जलवायु
कारण बताएं—-
1. राजस्थान में गर्मी का औसत अत्यंत गर्म हो उठता है| क्यों?
उत्तर:-मरुस्थलीय क्षेत्र होने के कारण
2. हिमालय के पर्वतीय भाग में हिमपात होता है| क्यों?
उत्तर:-वहाँ का तापमान बहुत कम हो जाता है|
3. मेघालय पठार पर सर्वाधिक वर्षा होती है| क्यों?
उत्तर:-दक्षिण पश्चिम मानसून सबसे पहले वहीं टकराती है|
4. थार में मरुभूमि पाई जाती है| क्यों?
उत्तर:-अत्यल्प वर्षा के कारण
5. लेह में अत्यल्प वर्षा होती है| क्यों?
उत्तर:- लेह तक पहुँचते पहुँचते मानसून विरल हो जाता है|
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत के किस राज्य में सबसे अधिक ठंडक पड़ती है?
उत्तर:-जम्मू और कश्मीर
2. भारत के किस राज्य में सबसे अधिक वर्षा होती है?
उत्तर:-मेघालय
3. शरद ऋतु का समय कब से कब तक माना जाता है?
उत्तर:-अक्टूबर मध्य से नवम्बर मध्य तक
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. (क) चेन्नई में वर्षा प्राप्ति की मात्रा की दृष्टि से अवरोही क्रम में कौन सा तीसरे क्रम पर है?
उत्तर:-दिसम्बर
(ख) नागपुर में सबसे ठंडा महीना कौन है?
उत्तर:-दिसम्बर
(ग) दिल्ली में सबसे शुष्क माह कौन है?
उत्तर:-दिसम्बर
2. जलवायु का क्या अर्थ है|
उत्तर:-जलवायु का अर्थ किसी भौगोलिक क्षेत्र की दीर्घकालीन मौसमी दशाओं का कुल योग है|
3. मौसम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-किसी निश्चित स्थान की, किसी समय में वायुमंडल दशाओं का संकेत मौसम कहलाता है|
4. मानसून का क्या अर्थ है? इसकी क्या विशेषताएँ हैं|
उत्तर:-मानसून शब्द का अरबी भाषा के मौसमी शब्द से बना है जिसका तात्पर्य मौसम या ऋतु है| कलांतर में मानसून शब्द उन हवाओं के लिए प्रयोग किया जाने लगा जो ग्रीष्म ऋतु में जल से स्थल की ओर तथा ऋतु में स्थल से जल की ओर चला करती है|
विशेषताएँ—–(क)उच्च तापमान मिलना, खासकर मई जून में जबकि सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है (औसतन 30° सेल्सियस) | दिन में उच्चतम तापमान 48°सेल्सियस तक मिलना, दिसम्बर में जब सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं, तापमान 15°सेल्सियस या इससे भी कम आ जाता है|
(ख) गर्मी और जाड़े की स्पष्ट ऋतुएँ होना|
(ग) वर्षा की ऋतु गर्मी के बाद, इसमें मूसलाधार वर्षा होना, संसार की अधिकतम वर्षा मानसून जलवायु में ही मिलती है|
5. भारत के किस भाग में दैनिक तापमान सबसे अधिक मिलता है?
उत्तर:-उत्तर पश्चिमी भाग में तापमान 45° सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है| राजस्थान स्थित गंगा नगर भारत का सबसे गर्म स्थान बन जाता है, जहाँ तापमान 55° सेल्सियस तक पाया जाता है|
6. उन कारकों के नाम लिखें जो भारतीय जलवायु को प्रभावित करते हैं|
उत्तर:-भारतीय जलवायु को प्रभावित करनेवाले कारकों में प्रमुख है—–(क)अक्षांशीय स्थिति और आकार (ख)उच्चावच की विभिन्नता (ग) वायुदाब और पवन की समयानुसार बदलती प्रकृति (घ) जल एवं स्थल का वितरण अथवा समुद्र के निकटता एवं दूरी (ड़) जेट वायुधारकों का प्रयास|
7. जेट स्ट्रीम या जेट वायुधारा क्या है?
