Bharti Bhawan Chemistry Class-10:Chapter-5:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:रसायनशास्त्र:कक्षा-10:अध्याय-5:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण





अतिलघु उत्तरीय प्रश्न





1. तत्वों के अष्टक नियम का प्रतिपादन किसने किया था? 
उत्तर:- न्यूलैण्ड्स 
2. आवर्त सारणी के उदग्र स्तंभ क्या कहलाते हैं? 
उत्तर:- वर्ग
3. आवर्त सारणी की क्षैतिज कतारें क्या कहलाते हैं? 
उत्तर:- आवर्त
4. उस एक तत्व का नाम लिखें जिनके आविष्कृत होने के पहले ही मेंडलीव ने उसके गुणों का पुर्वानुमान कर लिया था? 
उत्तर:- स्कैंडियम (Sc) 
5. आवर्त सारणी के दीर्घ रुप में कुल कितने वर्ग और आवर्त है? 
उत्तर:- वर्ग–18, आवर्त—7
6. एक क्षार धातु और एक क्षारीय मृदा धातु को बताएं जिनके नाम S अक्षर से प्रारंभ होते हैं? 
उत्तर:- क्षार धातु सोडियम है तथा क्षारीय मृदा धातु स्ट्रान्शियम है|
7. वर्ग -14 के एक तत्व की परमाणु संख्या 14 है| बताएं कि इस तत्व के गुण धातु होंगे या अधातु |
उत्तर:- अधातुई 
8. कार्बन वाले वर्ग के अन्य दो तत्वों के नाम लिखें-
उत्तर:- सिलिकॉन, जर्मेनियम
9. एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 है| आवर्त सारणी में इस तत्व की वर्ग संख्या बताएं|
उत्तर:- यह एक तत्व क्लोरीन है जिनकी वर्ग संख्या 17 है|
10. आधुनिक आवर्त सारणी तत्वों के किस गुण पर आधारित है? 
उत्तर:- आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर
11. एक कारण देकर बताएं कि नाइट्रोजन और फास्फोरस को आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में क्यों रखा गया है? 
उत्तर:- नाइट्रोजन और फास्फोरस के अंतिम कक्षा में पांच पांच इलेक्ट्रान हैं| यही कारण है कि नाइट्रोजन (N) और फास्फोरस (P) को आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखा गया है|
12. किस तत्व के परमाणु में पूर्णतः भरे हुए सिर्फ दो शेल है? 
उत्तर:- निशान में, K-2, L-8
13. किस तत्व के समस्थानिकों को आवर्त सारणी के एक ही स्थान में रखा गया है? 
उत्तर:- क्योंकि किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के परमाणु संख्या समान होता है|
14. मेंडलीफ को मूल आवर्त सारणी में किस वर्ग के तत्व गायब थे? 
उत्तर:- वर्ग-3 
15. यदि किसी तत्व की परमाणु संख्या 1.5 हो, तो क्या आवर्त सारणी में इसे हाइड्रोजन और हिलियम के बीच रखा जा सकता है? 
उत्तर:- नहीं, क्योंकि परमाणु संख्या (दशमलव) में नहीं होना चाहिए|
16. आवर्त सारणी में सबसे अधिक धात्विक और सबसे अधिक अधात्विक तत्व के नाम लिखें-
उत्तर:- सबसे अधिक धात्विक तत्व=सोडियम सबसे अधिक तत्व=स्टैटिन (At) 
लघु उत्तरीय प्रश्न






1. आवर्त सारणी के लघु एवं दीर्घ आवर्त से आप क्या समझते हैं? आवर्त सारणी के लघु एवं दीर्घ आवर्तों की संख्या बताएं|
उत्तर:- 
द्वितीय एवं तृतीय आवर्त में 8-8 तत्व हैं| ये लघु आवर्त कहलाते हैं| चतुर्थ एवं पंचम आवर्त में 18-18 तत्व हैं| षष्टम आवर्त में 32 तत्व हैं| सप्तम आवर्त में अभी 25 तत्व हैं| यह आवर्त अभी अपूर्ण हैं| चतुर्थ एवं उसके बाद के सभी आवर्त दीर्घ आवर्त कहलाते हैं| लघु आवर्त की संख्या 2 हैं| दीर्घ आवर्त की संख्या 4 हैं|
2. आवर्त सारणी के दूसरे आवर्त में आठ ही तत्वों क्यों रखे गए हैं? 
