नाजीवाद और हिटलर का उत्कर्ष (1934-45)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जर्मनी में नवम्बर क्रिमिनल्स किन्हें कहा गया?
उत्तर:-गणतंत्र के समर्थक को
2. नाजी पार्टी का दूसरा नाम क्या था?
उत्तर:-नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी
3. नाजी पार्टी के झंडा पर किसका चिह्न बना हुआ था?
उत्तर:-स्वास्तिक
4. जर्मनी को राष्ट्रसंघ की सदस्यता किस संधि द्वारा मिली?
उत्तर:-लोकार्नो
5. हिटलर को चांसलर किसने नियुक्त किया?
उत्तर:-हिंडेनबर्ग
6. जनरल फ्रैंको कहाँ का शासक था?
उत्तर:-स्पेन
7. कामिण्टर्न विरोधी समझौता में कौन कौन देश सम्मिलित थे?
उत्तर:-जर्मनी और जापान
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. नाजीवादी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-यह हिटलर द्वारा जर्मनी में प्रतिपादित सिद्धांत था| यह सैनिकवाद,वीरपूजा , राज्य की सर्वोच्चता के सिद्धांत, यहूदी विरोधी विचारधारा तथा आर्य प्रजाति की श्रेष्ठता का समन्वय था|
2. हिटलर के उत्कर्ष में वर्साय संधि का क्या महत्व था?
उत्तर:- वर्साय की संधि को जर्मनी की जनता एक अपमानजनक संधि मानती थी| उसे सैनिक एवं आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया| अतः जर्मन वर्साय की संधि को “एक राष्ट्रीय कलंक” मानते थे| हिटलर ने जनभावना को और अधिक उभारा और जनता में अपनी पहचान बनायी| धीरे धीरे जर्मन जनता हिटलर के नाजी दर्शन की ओर आकर्षित हुयी| वर्साय की संधि हिटलर को राजनीतिक उत्कर्ष की ओर ले गया|
3. वेमर गणतंत्र ने हिटलर के उदय का मार्ग कैसे प्रशस्त कर दिया?
उत्तर:-वेमर गणतंत्र ने 10 अगस्त, 1919 को वेमर संविधान लागू किया| इसके अनुसार जर्मनी में संघीय शासन व्यवस्था लागू की गयी तथा राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियाँ दी गयी| नयी सरकार ने ही वर्साय की अपमानजनक संधि की| इसकी जर्मनी में काफी तीखी प्रतिक्रिया हुयी| हिटलर ने भी जर्मन के साथ अपना स्वर मिलाया| सामाजिक स्तरीकरण में सैनिकों का महत्व बढ गया| राजनेता और सेना उग्र राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सम्मान की माँग करने लगे| हिटलर ने भी इसी विचार को नाजीवाद के रूप में प्रस्तुत किया| वेमर गणतंत्र ने हिटलर के उदय का मार्ग प्रस्तुत किया|
4. जर्मन पूंजीपतियों ने हिटलर का साथ क्यों दिया?
उत्तर:-जर्मनी का एक बड़ा जनसमुदाय, जिसमें मध्यम वर्ग और बेरोजगार थे, यहूदी विरोधी थे| साधारण जनता भी यहूदियों से घृणा करती थी| वह यहूदियों को सूदखोर मानकर आर्थिक दूर्दशा के लिए उन्हें उत्तरदायी मानती थी| हिटलर ने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया| हिटलर के इन विचारों का सेना, उद्योगपतियों, भूमिपतियों एवं गणतंत्र विरोधी राजनीतिज्ञों पर बड़ा प्रभाव पड़ा| वे सभी हिटलर को जर्मनी का मसीहा मानकर उसके साथ हो गये|
5. हिटलर की यहूदियों के प्रति क्या नीति थी?
उत्तर:-हिटलर ने यहूदियों को नष्ट करने की नीति अपनायी| यहूदियों को अवांछित प्रजाति घोषित कर अवर्णनीय अत्याचार किये| यहूदी छात्रों एवं शिक्षकों को स्कूलों से निकाल दिया गया| यहूदियों को नौकरियों से निकाल दिया गया| उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई | मताधिकार से वंचित कर नागरिकता छीन ली गई| यहूदियों को जर्मन छोड़कर जाने को विवश किया गया| यातना शिविरों में पशुओं की तरह रखा गया| गैस चैंबर में डालकर लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई|
6. हिटलर ने शिक्षा व्यवस्था में क्या परिवर्तन किए?
