Bharti Bhawan Biology Class-10:Chapter-3:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:जीव विज्ञान:कक्षा-10:अध्याय-3:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



                              परिवहन





अति लघु उत्तरीय प्रश्न





1. जीवों के शरीर में पदार्थों के स्थानांतरण के लिए विकसित तंत्र को क्या कहते हैं? 
उत्तर:- जीवों के शरीर में पदार्थों के स्थानांतरण के लिए विकसित तंत्र को रक्त परिवहन तंत्र कहते हैं|
2. संवहन ऊतक किसे कहते हैं? 
उत्तर:- पौधे में भोज्य पदार्थों के परिवहन में भाग लेने वाले ऊतक संवहन ऊतक कहलाता है|
3. चालिनी नलिकाएँ कहाँ पायी जाती है? 
उत्तर:- चालिनी नलिकाएँ तना के फ्लोएम में पायी जाती है|
4. वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं? 
उत्तर:- पौधों के वायवीय भागों में जल का रंध्रों द्वारा वाष्प के रूप में निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन है|
5. स्थानांतरण क्या है? 
उत्तर:- पौधों में जल, खनिज लवण और खाद्य पदार्थों के बहुत ऊंचाई तक संचरण को ही स्थानांतरण कहते हैं|
6. खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण किस रूप में होता है? 
उत्तर:- खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण एमीनो अम्ल के रूप में पौधों में हमेशा अधिक सांद्रता वाले भागों से कम सान्द्रता वाले भागों की ओर होता है|
7. खनिज लवणों का अवशोषण किस रूप में होता है? 
उत्तर:- आयन के रूप में
8. खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण क्यों जरुरी होता है? 
उत्तर:- खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण पौधों में पोषण के लिए आवश्यक है|
9. रक्त के विभिन्न अवयवों के नाम लिखें|
उत्तर:- प्लाज्मा, लाल रक्त कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ, रक्त पट्टिकाणु
10. रक्त परिसंचरण तंत्र के तीन प्रमुख अवयवों के नाम लिखें|
उत्तर:- रुधिर या रक्त, हृदय, रक्त वाहिनियाँ
11. रक्त किस प्रकार का ऊतक है? 
उत्तर:- तरल संयोजी ऊतक
12. लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण शरीर में कहाँ होता है? 
उत्तर:- लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण शरीर के फेफड़े में होता है|
13. मनुष्य में लाल और श्वेत रक्त कोशिकाओं का अनुपात क्या है? 
उत्तर:- लाल रक्त कणिकाएँ 45-50 लाख प्रति घन मिमी० जबकि श्वेत रक्त कणिकाएँ (5000-9000 प्रति घन मिमी०) 
14. रक्त लाल क्यों दिखते है? 
उत्तर:- रक्त में हीमोग्लोबिन (एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक) मौजूद होने के कारण रक्त लाल दिखाई देता है|
15. मनुष्य के हृदय में चार कौन कौन से वेश्म होते हैं? 
उत्तर:-
दायाँ अलिंद, बायाँ अलिंद, दायाँ निलय, बायाँ निलय
16. शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को हृदय के दाएँ अलिंद में ले जानेवाली रक्त वाहिनियों के नाम लिखें|
उत्तर:- दो अग्र महाशिराओं तथा एक पश्च महाशिरा द्वारा
17. हृदय के बाएँ अलिंद निलय छिद्र पर स्थित कपाट का नाम लिखें|
उत्तर:- द्विदली कपाट
18. फेफड़े से शुद्ध रक्त को बाएँ अलिंद में ले जाने वाली रक्तवाहिनी का नाम लिखें|
उत्तर:-फुफ्फुस शिराएँ
19. हृदय के वेश्मों का संकुचन क्या कहलाता है? 
उत्तर:- सिस्टाल
20. शरीर की ऐसी धमनी का नाम लिखें जिसमें विआक्सीजनित रक्त प्रवाहित होती है|
उत्तर:- फुफ्फुस धमनी
21. शरीर की ऐसी शिरा का नाम लिखें जिनमें आक्सीजनित रक्त प्रवाहित होता है|
उत्तर:- फुफ्फुस शिराएँ
22. विभिन्न शिरिकाएँ आपस में जुड़कर किस रक्तवाहिनी का निर्माण करती है? 
