Bharti Bhawan Chemistry Class-10:Chapter-6:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:रसायनशास्त्र:कक्षा-10:अध्याय-6:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न





प्राकृतिक संसाधन का प्रबंधन




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न





1. चिपको आंदोलन के प्रवर्तक कौन थे? 
उत्तर:- सुन्दर लाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद
2. ऊर्जा के दो परम्परागत स्रोत के नाम लिखें—
उत्तर:- कोयला, पेट्रोलियम
3. ह्रास हुए भूमिगत जल का पुनः परिपूरण किससे होता है? 
उत्तर:- ह्रास हुए भूमिगत जल का पुनः परिपूरण वर्षा जल से होता है|
4. जल उपलब्धता में गिरावट के क्या कारण है? 
उत्तर:- जल की उपलब्धता में कमी का मुख्य कारण जल प्रबंधन की उचित व्यवस्था का अभाव है|
6. पुनर्चालन के एक लाभ बताएं|
उत्तर:-
नम कचरों का पुनर्चालन कर कम्पोस्ट बनाते हैं जिसका जैविक खाद के रूप में उपयोग होता है|
7. कोयला और पेट्रोलियम के संरक्षण के लिए हमें क्या करना चाहिए|
उत्तर:- 
कोयला और पेट्रोलियम के संरक्षण के लिए हमें उनका विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करना चाहिए ताकि उनकी गुणवत्ता एवं उपलब्धता बनी रहे तथा विकास कार्य भी न रुके साथ ही पर्यावरण भी संतुलित बना रहे|
8. ऊर्जा के दो गैर परंपरागत स्रोतों के नाम लिखें|
उत्तर:-
सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा
9. चिपको आंदोलन का क्या लक्ष्य क्या था? 
उत्तर:- चिपको आंदोलन का लक्ष्य वनों के विनाश को रोककर वनों का संरक्षण करना था|
10. भारत के दो राष्ट्रीय उद्यानों का नाम बताएं|
उत्तर:-
भारत के दो राष्ट्रीय उद्यानों के नाम निम्न हैं—
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा नेशनल पार्क
11. दो जीवाश्म ईंधन के नाम बताएं|
उत्तर:- कोयला, पेट्रोलियम
12. रसोईघर के नम कचरों का पुनर्चालन कर क्या बनाया जाता है? 
उत्तर:-
कम्पोस्ट बनाया जा सकता है
13. जल की कमी वाले क्षेत्र में सिंचाई की कौन सी तकनीकी अपनायी जाती है|
उत्तर:-
ड्रिप इरिगेशन या बूंद बूंद सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है|
14. क्योटो प्रोटोकॉल किस गैस के उत्सर्जन के स्तर में कमी लाने के लक्ष्य से बनाया गया था? 
उत्तर:-
कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन के स्तर में कमी लाने के लिए बनाया गया था|
15. भूमिगत जल स्तर तक वर्षाजल को पहुँचाने के लिए की गई दो व्यवस्थाओं के नाम बताएं|
उत्तर:-
भूमिगत जल स्तर तक वर्षाजल को पहुँचाने के लिए बोर वेल एवं डग वेल व्यवस्थाएँ की जाती|
16. अपशिष्ट प्रबंधन की नयी धारणा क्या है? 
उत्तर:-
किसी वस्तु का कमी, पुनर्चालन तथा पुनरुपयोग अपशिष्ट प्रबंधन की नयी धारणा है|
17. प्लैस्टिक के थैलों के बदले में किस प्रकार के थैले इस्तेमाल की जानी चाहिए? 
उत्तर:- 
प्लैस्टिक के थैलों के बदले जूट या कपड़ों से बने थैले का इस्तेमाल करना चाहिए|
लघु उत्तरीय प्रश्न





1. ड्रिप सिंचाई व्यवस्था क्या है? 
