Bharti Bhawan Geography Class-9:Chapter-3:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:भूगोल:कक्षा-9:अध्याय-3:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

                   

                      
                 





                         अपवाह प्रारुप
कारण बताएं-



1. राजस्थान की नदियाँ अंत:प्रवाहित है क्यों? 
उत्तर:-मरुस्थलीय भाग अंत: अपवाह क्षेत्र है|
2. गोदावरी और कृष्णा अपने मुहानों पर डेल्टा बनाती हैं पर नर्मदा और ताप्ती नहीं| क्यों? 
उत्तर:-पूर्वी घाट की नदियाँ डेल्टा बनाती हैं| लेकिन पश्चिम घाट की नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती| नर्मदा एवं ताप्ती पश्चिम घाट की नदी है|
3. हिमालय से निकलनेवाली नदियाँ वर्षभर जल पूरित रहतीं है किन्तु पश्चिमी घाट से निकलनेवाली नदियाँ नहीं| क्यों? 
उत्तर:-हिम ग्लेशियर के कारण हिमालय से निकलनेवाली नदियाँ सालोभर जलपूरित रहती है| पश्चिमी घाट में हिमालय ग्लेशियर नहीं है|
4. यमुना का जल प्रदूषित हो रहा है| क्यों? 
उत्तर:-यमुना में कारखानों के कचरे एवं शहरों के गंदे पानी और मल मूत्र मिलाया जा रहा है|

                  अतिलघु उत्तरीय प्रश्न








1. हिमालय पार की एक नदी का नाम लें-
उत्तर:-ब्रह्मपुत्र
2. चंबल किसकी सहायक नदी है? 
उत्तर:-गंगा की
3. भ्रंशघाटी (धसान घाटी) से होकर बहनेवाली एक नदी का नाम लिखें-
उत्तर:-नर्मदा
                      लघु उत्तरीय प्रश्न







1. जलविभाजक के कार्य का वर्णन उदाहरण के साथ करें-
उत्तर:-जलविभाजक दो नदी बेसिन को अलग करती है| जैसे दिल्ली की उच्चभूमि सतलुज बेसिन और गंगा बेसिन को अलग करने के कारण जलविभाजक का उदाहरण प्रस्तुत करती है|
2. भारतीय नदियों को दो प्रमुख वर्गों के बांटे और किसी एक ही प्रमुख नदियों के नाम लिखें-
उत्तर:-दो प्रमुख वर्ग हैं—-(क)हिमालय की नदियाँ (ख) प्रायद्वीपीय भारत या दक्षिणी पठार की नदियाँ| हिमालय की प्रमुख नदियाँ हैं—सिंधु, सतलुज, गंडक, कोसी और ब्रह्मपुत्र आदि| 
3. हिमालय की नदियों की तीन विशेषताएँ बताएं- उदाहरण देकर उनकी पुष्टि करें|
उत्तर:-(क) हिमालय की नदियाँ सालों भर जलपूरित रहती है| जैसे–गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र
(ख) इसकी नदियाँ मार्ग बदलती है| जैसे- कोसी, गंगा, ब्रह्मपुत्र
(ग) छोटी नदियों को अपहरण कर लेती है| जैसे–ब्रह्मपुत्र तिब्बत में सांपों नदी का अपहरण किया है|
4. निम्नलिखित की व्याख्या करें—-
(क) पूर्वगामी नदी—- जो नदी हिमालय से भी पुरानी है उसे पूर्वगामी या पूर्ववर्ती नदी कहते हैं|
जैसे–सिंधु, सतलुज, गंडक, कोसी और ब्रह्मपुत्र
(ख) नदी अपहरण—-बड़ी नदियाँ अपनी धारा को छोटी नदियों से बहाती हुई आगे निकल जाती है| उसे नदी अपहरण कहते हैं| जैसे– ब्रह्मपुत्र तिब्बत में सांपों नदी को अपहरण किया है|
5. भ्रंशघाटियों (धसान घाटी) से होकर बहनेवाली कुछ भारतीय नदियों के नाम लिखें- वे नदी घाटियाँ किस तरह महत्वपूर्ण है? 
उत्तर:-नर्मदा और दामोदर भ्रंशघाटी में बहनेवाली नदियाँ हैं| नर्मदा की घाटी में संगमरमर और दामोदर की घाटी में कोयला प्राप्य है|
6. लूनी नदी कहाँ है और यह किस प्रकार की नदी है? 
उत्तर:-लूनी नदी राजस्थान में है| यह अनुवर्ती नदी प्रणाली की नदी है|



