Bharti Bhawan Political Science Class-9:Chapter-2:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:राजनीति शास्त्र:कक्षा-9:अध्याय-2:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



                     लोकतंत्र क्या है? 




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न





1. चीन की संसद को क्या कहा जाता है? 
उत्तर:-राष्ट्रीय जन संसद
2. जिंबाब्वे में किस दल की सरकार है? उसका नेता कौन है? 
उत्तर:- जिंबाब्वे में अफ्रीकी नेशनल यूनियन देशभक्त मोर्चे की सरकार है, उसका नेता राबर्ट मुगाबे है|
3. किस देश में अभी भी महिलाओं को मताधिकार प्राप्त नहीं है?
उत्तर:-सऊदी अरब में अभी भी महिलाओं को मताधिकार प्राप्त नहीं है|
4. किस देश की चुनाव में भारतीय मूल के निवासियों से अधिक वहाँ के मूल निवासियों के मत का मूल्य है? 
उत्तर:-फिजी में
5. लोकतंत्र के पक्ष में आपकी दृष्टि में सबसे अच्छा तर्क क्या है? 
उत्तर:-राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना का विकास
लघु उत्तरीय प्रश्न






1. लोकतंत्र की एक लोकप्रिय परिभाषा क्या है? 
उत्तर:-यों तो अनेक विद्वानों ने समय समय पर लोकतंत्र को परिभाषित करने के प्रयास किया है| परंतु यहाँ पर हमें लोकतंत्र की एक परिभाषा देना आवश्यक है| भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को इस प्रकार परिभाषित किया है—–“लोकतंत्र एक ऐसी शासन पद्धति है जिसमें लोगों का, लोगों के लिए और इस पद्धति में लोग (जनता) ही शासन का प्रमुख स्रोत या केन्द्र बिंदु होते हैं|
2. प्रत्यक्ष  लोकतंत्र एवं अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में अंतर बताएं|
उत्तर:-मुख्य रूप से लोकतंत्र के दो भेद किए जाते हैं जिन्हें प्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है|
प्रत्यक्ष  लोकतंत्र——प्रत्यक्ष  लोकतंत्र शासन व्यवस्था का वह रूू है जिसमें जनता प्रत्यक्ष  रूप से शासन संचालन में भाग लेता है| इसे लोकतंत्र का विशुद्ध रूप भी कहा जा सकता है| प्राचीन काल में विश्व के अनेक देशों जैसे—-रोम, यूनान, भारत, चीन में यह पद्धति प्रचलित थी| स्विट्जरलैंड में आज भी यह पद्धति लागू है|
अप्रत्यक्ष लोकतंत्र——–अप्रत्यक्ष लोकतंत्र शासन व्यवस्था का वह रूप है जिसमें जनता अप्रत्यक्ष रूप से अथवा अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन संचालन में भाग लेती है| वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में अप्रत्यक्ष की प्रणाली ही ज्यादा प्रचलित है| भारत में भी यही पद्धति लागू है|
3. लोकतंत्र की किसी एक विशेषता का सोदाहरण वर्णन करें|
उत्तर:-लोकतंत्र के अंतर्गत जाति, वंश, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नही ं किया जाता है, कानून के सामने सभी नागरिक समान माने जाते हैं| इसके अतिरिक्त लोकतंत्र स्वतंत्रता का भी पोषक है| इसके अंतर्गत विचार, भाषण, सभा इत्यादि की स्वतंत्रताएं दी जाती है|
4. लोकतंत्र के पक्ष में चार तर्क दें|
उत्तर:- 1. लोकतंत्र जनमत पर आधारित शासन व्यवस्था है| यहीं कारण है कि इसमें शासक एवं शासित के बीच मधुर संबंध देखने को मिलता है|
2. लोकतंत्र समानता एवं स्वतंत्रता के सिद्धांत पर आधारित होता है| इसमें कानून की नजर में सभी को समान समझा जाता है| लोकतंत्र का यह बुनियादी सिद्धांत है|
3. वर्तमान युग में लोकतंत्र की हवा तेजी से बहने लगी है| यही कारण है कि विश्व के अधिकांश देशों में तेजी से लोकतंत्र का विकास हो रहा है|
4. लोकतंत्र में क्रांति की संभावना कम रहती है| इसमें प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करता है कि सरकार उनके कल्याण के लिए समर्पित है|
5. लोकतंत्र के विपक्ष में चार तर्क दें|
उत्तर:- 1. लोकतंत्र के आलोचकों ने इसे मूर्खों की सरकार कहकर संबोधित किया है| इस शासन व्यवस्था में हर व्यक्ति के मत का मूल्य समान होता है| परंतु अधिकांश व्यक्ति मूर्ख एवं अशिक्षित होते हैं अत: बहुमत के कारण चुनाव में ऐसे लोगों का पलड़ा भी ज्यादा भारी होता है| 
2. लोकतंत्र एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था है| अधिकांश व्यक्ति अशिक्षित एवं अज्ञानी होने के कारण अपने अधिकार एवं कर्तव्यों को समझ ही नहीं पाते, जिसका परिणाम यह होता है कि एक अनुत्तरदायी सरकार की स्थापना अनजाने में ही हो जाती है|
3. लोकतंत्र में समय तथा धन की काफी बर्बादी होती है| कोई भी निर्णय लेने में काफी विलंब होता है| लंबे वाद विवाद के बाद ही कोई निर्णय लिया जाता है, परंतु तब तक काफी कुछ नुकसान हो जाता है| यह खर्चीला शासन व्यवस्था भी है| राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग कर्मचारियों के वेतन पर ही खर्च हो जाता है, परिणामस्वरूप विकास कार्य प्रभावित होता है|
4. लोकतंत्र में पूंजीपतियों की विशेष चलती रहती है| धनी व्यक्ति काफी पैसे खर्चकर गरीब एवं अशिक्षित व्यक्तियों के मत को खरीद लेते हैं|गरीबों को यह पता ही नहीं चलता है कि वे अपने अधिकारों को चंद सिक्कों में बेच रहा है|
6. लोकतंत्र की सफलता की चार आवश्यक शर्तों का उल्लेख करें|
उत्तर:-

