Bharti Bhawan Political Science Class-9:Chapter-4:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:राजनीति शास्त्र:कक्षा-9:अध्याय-4:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


         लोकतंत्र में निर्वाचन की राजनीति




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न







1. मतदान का क्या अर्थ है? 
उत्तर:-जब मतदान करने की प्रक्रिया में कोई व्यक्ति भाग लेकर अपने मत का प्रयोग करता है तो इसे मतदान कहा जाता है|
2. मतदाता किसे कहा जाता है? 
उत्तर:-चुनाव में मतदान करने वाले व्यक्ति को मतदाता कहा जाता है|
3. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता क्या है? 
या, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से आप क्या समझते हैं? 
या, राजनीति प्रतिद्वंद्विता का क्या अर्थ है? 
उत्तर:-वर्तमान युग को यदि प्रतिद्वंद्विता का युग या प्रतियोगिता का युग कहा जाए तो इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं होगी| जिस प्रकार एक सफल व्यवसायी अपने सामानों की बिक्री बढाने हेतु तरह तरह के विज्ञापनों एवं विभिन्न स्कीमों को नियत अवधि तक जारी रहने का संदेश आकाशवाणी, दूरदर्शन, अखबार एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से देता है, ठीक उसी प्रकार विभिन्न दलों के उम्मीदवार एवं नेता अपने दल या अपनी सरकार की नीतियों का जमकर प्रचार प्रसार करते हैं| वे विभिन्न प्रकार के लुभावने नारे भी देते हैं ताकि आम जनता उन्हें दूसरे दलों की अपेक्षा उनकी नीतियों की ओर ज्यादा आकर्षित हो सके और उसे आगामी चुनाव में जीत दिला सके| राजनीति क्षेत्र में भी प्रत्येक दल एवं नेता इस प्रकार के कार्य अक्सर करते हैं, इसे ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कहा जाता है| लोकतंत्र में चुनाव मतलब राजनीति या प्रतिस्पर्धा या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है| यह प्रतिद्वंद्विता विभिन्न प्रकार की हो सकती है| बिना प्रतिद्वंद्विता अथवा प्रतिस्पर्धा के लोकतंत्र पारदर्शी हो ही नहीं सकता|
4. मताधिकार किसे कहते हैं? या, मताधिकार से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-नागरिकों द्वारा अपने मत के प्रयोग करने के अधिकार को मताधिकार कहा जाता है|
5. निर्वाचन क्षेत्र का क्या अर्थ है? 
उत्तर:-निर्वाचन क्षेत्र का अर्थ है कि खास क्षेत्र जो प्रतिनिधि निर्वाचित जनता के द्वारा किया जाता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न








1. निर्वाचन की आवश्यकता क्यों पड़ती है? 
उत्तर:-चुनाव प्रतिनिधियों के चयन का एक आदर्श तरीका या माध्यम है| कहने का तात्पर्य यह है कि चुनाव के माध्यम से जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है| यों तो सिद्धांत के तौर पर बिना चुनाव के भी लोगों के शासन को स्थापित कर सकते हैं| परन्तु आधुनिक युग में जहाँ प्रत्येक देश में बहुत बड़ी आबादी है, जो कि भिन्न भिन्न क्षेत्रों में निवास करती है, तो ऐसी परिस्थिति में यह कदापि संभव नहीं है कि सभी मिल बैठकर प्रत्येक समस्या का निबटारा बिना चुनाव के आम सहमति से तय कर लें| वास्तव में ऐसा कर पाना न तो संभव है और न तो व्यावहारिक ही| इसलिए निर्वाचन की आवश्यकता पड़ती है|
2. निर्वाचन को लोकतांत्रिक बनाने की किन्हीं चार शर्तों का वर्णन करें|
उत्तर:-चुनाव सार्वजनिक हो जिसमें सभी मतदाताओं को बिना किसी भेदभाव के मतदान करने का अधिकार प्राप्त रहे, सबों के मतों का मूल्य भी एक हो|
निर्वाचन में विभिन्न दलों के उम्मीदवारों को भाग लेने का अधिकार हो, जिससे मतदाताओं के सामने विकल्प की सुविधा हो|
निर्वाचन एक निश्चित अवधि के बाद अवश्य हो जाना चाहिए|
विभिन्न दलों द्वारा अपने दलों के उम्मीदवारों का चयन योग्यता और कर्मठता के आधार पर किया जाना चाहिए|
3. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता किस प्रकार लाभदायक है? 