उत्तर:-धरती से बहुत ऊंचाई पर समतापमंडल में जेट धाराएँ चला करती हैं| ये जेट वायुधाराएं संकरी पट्टी में चलती है| शीत ऋतु में इनकी स्थिति हिमालय से दक्षिण रहती है जबकि ग्रीष्म ऋतु में खिसकर उत्तर की ओर हो जाती है| जाड़े में पश्चिमी विक्षोभों का आगमन जेट धाराओं के कारण आसानी से होता है और इनसे वर्षा होती है| यही उत्तरी भारत में मानसून स्फोट के लिए उत्तरदायी है|
8. दक्षिण पश्चिम मानसून की उत्पत्ति का क्या कारण है?
उत्तर:-अप्रैल मई के दौरान विषुवत रेखा पर निम्न दाब की स्थिति बनती है जहाँ दक्षिणी गोलार्द्ध को दक्षिण पूर्व पवन पहुँचकर अपना अस्तित्व खो देते हैं| इसी समय पश्चिमोत्तर भारत में भी एक निम्न दाब का क्षेत्र है, जो विषुवतरेखीय निम्न दाब से और गहरा होता है| अत: विषुवतरेखीय उच्च दाब (तुलनात्मक) सेवाएँ भारतीय निम्न दाब क्षेत्र की ओर फेरेल के नियमानुसार अग्रसर होती है| जिसकी दशा उत्तर पश्चिम से उत्तर पूर्व होती है| यही दक्षिण पश्चिमी मानसूनी हवा होती है|
9. भारत के वृष्टि छाया क्षेत्रों का सकारण विवरण दें-
उत्तर:-भारत के वृष्टि छाया के दो प्रमुख क्षेत्र है—(क)पश्चिमी घाट का पूर्वी घाट एवं (ख) मेघालय पठार पर शिलांग क्षेत्र| दक्षिण पश्चिमी मानसूनी हवाएँ जब पश्चिमी तट पर पहुँचती है तब वहाँ मार्ग में उपस्थित पश्चिमी घाट के सहारे नमीयुक्त हवाएँ ऊपर उठकर बादल बनाकर मालाबार तट पर वर्षा करती है| शेष शुष्क हवाएँ पूर्वी ढाल के सहारे नीचे उतरती है| जिससे यहाँ नगण्य वर्षा होती है| इसी तरह, उत्तर पूर्व भारत में शिलांग भी वृष्टि छाया प्रदेश बन गया है जो बंगाल की खाड़ी शाखा से प्रभावित है|
10. शिलांग में वर्षा कम और मासिनराम में अधिक क्यों होती है|
उत्तर:-बंगाल की खाड़ी से जब मानसूनी हवाएँ बांग्लादेश होती हुई मेघालय पठार पहुँचती है तब यहाँ स्थित पहाड़ियों से टकराकर नमीयुक्त हवाएँ दक्षिणी भाग में स्थित मासिनराम में अत्यधिक वर्षा करती है| जबकि इन पहाड़ियों के उत्तर में शुष्क हवाओं के उतरने से वृष्टि छाया प्रदेश का विकास होता है जिससे शिलांग में वर्षा तुलनात्मक रूप से काफी कम होती है|
11. लौटते मानसून की ऋतु किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर:-यह ऋतु अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक मानी जाती है, जिसमें सूर्य के दक्षिणायन होते ही तापमान में कमी आने लगती है और उत्तर पश्चिमी भाग में वायुदाब बढने लगता है| साथ ही बंगाल की खाड़ी वाले भाग में वायुदाब घटने लगता है| परिणामस्वरूप, मानसून वापस आने या पीछे लौटने लगता है| तमिलनाडु में वर्षभर की अधिकतम वर्षा इसी ऋतु में होती है|
12. मानसून जलवायु की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें—
उत्तर:-भारतीय मानसून की छह प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—–
(क) यह एक वृहत् स्तरीय जलीय एवं स्थलीय समीर है जो वर्ष के छह छह महीने चला करता है|
(ख) पर्वतीय एवं चक्रवातीय दोनों प्रकार की वर्षा यहाँ होती है|
(ग)वर्षा की मात्रा एवं विश्वसनीयता काफी संदिग्ध है|
(घ)मानसून का आना काफी अनिश्चित है| कभी समय पर आता है तो कभी काफी देर से आता है|
(ड़) मानसूनी वर्षा का वितरण भी काफी असमान है|