लोकतंत्र में अध्यक्ष—— आस्था के बिना कोई सरकार नहीं टिक सकती| लोकतंत्र की सफलता के लिए लोकतंत्र में जनता की आस्था की सबसे अधिक आवश्यकता है, क्योंकि लोकतंत्र जनमत पर आधृत सरकार है|
नागरिकों की सच्चरित्रता——— जनता को 
सच्चरित्र होना चाहिए| जनता में ईमानदारी, सच्चाई और लगन होना चाहिए|
सामाजिक समानता——– आर्थिक समानता के साथ साथ सामाजिक समानता भी नागरिकों को प्राप्त होना चाहिए|
स्वस्थ और सच्चा जनमत——- 
जनमत जनता की इच्छा है| जनता की इच्छा ही लोकतंत्र का आधार तथा पथ प्रदर्शक है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न







1. लोकतंत्र की विशेषताओं का वर्णन करें|
उत्तर:-लोकतंत्र में चुने गए प्रतिनिधि ही राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम फैसला लेते हैं एवं कानूनों का निर्माण करते हैं|
लोकतंत्र में वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनाव होता है|इसमें सभी व्यक्ति के मत का समान मूल्य होता है|
लोकतंत्र में विधि के शासन को प्रमुखता दी जाती है| कानून की नजर में ऊंच नीच, जात पांत, अमीर गरीब, शिक्षित अशिक्षित का भेदभाव नहीं किया जाता है|
लोकतंत्र की यह भी एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह बहुमत पर आधारित होता है| लोकसभा में बहुमत के कारण ही डा० मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री एवं बिहार में श्री नितीश कुमार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन है|अत: यह कहा जा सकता है कि ये विशेषताएँ ही लोकतंत्र के मजबूत आधार स्तंभ है|
2. लोकतंत्र शासन की सर्वोत्तम प्रणाली है, कैसे? तर्क प्रस्तुत करें|
उत्तर:-वास्तव में लोकतंत्र शासन की सर्वोत्तम प्रणाली है| यही कारण है कि विश्व के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक प्रणाली की सरकार कायम हो चुकी है| विशेषकर 1980 के बाद स्वतंत्र हुआ मुल्कों में इस प्रणाली को तेजी से अपनाया जा रहा है| म्यांमार जैसे कुछ ऐसे भी देश है जहाँ लोकतंत्र के लिए एक लम्बे अरसे से निरंतर संघर्ष चल रहा है| अब राजतंत्र,सैनिकतंत्र, साम्यवादी तंत्र का जमाना लद चुका है| प्राचीन विश्व इतिहास में भी लोकतंत्र के कुछ उदाहरण मिलते हैं| चीन, यूनान तथा रोम में भी सदियों पूर्व लोकतंत्र किसी न किसी रूप से कायम था|प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी में बुद्धकाल में गंगाघाटी के विभिन्न गणराज्यों में भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था कायम थी| इन गणराज्यों में कपिलवस्तु के शाक्य, सुभार पर्वत के भागों का प्रान्त, मिथिला के विदेह, वैशाली के लिच्छवि आदि शामिल थे, जहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के प्रमाण मिलते हैं| आजादी के बाद भारत में भी लोकतंत्र की स्थापना की गयी है| अतः यहाँ भी अन्य लोकतांत्रिक देशों की भांति शासकों का चुनाव लोग यानी आम जनता करती है| वास्तव में लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए एवं जनता द्वारा बनाई गई सरकार होती है| अतः यह नि: संदेह विश्व की सर्वोत्तम शासन प्रणाली है|
