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाती है|
(ख) एक रासायनिक समीकरण द्वारा रेल पटरियों में दरारों को जोड़ने में ऐलुमिनियम के प्रयोग को स्पष्ट करें|
उत्तर:-
जब आयरन (iii)आक्सीजन तथा ऐलुमिनियम पाउडर (थर्माइट) के मिश्रण को आग लगायी जाती है तो एक बहुत प्रबल अभिक्रिया प्रारंभ हो जाती है| इससे आयरन धातु तथा ऐलुमिनियम आक्साइड बनता है| यह अभिक्रिया थर्मिट अभिक्रिया कहलाती है|
Fe2O3 + 2Al–>2Fe +  Al2O3 + अत्यधिक ऊष्मा
आयरन(iii)          पिघला 
आक्साइड            आयरन
इस अभिक्रिया में इतनी अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है कि धातु पिघली हुई अवस्था में प्राप्त होती है| लौह अयस्क की अवस्था में लोहा द्रवित अवस्था में प्राप्त होता| (लौह आक्साइड एवं ऐलुमिनियम चूर्ण के मिश्रण को थर्मिट कहते हैं|) द्रवित लोहा को दो टुकड़ों के बीच टपकाकर दोनों टुकड़ों को जोड़ा जाता है| रेल पटरियों में पड़े दरारों को इसी विधि द्वारा जोड़ा जाता है|
 (ग) किसी धातु अशुद्ध ताम्बे के विद्युत अपघटनी परिष्करण में आप ऐनोड, कैथोड एवं विद्युत अपघट्य कैसे बनायेंगे? 
उत्तर:-
इस प्रक्रिया में अशुद्ध धातु को ऐनोड बनाया जाता है तथा शुद्ध धातु की एक पतली पट्टी को कैथोड बनाया जाता है| धात्विक लवण का उपयोग विद्युत अपघट्य के रूप में लिया जाता है| उपकरणों में दिए गए चित्र के तांबे का विद्युत अपघटनी परिष्करण, अम्लीकृत कापर सल्फेट विलयन का विलयन विद्युत अपघट्य है| अशुद्ध तांबा ऐनोड है जबकि शुद्ध तांबे की पट्टी कैथोड का कार्य करती है| विद्युत धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध तांबा कैथोड पर निक्षेपित हो जाता है| चित्र के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है| विद्युत अपघट्य से विद्युत प्रवाहित करने पर स्थित शुद्ध धातु विद्युत अपघट्य में घुल जाता है| शुद्ध धातु की इतनी ही मात्रा कैथोड पर जमा हो जाती है| विलयशील अशुद्धियाँ में पहुँच जाती है जबकि अविलयशील अशुद्धियाँ ऐनोड के नीचे जम जाती हैं, जिन्हें ऐनोड पंक कहा जाता है|
31. एक तत्व  A के संयोजी शेल में 5 इलेक्ट्रॉन हैं और दूसरे तत्व B के संयोजी शेल में इलेक्ट्रॉन हैं| A और B के संयोग से बनने वाला यौगिक विद्युत का कुचालक है| इस यौगिक में बंधन की प्रवृत्ति बतायें और इसकी इलेक्ट्रॉनिक संरचना लिखें|
उत्तर:-
A और B के संयोग से बनने वाला यौगिक कार्बन टेट्राक्लोराइड है जो विद्युत का कुचालक है|
यौगिक के बंधन की प्रकृति—-
एकल सहसंयोजक बंधन
इलेक्ट्रॉनिक संरचना—–
               Cl
                |
   Cl—– -Cl——–Cl
                |
              Cl
32. जारण क्या है? उदाहरण देकर समझाएँ|
उत्तर:-
जारण प्रक्रिया में सांद्रित अयस्क को पर्याप्त वायु की आपूर्ति में अयस्क के द्रवणांक से ताप पर तीव्रता से गर्म करते हैं| इससे उसमें विद्यमान आर्सेनिक तथा अन्य अपद्रव्य आक्सीकृत होकर वाष्प रूप में बाहर निकल जाते हैं तथा धातु आक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाती है|
उदाहरण—–
(1) जिंक ब्लेड (ZnS)जारित होकर ZnO में बदल जाता है|
2ZnS  +   3O2  —–> 2ZnO  +   2SO2
(2) गैलेना जारित होकर लिथार्ज में परिणत हो जाता है|
2PbS    +   3O2  —–> 2PbO    +   2SO2
(3) सिनेबार का जारण करने पर वह सीधे मरकरी (पारा) में बदल जाता है|
HgS   +     O2   ——-> Hg     +    SO2
(4) आइरन पाइराइट का जारण करने पर वह फेरिक आक्साइड में परिवर्तित हो जाता है|
4FeS2    +    11O2—–> 2Fe2O3  +  8SO2
33. प्लास्टर आफ पेरिस और जल की परस्पर अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दें|
उत्तर:- 
प्लास्टर आफ पेरिस और जल की परस्पर अभिक्रिया कर जिप्सम बनाता है|
(CaSO4)2H2 + 3H2O—>2CaSO4 + 2H2O
प्लास्टर आफ पेरिस              जिप्सम

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