Bharti Bhawan Physics Class-9:Chapter-6:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भौतिकी:कक्षा-9:अध्याय-6:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

                                 ध्वनि





अतिलघु उत्तरीय प्रश्न






1. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं? 
उत्तर:-
ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती है| अत: यांत्रिक तरंगें कहलाती है|
2. तरंग कितने प्रकार की होती है? उनके नाम बतायें|
उत्तर:-
तरंग दो प्रकार की होती है| अनदैर्घ्य तरंग, अनुप्रस्थ तरंग
3. वायु में ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य है या अनुप्रस्थ? 
उत्तर:-
अनुदैर्घ्य तरंग
4. किसी माध्यम के कंपित कणों का माध्यम स्थिति से महत्तम विस्थापन को क्या कहते हैं? 
उत्तर:-
माध्य स्थिति से महत्तम विस्थापन के आयाम कहते हैं|
5. क्या दो क्रमित शीर्षों गर्तों के बीच की दूरी को तरंग का तरंगदैर्घ्य कहते हैं|
उत्तर:- हां, दो क्रमित शीर्षों अथवा गर्तों के बीच की दूरी को तरंगदैर्घ्य कहते हैं|
6. क्या प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें हैं? 
उत्तर:-
नहीं, प्रकाश तरंगें अनुदैर्घ्य तरंग है|
7. किसी तरंग (जैसे ध्वनि तरंग) की चाल किन दो राशिओं पर निर्भर करती है? 
उत्तर:-
तरंग की आवृत्ति और उसके तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करती है|
8. एक व्यक्ति अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गया हुआ है| क्या वह व्यक्ति अपने मित्र द्वारा वहाँ उत्पन्न ध्वनि को सुन सकता है? 
उत्तर:- नहीं, चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं है जिससे होकर ध्वनि अपनी गति कर सके | हम जानते हैं कि ध्वनि की गति माध्यम से कणों में उत्पन्न कंपन के कारण होती है| अतः इसके अभाव में मित्र से उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन सकता है|
9. किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य उसकी चाल से किस प्रकार संबंधित है? 
उत्तर:- ध्वनि तरंग की चाल= तरंगदैर्घ्य× आवृत्ति
10. आवृत्ति और आवर्तकाल में क्या संबंध है? 
उत्तर:- आवर्तकाल× आवृत्ति=1
11. क्या किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के ताप पर निर्भर करती है? 
उत्तर:- हां, किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के ताप पर निर्भर करती है, माध्यम का ताप बढ़ने से ध्वनि की चाल बढती है|
12. वायु, जल तथा लोहे में से किस माध्यम से ध्वनि की चाल सबसे तेज होती है|
उत्तर:- ध्वनि वायु (346 मीटर/सेकेंड), जल(1498 मीटर/सेकेंड) से अधिक तेज लोहे (5950 मीटर/सेकेंड) माध्यम में चलती है|
13. तरंग का कौन सा गुण (1) प्रबलता और (2) तारत्व को निर्धारित करता है? 
उत्तर:- ध्वनि की गुणता वह अभिलक्षण है जो हमें समान तारत्व तथा प्रबलता की दो ध्वनियों में अंतर करने में मदद करता है|
14. क्या आप बता सकते हैं कि (1) सितार तथा (2) कार का हार्न में से किसके द्वारा उत्पन्न ध्वनि का तारत्व अधिक है? 
उत्तर:- कार के हार्न में
15. सामान्य मानव कान के लिए श्रव्यता परास क्या है? 
उत्तर:- मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर लगभग 20HZ से 20000HZ (One HZ=one cycle) तक होता है|
16. निम्नलिखित ध्वनियों से संबंधित आवृत्तियों का परास लिखें——-
(क) अपश्रव्य तरंगें 
उत्तर:- 20HZ से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं|
(ख) पराश्रव्य तरंगें
उत्तर:- 20kHz (20,000 Hz) से अधिक की ध्वनियों को पराध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं, इनको भी हम सुन नहीं सकते| डालफिन, चमगादड़ इत्यादि पराध्वनि उतपन्न करते हैं|
17. हर्ट्ज किस राशि का मात्रक है? 
उत्तर:- आवृत्ति का
18. प्रतिध्वनि किसे कहते हैं? 