उत्तर:- शिरा रक्तवाहिनी
23. एक ऐसे एककोशिकीय पौधे का नाम बताएं जिसमें परिवहन विसरण के द्वारा होता है? 
उत्तर:- क्लैमाइडोमोनास
24. पौधों में जल तथा खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण करने वाले उत्तकों को क्या कहते हैं? 
उत्तर:- जाइलम एवं फ्लोएम
25. जलसंवहक उत्तक में पाए जानेवाले लंबी तथा बेलनाकार नलिकाएँ क्या कहलाती है? 
उत्तर:- वाहिकाएँ
26. जाइलम तथा फ्लोएम में किसकी कोशिकाएँ मृत होती है? 
उत्तर:- जाइलम की
27. जाइलम तथा फ्लोएम में कौन सा संवहन ऊतक खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण करता है? 
उत्तर:- फ्लोएम
28. पौधों में जल, खनिज लवण और खाद्य पदार्थों को पौधों के शीर्ष भागों तक पहुँचने वाली क्रिया क्या कहलाती है? 
उत्तर:- संवहन बंडल
29. रक्त या रुधिर किस प्रकार का ऊतक है? 
उत्तर:- तरल संयोजी ऊतक
30. दायाँ और बायाँ अलिंद एक दूसरे से किस रचना के द्वारा अलग होते हैं? 
उत्तर:- विभाजिका या सेप्टम द्वारा
31. उस शिरा का नाम बताएं जिसमें शुद्ध या आक्सीजनित रक्त का प्रवाह होता है? 
उत्तर:- फेफड़ा
32. वैसा रक्त प्लाज्मा जिसमें लाल रक्त कोशिकाएँ नहीं पायी जाती है, क्या कहलाता है? 
उत्तर:- लसीका
33. रक्त का संचार ज्यादा दबाव से किसमें होता है–धमनी और शिरा में|
उत्तर:- धमनी में
34. रकतचाप की माप किस उपकरण से की जाती है? 
उत्तर:- स्फिगनोमैनोमीटर
लघु उत्तरीय प्रश्न





1. जीवों में पदार्थों के परिवहन की परिभाषा लिखें|
उत्तर:- 
उपयोगी पदार्थों का उनके मूल स्रोतों से शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाने तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से निकालकर गंतव्य स्थान तक पहुँचाने की क्रिया को पदार्थों का परिवहन कहते हैं|
2. पौधों में जाइलम वाहिनियों में जल का स्थानांतरण किस प्रकार होता है? 
उत्तर:- पौधों में जाइलम वाहिनियों में जल का स्थानांतरण जड़ से लेकर पत्तियों तक होता है|
3. मूलरोम की कोशिकाओं में जल कैसे होता है? 
उत्तर:- कोशिका में कोशिका रस का परासरण दाब भूमिजल के दाब से अधिक होने से जल विसरण द्वारा मूलरोम की कोशिकाओं में जल प्रवेश कर जाता है|
4. वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्व है? 
उत्तर:-
पौधे के मूल से चोटी तक लगातार जल की धारा वाष्पोत्सर्जन के द्वारा ही प्रवाहित होती है| यह खनिज व अवशोषण एवं परिवहन में भी सहायता करता है| इसके अलावा यह पौधों में तापक्रम संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है|
5. एकदिशीय एवं द्विदिशीय स्थानांतरण में क्या अंतर है? 
उत्तर:- जाइलम में जल एवं खनिज लवण का संचलन ऊपर की ओर (एकदिशीय) होता, जबकि फ्लोएम में खाद्य पदार्थों का परिवहन ऊपर और नीचे दोनों एक (द्विदिशीय) होता है|
6  लाल रक्त कोशिकाएँ आक्सीजनवाहक है| कैसे? 
