प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध (1914-45)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सेरोजेवो में किसकी हत्या की गई?
उत्तर:-आर्क ड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड
2. संयुक्त राज्य अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध में क्या सम्मिलित हुआ?
उत्तर:-लुसीतानिया
3. पेरिस शांति सम्मेलन में कितनी संधियाँ की गई?
उत्तर:-पांच
4. फासीवाद की स्थापना किस देश में की गई?
उत्तर:-इटली
5. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की क्या स्थिति हुई?
उत्तर:-द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी दो भागों में बंट गया|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सर्वस्लाववाद आंदोलन पर प्रकाश डालें| इसने अंतराष्ट्रीय कटुता को किस प्रकार बढावा दिया?
उत्तर:-तुर्की साम्राज्य तथा आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्रों में स्लाव प्रजाति के लोगों का बाहुल्य था| जो अलग स्लाव राष्ट्र की माँग कर रहे थे| रूस का यह मानना था कि आस्ट्रिया हंगरी एवं तुर्की से स्वतंत्र होने के बाद स्लाव रूस के प्रभाव में आ जाएंगे| इसलिए रूस ने सर्वस्लाववाद आंदोलन को बढ़ावा दिया| इससे रूस और आस्ट्रिया हंगरी के संबंध कटु हुए| इससे यूरोपीय राष्ट्रों में कटुता की भावना बढती गयी|
2. प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था?
उत्तर:-(क)यूरोप की शक्ति संतुलन का बिगाड़ना
(ख) गुप्त संधियों एवं गुटों का निर्माण
(ग) जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता
(घ) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा
3 पेरिस शांति सम्मेलन क्यों बुलाया गया? इसके क्या कार्य थे?
उत्तर:-नवम्बर 1918 में विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद विजित राष्ट्रों ने पेरिस में एक शांति सम्मेलन का आयोजन जनवरी 1919 में किया| इसमें विश्वशांति स्थापना के तत्व निहित थे| इस सम्मेलन में सभी विजयी राष्ट्रों के राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया| पराजित राष्ट्रों के साथ अलग अलग पांच संधियाँ की गई-
(क)साधर्मी की संधि आस्ट्रिया के साथ
(ख) प्रिया की संधि हंगरी के साथ
(ग) निऊली की संधि बल्गेरिया के साथ
(घ) वर्साय की संधि जर्मनी के साथ
(ड़) सेब्र की संधि तुर्की के साथ| इन संधियों ने यूरोप का मानचित्र बदल दिया|
4. उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्वयुद्ध का कारण कैसे बना? स्पष्ट करें-
उत्तर:-उग्र अथवा विकृत राष्ट्रवाद भी प्रसिद्ध भी प्रथम विश्वयुद्ध का एक मौलिक कारण बना| यूरोप के सभी राष्ट्रों में इस भावना का समान रूप से विकास हुआ| यह भावना तेजी से बढती गई|कि समान जाति, धर्म भाषा और ऐतिहासिक परंपरा के व्यक्ति एक साथ मिलकर रहें और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी| पहले भी इस आधार पर जर्मनी और इटली का एकीकरण हो चुका था| बाल्कन क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी| तुर्की तथा आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्रों में स्लाव प्रजाति के लोगों का बाहुल्य था| वे अलग स्लाव राष्ट्र की माँगब कर रहे थे| रूस ने इसका समर्थन किया| इससे रूस और आस्ट्रिया हंगरी के संबंध कटु हुए| इसी प्रकार सर्वजर्मन आंदोलन भी चला| सर्व, चेक तथा पोल प्रजाति के लोग भी स्वतंत्रता की माँग कर रहे थे| इससे यूरोपीय राष्ट्रों में कटुता की भावना बढती गई|
5. वर्साय की संधि द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए किस प्रकार उत्तरदायी बनी? स्पष्ट करें-
उत्तर:-द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच वर्साय की संधि में ही बो दिए गए थे| मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन जनमानस कभी भी भूल नहीं सका| जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया| संधि की शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बांट लिया| उसे सैनिक और आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया| अत:, जर्मन वर्साय की संधि को “” एक राष्ट्रीय कलंक “”” मानते थे| मित्र राष्ट्रों के प्रति उनमें प्रबल प्रतिशोध की भावना जगी| हिटलर ने इस मनोभावना को और अधिक उभारकर सत्ता हथिया ली| सत्ता में आते ही उसने वर्साय की धज्जियाँ उड़ा दीं और घोर आक्रामक नीति अपनाकर दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ कर दिया|
6. “द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणाम था|” स्पष्ट करें-
उत्तर:-प्रथम विश्वयुद्ध ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज को बो दिया| पराजित राष्ट्रों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया गया इससे वे अपने को अपमानित समझने लगे| उन राष्ट्रों में पुनः राष्ट्रीयता प्रभावी बन गयी| प्रत्येक राष्ट्र एक बार फिर से अपने को संगठित कर अपनी शक्ति बढाने लगा| एक एक कर संधि की शर्तों को तोड़ने लगा| एक एक कर कर संधि की शर्तों को तोड़ा जाने लगा| इससे विश्व एक बार फिर से चिंगारी के ढेर पर बैठ गया| इसकी अंतिम परिणाम द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई |
7. द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका के सम्मलित होने से युद्ध घर क्या प्रभाव?