7. बहाव की दिशा को देखते हुए प्रायद्वीपीय भारत की नदियों का वर्गीकरण करें| प्रत्येक वर्ग की प्रमुख नदियों के नाम लिखें-
उत्तर:-(क) पश्चिम की ओर बहनेवाली नदी नर्मदा और ताप्ती|
(ख) पूर्व की ओर बहनेवाली नदी महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और वैगाई|
(ग)उत्तर की ओर बहनेवाली नदी चंबल, बेतवा, सोन 
8. भारत की कौन नदी दक्षिण की गंगा कहलाती है? 
उत्तर:-गोदावरी
9. ब्रह्मपुत्र प्रणाली की नदियों का विवरण दें-
उत्तर:-जिनमें ब्रह्मपुत्र सर्वप्रधान है| यह मानसरोवर झील के समीप से निकलकर उत्तर पूर्व से भारत में प्रवेश करता है| ब्रह्मपुत्र तिब्बत में सौंपा बांग्लादेश में उत्तर भाग जमुना, मध्य भाग पदमा और दक्षिणी भाग मेघना कहलाता है| इसकी सहायक नदियाँ हैं—तिस्ता, सुवनसिरी(स्वर्ण श्री) भरेली,मानस, संकोच, डिबंग, लुहिन, धनश्री और कपिली प्रमुख है|
10. गंगा की सहायक नदियों का संक्षेप में वर्णन करें-
उत्तर:-उत्तर के पर्वतीय भाग से यमुना, रामगंगा, गोमती शारदा, सरयू, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोसी और महानंदा है| दक्षिणी पठार के चंबल, बेतवा, केन, सोन और पुनपुन नदियाँ हैं|
11. सिंधु प्रणाली की नदियों पर प्रकाश डालें-
उत्तर:-जिनमें सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम प्रमुख है| ये दक्षिणी पश्चिम की ओर बहती है और सिंधु से मिलकर अरब सागर में गिर जाती है| सिंधु का उदगम हिमालय के पार मानसरोवर झील है| पश्चिम की ओर बहती हुई यह नदी गिलगिट के निकट दक्षिण की ओर मुड़ जाती है| आज यह पाकिस्तान की सर्वप्रमुख नदी है|
12. दक्षिण भारत के मुख्य जवविभाजकों का उल्लेख करें–
उत्तर:-दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट प्रमुख जलविभाजक है| विंध्य की उच्चभूमि भी महत्वपूर्ण जलविभाजक का काम करती है|
13. भारतीय अर्थतंत्र में नदियों का क्या महत्व है? 
उत्तर:-(क) ये सिंचाई के महत्वपूर्ण साधन है| भारत की आधी नदियों से निकली नहरों द्वारा सींची जाती है|
(ख) ये बाढ के समय नयी मिट्टियाँ बिछाकर मैदानी भाग में उर्वरा शक्ति बढाती है| सारा मैदान भाग नदियों की मिट्टी से ही बना होने के कारण उपजाऊ है|
(ग) ये यातायात के साधन रही है| प्राचीन संवत और मध्ययुग में नदियों से ही अधिक व्यापार होता था| आज भी ब्रह्मपुत्र, गंगा और यमुना में दूर दूर तक स्टीमर चलते हैं|
(घ) ये जल विद्युत उत्पन्न कर रही हैं और जल शक्ति के संभावित भंडार है|
(ड़) नदियों में मछलियाँ पकड़ी जाती है| मत्यस्योधम बहुतों की आजीविका आजीविका है|
14. भारत की प्रमुख झीलों का विवरण दें- उनमें कौन खारे जल की झीलें है? 
उत्तर:-प्रमुख झीलें है| डल, वूलर, नेनीताल, भीमताल, सांभर, कावर, सरैया मान, लक्ष्मी सगर आदि| सांभर झील खारे पानी की झील है|
15. इन पर टिप्पणियाँ लिखें-
उत्तर:-नदी द्रोणी (नदी बेसिन)—–
कोई नदी अपनी सहायक नदियों समेत जिस क्षेत्र का जल लेकर आगे बढती है, वह उसका प्रवाह क्षेत्र कहलाता है, जिस नदी द्रोणी (नदी बेसिन) कहते हैं|
जलविभाजक—–
दो नदी द्रोणियों को अलग करनेवाली, विभाजित करनेवाली, उच्चभूमि को जलविभाजक कहते हैं|
जैसे— दिल्ली की उच्चभूमि सतलुज बेसिन और गंगा बेसिन को अलग करने के कारण जल विभाजक का लोनार कहलाती है|
क्रेटर झील—-
पुराने ज्वालामुखी के मुंह पर बने झील को क्रेटर झील कहा जाता है| जैसे– महाराष्ट्र का लोनार झील|
नैनीताल— यह सिंधु ब्रह्मपुत्र का पहला डेल्टा क्षेत्र था| आजकल नैनीताल शहर बसा है|
👉 भारत की सबसे बड़ी नदी द्रोणी—-गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी द्रोणी है|