उत्तर:-
लाल रक्त कोशिका में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक हीमोग्लोबिन पाया जाता है| इसी कारण रक्त का रंग लाल होता है| हीमोग्लोबिन के अणु की क्षमता आक्सीजन के चार अणुओं से संयोजन की होती है| इसी गुण के कारण इसे आक्सीजन वाहक कहते| लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में श्वसन गैसों का परिवहन करती है तथा श्वसन के द्वारा लिए गए आक्सीजन से संयोग कर अस्थायी यौगिक आक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के संपूर्ण भाग में पहुँचता है|
7. श्वेत रक्त कोशिकाएँ लाल रक्त कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न है—-
उत्तर:-
लाल रक्त कोशिकाएँ—–
इनकी संख्या अधिक होती है|
ये अस्थिमज्जा में बनती है|
ये आक्सीजन का परिवहन करती है|
इसकी सतह पर लाल रंग का वर्णक हीमोग्लोबिन पाया जाता है|
श्वेत रक्त कोशिकाएँ—–
इनकी संख्या लाल रक्त कोशिका से कम होता है|
ये हमारी शरीर को बीमारियों और संक्रमण से बचाती है|
ये प्रतिरक्षी बनाती है जो आक्रमणकारियों से लड़ती है|
श्वेत रक्त थक्का जमाने में सहायक होता|
8. रक्त पट्टिकाणु का क्या महत्व है? 
उत्तर:-
ये विषाणु या थ्रोंबोसाइट्स कहलाता है| ये रक्त थक्का बनने में सहायक होता है|
9. धमनी और शिरा में अंतर बताइये—–
उत्तर:-
धमनी—
धमनी में शुद्ध रक्त बहता है|
धमनी रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाता है|
धमनी की दीवारें मोटी एवं लचीली होती है|
धमनी कपाटहीन होती है|
फुफ्फुस धमनी में अशुद्ध रक्त बहती है| जो अशुद्ध रक्त को फेफड़ों से हृदय में ले जाती है|
शिरा—-
शिरा में अशुद्ध रक्त बहता है|
शिराएँ, रक्त को विभिन्न अंगों से हृदय में ले जाता है| 
शिरा की दीवार धमनी की अपेक्षा पतली होती है|
शिराओं में हृदय की ओर खुलने वाले कपाट लगे होते हैं|
फुफ्फुस शिराओं में अशुद्ध आक्सीजन रक्त का संचार होता है और जो रक्त को फेफड़े से हृदय में ले जाती है|
10. रक्त के द्विगुण परिवहन का क्या अर्थ है? 
उत्तर:-
परिवहन को एक चक्र को पूरा करने में रक्त हृदय से होकर दो बार गुजरता है| इस प्रकार रक्त का परिवहन द्विगुण परिवहन कहलाता है| इसमें रक्त का अर्थ हृदय में भरना फिर उसका बाहर निकलना एक चक्र कहलाता है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न






1. जाइलम और फ्लोएम के मुख्य भेदों को लिखें—उत्तर:-
फ्लोएम—-
ये वाहिकाएँ पत्तियों द्वारा बनाये गए भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाती है|
ये जीवीत ऊतक होते हैं|
इनमें चालनी नलिकाएँ, साथी कोशिकाएँ और फ्लोएम मृदूतक और फ्लोएम रेशे पाये जाते|
जाइलम—-
ये बंडल जल और खनिज लवणों को जोड़ने से पौधे के सभी ऊपरी भागों तक पहुँचाते है|
ये मृत ऊतक होते हैं| जीवित भी हो सकते हैं|
इसमें वाहिकाएँ, वाहिनिकायें, जाइलम मृदूतक तथा काष्ठ रेशे पाये जाते हैं|
2. लंबे वृक्षों में पूरी ऊंचाई तक जल कैसे चढ़ता है? समझाएँ|
