जनन
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जनन किसे कहते हैं?
उत्तर:-
वह प्रक्रम जिसके द्वारा जीव अपने जैसी संतानों की उत्पत्ति करते हैं, जनन कहलाता है|
2. जनन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:-
अलैंगिक जनन, लैंगिक जनन
3. अलैंगिक जनन की दो मुख्य विधियों के नाम लिखें|
उत्तर:-
विखंडन, मुकुलन
4. दो पादपों के नाम लिखें जिसमें कायिक प्रवर्धन होता है|
उत्तर:-
आलू, अंगूर
5. किसी एक पौधों के नाम लिखें जिसमें पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है?
उत्तर:-
ब्रायोफिलम
6. कायिक प्रवर्धन में वांछित गुणों का परिरक्षण क्यों होता है?
उत्तर:- कायिक प्रवर्धन से प्राप्त पौधे वांछित/आनुवंशिक गुणों में जनक पौधे के समान होते हैं क्योंकि इनमें लैंगिक जनन की आवश्यकता नहीं है जिसके चलते विभिन्नता पैदा नहीं होती है|
7. DNA प्रतिकृति का जनन में क्या महत्व है?
उत्तर:-
जनन में DNA प्रतिकृति एवं अन्य कोशिकीय संगठन का सृजन होता है|
8. जीवों में होनेवाली विभिन्नता का क्या लाभ है?
उत्तर:-
इससे विभिन्न वायुमंडलीय परिस्थितियों में जीवों की उत्तरजीविता बनी रहती है|
9. पुंकेसर के भागों के नाम लिखें|
उत्तर:-
तंतु, परागकोश
10. अंडाशय के अंदर क्या पाए जाते हैं?
उत्तर:-
अंडाशय के अंदर बीजांड या ओव्यूल रहते हैं|
11. कीटों की भूमिका किस प्रकार के परागकण में होती है?
उत्तर:- कीटों की भूमिका परागकण में होती है|
12. अगर नर या मादा अंगों में किसी एक का अभाव हो तो ऐसे जीव क्या कहलाते हैं?
उत्तर:-
अगर नर या मादा अंगों में किसी एक का अभाव हो तो ऐसे जीव एकलिंगी जीव कहलाते हैं|
13. दो ऐसे जंतुओं के नाम लिखें जिनमें अलैंगिक प्रजनन होते हैं|
उत्तर:- अमीबा, पैरामीशियम
14. पुरुष में वृषण त्वचा की बनी जिस थैली जैसी रचना में स्थित होते हैं, वह क्या कहलाती है?
उत्तर:-
पुरुष में वृषण त्वचा की बनी जिस थैली जैसी रचना में स्थित होते हैं, वह वृषण कोण कहलाती है|
15. अंडाणुओं का अंडाशय से बाहर निकलने की क्रिया क्या कहलाती है?
उत्तर:- अंडाणुओं का अंडाशय से बाहर निकलने की क्रिया अंडोत्सर्ग कहते हैं|
16. मनुष्य अंडाणुओं का शुक्राणुओं द्वारा निषेचित स्त्री के किस जननांग में होता है|
उत्तर:-
मनुष्य अंडाणुओं का शुक्राणुओं द्वारा निषेचित स्त्री के फैलोपियन नलिका में होता है|
17. स्त्रियों में यौवनारंभ या प्यूबर्टी सामान्यतः किस आयु में होता है|
उत्तर:-
स्त्रियों में यौवनारंभ या प्यूबर्टी सामान्यतः 10 से 12 वर्ष की आयु में होता है|
18. स्त्रियों में लैंगिक चक्र कितने दिनों में पूर्ण होता है?
उत्तर:-
28 दिनों में
19. कार्पस ल्यूटियम से स्रावित होनेवाला हार्मोन क्या कहलाता है?
उत्तर:- प्रोजेस्टेरोन
20. किन्हीं दो यांत्रिक विधियों के नाम लिखें जो जनसंख्या नियंत्रण में सहायक हों|
उत्तर:- कंडोम (पुरूषों के लिए), कापर T ( महिलाओं के लिए)
21. बैक्टीरिया के द्वारा होनेवाले दो लैंगिक जनन संचारित रोगों के नाम लिखें|
उत्तर:- गोनोरिया, यूरेथ्राइटिस
22. जीवों में अनुवांशिक गुणों का वाहक क्या है?
