Bharti Bhawan Physics Class-9:Chapter-5:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भौतिकी:कक्षा-9:अध्याय-5:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



कार्य, ऊर्जा और शक्ति




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न






1. विज्ञान में दृष्टिकोण से हम कहते हैं कि कार्य किया गया है? 
उत्तर:-
जब किसी वस्तु पर बल लगे और वह वस्तु बल लगने से विस्थापित हो तो हम कहते हैं कि कार्य किया गया है|
2. जब किसी वस्तु पर लगनेवाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किये गए कार्य का व्यंजक लिखें|
उत्तर:- W=Fs
3. किसी वस्तु के 5N का बल लगाकर उसे गतिशील किया जाता है| यदि वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति पर लौटकर वापस आ जाए तो किया गया कार्य कितना होगा? 
उत्तर:- शून्य (क्योंकि किसी वस्तु पर लगाने से उसके स्थान में परिवर्तन होता है तभी उसको कार्य समझा जाता है) 
4. 1 जूल (J) को परिभाषित करें|
उत्तर:-
एक जूल कार्य की वह मात्रा है जो एक न्यूटन के बल द्वारा किसी वस्तु को बल की दिशा में एक मीटर की दूरी से चलाने में किया गया है|
5. एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है| यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है| पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु पर एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित है| पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया? 
उत्तर:-
पिंड पर गुरुत्व बल ऊर्ध्वाधर दिशा में लगता है और इस दिशा में पिंड का विस्थापन शून्य है, अतः कार्य भी शून्य होगा|
6. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? 
उत्तर:-
किया गया कार्य शून्य होगा, क्योंकि उपग्रह बल और उपग्रह का विस्थापन हमेशा एक दूसरे के लंबवत होते हैं|
7. किसी वस्तु का त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कयी बल कार्य कर रहे हों| क्या आप इससे सहमत हैं? बताइये क्यों? 
उत्तर:-
हाँ, सहमत हैं क्योंकि यदि किसी वस्तु पर लगनेवाले सभी बलों का परिणामी शून्य हो तो वस्तु का त्वरण भी शून्य होगा|
8. किसी वस्तु का गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखें|
उत्तर:-
E=1/2mv2
9. क्या किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा का ऋणात्मक मान हो सकता है? 
उत्तर:- हां
10. ऊपर की ओर फेंकी गयी किसी वस्तु में जैसे जैसे वह ऊपर जाती है, उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है या कमी? 
उत्तर:- उसकी गतिज ऊर्जा में धीरे धीरे कमी आयेगी|
11. समान द्रव्यमान की दो वस्तुओं को h तथा 2h ऊंचाईयों पर रखा गया है उसकी स्थितिज ऊर्जाओं का अनुपात क्या होगा? 
उत्तर:-1:2
क्योंकि स्थितिज ऊर्जा=mgh 
mgh/mg2h=1/2
12. क्या किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा ऋणात्मक हो सकती है? 
उत्तर:- नहीं
13. ऊर्जा, कार्य करने की क्षमता है तो, कार्य करने की समय दर को क्या कहते हैं? 
उत्तर:- कार्य करने की समय दर को शक्ति कहते हैं|
14. कोई पिंड एक निश्चित ऊंचाई से गिराया जाता है| गिरते समय किस प्रकार की ऊर्जा का रुपांतरण हो रहा है? 
उत्तर:- गिरते समय उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलने लगती है|
15. मुक्त रुप से गिरता हुआ पिंड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाती है| इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है? 
उत्तर:-
पिंड की गतिज ऊर्जा ऊष्मा और ध्वनि के रूप में परिवर्तित हो जाती है|
16. शक्ति क्या है? 