उत्तर:- एककोशिकीय पौधे यथा– क्लैमाइडोमोनास, युग्लीना एवं सरल बहुकोशिकीय शैवालों में पदार्थों का परिवहन विसरण द्वारा होता है| किन्तु जटिल बहुकोशिकीय पौधों में जल एवं खाद्य पदार्थों के परिवहन के लिए एक खास परिवहन तंत्र होता| इस पौधों में जाइलम एवं फ्लोएम विशिष्ट परिवहन ऊतक है| ये लम्बी लम्बी नलिकाओं के रूप में होती है| ये ऊतक जड़ से तना एवं पत्तियों तक फैले होते हैं| पत्तियों में ये शिराएँ एवं उनकी शाखाओं के रूप में देखी जा सकती है| जल एवं खनिज लवणों को जड़ द्वारा खींचे जाते हैं तथा जाइलम पत्तियों तक पहुँचाते है| प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा निर्मित भोज्य पदार्थ को फ्लोएम ऊतक विभिन्न अंगों को पहुँचा देता है| इस प्रकार बड़े जटिल वृक्षों में विभिन्न ऊंचाइयों तक जल का संवहन होता है| जाइलम को जल संवहक ऊतक भी कहा जाता है| इसमें पायी जाने वाली वाहिकाएँ एवं वाहिनिकायें मुख्य रूप से जल एवं खनिज पदार्थों को ऊंचाइयों तक पहुँचाते है| 
3. पौधों में खाद्य पदार्थों के परिवहन की क्रिया कैसे संपन्न होती है? सचित्र वर्णन करें|
उत्तर:-
पौधों में खाद्य पदार्थों एवं अन्य पदार्थों जैसे एमीनो अम्ल का स्थानांतरण पौधों में सदा अधिक सांद्रता वाले भागों से कम सांद्रता वाले भागों की ओर होता है| अधिक सांद्रता वाले भागों को संभरण सिरे और कम सांद्रता वाले भागों को उपयोग सिरे कहते हैं| खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण फ्लोएम की चालनी नालिकाओं द्वारा होता है| ये नलिकाएँ अत्यंत छोटे छिद्रोंवाले प्लेट से जुड़ी रहती है| अत: ये नलिकाएँ खाद्य पदार्थों के स्थानांतरण के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है| इस प्रकार पौधों में जल तथा खनिज लवणों के परिवहन के लिए एक तंत्र होता है जो जड़ से पौधों की ऊपरी भागों की ओर एकदिशीय पथ में गति करता है| खाद्य पदार्थों के स्थानांतरण के लिए एक अलग तंत्र होता है जो पत्तियों से नीचे की ओर अधोमुखी या संचयन अंगों, जैसे संचयी जड़ से ऊपर की ओर उपरिमुखी द्विदिशीय पथ में गति करता है| इस प्रकार पौधों में परिवहन के लिए दो स्वतंत्र पथ पाए जाते हैं| जल तथा खनिज लवणों का जाइलम से होनेवाले परिवहन को भौतिक बलों (मूल दाब, वाष्पोत्सर्जन आदि) द्वारा समझा जाता है, लेकिन खाद्य पदार्थों का फ्लोएम से होने वाले स्थानांतरण में ऊर्जा का उपयोग होता है| फ्लोएम पौधों की आवश्यकता खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण विभिन्न भागों में करता है|
4. मनुष्य के रक्त की संरचना का वर्णन करें|
उत्तर:-
रक्त एक तरल ऊतक है| इसे परिवहनयोजी ऊतक भी कहा जाता है| इसमें 55-60℅ हिस्सा जलीय घोल के रूप में पाया जाता है| इसे प्लाज्मा कहते हैं| शेष भाग में रक्त कोशिकाएँ पायी जाती है, रक्त गाढ़ा क्षारीय तरल पदार्थ हैं| इनकी संरचना इस प्रकार है—–
(क) प्लाज्मा—-
यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा द्रव है| यह रक्त में लगभग 55-60℅ होता है| इसमें 90℅ जल, 7℅ प्रोटीन, 0.9℅ अकार्बनिक लवण, 0.18℅ ग्लूकोज, 0.5℅ वसा तथा शेष कार्बनिक पदार्थ होते हैं|
(ख) रक्त कोशिकाएँ—–
आयतन के हिसाब से यह कुल रक्त के करीब 40-48℅ प्रतिशत भाग है| स्त्रियों में इसकी संख्या कम तथा पुरुषों में अधिक होती है| ये तीन प्रकार के होते हैं—-
लाल रक्त कण, श्वेत रक्त कण, प्लेटलेट्स या रक्त पट्टिकाणु