16. नमामि गंगे योजना क्या है? 
उत्तर:- भारत सरकार ने 2014 में नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत की एवं भारत सरकार ने गंगा के प्रदूषण नियंत्रण के निर्मित गंगा जीर्णोद्धार मंत्रालय का गठन किया| साथ ही, 2014-15 के बजट में नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की सफाई तथा अन्य कार्यों के लिए 2,037 करोड़ रुपये का आवंटन किया|
                        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न





1. भारत में नदी प्रदूषण क्यों गंभीर समस्या है? इससे किस तरह निबटा जा सकता है? 
उत्तर:- नदी प्रदूषण से तात्पर्य है नदीय जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन लाना कि उसके रुप, गंध और स्वाद से जीवों के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुंचे| नदियों का प्रदूषण मुख्यतः इन कारणों से हो सकता है——-
(क)नदी तट पर बसे गांवों और नगरों के मल मूत्र और कचरों को नदी में फेंका या गिराया जाना|
(ख) चीनी, चमड़ा और तेलशोधक अन्य कारखानों के अपशिष्ट पदार्थों का नदियों में डाला जाना|
(ग) तेलवाहक जहाजों से तेल का रिसाव|
(घ) मरे हुए जानवरों और मानव शवों को नदी में प्रवाहित करना|
(ड़) कृषि कार्यों में रसायनिक खादों का प्रयोग और कीटनाशकों का छिड़काव, जिनके बहकर नदी में आ जाने से नदी जल का पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ जाता है और जलीय जीव मरने लगते हैं|
प्रदूषण रोकने के उपाय——-
(क) नदियों के किनारे कल कारखाने वाले उद्योग न स्थापित किए जाएं|
(ख) नदियों में मल मूत्र, कचरे और अपशिष्ट पदार्थ गिराए जाने पर सख्ती से रोक लगाई जाय|
(ग) बड़े नगरों में भीड़वाला घाटों पर शौचालय बनाए जाएं तथा धोबियों के लिए अलग घाट की व्यवस्था की जाए|
(घ) पशुओं एवं मानवों के शवों को नदियों में प्रवाहित करने पर प्रतिबंध लगाया जाय|
2. भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों किस प्रकार योगदान करती है? 
उत्तर:-भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित तरीके से नदियाँ योगदान करती है|
(क)ये सिंचाई के महत्वपूर्ण साधन है| भारत की आधी नदियों से निकली नहरों द्वारा सींची जाती है| 
(ख) ये बाढ के समय नयी मिट्टियाँ बिछाकर मैदानी भाग में उर्वरा शक्ति बढाती है|
(ग) ये यातायात के साधन रही है| प्राचीन और मध्ययुग में नदियों से ही अधिक व्यापार होता था| आज भी ब्रह्मपुत्र, गंगा और यमुना में दूर दूर तक स्टीमर चलते हैं|
(घ) ये जल विद्युत उत्पन्न कर रही है और जल शक्ति के संभावित भंडार है|
(ड़) नदियों के मछलियाँ पकड़ी जाती है| मत्स्योद्यम बहुतों की आजीविका है|
(च) नदियाँ उद्योग केन्द्रों और नगरों की स्थापना और विकास में मदद पहुँचाती है| जैसे स्वर्ण रेखा का जमशेदपुर के विकास में, हुगली का कोलकाता के विकास में, गंगा का वाराणसी और कानपुर के विकास में|
3. हिमालय की नदियों और प्रायद्वीपीय भारत की नदियों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करें—
उत्तर:- हिमालय एवं पठारी प्रदेश से निकलनेवाली अथवा बहनेवाली नदियों की प्रमुख विशेषताएँ—–
(क) हिमालय क्षेत्र की नदियों में सालोंभर पानी रहता है, क्योंकि इनके स्रोत हिमानी क्षेत्र है| दूसरी ओर पठार नदियों का स्रोत बर्फीला क्षेत्र नहीं है| फिर भी, सभी बड़ी नदियों में सालोंभर जल प्रवाह होता है| इस प्रवाह का प्रमुख कारण उनके झील स्रोत या रास्ते में झरने का मिलना है|
(ख) हिमालय स्रोत की नदियाँ लंबी है जबकि पठारी प्रदेश की नदियाँ तुलनात्मक रूप से कम लंबी है| इसका मुख्य कारण स्रोत से मुहाने की दूरी है| हिमालय स्रोत की नदियों का उदगम स्थान समुद्र से नजदीक है|