उत्तर:- गुणसूत्र
23. किस प्रकार के जनन में शुक्राणु एवं अंडाणु का निर्माण नहीं होता है?
उत्तर:- अलैंगिक जनन
24. पुटी या सिस्ट का निर्माण किस प्रकार के विभाजन में होता है?
उत्तर:- बहुखंडन या बहुविभाजन
25. प्लेनेरिया में जनन मुख्यतः किस विधि से होता है?
उत्तर:- अपखंडन या पुनर्जनन विधि द्वारा
26. कवकों में अलैंगिक जनन की मुख्य विधि क्या है?
उत्तर:- बीजाणु जनन विधि
27. उत्तक संवर्धन किस प्रकार के जनन का उदाहरण है?
उत्तर:- कायिक जनन
28. पुरुष का सबसे प्रमुख जनन अंग क्या है?
उत्तर:- वृषण
29. मूत्राशय के आधार पर स्थित एक छोटी, लगभग गोलाकार ग्रंथि को क्या कहते हैं?
उत्तर:- पुरस्थ ग्रंथि
30. प्रत्येक स्त्री में कितना अंडाशय पाया जाता है?
उत्तर:- एक जोड़ा
31. अंडाणु किस नलिका के द्वारा गर्भाशय में पहुँचते हैं?
उत्तर:- फैलोपियन नलिका
32. गर्भाशय के निचले संकरे भाग को क्या कहते हैं?
उत्तर:- ग्रीवा
33. कापर्स ल्यूटियम किस प्रकार की ग्रंथि है?
उत्तर:- अंत: स्रावी ग्रंथि
34. प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कहाँ से स्रावित होता है?
उत्तर:- पीत पिंड या कापर्स ल्यूटियम ग्रंथि से
35. स्त्रियों के मूत्र जनन नलिकाओं में एक प्रकार के प्रोटोजोआ से होनेवाले संक्रमण को क्या कहते हैं?
उत्तर:- ट्राइकोमोनिएसिस
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषज्ञ क्या है?
उत्तर:-
इसमें जीवों का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेता है|
इसमें युग्मक भाग नहीं लेता है|
इस प्रकार के जनन में समसूत्री कोशिका विभाजन होता है|
अलैंगिक जनन के बाद जो संतानें पैदा होती है| वे आनुवंशिक गुणों में ठीक जनकों के समान होती है|
2. द्विखण्डन एवं बहुखंडन में क्या विभेद है?
उत्तर:-
द्विखण्डन—
कोशिका के चारों ओर सिस्टम अथवा लक्षण भित्ति नहीं बनती है|
द्विखण्डन में बहखंडन की तरह की कोई प्रक्रिया नहीं होती है|
जनक जीव खंडित होकर दो नये जीवों को जन्म देता है|
बहुखंडन—-
कोशिका के चारों ओर सिस्ट अथवा रक्षा भित्ति बन जाती है|
सिस्ट के भीतर कोशिका का केंद्रक कयी बार खंडित होकर अनेक छोटे छोटे केंद्रक बनाता है जो संतति केंद्रक कहलाते हैं| प्रत्येक संतति केंद्र के चारों ओर कुछ कोशिका द्रव्य एकत्रित हो जाता है और उसके चारों ओर पतली झिल्लियाँ बन जाती है|
जब सिस्ट फटती है तब उसमें उपस्थित अनेक संतति कोशिकाएँ निकल आती है जो नये जीवों को उत्पन्न करती है|
3. कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें|
उत्तर:-
जनन की वह प्रक्रिया जिसमें पादप शरीर का कोई कायिक या वर्दी भाग जैसे– जड़, तना, पत्ती आदि परिवर्तित या विलग होकर नये पौधे का निर्माण करते हैं उसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं| इसके द्वारा बनने वाले पौधे अपने जनक के अनुरूप होते हैं| कायिक प्रवर्धन सामान्यतः आर्किड, अंगूर, गुलाब एवं सजावटी पौधे में होता है| कायिक प्रवर्धन प्राकृतिक एवं कृत्रिम दोनों तरीके से होता है, ये प्रवर्धन जड़, तने एवं पत्तियों से होते हैं|
4. पुनर्जनन में क्या होता है?
