राज्य न्यायपालिका
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. बिहार में उच्च न्यायालय का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:- पटना
2. राजस्व के विभिन्न न्यायलयों के नामों का उल्लेख करें|
उत्तर:- हाईकोर्ट—बोर्ड आफ रेवेन्यू—–ए०डी०एम का कोर्ट——-डी०सी०एल०आर० का कोर्ट अंचलाधिकारी का कोर्ट
3. प्रथम श्रेणी के जुडिशियल मजिस्ट्रेट को कितने वर्ष की सजा देने का अधिकार है?
उत्तर:-3
4. द्वितीय श्रेणी के जुडिशियल मजिस्ट्रेट को कितने वर्ष की सजा देने का अधिकार है?
उत्तर:-1
5. सबसे नीचे स्तर पर कौन सा न्यायालय होता है?
उत्तर:-ग्राम कचहरी
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. उच्च न्यायालय के न्यायधीश के लिए कौन सी योग्यताएँ निर्धारित की गई है?
उत्तर:-उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए निम्न योग्यताएँ निर्धारित की गई है——
भारत का नागरिक हो, कम से कम दस वर्ष किसी न्याय के पद पर रह चुका हो, या किसी उच्च न्यायालय के अंतर्गत कम से कम दस वर्ष अधिकता रह चुका हो|
2. उच्च न्यायालय के अपील संबंधी अधिकार का वर्णन करें|
उत्तर:-राज्य के जिला न्यायलयों के मुकदमें के फैसले के बाद उच्च न्यायालय में अपील की जाती है| उच्च न्यायालय को दीवानी और फौजदारी दोनों प्रकार के मुकदमों की अपील सुनने का अधिकार है| कम से कम 5,000 रुपये की जायदाद से संबंधित दीवानी मुकदमें को अपील उच्च न्यायालय में होती है| उच्च न्यायालय में फौजदारी मुकदमों की अपीलें तब आती है जब जिला एवं सेशन जज द्वारा अभियुक्त को सजा दी जाती है|
3. ग्राम कचहरी पर एक टिप्पणी लिखें|
उत्तर:-बिहार सरकार ने बिहार पंचायती राज अधिनियम पास किया है| इसके अनुसार ग्राम पंचायतों का संगठन किया जाता है| ग्रामपंचायत की एक ग्राम कचहरी होती है| ग्राम कचहरी को अधिक से अधिक 100 रुपये जुर्माना तथा एक मास की सजा देने का अधिकार है| ग्राम कचहरी में 500 रूपये तक के दीवानी मुकदमें सुने जाते हैं| ग्राम कचहरी के निर्णयों के विरुद्ध साधारणतः अपील नहीं होती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. उच्च न्यायालय के गठन एवं क्षेत्राधिकार का वर्णन करें|
उत्तर:- न्यायपालिका भी सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है| स्वतंत्र न्यायपालिका से ही नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रहते हैं| जिस तरह से केन्द्र में एक सर्वोच्च न्यायालय है उसी तरह प्रत्येक राज्य में भी उच्च न्यायालयों का गठन किया गया है| उच्च न्यायालय ही राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय होता है| उसके अधीन भी कुछ न्यायालय होते हैं|
उच्च न्यायालय का गठन:—-
प्रायः प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय होता है| पटना उच्च न्यायालय बिहार राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय है| यह इस राज्य के सभी न्यायलयों से ऊपर है| इसी कारण इसे उच्च न्यायालय कहा जाता है|
पटना उच्च न्यायालय की स्थापना——-
1 मार्च 1916
न्यायधीशों की संख्या—-
1 मुख्य न्यायधीश और 42 अन्य न्यायधीश का पद स्वीकृत है
न्यायधीशों की योग्यता:—
उच्च न्यायालय का न्यायधीश वही हो सकता है जो
भारत का नागरिक हो
कम से कम दस वर्ष किसी न्याय के पद पर रह चुका हो
किसी उच्च न्यायालय के अंतर्गत कम से कम दस वर्ष अधिवक्ता (एडवोकेट) रह चुका हो|
नियुक्ति—-
मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है| न्यायधीशों की नियुक्ति करते समय बिहार राज्य के राज्यपाल तथा मुख्य न्यायाधीश से भी सलाह ली जाती है|
कार्यकाल——
उच्च न्यायालय के न्यायधीश 62 वर्ष की उम्र तक अपने पद पर बने रहते हैं| उसके बाद वे अपने पद से मुक्त हो जाते हैं|
वेतन—–
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 90,000 रुपये मासिक तथा अन्य न्यायधीशों को 80,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है| इसके अतिरिक्त, उन्हें भत्ते तथा निवास स्थान की सुविधाएँ है|
उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार——
राज्य के उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है——
प्रारंभिक अधिकार——
प्रारंभिक अधिकारों में ऐसे मुकदमे आते हैं जो उच्च न्यायालय में ही उपस्थित किए जाते हैं| नागरिकों के अधिकारों की रक्षा से संबंद्ध मुकदमों की सुनवाई का अधिकार उच्च न्यायालय को प्राप्त है|
अपील संबंधी अधिकार——
राज्य के जिला न्यायलयों के मुकदमे के फैसले के बाद उच्च न्यायालय में अपील की जाती है| उच्च न्यायालय को दीवानी और फौजदारी दोनों प्रकार के मुकदमों की अपील सुनने का अधिकार है| कम से कम 5000 रुपये की जायदाद से संबंधित दीवानी मुकदमे की अपील उच्च न्यायलयों में होती है| उच्च न्यायालय में फौजदारी मुकदमों की अपीलें तब आती है जब जिला एवं सेशन जज द्वारा अभियुक्त को सजा दी जाती है|
प्रशासकीय अधिकार——-
उच्च न्यायालय को कुछ प्रशासकीय अधिकार भी प्राप्त है| वह उच्च न्यायालय के कर्मचारियों की नियुक्ति करता है| विभिन्न तरह के नियमों का निर्माण भी वही करता है|
अधीक्षण का अधिकार——
उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायलयों का अधीक्षण करता है|
2. अपने राज्य के अधीनस्थ न्यायलयों का वितरण प्रस्तुत करें|
उत्तर:-
उच्च न्यायालय के नीचे दीवानी, फौजदारी तथा राजस्व के अधीनस्थ न्यायलय है| इन न्यायलयों का उल्लेख नीचे दी गई तालिका में किया जाता है|
फौजदारी न्यायालय—–
जिले के फौजदारी की सबसे ऊँचा अदालत सेशन्स कोर्ट कहलाता है| जो जिला सेशन जज के अधीन है| जिला सेशन जज को नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा होती है| उसे किसी भी अपराध पर विचार करने और विधि के अनुसार दंड देने का अधिकार है, लेकिन मृत्युदंड के निर्णय की संपुष्टि उच्च न्यायालय से होना आवश्यक है| अधीनस्थ मजिस्ट्रेट के फैसलों के विरुद्ध अपील इसी कोर्ट में होती है|
दीवानी न्यायालय——
जिले में दीवानी की सबसे ऊँचा अदालत जिला जज की अदालत होती है| जिला जज साधारणतया सेशन्स जज ही होता है| इसी कारण उसे जिला और सेशन्स जज कहा जाता है| वह जिले का प्रधान न्यायधिकारी होती है| अत:,उसे अन्य दीवानी अदालतों की देख रेख करना, अन्य न्यायधीशों के कार्यों का बंटवारा करना तथा नाबालिगों और पागलों की संपत्ति का संरक्षण एवं प्रबंध करना भी होता है| 50,000 रूपये तक के मूल्य के मुकदमों में अन्य न्यायधीशों के निर्णय के विरुद्ध उसी के पास अपील होती है| इन अधिकारों के अतिरिक्त, जिला न्यायधीशों नाबालिगों तथा पागल व्यक्तियों की जायदाद का प्रबंध करने के लिए संरक्षक की भी नियुक्ति करता है| वह दीवानी तथा फौजदारी दोनों विभागों का जिले में प्रधान न्यायाधीश होता है| उसके नीचे सब जज और मुन्सिफ़ की अदालतें होती है|
राजस्व न्यायालय——
संविधान के लागू होने के पूर्व प्रांत में राजस्व की सबसे बड़ी अदालत बोर्ड आफ रेवेन्यू थी| लेकिन, संविधान लागू होने के बाद ऐसे मुकदमें हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आ गए हैं| बोर्ड आफ रेवेन्यू के नीचे ए०डी०एम, डी०सी०एल०आर० और अंचलाधिकारी की अदालतें हैं|
जिला जज आदि की नियुक्ति—–
जिला जज की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है| कोई व्यक्ति जो पहले से सरकारी नौकरी में नहीं है, तभी जिला जज हो सकता है जब वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता अथवा वकील रह चुका है| अन्य पदों पर राज्य के लोक सेवा आयोग की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा नियुक्ति होती है|
ग्राम कचहरी——
बिहार सरकार ने बिहार पंचायती राज अधिनियम पास किया है| इसके अनुसार ग्राम पंचायतों का संगठन किया जाता है| ग्रामपंचायत की एक ग्राम कचहरी होती है| ग्राम कचहरी को अधिक से अधिक 100 रूपये जुर्माना तथा एक मास की सजा देने का अधिकार है| ग्राम कचहरी में 500 रूपये तक के दीवानी मुकदमें सुने जाते हैं| ग्राम कचहरी के निर्णयों के विरुद्ध साधरणतया अपील है|
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