(च) कभी अतिवृष्टि होती है तो कभी अनावृष्टि भी होती है|
13. इन पर टिप्पणी लिखें—
(क)जलवायु और मौसम—-
उत्तर:-जलवायु का अर्थ किसी भौगोलिक क्षेत्र की दीर्घकालीन मौसमी दशाओं का कुल योग है| किसी निश्चित स्थान की, किसी समय में, वायुमंडलीय दशाओं का संकेत मौसम कहलाता है|
(ख) जलवायु के तत्व—-
उत्तर:-वायुमंडलीय तापमान, वायुदाब, पवन, आर्द्रता और वर्षा|
(ग)लू—
उत्तर:-मई आते आते उत्तर पश्चिमी भारत में तापमान 45° सेल्सियस से भी अधिक पहुँच जाता है| वहाँ निम्नदाब क्षेत्र का विकास होने लगता है| धूल भरी आंधियाँ चलने लगती है और आकाश पीला तथा धूल धूसरित हो उठता है| जिन्हें लू कहते हैं|
(घ)सर्वाधिक वर्षा का स्थान—-
उत्तर:-विश्व में सर्वाधिक वर्षा मेघालय के मासिनराम गाँव में होती है| यहाँ वर्ष में 1,392 सेंटीमीटर वर्षा होती है|
(ड़) मानसून प्रस्फोट—-
उत्तर:-27°N से 30°N अक्षांश के ऊपर पूर्वी जेट वायुधारा विकसित होती है| यही उत्तरी भारत में मानसून स्फोट के लिए उत्तरदायी है|
कारण बताएं——
(क) भारत में अधिकतर वर्षा कुछ ही महीनों में होती है|
उत्तर:-मानसून के कारण
(ख) तमिलनाडु तट पर जाड़े में वर्षा होती है|
उत्तर:-लौटती मानसून के कारण
(ग) दक्षिण भारत के डेल्टा भाग प्रायः चक्रवातीय चपेट में आ जाते हैं|
उत्तर:-लौटती मानसून के समय बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवात के कारण
(घ) दक्षिण पश्चिम पवन भारत में वर्षा लाते हैं|
उत्तर:-दक्षिण पश्चिम पवन मानसून पवन कहलाता है| और मानसून वर्षा लाती है|
15. भारत के किन चार महीनों में सबसे अधिक वर्षा होती है?
उत्तर:- जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर
16. भारत की विभिन्न ऋतुएँ कौन कौन है?
उत्तर:-वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमं एवं शिशिर
17. मानसून लौटने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:-सूर्य के दक्षिणायन होने से तापमान में कमी आ जाती है| उत्तर पश्चिम भाग में वायुदाब बढने लगता है| हवाएँ स्थल से चलने लगती है| परिणामस्वरूप, मानसून वापस आने या पीछे लौटने लगता है|
18. उत्तर भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा क्यों घटती जाती है?
उत्तर:-क्योंकि पूर्व से पश्चिम की ओर मानसून धीरे धीरे कमजोर पड़ता जाता है|
19. जोधपुर में दिल्ली से कम वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:-जैसे जैसे मानसून पश्चिम की ओर जाती वर्षा की मात्रा घटती जाती है| इसीलिए जोधपुर में दिल्ली से कम वर्षा होती है|
20. दक्षिण पश्चिमी मानसून के द्वारा चेन्नई में कम वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:-सह्याद्रि पर्वत के कारण दक्षिण पश्चिमी मानसून पश्चिमी घाट पर बरस जाती है और चेन्नई वृष्टि छाया क्षेत्र में पड़ जाता है|
21. केरल में दिन तथा रात का तापमान लगभग एक समान क्यों रहता है?
उत्तर:-समुद्र की निकटता के कारण
22. देश के अधिकांश भागों में मानसूनी वर्षा समाप्त होने के बाद ही चेन्नई में अधिक वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:-लौटती मानसून के कारण
23. जाड़े में भारत में कहाँ कहाँ वर्षा होती है?
उत्तर:-तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश
24. मौसम और जलवायु में क्या अंतर है?