उत्तर:-7 दिसम्बर 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर के अमेरिकी नौ सैनिक अड्डा पर आक्रमण कर दिया| फलतः अमेरिका भी युद्ध में सम्मिलित हो गया| मित्र राष्ट्रों की शक्ति बढ गयी| धुरी राष्ट्र धीरे धीरे पराजित होने लगे| 1944 में पराजित इटली ने आत्मसमर्पण कर दिया| इससे जर्मनी शक्ति आघात लगा| 7 मई 1945 को हिटलर को आत्मसमर्पण करना पड़ा| 6 अगस्त एवं 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर एटम बम गिराकर पूर्णतः नष्ट कर दिया|
8. तुष्टीकरण की नीति से आप क्या समझते हैं? इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:-तुष्टीकरण की नीति भी द्वितीय विश्वयुद्ध का एक कारण बनी| किसी भी यूरोपीय राष्ट्र ने जर्मनी इटली के आक्रामक नीति को रोकने का प्रयास नहीं किया| वस्तुतः 1917 के बोल्शेविक क्रांति के बाद साम्राज्य की बढ़ती शक्ति से ब्रिटेन और फ्रांस खतरा महसूस कर रहे थे| दूसरी ओर जर्मनी, इटली और जापान (धुरी राष्ट्र) साम्राज्यवाद विरोधी थे| इसलिए, ब्रिटेन और फ्रांस चाहते थे कि फासीवादी शक्तियाँ (धुरी राष्ट्र) साम्राज्यवाद का विरोध करें और वे सुरक्षित रहें| इस तुष्टीकरण की नीति की प्रतिमूर्ति ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेंबरलेन था| इससे फासीवादी शक्तियों के हौसले बढते गये|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. प्रथम विश्वयुद्ध के प्रमुख कारणों का संक्षिप्त विवरण दें|
उत्तर:-
(क)यूरोप की शक्ति संतुलन का बिगड़ना-
1987 में जर्मनी के एकीकरण के पूर्व यूरोपीय राजनीति में जर्मनी की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं थी, परन्तु बिस्मार्क के नेतृत्व में एक शक्तिशाली जर्मन राष्ट्र का उदय हुआ| इससे यूरोपीय शक्ति संतुलन गड़बड़ा गया| इंगलैंड और फ्रांस के लिए जर्मनी एक चुनौती बन गया| इससे यूरोपीय राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढी|
(ख) गुप्त संधियाँ एवं गुटों का निर्माण-
जर्मनी के एकीकरण के बाद वहाँ के चांसलर बिस्मार्क ने अपने देश को यूरोपीय राजनीति में प्रभावशाली बनाने के लिए तथा फ्रांस को यूरोप की राजनीति में तटस्थ बनाये रखने के लिए गुप्त संधियों की नीतियाँ अपनायी| उसने आस्ट्रिया हंगरी (1879) के साथ द्वैध संधि की| रूस (1881 और 1887) के मैत्री संधि की गयी| फलस्वरूप यूरोप में एक नये गुट का निर्माण हुआ जिसे त्रिगुट कहा जाता है| इसमें जर्मनी, आस्ट्रिया हंगरी एवं इटली सम्मिलित थे| कुछ दिनों के बाद रूस, इंगलैंड और फ्रांस का त्रिराष्ट्रीय समझौता गुट का निर्माण हुआ| इस प्रकार, आपसी तनाव और मतभेद बढता गया जो विश्वशांति के लिए घातक प्रमाणित हुआ|
(ग) जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता-
जर्मनी एवं फ्रांस के मध्य पुरानी दुश्मनी थी| जर्मनी के एकीकरण के दौरान बिस्मार्क ने फ्रांस के धनी प्रदेश अल्लसेस लोरेन पर अधिकार कर लिया था| मोरक्को में भी फ्रांसीसी हितों को क्षति पहुँची गयी थी| इसलिए, फ्रांस का जनमत जर्मनी के विरुद्ध था|
(घ) साम्राज्यवाद प्रतिस्पर्धा-
साम्राज्यवाद देशों का साम्राज्य विस्तार के लिए आपसी प्रतिद्वंद्विता एवं हितों की टकराहट प्रथम विश्वयुद्ध का मूल कारण माना जा सकता है|जर्मनी और इटली जब बाद में उपनिवेशवादी दौड़ में सम्मिलित हुए तो उनके विस्तार के लिए बहुत कम संभावना थी| अतः, इन लोगों ने उपनिवेशवादी विस्तार की एक नयी नीति अपनायी| यह नीति थी दूसरे राष्ट्रों के उपनिवेशों पर बलपूर्वक अधिकार कर अपनी स्थिति सुदृढ़ करने की|
