प्राकृतिक वनस्पति और वन्य प्राणी
कारण बताएं—-
1. राजस्थान में झाड़ियाँ मिलती हैं| क्यों?
उत्तर:-वर्षा की कमी और जलवायु की विषमता
2. अंडमान निकोबार में चिरहरित (सदाबहार) वन मिलते हैं| क्यों?
उत्तर:-वहाँ वर्षा की उपलब्धता 200 सेमी० से अधिक है|
3. सखुआ(साखू) की लकड़ी कड़ी होती है, पर देवदार की लकड़ी मुलायम होती है| क्यों?
उत्तर:-गर्मी की कमी के कारण देवदार की लकड़ी मुलायम होती है|
4. वन महोत्सव महत्वपूर्ण माना जाता है| क्यों?
उत्तर:-इससे वन संरक्षण के प्रति जागृति बढती है|
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. चिरहरित वन के कोई दो वृक्षों के नाम लिखें|
उत्तर:-बेंत, बांस
2. सखुआ किस वन का प्रमुख पेड़ है?
उत्तर:-उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
3. कार्बेट अभ्यारण्य भारत के किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:-उतराखंड
4. भारत में पहला जीव आरक्षण क्षेत्र कब और कहाँ बना?
उत्तर:-नीलगिरी में 1986 में
5. पतझड़ वन का सर्वप्रमुख पेड़ कौन है?
उत्तर:-सागवान
6. देवदार किस प्रकार के वन की उपज है?
उत्तर:-पर्वतीय वन
7. पूर्वी भारत स्थित एक राष्ट्रीय वन उद्यान का नाम लें-
उत्तर:-मानस
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत में वर्षा पर आधारित वनों के नाम लिखकर किसी एक का विवरण दें-
उत्तर:-(क)उष्ण चिरहरित वन (ख) पतझड़ मानसून वन (ग) शुष्क वन|
उष्ण चिरहरित वन—–ये वन उष्ण एवं अधिक वर्षा वाले (200 सेंटीमीटर या इससे अधिक) क्षेत्रों में है| पश्चिमी घाट, अंडमान द्वीप, हिमालय तराई, पूर्वी हिमालय के उत्तर प्रदेश तथा असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर मिजोरम, त्रिपुरा ऐसे ही क्षेत्र है| प्रमुख पेड़ है—महोगनी, आबनूस, रोजवुड बेंत, बास, जारूर, ताड़, सिनकोना और रबर है|
2. भारत की वनस्पति में विविधता के कारणों पर प्रकाश डालें—
उत्तर:- वर्षा का असमान होना, पहाड़ों की असमान ऊंचाई, समुद्र तटीय भाग दलदली होना
उपरियुक्त कारणों के कारण भारत की वनस्पति में विविधता पायी जाती है|
3. वन महोत्सव क्या है? इसका क्या महत्व है?