उत्तर:-
यह जनन की एक विधि है| इस जनन में जीवों का शरीर किसी कारण से दो या अधिक टुकड़ों में खंडित हो जाता है तथा प्रत्येक खंड अपने खाये हुए भागों का विकास कर पूर्ण विकसित नये जीवों में परिवर्तित हो जाता है और सामान्य जीवन यापन करता है| इस प्रकार के जनन स्पाइरोगाइरा हाइड्रा तथा प्लेनेरिया आदि में होता|
5. बीजाणु जनन से जीवों को क्या लाभ है?
उत्तर:-
बीजाणु द्वारा जनन से जीव लाभान्वित होता है क्योंकि बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करता, और नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगती है|
6. क्या जटिल संरचना वाले जीव पुनर्जनन द्वारा नयी संतति उतपन्न कर सकते हैं|
उत्तर:-
नहीं, इसका मुख्य कारण है कि पुनर्जनन जनन के समान नहीं है क्योंकि जटिल संरचना वाले जीव के किसी भाग को काटकर सामान्यतः नया जीव उत्पन्न नहीं करते| जटिल संरचना वाले जीव केवल लैंगिक जनन द्वक्षारा ही नयी संतति उत्पन्न कर सकते हैं|
7. लैंगिक जनन की क्या महत्ता है?
उत्तर:-
लैंगिक जनन से जनन संतति में विविधता आती है|
जीव के नये युग्मक बनते हैं जिसके कारण आनुवंशिक विविधता का विकास होता है|
नये जीवों के विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है|
8. एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग एवं आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है?
उत्तर:-
एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग फूल को आकर्षक बनाने के साथ आवश्यक अंगों की रक्षा भी करते हैं तथा आवश्यक अंग जनन का कार्य करते है|
9. स्व परागण और पर परागण में क्या अंतर है?
उत्तर:-
स्व परागण—-
परागण उसी फूल के या उसी पौधे के दूसरे फूल के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं|
परागकणों के नष्ट होने की संभावना कम होती है|
इस क्रिया से उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ नहीं होते|
इस क्रिया से नयी जातियाँ उत्पन्न नहीं होती|
पर परागण—–
परागकण किसी दूसरे पौधे के फूल के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं|
परागकणों के नष्ट होने की संभावना अधिक होती है|
इस क्रिया से उत्पन्न जीव अधिक स्वस्थ होते हैं|
इस क्रिया से नयी जातियाँ उत्पन्न होती है|
10. अलैंगिक जनन की तुलना में अलैंगिक जनन से क्या लाभ है?
उत्तर:-
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन अधिक श्रेष्ठ है| इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं—–
लैंगिक जनन में शुक्राणु तथा अंडाणु के संयुजन के कारण एन०ए० द्वारा पैतृक गुण वर्तमान पीढ़ी के सदस्य मारा हस्तान्तरित हो जाते हैं जो जीवित रहने के लिए अधिक शक्तिशाली होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में एकल डी ०एन० ए० होने के कारण जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है|
लैंगिक जनन में डी ०एन०ए० की दोनों प्रतिकृतियों में कुछ न कुछ अंतर अवश्य होते हैं जिनके परिणामस्वरूप नयी पीढ़ी के सदस्य जीव में भिन्नता अवश्य दिखाई देती है जबकि अलैंगिक जनन में भिन्नता नही दिखाई देती| यदि उसमें किसी कारण से भिन्नता आ जाती है तो जीव की मृत्यु हो जाती है|
लैंगिक जनन उद्विकास में बहुत सहायक है जबकि अलैंगिक जनन उद्विकास में सहायक नहीं है|
11. बीजपत्र का क्या लाभ है?
उत्तर:-
बीज पत्र में जिनमें खाद्य पदार्थ जमा रहता है वह अंकुरित हुए भ्रूण का पोषण करता है|
12. पुर:स्थित ग्रंथि के कार्यों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
पुरस्थ ग्रंथि से पुरस्थ द्रव्य स्रावित होता है| पुरस्थ द्रव, शुक्राणु द्रव शुक्राशय द्रव मिलकर वीर्य बनाते हैं| पुरस्थ द्रव के कारण ही वीर्य में विशेष गंध होती है| पुरस्थ द्रव वीर्य के शुक्राणुओं (नर युग्मक) को उत्तेजित करते हैं|
13. फैलोपियन नलिका की संरचना का वर्णन करें|
उत्तर:-
फैलोपियन नलिका एक जोड़ी चौड़ी नलिकाएँ है, जो अंडाशय के ऊपरी भाग से शुरू होकर नीचे की ओर जाती है और अंत में गर्भाशय से जुड़ जाती है| प्रत्येक फैलोपियन नलिका का शीर्ष भाग एक चौड़े कीप के समान होता है जो अंडाणु को फैलोपियन नलिका में प्रवेश करने में सहायक करतें हैं| फैलोपियन नलिका दीवार मांसल एवं संकुचन शील होती है| इसकी भीतरी सतह पर सीलिया लगी होती है जो अंडाणु को फैलोपियन नलिका में नीचे की ओर बढने में सहायता देती है, इस नलिका के द्वारा अंडाणु गर्भाशय में पहुँचते हैं|
14. निषेचित न हो सकने वाले एक परिपक्व अंडाणु का क्या होता?