उत्तर:- 
चूंकि बाह्यतम कक्षा की संख्या आवर्त बताता है, अत: दूसरे आवर्त में कक्षा भी दो है| किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या सूत्र 2n2 द्वारा निर्धारित होती है, जहाँ n कक्षा की संख्या है| दूसरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n2=2(2)2=8 है| इसी कारण से दूसरे आवर्त में आठ तत्व ही रखे गए हैं|
3. मेंडलीव की आवर्त सारणी की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें|
उत्तर:-
मेंडलीव की आवर्त सारणी के उपयोग से—– तत्वों के अध्ययन में सुविधा होती है, तत्वों के परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता मिलती है, संदेहपूर्ण परमाणु भारों को शुद्ध करने में मदद मिलती है, नये तत्वों के आविष्कार में सहयोग मिलता है, परमाणु संरचना का निर्धारण होता है और अनुसंधान कार्य में सहायता मिलती है|
4. मेंडलीव की आवर्त सारणी की किन्हीं दो त्रुटियों का वर्णन करें|
उत्तर:-
(1) हाइड्रोजन का स्थान—-
आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान अनिर्णीत है| इसके कुछ गुण क्षार धातुओं के सदृश होने के कारण इसे वर्ग IA में क्षार धातुओं (Li, Na, K) के साथ रखा गया है| किन्तु, इसके कुछ गुण हैलोजन तत्वों के सदृश होने के कारण इसे वर्ग VIIA में हैलोजन तत्वों (F, Cl, Br) के साथ भी रखा जा सकता है|
(2) असमान तत्वों को साथ रखना——
बहुत से तत्वों के गुणों में भिन्नता होते हुए भी सारणी के एक ही वर्ग में रखे गए हैं; जैसे–Cu, Ag, Au को क्षार धातुओं Li, Na, K आदि के साथ एक ही वर्ग में रखा गया है|
5. आधुनिक आवर्त सारणी में किसी परमाणु का स्थान उसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से किस प्रकार संबंधित है? 
उत्तर:-
किसी वर्ग विशेष के सभी तत्वों के बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं, अर्थात सभी तत्वों के परमाणुओं में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या समान होती है|
उदाहरण—
वर्ग-1 के सभी तत्वों के परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 होती है| इसी प्रकार, वर्ग-17 के सभी तत्वों के परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 7 होती है| इस प्रकार किसी वर्ग के सभी तत्वों के बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं, किंतु वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर शेलों की संख्या बढ़ती जाती है| किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों में शेल की संख्या समान होती है, किंतु उसमें क्रमशः एक एक इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ती जाती है|
6. निम्नलिखित में कौन कौन से तत्व रासायनिक दृष्टि से सदृश होंगे और क्यों? इन तत्वों की परमाणु संख्याएँ कोष्ठक के अंदर दी गई? 
उत्तर:-
इन तत्वों में Na(11), K(19) एवं Cs(55) रासायनिक दृष्टि से सदृश है| इसका कारण है कि इनके शेलों में इलेक्ट्रॉन का वितरण निम्नलिखित हैं—-
Na11—2, 8,1
 K19—2, 8,8,1
Cs55—-2, 8,18,8,1
इससे स्पष्ट होता है कि इनके संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या 1 है| अतः ये सभी आवर्त सारणी के वर्ग 1 के सदस्य हैं| किसी एक वर्ग के तत्वों के बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होने के कारण वे रासायनिक दृष्टि से समान होते हैं|
7. सदृश गुणों के कारण फ्लुओरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन को आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखा गया है| इनके किन्हीं दो सदृश गुणों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
फ्लुओरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन वर्ग 17 के सदस्य हैं| इनके परमाणु के बाह्यतम शेल में 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं, अतः इनमें संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 7 होती है| ये एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर अपने निकटतम अक्रिय गैस की स्थायी रचना प्राप्त कर लेते हैं| अतः इनकी संयोजकता 1 होती है| चूंकि ये 1 इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर एकल संयोजक ऋणायन बनाते हैं, अतः ये विद्युत ऋणात्मक तत्व हैं|
8. क्षार धातुओं के नाम लिखें| इन्हें आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में क्यों रखा गया है? 
उत्तर:-
लीथियम(Li), सोडियम (Na), पोटैशियम(K) , सोडियम (Cs) एवं फ्रांशियम (Fr) क्षार धातु कहलाते हैं| इन सभी धातुओं के परमाणु का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1 है अर्थात बाह्यतम शेल में 1 इलेक्ट्रॉन है| चूंकि आवर्त सारणी के किसी वर्ग के सभी तत्वों के परमाणु के बाह्यतम शेल का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है, अत: सभी क्षार धातुओं को वर्ग 1 में रखा गया है|
9. दूसरे आवर्त में सोडियम(Na) से क्लोरीन (CI) की ओर बढ़ने पर परमाणु की त्रिज्या क्यों घटती जाती है? 