लाल रक्त कण—-
इसमें एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक लौहयुक्त हीमोग्लोबिन पाया जाता है| हीमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है| यह आक्सीजन का वाहक होता है| एक किलोग्राम हीमोग्लोबिन 1.3 मिली लीटर आक्सीजन हो सकता है| मनुष्य प्रतिदिन लगभग 30 लाख लाल रक्त कणों का निर्माण करता है और इतना ही नष्ट भी होते रहता है| लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में श्वसन के द्वारा लिए गए आक्सीजन से संयोग कर आक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है| इससे इसका रंग गुलाबी या लाल होता है|
श्वेत रक्त कण—-
ये अनियंत्रित आकार की न्यूक्लियस युक्त कोशिकाएँ है| ये रंगहीन कोशिकाएँ है| इनके कुछ कोशिकाओं के जीवद्रव्य में दानेदार कण पाये जाते हैं| जिनकी प्रकृति अम्लीय, क्षारीय या उभयनिष्ठ हो सकता है| इनकी संख्या लाल रक्त कणिका से कम होती है श्वेत रक्त कणिकाएँ हमारे शरीर की सुरक्षा प्रहरी का कार्य करती है| ये अलग अलग रोगाणुओं से लड़ने के लिए अलग अलग प्रकार के एंटीबॉडी बनाकर रासायनिक युद्ध करते हैं तथा हमारे शरीर को रोगाणु से रक्षा करते हैं|
रक्त पट्टिकाणु—-
यह अनियंत्रित आकार का तारानुमा कोशिकाएँ है| इनकी संख्या प्रति घन किलोमीटर 1.5 से 3 लाख तक होती है| इसे बिंबाणु या थ्रोंबोसाइट्स भी कहते हैं| यह रक्त को थक्का बनने में सहायता करते हैं|
5. मानव हृदय का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएं| वर्णन की आवश्यकता नहीं है|
उत्तर:- 
प्रश्न-6 का उत्तर का फोटो (मानव हृदय) वही उत्तर है|
6. मनुष्य के हृदय की संरचना का सचित्र वर्णन करें|
उत्तर:-
हृदय की आकार तिकोना होता है| इसका चौड़ा भाग आगे की ओर और संकरा भाग पीछे की ओर है तथा बाईं तरफ झुका होता है| हृदय पेरिटोनियम की एक दोहरी झिल्ली के अंदर बंद होता है, जिसे हृदयावरण या पेरीकार्डियम कहते हैं| पेरीकार्डियम की दोनों झिल्लियों के बीच की गुहा को पेरीकार्डियम गुहा कहते हैं| इस गुहा में पेरीकार्डियम द्रव भरा रहता है| यह द्रव हृदय को बाहरी आघातों से तथा हृदय गति के दौरान हृदय और पेरीकार्डियम झिल्ली के बीच होनेवाले संभावित घर्षण से बचाता है| मनुष्य तथा मैमेलिया वर्ग के अन्य जंतुओं में चार वेश्म होते हैं जो दायाँ और बायाँ अलिंद या आरिकिल तथा दायाँ और दायाँ निलय या वेंट्रिकल कहलाते हैं तथा ये दोनों एक विभाजिका या सेप्टम के द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं| इस सेप्टम को अंतराअलिंद भित्ति कहते हैं| दायाँ और बायाँ निलय हृदय के संकरे पश्चभाग में स्थित होते हैं तथा ये एक दूसरे से अंतराविलय भित्ति के द्वारा अलग होते हैं| दोनों अलिंद की दीवार पतली होती है जबकि निलय की दीवार इनके अपेक्षाकृत ज्यादा मोटी होती है| बाएँ निलय की दीवार दाएँ निलय की दीवार की अपेक्षा तिगुनी या चौगुनी होती है| दायाँ अलिंद दाएँ निलय में एक छिद्र, जिसे दायाँ अलिंद निलय छिद्र कहते हैं, के द्वारा खुलता है| इस छिद्र पर एक झिल्ली कपाट पाया जाता है जो रक्त को दाएँ अलिंद से दाएँ निलय में जाने तो देता है, परंतु वापस नहीं आने देता| इसी