उत्तर:-
एक परिपक्व अंडाणु यदि निषेचित न हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवीत रहती है क्योंकि अंडाणु प्रत्येक माह एक अंड का मोचन करता है, अत: निषेचित अंडाणु की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रति माह की तैयारी करता है| अतः इसकी अंत: भित्ति मांसल एवं स्पांजी हो जाती है| यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है| परन्तु निषेचन न होने की अवस्था में इस परत की भी आवश्यकता नहीं रहती है| अतः यह परत धीरे धीरे छूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है| इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं| इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों तक की होती है|
15. जनसंख्या नियंत्रण में रासायनिक विधियों का उपयोग किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:-
ऐसी विधियों में विभिन्न रसायनों से निर्मित गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया जाता है| जैसे रसायनों से निर्मित ऐसा क्रीम स्त्री की योनि में लगा दिया जाता है जो शुक्राणुओं को नष्ट कर देते हैं| इससे निषेचन नहीं हो पाता है| कृत्रिम तरीके से विभिन्न रसायनों द्वारा एस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन बनाए गए हैं जो गर्भ निरोधक गोलियों के रूप में उपलब्ध हैं स्त्रियाँ जब इनका सेवन करती है तब उनके सामान्य मासिक चक्र बाधित हो जाते हैं तथा अंडोत्सर्ग नहीं हो पाता है| यह जनसंख्या नियंत्रण की अत्यंत सुरक्षित और प्रभावी विधि है|
16 लैंगिक संचारित रोगों को तालिका के माध्यम से दर्शाएं|
उत्तर:-
वैक्टीरिया वसा प्रोटोज़ोआ
जनित रोग जनित रोग जनित रोग
गोनोरिया सर्विक्स कैंसर ट्राइकोमोनिएसिस
सिफलिस हर्पिस
यूरेथ्राइटिस एड्स
सर्विसाइटिस
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. विभिन्न प्रकार के अलैंगिक जनन का सचित्र एवं संक्षिप्त विवरण दें|
उत्तर:-
अलैंगिक जनन में अकेला जीव ही अपनी संतति पैदा करता है| इस प्रक्रिया में नर तथा मादा युग्मकों का निर्माण नहीं होता| अलैंगिक जनन की कयी विधियाँ है, जैसे—विखंडन, मुकुलन, खंडन, बीजाणुओं द्वारा कायिक प्रवर्धन आदि|
अलैंगिक जनन की विधियाँ—-
विखंडन—
जब जीव पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है तब यह दो भागों में विभाजित हो जाता है| पहले केन्द्रक का विभाजन होता है, उसके बाद कोशिका द्रव्य का| विखंडन के द्वारा जब दो जीव बनते हैं तो उसे विखंडन कहते हैं| जैसे– अमीबा
मुकुलन—
यीस्ट, हाइड्रा एवं अन्य जीवों के शरीर पर एक उभार की तरह की संरचना बनती है जिसे मुकुलन कहते हैं| शरीर का केंद्रक दो भागों में विभाजित हो जाता है और उनमें से एक केन्द्रक मुकुल में आ जाता है| मुकुल पैतृक जीव से अलग होकर वृद्धि करता है और पूर्ण विकसित जीव बन जाता है|
खंडन—-
इस विधि में जीव दो या अधिक खण्डों में टूट जाते हैं और ये खंड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं| उदाहरण— स्पाइरोगाइरा तथा चपटे कृमि
जीवाणुओं द्वारा—-
बीजाणु कोशिका की विरामी अवस्था है जिसमें प्रतिकूल परिस्थिति में कोशिका की रक्षा के लिए उसकी चारों ओर एक मोटी भित्ति बन जाती है| अनुकूल परिस्थिति में मोटी भित्ति टूट जाती है और बीजाणु सामान्य विधि से जनन करता है और वृद्धि के करके पूर्ण विकसित जीव बन जाता है| इस विधि द्वारा जनन करने के कुछ उदाहरण है— म्यूकर, फर्न अथवा मास