उत्तर:-
जब बाएँ से दाएँ चलते हैं, प्रोटोनों की संख्या परमाणु संख्या के कारण बढ़ती है| इलेक्ट्रॉन भी बढ़ते हैं पर ये उसी में ही जुड़ते हैं| नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक की ओर तेजी से आकृष्ट होते हैं और नाभिक के निकट हो जाते हैं| इसलिए परमाणु का आवेश छोटा हो जाता| यही कारण है कि सोडियम से क्लोरीन की ओर बढ़ने पर परमाणु त्रिज्या घटती जाती है|
10. आवर्त सारणी के वर्ग और आवर्त में तत्वों के धातुई गुण में किस प्रकार का परिवर्तन होता है? 
उत्तर:-
आवर्त सारणी के किसी आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों के धातुई गुण घटते जाते हैं| किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्वों के धातुई गुण बढ़ते जाते हैं|
11. तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ी? 
उत्तर:-
बहुत से तत्वों के आविष्कार के पश्चात उनके गुणों के अलग अलग अध्ययन करने में कठिनाई महसूस होने लगी| इस कारण से तत्कालीन वैज्ञानिकों ने समान गुणवाले तत्वों को समूहों में बांटने का प्रयास प्रारंभ कर दिया, ताकि किसी विशेष समूह के तत्वों में किसी एक तत्व के गुणों का अध्ययन करके उस समूह के अन्य तत्वों के गुणों का पूर्वानुमान किया जा सके |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न





1. तत्वों के वर्गीकरण के क्षेत्र में हुए कुछ प्रारंभिक प्रयासों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
तत्वों के वर्गीकरण के क्षेत्र में हुए प्रारंभिक प्रयास निम्नलिखित हैं—-
धातु और अधातु में वर्गीकरण—–
सर्वप्रथम 18वीं शताब्दी में लभ्वाजे ने तत्वों का वर्गीकरण धातु और अधातु में किया उनके अनुसार, कुछ गुण सभी धातुओं में समान रूप से पाए जाते हैं| उदाहरण के लिए;धातुएँ चमकीली, आघातवर्धनीय तथा तन्य होती है| ये ऊष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं तथा इनके आक्साइड भास्मिक होते हैं| इसी प्रकार अधातुओं में भी कुछ गुण समान रूप से पाए जाते हैं| उदाहरण के लिए है;अधातुएं देखने में उदास होती है तथा इनमें आघातवर्धनीय और तन्यता नहीं होती| ये ऊष्मा और विद्युत के कुचालक होती है तथा इनके आक्साइड अम्लीय होते हैं|
संयोजकता के आधार पर वर्गीकरण—-
इसके अनुसार, समान संयोजकता वाले तत्वों को एक साथ रखा गया तथा एकबंधन, द्विबंधन, त्रिबंधन आदि तत्वों को अलग वर्गों में विभाजित किया गया|
डोबरेनर का त्रियक—-
19वीं शताब्दी के प्रारंभ में जर्मन रसायनज्ञ डोबरेनर ने रसायनिक दृष्टि से सदृश तत्वों को तीन तीन के समूहों में वर्गीकृत किया| ये समूह त्रियक कहलाते हैं| उन्होंने त्रियक के नियम की घोषणा की जिसके अनुसार, त्रियक के तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाने पर मध्यवर्ती तत्व का परमाणु द्रव्यमान किनारे वाले शेष दोनों तत्वों के द्रव्यमानों का औसत होता है|
न्यूलैंड्स का अष्टक नियम—–
1865-66 में अंगरेज रसायनज्ञ जान न्यूलैंड्स ने अपने समय तक आविष्कृत तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाकर एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे न्यूलैंड्स का अष्टक नियम कहते हैं| इस नियम के अनुसार, यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो किसी भी तत्व से प्रारंभ करने पर आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं, जैसा कि संगीत का आठवाँ स्वर पहले स्वर के समान होता है| यदि सोडियम (Na) से गिनती प्रारंभ की जाए तो आठवाँ तत्व पोटैशियम (K) आता है| इन दोनों तत्वों के गुण समान होते हैं| इसी प्रकार, बेरिलियम(Be) से गिनती प्रारंभ करने पर आठवाँ तत्व मैग्नीशियम (Mg) आता है, जिसके गुण बेरिलियम के गुणों के समान होते हैं|
मेंडलीव का आवर्त नियम—–
न्यूलैंड्स के अष्टक नियम से प्रेरित होकर 1869 में रूसी रसायनज्ञ दमित्री मेंडलीव ने तत्वों के भौतिक और रसायनिक गुणों का गहन अध्ययन करके तत्वों के वर्गीकरण की एक नई प्रणाली विकसित की| तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाकर उन्होंने देखा कि
1. तत्वों के गुणों के क्रमिक परिवर्तन होता है|
2. तत्वों की एक निश्चित संख्या के बाद लगभग समान गुणवाले तत्व पाए जाते हैं|
अपने निष्कर्षों के आधार पर मेंडलीव ने एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे मेंडलीव का आवर्त नियम कहते हैं| इस नियम के अनुसार, तत्वों के भौतिक व रसायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्तफलन होते हैं| दूसरे शब्दों में, यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो एक निश्चित संख्या के बाद समान गुण वाले तत्व पाए जाते हैं|
2. मेंडलीव का आवर्त नियम क्या है? इसके आधार पर बनायी गयी आवर्त सारणी की रुपरेखा क्या है? 