उत्तर:-हिटलर ने शिक्षा की पद्धति में अनेक परिवर्तन किए| सरकारी नियंत्रण में शिक्षा की व्यवस्था की गई| शिक्षालयों में विद्यार्थियों पर नाजी दर्शन थोपा गया| पाठ्यपुस्तक पुनः लिखवाया गया| प्रजाति विज्ञान को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया| शारीरिक गठन एवं चरित्र बल पर विशेष ध्यान दिया गया| विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में जर्मन जाति की श्रेष्ठता की शिक्षा दी जाती थी| यहूदियों से घृणा करने, हिटलर के प्रति समर्पण एवं वीर पूजा की शिक्षा दी जाती है| जर्मन युवकों को राजनीतिक सैनिक बनाना ही नाजी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य था|
7. हिटलर ने आर्थिक व्यवस्था में क्या सुधार किए?
उत्तर:-हिटलर ने योजनाबद्ध रुप से जर्मनी का आर्थिक विकास करने का निश्चय किया| सभी आर्थिक सुधार राजकीय नियंत्रण में किये गए| कृषि के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम बनाया गया जिससे खाद्यान्न उत्पादन में जर्मनी शीघ्र आत्मनिर्भर हो सके| उद्योगों के विकास के लिए चतुवर्षीय योजना 1936 में लागू की गयी जिससे स्वावलंबी बन सके कारखानों में तालाबंदी, हड़ताल आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया| जर्मन लेबर फ्रंट का निर्माण पर पूंजीपतियों उद्योपतियों और श्रमिकों के झगड़े दूर करने का प्रयास किया गया| स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन एवं उपभोग पर बल दिया गया| आयात को नियंत्रित किया गया, निर्यात को बढ़ावा दिया गया| हिटलर के इन कार्यों से जर्मनी में पुनः आर्थिक प्रगति हुई|
8. रोम बर्लिन टोकियो धुरी का गठन कैसे हुई?
उत्तर:-अबीसीनियाई युद्ध में जर्मनी ने इटली की सहायता की थी| फलतः, रोम (इटली की राजधानी) और बर्लिन (जर्मनी की राजधानी) ने आपस में एक संधि कर ली| यह रोम बर्लिन धुरी के नाम से विख्यात हुआ| 1936 में जर्मनी और जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध एक आपसी समझौता (कामिण्टर्न विरोधी समझौता) किया| 1937 में इटली भी इसमें सम्मिलित हो गया| फलतः यह त्रिदलीय संधि रोम बर्लिन टोकियो धुरी के नाम से विख्यात हुई|
9. हिटलर ने पोलैंड पर क्यों आक्रमण किया? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:-वर्साय की संधि में पोलैंड को जो “पोलिस गलियारा” दी गई थी उसे हिटलर वापस ले लेना चाहता था| उसने पोलैंड से इसे वापस करने की माँग की| हिटलर की माँग को पोलैंड ने ठुकरा दिया| फलतः 1 सितम्बर 1939 को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया| इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ हो गया|
10. नाजीवाद ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि कैसे तैयार कर दी?