2. ऊतक संवर्धन कैसे संपन्नता होता? कायिक प्रवर्धन के लाभों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
इस विधि में पौधे के ऊतक के एक छोटे से भाग को काट लेते हैं| इस ऊतक को उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम में रखते हैं| ऊतक से एक अनियमित ऊर्ध्व सा बन जाता है जिसे कैलस कहते हैं| कैलस का उपयोग पुनः गणन में किया जाता है| इस ऊतक का छोटा सा भाग किसी अन्य माध्यम में रखते हैं जो पौधे में विभेद की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है| इस पौधे को गमलों या भूमि में लगा दिया जाता है और उनको परिपक्व होने तक वृद्धि करने दिया जाता है| ऊतक संवर्धन से आजकल आर्किड, गुलदाउदी, शतावरी तथा बहुत से अन्य पौधे तैयार किये जाते हैं|
लाभ—-
सभी नये पौधे मातृ पौधे के समान होते हैं| इस प्रकार एक अच्छे गुणों वाले पौधे से कलम द्वारा उनके समान ही अनेक पौधे तैयार किये जाते हैं|
फलों द्वारा उत्पन्न उन सभी बीज समान नहीं होते परन्तु कायिक जनन द्वारा उत्पन्न पौधों में पूर्ण समानता होती है|
कायिक जनन द्वारा नये पौधे थोड़े समय में ही प्राप्त हो जाते हैं|
वे पौधे जो बीज द्वारा सरलता से प्राप्त नहीं किए जा सकते, कायिक जनन द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं| जैसे—केला, अंगूर
3. परागण से लेकर बीज बनने तक की क्रिया को संक्षेप में उद्धत करें|
उत्तर:-
परागकोश से परागकणों का वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है| फूल के पुंकेसर में परागकोश होते हैं, जो परागण उत्पन्न करते हैं| स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं— अंडाशय, वर्तिका, वर्तिकाग्र| परागण के बाद परागकण से एक नली निकलती है जिसे परागनली कहते हैं| पराग नली में दो नर युग्मक होते हैं इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में से होता हुआ बीजांड तक पहुँचता है| यह बीजांड के साथ संलयन करता है जिससे युग्मनज बनता है दूसरा नर युग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों से मिलकर प्राथमिक एंडोस्पर्म (भ्रूणकोश) केंद्रक बनाता है जिससे अंत में एंडोस्पर्म बनता है| इस प्रकार उच्चवर्गीय (एंजियोस्पर्म) पौधे दोहरी निषेचन क्रिया प्रदर्शित करते हैं| निषेचन के बाद फूल पंखुड़ियाँ, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं| बाह्य दल सूख जाते हैं और अंडाशय पर लगे रहते हैं| अंडाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है और इनमें स्थित कोशिकाएँ विभाजित होकर वृद्धि करती है बीज का बनना आरंभ हो जाता है| बीज में एक शिशु पौधा अथवा भ्रूण होता है| भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूल जड़) एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र होते हैं| बीजपत्र में भोजन संचित रहता है| समयानुसार बीज सख्त होकर सूख जाता है| यह बीज प्रतिकूल परिस्थिति में जीवित रह सकता है| अंडाशय की दीवार भी सख्त हो सकती है और एक फली बन जाती है निषेचन के बाद सारे अंडाशय को फल कहते हैं|
4. पादप में लैंगिक एवं अलैंगिक जनन के विभेदों का विवरण दें|
उत्तर:-
अलैंगिक जनन—-