उत्तर:- मेंडलीव का आवर्त नियम—-
तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमानों (या भारों) के आवर्तकाल होते हैं| दूसरे शब्दों में, यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो एक निश्चित संख्या के बाद समान गुणवाले तत्व पाए जाते हैं| मेंडलीव के समय कुल 63 तत्व ज्ञात थे| मेंडलीव (1871) ने अपने आवर्त नियम के आलोक में तत्वों की एक सारणी का निर्माण किया, जिसे मेंडलीव की आवर्त सारणी कहते हैं| आवर्त सारणी को उदग्र एवं क्षैतिज कतारों द्वारा दो भागों में बांटा गया है| उदग्र कतारों को वर्ग तथा क्षैतिज कतारों का आवर्त कहते हैं| आवर्त सारणी में कुल मिलाकर 9 वर्ग एवं 7 आवर्त हैं| एक से लेकर सात तक के वर्ग में सामान्य तत्व हैं| आठवें वर्ग में संक्रमण तत्व है तथा शून्य वर्ग में निष्क्रिय गैसों को रखा गया है| मेंडलीव की आवर्त सारणी में केवल 8 ही वर्ग थे, क्योंकि उस समय तक निष्क्रिय गैसों का आविष्कार नही हुआ था|
3. मेंडलीव की आवर्त सारणी से क्या लाभ है? 
उत्तर:-
मेंडलीव की आवर्त सारणी की मुख्य लाभ/उपयोगिताएँ निम्नलिखित हैं—-
नियमित अध्ययन में सुविधा—-
इस सारणी से तत्वों और उनके गुणों का अध्ययन करना काफी आसान हो गया| किसी वर्ग के किसी विशिष्ट तत्व तथा उसके यौगिकों के गुणों की जानकारी हो जाने पर इस वर्ग के अन्य तत्वों और उनके यौगिकों के गुणों का काफी हद तक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है| उदाहरण के लिए, वर्ग IA के सोडियम ( Na) का अध्ययन कर लेने से ही उस वर्ग के अन्य तत्वों के गुणों की जानकारी हो जाती है| इसी प्रकार,वर्ग VIIA में क्लोरीन ( CI) का अध्ययन कर लेने से उस वर्ग के अन्य तत्वों के गुणों का अंदाजा लगाया जा सकता है|
नये तत्वों का पूर्वानुमान—–
मेंडलीव ने अपनी सारणी का निर्माण करते समय कुछ अज्ञात तत्वों के लिए सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए थे| किन्तु उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा कि आगे चलकर इन तत्वों का अविष्कार होने पर इन्हें इन रिक्त स्थानों में रखा जायेगा| साथ ही, उन्होंने उन तत्वों और उनके यौगिकों के संभावित मुख्य गुणों की भविष्यवाणी भी कर दी| प्रारंभ में तत्वों के नाम एका बोरान, एका सिलिकॉन और एका ऐलुमिनियम रखे गए| बाद में ये तत्व वास्तव में आविष्कृत हुए और इनके नाम क्रमशः स्कैंडियम(Sc), जर्मेनियम(Ge) , और गैलियम (Ga) पड़े| इन तत्वों को मेंडलीव द्वारा रिक्त छोड़े गए स्थानों में ही रखा गया| उपरोक्त बातों से यह स्पष्ट है कि गैलियम (Ga), जर्मेनियम(Ge) के गुण मेंडलीव द्वारा पूर्वानुमान गुणों के अनुरूप ही पाये गये हैं| यह मेंडलीव की दूरदर्शिता का परिचायक है|
परमाणु द्रव्यमान में सुधार—–
मेंडलीव के समय कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमान गलत निकाले गए थे| किंतु मेंडलीव ने अपनी आवर्त सारणी में उनके अन्य गुणों को ध्यान में रखकर उन्हें उचित स्थान पर रखा| बाद में इसी आवर्त सारणी के आधार पर उन तत्वों के ठीक ठीक परमाणु ज्ञात किए गए|
उदाहरण के लिए, बेरिलियम (Be), इंडियम(In) , गोल्ड (Au) |
तत्वों की संयोजकता—–
आवर्त सारणी के किसी वर्ग विशेष के सभी तत्वों की संयोजकता एक ही होती है, और किसी आवर्त में यह क्रमिक रूप से परिवर्तित होती है|
हाइड्रोजन के सापेक्ष संयोजकता—–
आवर्त सारणी के वर्गों में तत्वों की संयोजकता हाइड्रोजन के सापेक्ष 1 से 4 तक बढ़ती है| पुनः क्रमशः घटते हुए 4 से 1 हो जाती है| विभिन्न वर्गों के तत्वों के हाइड्रोजन से इस बात की पुष्टि हो जाती है|
आक्सीजन के सापेक्ष संयोजकता——
आवर्त सारणी के जिस वर्ग में तत्व होता है, आक्सीजन के सापेक्ष उसकी अधिकतम संयोजकता वर्ग की संख्या के बराबर होती है| आवर्त 3 के तत्वों की उच्चतम अवस्था वाले आक्साइडों से इस बात की पुष्टि हो जाती है|
अनुसंधान कार्य में सहायता—-
आवर्त सारणी में किसी तत्व विशेष का स्थान देखकर यह निश्चयात्मक रुप से हम यह कह सकते हैं कि इस तत्व का अन्य तत्वों के साथ किस प्रकार का संबंध होगा| अत: रसायनशास्त्र के क्षेत्र में अनुसंधान करनेवाले वैज्ञानिकों के लिए यह सारणी अत्यंत उपयोगिता प्रमाणित हुई है|
4. आधुनिक आवर्त सारणी का उल्लेख करते हुए बताएं कि इस आधार पर बनी आवर्त सारणी की मुख्य उपयोगिताएँ क्या है? 