उत्तर:- किसी विस्तृत अवरोध से ध्वनि के परावर्तित होकर उसके पुनः सुने जाने की घटना को प्रतिध्वनि कहते हैं|
19. 20 Hz से कम आवृत्तिवाली ध्वनि को क्या कहते हैं– अवश्रव्य या पराश्रव्य ध्वनि? 
उत्तर:- अवश्रव्य ध्वनि
20.  ध्वनि के बहुल परावर्तन के उपयोग के कोई दो उदाहरण लिखें|
उत्तर:- डाक्टरी स्टेथोस्कोप, हार्न, बिगुल तथा मेकफोन और लाउडस्पीकर इत्यादि में
21. ध्वनि की आवृत्ति 500 Hz है| आवर्तकाल का मान क्या होगा? 
उत्तर:-
आवृत्ति=1/आवर्तकाल
500=1/आवर्तकाल
आवर्तकाल=1/500=0.002 सेकेंड
22. एक ध्वनि तरंग के आवर्तकाल का मान 0.01 सेकेंड है| ध्वनि तरंग की आवृत्ति क्या होगी? 
उत्तर:-
आवृत्ति=1/आवर्तकाल=1/0.018=100/1 =100 Hz
आवृत्ति का मात्रक हर्ट्ज Hz होता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न






1. अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्घ्य तरंग में क्या अंतर है? हवा में ध्वनि तरंग किसी प्रकार की तरंग है? 
उत्तर:- 


अनुदैर्घ्य तरंग:-
एक अनुदैर्घ्य तरंग में माध्यम के कण तरंग की दिशा में गति करते हैं|
अनुदैर्घ्य तरंग ठोस तथा गैसों से संचरित हो सकती है|
अनुदैर्घ्य तरंग में संपीडन तथा विरलन होते हैं|
हवा में ध्वनि तरंग अनुदैर्घ्य तरंग है|
अनुप्रस्थ तरंग:-
एक अनुप्रस्थ तरंग में, माध्यम के कण तरंग की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं|
अनुप्रस्थ तरंगें ठोस से तथा द्रव्यों की ऊपरी सतह पर से ही संचरित हो सकती है|
अनुप्रस्थ तरंगों में श्रृंग तथा गर्त होते हैं|
2. तरंगदैर्घ्य की परिभाषा दें| इसके मात्रक को भी लिखें|
उत्तर:-
किसी तरंग गति में वह न्यूनतम दूरी जिसपर किसी माध्यम का घनत्व (या दाब)आवर्ती रूप से अपने मान की पुनरावृत्ति करता है, तरंग का तरंगदैर्घ्य कहा जाता है| तरंगदैर्घ्य का SI मात्रक मीटर ( m) है|
3. किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति, आवर्तकाल, तरंगदैर्घ्य तथा आयाम से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-
आवृत्ति—
आवृत्ति से ज्ञात होता है कि घटना कितनी जल्दी जल्दी घटित होती है| एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है| इसे सामान्यतया v(न्यू) में प्रदर्शित किया जाता है| इसका SI मात्रक हर्ट्ज होता है|
आवर्तकाल—
दो क्रमागत संपीडनों या क्रमागत विरलनो ं को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं, इसका SI मात्रक सेकेंड (s) है| आवृत्ति तथा आवर्तकाल के संबंध को निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं—–
v=1/T
तरंगदैर्घ्य—
दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है| तरंगदैर्घ्य को सामान्यतः लैम्डा से निरुपित किया जाता है, इसका SI मात्रक मीटर (m) होता है|
आयाम—
किसी माध्यम में मूल स्थितिज के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं| ध्वनि के लिए इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होगा| ध्वनि प्रबलता या मृदुलता इसके आयाम से ज्ञात की जाती है|
4. किसी ध्वनि की तीव्रता और प्रबलता में क्या अंतर है, समझायें|
उत्तर:- 
ध्वनि की तीव्रता—
माध्यम के किसी बिंदु पर ध्वनि की तीव्रता उसके (माध्यम के) उस बिंदु पर एकांक क्षेत्रफल में गुजरनेवाली ऊर्जा का परिमाण है|
ध्वनि की प्रबलता—
ध्वनि की प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता के परिमाण की माप है| यह व्यक्तिनिष्ठ होती है| दो ध्वनियाँ एक ही (समान) तीव्रता की हो सकती है परन्तु हम एक को दूसरे की तुलना में अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं| क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील है|
5. किसी मोटरगाड़ी के निकट पहुँचने के पहले ही उसके हार्न की आवाज़ क्यों सुनायी पड़ जाती है? 