उत्तर:-किसी निश्चित स्थान की किसी समय में, वायुमंडलीय दशाओं का संकेत मौसम कहलाता है|
जलवायु का अर्थ किसी भौगोलिक क्षेत्र की दीर्घकालीन मौसमी दशाओं का कुल योग है|
25. भारत के अधिकतर भागों में वर्षा कुछ ही महिनों में क्यों होती है?
उत्तर:-मानसून के कारण
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय वर्षा को प्रभावित करनेवाले प्रमुख कारकों का वर्णन करें-
उत्तर:-(क)उष्ण जलवायु—- भारत की स्थिति मुख्यतः उष्ण कटिबंध में है, अत: जलवायु उष्ण रहा करती है| यह हिन्द महासागर के शीर्ष पर है, और फिर अरब सागर एवं बंगोपसागर मुख्य भूमि से सटे सुदूर उत्तर तक फैले हुए हैं जहाँ से चलनेवाले पवन भरपूर आर्द्रता लिए पहुँचते हैं और भारी वर्षा करते हैं|
(ख) विस्तृत भू भाग—– वर्षा करनेवाले बादल एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचते अपनी सारी आर्द्रता समाप्त कर डालते हैं|
(ग) प्राकृतिक संरचना की असमानता—– उत्तर में दूर तक फैली पर्वतश्रेणियाँ है, दक्षिणी भाग पठार है और मध्य में विशाल मैदान है| दक्षिण से आनेवाली मानसूनी हवाओं को ऊपर उठाकर हिमालय पहाड़ भारी वर्षा कराता केवल| (हिमपात भी) | पश्चिमी घाट दक्षिण पश्चिम से आनेवाली आर्द्र हवाओं को रोककर अधिक वर्षा लेता है| नि:संदेह पहाड़ों की स्थिति इस देश में वर्षा का निर्धारण करती है|
(घ) वायुदाब की पट्टियों के खिसकने का भी प्रभाव महत्वपूर्ण माना जाता है|
2. भारतीय मानसून जलवायु की क्षेत्रीय विषमता के कारणों को लिखें-
उत्तर:-(क)यहाँ जाड़े और गर्मी की दो स्पष्ट ऋतुएँ है (ख) वर्षा मुख्यतः गर्मी में हुआ करती है| ये दोनों तथ्य मानसून जलवायु की विशेषताएँ हैं| विषमता के कई कारण है—(क) भारत की स्थिति मुख्यतः उष्ण कटिबंध में है अतः जलवायु उष्ण रहा करती है| (ख) देश का विस्तार (उत्तर दक्षिण दिशा में या पूर्व पश्चिम दिशा में) हजारों किलोमीटर में है| इसलिए देश की जलवायु की एक सी दशा मिलना कठिन है|
क्षेत्रीय विषमता—-सारे देश की प्राकृतिक रचना एक सी नहीं है| उत्तर में दूर तक फैली पर्वत श्रेणियाँ है, दक्षिणी भाग पठार है और मध्य में विशाल मैदान है| ग्रीष्मकाल में प्रत्येक भाग समान रूप से गर्म नहीं होता| पहाड़ी भाग मैदान की अपेक्षा ठंडे रहते हैं| फिर, हिमालय पहाड़ उत्तरी सर्द हवाओं को रोककर उत्तरी मैदान को कड़ाके की सर्दी से बचाता है और दक्षिण से आनेवाली मानसूनी हवाओं को ऊपर उठाकर भारी वर्षा कराता है| इसी प्रकार पश्चिम घाट (सह्याद्रि पर्वत) दक्षिण पश्चिम से आनेवाली आर्द्र हवाओं को रोककर अधिक वर्षा लेती है और पूर्वी भाग को वृष्टि छाया में डाल देते हैं|
3. भारतीय ऋतु चक्र का वर्णन करें-
उत्तर:-भारतीय जलवायु की एक विशेषता यह है कि यहाँ वर्षभर ऋतुओं का चक्र चलता रहता है| प्रत्येक ऋतु की अलग अलग विशेषताएँ होती है| भारत में छह ऋतुएँ पायी जाती है—वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर भारत चार है—-शीत ऋतु, ग्रीष्म, वर्षा (बढते मानसून की ऋतु) और शरद (लौटते मानसून की ऋतु)