3. कुछ देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लोकतंत्र के विपक्ष में तर्क उपस्थित करें|
उत्तर:- यों तो लोकतंत्र शासन की सर्वाधिक सर्वोत्तम प्रणाली होती है, परंतु इसके बावजूद भी यह नहीं कहा जा सकता है कि इस शासन प्रणाली में कोई दोष नहीं है| प्रायः प्रत्येक प्रकार की शासन प्रणाली में गुण के साथ साथ कुछ दोष भी अवश्य ही निहित होते हैं| अतः लोकतंत्र में यानी लोकतांत्रिक पद्धति में भी कुछ दोष अवश्य होते हैं| इन दोषों या अवगुणों का वर्णन हम इस प्रकार कर सकते हैं——–
1. शासन व्यवस्था में स्थिरता का अभाव——
लोकतंत्र का प्रथम दोष यह है कि इस प्रकार की शासन प्रणाली में नेता बराबर बदलते रहते हैं| इसका शासन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है| बार बार नेता बदलने से शासन में अस्थिरता पैदा हो जाती है| प्रायः प्रत्येक नेता एवं दल शासन व्यवस्था पर कम ध्यान देता है और बराबर वह अपनी गद्दी (सत्ता) येन केन प्रकारेण बचाने में लगा रहता है|
2. नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं——
लोकतंत्र का दूसरा दोष यह है कि इसमें नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं होती है| प्रायः अधिकांश नेतागण दलबदल एवं सत्ता चिपकू होते हैं| अतः वे कुर्सी के मोह में दलीय सिद्धांतों एवं राष्ट्रीय महत्व को गौणकर देते हैं| अतः स्पष्ट है कि लोकतंत्र में नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं है|
3. प्रत्येक फैसले में विलंब——-
लोकतंत्र का तीसरा दोष यह है कि इस शासन प्रणाली में किसी भी विषय पर कोई ठोस निर्णय लेने में काफी विलंब होता है, जिसका परिणाम यह होता है कि फैसले अथवा निर्णय का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है| प्रत्येक छोटी से छोटी बात के लिए भी बहस एवं चर्चा में काफी वक्त लग जाता है|
4. लोगों के हितों का पता ही नहीं——-
उत्तर:-लोकतंत्र का चौथा दोष यह है कि अधिकांश नेताओं को लोगों अर्थात बहुमत के हितों का पता ही नहीं होता| आजकल वैसे सिने स्टार, क्रिकेट स्टार तथा चुने हुए अपराधी भी राजनीति में एकाएक कूद जाते हैं जिन्हें कल तक राजनीति से कुछ लेना देना नहीं था, उनकी अपने चुनाव क्षेत्र की समस्याओं का खुद पता ही नहीं होता, क्योंकि वे खुद दूसरे क्षेत्रों से आए हैं| स्थानीय क्षेत्र के लोग ही स्थानीय समस्याओं को ठीक से समझ सकते हैं एवं उनका सही हल सही समय पर खोज सकते हैं|
5. खर्चीला शासन व्यवस्था——
लोकतंत्र का पांचवाँ दोष यह भी है कि यह काफी खर्चीली शासन व्यवस्था होती है| प्रायः प्रत्येक महत्वपूर्ण फैसले के लिए पटना एवं दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है, जिसका परिणाम यह होता है कि सरकारी खजाने पर आवश्यक बोझ बढ़ जाता है|