(ग) हिमालय की नदियाँ वृहत् बेसिन का निर्माण करती है| पठारी नदियाँ छोटी बेसिन बनाती है| वृहत् बेसिन बनाने के तीन मुख्य कारण है—नदियों के मार्ग का लंबा होना, वृहत् समतल मैदानी भाग से गुजरना तथा स्रोत क्षेत्र तुलनात्मक रूप से बड़ा होना|
(घ) हिमालय क्षेत्र की प्रायः सभी नदियाँ युवावस्था में है, जिससे उनकी अपरदनात्मक क्षमता अधिक है| अधिक आयुवाली होने के कारण पठारी नदियों की अपरदनात्मक क्षमता कम है|
(ड़) हिमालय क्षेत्र में V घाटी अभी भी संकरी है जबकि पठारी क्षेत्र में V घाटी खुली है|
(च) हिमालय स्रोत की कोई भी नदी किसी भी पठारी नदी की सहायक नदी नहीं है जबकि पठारी क्षेत्र में कयी नदियाँ हिमालय स्रोत की नदियों की सहायक नदियाँ हैं|
(छ) हिमालय स्रोत से हजारों नदियाँ निकलती है, परंतु उनमें से केवल सिंधु और गंगा ही समुद्र में गिरती है| दूसरी ओर, पठारी क्षेत्र की कयी नदियाँ सीधे समुद्र में गिरती है|
(ज) हिमालय की नदियों द्वारा गंगा और सिंधु नदी तंत्र का विकास होता है जबकि पठारी भारत में कयी नदी तंत्रों का विकास हुआ है, उनमें 6 प्रमुख है|
4. भारत की नदी अपवहन तंत्र का वर्णन करें- मानव समाज के विकास में उनका क्या योगदान है? 
उत्तर:-किसी क्षेत्र की प्रमुख नदी अपनी सहायक और अपहृत नदियों समेत जो अपवाह के प्रतिरूप उपस्थित करती है| उसे नदी प्रणाली कहा गया है| सामान्यतः नदी जिधर ढाल पाती है, उधर बहने लगती है| ढाल के अनुरूप गमन करनेवाली नदी को अनुगामी नदी कहते हैं| यहाँ ऐसी भी नदियाँ हैं जो ढाल के अनुरूप नहीं है| घाटी निर्माण करती हुई वे पुरानी चट्टानों पर आरोपित हो चुकी है| और पुरानी चट्टानों को काटने में लगी हुई है| चंबल और सोन ऐसी ही अध्यारोपित नदियों के उदाहरण है| भारत में ऐसी भी नदियाँ हैं, जो पहाड़ के आर पार बहती है, वे उन पहाड़ों के निर्माण के पूर्व से बहती आ रही है| सिंधु, सतलुज और कोसी ऐसी ही पूर्वगामी नदियों के उदाहरण है| नदियों की ये दो प्रणालियों के उदाहरण है| नदियों की ये दो प्रणालियाँ ढाल से असंबद्ध है, अनुगामी है| अनुगामी नदियों के विभिन्न प्रारुपों देखने को मिलते हैं| (क) वृक्षाकार प्रारुप (ख) जालीनुमा प्रारुप (ग)अरीय या केंद्रत्यागी प्रारुप| विश्व के सर्वप्रथम सभ्यता सिंधु और गंगा की घाटियों में ही विकसित हुई जहाँ जीवन यापन के सभी साधन सुलभ थे| हड़प्पा मोहन जोदड़ो आदि विकसित नगर सिंधु घाटी में ही स्थापित हुए थे| गंगा घाटी मानव सभ्यता और संस्कृति का आदिकाल से ही केन्द्र रही है| प्रयाग और काशी भारतीय संस्कृति के अति प्राचीन केन्द्र माने जाते हैं| भारत में नदियों के किनारे बसे अनेक स्थान है जो सांस्कृतिक केंद्र माने जाते हैं और वहाँ मंदिरों का निर्माण किया गया है| प्रयाग और काशी अति प्राचीन काल से प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र रहे हैं|
5. नदियाँ किस प्रकार मानव सभ्यता की जीवन रेखाएँ हैं? 
उत्तर:-यदि नदियाँ नहीं हो तो कृषि कार्य शून्य हो जाएंगे और जीवन रेखाएँ समाप्त हो जाएगी| मानव सभ्यता की कल्पना नहीं कर सकते हैं|नदियाँ सिंचाई के महत्वपूर्ण साधन है| ये बाढ के समय नयी मिट्टियाँ बिछाकर मैदानी भाग में उर्वरा शक्ति बढाती है| ये यातायात के साधन उपलब्ध कराती है| आज भी ब्रह्मपुत्र, गंगा और यमुना में दूर दूर तक स्टीमर चलते हैं| ये जल विद्युत उत्पन्न कर रही है और जल शक्ति के संभावित भंडार है| नदियों में मछलियाँ पकड़ी जाती है| बहुतों को यह आजीविका के साधन है| नदियाँ उद्योग केन्द्रों और नगरों की स्थापना और विकास में मदद पहुँचाती है|

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