उत्तर:-
प्रति इकाई समय में किये गए कार्य को शक्ति कहते हैं| अर्थात् शक्ति कार्य करने की समय दर है|
17. 1 वाट शक्ति को परिभाषित करें|
उत्तर:-
यदि कार्य जूल (J) में और समय सेकेंड (s)  में मापा गया हो तो शक्ति का मात्रक जूल प्रति सेकेंड (संकेतJ/s) होगा| जूल प्रति सेकेंड को ब्रिटेन के वैज्ञानिक वाट के सम्मान में वाट (Watt) कहा जाता है, जिसका संकेत W  है| वाट शक्ति का SI मात्रक है| अतः 1W=1J/s




18. 1 किलोवाट घंटा (1kWh) की परिभाषा दें|
उत्तर:-
1 1 किलोवाट kW की दर से 1 घंटे में व्यय ऊर्जा 1 किलोवाट घंटा(1kWh) कहलाती है|
19. 1kW की दर से 1 घंटे में व्यय हुयी ऊर्जा कितने किलोग्राम घंटा के बराबर होती है? 
उत्तर:-
1kWh=(1 किलोवाट) (1 घंटा) =(1000 वाट) ×(60×60 सेकेंड) =3.6×(10)6 वाट सेकेंड=3.6×(10)6 जूल (J) 
1kWh=3.6×(10)6J
20. ऊर्जा का रुपांतरण की दर को क्या कहते हैं? 
उत्तर:- शक्ति
21. यदि दो व्यक्ति 50 किलोग्राम द्रव्यमान की दो वस्तुओं को अलग अलग 2 तथा 5 मिनटों में 50 मीटर की ऊंचाई पर ले जाते हैं तो वस्तु पर किसी व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य अधिक होगा? 
उत्तर:-
दोनों व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य समान होगा क्यूँकि कार्य समय पर निर्भर नहीं करता है|
22. यदि किसी मशीन को 5000 J कार्य करने में 10 s का समय लगता है तो उसकी शक्ति क्या होगी? 
उत्तर:-
शक्ति= कार्य/समय 
5000/10= 500 w
लघु उत्तरीय प्रश्न







1. विज्ञान के दृष्टिकोण से कार्य की जो परिभाषा है, उसके अनुसार बताये कि निम्नलिखित क्रियाकलापों में कार्य हो रहा है अथवा नहीं——
क. ऊषा एक तालाब में तैर रही है|
ख. एक घोड़े ने अपनी पीठ पर बोझ उठा रखा है|
ग. एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है|
घ. एक पौधे का हरी पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है|
ड़. एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है|
च. अनाज के दाने धूप में सूख रहे हैं|
छ. एक पाल नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है|

उत्तर:- क. हां, ख. नहीं, ग. हाँ, घ. नहीं, ड़. हाँ, च. हाँ, छ. नहीं
2. 10 kg द्रव्यमान की एक वस्तु को मेज पर किसी बिन्दु A से दूसरे बिंदु B  तक लाया जाता है| यदि A तथा B को मिलानेवाली रेखा क्षैतिज हो तो वस्तु पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए|
उत्तर:- गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा, क्योंकि यहाँ वस्तु का A से B तक विस्थापन गुरुत्व बल के लंबवत दिशा में हो रहा है|
3. क्या किसी पिंड पर लगनेवाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? अपने उत्तर की व्याख्या करें|
उत्तर:-
हाँ, बल की अनुपस्थिति में भी पिंड का विस्थापन हो सकता है| बल की अनुपस्थिति (अर्थात्  F=0) में पिंड का त्वरण शून्य होगा और पिंड एकसमान वेग से गतिशील रहेगी (न्यूटन के प्रथम गति नियम से) 
4. कोई मनुष्य किसी बोझ को अपने सिर आधे घंटे तक रखे रहता है और थक जाता है| क्या उसने कोई कार्य किया या नहीं? 
उत्तर:-
चूंकि ऐसी स्थिति में बोझ का विस्थापन शून्य है, इसलिए मनुष्य ने कोई कार्य नहीं किया|
5. निम्नलिखित में प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान की वस्तु पर एक बल F लग रहा है (चित्र)| वस्तु का विस्थापन s है| बताइये कि किया गया कार्य धनात्मक है, ऋणात्मक है या शून्य है? 