उत्तर:- इसका कारण है कि ध्वनि की चाल मोटरगाड़ी की चाल से बहुत ही अधिक है|
6. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य क्यों है? 
उत्तर:- अनुदैर्घ्य तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होती है, माध्यम के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते, परन्तु अपनी विरामावस्था से आगे पीछे दोलन करते हैं| ध्वनि तरंगें ठीक इसी प्रकार संचरित होती है| इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य तरंगें हैं|
7. आपका एक मित्र एक अंधेरे कमरे में बैठा है| ध्वनि का कौन सा अभिलक्षण आपको कमरे के बाहर से ही उसकी आवाज पहचानने में मदद करता है? 
उत्तर:-
ध्वनि का आयाम वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में सहायता करता है|
8. एक परावर्तक सतह के सामने एक ध्वनि स्रोत रखने पर उससे उत्पन्न ध्वनि कु प्रतिध्वनि सुनायीं देती है| यदि ध्वनि स्रोत और परावर्तक सतह के बीच की दूरी नियत रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक जल्दी सुनायीं पड़ेगी? 
क. जिस दिन ताप कम होगा
ख. जिस दिन ताप अधिक होगा
उत्तर:- समय=दूरी/वेग
अर्थात समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात है| किसी भी माध्यम का ताप बढ़ाने से उसमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है| इसलिए गर्म दिन में अधिक तापमान के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जायेगा और हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा शीघ्र सुनायीं देगी|
9. वैसे तो आकाश तड़ित (बिजली) की चमक तथा मेघगर्जन साथ ही सही उत्पन्न होते हैं, परन्तु चमक पहले दिखायी पड़ती है और मेघगर्जन कुछ समय बाद| क्यों? 
उत्तर:-
बिजली की चमक प्रकाश की चाल (3×{10}3 मीटर/सेकेंड) से चलकर प्रेक्षक की आंखों तक पहुँचती है जबकि मेघगर्जन (कड़क) ध्वनि की चाल (330 मीटर/सेकेंड) से चलकर प्रेक्षक के कानों तक पहुँचती है| इसलिए प्रकाश (चमक) को प्रेक्षक तक पहुँचने में कम समय लगता है|
10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश तरंगें करती है? इन नियमों को लिखें|
उत्तर:-
हाँ, ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती है|
नियम—
आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है|, आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण एक ही तल में होते हैं|
11. ध्वनि तरंगों के परावर्तन दो व्यावहारिक उपयोगों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
लाउडस्पीकर, हार्न तथा शहनाई जैसे वाद्य यंत्र में
स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की जानकारी होती है|
12. प्रतिध्वनि किसे कहते हैं? यह कब सुनायीं पड़ती है? 
उत्तर:- किसी अवरोध से टकराने के बाद परावर्तित ध्वनि का बार बार सुनायीं पड़ना, प्रतिध्वनि कहलाती है, प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनायीं दे, इसके लिए आवश्यक है कि ध्वनि के स्रोत से अवरोधक की दूरी कम से कम 17.2 में हो|
13. छोटे कमरे में प्रतिध्वनि क्यों नहीं सुनायीं पड़ती है? 
उत्तर:-
प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनने के लिए ध्वनि का परावर्तन करने वाली सतह अर्थात परावर्तन सतह को श्रोता से कम से कम 11 मीटर की दूरी पर होना चाहिए| इसका मतलब यह है कि प्रतिध्वनि के लिए परावर्ती सतह बड़ी होनी चाहिए, लेकिन छोटे कमरे में परावर्तक सतह 11 मीटर से कम होती है जिससे छोटे कमरे में प्रतिध्वनि नहीं सुनायीं पड़ती है|
14. श्रुतिनिर्बंध किसे कहते हैं और इसका मान कितना होता है? 
उत्तर:-
मनुष्य द्वारा सुनी गयी ध्वनि का प्रभाव उसके मस्तिष्क में लगभग 1/15 सेकेंड तक रहता है| इसे श्रुतिनिर्बंध कहते हैं|
15. अनुरणन से आप क्या समझते हैं? इसे किस प्रकार कम किया जाता है? 