उत्तर:-
वैसे क्षेत्र जहाँ जल अपर्याप्त होते हैं अर्थात बारिश की कमी होती है वहाँ सिंचाई की समस्या खड़ी हो जाती है| क्योंकि भारत में अधिकतम सिंचाई वर्षा के जल अथवा बारिश से होती है| उन क्षेत्रों में जहाँ पानी की कमी होती है वहाँ वर्षा के जल का संरक्षण कर उसका अधिकतम उपयोग किया जाता है| इस संरक्षित जल को खेतों में पानी के फव्वारों अथवा बूंद बूंद करके सिंचाई की जाती है| इसलिए इस विधि को ड्रिप सिंचाई या बूंद बूंद सिंचाई व्यवस्था कहा जाता है|
2. जल संचयन क्या है? 
उत्तर:-
धरातलीय तथा भूमिगत जल भंडारों में जल की कमी काफी अधिक हो गई है| भूमिगत जल का निष्कासन अधिकतम सीमा से ज्यादा होने से तथा उस अनुपात में उसका पुनः परिपूरण नहीं होने से भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है| भूमिगत जल का परिपूरण वर्षा जल से होता है| वर्षा जल के अधिक से अधिक उपयोग और संचयन कर भूमिगत जल स्तर को बनाये रख सकते हैं| हमें नदियों, तालाबों, गड्ढों आदि में पानी का संचयन करना चाहिए| इनके संचयन से भूमिगत जल का भंडारण अधिक होगा| वर्षा के दिनों में वर्षा जल का अधिक उपयोग करना चाहिए| इस प्रकार भूमिगत जल के स्तर को बनाये रखना जल संचयन कहलाता है|
3. कूड़े कचरों का पुनर्चालन से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु के टुकड़े आदि यानी कूड़े कचरों का पुनर्चालन आसानी से किया जा सकता है| इन वस्तुओं को गोलाकार नयी प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है| रसोई घर के नम कचरे का पुनर्चालन कर कम्पोस्ट बनाते हैं जिसका जैविक खाद के रूप में उपयोग होता है| कुछ सूखे कचरों का पुनर्चालन कर नयी वस्तुएँ प्राप्त करते हैं| धातुओं के कचरे को अलग अलग छांटकर पुनर्चालन कर संबंधित धातु के सामान बनाये जाते हैं| बड़े बड़े शहरों में ऐसे कचरे के पुनर्चालन करने वाले बड़ी बड़ी फैक्ट्रियाँ संचालित हैं|
4. वाहनों के लिए उत्सर्जन संबंधी मानदंड क्या है? 
उत्तर:-
वाहनों की भारी संख्या और यातायात वाले कुछ शहरों में नाइट्रोजन डाइआक्साइड के स्तर में वृद्धि पायी गयी है| जैसे–दिल्ली तथा कोलकाता के कुछ क्षेत्रों में| केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वाहनों को वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में एक बताया है| इस कारण 1989 में केन्द्रीय मोटरवाहन अधिनियम को संशोधित किया गया| इस संशोधन के बाद वाहन मालिकों के लिए धुएं के उत्सर्जन संबंधी नियम अधिसूचना किये गए और 1991 में पहली बार वाहन निर्माताओं के लिए उत्सर्जन संबंधी मानदंड, जैसे—यूरो–I लागू किया गया| इन मानदंडों को 2000 में फिर संशोधित कर यूरो—II लागू किया गया जिससे दिल्ली तथा अन्य शहरों में ईंधन के दहन से निकले गैसों की मात्रा में कमी आयी है, तथा वायु की गुणवत्ता बढ़ी है जिससे पर्यावरण पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा है|
5. वन और वन्यजीव हमारे लिए किस प्रकार से लाभदायक है? 