4. भारत में दक्षिणी पश्चिमी मानसून दो शाखाओं में क्या बंट जाता है? दोनों का विवरण दें—
उत्तर:-भारत के प्रायद्वीपीय आकार के कारण दक्षिण पश्चिमी मानसून दो भागों में बंट जाता है|(क)अरब सागर का मानसून और (ख) बंगाल की खाड़ी का मानसून| अरब सागर का मानसून पहले चलता है और अधिक शक्तिशाली होता है, पर पश्चिमी घाट पार करने में उसकी शक्ति घट जाती है| उसका अधिकतर मेघ वहीं बरस जाता है| इससे सम्मुख ढालों पर 300 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है, पर विमुख ढालों पर मुश्किल से 50 सेंटीमीटर वर्षा हो जाती है पाती है|
बंगाल की खाड़ी का मानसून——अरब सागर के मानसून की अपेक्षा कुछ देर से आता है, उत्तर पश्चिमी भारत में इस समय भूमध्यसागरी चक्रवातों या पश्चिमी विक्षोभ से वर्षा होती है| इस चक्रवात को भारत तक लाने में जेट धाराएँ मदद करती है| शीत ऋतु के दौरान हिमालय पर्वतीय प्रदेश के कयी भागों में हिमपात होता है| तापमान इससे इतना गिर जाता है कि संपूर्ण उत्तरी भारत शीत लहर के प्रकोप में आ जाता है| शीतकालीन वर्षा से रबी की फसलों को लाभ होता है|
12. भारतीय मानसून वर्षा की विशेषताओं का वर्णन करें-
उत्तर:-भारत में मानसूनी वर्षा दो प्रकार की होती है—(क) पर्वतीय वर्षा और (ख) चक्रवातीय वर्षा|
(क) पर्वतीय वर्षा—–के दो प्रमुख क्षेत्र है–(क) हिमालय के प्रभाव से होनेवाले वर्षा, जो उत्तर पूर्वी भारत, हिमालय की दक्षिणी ढाल एवं तराई प्रदेश में होती है| (ख) पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढाल और तटवर्ती प्रदेश में दक्षिण पश्चिमी मानसून से वर्षा होती है| उत्तर पूर्वी मानसून से पर्वतीय वर्षा केवल नीलगिरी एवं अन्नामलाई पर्वत के पूर्वी भाग में होती है|
(ख) चक्रवातीय वर्षा—-भारत में तीन प्रकार की होती है—-(क) मानसून पूर्व की वर्षा—- यह वर्षा अप्रैल और मई में होती है| इस वर्षा का प्रमुख कारण तटवर्ती क्षेत्रों में बननेवाले निम्न दाब है| ऐसे निम्न दाब क्षेत्र चारों ओर घुमने वाली वायु जब समुद्र की दिशा में स्थलखंड पर आती है तब इससे हल्की वर्षा होती है| इस वर्षा को पश्चिम बंगाल में काल बैसाखी, तमिलनाडु में आम्र वर्षा एवं कर्नाटक में फूलों की वर्षा कहा जाता है|
(ग) मानसून बाद का वर्षा—-मानसून समापन के बाद उत्तर पूर्वी मानसून प्रारंभ होने पर पूर्वी तटीय क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न होते हैं जिससे आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में अक्टूबर तथा नवम्बर महीने में चक्रवातीय वर्षा हो जाती है|
(घ) दक्षिण पश्चिम मानसून काल में वर्षा—– दक्षिण पश्चिम मानसून से केवल पश्चिमी घाट के सहारे ही पर्वतीय वर्षा होती है| नवीन मौसमी सूचनाओं के अनुसार, मानसूनी वर्षा भी चक्रवातीय वर्षा है, मानसूनी हवाएँ हिमालय के तटवर्ती क्षेत्रों के सहारे गुजरने के साथ साथ आंतरिक भागों में भी निम्न भारत के स्थान परिवर्तन के साथ आगे बढती जाती है|
13. जेट स्ट्रीम क्या है? भारतीय मानसून इससे किस तरह प्रभावित होती है?