उत्तर:-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से उसी प्रकार लाभ होता है जिस प्रकार उपभोक्ताओं को विज्ञापन के माध्यम से अपने सामानों की बिक्री के लिए लुभाया जाता है| नेता भी अपने प्रचार कार्यों के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने का कार्य करते हैं|
4. आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र का क्या अर्थ है? 
उत्तर:-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र का अर्थ है कि हमारे समाज के कमजोर वर्ग, विशेषकर अनुचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग, चुनावी दंगल में सफल नहीं हो सकेंगे| इसी को ध्यान में रखकर लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 79 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 41 निर्वाचन क्षेत्रों को आरक्षित कर दिया गया है|
5. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है? मतदाता उस पर किस प्रकार मतदान करते हैं|
उत्तर:-इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन जिसे (इवीएम) कहते हैं| 2004 के आम चुनाव में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल पूरे देश में किया गया| इस मशीन का इस्तेमाल करना इतना आसान है कि अनपढ़ आदमी भी आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकता है| इसके पूर्व मतदान हेतु मतपत्र छापा जाता था, जिसमें उम्मीदवारों के नाम के सामने उनका चुनाव चिन्ह छपा रहता था| उसी तरह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में भी उम्मीदवार के नाम के बगल में उसका चुनाव चिन्ह रहता है| उस चिन्ह के सामने का बटन दबाकर कोई भी मतदान कर सकता है|
6. निर्वाचन आयोग के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-विभिन्न संस्थाओं, जैसे—–संसद, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए मतदाताओं की सूची तैयार करना|
विभिन्न चुनावों और उपचुनावों का पर्यवेक्षण करना|
संसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचन के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का निश्चय करना|
निर्वाचन कार्यक्रम निर्धारित करना, जैसे—–नामांकन की तिथि, नामांकन वापस लेने की तिथि, उम्मीदवारों के नामांकन पत्र की जांच की तिथि तथा मतदान की तिथि निश्चित करना|
7. मतदान केंद्रों पर बूथ छापामारी कैसे रोकी जा सकती है? 
उत्तर:-मतदान केंद्रों पर बूथ छापामारी मतदाता को जागरूक कर रोकी जा सकती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न










1. भारत में निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन करें|
उत्तर:-विश्व में भारत एक महान लोकतांत्रिक देश है| अत:, यहाँ प्रत्येक पांच वर्ष पर लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव कराने की संवैधानिक व्यवस्था की गई है| स्वतंत्र एवं निष्पक्ष ढंग से निर्वाचन प्रक्रिया को संपादित करने के लिए एक निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है| इस आयोग का यह दायित्व बनता है कि वह निर्धारित कार्यकाल पर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराए| चुनाव के समय कार्य करनेवाले समस्त अधिकारी पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्यों के कर्मचारी न होकर वे चुनाव आयोग के अधिकारी पदाधिकारी समझे जाते हैं एवं वे चुनाव आयोग के समस्त आदेशों निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं| चुनाव संबधी अधिसूचना जारी होते ही निर्वाचन की प्रक्रिया विधिवत प्रारंभ हो जाती है एवं मतगणना का कार्य संपन्न होने तक प्रत्येक दल को आदर्श चुनाव आचार संहिता का पालन करना पड़ता है|लोकसभा की भांति राज्य की विधानसभाओं को भी निर्धारित सीटों की संख्या के हिसाब से प्रत्येक राज्य को अनेक निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है| प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि का चयन किया जाता है| लोकसभा एवं प्रत्येक राज्य की विधानसभा के अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए भी एक निश्चित संख्या में सीटों आरक्षित कर दी गई है| निर्वाचन क्षेत्र के गठन के पश्चात मतदाता मतदाता सूची तैयार की जाती है| देश के वैसे सभी व्यक्ति जिनकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो चुकी है, उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज होना आवश्यक है अन्यथा वह व्यक्ति चुनाव में मतदान करने से वंचित हो जाता है| प्रत्येक चुनाव से कुछ माह पूर्व मतदाता सूची को अद्यतन कर दिया जाता है| वैसे प्रत्येक व्यक्ति जिसकी न्यूनतम आयु 25 वर्ष हो, लोकसभा अथवा विधानसभा का उम्मीदवार हो सकता| प्रत्येक राजनीतिक दल को चुनाव आयोग द्वारा चिन्ह आबंटित किया जाता है| एक निश्चित एवं निर्धारित तिथियों के अंतर्गत उम्मीदवारों का नामांकन होता है| नामांकन की वैधता की जांच भी एक निर्धारित तिथि के अंतर्गत की जाती है| पुनः निर्धारित तिथियों पर मतदान का कार्य संपन्न होता है| मतदान की समाप्ति के बाद एक निश्चित तिथि को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना होती है एवं किसी चुनाव क्षेत्र में सर्वाधिक मत हासिल करनेवाले उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है| अत: , स्पष्ट है कि भारत की निर्वाचन प्रक्रिया पूर्णतः स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं लोकतांत्रिक है|
2. भारत की निर्वाचन संबंधी समस्याओं का वर्णन करें|
अथवा, भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के मार्ग में कौन कौन सी प्रमुख चुनोतियां(बाधाएँ) है? 