(ड़) सैन्यवाद-
साम्राज्यवाद के समान सैन्यवाद ने भी प्रथम विश्वयुद्ध को निकट ला दिया| प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा एवं विस्तारवादी नीति को कार्यन्वित करने के लिए अस्त्र शस्त्रों के निर्माण एवं उनकी खरीद बिक्री में लग गया| फलतः युद्ध के लिए अस्त्र शस्त्र बनाए गए| इस प्रकार, पूरा यूरोप चिंगारी के ढेर पर बैठ गया, बस विस्फोट होने की देरी थी| यह विस्फोट 1914 में हुआ था|
(च) तात्कालिक कारण-
सेरोजेवो हत्याकांड प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण बना आस्ट्रिया के युवराज आर्क ड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की बोस्निया की राजधानी सेराजेवों में हत्या|
2.प्रथम विश्वयुद्ध के महत्वपूर्ण परिणामों का उल्लेख करें-
उत्तर:-
(क)साम्राज्य का अंत-
प्रथम विश्वयुद्ध में जिन बड़े साम्राज्यों ने केन्द्रीय राष्ट्रों के साथ भाग लिया था उनका युद्ध के बाद पतन हो गया| पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप आस्ट्रिया हंगरी सम्राज्य बिखर गया | जर्मनी में होहेन जोर्ने और आस्ट्रिया हंगरी में हैप्सुबर्ग राजवंश का शासन समाप्त हो गया| वहाँ गणतंत्र की स्थापना हुई| इसी प्रकार, 1917 में रूसी क्रांति के परिणामस्वरूप रूस में रोमोनेव राजवंश की सत्ता समाप्त हो गयी एवं गणतंत्र की स्थापना हुई| तुर्की का आटोमक साम्राज्य भी समाप्त हो गया|
(ख) विश्व मानचित्र में परिवर्तन-
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विश्व मानचित्र में परिवर्तन आया| साम्राज्यों के विघटन के साथ ही पोलैंड चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया जैसे नये राष्ट्रों का उदय हुआ| आस्ट्रिया जर्मनी, फ्रांस और रूस की सीमाएँ बदल गयी| इसी प्रकार जापान को भी अनेक नये क्षेत्र प्राप्त हुए| इराक को ब्रिटिश एवं सीरिया को फ्रांसीसी संरक्षण में रख दिया गया| फिलस्तीन ब्रिटेन को दे दिया गया|
(ग) सोवियत संघ का उदय-
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस में एक क्रांति हुयी| इसके परिणामस्वरूप रूसी साम्राज्य के स्थान पर सोवियत संघ का उदय हुआ| जारशाही का स्थान समाजवादी सरकार ने ले लिया|
(घ) विश्वयुद्ध राजनीति पर से यूरोप का का प्रभाव कमजोर पड़ना-
युद्ध के पूर्व तक विश्व राजनीति में यूरोप की अग्रणी भूमिका थी| जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के इर्द गिर्द राजनीति घूमती थी, परन्तु 1918 के बाद यह स्थिति बदल गयी| युद्धोत्तर कारण में अमरीका का दबदबा बढ गया|
(ड़)अधिनायकवाद का उदय-
प्रथम विश्वयुद्ध के परिणामस्वरूप अधिनायकवाद का उदय हुआ| वर्साय की संधि का सहारा लेकर जर्मनी में हिटलर और उसंकी नाजी पार्टी ने सत्ता हथिया ली| नाजीवाद ने एक नया राजनीतिक दर्शन दिया| जर्मनी के समान इटली में भी मुसोलिनी के नेतृत्व में फासीवाद का उदय हुआ| अत: मित्र राष्ट्रों के प्रति इटली की कटुता बढती गई| हिटलर के समान मुसोलिनी ने भी सारी सत्ता अपने हाथों में केन्द्रित कर ली|
(च) द्वितीय विश्वयुद्ध का बीजारोपण-
प्रथम विश्वयुद्ध ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज भी बो दिए| पराजित राष्ट्रों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया गया इससे वे अपने को अपमानित समझने लगे| उन राष्ट्रों में पुनः उग्र राष्ट्रीयता प्रभावी बन गयी|