उत्तर:-1952 से भारत वन महोत्सव मनाकर वनों के संरक्षण एवं विकास के प्रति प्रतिबद्धता व्यस्त करता है| अभी तक देश में 17 वन विकास निगम स्थापित किए जा चुके हैं| इसका महत्वपूर्ण पक्ष है कि प्रत्येक साल संकल्प को याद करते हैं और सालभर के किए हुए कार्यों का लेखा जोखा करते हैं|
4. भारतीय वन किस प्रकार लाभकारी है? उनका संरक्षण कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:-(क) ये हमें भवन निर्माण के लिए टिकाऊ लकड़ियाँ प्रदान करते हैं|
(ख) बक्सा पेटी, दिया सलाई, कागज की लुगद
, फर्नीचर आदि तरह तरह की वस्तुएँ तैयार करने के लिए औद्योगिक लकड़ियाँ प्रदान करते हैं|
(ग) ये ईंधन की आपूर्ति करते|
(घ) ये जलवायु को कम करते हैं|
(ड़) वर्षा लाते हैं|
(च) मिट्टी का कटाव रोकते है|
(छ) पर्यटकों को आकर्षित करते हैं|
संरक्षण के उपाय—–(क) वानिकी शिक्षा बढाई जाय|
(ख) प्रतिवर्ष नये वन लगाए जाएं|
(ग) वनों के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाया जाए और प्राचीन काल की वन्य संस्कृति को पुनर्जीवित किया जाए|
(घ) वन संरक्षण के लिए विशेष योजनाएँ चालू की जाएं, जैसे बाघ परियोजना, हाथी परियोजना, अभयारण्यों की स्थापना आदि|
5. भारत में पाये जाने वाले दो प्रमुख प्रकार के वनों का विवरण प्रस्तुत करें|
उत्तर:-(क)उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन या सदाबहार वन——- ये पट्टियाँ उष्ण एवं अधिक वर्षा वाले (200 सेंटीमीटर या अधिक) क्षेत्रों में है| पश्चिमी घाट, अंडमान द्वीप, हिमालय की तराई, पूर्वी हिमालय के उप प्रदेश तथा असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा ऐसे ही क्षेत्र है|इस वन के प्रमुख पेड़ है– महोगनी, आबनूस, रोजवुड, बेंत, बास, जारूल, ताड़, सिनकोना और रबर है|
(ख)उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन—– ये पट्टियाँ 70 से 200 सेंटीमीटर वर्षावाले क्षेत्रों में है| हिमालय की तराई और प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर पूर्वी भाग (छोटानागपुर, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा) इनके मुख्य क्षेत्र है| सागवान, सखुआ, शीशम, चंदन, आम, महुआ, बांस और त्रिफला के पेड़ विशेष महत्व के है|
6. जीव संरक्षण क्षेत्र से आप क्या समझते हैं? भारत में पहला जीव आरक्षण क्षेत्र कहाँ स्थापित हुआ?
उत्तर:-जीवों की विविधता को बनाये रखने और जीवों को संरक्षण प्रदान करने के लिए इन जीव संरक्षण क्षेत्र बनाये गये हैं| भारत का पहला जीव आरक्षण क्षेत्र नीलगिरी में 1986 में स्थापित किया गया|
7. इन पर टिप्पणियाँ लिखें—-
(क)पारितंत्र——वनस्पति और प्राणीजीवन में अटूट संबंध है| दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और एक दूसरे से प्रभावित होते हैं| इनके अंतर्संबंध को पारितंत्र कहते हैं|
(ख) बायोम—– पृथ्वी पर विशिष्ट प्रकार की वनस्पति या प्राणी जीवन वाले विशाल पारिस्थितिक तंत्र बायोम कहते हैं|
(ग) वनस्पति वितरण पर उच्चावच का प्रभाव—–1, 500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पर्वतीय वन तथा तटीय दलदल भागों में ज्वारीय वन मिला करते हैं|
8. अंतर स्पष्ट करें—-(क) पर्णपाती वन और चिरहरित वन (ख) वनस्पति जगत और प्राणी
उत्तर:-(क) जहाँ वर्ष 70-200 सेमी तक होती है वहाँ पर्णपाती वन पाये जाते हैं| जहाँ पर वर्षा 200 सेमी या अधिक होती है वहाँ चिरहरित वन पाये जाते हैं|
