Bharti Bhawan Political Science Class-9:Chapter-3:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:राजनीति शास्त्र:कक्षा-9:अध्याय-3:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


                संविधान की रचना एवं मूल्य




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न






1. दक्षिण अफ्रीका का संविधान बनने में कितना समय लगा? 
उत्तर:- 2 वर्ष
2. भारत का संविधान बनने में कितना समय लगा? 
उत्तर:-2 वर्ष 11 महीने 18 दिन
3. साइमन कमीशन भारत कब आया? 
उत्तर:-1928 ई० में
4. गाँधी इरविन समझौता कब हुआ? 
उत्तर:-5 मार्च 1931 ई० में
5. किस वर्ष प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया? 
उत्तर:-1976 में
6. भारतीय संविधान के अनुसार संप्रभुता कहाँ निहित है? 
उत्तर:-भारत की जनता में
7. भारतीय संविधान कितने भागों में विभक्त है? 
उत्तर:-22 भागों में
8. भारतीय संविधान में अनुसूचियों की संख्या कितनी हो गयी है? 
उत्तर:-12 अनुसूचियां
9. भारतीय संविधान के उद्देश्यों में धर्मनिरपेक्षता पर एक उद्देश्य क्यों शामिल किया गया है? 
उत्तर:-नागरिकों को अपना अपना धर्म मानने का अधिकार है| प्रत्येक नागरिक अपने अपने धर्म का प्रचार कर सकता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न







1. संविधान की प्रस्तावना से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:-स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने सर्वप्रथम अपने संविधान का निर्माण किया| यह संविधान प्रस्तावना से ही प्रारंभ होता है| प्रस्तावना किसी देश के संविधान की कुंजी होती है| प्रायः अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों के संविधान प्रस्तावना से ही प्रारंभ होता है| वास्तव में प्रस्तावना संविधान का अंग तो नहीं होती है, परंतु इसमें संविधान के स्रोतों, लक्ष्यों, उद्देश्यों, आदर्शों और सरकार के बुनियादी राजनीति ढांचों का संक्षिप्त विवरण होता है| किसी भी देश के संविधान की प्रस्तावना से ही इस बात की झलक मिल जाती है कि वहाँ का संविधान किस प्रकार का है तथा उसके मूलभूत आदर्श क्या है|
2. भारतीय संविधान की रचना के किन्हीं चार चरणों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
संविधान सभा के सदस्य——
संविधान सभा एक निर्वाचित संस्था थी| इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रांतीय विधानमंडलों द्वारा हुआ था|
प्रारूप समिति का गठन——-
29 अगस्त 1947 को संविधान सभा द्वारा एक प्रारूप समिति का गठन किया गया|
संविधान के प्रारूप की स्वीकृति——
संविधान के प्रारूप पर संविधान सभा में 144 दिनों तक विचार होता रहा| उसमें 2,473 संशोधन पेश किए गए|
संविधान का उद्घाटन——
भारत के नये संविधान का उदघाटन 26 जनवरी 1950 को किया गया|
3. लोकतांत्रिक गणराज्य का क्या अर्थ है? 
उत्तर:-लोकतंत्र में जनता या जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि ही देश के शासन का संचालन करते हैं| गणतंत्र दो शब्दों के मेल से बना है—- गण और तंत्र| गण का तात्पर्य जनता या लोग से है और तंत्र का तात्पर्य शासन से है| अत: गणतंत्र का अर्थ सीधे तौर पर जनता का शासन होता है|
4. संविधान की क्यों आवश्यक है? 
अथवा, संविधान के कार्यों को संक्षेप में उल्लेख करें|
उत्तर:-संविधान चाहे किसी भी देश के हों, वे उस देश की शासन व्यवस्था की रूपरेखा नियम तथा कायदे कानूनों की व्याख्या करते हैं संविधान के अनेक कार्य है हमें संविधान की जरूरत निम्न कारणों से पड़ती है——–
प्रथम संविधान विभिन्न जाति, धर्म, समुदाय, वंश, लिंग, क्षेत्र के लोगों के बीच जरूरी भरोसा एवं सहयोग की बहाली करता है|
द्वितीय संविधान सरकार के कार्यों एवं अधिकारों की लक्ष्मण रेखा निर्धारित करती है|
तृतीय, यह नागरिकों के अधिकारों की सीमा रेखा भी निर्धारित करती है|
चतुर्थ, यह सरकार गठन के तरीके भी तय करता है|
पंचम, संविधान यह भी तय करता है कि कौन सा फैसला किस स्तर से होगा|
षष्ठ, किसी भी देश का संविधान समाज के गठन के लिए आम लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करने के साथ साथ उसे मूर्त रूप देता है|
सप्तम, संविधान सरकार और लोगों के बीच के संबंधों को निर्धारित करते हैं| अतः, स्पष्ट है कि संविधान अनेक करते हैं| उपर्युक्त कारकों के कारण ही हमें संविधान की आवश्यकता पड़ती है|