उत्तर:-
क. शून्य कार्य, ख. धनात्मक कार्य, ग. ऋणात्मक कार्य
6. किसी वस्तु का द्रव्यमान दुगुना करने पर या उसका वेग दुगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा किस स्थिति में अधिक प्रभावित होगी? 
उत्तर:- वस्तु का द्रव्यमान दुगुना कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा दुगुनी हो जाएगी बशर्ते उसकी चाल समान रहे|
7. जब कोई चालक किसी पहाड़ी पर अपना वाहन चढ़ाता है तब उसकी चाल को क्यों बढ़ा देता है? 
उत्तर:- जब चालक वाहन को पहाड़ी पर चढ़ाता है तब वाहन की स्थितिज ऊर्जा उसकी गतिज ऊर्जा की कीमत पर चढ़ती है| अतः स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण गतिज ऊर्जा की सभी को पूरा करने के लिए चालक वाहन की चाल को बढ़ा देता है|
8. मुक्त रूप से गिरते हुए एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम हो जाती है| क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करता है? कारण बतायें|
उत्तर:- पिंड ऊर्जा सिद्धांत के नियम का उल्लंघन नहीं करता है| मुक्त रुप से गिरते पिंड की स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में रुपांतरित होती जाती है|
9. जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गयी ऊर्जा कहाँ चली जाती है|
उत्तर:- हां, इस अवस्था में भी ऊर्जा का स्थानांतरण (रुपांतरण) होता है| हमारे द्वारा व्यय की गयी ऊर्जा ऊष्मा (ऊर्जा) में रुपांतरित हो जाती है|
10. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन कौन सी ऊर्जाओं के रुपांतरण होते हैं? 
उत्तर:- जब हम साइकिल चलाते हैं तो हमारी पेशियों में संचित रासायनिक ऊर्जा पैडल को यांत्रिक ऊर्जा में रुपांतरित होती है और फिर इस ऊर्जा से साइकिल के चक्कों को गतिज ऊर्जा प्राप्त होती है|
11. एक बैटरी बल्ब जलाती है| इस प्रक्रम में होनेवाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन करें|
उत्तर:- बैटरी में रासायनिक ऊर्जा संचित रहती है| जब बल्ब जलता है तो वही रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा के रूप में और फिर यह विद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा और ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है|
12. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है| इसमें होनेवाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करें| गोलक कुछ समय पश्चात विराम अवस्था में क्यों नहीं आ जाता है? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है? 
उत्तर:- जब सरल लोलक का गोलक निर्वात में दोलन करता है तो स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा का स्थितिज ऊर्जा में रुपांतरण होता रहता है| परन्तु गोलक की कुल यांत्रिक ऊर्जा अर्थात उसके स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा का योग हमेशा नियत रहता है (ऊर्जा के संरक्षण सिद्धांत) | परन्तु जब गोलक वायु में दोलन करता है तो दोलन के क्रम में वायु से संघर्ष के विरुद्ध कार्य करते करते उसकी ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में रुपांतरित होती जाती है और अंततः कुछ समय पश्चात गोलक विराम की अवस्था में आ जाता है|
13. कार्य, शक्ति और ऊर्जा में विभेद करें|
उत्तर:-
कार्य—