उत्तर:-जेट स्ट्रीम या जेट धाराएँ ऊपरी वायुमंडल में और विशेषकर समतापमंडल में तीव्र गति से प्रभावित होनेवाले हवाएँ है| इनकी प्रवाह दिशा जलधाराओं की तरह निश्चित है, इसलिए इसे जेट स्ट्रीम नाम दिया गया है| जेट स्ट्रीम चार प्रकार की होती है—–(क) ध्रुवीय रात्रि जेट हवाएँ (ख) ध्रुवीय सीमाग्र जेट हवाएँ (ग) उपोष्ण जेट हवाएँ एवं (ग) पूर्वी जेट हवाएँ| इन चारों जेट हवाओं में से उपोष्ण एवं कटिबंधीय पूर्वी जेट हवा मानसून को प्रभावित करती है| उपोष्ण जेट हवा जाड़े की ऋतु में भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर से गुजरती है|इस स्थिति में ये हवाएँ नीचे बैठने की प्रवृत्ति के कारण भारतीय क्षेत्र में उच्च वायुदाब का निर्माण करती है| जिससे उत्तर पूर्वी मानसूनी हवाएँ स्थल से समुद्र की तरफ चलने लगती है| ग्रीष्म ऋतु में परिस्थितियाँ भिन्न हो जाती है| 15 मार्च के बाद से ही दक्षिण भारत में एक नवीन जेट हवा का आगमन होता है जो पूर्वी जेट हवा कहलाती है| यह हवा तेजी से उत्तर की तरफ फैलने लगती है| इस गर्म हवा के फैलने से पूर्ववर्ती उपोष्ण जेट हवाएँ गरम होकर अधिक ऊंचाई पर जाती है|और भारतीय क्षेत्र में विलुप्त हो जाती है| मई का अंत आते आते भारतीय क्षेत्र पर यह पूर्वी जेट हवा पूरी तरह से छा जाती है तथा उपोष्ण जेट हवा तिब्बत के पठार पर चली जाती है| पूर्वी जेट हवा गर्म हो जाती है| इसलिए, इसके प्रभाव से सतह की हवा गर्म होने लगती है तथा गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है| इससे पश्चिमोत्तर भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है| इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमीयुक्त उच्च वायुदाब की हवाएँ चलती है| अरब सागर से चलनेवाली यही नमीयुक्त हवा भारत में दक्षिण पश्चिमी मानसून के नाम से जानी जाती है जिससे भारत की 80℅ वर्षा होती है|
14. भारतीय जलवायु को प्रभावित करनेवाले कारकों का वर्णन करें-
अथवा, भारतीय जलवायु कई कारकों का सम्मिलित परिणाम है| स्पष्ट करें—-
उत्तर:-भारत मानसूनी जलवायुवाला प्रदेश है जिसमें कई आंतरिक विषमताएँ पायी जाती है| यहाँ राजस्थान जैसा गर्म प्रदेश है तो जम्मू कश्मीर जैसा ठंडा प्रदेश भी है| यहाँ मौसिमराम जैसा अत्यधिक वर्षा का क्षेत्र है तो जैसलमेर जैसा शुष्क प्रदेश भी है| वास्तव में भारतीय जलवायु किसी एक कारण का परिणाम न होकर कयी कारकों का परिणाम है| दूसरे शब्दों में, भारतीय जलवायु को प्रभावित करनेवाले मुख्य कारक हैं—–
(क)अक्षांशीय स्थिति एवं आकार का प्रभाव—–भारत अक्षांशीय दृष्टि से उष्ण एवं उपोष्ण, कटिबंध में पड़ता है| इसका सुदूर दक्षिणी भाग विषुवत रेखा के निकट भी है| फलस्वरूप यहाँ जाड़ा एवं गर्मी दोनों ही पड़ता है| दक्षिणी भाग तुलनात्मक रूप से सालोंभर गर्म रहता है|
(ख)उच्चावच का प्रभाव—–पर्वत, पठार और मैदानी विशेषताएँ की उपस्थिति के कारण हिमालय पर्वत जलवायु विभाजक का काम करता है| साथ ही, पर्वतीय भाग ऊंचाई के कारण ठंडा रहता है जबकि पठारी भाग तुलनात्मक रूप से गर्म रहता है| मैदानी भागों में गर्म एवं ठंडा का मौसम समयानुसार पाया जाता है|