उत्तर:-
वन तथा वन्यजीव हमारे लिए लाभदायक है| इससे हमारा अस्तित्व बना रहता है| वनों से हमें अपनी मूलभूत आवश्यक्ताओं जैसे— आवास निर्माण सामग्री, ईंधन, जल तथा भोजन का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आपूर्ति करने में मदद मिलती है| इसके अलावा हमें वनों से कंद मूल, फल फूल इत्यादि चीजों की प्राप्ति होती है| वहीं दूसरी ओर वन्यजीव हमारे जीवन को सुखमय बनाने में अपना योगदान देते हैं| इनसे हमारा मनोरंजन होता है| इनको चिड़ियाघरों या अभयारण्यों में रखकर विदेशी पर्यटकों या देशी पर्यटकों को लुभाया जाता है| इनसे हमें खाल, दांत, सींग, कस्तूरी आदि जैसे बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति होती है| कुछ लोग वन्यजीव को अपना व्यवसाय बना चुके हैं जिससे उनका और उनके परिवार का भरण पोषण होता है| अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वन तथा वन्यजीव हमारे लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं| इनसे हमारा जीवन खुशहाल और सुखमय बना रहता है| इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है|
6. वन एवं वन्यजीव के संरक्षण के उपायों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
वन्य सम्पदा या वन की सुरक्षा के अग्रलिखित उपाय है—वृक्षों का काटना बंद होना चाहिए
केवल वे ही वृक्ष काटे जाएं जो सूख जाएं या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी लग जाए और उनके स्थान पर नये वृक्ष लगाये जाने चाहिए|
वृक्षों की प्रति वर्ष गिनती की जानी चाहिए और वृक्षारोपण के लक्ष्य को पूर्ण करना चाहिए|
वन महोत्सव में हजारों मनाया जाना चाहिए
यह हमारे देश की वृक्षारोपण की परम्परा है जिसके अनुसार अनुसार वन महोत्सवों में हजारों नये वृक्ष लगाये जाते हैं| नये लगाये गये वृक्षों की देखभाल करनी चाहिए|पुनर्वनरोपण की योजना लागू होनी चाहिए|वन सम्पदा को दावानल से बचाने के लिए उचित प्रबंध होना चाहिए| वृक्षों को बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए|
पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन्यजीव का संरक्षण आवश्यक है| इसके लिए निम्नलिखित दो उपाय किए जा सकते हैं—–
1. सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिससे शिकारियों को प्रतिबन्धित वन्य पशु का शिकार करने पर दंड मिलना चाहिए|
2. राष्ट्रीय पार्क और पशु पक्षी विहार स्थापित किए जाने चाहिए जहाँ पर वन्य पशु सुरक्षित रह सकें|
7. चिपको आंदोलन पर टिप्पणी लिखें|
उत्तर:-
आज भी तेजी से वनों का कटाव जारी है| वनों के कटाव से जंगली जीवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है| जंगल के तेजी से कटने से मानव को कयी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है| 1970 के दशक में उत्तराखण्ड के गढ़वाल के पहाड़ों पर स्थित रेनी ग्राम में इमारती लकड़ी के ठेकेदारों के हाथों वनों का विनाश रोकने के लिए स्थानीय स्त्रियों ने पेड़ों से चिपक कर एक जन आंदोलन किया था| इसी तरह राजस्थान के खेजरी ग्राम में पेड़ों से चिपककर स्त्रियों के जान देने की घटना की याद में लोगों ने इस आन्दोलन को चिपको आंदोलन का नाम दिया| इस आंदोलन का समर्थन जाने माने समाजसेवी सुन्दरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट जैसे लोगों ने किया| वन विनाश के विरोध में इनके कार्यकर्ताओं ने हिमालय क्षेत्र में लंबी लंबी पद यात्राएँ की| इसने वन काटने वाले ठेकेदारों को ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी वनों के महत्व को समझाया|
8. जल संचयन क्यों जरुरी है? 