अलैंगिक जनन में संतान एक जीव से उतपन्न होती है| अलैंगिक जनन के मुख्य प्रकार हैं—- द्विखण्डन, बहुखंडन, मुकुलन, खंडन, बीजाणुओं द्वारा तथा कायिक प्रवर्धन| जब पौधों के कोई कायिक भाग जैसी पत्ती, तना और जड़ नया पौधा पैदा करता है, तो इस क्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं| कुछ पौधे जैसे अमरूद अथवा शकरकंद की अपस्थानिक जड़ों पर छोटी छोटी कलियाँ होती है, जिनसे नये पौधे उत्पन्न होते हैं| ब्रायोफिलम की पत्तियों के किनारों पर खांचों में स्थित अपस्थानिक कलियाँ होती है, जिनसे नये पौधे उत्पन्न होते हैं| रोपण में ऐच्छिक पौधे की कलम को वृक्ष के स्कंध पर लगा देते हैं| कायिक प्रवर्धन की और भी बहुत सी विधियाँ है, जैसे कलम, दाब कलम तथा ऊतक संवर्धन| कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधे अपने पैतृक पौधों के बिलकुल समान होते हैं|
लैंगिक जनन—-
एक पौधे के फूल में लैंगिक जनन होता है| पुंकेसर नर जनन अंग और स्त्रीकेसर मादा जनन अंग है| परागकण पुंकेसर के परागकोश में पैदा होते हैं| परागकण दो नर युग्मक पैदा करता है| अंडाशय के अंदर अंडाणु होते हैं जिसके केंद्रक के अंदर मेगास्पोर होता है| मेगास्पोर से भ्रूण थैली का विकास होता है जिसमें मादा युग्मक होता है| परागण द्वारा परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं| निषेचन के बाद, अंडाशय परिपक्व होकर फल बन जाता है| बीजांड बीजों में और अंडाशय भित्ति में बदल जाती है|
5. पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएं|
उत्तर:-
6. यौवनारंभ या प्यूबर्टी के समय किशोर बालक बालिकाओं के शरीर में होनेवाले परिवर्तन का वर्णन करें|
उत्तर:-
किशोर अवस्था में होनेवाले कुछ परिवर्तन बालक और बालिकाओं में एकसमान होते हैं| जैसे कांख एवं दोनों जांघाओं के बीच तथा बाह्य जननांग के समीप बाल आने लगते हैं| टांगों तथा बाजुओं पर कोमल बाल उगने लगते हैं| त्वचा कुछ तैलीय होने लगती है| इस अवस्था में चेहरों पर फुंसियों का निकलना भी प्रारंभ हो सकता है| इन परिवर्तनों के अतिरिक्त किशोर बालक बालिकाओं के शरीर में अलग अलग प्रकार के कुछ परिवर्तन भी होने लगते हैं| जैसे, किशोर बालिकाओं के स्तनों में उभार आने लगता है| स्तन के केंद्र में स्थित स्तनाग्र के चारों ओर की त्वचा का रंग ज्यादा गाढ़ा होने लगता है| मासिक चक्र प्रारंभ हो जाता है| किशोर बालक में मूंछ और दाढ़ी का उगना प्रारंभ होने लगता है| स्वरयंत्र या लैरिंक्स के परिपक्व के कारण आवाज में भारीपन आने लगता है| वृषण में नर युग्मक शुक्राणु बनने लगते हैं| नर मैथुन अंग शिश्न के आकार में कुछ वृद्धि होने लगता है| मासिक भावनाओं के प्रभाव से कभी कभी शिश्न के आकार में सामान्य से ज्यादा अस्थायी वृद्धि तथा कठोरता आने लगती है|
7. पुरुष के आंतरिक जनन अंगों का वर्णन करें|
उत्तर:-
वृषण—
मनुष्य में एक जोड़ी वृषण होते हैं जो वृषण कोश में बंद रहते हैं| वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं| वृषण से शुक्राणु निकलने के बाद लगभग 48 घंटे तक जीवित रहते हैं| शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन कहलाता है| वृषण कोश शुक्राणुओं को शरीर के ताप से 1-3°C निम्न ताप प्रदान करते हैं| वृषण के कार्य—
शुक्राणु उत्पन्न करना,
नर लिंग हारमोन टेस्टोस्टेरोन की उतपति तथा स्रावण
यह वृषण देहगुहा में ही रह जाते हैं तो बन्ध्यता उत्पन्न होती है|
एपीडिडिमिस—-
यह एक नलिकाकार संरचना होती है जो वृषण के साथ मजबूती से जुड़ी रहती है| यह सेमिनीफेरस नलिकाओं से जुड़ी रहती है और शुक्राणुओं के लिए एक संचय घर का कार्य करती है|