उत्तर:-
परमाणु संख्या के आधार पर तत्वों को सजाकर आवर्त सारणी को संशोधित रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे आधुनिक आवर्त सारणी कहते हैं| इसे आवर्त सारणी का दीर्घ या वृहत् रूप भी कहते हैं| आधुनिक आवर्त सारणी में उपवर्ग A और B को अलग अलग करके वर्गों की संख्या बढ़ा दी गई है| इस प्रकार आवर्त सारणी में अब 18 वर्ग हो गये| IUPAC (International Union of Pure And Applied Chemistry) के नवीनतम अनुशंसा के अनुसार, आवर्त सारणी के वर्गों के संख्याओं को अरबी अंकों में (1, 2,3,4 से लेकर 18 तक) व्यक्त किया गया है, पुराने प्रचलन में वर्गों को रोमन अंकों (I, II, III, IV…… VIII) में व्यक्त किया गया था|
उपयोगिताएँ—–
आधुनिक आवर्त सारणी की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—-
तत्वों को बढ़ते परमाणु क्रमांक में व्यवस्थित किया गया है|
इस आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर किया गया है|
वर्ग 3 से वर्ग 12 में संक्रमण तत्व रखे गए हैं|
आधुनिक आवर्त सारणी में उत्कृष्ट गैसों को वर्ग 18 में व्यवस्थित किया गया है|
तत्वों के समस्थानिकों को उनके संगत तत्वों के स्थान पर ही रखा गया है क्योंकि उनके परमाणु क्रमांक समान होते हैं|
रासायनिक रूप से असमान तत्वों को पृथक पृथक वर्गों में रखा गया है|
इसमें वर्गीकरण का आधार परमाणु क्रमांक है| इस प्रकार मेंडलीव में वर्णित प्रतिलोम क्रम संबंधी दोष को दूर कर दिया है|
5. किन अर्थों में आधुनिक आवर्त सारणी मेंडलीव की आवर्त सारणी से भिन्न है? 
उत्तर:-
मेंडलीव ने तत्वों को न केवल उनके गुणों के आधार पर वर्गीकरण करने का प्रयास किया, बल्कि किसी ऐसे आधार की खोज करने की कोशिश की जो किसी निश्चित तत्व के बहुत से गुणों की भविष्यवाणी कर सके | परमाणु भार ही एक ऐसा गुण था जिसने उसकी पूर्ण रूप से सहायता की| चित्र में आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें 105 तत्वों को उचित स्थान दिया गया है| मेंडलीव द्वारा दी गई आवर्त सारणी दोषपूर्ण थी| बहुत से तत्वों के आइसोटोप मिलते थे जिनके परमाणु पुंज भिन्न भिन्न थे| अत: सारणी में हरेक के लिए अलग अलग स्थान होना चाहिए| परंतु ऐसा नहीं किया जा सकता था| इसी दौरान मेंडलीव को अपनी त्रुटि का आभास हो गया| इस सारणी की मेंडलीव की आवर्त सारणी से तुलना करने पर आप देखेंगे कि वे तत्व जिनको उसने वर्गीकृत किया, अब भी अपने उसी स्थान पर है| सारणी को देखने पर पता चलता है कि परमाणु क्रमांक एक तत्व से दूसरे तत्व तक बढ़ता जाता है| परमाणु भार में जो अनियमितताएं थीं, इस दीर्घ सारणी में हल हो गई| मेंडलीव ने संशोधित आवर्त नियम प्रस्तुत किया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा गया है| इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण अपने परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन है|
6. किसी तत्व का आधुनिक आवर्त सारणी में स्थान की सहायता से उसके गुणों का पुर्वानुमान कैसे किया जा सकता है? 