उत्तर:-
जनसंख्या वृद्धि तथा औद्योगीकरण के कारण धरातलीय तथा भूमिगत जल के भंडारों में जल की कमी हो गयी है| इस कारण जल संकट की समस्या उत्पन्न हो गयी| बड़ी आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल संचयन आवश्यक है| पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है| जल संकट के कारण जलीय जीवों के साथ साथ स्थलीय जीवों पर भी संकट उत्पन्न हो गया है| हमें जल संग्रहण एवं संचयन के लिए आगे बढ़कर कार्य करना होगा| इसके लिए वनों, तालाबों, नदियों आदि को संरक्षित करना होगा| ताकि जल स्तर बना रहे| पृथ्वी पर जीवों के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए जल संचयन आवश्यक है|
9. बांध से क्या लाभ होता है? बताएं|
उत्तर:-
बांध सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता को ही बरकरार नहीं रखता बल्कि इससे बिजली भी उत्पन्न की जाती है| सिंचाई के लिए बांध के जल को नहर द्वारा दूर दूर तक ले जाया जाता है| उदाहरण के लिए इंदिरा गाँधी नहर ने राजस्थान के बड़े क्षेत्र को हरित किया है| यद्यपि बांध के जल से सिंचाई व्यवस्था सुधरी है तथापि बांध के जल का समता और न्याय के वितरण नहीं हो पाता| बांध के नजदीक बसे लोग धान व ईख की खेती कर जल का अधिक से अधिक उपयोग कर लेते हैं तथा बांध से दूर विस्थापित लोगों को बांध का, जल नहीं मिल पाता| कभी कभार बड़े बड़े बांध के निर्माण के विरोध में लोग खड़े हो जाते हैं| उदाहरण के लिए, हमारे देश की विवादास्पद परियोजनाएँ है— टिहरी बांध परियोजना एवं सरदार सरोवर बांध परियोजना|
10. बांध से क्या हानि होती है? बताएं|
उत्तर:-
बांध से बहुत अधिक हानि होती है| बांध के निर्माण के फलस्वरूप हजारों लोगों को पहाड़ी क्षेत्र से मैदानी क्षेत्र में बसना पड़ता है| पर्वतीय लोगों को पहाड़ी क्षेत्र से मैदानी क्षेत्रों में बसना पड़ता है जिससे उनकी जीवन शैली में परिवर्तन आता है और उन लोगों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है| विस्थापितों को जल, लकड़ी, फल, अपेक्षाकृत महंगे मिलने लगते हैं तथा सरकार द्वारा समुचित मुआवजा भी नहीं मिल पाता है| बांध के टूटने पर आस पास के क्षेत्रों में जल फैलाकर भारी तबाही मचाता है जिससे लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है| इस प्रकार बांध से बहुत सारी हानियाँ होती है|
11. चिपको आंदोलन क्या है? हमें वनों का संरक्षण क्यों करना चाहिए? 
उत्तर:-
चिपको आंदोलन—
वनों की अत्यधिक कटाई होने के कारण 1970 के दशक में उत्तराखण्ड के गढ़वाल के पहाड़ों पर स्थित रेनी ग्राम में इमारती लकड़ी ठेकेदारों के हाथों वनों का विनाश रोकने के लिए स्थानीय स्त्रियों ने पेड़ों से चिपक कर एक जन आंदोलन किया था| इसी तरह राजस्थान के खेजरी ग्राम में पेड़ों से चिपककर स्त्रियों के जान देने की घटना की याद में लोगों ने इस आन्दोलन को चिपको आंदोलन का नाम दिया| इस आन्दोलन के समर्थक जाने माने समाजसेवा सुन्दर लाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट जैसे लोगों ने किया| उस समय इस आन्दोलन ने जनवादी रुप ले लिया था| लोग इकट्ठे होकर नारा देने लगे और दोषियों को सजा दिलाने की मांग करने लगे| इस प्रकार उनका चिपको आंदोलन सफल हुआ और प्रकृति का संरक्षण हुआ|
वनों के संरक्षण का कारण—–
वनों से हमें फल, मेवे, सब्जियाँ तथा औषधियाँ प्राप्त होती है| 
हमें वनों से इमारती लकड़ी तथा जलानेवाली लकड़ी (ईंधन) प्राप्त होती है|
वन पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने में सहयोग देते हैं|
वृक्षों के वन्यजीव भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो वर्षा के एक स्रोत का कार्य करते हैं|
ये मृदा अपरदन एवं बाढ़ पर नियंत्रण करने में सहायक होते हैं|
वन वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं|
ये धन प्राप्ति के अच्छे स्रोत है|
12. उत्तर:- छात्र स्वयं हल करें-





दीर्घ उत्तरीय प्रश्न




1. जल संरक्षण एवं जल प्रबंधन के लिए क्या किया जाना चाहिए? 