उत्तर:-हिटलर जर्मनी के साथ मित्र राष्ट्रों द्वारा किए गए अपमानजनक और विद्वेषपूर्ण व्यवहार को भूला नहीं था| अपने नाजी दर्शन के अनुसार वह शक्ति के बल पर जर्मन साम्राज्य की सीमा और गौरव को बढ़ाना चाहता था| नाजीवाद का विदेश नीति के मूलतत्व थे अपमानजनक वर्साय संधि को समाप्त करना, जर्मनी को एकसूत्र में बांधना तथा जर्मन साम्राज्य का विस्तार करना| वह यूरोप में साम्राज्यवाद के प्रसार को भी रोकना चाहता था| इस तरह नाजीवाद ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर दी|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. जर्मनी में नाजीवाद अथवा हिटलर के उत्कर्ष के कारणों पर प्रकाश डालें|
उत्तर:-हिटलर (नाजीवाद) के उत्कर्ष के कारण जर्मनी में हिटलर और उसकी नाजी पार्टी के सत्ता में आने अथवा नाजी क्रांति के अनेक कारण थे| इनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं|
(क) 1919 की वर्साय की अपमानजनक संधि—–
मित्र राष्ट्रों ने प्रथम विश्वयुद्ध के लिए जर्मनी को उत्तरदायी ठहराया और संधि की कड़ी शर्तें रखीं| इस संधि के अनुसार जर्मनी को अपने सभी उपनिवेशों अपने साम्राज्य के 13℅ क्षेत्र और 10℅ जनसंख्या से हाथ धोना पड़ा| हर्जाना में 6 अरब पौंड देना पड़ा| खनिज संपदा से परिपूर्ण राइनलैंड पर मित्र राष्ट्रों ने अधिकार कर लिया| हिटलर ने अपने भाषणों में इस संधि की कड़ी आलोचना कर जनता को प्रजातंत्रवादियों से अपनी ओर कर लिया|
(ख) आर्थिक मंदी—-
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की आर्थिक स्थिति अत्यधिक बिगड़ गयी थी| उदाहरण के लिए, पावरोटी खरीदने के लिए एक गाड़ी कागजी मुद्रा (जर्मन मार्क) जारी करना पड़ा| 1925 के अंत तक एक महाशंख कागजी मार्क का मूल्य एक डालर के बराबर हो गया| हिटलर ने इस दयनीय स्थिति के लिए प्रजातंत्र वादियों को दोषी ठहराया| जनता को लगा कि हिटलर और नाजी पार्टी उनके दुर्दिन को समाप्त कर देंगे| अतः, हिटलर को जनसमर्थन मिलने लगा|
(ग) साम्यवाद का बढता प्रभाव-
वेमर गणतंत्र में सामाजिक प्रजातंत्र वादियों का प्रभुत्व था| ये मार्क्सवादी थे| ये जर्मनी में रूस जैसी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे| साम्यवादी विचारधारा जर्मनी में राष्ट्रीयता के लिए एक बड़ी चुनौती थी| हिटलर ने जनता को साम्यवाद के विनाशकारी प्रभावों से परिचित कराया| जर्मनवासी साम्यवादी चंगुल से बचने के लिए बड़ी संख्या में नाजी दल में सम्मिलित होने लगे|
(घ)यहूदी विरोधी भावना-
जर्मनी का एक बड़ा जनसमुदाय, जिसमें मध्यम वर्ग और बेरोजगार थे, यहूदी विरोधी थे| उनका मानना था कि प्रथम विश्वयुद्ध में यहूदियों के विश्वासघात के कारण ही जर्मनी की पराजय हुयी थी| हिटलर यहूदियों के विरुद्ध जनता को उभारा| सभी हिटलर को जर्मनी का मसीहा मानकर साथ हो गये|
(ड़) हिटलर का व्यक्तित्व-
नाजी दल और हिटलर के राजनीतिक उत्कर्ष का एक प्रमुख कारण स्वयं हिटलर का आकर्षक और प्रभावोत्पादक व्यक्तित्व था| वह भाषण देने में अत्यंत निपुण था| वह अपने भाषणों से श्रोताओं का मंत्रमुग्ध कर अपनी ओर आकर्षित कर लेता था| इससे जनमत का उसके पक्ष में होना सहायक हो गया|
2. नाजीवादी दर्शन की व्याख्या करें| क्या यह निरंकुशता का समर्थक था?