(ख) भारत के विशाल वृक्षों से लेकर झाड़ियाँ और घास तक अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ उष्ण क्षेत्रीय, शीतोष्ण और उच्च पर्वतीय सभी प्रकार की वनस्पतियों को वनस्पति जगत कहते हैं|
(ग) भारत में जितने भी प्रकार प्राणी मिलते हैं जैसे मानव, पशु, पक्षी आदि प्राणी जगत कहलाते हैं| वनस्पति जगत प्राणी जगत का आधार है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय वनों की विभिन्न पेटियों का वर्णन करें-
अथवा, भारत की प्राकृतिक वनस्पतियों का विस्तृत वर्णन करें-
उत्तर::वर्षा, तापमान, उच्चावच तथा भौगोलिक स्थिति के कारण भारत की प्राकृतिक वनस्पति में विविधताएं मिलती है| भारत में 5 प्रकार के वन तथा उनमें विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ मिलती है|
(क) चिरहरित वन (उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन)—–
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन वाले ये वन 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में है| इस दृष्टि से पश्चिमी घाट, अंडमान द्वीप, हिमालय की तराई एवं उत्तर पूर्वी भारत के क्षेत्र उल्लेखनीय है| यहाँ पेड़ों की ऊँचाई 60 मीटर तक मिलती हैं जिनमें महोगनी, आबनूस, रोजवुड, बेंत, बांस, ताड़, सिनकोना एवं रबर महत्वपूर्ण वृक्ष है|
(ख) पतझड़ वन (उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन)—
उत्तर:-70 से 200 सेंटीमीटर वर्षावाले क्षेत्र में पतझड़ वन पाये जाते हैं| इस दृष्टि से हिमालय की तराई एवं प्रायद्वीपीय पठार का उत्तर पूर्वी भाग महत्वपूर्ण क्षेत्र है इह वन के वृक्ष ग्रीष्मकाल के आरंभ में अपनी पत्तियाँ गिरा देता है| यहाँ के महत्वपूर्ण वृक्षों में सागवान, सखुआ, शीशम, चंदन, आम, महुआ, बांस आदि शामिल हैं|
(ग) शुष्क और कंटीले वन—-
उत्तर:-70 सेंटीमीटर से कम वर्षावाले क्षेत्रों की यह विशेषता है| इस पेटी में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात के कुछ भाग शामिल हैं| वर्षा की कमी के कारण यहाँ छोटे पेड़ तथा झारियाँ उगती है जिससे कीकर, बबूल, खैर, खजूर, नागफनी उल्लेखनीय है|
(ग) पर्वतीय वन—–
उत्तर:-1, 500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर इस प्रकार के वन मिलते हैं जिन्हें कोणधारी चिरहरित वन एवं अल्पाइन वनस्पतियों में बांटा जाता है| यहाँ देवदार, स्कूल, सिल्वर, फर्क चीड़, ओक, पोपलर, मैपल, इत्यादि के पेड़ मिलते हैं|
(घ) ज्वारीय वन——
उत्तर:-भारत के पूर्वी तटीय भाग में जहाँ निम्न डेल्टा भाग उच्च ज्वारीय के समय जलमग्न हो जाता है, वहाँ ज्वारीय वन का विकास पाया जाता है| ऐसे वन में मैंग्रोव और सुन्दरी के वृक्ष अधिक पाये जाते हैं|
2. भारत के वन्य जीवों और उनके संरक्षण पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-वनस्पति की विविधता की तरह भारत में वन्य पशुओं की विविधता भी देखी जा सकती है| यहाँ 89,000 जातियों के वन्य प्राणी मिलते हैं| हाथी जैसे बड़े पशु से लेकर भालू, सिंह, सियार और चूहे तथा गिलहरी तक के जीव पाए जाते हैं| जल स्थलचर (मगरमच्छ) केवल भारत में ही मिलते हैं| यहाँ मछलियों की कोई 2500 जातियाँ और पक्षियों की 1200 से अधिक जातियाँ मिलती है| भारतीय पक्षियों में मोर, हंस, बत्तख, मैना, तोता, कबूतर, सारस और बगुले मुख्य रूप से मिला करते हैं| मोर को राष्ट्रीय पक्षी होने का गौरव है| जीवों की विविध बनाये रखने के लिए वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए अनेक योजनाएँ चलती है|
3. भारत में वनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? इसे कैसे सफल बनाया जा सकता है?