(ग) वायुदाब का असर—- उच्चावच में भिन्नता के कारण भारत का पश्चिमोत्तर स्थलीय भाग ग्रीष्म ऋतु में निम्न दाब एवं शीत ऋतु में उच्च दाब का केंद्र बन जाता है| फलतः इससे पवन के संचार में परिवर्तन आ जाता है|
(घ) जल एवं थल का वितरण—– प्रायद्वीपीय आकृति के कारण जल एवं थल के वितरण के कारण देश के आंतरिक भाग में गर्म एवं ठंड का व्यापक असर होता जबकि तटीय भागों में सालोंभर एकसमान मौसम होता है|
(ड़) जेट धाराओं का असर—– भारतीय जलवायु पर उपोष्ण जेट एवं उष्ण कटिबंधीय जेट हवाओं का व्यापक प्रभाव है, जिससे शीत ऋतु में उच्च दाब और ग्रीष्म ऋतु में निम्न दाब बन जाता है| इस प्रकार, भारतीय जलवायु कुछ विशिष्ट भौगोलिक कारकों का सम्मिलित प्रभाव है|
15. भारतीय मानसून की विशेषताओं का विस्तृत विवरण दें—-
उत्तर:-मानसून अनिश्चितताओं से भरी हुई एक मौसमी हवा है, जिसका भारत की सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों पर जबरदस्त प्रभाव है| वास्तव में यह मानसूनी हवा भारत में वर्षा लाती है, जिसके बाद कृषि कार्य आरंभ होता है| फिर भी, भारतीय मानसून न केवल अनिश्चितताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी कयी अन्य विशेषताओं भी है, जिनमें मुख्य है——
(क) यह मौसम विशेष हवा है जो वर्ष के छह महीने दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर तथा अगले छह महीने उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर चला करती है| हवाओं के बहने की यह प्रवृत्ति ग्रीष्म एवं शीत ऋतु में होती है| इसलिए, यह वृहत् स्तरीय समुद्री एवं स्थलीय समीर भी माना जाता है| ये हवाएँ वस्तुतः तापीय विषमता के परिणाम है|
(ख) मानसून के द्वारा वर्षा पर्वतीय एवं चक्रवातीय रुप में होती है| पर्वतीय वर्षा पश्चिमी घाट के सहारे तथा हिमालय की दक्षिणी ढाल पर होती है| चक्रवातीय वर्षा मानसून पूर्व,मानसून के बाद एवं मानसून के दौरान भी होती है|
(ग) मानसूनी वर्षा का वितरण काफी असमान है| मौसिमराम में यह 1,392 सेंटीमीटर से अधिक राजस्थान की पश्चिमी सीमा में 12 सेंटीमीटर वार्षिक से भी कम है|
(घ) मानसून का आगमन काफी अनिश्चित है| सामान्यतः 1 जून तक केरल के तट पर पहली वर्षा हो जाती है| परंतु मानसूनी वर्षा की अनियमितता वायु प्रवाह से जुड़ी हुई है तथा इस अनियमितता से भी अनिश्चितता है|
(ड़) मानसूनी वर्षा काफी अनिश्चित है| इसके कारण कभी बाढ तो कभी सूखे की स्थिति आती है| भारतीय वर्षा में 150℅ तक विचलन की संभावनाएँ रहती है|
(च) वर्षा की विश्वसनीयता संदिग्ध है| 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विश्वसनीयता अधिक है| जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार, 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में वर्षा होने की 90℅ विश्वसनीयता है जबकि इसमें कम वर्षा वाले क्षेत्रों में 10℅ विश्वसनीयता है|
16. मानसूनी जलवायु का भारत के जनजीवन पर प्रभाव की समीक्षा करें—-