उत्तर:-नाजी दर्शन हिटलर की विचारधाराओं पर केंद्रित था| विश्व और मानव समुदाय के प्रति उसका एक विशिष्ट दृष्टिकोण था| नाजी दर्शन की निम्नलिखित विशेषताएँ थी ं|
(क) प्रजातीय स्तरीकरण-
उसके अनुसार नार्डिक जर्मन आर्य प्रजातीय स्तरीकरण के शीर्ष पर तथा यहूदी सबसे निचले स्तर पर थे| वह यहूदियों को आर्यों का दुश्मन मानता था| उनका मानना था कि आर्य प्रजाति सर्वश्रेष्ठ है| पूरे विश्व पर शासन करने के लिए इसे अपनी शुद्धता बनाए रखनी होगी तथा इसे मजबूत और शक्तिशाली बनाना होगा|
(ख) भौगोलिक राजनीतिक दृष्टिकोण-
नाजीवाद का दूसरा दर्शन लिबेनस्तम अर्थात् रहने योग्य स्थान की तलाश से संबंद्ध था| हिटलर का मानना था कि निवास के लिए नये क्षेत्रों पर अधिकार करना आवश्यक है| इस उद्देश्य से हिटलर ने पूर्व की ओर प्रसार करने की नीति अपनायी जिससे की सभी जर्मनों को एक भौगोलिक क्षेत्र पोलैंड में बसाया जा सके|
(ग) सर्वाधिकार का प्रसार एवं गणतंत्र की आलोचना-
नाजी दर्शन सर्वाधिकार का समर्थक था| वह सारी शक्ति एक व्यक्ति अथवा राज्य में केन्द्रित करना चाहता था| इसलिए, यह जनतांत्रात्मक व्यवस्था एवं लोकतंत्र का विरोधी था|
(घ) उग्र राष्ट्रवाद का समर्थक-
नाजी उग्र राष्ट्रवाद में विश्वास करते थे| उनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था| जर्मनवासियों में अन्तर्निहित भावना को उभारकर हिटलर ने उग्र राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया|
(ड़) यहूदी विरोधी नीति-
नाजीवाद की एक अत्यंत महत्वपूर्ण विशिष्टता यह थी कि यह यहूदियों के प्रति असीम घृणा का भाव रखता था| यहूदियों को”अवांछित समुदाय ” माना गया| उन्हें ईसा मसीह का हत्यारा और सूदखोर माना गया| लाखों यहूदियों की हत्या करवा दी गई| नाजियों ने एक ऐसे राज्य की कल्पना कि जिसमें सिर्फ शुद्ध नस्लवाले आर्य ही निवास कर सकें|
(च) सैनिक वाद को प्रोत्साहन-
जनतांत्रिक व्यवस्था को विफल करने के लिए सैनिकों का सहयोग लेने की योजना से नाजियों ने सैनिक वाद और युद्ध को बढ़ावा दिया| नाजी अपने लक्ष्य की पूर्ति बल और युद्ध का सहारा लेकर करना चाहते थे| नाजियों ने समाजवाद का विरोध किया एवं पूंजीवादी को समर्थन दिया|
3. हिटलर की गृह नीति की समीक्षा करें-
उत्तर:-
(क) अधिनायकतंत्र की स्थापना-
जर्मनी में सत्ता संभालते ही हिटलर ने सारी शक्तियाँ अपने हाथों में केन्द्रित कर ली तथा एक तानाशाह बन बैठा|
(ख) विशेष सुरक्षा दल का गठन-
नाजी दर्शन के अनुकूल सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने के उद्देश्य से विशेष पुलिस एवं सुरक्षा दल का गठन किया गया| इनमें गेस्टापो अथवा गुप्तचर पुलिस दल सबसे महत्वपूर्ण था|
(ग) यहूदियों पर भीषण अत्याचार-
यहूदियों पर अवर्णनीय अत्याचार किये| यहूदियों की संपत्ति जब्त कर ली गई| यहूदी छात्रों एवं शिक्षकों को स्कूल से निकाल दिया गया| डाक्टरों को अस्पतालों एवं वकीलों को कोई निकाला गया| गैस चैंबर में डालकर लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई|
(घ) शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन-
स्कूलों में दी जानेवाली शिक्षा को भी नाजी दर्शन के अनुकूल बनाया गया| पाठ्यपुस्तकों को पुनः लिखवाया गया| इनमें नाजीवाद की प्रशंसा कर इसे अपनाने को कहा गया|
(ड़) युवाओं के प्रति नीति-
हिटलर युवकों एवं छात्रों को मजबूत, शक्तिशाली और सैनिक गुणों से परिपूर्ण बनाना चाहता था| इसलिए उनमें युद्धोन्माद किया गया| छात्रों को कड़े अनुशासन में रखने की व्यवस्था की गई|
(च) धर्म के प्रति नीति-
हिटलर धर्म पर भी नियंत्रण स्थापित करना चाहता था| इसलिए उसने जर्मनी के प्रोटेस्टेंट चर्च को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया, लेकिन वह इसमें पुरी तरह सफल नहीं हो सका|
(छ) आर्थिक सुधार-
हिटलर के समकक्ष राष्ट्र की अर्थव्यवस्था सुधारने का भी समस्या उसने जालमर शाष्ट नामक अर्थशास्त्री को अपना अर्थमंत्री बनाया| उसने अधिकतम उत्पादन और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की नीति अपनायी|
4. हिटलर की विदेश नीति की विवेचना करें| क्या यह जर्मनी की खोयी हुयी प्रतिष्ठा को वापस पाने का साधन था?