(छ) विश्वशांति स्थापना का प्रयास-
प्रथम विश्वयुद्ध में जिन धन की भारी क्षति को देखकर भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तत्कालीन राजनीतिज्ञों प्रयास आरंभ कर दिए| अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन की इसमें प्रमुख भूमिका थी| फलतः, जनवरी 1920 में राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई| दुर्भाग्यवश राष्ट्रसंघ अपने उद्देश्यों में विफल रहा| इसका उद्देश्य अंतराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान कर युद्ध की विभीषिका को रोकने का प्रयास करना|
3. क्या आप मानते हैं कि “वर्साय की संधि आरोपित संधि थी? ” स्पष्ट करें-
उत्तर:-प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जनवरी 1919 में पेरिस ने एक शांति सम्मेलन का आयोजन किया, इसमें कयी संधियाँ की गयी जिनमें वर्साय की संधि एक महत्वपूर्ण संधि थी जो विजित देशों और जर्मनी के बीच हुई थी| इसमें जर्मनीको राजनीतिक, सैनिक एवं आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया| इसकी शर्तें विजयी राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर जबरदस्ती लादी गयी थी| हिटलर शासन में आते ही संधि को नकार कर अपनी शक्ति बढानी आरंभ कर दी| नाजीदल ने वर्साय की संधि के विरुद्ध जनमत को अपने पक्ष में कर लिया| कहा जाता है कि वर्साय की संधि में दूसरे विश्वयुद्ध के बीच निहित थे| इसलिए, वर्साय की संधि को आरोपित संधि कहते हैं|
4. द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रमुख कारणों का उल्लेख करें-
उत्तर:-
(क) वर्साय की अपमानजनक संधि-
वर्साय की संधि के शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बांट लिया| उसे सैनिक और आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया| अतः, जर्मन वर्साय की संधि को ” एक राष्ट्रीय कलंक ” मानते थे|
(ख) तानाशाही शक्तियों का उदय-
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में तानाशाही शक्तियों का उदय और विकास हुआ| इटली में मुसोलिनी और जर्मनी में हिटलर तानाशाह बन बैठे| मुसोलिनी ने फासीवाद की स्थापना कर सारी शक्ति अपने हाथों में केन्द्रित कर ली| हिटलर ने नाजीवादी की स्थापना की तथा जर्मनी का तानाशाह बन बैठा| दोनों ने आक्रामक नीति अपनायी| दोनों ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता त्याग दी| उनकी नीतियों ने द्वितीय विश्वयुद्ध को अवश्यभावी बना दिया|
(ग) साम्राज्यवादी प्रवृत्ति-
द्वितीय विश्वयुद्ध का एक प्रमुख कारण बना साम्राज्यवाद| प्रत्येक साम्राज्यवाद शक्ति अपने साम्राज्य का विस्तार कर अपनी शक्ति और धन में वृद्धि करना चाहता था| इससे साम्राज्यवाद राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा आरंभ हुई | आगे चलकर विश्वयुद्ध का कारण बना|
(घ) यूरोपीय गुटबन्दी-
जर्मनी, इटली और जापान का त्रिगुट बना| ये राष्ट्र धुरी राष्ट्र के नाम से विख्यात हुए| फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका और रूस का अलग गुट बना जो मित्र राष्ट्र कहलाया| गुटबंदी ने एक दूसरे के विरुद्ध आशंका, घृणा और विद्वेष की भावना जगा दी|
(ड़) राष्ट्रसंघ की विफलता-