उत्तर:-
जल जीवजंतु एवं पेड़ पौधों के जीवन के पोषण का मुख्य आधार है| इसके अभाव में जीवन संभव नहीं है| इसी कारण जल को जीवन सार कहते हैं| हमारे दैनिक कार्य जैसे– स्नान, बरतन, कपड़े धोने व पीने तथा भोजन पकाने, जल के उपयोग के साथ ही प्रारंभ होते हैं| हमारे शरीर की विभिन्न क्रियाएँ, जैसे— भोजन का पचना, रक्त संचार, मलोत्सर्ग आदि जल की सहायता से ही पूरी होती है| पेड़ पौधों के जीवन में जल बीजों के अंकुरण से लेकर उनकी वृद्धि तक में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है| इसके अलावा आधुनिक समय में तकनीकी विकास के कारण जल का सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन, जल यातायात तथा उद्योग आदि के लिए किया जाता रहा| जल की माँग में काफी वृद्धि हुई है, परंतु उसकी उपलब्धता में कमी आयी है| जल की उपलब्धता में कमी का मुख्य कारण उसके संरक्षण एवं प्रबंधन की उचित व्यवस्था का अभाव है| अत: जल का संसाधन का उपयोग सुनियोजित ढंग से करके तथा जलस्रोतों का उचित प्रबंधन करके हम जल प्रणाली का संरक्षण कर सकते हैं| प्राचीन काल से ही मनुष्य पीने तथा सिंचाई के लिए जल भंडार (बांध), तालाब व बावड़ी बनाता आ रहा है| भूमिगत जल स्तर बनाए रखने के लिए मानव छोटे छोटे मिट्टी के बांध बनाकर, खाई बनाकर, बालू एवं संगमरमर से जलाशय बनाकर तथा मकान के छत पर जल संचयन तंत्र लगाकर जल का संचयन करते आ रहा है| घरों में जल संरक्षण के बड़े सचेष्ट प्रयास किए जाते थे तथा उसके दुरूपयोग को रोका जाता था| आज भी जल संचयन की प्राचीन पद्धति को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है| साथ ही, कृषि के प्रसार और हरित क्रांति के लिए बड़े बड़े बांध बनाने की भी आवश्यकता है| सिंचाई के लिए बांध के जल को नहर द्वारा दूर दूर तक ले जाया जाता है| बांध सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता को ही बरकरार नहीं रखता बल्कि इससे बिजली भी उत्पन्न की जाती है| बांध के जल का वितरण समता एवं न्यायपूर्ण तरीके से करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि इसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को समान रूप से मिल सकें|
2. वनों के ह्रास के कारणों का उल्लेख करें—-
उत्तर:-
वन हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा है| इससे हमें बहुत सारी मूलभूत आवश्यक्ताओं की प्राप्ति होती है| इसके अभाव में हमारा जीवन शून्य हो जाता है|
वनों के ह्रास के कारण—–
वनों के ह्रास के निम्नलिखित कारण है——
आधुनिकीकरण—-
आज का मानव विलासी होता जा रहा है| उसे हर तरह की ऐशो आराम की जरूरत होती है| वह विलासितापूर्ण वस्तुओं को अधिक पसंद करता है| वह अच्छे से अच्छे मकानों में रहना पसंद करता है| इन सभी जरुरतों की पूर्ति करने के लिए वनों की कटाई करनी पड़ती है जिससे वनों का ह्रास होता है|
जनसंख्या की वृद्धि—-
जनसंख्या की वृद्धि ने भी वनों के ह्रास को प्रोत्साहित किया है| जनसंख्या वृद्धि के कारण वनों की कटाई की जा रही है| आज मनुष्यों की आबादी इतनी बढ़ रही है कि मनुष्य वनों को काटने पर अमादा है जिससे वनों का ह्रास होता है|
जलावन का अत्यधिक उपयोग—-
जलावन के व्यापक प्रयोग ने वनों के ह्रास को निश्चित किया है| लोग जलावन के लिए अधिक से अधिक वनों को काटते हैं जिससे वनों का ह्रास होना तय है|
खनन कार्य—
खनन कार्य के लिए भी वनों को काटा जा रहा है| खनिजों की प्राप्ति के लिए लोग वनों को काटते जा रहे हैं| इसके कारण वनों का ह्रास हो रहा है|
बांधों का निर्माण—–