उत्तर:-
यदि परावर्तन पृष्ठ एक दूसरे के बहुत निकट होते हैं तो प्रतिध्वनियां अलग अलग सुनायीं नहीं देती है, बल्कि वे एक दूसरे से मिलकर एक सुरीली ध्वनि उत्पन्न करती है| इसका प्रभाव कान पर अधिक समय तक रहता है| इसको अनुरणन कहते हैं| इसे कम करने के लिए भवनालयों में पर्दें लटकाये जाते हैं ताकि ध्वनि का अवशोषण हो सके| इसके अतिरिक्त यदि कमरे में श्रोताओं की उपस्थिति अधिक हो तो ध्वनि का अवशोषण हो सकता है, क्योंकि उनके शरीर ध्वनिशोषकों का काम करते हैं|
16. पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तुओं को साफ करने में कैसे किया जाता है? 
उत्तर:-
पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तुओं के उन भागों को साफ करने में किया जाता है जिन तक पहुँचना कठिन होता है, जैसे–सर्पिलाकार नली इत्यादि| जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करनेवाले घोल में रखा जाता है और इस घोल में पराश्रव्य तरंगें भेजी जाती| इन तरंगों की उच्च आवृत्ति के कारण धूल, गंदगी के कण तथा चिकने पदार्थ अलग नीचे गिर जाते हैं और वस्तु पूरी तरह साफ हो जाती है|
17. कंसर्ट हाल (या बड़े सभा भवन) में हाल (या सभा भवन) की छतें वक्राकार क्यों होती है? 
उत्तर:- कंसर्ट हाल की छतें वक्राकार होती है जिससे ध्वनि परावर्तन के पश्चात हाल के सभी कोणों तक पहुँच जाये| अत: कहा जा सकता है कि कंसर्ट हाल में हाल की छतें वक्राकार होती है|

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न







1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है? 
उत्तर:- ध्वनि ऊर्जा का एक प्रकार है जो सामान्यतः कानों में सुनने की अनुभूति उत्पन्न करता है| ध्वनि विभिन्न से उत्पन्न की जा सकती है| ये है——
प्रहार द्वारा—
उदाहरण के लिए यदि हम एक स्टेनलेस स्टील की चम्मच से एक धातु की प्लेट पर प्रहार करें और फिर धीरे से प्लेट को छुयें, तो हमें उसमें हो रहा कंपन महसूस कर सकते हैं और ध्वनि भी सुन सकते हैं|
खींचने द्वारा—
जब हम गिटार, सितार या किसी अन्य तंत्री वाद्य के तार खींचते है तो उन तारों में कंपन उत्पन्न होता है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है|
फूंकने द्वारा—
जब हम मुंह से सीटी बजाते हैं या बांसुरी बजाते हैं तो वायु स्तंभ में उत्पन्न कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है|
रगड़ द्वारा—
जब हम अपनी हथेलियाँ रगड़ते है या फर्श पर रखे टेबुल को घसीटते है तो ध्वनि उत्पन्न होती है|
इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई वस्तु ध्वनि तभी उत्पन्न करती है जब उसमें कंपन होता है|
2. एक स्वच्छ चित्र की सहायता से बतायें कि ध्वनि के स्रोत के निकट की वायु में संपीड़न तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं? 
उत्तर:-
ध्वनि सबसे अधिक हवा के माध्यम में गमन करती है| वह कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है तो वो अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीडित करती है जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है| यह क्षेत्र संपीड़न कहलाता है| यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है तभी कंपित वस्तु पीछे की ओर हटती है जिससे निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है| यह क्षेत्र विरलन कहलाता है| जैसे जैसे वस्तु कंपित होता है, अर्थात तीव्रता से आगे पीछे हिलती है, वैसे वैसे हवा के संपीडनों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है| इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है|
3. ध्वनि की प्रबलता से आप क्या समझते हैं? यह किन किन कारकों पर निर्भर करती है? 