5. भारतीय संविधान के मूल्यों का वर्णन करें|
उत्तर:- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अध्ययन से ही संविधान के मूल उद्देश्यों एवं उसके बुनियादी मूल्यों की स्पष्ट झलक सहज ही मिल जाती है, संविधान सभा में संविधान के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए 13 दिसम्बर 1946 को पंडित नेहरू ने यह कहा था कि——” मैं आपके सामने जो प्रस्ताव पेश कर रहा हूँ उसमें हमारे उद्देश्यों की व्याख्या की गई है, योजना की रूपरेखा दी गयी है और यह बताया गया है कि हम किस राह पर चलनेवाले है ” | उन्होंने भारतीय संविधान के उद्देश्यों एवं मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए यह कहा था कि भारत एक स्वतंत्र संप्रभुता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य होगा तथा इसके सभी नागरिकों को समानता, स्वंतत्रता, विश्वास, धर्म, उपासना,व्यवसाय, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक न्याय, अवसर की समानता तथा विचार अभिव्यक्ति की गारंटी दी जाएगी|
6. दक्षिण अफ्रीका के संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है? 
उत्तर:-नागरिकों को व्यापक अधिकार प्राप्त हुए | हर समस्या के समाधान में सबों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न








1. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेताओं का वर्णन करें|
उत्तर:-प्रायः, प्रत्येक देश के संविधान की कुछ विशेषताएँ होती हैं|ठीक उसी प्रकार भारतीय संविधान की भी कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं जो इस प्रकार है——
(क)लोकतांत्रिक गणराज्य—— यह भारतीय संविधान की पहली प्रमुख विशेषता है| यह इस बात की ओर संकेत करता है कि सरकार की वास्तविक शक्ति जनता यानि लोग में निहित है|
(ख)एक विशालकाय तथा लिखित संविधान——– यह भारतीय संविधान की दूसरी प्रमुख विशेषता है| यह विश्व का सर्वाधिक विशाल संविधान है| इसमें शासक एवं नागरिक के अधिकारों का विस्तृत वर्णन किया गया है|
(ग) समाजवादी गणराज्य——42 वें संविधान संशोधन द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को समाजवादी गणराज्य घोषित किया गया है|
(घ) संसदीय शासन प्रणाली—– संविधान द्वारा भारत में संसदीय शासन प्रणाली को स्वीकार किया गया है|
(ड़) धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना—– यह भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता है| 42 वें संविधान संशोधन द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में इसे जोड़ा गया है|
(च) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना——- यहाँ संविधान द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की गई है|
(छ) सार्वभौम वयस्क मताधिकार—– भारतीय संविधान जाति, लिंग, क्षेत्र, वर्ग, संप्रदाय, भाषा का भेदभाव किए बिना वैसे समस्त भारतवासी को जिनकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो वोट देने का अधिकार देता है|
(ज) संघीय शासन प्रणाली की व्यवस्था——– भारत में संविधान द्वारा शासन प्रणाली की स्थापना की गई है| भारतीय संविधान में यह स्पष्ट कहा गया है कि भारत राज्यों का एक संघ होगा| अत: संविधान द्वारा केन्द्र सरकार एवं राज्यों के अधिकारों का स्पष्ट विभाजन कर दिया गया है|
(झ) मूल अधिकार एवं कर्तव्य—— भारतीय संविधान की यह मूल विशेषता है नागरिकों के मूल अधिकारों के साथ साथ भारतीय संविधान में नागरिकों के 11 कर्तव्यों की चर्चा भी की गई है|
(ञ)अन्य विशेषताएँ—— भारतीय संविधान की उपर्युक्त विशेषताओं के अलावे और भी कयी विशेषताएँ हैं, जैसे—-राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख, एकल नागरिकता, एक राष्ट्रभाषा, विश्वशांति का समर्थक, अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के हितों की रक्षा इत्यादि| अतः स्पष्ट है कि भारतीय संविधान की अनेक प्रमुख विशेषताएँ हैं| ये विशेषताएँ काफी महत्वपूर्ण है|