उत्तर:-वन भारत की अमूल्य राष्ट्रीय सम्पत्ति है, जहाँ 47,000 किस्मों की वनस्पतियाँ मिलती हैं| फूल देनेवाले 15,000 प्रकार के पौधे तथा जड़ी बूटियों की 2,000 किस्में मिलती है| इतने विविध एवं धनी वन संसाधन के कारण ही भारत विश्व में 10 वां तथा एशिया में चौथा स्थान रखता है| यही नहीं यहाँ उष्ण, शीतोष्ण एवं आकर्टिक तीनों कटिबंधों में पाए जानेवाले पेड़ पौधे मिलते हैं जो भारतीय वन की विशिष्टता है| इन वनों में कुछ ऐसे भी पेड़ पौधे और वनस्पतियाँ मिलती हैं जो विश्व में कहीं भी दूसरी जगह दुर्लभ है| इनमें सर्पगंधा उल्लेखनीय है| रक्तचाप की औषधि तैयार करने में काम आनेवाली यह वनस्पति है| भारत के 60℅ पौधे विशुद्ध देशी है| ऐसी स्थिति में भारत की यह अमूल्य संपदा देशवासियों के लिए गर्व की बात है| इन सभी वनों की अलग अलग संसाधनात्मक क्षमता है| वनों का वितरण वर्षा, तापमान और उच्चावच से प्रभावित है| इसी तरह, इन वनों की विभिन्नता के साथ वन्य प्राणियों में भी विभिन्नताएँ मिलती हैं| भारत में चूहा और खरगोश से लेकर हाथी, ऊँट एवं गैंडा जैसे विशाल जानवर एवं कई स्थल जलचर जीव भी मिलते हैं| इस दृष्टि से यहाँ 89,000 प्रजातियों के वन्य जीव, 2,500 प्रजाति की मछलियाँ एवं 1,200 से अधिक प्रजातियों की चिड़िया मिलती हैं| विकास के नाम पर आर्थिक लाभ की प्राप्ति के लिए वनों को साफ किया गया है| इससे न केवल पर्यावरण असंतुलन की समस्या गंभीर हुई है, बल्कि वन्य जीवों का अस्तित्व और सुरक्षा भी खतरे में पड़ गया है| इसलिए, भारतीय वनों के संरक्षण की नितांत आवश्यकता है| इसे सफल बनाने के लिए वन्य जीव अभ्यारण्य विकसित किए गए हैं प्राणियों के संरक्षण की योजनाएँ चलायी जा रही हैं| राष्ट्रीय वन उद्यान, जैविक उद्यान, वन महोत्सव की योजनाएँ देश में चलायी जा रही हैं| इसे सफल बनाने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है| प्रत्येक नागरिक में इसका महत्ता के प्रति जागरूकता पैदा करना है|
4. भारत की वनस्पतियों एवं जीवों को प्रभावित करनेवाले कारकों का वर्णन करें|अर्थात्, भारत में वनस्पति एवं वन जीवों में पायी जानेवाली विविधताओं के भौगोलिक कारकों की समीक्षा करें|
उत्तर:-वनस्पतियों एवं जीवों के बीच घनिष्ठ संबंध पाया जाता है| वास्तव में जीवों का निवास उसके भौतिक पर्यावरण से जुड़ा रहता है| प्रत्येक जीव एवं कुछ जीव समूह एक ही प्रकार के वातावरण में रहते हैं| परंतु, सभी जीव एक ही प्रकार के वातावरण में नहीं पाये जाते हैं| अर्थात्, वातावरण विशेष अनुरूप ही वनस्पतियाँ भी पायी जाती है| भौगोलिक दृष्टि भारत की वनस्पतियों एवं जीवों की विविधताएँ कयी कारकों से प्रभावित है| इनमें प्रमुख हैं——-
उच्चावच——उच्चावच की दृष्टि से देश में पर्वत, पठार एवं मैदान जैसी विशेषताएँ पायी जाती है| इनकी मौलिक विशेषताओं में भिन्नता के कारण वनस्पतियों से भी भिन्नता का पाया जाना स्वाभाविक है|
तापमान——-देश के विशाल आकार के कारण यहाँ के तापमान में भी पर्याप्त क्षेत्रीय विशेषताएँ मिलती हैं| तापमान के अंतर के साथ ही वनस्पति में भी भिन्नताएँ आ जाती है|