द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रमुख कारण राष्ट्रसंघ की विफलता थी| इसकी स्थापना युद्धों की पुनरावृत्ति को रोकने एवं विश्वशांति को बनाए रखने के लिए भी गयी थी| परंउयह अपने उद्देश्यों में विफल गयी थी| परंतु यह अपने उद्देश्यों में विफल रही| यह महाशक्तियों के विरुद्ध कोई कारवाई नही ं कर सकी| अपनी निजी सेना के अभाव, बड़े राष्ट्रों के दबाव तथा अन्य बहुत सी दुर्बलताओं के कारण राष्ट्रसंघ उपयोगिता समाप्त हो गयी|
(च) युद्ध के तात्कालिक कारण-
अप्रैल 1938 में हिटलर ने पोलैंड से डाजिंग बंदरगाह तथा पौलिश गलियारा जर्मनी वापस करने की माँग की| पोलैंड ने इसे स्वीकार नहीं किया| हिटलर ने 1 सितम्बर, 1939 को पोलैंड पर आक्रमण कर दिया| 3 सितम्बर को ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी| इस प्रकार, दूसरा युद्ध आरंभ हो गया|
5. द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:-
(क) धन जन का भीषण संहार-
इस युद्ध में तीन करोड़ लोग मारे गए जिनमें सर्वाधिक संख्या रूसियों की थी| अनुमानत: सिर्फ ब्रिटेन में दो हजार करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति नष्ट हुयी|
(ख)औपनिवेशिक युग का अंत-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सभी साम्राज्यवाद राज्यों को एक एक कर अपने उपनिवेशों से हाथ धोना पड़ा| उपनिवेशों में राष्ट्रीयता की लहर तेज हो गयी| स्वतंत्रता आंदोलन तेज हो गये| फलतः एशिया के अनेक देश यूरोपीय दासता से मुक्त हो गये|
(ग) फासीवादी शक्तियों का सफाया-
युद्ध में पराजित होने के बाद धुरी राष्ट्रों के दुर्दिन आ गये| जर्मन साम्राज्य का बड़ा भाग उससे छिन गया| इटली को अपनी सभी अफ्रीकी उपनिवेश खोने पड़े | जापान ने भी जिन क्षेत्रों पर अधिकार किया उसे वापस करना पड़ा| इन राष्ट्रों की आर्थिक सैनिक स्थिति भी दयनीय हो गयी|
(घ) इंगलैंड की स्थिति का कमजोर पड़ना-
अब तक विश्व राजनीति में इंग्लैंड (ब्रिटेन) की प्रमुख भूमिका थी| वह एक शक्तिशाली राष्ट्र था, परंतु द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उसकी स्थिति दुर्बल हो गयी| उसके सभी उपनिवेश स्वतंत्र हो गये तथा विश्व राजनीति में उसका दबदबा घट गया|
(ड़) रूस और अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी, इटली ब्रिटेन और फ्रांस के स्थान पर सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव राजनीति में बढ गया| इन्हीं दोनों के इर्द गिर्द युद्धोत्तर राजनीति चलने लगे|
(च) विश्व का दो खेमों में विभाजन-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ विश्व की दो महान शक्तियाँ बंद गयी| अमेरिका पूंजीवाद और रूस साम्यवाद का समर्थक था| अतः यूरोपीय और एशियाई देश सहायता के लिए रुस अमेरिका की ओर आकृष्ट हुए| दोनों ने अविकसित और विकासशील देशों को अपने प्रभाव में लेना आरंभ दिया| फलतः विश्व राष्ट्रों दो खेमों में बंट गए|
(छ) जर्मनी का विघटन-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी को दो भागों में विभक्त कर दिया गया| पश्चिमी जर्मनी और पूर्वी जर्मनी| पश्चिमी जर्मनी को इंग्लैंड, अमेरिका और फ्रांस तथा पूर्वी जर्मनी को सोवियत संघ के संरक्षण में रखा गया| बर्लिन में दिवार बनाकर इसका विभाजन किया गया|
(ज) संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता पुनः प्रतीत हुयी जिससे कि विश्वशांति बनायी रखी जा सके एवं विश्वयुद्ध की पुनरावृत्ति को रोका जा सके| 1945 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की गयी| यह अभी भी कार्यरत हैं|
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