उत्तर:-
किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है| यह उसके आयाम पर निर्भर करती है| ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है, उसकी प्रबलता कहते हैं|
कारक—-

आयाम—-
ध्वनि की प्रबलता ध्वनि के आयाम से जानी जा सकती है|
ऊर्जा—
ध्वनि ऊर्जा से संबंधित है, क्योंकि प्रबल ध्वनि में अधिक ऊर्जा होती है और मृदु ध्वनि में कम ऊर्जा होती है|
तीव्रता—
ध्वनि की प्रबलता कान में उत्पन्न एक संवेदना है जिसके आधार पर ध्वनि को तेज(तीव्र) अथवा धीमी कहते हैं|
तरंग के वेग—
ध्वनि जब किसी ध्वनि स्रोत से निकलती है तब तरंग के रूप में तो फैल जाती है और इसके साथ साथ स्रोत से दूर होने पर उसकी प्रबलता तथा आयाम दोनों ही घटते जाते हैं|



4. ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है–इसे एक प्रयोग द्वारा बतायें| 
अथवा, ध्वनि निर्वात में गमन करती है| इसे दिखाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें|
उत्तर:-
ध्वनि के संचरण के लिए अर्थात ध्वनि के स्रोत से किसी दूसरे स्थान तक जाने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है| ध्वनि स्रोत से निकलकर हमारे कान तक इसिलिए पहुँचती है कि बीच में हवा का माध्यम है| यदि बीच में हवा नहीं रहती तो कान तक आवाज नहीं पहुँचती| इसे हम निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दिखा सकते हैं—-
एक बेल जारी को चकती पर रख दिया जाता है| बेल जार के ऊपरी भाग में कार्क लगा रहता है| इस कार्क से होकर जाते हुए तार द्वारा एक विद्युत घंटी को लटका दिया जाता है| चकती और बेल के कोर के बीच तथा कार्क और तार के बीच मोम लगा दिया जाता है जिससे कि बेल जार पूरी तरह से वायुरुद्ध हो जाये| चकती के बीच में एक छिद्र रहता है जिसमें एक नली लगी रहती है| इस नली को एक वायु सूचक पंप से जोड़ दिया जाता है| घंटी के स्विच को दबाकर विद्युत परिपथ पूरा करने पर घंटी बजने लगती है और उसकी आवाज सुनायीं पड़ती है| अब वायु सूचक पंप को चलाकर बेल जार के भीतर की हवा को धीरे धीरे निकाला जाता है| क्रमशः आवाज धीमी होती जाती है| और अंत में जब बेल जार की पूरी हवा लगभग निकल जाती है, तब आवाज बिल्कुल सुनायीं नहीं पड़ती है, फिर, बेल जार में हवा भर देने पर आवाज सुनायीं पड़ने लगती है| इस प्रयोग से स्पष्ट होता है कि विद्युत घंटी और कान के बीच जबतक लगातार माध्यम रहता है तब तक आवाज सुनायीं पड़ती है, किन्तु जब इनके बीच कहीं पर निर्वात रहता है, अर्थात माध्यम नहीं रहता है तो आवाज कान तक नहीं पहुंच पाती है| इससे यह प्रमाणित हो जाता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम का होना आवश्यक है|
5. समतल सतह से ध्वनि के परावर्तन को दिखाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें| 
उत्तर:-
टेबुल पर लकड़ी का एक समतल तख्ता AB सीधा खड़ा किया जाता है| लगभग 1 मीटर लंबी और 5 सेमी ० व्यास की दो नलियाँ ली जाती है| इनमें एक नली को टेबुल पर इस प्रकार रखा जाता है कि इसका अक्ष तख्ते के बिंदु पर कुछ कोण बनाये| इस नली के मुंह पर एक टेबुल घड़ी रख दी जाती है| अब दूसरी नली को टेबुल पर इस प्रकार रखा जाता है कि उसका अक्ष पर भी तख्ते के बिंदु पर मिले| इस नली के मुंह पर कान लगा दिया जाता है| घड़ी की टीक टीक की ध्वनि सीधे कान तक नहीं पहुंचे, इसके लिए दोनों नलियों के बीच लकड़ी का एक पर्दा खड़ा कर दिया जाता है और उसपर पानी से भिगोया मोटा कपड़ा लपेट दिया जाता है| अब दूसरी नली को परित: घुमाकर उसे उस स्थान पर रखा जाता है जहाँ स्पष्ट ध्वनि सुनायीं पड़ती है| इससे यह पता चलता है कि घड़ी की ध्वनि पहली नली के भीतर से होकर चलते हुए लकड़ी के समतल तख्ता से टकराती है और वहाँ से परावर्तित होकर दूसरी नली के भीतर से चलती हुयी कान तक पहुँचती है| ऐसी स्थिति में यह पाया जाता है कि——
अर्थात आपतन कोण=परावर्तन कोण
दोनों के अक्षर (जो आपतित ध्वनि की दिशा और परिवर्तित ध्वनि की दिशा को दर्शाते हैं) और आपतन बिंदु पर लकड़ी के तख्ते पर डाला गया अभिलंब तीनों एक ही समतल में है|
6. बतायें कि किसी धातु के बर्तन (या टुकडों) में दोषों का पता लगाने के लिए पराश्रव्य तरंगों का उपयोग किस प्रकार किया जाता है? 