वर्षा—–भारत में वर्षा की मात्रा में अंतर का एक प्रारुप मिलता है| उसी प्रारुप के अनुसार वनस्पतियों के प्रारुप में भी परिवर्तन पाया जाता है| इन विशेषताओं के कारण देश में 5 प्रकार के वनस्पति प्रदेश में कयी प्रकार के पशु पक्षी मिलते हैं————
चिररहित वनस्पति प्रदेश——–इन वनस्पति प्रदेश में सदाबहार वृक्ष पाये जाने, उच्च तापमान वर्षा एवं दलदली प्रदेश होने के कारण बंदर, लंगूर, हाथी, एक सींगवाला गैंडा तथा तरह तरह के पक्षी मिलते हैं|
पतझड़ वनस्पति प्रदेश——इन वनों में जंगली सूअर, बाघ, हाथी, हिरण, लकड़बग्गा,शेर एवं मोर जैसे पक्षी भी मिलते हैं|
शुष्क वनस्पति प्रदेश——यहाँ जंगली गधा एवं ऊंट पाया जाता है|
पर्वतीय वनस्पति प्रदेश—–तेंदुआ यहाँ का मुख्य जानवर है|
ज्वारीय वनस्पति प्रदेश—–रायल बंगाल टाइगर, घड़ियाल, सांप, कछुआ इत्यादि यहाँ पाये जाते हैं|इससे स्पष्ट होता है कि उच्चावच, तापमान एवं वर्षा में अंतर के कारण वनस्पति तथा जीव का विकास प्रभावित होता है|
5. वनस्पति एवं प्राणी जगत की उपयोगिता पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-भारत में लगभग 47,000 किस्मों की वनस्पतियाँ उगती है| इस दृष्टि से इसका विश्व में 10 वां स्थान एवं एशिया में चौथा स्थान है| फूलवाले पौधों की लगभग 15,000 किस्में एवं जड़ी बूटियों का 2,000 किस्में पायी जाती है| इसके साथ ही साथ यहाँ जीवों की 89,000 प्रजातियाँ मिलती है| मछलियों की 2,500 प्रजातियाँ तथा पक्षियों की 1,200 से अधिक प्रजातियाँ मिलती है| इन विविधताओं के साथ ये भारत के सुंदर एवं स्वच्छ वातावरण का निर्माण करते हैं| चिरहरित वन के वृक्षों की कटाई से पारिस्थितिक असंतुलन की समस्याएँ उत्पन्न होती जा रही है| पतझड़ वन की वनस्पति आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| यहाँ के वृक्षों में सागवान, साल, शीशम, और चंदन के वृक्ष विशेष आर्थिक महत्व के हैं सागवान और साल की लकड़ी भवन निर्माण, नाव तथा जहाज निर्माण के लिए उपयोग होती है| चंदन सर्वाधिक कीमती लकड़ी है| बांस और साहब घास का उपयोग कागज उद्योग में होता है| रेशम के कीड़े शहतूत तथा लाह के कीड़े प्लास,बबूल, और पीपल के वृक्ष पर पाले जाते हैं| शुष्क वन की वनस्पतियों में खजूर से चीनी एवं गुड़ बनाने का उद्योग चलता है| बबूल पर लाह के कीड़े पालने का काम किया जाता है| नागफनी का उपयोग औषधि के रूप में भी होता है| ज्वारीय वनस्पति सुंदरी वृक्ष का उपयोग जलावन के कार्य में होता है|नारियल और ताड़ के वृक्षों का व्यापक आर्थिक महत्व है| इस प्रत्यक्ष लाभों के अतिरिक्त इन वनस्पतियों एवं वनों के अप्रत्यक्ष लाभ भी है| ये जलवायु को सम रखते हैं| बादलों को आकृष्ट कर वर्षा लाते हो| मिट्टी कटाव को रोकते है| आंधी तूफान एवं बाढ को रोकते है| अंततः ये वृक्ष और जानवर पर्यावरण का एक मुख्य अंग बनकर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं|
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