बांधों के निर्माण ने भी वनों को काटने पर मजबूर किया है| बांधों के निर्माण से नदियों के पानी को नियंत्रित किया जाता है| इसके निर्माण के लिए लकडियों की जरूरत पड़ती है| बांधों की लकड़ियों की प्राप्ति के लिए वनों को काटा जा रहा है| जिससे वनों का ह्रास होता है|
अवैधानिक रूप से जंगलों की कटाई—-
वनों को काटने के गैर कानूनी ढंग से भी वनों का ह्रास को बल प्रदान किया है| बहुत सारे लोग कुछ रूपयों की लालच में चोरी छिपे वनों को काटते हैं जिससे वनों की संख्या घटती है और वनों का ह्रास होता है|
कागज की बढ़ती माँग—–
आज का मानव शिक्षा की ओर अधिक ध्यान दें रहा है| सभी लोग अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर एक इन्सान बनाना चाहते हैं| इसी कारण कागजों की माँग के बढ़ती जा रही है| बढ़ती कागजों की माँग के कारण वनों को काटा जा रहा है जिससे वनों का ह्रास दोनों तय है| इसके अलावा बहुत सारे और भी कारण है जो वनों की ह्रास को प्रोत्साहित करते हैं| अत: कहा जा सकता है कि वनों के ह्रास से मानव जीवन प्रभावित होता है और उसका विनाश होता है|
3. वन्यजीवों के संरक्षण के उद्देश्य क्या है? 
उत्तर:-
वन्यजीवों के संरक्षण से तात्पर्य वन में रहने वाले जीवों का संरक्षण और उनका समुचित विकास करने से है| इससे वन्यजीवों का समुचित विकास और उनकी संख्या में वृद्धि होती है| इससे पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है|
वन्यजीवों के संरक्षण के उद्देश्य—–



पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना—-
वन्यजीवों के संरक्षण का प्रमुख उद्देश्य पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना है| इससे जीवों की संख्या में संतुलन बना रहता है|
लुप्तप्राय वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि—
वन्यजीवों के संरक्षण का उद्देश्य लुप्तप्राय वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि करना है|इससे वन्यजीवों का समुचित विकास और उनकी संख्या में समुचित वृद्धि होती है|
जीन पूलों की रक्षा—-
वन्यजीवों के संरक्षण का उद्देश्य वन्यजीवों में जीन पूलों की रक्षा करना है| इससे वन्यजीवों के जीनों की रक्षा होती है और उनका समुचित विकास होता है|
पृथ्वी पर अत्यधिक जंगलों का सफाया—
वन्यजीवों के संरक्षण का उद्देश्य पृथ्वी पर जरुरत से ज्यादा जंगलों का सफाया करना है| अगर पृथ्वी पर अत्यधिक जंगलों की वृद्धि हो जायेगी तो पृथ्वी पर मनुष्य के रहने के लिए जगह नहीं बचेगी| वन्यजीवों के समुचित संरक्षण से इस समय का निपटारा किया जाता है|
बहुमूल्य वन्यजीवों का विकास—-
वन्यजीवों के संरक्षण का उद्देश्य बहुमूल्य वन्यजीवों जैसे– शेर, हाथी, घड़ियाल इत्यादि का विकास करना है| वन्यजीवों के संरक्षण करने से इन बहुमूल्य वन्यजीवों का संरक्षण और उनका समुचित विकास किया जाता है| इसके अलावा वन्यजीवों के संरक्षण के लिए और भी बहुत सारे उद्देश्य हैं जिनको पूरा कर वन्यजीवों का संरक्षण किया जाता है|
4. ऊर्जा क्या है? इसके समाधान के उपायों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
ऊर्जा के प्रमुख स्रोत जीवाश्म ईंधन अर्थात कोयला और पेट्रोलियम है पृथ्वी के अंदर इनकी मात्रा भी सीमित है| औद्योगीकरण एवं जनसंख्या वृद्धि के कारण इनकी माँग भी कयी गुना तेजी से बढ़ी है| हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उनका निर्ममता पूर्वक दोहन कर रहे हैं| ऊर्जा के इन स्रोतों का उपयोग हम अपनी दैनिक ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति तथा जीवनोपयोगी पदार्थों के उत्पादन हेतु कर रहे हैं| चूंकि इनके भंडार सीमित है, अत: इनके