उत्तर:-
पराश्रव्य तरंगों का उपयोग धातुओं के पिंडों के भीतर बारीक दरारों या छिद्रों का पता लगाने में किया जा सकता है| धातु के टुकड़ों का उपयोग पुलों, बड़े बड़े भवनों, मशीनों तथा वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने में किया जाता है| यदि व्यवहार में लाये गए धातु के टुकड़ों के अंदर ऐसे दरार या छिद्र रहेंगे तो वे पुल या भवनों की संरचना की मजबूती को कम कर देंगे| ऐसे दोष बाहर से दिखायी नहीं पड़ते हैं| ऐसे दोषों का पता लगाने के लिए पराश्रव्य तरंगों का उपयोग किया जाता है| पराश्रव्य तरंगें धातु के पिंडों से होकर गुजारी जाती है| यदि कोई दरार या छिद्र तरंगों के पथ में नहीं है तो ये तरंगें सीधे निकल जाती है, परन्तु यदि कोई दोष होता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती है| प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए धातु के दूसरी ओर एक संसूचक रखा जाता है जो उनमें दोष की उपस्थिति को दर्शाती है| इस प्रकार प्रतिध्वनिक मापन विधि से किसी पिंड में दरारों (या छिद्रों) की सही स्थिति ज्ञात की जाती है| साधारण ध्वनि का उपयोग हम ऐसे कार्यों के लिए क्यों नहीं कर सकते? इसका कारण यह है कि साधारण ध्वनि दरारों या छिद्रों के स्थान के कोनों से मुड़कर संसूचक तक पहुँच जाती है|
7. बतायें कि चमगादड़ हवा में अपने शिकार को पकड़ने के लिए पराश्रव्य तरंगों का उपयोग किस प्रकार करता है? 
उत्तर:-
चमगादड़ों की आंखें कमजोर होती है, इसलिए वे अपना शिकार देख नहीं पाते| अपनी उड़ान के दौरान वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगें छोड़ते हैं| ये तरंगें अवरोध या शिकार द्वारा परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक वापस पहुँचती है| इस परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़ अवरोध या शिकार की स्थिति व आकार जान जाते हैं|
8. सोनार(SONAR) की कार्यविधि तथा इसके विभिन्न उपयोगों का वर्णन करें|
उत्तर:-
सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए किया जाता है| सोनार में एक प्रेषित तथा एक संसूचक होता है| प्रेषित पराध्वनि उतपन्न व प्रेषित करता है, ये तरंगें जल में चलती है तथा जल तल से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती है| संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता| जिसकी उचित व्याख्या करके अनेक चीजों की जानकारी हासिल की जाती है|
सोनार का उपयोग—–
सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने में किया जाता है|
इसका उपयोग जल के अंदर स्थित चट्टानों या घाटियों को ज्ञात करने में किया जाता है|
इसका उपयोग डूबी हुई बर्फ या डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है|
9. मानव कान के कार्यविधि को समझाकर लिखें|
उत्तर:-
हमारा बाह्य कर्ण आस पास की ध्वनियाँ ग्रहण करता है| यह ध्वनि फिर श्रवण तंत्रिका से गुजरती है| श्रवण तंत्रिका के अंत में एक पतली झिल्ली होती है, जिसे कान का पर्दा या कर्णपट्ट कहते हैं| जब वस्तु में उत्पन्न विक्षोभ के द्वारा माध्यम का संपीड़न कर्णपट्ट तक पहुँचता है, तो ये कर्णपट्ट को अंदर की ओर धकेलता है| इसी प्रकार, विरलन कर्णपट्ट को बाहर की ओर खींचता है| इस प्रकार कर्णपट्ट में कंपन उत्पन्न होता है| ये कंपन मध्यवर्ती कान में स्थित तीन हड्डियों (हथौड़ा, निघात और वलयक) की सहायता से कयी गुना प्रवर्धित किया जाता है| फिर ये प्रवर्धित दबाव कर्णावर्त के द्वारा विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है| फिर श्रवण नाड़ी के द्वारा ये विद्युत संकेत मस्तिष्क तक पहुँचते हैं और मस्तिष्क इन्हें ध्वनि के रूप में परिवर्तित करता है|

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