शुक्राशय—-
एसीडिडिमिस से शुक्राणु वाहिनी द्वारा शुक्राणु शुक्राशय में आते हैं जहाँ ये पूरी तरह परिपक्व होते हैं तथा इनमें कुछ स्राव मिल जाते हैं|
प्रोस्टेट ग्रंथि—-
यह ग्रंथि कुछ विशिष्ट गंध या स्राव स्रावित करती है जो कि शुक्र रस मिल जाते हैं|
मूत्र मार्ग—
यह वह मार्ग है जिसमें से होकर मूत्र बाहर आता है| यह मूत्र मार्ग एक पेशीय अंग से निकलता है जिसे शिश्न कहते हैं| शिश्न का उपयोग मूत्र करने के साथ साथ शुक्राणुओं (शुक्ररस) को निकालने के लिए भी किया जाता है|
8. स्त्री में लैंगिक चक्र का वर्णन करें|
उत्तर:-
स्त्रियों में मासिक धर्म—-
स्त्रियों में यह चक्र 13-15 वर्ष की आयु में प्रारंभ होता है| यह यौवनावस्था होती है| स्त्रियों में मासिक धर्म 28 दिन का होता है| यही समय अंडाणु का पूर्ण जीवन काल होता है| इसकी अवस्थायें निम्नलिखित हैं——-
1. 1-5 वें दिन तक पुराना अंडाणु रजोधर्म के समय बाहर आता है| अंडाशय में नये अंडाणु की वृद्धि प्रारंभ हो जाती है|
2. 6-12 वें दिन तक अंडाशय से अंडाणु परिपक्व होकर ग्रेफियन फालिकिल बन जाता है|
3. 13-14 वें दिन में ग्रफियन फालिकिल अंडाशय से बाहर आकर अंडवाहिनी में पहुँच जाता है| ये अंडोत्सर्ग कहलाता है|
4. 15-16 वें दिन अंडाणु अंडवाहिनी और फिर गर्भाशय में आकर शुक्राणु से मिलने की प्रतीक्षा करता है| यदि इस बीच निषेचन होता है तो अंडाणु युग्मनज में परिवर्तित हो जाता है, जो विकास करके 9 माह में शिशु बनकर जन्म लेता है|
5. निषेचन नहीं होता है तो 17-28 वें दिन तक यह निष्क्रिय हो जाता है| 28 दिन बाद रजोधर्म से बाहर आता है|
6. यह चक्र एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टीरोन हार्मोन्स द्वारा नियंत्रित रहता है| स्त्रियों में रजोनिवृत्ति 45-50 वर्ष तक होती है| लड़कों में किशोरावस्था का प्रारंभ 13 से 15 वर्ष में होता है| इनमें कोई चक्र नहीं होता है| शुक्राणुओं का निर्माण जीवन भर होता है|
9. जनसंख्या नियंत्रण के लिए व्यवहार में लाए जानेवाले विभिन्न उपायों का वर्णन करें|
उत्तर:-
प्राकृतिक विधि—-
अगर कुछ दिनों तक संभोग (मैथुन) को रोक दिया जाए तब उस दौरान स्त्री की योनि में वीर्य का प्रवेश नहीं होगा जिससे अंडाणु निषेचन की संभावना नहीं रहेगी| अत:, संभोग के समय का समंजन कर अंडाणु निषेचन को रोका जा सकता है| सामान्यतः मासिक स्राव के 14 वें दिन अंडाशय से परिपक्व अंडाणु निकलते हैं, अर्थात अंडोत्सर्ग दो मासिक स्राव के दिन के समीप तथा उससे आगे के दिनों में संभोग से दूर रहा जाए तो प्रायः अंडाणु का निषेचन नहीं होगा|
यांत्रिक विधियाँ—-
इन दिनों पुरूषों और स्त्रियों, दोनों के लिए अलग अलग वैज्ञानिक यांत्रिकी तरीके अपनाए जा रहे हैं जिनसे अंडाणु निषेचन पर नियंत्रण किया जा सकता है| पुरूष के लिए कंडोम का उपयोग सबसे सरल और प्रभावी उपाय है| कंडोम बहुत ही पतले रबर जैसे पदार्थ की बनी होती है जिसे संभोग के पहले शिश्न के ऊपर एक आवरण की तरह डाल दिया जाता है| इससे स्खलन के समय वीर्य योनि में प्रवेश न करके इसी में एकत्रित रह जाता है| कंडोम के उपयोग से नर नारी AIDS जैसे जानलेवा लैंगीय संचारित रोगों से भी बचते हैं| स्त्रियों के लिए डायाफ्राम, कापर-T तथा लूप जैसे परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध है| डायाफ्राम को स्त्री की योनि में डालकर गर्भाशय की ग्रीवा या सर्विक्स में बैठा दिया जाता है| इससे वीर्य फैलोपियन नलिका में प्रवेश नहीं कर पाते हैं| कापर-T तथा लूप धातु या जिससे गर्भाशय की दीवार से बहुत अधिक मात्रा में म्यूकस निकलने लगता है| इसके कारण गर्भाशय की दीवार में भ्रूण का आरोपण नहीं हो पाता है|