उत्तर:-हिटलर की विदेशनीति खोयी हुयी प्रतिष्ठा को वापस पाने का साधन था| हिटलर की विदेश नीति के मूल तत्व थे अपमानजनक वर्साय की संधि को समाप्त करना, जर्मनी को एकसूत्र में बांधना तथा जर्मन साम्राज्य का विस्तार करना| वह यूरोप में साम्यवाद के प्रसार को भी रोकना चाहता था| अत: सत्ता में आते ही वह अपनी नीतियों के कार्यान्वयन में सक्रिय हो गया|
(क) राष्ट्र संघ से संबंध विच्छेद-
जर्मन राष्ट्र संघ का सदस्य था, परंतु यह उसके हितों की रक्षा नहीं कर सका| वर्साय की कठोर और अपमानजनक संधि से जर्मन आहत थे| उसने जेनेवा निरस्त्रीकरण की शर्तों को सभी देशों पर लागू की जाने की माँ माँग की, परन्तु ऐसा नहीं हुआ| 1933 में उसने राष्ट्रसंघ की सदस्यता त्याग दी|
(ख) वर्साय की संधि को अस्वीकार करना-
वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी पर क्षतिपुर्ति के रूप में जो हर्जाना थोप दिया गया था उसे हिटलर ने देने से इंकार कर दिया| सेना संख्या बढायी गयी तथा बड़ी मात्रा में अस्त्र शस्त्रों का निर्माण किया गया| 1935 में उसने वर्साय की संधि को मानने से इंकार कर दिया|
(ग)आस्ट्रिया जर्मनी का एकीकरण-
आस्ट्रिया में जर्मन प्रजाति की बहुत बड़ी संख्या थी| इसलिए, 1938 में उसने एक जनता एक साम्राज्य और एक नेता का नारा देकर आस्ट्रिया को जर्मनी के साथ एकीकृत कर लिया|
(घ) राइनलैंड और चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार-
हिटलर ने राइनलैंड पर 1936 में पुनः अधिकार कर लिया| 1939 में उसने चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया, क्योंकि वहाँ थी जर्मन प्रजाति के लोग बड़ी संख्या में थे|
(ड़) रोम बर्लिन टोकियो धुरी का गठन-
1936 में जर्मनी और जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध एक आपसी समझौता किया| 1937 ये इटली भी सम्मिलित हो गया| फलतः यह त्रिदलीय संधि रोम बर्लिन टोकियो धुरी के नाम से विख्यात हुयी|
(च)इंगलैंड से समझौता-
1935 में हिटलर ने ब्रिटेन के साथ समझौता किया| इसके अनुसार इंगलैंड इंगलैंड इसके लिए सहमत हो गया कि जर्मनी अपनी स्थल एवं वायु सेना में वृद्धि कर सकता है|
(छ) पोलैंड पर आक्रमण-
वर्साय की संधि में पोलैंड को जो पोलिश गलियारा दी गई थी उसे हिटलर ने वापस माँगा | हिटलर की माँग को पोलैंड ने ठुकरा दिया| फलतः 1 सितम्बर 1939 को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया| इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ हो गया|
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