एक बार समाप्त हो जाने पर निकट भविष्य में इनकी पूर्ति संभव नहीं होगी| इसका कारण है कि इनके निर्माण में लाखों वर्षों का समय लगता है| इस प्रकार देश में ऊर्जा की कमी हो जाएगी जिससे उसका विकास अवरुद्ध हो जाएगा| अत: देश को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा| ऊर्जा के महत्व को ध्यान में रखकर ऊर्जा के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करने की आवश्यकता है ताकि आनेवाले अधिक से अधिक समय तक हम इनका उपयोग कर सकें| ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों की उपलब्धता सीमित होने के कारण इसके वैकल्पिक स्रोतों की खोज करने की आवश्यकता भी महसूस की जाती है| ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत है— सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा जैव स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा अर्थात बायोगैस आदि| ऊर्जा के इन स्रोतों के विकास से अनेक कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है| आजकल परमाणु ऊर्जा की चर्चा जोरों पर है| इसके उत्पादन की क्षमता विकसित करके भी हम देश को ऊर्जा संकट से काफी हद तक उबार सकते हैं|
5. पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए गए चिपको आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें|
उत्तर:-
आज भी तेजी से वनों का कटाव जारी है| वनों के कटाव से जंगली जीवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है| जंगल के तेजी से कटने से मानव को कयी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है| 1970 के दशक में उत्तराखण्ड के गढ़वाल के पहाड़ों पर स्थित रेनी ग्राम में इमारती लकड़ी के ठेकेदारों के हाथों वनों का विनाश रोकने के लिए स्थानीय स्त्रियों ने पेड़ों से चिपक कर एक जन आंदोलन किया था| इसी तरह राजस्थान के खेजरी गाँव में पेड़ों से चिपककर स्त्रियों के जान देने की घटना की याद में लोगों ने इस आन्दोलन को चिपको आंदोलन का नाम दिया| इस आन्दोलन का समर्थन जाने माने समाजसेवी सुन्दरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट जैसे लोगों ने किया| वन विनाश के विरोध में इनके कार्यकर्ताओं ने हिमालय क्षेत्र में लम्बी लम्बी पद यात्रा की| इसने वन काटने वाले ठेकेदारों का ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी वनों के महत्व को समझाया| इस प्रकार चिपको आंदोलन उस समय जनवादी रुप धारण कर चुका था| इस आन्दोलन ने पर्यावरण संरक्षण में अपना अहम योगदान दिया था|
6. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
प्राकृतिक संसाधन (जल, मृदा, वन, खनिज, पेट्रोलियम, वन्य जीव आदि) असीमित नहीं होते हैं| औद्योगिक क्रांति तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों का निर्ममता पूर्वक दोहन किया जा रहा है जिससे वे क्षीण होते जा रहे हैं| अत: हम सबों का ध्यान इनके संरक्षण एवं प्रबंधन की ओर गया है| संसाधन प्रबंधन का अर्थ होता है संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ताकि उनकी गुणवत्ता तथा उपलब्धता बनी रहे तथा विकास कार्य भी न रुके और पर्यावरण भी संतुलित बना रहे| पृथ्वी के विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों तथा पारिस्थितिक तंत्रों के विभिन्न अवयवों के बीच का संतुलन स्थापित करने में मनुष्य की भूमिका इस युग की सबसे बड़ी चुनौती है| इस संतुलन के स्थापित रहने में मदद देकर ही हम भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर पाएंगे|
7. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय प्रयासों के साथ साथ समय समय पर अंतर्राष्ट्रीय प्रयास किये गए हैं| इन प्रयासों में कुछ निम्नलिखित हैं जो इस प्रकार हैं———-
क्योटो प्रोटोकॉल——
1977 में जापान के क्योटो शहर में भूमंडलीय ताप वृद्धि को रोकने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया| इस सम्मेलन में विश्व के 141 देशों ने भाग लिया| इस क्योटो प्रोटोकॉल के अनुसार सभी औद्योगिक देशों के 2008 से 2012 तक के पांच वर्षों की अवधि में 6 प्रमुख ग्रीन हाउस गैसों (CHG) के उत्सर्जन के स्तर में 1990 के स्तर से कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है| क्योटो प्रोटोकॉल का लक्ष्य है कि ग्रीनहाउस गैस छोड़नेवाली तकनीकों का उपयोग सीमित रखा जाए| इससे संबंधित नियम सरल बनाया जाए तथा पारम्परिक ऊर्जा के इस्तेमाल में कमी लायी जाए| हमारे देश में ग्रीनहाउस गैसों का सबसे अधिक उत्सर्जन जीवाश्म ईंधन यानी कोयला, डीजल, पेट्रोल, आदि के उपयोग में होता है| इसके अलावा लकड़ी और उपले जलाने से भी कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है|
उत्सर्जन संबंधी मानदंड—–
वाहनों की भारी संख्या और यातायात वाले कुछ शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि पायी गयी है| जैसे– दिल्ली तथा कोलकाता के कुछ क्षेत्रों में| केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वाहनों को वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में एक बताया है| इस कारण 1989 में केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम को संशोधित किया गया| इस संशोधन के बाद वाहन मालिकों के लिए धुएँ के उत्सर्जन संबंधी नियम अधिसूचित किए गए और 1991 में पहली बार वाहन निर्माताओं के लिए उत्सर्जन संबंधी मानदंड, जैसे– युरो–1 लागू किया गया| इन मानदंडों को 2000 में फिर संशोधित कर युरो–2 लागू किया गया जिससे दिल्ली में ईंधन के दहन से निकले गैसों की मात्रा में कमी आयी है तथा वायु की गुणवत्ता बढ़ी है| इन उत्सर्जन संबंधी मानदंडों को समय समय पर बदल कर सख्त कर दिया जाता है तथा वाहनों से निकले धुओं में विभिन्न गैसों की मात्रा को सीमित कर दिया जाता है| विश्व स्वास्थ्य संगठन हमारे देश को जल प्रदूषण की रोकथाम में सहायता दे रहा है| गंगा को स्वच्छ बनाने का जो अभियान चालू हुआ है उससे अब विश्वास होने लगा है कि देश की अन्य नदियाँ भी स्वच्छ हो सकेंगी|
8. वर्षा जल के संचयन के लाभ का संक्षिप्त विवरण दें|
उत्तर:-
भूमिगत जल का परिपूर्ण वर्षा के जल से होता है| किंतु हमारे देश में वर्षा की अवधि वर्ष के कुछ महीनों तक ही सीमित रहती है| अत: वर्षाजल का अधिक से अधिक संचयन कर उसे भूमिगत जल स्तर तक पहुँचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है ताकि भूमिगत जल स्तर बना रहे| भूमिगत जल स्तर तक वर्षाजल को पहुँचाने के लिए दो प्रकार की व्यवस्थाएँ की जाती है— बोर वेल, और डग वेल | भूमिगत जल के अनेक लाभ है| इसका जल वाष्पीकृत नहीं होता है| भूमिगत जल फैलकर कुएँ के जल को परिपूर्ण करते हैं तथा खेतों में नमी बनाए रखते हैं| इसके अतिरिक्त इससे मच्छरों के जनन की समस्या भी नहीं होती| भूमिगत जल मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट से झीलों, तालाबों आदि में ठहरे जल के विपरीत संदूषित होने से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहता है| स्थानीय स्तर पर वर्षाजल के संचयन के फलस्वरूप लोगों को पीने एवं सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बनी रहती है|

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