2. भारतीय संविधान की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन करें——
उत्तर:-
संप्रभुत्व संपन्न—– 
संप्रभुत्व संपन्न राज्य ऐसे राज्य को कहते हैं जो अपने आंतरिक मामलों और बाहरी मामलों में पूर्ण स्वतंत्र होता| यह किसी दूसरी सरकार या शक्ति के अधीन नहीं होता| लोगों को अपने सभी मामलों में निर्णय का अंतिम एवं सर्वोच्च अधिकार होता है| भारत की सरकार को कोई बाहरी शक्ति आदेश नहीं दे सकती है|
धर्म निरपेक्ष——-
धर्म, निरपेक्ष राज्य वैसे राज्य को कहते हैं जिसका अपना कोई धर्म नहीं होता| राज्य धार्मिक मामलों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करता है| सरकार सभी धर्म को समान सम्मान प्रदान करती है|
समाजवादी—–
संविधान की प्रस्तावना के अंतर्गत समाजवादी शब्द का उपभोग किया गया है| यह इस बात को स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सम्पदा का बंटवारा समानता के आधार पर होना चाहिए| सरकार द्वारा इस प्रकार के नियमों का निर्माण किया जाना चाहिए कि राष्ट्रीय संपत्ति कुछ ही लोगों के हाथों में केन्द्रित न हो| प्राकृतिक संपदा राष्ट्र की धरोहर है| अतः इसका न्यायोचित वितरण हो|
लोकतांत्रिक गणराज्य——
एक लोकतांत्रिक गणराज्य वैसे राज्य को कहते हैं जहाँ जनता अपने शासन का संचालन स्वयं करती है| भारत में प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र की स्थापना की गई है| इसे कार्यरूप में परिणत करने के लिए अधिकार दिया गया| उनके मतों का मूल्य समान है| शासन संचालन के लिए वे अपने प्रतिनिधियों का स्वंय निर्वाचन करते| इस प्रकार भारत में लोकतंत्र की स्थापना की गई है और जनता को अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वंय शासन संचालन का अधिकार प्रदान किया गया है|
3. भारतीय संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? संक्षेप में समझाएँ|
उत्तर:-भारतीय संविधान की प्रस्तावना काफी महत्वपूर्ण है| इस प्रस्तावना के अध्ययन से भारतीय संविधान के मूल उद्देश्यों की जानकारी होती है| भारतीय संविधान की प्रस्तावना के महत्व निम्नलिखित हैं——-
1. जनता का संविधान——-
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का प्रारंभ ही हम भारत के लोग से किया गया है| इसका यह स्पष्ट है अर्थ होता है कि यह लोगों यानि जनता का संविधान है| वास्तव में इस संविधान का निर्माण जनता ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से किया है| अमेरिका एवं दक्षिण अफ्रीका के संविधान की प्रस्तावना का प्रारंभ भी लगभग इसी तरह किया गया है|
2. सरकार के स्वरुप की झलक——-
इस प्रस्तावना में सरकार के स्वरूप की स्पष्ट झलक मिलती है| भारत एक संप्रभुतासंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य है, अतः यह आंतरिक एवं बाह्य दबावों से स्वतंत्र है|
3. आदर्शों एवं मूल्यों की झलक——-
इस संविधान की प्रस्तावना के अध्ययन से तुरंत यह आभास हो जाता है कि राष्ट्रीय एकता, अखंडता, समानता, स्वतंत्रता, भाईचारा, विश्वशांति भारतीय संविधान के मूल आदर्श है| इसका यह स्पष्ट अर्थ है कि भारत के प्रत्येक शासक को, चाहे वह किसी भी दल की सरकार क्यों न हो, इन आदर्शों एवं मूल्यों का पालन करना पड़ता है एवं उसे आगे भी बनाए रखना उसका एक आवश्यक राजधर्म होता है|
4. धर्मनिरपेक्ष राज्य——–
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है| 42 वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया है| अतः धर्म के आधार पर भारत के किसी भी नागरिक के साथ कोई भेदभाव नही किया जा सकता है| अतः यह कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना का महत्व के किसी भी भाग के महत्व से कम नहीं है|

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