6. मूर्खों का शासन——-
लोकतंत्र का छठा दोष यह होता है कि इसे मूर्खों का शासन भी कहा जाता है| वास्तव में चुनाव के समय नेता की वास्तविक योग्यता, नैतिकता, ईमानदारी, शैक्षिक योग्यता एवं कर्मठता को कोई नहीं देखता है और जो सबसे धनबल एवं जनबल में आगे होता है, वही चुनावी बाजी में सफल हो पाता है|
7. अन्य दोष——-
उपर्युक्त दोषों के अलावा भी लोकतंत्र यानी लोकतांत्रिक पद्धति में कयी दोष व्याप्त है| परंतु, इसके बावजूद भी यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र के अनेक महत्वपूर्ण गुण भी होते हैं| यह आधुनिक वैश्विक जगत की प्रमुख माँग है| यही कारण है कि आज दुनिया के अधिकांश देशों में लोकतंत्र की लहर काफी तेजी से फैल रही है| अतः स्पष्ट है कि लोकतंत्र में अनेक दोष होते हैं|
प्रश्न 4. विभिन्न लोकतांत्रिक देशों के सामने जो समस्याएँ है उन्हें ध्यान रखते हुए लोकतंत्र की समस्याओं का वर्णन करें|
उत्तर:-आजादी के बाद भारत में लोकतंत्र की स्थापना की गयी है| हमारे देश में लोकतंत्र के सामने निम्नलिखित ज्वलंत समस्याएँ है——–
1. शिक्षा की कमी—–
हमारे देश में शिक्षा की कमी है| यहाँ अशिक्षित लोगों की बहुत बड़ी संख्या है, जो देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है| अतः शिक्षा के अभाव में अधिकांश लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी नहीं है|
2. आर्थिक असमानता—–
भारत में आर्थिक असमानता अपनी चरम सीमा पर है| किसी के पास संपत्ति है और किसी के पास न तो खाने को अन्न है और न तो रहने के लिए घर| तंगी की हालत में जनता अपने अधिकारों एवं देश की बात सोच भी नहीं सकती है| यहाँ उसके वोट चंद सिक्कों में खरीदे जाते हैं| जहाँ समाज में इस प्रकार की असमानता व्याप्त है वहाँ भला लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है|
3. समाजिक असमानता——-
उत्तर:-सामाजिक असमानता भी भारतीय लोकतंत्र की बहुत बड़ी समस्या है| सामाजिक समानता के बिना सच्चे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती | यहाँ अमीर गरीब के बीच की खायीं, जातिवाद, क्षेत्रवाद, सम्प्रदायवाद अपने चरम पर है|
4. लोकतंत्र के प्रति आस्था का अभाव——-
भारत में लोकतंत्र के प्रति अधिकांश जनता आस्थावान नहीं दिखती है| लोग अपने अपने हित के लिए तो हर समय सोचते हैं, परंतु वे देश हित एवं समाजहित के बारे में शायद ही सोच पाते हैं| लोगों को यह ही नहीं है कि लोकतंत्र की रक्षा कैसे की जाए 
5. राजनीति का अपराधीकरण——–
राजनीति का अपराधीकरण भी लोकतंत्र की प्रमुख समस्याओं में से एक है| लोकतंत्र में अच्छे लोग राजनीति में आने से कतराते है और अपराधी चरित्र के लोग जोर जुल्म एवं भ्रष्टाचार द्वारा चुनाव में जीत हासिल कर लेते हैं| इन समस्याओं का निदान करके ही हम भारतीय लोकतंत्र की रक्षा कर सकते|

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