उत्तर:-
आधुनिक सारणी में तत्वों को उनकी परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में सजाया गया है| इसकी सहायता से तत्व के परमाणु के गुणों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है| आवर्त सारणी में तत्व का स्थान जानकर निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त की जाती है| 
1. आवर्त सारणी में तत्व के स्थान की संख्या उसकी परमाणु संख्या के बराबर होती है| अतः आवर्त सारणी में तत्व के स्थान से उसकी परमाणु संख्या की जानकारी हो जाती है| परमाणु संख्या तत्व के परमाणु के नाभिक में प्रोटोनों की संख्या तथा बाह्य कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है| अतः तत्व की परमाणु संख्या से उसकी परमाणु रचना ज्ञात हो जाती है|
2. आवर्त सारणी में वर्ग एवं आवर्त की संख्या से क्रमशः उसके संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या एवं इलेक्ट्रॉन कक्षा की संख्या ज्ञात हो जाती है|
3. संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या से यह अनुमान लगाना आसान हो जाता है कि तत्व में धातुई गुण है या अधातु गुण| यदि तत्व के परमाणु में 1,2 या 3 संयोजी इलेक्ट्रॉन है तो वह तत्व धातु होगा| इसके विपरीत, तत्व के परमाणु में 4 या अधिक संयोजी इलेक्ट्रॉन है तो वह तत्व अधातु होगा|
4. शेलों (कक्षाओं) की कुल संख्या की जानकारी होने से तत्व के परमाणु के आकार के संबंध में कुछ जानकारी प्राप्त हो जाती है|
5. आवर्त सारणी में तत्व के स्थान से उसकी क्रियाशीलता की कुछ जानकारी हो जाती है|
7. मेंडलीव की आवर्त सारणी के रिक्त स्थानों का क्या महत्व है? 
उत्तर:-
मेंडलीव ने अपनी आवर्त सारणी के कुछ रिक्त स्थानों को छोड़ दिया| इन रिक्त स्थानों को दोष के रूप में देखने के बजाय मेंडलीव ने दृढ़तापूर्वक कुछ ऐसे तत्वों के अस्तित्व का अनुमान किया जो उस समय तक नहीं थे| इनका नामकरण उन्होंने उसी समूह में इससे पहले आने वाले तत्व के नाम में एका(संस्कृति शब्द) उपसर्ग लगाकर किया| जैसे बाद में ज्ञात होने वाले स्कैंडियम, गैलियम और जर्मोनियम के गुणधर्म क्रमशः एका बोरान, एका ऐलुमिनियम तथा एका सिलिकॉन के समान थे|
8. तत्वों के गुण उनकी परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते हैं| इस कथन का क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:-
कथन—” तत्वों के गुण उनके परमाणुओं के आवर्ती फलन हैं| “
आधुनिक आवर्त नियम कहलाता है|
आधुनिक या आवर्त फलन—-
आवर्त फलन का अर्थ है कि जब तत्वों को एक विशेष समूह ऊर्ध्वाधर पंक्ति में उनके परमाणुओं के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो उनके गुणों की पुनरावृत्ति होती है| ऊर्ध्वाधर पंक्ति में रखे गए तत्वों के गुणों की 2,8,8,18,18,3 परमाणु अंकों के लगातार अंतर से पुनरावृत्ति होती है| इनके अंकों को जादू के अंक कहते हैं| तत्वों के गुण उनके परमाणु के विभिन्न ऊर्जा स्तरों में इलेक्ट्रॉनों के विभाजन मुख्यतः संयोजक ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉनों के विभाजन मुख्यतः संयोजक ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉनों के विभाजन पर निर्भर करते हैं| उन परमाणुओं को, जिनके संयोजक ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉन विन्यास एक जैसा होता है, एक जैसे गुण प्रदर्शित करते हैं| जब तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है तो तत्वों के संयोजकता ऊर्जा स्तर में समान इलेक्ट्रॉन विन्यास की मैजिक अंक 2,8,8,18,18 और 32 के बाद क्रमशः एक विशेष लंबात्मक पंक्ति (समूह) में पुनरावृत्ति होती है|
9. निम्नलिखित पदों की व्याख्या करें—–

वर्ग—-
आवर्त सारणी की उदग्र स्तंभों को वर्ग कहते हैं| इन्हें रोमन अंकों (I, II, III,……. VIII) द्वारा निरूपित किया जाता है|
आवर्त—-