उत्तर:-भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के मार्ग में अनेक समस्याएँ एवं चुनौतियाँ विद्यमान हैं| इस चुनाव संबंधी प्रमुख समस्याओं एवं चुनौतियों का वर्णन इस प्रकार किया जाता है——-
क. मतदान के अधिकार का दुरूपयोग——–
भारत की अधिकांश जनता अनपढ़, गरीब एवं निरक्षर है| अत: उसके सामने निर्वाचन एवं मताधिकार के प्रयोग का मूल्य नगण्य है वह अपना पेट भरने की चिंता में ही दिन रात लगी रहती है| अनपढ़ एवं निरक्षर रहने के कारण अधिकांश भोली भाली एवं गरीब जनता अपने मताधिकार के बारे में जानता ही नहीं| वह किसी भी तरह अपने पेट भर लेने को ही सबसे बड़ा अधिकार मानती है चन्द पैसे वाले लोग कुछ ही सिक्कों में उसके मत को सहज ही खरीद लेते हैं|
ख. राजनीतिक दलों की बहुलता——-
भारत में राजनीतिक दलों की संख्या काफी है| ऐसी परिस्थिति में अधिकांश जनता को यह पता ही नहीं चला कि वह किस पार्टी को वोट दें|
ग. बूथ कब्जा——-
अनेक आपराधिक चरित्र के लोग एवं धनी उम्मीदवार मतदान अधिकारियों को डरा धमकाकर एवं चंद प्रलोभन देकर मतदान केंद्र पर कब्जा कर लेते हैं और अपने पक्ष में गलत ढंग से मतदान करवाने में सफल हो जाते हैं|
घ. खर्चीली चुनाव व्यवस्था——-
खर्चीली चुनाव व्यवस्था भी निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव के मार्ग में एक बहुत बड़ी समस्या है| हालांकि चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च की सीमा तय कर दी है| परंतु, वास्तव में सही ढंग से उसपर बहुत कम ही अमल होता है| इसका नतीजा यह होता है कि पैसेवाले लोग पैसे को पानी की तरह बहाकर येन केन प्रकारेण चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं|
ड़. दल बदल की समस्या———
दल बदल की समस्या भी निर्वाचन के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है| आए दिन दल बदल के कारण किसी न किसी राज्य में सरकार गिरती रही है|इसके कारण राजनीतिक अस्थिता का भय राज्यों एवं केन्द्र को बराबर बना रहता है| हालांकि 1985 में एक संविधान संशोधन द्वारा इस पर कुछ रोक लगी है|
च. अन्य समस्याएँ एवं चुनौतियाँ——-
उपर्युक्त समस्याओं एवं चुनौतियों के अतिरिक्त स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के मार्ग में और भी कयी बाधाएँ है, यथा—-राजनीतिक दलों में ठोस सिद्धांतों का अभाव, राजनीतिक का अपराधीकरण, निर्वाचन में बेहिसाब खर्च एवं भ्रष्टाचार का बोलवाला, सरकारी तंत्र का दुरूपयोग, कमजोर तबके को मतदान करने से रोकना इत्यादि|
अत: स्पष्ट है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के मार्ग में अनेक समस्याएँ है, जिन्हें दूर करके ही भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया जा सकता है|
3. चुनाव घोषणा पत्र का महत्व बताएं|
या, चुनाव घोषणा पत्र से आप क्या समझते हैं? टिप्पणी लिखें|
उत्तर:-चुनाव से पूर्व प्रत्येक राजनीति दल अपना अपना घोषणा पत्र जारी करता है| इस घोषणा पत्र में उसके भावी कार्यक्रमों, सिद्धांतों एवं नीतियों का संक्षेप में उल्लेख होता है| साथ ही साथ अपने घोषणा पत्र के माध्यम से उम्मीदवार यह बताना चाहता है कि उनकी गृह नीति, वैदेशिक नीति, वित्त नीति इत्यादि क्या एवं कैसी होगी| अपने घोषणा पत्र के माध्यम से वे जनता को इस बात का भरपूर आश्वासन देते हैं कि वे चुनाव में जीतने पर अवश्य ही इन वादों को पूरा करने में कोई कोताही नहीं करेंगे| सत्ता पक्ष का उम्मीदवार भी जनता को यह बताने का प्रयास करता है कि सरकार ने उसके लिए कौन कौन से महत्वपूर्ण कार्य किए हैं एवं शेष बचे हुए कार्यों को वे इस बार पूरा करेंगे, बशर्ते कि लोग उन्हें जीत दिलाकर पुनः सदन में भेजें |अत: स्पष्ट है कि चुनाव घोषणा पत्र एक ऐसा दस्तावेज होता है कि जिसके माध्यम से राजनीतिक दलों के भावी कार्यक्रमों की एक झलक मिलती है| यह एक प्रकार से राजनीतिक दलों के विचारों की संक्षिप्त अभिव्यक्ति एवं प्रतिज्ञा पत्र  भी है|
4. किसी चुनाव को किस आधार पर यह कहा जा सकता है कि वे लोकतांत्रिक है? 