प्रकार, बायाँ अलिंद बाएँ निलय में बायाँ निलय छिद्र के द्वारा खुलता है| इस छिद्र पर एक झिल्ली कपाट या मिट्रल कपाट होता है जो रक्त को बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में जाने देता है, किंतु विपरीत दिशा में वापस नहीं आने देता है| दाएँ निलय के अगले भाग की बाईं ओर से बड़ी फुफ्फुस चाप निकलती है| फुफ्फुस चाप के निकलने के स्थान पर तीन अर्धचंद्राकार वाल्व स्थित होते हैं| इस वाल्व के कारण रक्त दाएँ निलय से फुफ्फुस चाप में जाता तो है, परंतु फिर वापस नहीं आ सकता| फुफ्फुस चाप आगे की ओर दाईं ओर बाईं फुफ्फुस धमनियों में बंट जाता है जो रक्त को फेफड़ों में ले जाते हैं| बाएँ निलय के अगले भाग के दाएँ कोने से महाधमनी या महाधमनी चाप निकलता है| इस महाधमनी के उदगम स्थान पर भी तीन अर्धचंद्राकार वाल्व होते हैं जो रक्त को केवल बाएँ निलय से महाधमनी की ओर ही प्रवाहित होने देते हैं| शरीर के सभी भागों (फेफड़ों को छोड़कर) में जानेवाली धमनियाँ महाधमनी चाप से ही निकलती हैं| दाएँ अलिंद में दो अग्र महाशिराएं एक पश्च महाशिरा खुलती है जो शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त दाएँ अलिंद में लाती है| बाएँ अलिंद में फुफ्फुस शिराएँ खुलती है जो फेफड़ों से शुद्ध बाएँ अलिंद में लाती है|
7. मनुष्य के हृदय की कार्यविधि को समझाएँ|
उत्तर:-
हृदय शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को ग्रहण करता है| वह उस अशुद्ध रक्त को आक्सीजन के द्वारा शुरू करने के लिए फेफड़े में भेजता है| हृदय पुनः उस शुरू रक्त को फेफड़े से ग्रहण करता है और शरीर के विभिन्न भागों में पम्प कर देता है जिससे सम्पूर्ण शरीर में रक्त का परिसंचरण होता है| यह कार्य हृदय की पेशीय भित्ति के संकुचन के द्वारा संपन्न होता है| हृदय के वेश्मों अलिंद और निलय में बारी बारी संकुचन तथा शिथिलन होता है| हृदय के वेश्मों का संकुचन सिस्टाल तथा शिथिलन डायस्टाल कहलाता है| शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त दो अग्र महाशिराओं एवं एक पश्च महाशिरा के द्वारा दायें अलिंद में पहुँचता है| फेफड़ों से शुद्ध रक्त फुफ्फुस शिराओं के द्वारा बायें अलिंद में पहुँचता है| इसके बाद दोनों अलिंदों में संकुचन तथा साथ साथ दोनों निलय में शिथिलन होता है| फलतः अशुद्ध रक्त दायें अलिंद में दायाँ अलिंद निलय छिद्र के द्वारा दायें निलय में तथा शुद्ध रक्त बायें अलिंद से बायें अलिंद निलय छिद्रों के द्वारा बायें निलय में पहुँच जाता है| जब दोनों अलिंद खाली हो जाते हैं तथा दोनों निलय रक्त से भर जाते हैं तब निलयों में संकुचन तथा अलिंदों में संकुचन होता है| इस समय दायाँ अलिंद निलय छिद्र द्विदली कपाट के द्वारा बंद हो जाते हैं| इसके फलस्वरूप दायें निलय से अशुद्ध रक्त फुफ्फुस धमनियों द्वारा फेफड़े में चला जाता है| जहाँ गैसीय आदान प्रदान के द्वारा शुद्ध होता है, इसी समय बायें निलय में पहुचा शुद्ध रक्त महाधमनी में पहुँचता है और फिर वहाँ से धमनियों के द्वारा शरीर के सभी भागों में संचारित होता है| इस प्रकार हृदय अपना कार्य संपन्न करता है|

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