उत्तर:-भारत के जलवायु का देश के विभिन्न भागों के रहन सहन, खान पान एवं रंग रुप पर स्पष्ट भाव है| यहीं नहीं, इसका आर्थिक गतिविधियों पर भी असर है| ग्रीष्म ऋतु में उच्च तापमान और ग्रीष्मकालीन वर्षा के कारण धान, जूट चाय जैसी विशिष्ट फसलों की खेती की जाती है| धान की खेती से अधिकाधिक लोगों का भरण पोषण संभव है| जिससे ऐसे क्षेत्रों में सघन जनसंख्या पायी जाती है| अधिक गर्मी के कारण मार्च से मई महीने तक देश में सुस्ती का आलम होता है जो आर्थिक विकास में बाधक होता है, परंतु इसी समय फ्रीज, कूलर, एसी जैसी बिजली से चलनेवाली सामानों की बिक्री बढ जाती है| बिजली से अधिक मांग के कारण आपूर्ति की निरंतरता में बाधा आती है| कृषिकार्य वर्षा आरंभ होने पर ही शुरू होता है| यहाँ वर्षा की काफी अनिश्चित एवं असमान है| वर्षा की कमी को पूरा करने के लिए खेतों में सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ती है| पश्चिमोत्तर भारत में शीतकालीन वर्षा के कारण गेंहूँ की अच्छी उपज होती है| कभी कभी अत्यधिक वर्षा के कारण लगी फसलें नष्ट हो जाती है| कुछ क्षेत्रों में भीषण बाढ के प्रभाव से धन एवं जन की अपार क्षति भी होती है| चक्रवातीय वर्षा से भी फसलों, पशुओं एवं धन जन की अपार क्षति भारत में होती है| मूसलाधार वर्षा से पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्रों में विशेष रूप से मिट्टी का कटाव होता है| अधिक वर्षा के कारण मैदानी भागों में धान की तीन फसलें उगायी जाती है| फसलों की उपज अधिक होने पर इनका आयात नहीं करना पड़ता है जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर नाकारात्मक असर नहीं पड़ता है| अन्यथा, कम उपज की स्थिति में आयात करने पर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है|
17. भारत में वर्षा और तापमान एक दूसरे से जुड़े हैं| कैसे?
अथवा, भारत को वर्षा के आधार पर मुख्य जलवायु प्रदेशों में विभाजित करें|
अथवा, भारत में वर्षा के परिवर्तन को स्पष्ट करें|
उत्तर:-वर्षा के वितरण के आधार पर भारत को चार मुख्य जलवायु क्षेत्रों में बांटा जा सकता है—–
(क) परस्परिक आद्र एवं उष्ण क्षेत्र—
औसतन 25°सेल्सियस तापमान वाला क्षेत्र इसमें शामिल हैं जहाँ 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है| इसके अंतर्गत मालाबार तट एवं उत्तर पूर्वी भारत का क्षेत्र तथा निम्न गंगा का मैदानी भाग शामिल हैं|
(ख)आर्द्र एवं ऊष्ण क्षेत्र—-
औसतन 18° सेल्सियस जनवरी तापमान वाला क्षेत्र इसमें शामिल हैं जहाँ 100-200 सेंटीमीटर वर्षा होती है| इसके अंतर्गत मध्य गंगा का मैदान तथा उत्तर पूर्वी पठारी भाग शामिल हैं| यहाँ समुद्रतट से दूर जाने पर तापमान की विषमता बढती है और वार्षिक वर्षा घटती है|
(ग) उपकरण आद्र एवं उष्ण क्षेत्र—–इसके अंतर्गत तीन क्षेत्र शामिल हैं—-(क) दक्षिण पूर्वी तटीय मैदान, जहाँ वर्षा 100 सेंटीमीटर से कम होती है, (ख) दक्षिणी लावा क्षेत्र, जो पश्चिमी घाट की वृष्टि छाया में पड़ने के कारण अत्यंत कम वर्षा पाता है तथा (ग) ऊपरी गंगा मैदान, पंजाब मैदान एवं उत्तरी अरावली क्षेत्र, जहाँ वर्षा ऋतु की अपेक्षा शुष्क ऋतु अधिक लंबी होती है| इस जलवायु क्षेत्र में वर्षा 100 सेंटीमीटर से लेकर 50 सेंटीमीटर तक होती है|
(घ) शुष्क एवं विषम जलवायु क्षेत्र—–
पश्चिमी राजस्थान मुख्य रूप से इसमें शामिल हैं जहाँ अत्यधिक गर्मी एवं कड़ाके की सर्दी पड़ने के कारण तापांतर सर्वाधिक मिलता है| यहाँ वर्षा 40 सेंटीमीटर से भी कम होती है|
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