रासायनिक विधियाँ—–
ऐसी विधियों में विभिन्न रसायनों से निर्मित गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया जाता है| जैसे रसायनों से निर्मित ऐसा क्रीम स्त्री की योनि में लगा दिया जाता है जो शुक्राणुओं को नष्ट कर देते हैं| इससे निषेचन नहीं हो पाता है| कृत्रिम तरीके से विभिन्न रसायनों द्वारा एस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टेरान जैसे हार्मोन बनाए गए हैं जो गर्भ निरोधक गोलियों के रूप में उपलब्ध है| स्त्रियाँ जब इनका सेवन करती है तब उनके सामान्य मासिक चक्र बाधित हो जाते हैं तथा अंडोत्सर्ग नहीं हो पाता है| यह जनसंख्या नियंत्रण की अत्यंत सुरक्षित और प्रभावी विधि है|
सर्जिकल विधियाँ—–
इसके अंतर्गत पुरूष नसबंदी किया जाता है| इसमें शल्य क्रिया द्वारा शुक्रवाहिका को काटकर धागे से बांध दिया जाता है जिससे वृषण में बनने वाले शुक्राणुओं का प्रवाह स्त्री की योनि में नहीं हो पाता है| स्त्रियों में होनेवाली इसी प्रकार की शल्य क्रिया स्त्री नसबंदी कहलाती है| इसमें फैलोपियन नलिका से नीचे गर्भाशय की ओर नहीं हो पाते| शल्य क्रिया के द्वारा गर्भाशय में पले रहे भ्रूण को उसके विकास की एक निश्चित अवधि से भीतर योनि के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है| इसे गर्भ का चिकित्सकीय समापन या MTP (medical termination of pregnancy) कहते हैं| अन्य विकसित देशों की तरह हमारे देश में भी MTP को कानूनी मान्यता प्राप्त हैं|
सामाजिक जागरूकता—–
जनसंख्या वृद्धि का मानव समाज पर प्रभाव तथा इसके नियंत्रण के लिए विभिन्न साधनों के उपयोग का प्रचार समाचारपत्रों, पत्रिकाओं, दूरदर्शन, पोस्टर या अन्य प्रचार के सशक्त माध्यमों द्वारा किया जाना अत्यंत आवश्यक है| इससे समाज में परिवार नियोजन के द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के प्रति मानव की जागरुकता बढ़ेगी|
10. लैंगिक जनन संचारित रोग क्या है?
उत्तर:-
यौन संबंध (लैंगिक संयोजन) से होनेवाले संक्रामक रोग को लैंगिक जनन संचारित रोग कहते हैं| ऐसे रोग कयी तरह के रोगाणुओं जैसे बैक्टीरिया, वाइरस, परजीवी प्रोटोज़ोआ, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा होते हैं| ऐसे रोगाणु मनुष्य की योनि, मूत्र मार्ग जैसे जननांगों या मुख या गुदा जैसे स्थानों के नम और उष्ण वातावरण में बहते हैं| उन व्यक्तियों में ऐसे रोगों के होने की संभावना अधिक होती| जो एक से अधिक व्यक्तियों के साथ लैंगिक संबंध रखते हैं| मनुष्य में होने वाले ऐसे रोग प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं—–
1. वायरस जनित रोग—-
सर्विक्स कैंसर, हर्पिस तथा एड्स मनुष्यों में वायरसों से होने वाली प्रमुख रोग है| एड्स, एचआईवी के कारण होनेवाले रोग है|
2. बैक्टीरिया जनित रोग—-
गोनोरिया, सिफलिस, यूरेथ्राइटिस तथा सर्विसाइटिस बैक्टीरिया के संक्रमण से होनेवाले कुछ प्रमुख रोग है|
3. प्रोटोज़ोआ जनित रोग—-
स्त्रियों के मूत्र जनन नलिकाओं एक प्रकार के प्रोटोज़ोआ के संक्रमण से होनेवाले रोग ट्राइकोमोन
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