आवर्त सारणी की क्षैतिज कतारें आवर्त कहलाती है| सारणी 1 से लेकर 7 तक कुल सात आवर्त है|
सामान्य तत्व—-
वैसे तत्व जिनकी क्रियाशीलता सामान्य होती है| उन्हें सामान्य तत्व कहा जाता है, जैसे—Na, Sc, Sb
संक्रमण तत्व—–
आवर्त सारणी में तत्व के स्थान से उस तत्व की अत्यधिक क्रियाशीलता को संक्रमण तत्व कहा जाता है| जैसे–Cu, Fe, Cr, Co| लैन्थेनम से प्रारंभ होने वाले संक्रमण तत्वों की श्रेणी लैन्थेनाइट्स कहलाती है| साथ ही ऐटीनियम से प्रारंभ होने वाले संक्रमण तत्वों की श्रेणी ऐटीनाइट्स कहलाती है|
10. आवर्त सारणी के वर्ग 1 के तीन तत्वों A, B और C की परमाणु त्रिज्याएं, 155pm, 190pm और 235 pm है| कारण देकर इन तत्वों को वर्ग में बढ़ती हुई परमाणु संख्याओं के क्रम में सजाएँ|
उत्तर:-
आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है, क्योंकि प्रत्येक तत्व के बाद वाले तत्व में इलेक्ट्रॉनों का एक नया शेल है| इस प्रकार आवर्त सारणी के वर्ग 1 के तीन तत्वों  A, B और C  की परमाणु त्रिज्या क्रमशः 155pm, 190pm और 235 pm हैं| इन्हें बढ़ती हुई परमाणु संख्याओं के क्रम में सजाने पर निम्नलिखित तालिका प्राप्त होती है—–
वर्ग 1              इलेक्ट्रॉनिक             परमाणु
                        विन्यास                 त्रिज्या(pm) 
                   K    L     M    N
A(Li)          2    1                         150   
B(Na)        2     8     1                 190
C(K)           2     8     8     1          235





11. 1. आवर्त सारणी के आधार पर तत्वों के गुणों में आवर्तिता का क्या अर्थ है? 
2. एक ही समूह के सभी तत्वों के गुण समरूप क्यों होते हैं? 
3. किसी आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी और क्यों? 
उत्तर:—–
1. आवर्त सारणी में बढ़ती हुई परमाणु संख्या के साथ तत्वों के रासायनिक गुणों की नियमित पुनरावृत्ति रासायनिक आवर्तिता कहलाती है|
2. एक ही समूह के वर्ग के सभी तत्व के इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है| उदाहरण, वर्ग 17 जो फ्लुओरीन के स्तंभ है उस स्तंभ के अंतर्गत आने वाले सभी तत्व जैसे  F, Cl, Br, I इनके बाह्यतम कोष में इलेक्ट्रॉन की संख्या 7 होती है| साथ ही यह सभी तत्व अधातुएं हैं|
3. आवर्त के इलेक्ट्रॉन एक एक करके एक ही ऊर्जा कोश में भरता है| प्रत्येक इलेक्ट्रॉन के भरने के साथ नाभिक आवेश एक यूनिट बढ़ जाता है| परिणामतः इलेक्ट्रॉनों का आकर्षण नाभिक की ओर लगातार बढ़ता जाता है| ऐसा होने से परमाणु त्रिज्या घट जाती है| अर्थात आवर्त में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर परमाणु आकार धीरे धीरे घटता जाता है|
12. नीचे दी गई मेंडलीव आवर्त सारणी के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें|
1. उस तत्व का नाम लिखें जो
(क) समूह 1 तथा आवर्त 3 में है|
उत्तर:- सोडियम(Na) 
(ख) समूह 7 तथा आवर्त 2 में है|
उत्तर:- फ्लुओरीन(F) 
2. निम्नलिखित के लिए सूत्र सुझाएं
(क) नाइट्रोजन का आक्साइड
उत्तर:-N2O5
(ख) आक्सीजन का हाइड्राइड
उत्तर:-OH2
3. आवर्त सारणी के समूह 7 में कोबाल्ट को, जिसका परमाणु द्रव्यमान 58.93 है, निकेल जिसका परमाणु द्रव्यमान 58.71 है, से पहले क्यों रखा गया है? 
उत्तर:-
आवर्त सारणी व्यवस्थित करते समय मेंडलीव को सारणी में अधिक द्रव्यमान वाले तत्व को कभी कभी कम द्रव्यमान वाले तत्व से पहले रखना पड़ा| क्रम इसिलिए उलटना पड़ा ताकि समान गुणधर्म वाले तत्वों को एक साथ रखा जा सके| यही कारण है कि आवर्त सारणी के समूह 8 में कोबाल्ट को परमाणु द्रव्यमान 58.93 है, निकेल जिसका परमाणु द्रव्यमान 58.71 है, से पहले रखा गया|
4. गैलियम के अतिरिक्त उन दो अन्य तत्वों के नाम लिखें जिनकी खोज मेंडलीव के अपनी आवर्त सारणी में रिक्त स्थान छोड़ने के बाद हुई? 