जब कोई वस्तु किसी बल के प्रभाव के अधीन चलती है तब कार्य सम्पन्न हुआ कहा जाता है| यदि वस्तु पर आरोपित बल F हो और वस्तु द्वारा बल की दिशा में तय की गयी दूरी S हो, तो सम्पन्न कार्य W=Fs कार्य का मात्रक जूल(J) होता है|
ऊर्जा—
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं| ऊर्जा का मात्रक भी जूल (J) होता है|
शक्ति—
प्रति इकाई (एकांक) समय में किये गए कार्य को शक्ति कहते हैं| शक्ति का मात्रक वाट (W) होता है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न







1. कार्य की परिभाषा लिखें| धनात्मक कार्य, ऋणात्मक कार्य और शून्य कार्य की सोदाहरण व्याख्या करें|
उत्तर:-
बल और दिशा की दिशा में तय की गयी दूरी के गुणनफल को बल के द्वारा किया गया कार्य कहा जाता है|
धनात्मक कार्य—-
मान लिया कि किसी टेबुल पर रखे लकड़ी के एक टुकड़े पर एक नियत बल (Constant Force) f कार्य करता है और उस गुटके की अपनी दिशा में s दूरी तक विस्थापित करता है| तब कार्य की परिभाषा से गुटके पर बल F द्वारा किया गया कार्य
W=Fs
उदाहरण के लिए, जब कोई वस्तु नीचे की ओर गिरती है तब उसका विस्थापन पृथ्वी के गुरुत्व बल की दिशा में होता है| अत: इस स्थिति में गुरुत्व बल के द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है|
ऋणात्मक कार्य—–
जब किसी वस्तु का विस्थापन बल की दिशा के विपरीत दिशा में होता है तब विस्थापन और बल की दिशाओं के बीच 180° का कोण बनता है और ऐसी स्थिति में बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक माना जाता है| अतः
W=-Fs
उदाहरण के लिए, यदि किसी गेंद को ऊपर की ओर फेंका जाये तो उसका विस्थापन ऊपर की दिशा में होगा जबकि गुरुत्व बल नीचे की ओर लगता है| अतः गेंद की ऊपर की गति के क्रम में गेंद पर गुरुत्व बल द्वारा ऋणात्मक कार्य होता है|
शून्य कार्य—
जब किसी वस्तु का विस्थापन बल की दिशा में अभिलंब होता है तब विस्थापन और बल की दिशाओं के बीच 90° का कोण बनता है और ऐसी स्थिति में बल द्वारा किया गया कार्य शून्य माना जाता है| अर्थात
W=0
उदाहरण के लिए, जब किसी वस्तु डोरी के एक सिरे पर बंधे पत्थर को क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है| तब पत्थर पर बल डोरी के अनुरेख वृत्त के केंद्र की ओर हमेशा लगता है जबकि हर क्षण पत्थर का वेग वृत्त पर स्पर्श रेखा की दिशा में होता है, अर्थात हर क्षण पत्थर लगे हुए बल की दिशा में अभिलंब चलता है| अतः इस स्थिति में बल द्वारा पत्थर पर किया गया कार्य शून्य होगा| प्रकृति में ऐसी गति के अनेक उदाहरण है| सूर्य के चारों ओर घूमती हुई पृथ्वी, पृथ्वी के चारों ओर घूमता कृत्रिम उपग्रह आदि ऐसी गति के उदाहरण है| 
2. गतिज ऊर्जा की परिभाषा दें| v वेग से गतिशील m द्रव्यमान के पिंड की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त करें|
उत्तर:-
किसी वस्तु को उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं|
गतिज ऊर्जा का व्यंजक—–
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा कार्य की उस मात्रा द्वारा दी जा सकती है उसे विराम में आने से पहले उस वस्तु द्वारा की जा सकती है| मान लिया कि द्रव्यमान m की कोई वस्तु (पिंड) वेग से v के साथ चल रही है और वस्तु पर कोई अचर विरोधी बल F  गति की विपरीत दिशा में लगता है जिसके कारण वस्तु की दिशा में दूरी s तय करके रुक जाती है| चूंकि अंतिम वेग शून्य है, गति के समीकरण से, 02=v2+2as, जिससे a=-v2/2s