या, किसी चुनाव को लोकतांत्रिक कहने के क्या क्या पैमाने अथवा शर्तें आवश्यक है? 
या, किस आधार पर किसी चुनाव को लोकतांत्रिक कहा जा सकता है? 
उत्तर:-चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला है| यों तो चुनाव प्रत्येक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देशों में तो ही है परन्तु, इसके साथ साथ यह बात भी सच है कि गैर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देशों में भी चुनाव होते हैं| परंतु सभी चुनाव को लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता| किसी चुनाव को लोकतांत्रिक कहने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना चाहिए———–
प्रत्येक मतदाता के मत का मान समान हो तथा प्रत्येक वयस्क नागरिक को स्वतंत्र रूप से मतदान का अधिकार हो|
चुनाव एक निश्चित अंतराल पर सुव्यवस्थित ढंग से होता रहे|
विभिन्न दलों एवं उम्मीदवारों को स्वतंत्र ढंग से चुनाव में भाग लेने की छूट हो|
चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष ढंग से संपादित हो ताकि किसी को उसपर ऊंगली उठाने का मौका न मिले|
लोग जिसे चुनना चाहें, वास्तव में उसी व्यक्ति अथवा नेता को चुने|
लोग अपने मनपसंद उम्मीदवार का चयन बिना किसी दबाव अथवा भय के करें|
अत:, स्पष्ट है कि किसी चुनाव को तभी लोकतांत्रिक कहा जा सकता है जब वे उपर्युक्त न्यूनतम शर्तों का पालन करते हों| इस कसौटी पर भारतवर्ष में होनेवाले चुनाव कुछ अपवादों को छोड़कर खरे उतरे हैं| इस आधार पर भारतवर्ष में होनेवाले चुनाव को नि: संदेह लोकतांत्रिक कहा जा सकता है|
5. भारतीय निर्वाचन आयोग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें|
या, भारतीय चुनाव आयोग के कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-हमारे देश में एक निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है| स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था करने का दायित्व इसी आयोग को सौंपा गया है| इस स्वतंत्र चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त एवं उनकी सहायता के लिए दो और चुनाव आयुक्त होते हैं| भारतीय चुनाव आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है| मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा होती है| भारतीय चुनाव आयोग को न्यायपालिका की भांति ही स्वतंत्र ढंग से अपने कार्यों एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन करती है| राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति किए जाने के बावजूद भी वह अपने कार्यों के लिए संघीय कार्यपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं है| श्री नवीन चावला वर्तमान समय में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त है| यह आयोग चुनाव संबंधी सरकार के किसी सुझाव को मानने के लिए बाध्य नहीं है|
संक्षेप में, भारतीय निर्वाचन आयोग के निम्नलिखित कार्य एवं अधिकार है———
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, विधानसभाओं इत्यादि के निर्वाचन हेतु मतदाता सूची तैयार करवाना|
संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचन हेतु चुनाव क्षेत्रों का निश्चय करना तथा विभिन्न उपचुनावों का पर्यवेक्षण करना|
मतदान संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों को निश्चित करना|
विभिन्न राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता तैयार करना एवं उसे लागू करना|
चुनाव खर्च की सीमा तय करना एवं चुनाव खर्च का निरीक्षण करना|
विभिन्न राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय अथवा राज्य स्तरीय मान्यता प्रदान करना|
चुनाव चिन्ह निर्धारित करना एवं विभिन्न दलों के बीच उसका आबंटन करना|
रेडियो, दूरदर्शन जैसे संचार माध्यमों द्वारा राजनीतिक दलों के प्रचार के लिए समय निर्धारित करना|
राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल द्वारा भेजे गए निर्वाचन संबंधी विवादों को सुलझाना| अत: स्पष्ट है कि भारतीय निर्वाचन आयोग के कार्य काफी व्यापक एवं महत्वपूर्ण है|

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