उत्तर:-
गैलियम(Ga) के अतिरिक्त स्कैंडियम(Sc) तथा जर्मेनियम(Ge) की खोज मेंडलीव के आवर्त सारणी में रिक्त स्थानों के छोड़ने के बाद हुई|





5. Li, Na तथा K के परमाणु द्रव्यमानों का उपयोग करके Li तथा K का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात करें और इसकी तुलना Na के परमाणु द्रव्यमान से करें| इस क्रियाकलाप द्वारा निकाले गए निष्कर्ष का उल्लेख करें|
उत्तर:-
तत्व                         परमाणु द्रव्यमान
लिथियम                          7
सोडियम                         23
पोटैशियम                       39
लिथियम और पोटैशियम के परमाणु द्रव्यमानों का औसत=7+39 =23
             2
सोडियम का परमाणु द्रव्यमान=23 क्योंकि सोडियम का परमाणु द्रव्यमान 23 होता है|
निष्कर्ष—-
अत: Li और K का औसत परमाणु द्रव्यमान भी 23 है| फलतः हम कह सकते हैं कि लिथियम(Li) + पोटैशियम(K) का औसत परमाणु द्रव्यमान= सोडियम का परमाणु द्रव्यमान|
अथवा, (1) हम तत्वों का वर्गीकरण क्यों करते हैं? 
उत्तर:-
आरंभ में जब बहुत ही कम तत्व ज्ञात थे तब उनके गुणों का अलग अलग अध्ययन करने में कोई कठिनाई नहीं थी| किन्तु जब एक एक करके बहुत से तत्वों का अविष्कार हुआ तो उनके गुणों का अलग अलग अध्ययन करने में काफी कठिनाई महसूस होने लगी| इस कारण वैज्ञानिक नाम समान गुणवाले तत्वों को समूह में दिया ताकि किसी विशेष समूह के किसी एक तदभव के गुणों का अध्ययन करके उस समूह के अन्य तत्वों के गुणों का पुर्वानुमान किया जा सके|
2. आवर्त सारणी का निर्माण करते समय मेंडलीव द्वारा अपनाए गये दो मापदंड क्या थे? 
उत्तर:-
तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाया
समान गुण वाले तत्वों को एक समूह में रखने का प्रयास किया|
3. मेंडलीव ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान क्यों छोड़ दिए थे? 
उत्तर:-
मेंडलीव ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए क्योंकि उनमें किसी भी ज्ञात तत्व का समावेश नहीं हो पाता था| बाद में चलकर स्कैंडियम (Sc), गैलियम(Ga) और जर्मेनियम(Ge) का आविष्कार होने पर उन्हें इन रिक्त स्थानों में रखा गया|
4. मेंडलीव की आवर्त सारणी में हीलियम,निआन तथा आर्गन जैसी उत्कृष्ट गैसों का उल्लेख क्यों नहीं किया गया था?
उत्तर:-
मेंडलीव की आवर्त सारणी में हीलियम(He) निआन(Ne) तथा आर्गन(Ar) जैसी उत्कृष्ट गैसों का उल्लेख इसिलिए नहीं किया गया था कि उस समय तक इन उत्कृष्ट गैसों का आविष्कार नही हुआ था|
5. क्या आप क्लोरीन के दो समस्थानिकों Cl-35 तथा Cl-37 को उनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न होने के कारण भिन्न भिन्न स्थानों पर रखना पसंद करेंगे अथवा रासायनिक गुण समान होने के कारण एक ही स्थान पर रखेंगे? अपने उत्तर की पुष्टि करें|
उत्तर:-
तत्वों के वर्गीकरण के लिए परमाणु संख्या अधिक उपयोगी मौलिक गुण है परमाणु द्रव्यमान नहीं, यही कारण है कि हम क्लोरीन के दो समस्थानिकों Cl-35 तथा Cl-37 को उनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न भिन्न होने के कारण भिन्न भिन्न स्थानों पर रखना पसंद करते हैं| अथवा रासायनिक गुण समान होने के कारण एक ही स्थान पर रखेंगे क्योंकि दोनों ही समस्थानिकों की परमाणु संख्या एक समान है अतः इन्हें एक ही स्थान पर रखा जा सकता है|
13. तत्वों के गुणों के संदर्भ में तत्व की परमाणु संख्या उसके परमाणु द्रव्यमान की तुलना में अधिक मौलिक गुण है, कैसे? 
उत्तर:-
1913 में, मोसले ने बताया कि यदि X- किरणों की कंपनावृत्ति के वर्गमूल और लक्षित तत्व की परमाणु संख्या के बीच लेखाचित्र खींचा जाये तो एक सीधी रेखा प्राप्त होती है| किन्तु X-किरणों की पुनरावृत्ति के वर्गमूल और लक्षित तत्व के परमाणु द्रव्यमान के बीच लेखाचित्र खींचने पर सीधी रेखा नहीं प्राप्त होती| इससे उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि परमाणु द्रव्यमान नहीं, बल्कि परमाणु संख्या ही तत्व का अधिक मौलिक गुण है|

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