ऋणात्मक चिन्ह बताता है कि त्वरण a वेग v की दिशा के विपरीत दिशा में है| अतः बल F  की दिशा में त्वरण  +v2/2s है| अब वस्तु की गतिज ऊर्जा
Ek=  विराम में आने से पहले वस्तु द्वारा बल के विरुद्ध किया गया कार्य
Fs=mas
=msv2/2s
Ek=1/2mv2
3. स्थितिज ऊर्जा की परिभाषा दें| पृथ्वी तल से h ऊंचाई पर m द्रव्यमान के किसी पिंड की स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त करें|
उत्तर:-
किसी वस्तु को उसकी स्थिति या आकृति में परिवर्तन के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है उसे उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं|
स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक—–
मान लिया कि द्रव्यमान m  की किसी वस्तु को पृथ्वी तल से ऊंचाई h तक उठाया गया है| वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्व बल mg, ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर लगता है| जहाँ g गुरुत्वीय त्वरण है| अतः गुरुत्व बल के विरुद्ध किया गया कार्य होगा
W=बल×दूरी=mgh
कार्य का यह परिमाण वस्तु और पृथ्वी के निकाय में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाएगा| अतः निकाय की स्थितिज ऊर्जा है|
Ep=mgh
4.  ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत लिखें और इसे गणितीय रूप से सत्यापित करें|
उत्तर:-
ऊर्जा न तो उत्पन्न होती है और न नाश होता है, केवल उसका रुपांतरण होता है| इसे ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत कहते हैं| माना कि m द्रव्यमान का पिंड पृथ्वी पृष्ठ संख्या h ऊंचाई पर स्थित है|
A पर स्थित ऊर्जा=mgh
A पर गतिज ऊर्जा=1/2 mv2=0
अतः A पर कुल ऊर्जा= स्थितिज ऊर्जा+ गतिज ऊर्जा
=mgh+0=mgh
A से पिंड विराम अवस्था से नीचे गिरता है तथा x दूरी तय करने के बाद B पर पहुँचता है, B पर—-
u=0, v=? दूरी=x
हम जानते हैं कि v2=u2+2gh
(0)2+2gx
v2=2gx
B पर गतिज ऊर्जा=1/2mv2
=1/2×m×2gx=mgx
B पर स्थितिज ऊर्जा= mg(h-x) 
mgh-mgx
B पर कुल ऊर्जा=स्थितिज ऊर्जा+गतिज ऊर्जा
=mgh-mgx+mgx=mgh
जब वस्तु पृथ्वी पृष्ठ C पर रहता है, तो
C पर ऊँचाई h=0, u=0, v=?, दूरी=h
v2=u2+2gh=(0)2+2gh
v2=2gh
C पर स्थितिज ऊर्जा=mgh=0(h=0) 
C  पर गतिज ऊर्जा=1/2mv2
=1/2m×2gh=mgh
C पर कुल ऊर्जा=स्थितिज ऊर्जा+गतिज ऊर्जा
0+mgh=mgh
A, B, C से पिंड का कुल ऊर्जा अचर रहता है, इससे ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का सत्यापन होता है|
5. दिखायें कि मुक्त रुप से गिरते हुए पिंड की कुल ऊर्जा नियत रहती है| 
उत्तर:: मान लिया कि द्रव्यमान m की कोई वस्तु पृथ्वी तल से h ऊंचाई पर स्थित है| चूंकि वस्तु विराम में है, इसकी गतिज ऊर्जा Ek=0 है और इसकी स्थितिज ऊर्जा Ep=mgh है, इसलिए स्थिति A पर इसकी कुल ऊर्जा होगी
E1=Ek1+Ep1=0+mgh=mgh
मान लिया कि जब वस्तु को गुरुत्व बल के अधीन मुक्त रुप से नीचे गिरने दिया जाता है| जब वह स्थितिज्ञ A से  s दूरी नीचे स्थित B पर जाती है तब पृथ्वीतल से उसकी ऊंचाई (h-s) है| चूंकि वस्तु का प्रारंभिक वेग (u) शून्य था, इसलिए स्थिति B पर इसका वेग v समीकरण v2=u2+2as से मिलेगा
v2=2gs (a=g) 
अतः स्थिति B पर इसकी गतिज ऊर्जा
Ek2=1/2mv2=1/2m•2gs=mgs
और कुल ऊर्जा होगी
E2=Ek2+Ep2=mgs+mg(h-s)=mgh=E1

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