Bharti Bhawan History Class-9:Chapter-3:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:इतिहास:कक्षा-9:अध्याय-3:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

                    फ्रांस की क्रांति (1789) 






   
                     अति लघु उत्तरीय प्रश्न




1. फ्रांस में करों का बोझ सबसे अधिक किस पर था? 
उत्तर:- जनता पर
2. विश्वकोश के संपादक कौन थे? 
उत्तर:- दिदरो
3. किसने कहा था, “सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंह का शासन उत्तम है?”
उत्तर:-वाल्तेयर
4. इस्टेट्स जनरल की बैठक किस तिथि को आरंभ हुई? 
उत्तर:-5 मई 1789
5. सम्राट लुई सोलहवें को किस तिथि को फांसी दी गई? 
उत्तर:-21 जनवरी 1793
6. नेशनल असेम्बली में मताधिकार दिया? 
उत्तर:-सक्रिय नागरिकों को
7. महिला एवं नागरिक अधिकार घोषणा पत्र किसने जारी किया था? 
उत्तर:-ओलम्प दे गूज 
                          लघु उत्तरीय प्रश्न




1. फ्रांस की क्रांति के समय समाज कितने वर्गों में बंटा था? तीसरे वर्ग की स्थिति संक्षिप्त परिचय दें-
उत्तर:-समाज को तीन वर्गों में बंटा था-
(क)पादरी वर्ग
(ख) कुलीन वर्ग
(ग) सर्वसाधारण वर्ग
सर्वसाधारण वर्ग- सर्वसाधारण वर्ग की स्थिति बहुत खराब थी| जनसंख्या का 90% हिस्सा किसानों का था| लेकिन जमीन का 40% भाग ही था| करों का सारा बोझ साधारण जनता पर ही था| कुलीन और चर्च कर नहीं देते थे| क्रांति के पूर्व फ्रांस की जनसंख्या तीव्र गति से वृद्धि हुई| अनाज के उत्पादन की तुलना में इसकी आपूर्ति कम हो गयी| पावरोटी जो जनसाधारण का भोजन था, उसकी कीमत में अप्रत्याशित उछाल आयी|
2. फ्रांस की क्रांति में रूसो का क्या योगदान था? 
उत्तर:-रूसो फ्रांस का सबसे बड़ा दार्शनिक था| वह लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था का समर्थक था| अपनी पुस्तक ‘दी सोशल कांट्रैक्ट’ में उसने “जनमत को ही सर्वशक्तिशाली माना राज्य तो जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ही बनी थी| वह वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट था| उसका कहना था, ” मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है, पर वह हर जगह जंजीरों से जकड़ा है| रूसो ने इन जंजीरों को तोड़ फेंकने को कहा| रूसो के क्रांतिकारी विचारों ने फ्रांस में क्रांति के विस्फोट के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर दी|
3. मानव एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा में किस पर बल दिया गया? 
उत्तर:-मानव एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा में दोनों पर बल दिया गया| 1971 में राष्ट्रीय सभा ने मानव के मूलभूत अधिकारों की घोषणा की तथा स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया| इसके द्वारा समाज में प्रत्येक व्यक्ति के महत्व को स्वीकार किया गया| प्रत्येक व्यक्ति को राजनैतिक स्वतंत्रता मिली तथा जनता की सार्वभौमिकता स्वीकार की गयी| अब वैयक्तिक स्वतंत्रता का सिद्धांत स्थापित हुआ| सामाजिक असमानता का अंत हुआ और वर्ग विभेद समाप्त हो गया| नागरिकों की स्वतंत्रता का सिद्धांत स्वीकार कर लिया गया| अब फ्रांस में न तो शासक वर्ग और न ही शासित वर्ग था| सभी नागरिक एक समान माने गये| उन्हें विचार अभिव्यक्ति और चुनावों में भाग लेने की स्वतंत्रता मिली| कर मनमाने ढंग से नहीं, बल्कि कानून के अनुकूल वसूलने की व्यवस्था हुयी|
4. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांसीसी क्रांति को कैसे प्रभावित किया? 
उत्तर:-अमेरिकी स्वातंत्र्य संग्राम का भी फ्रांस पर प्रभाव पड़ा| फ्रांसीसी सैनिकों ने लफायते के नेतृत्व में इस युद्ध में भाग लिया था| उन्होंने देखा था कि अमेरिका के 13 उपनिवेशों ने कैसे औपनिवेशिक शासन को समाप्त कर वहाँ लोकतंत्र की स्थापना की थी| स्वदेश वापस लौटने पर उन्होंने देखा कि जिन सिद्धांतों की रक्षा के लिए वे अमेरिका में युद्ध कर रहे थे उनका अपने देश में ही अभाव था| अतः, वे सैनिक फ्रांस में क्रांति के अग्रदूत बनकर लोकतंत्र का संदेश फैलाने लगे| जनसाधारण इससे अत्यधिक प्रभावित हुआ|
5. बास्तिल के पतन का फ्रांसीसी क्रांति में क्या महत्व था? 
उत्तर:-14 जुलाई, 1789 को भीड़ ने बास्तिल के सुदृढ़ किला पर आक्रमण कर दिया| यह किला राजशाही का प्रतीक था, पूरी तरह नष्ट कर दिया गया| इसका व्यापक प्रभाव पड़ा| गाँव गाँव में विद्रोह फैल गया| किसानों ने जमींदारों के ग्रामीण किलों को नष्ट कर दिया, गोदामों में रखे गये अनाज को लूट लिया एवं लगान और भूमि संबंधी दस्तावेजों को जलाकर खाक कर दिया| ग्रामीण इलाकों में पूरी तरह अव्यवस्था और अराजकता व्याप्त हो गयी| सामंतों को भागने पर विवश कर दिया गया| आगे 14 जुलाई ही फ्रांस का स्वतंत्रता दिवस बन गया|


6. राब्सपियर के विषय में आप क्या जानते हैं? 
उत्तर:- राब्सपियर जैकोबियन दल का नेता था| 1792 में राब्सपियर ने खाद्यान्नों की कमी एवं महंगाई को मुद्दा बनाकर जगह जगह विद्रोह करवाया| पेरिस की नगरपालिका को भयंकर एक क्रांतिकारी कम्यून (पेरिस कम्यून) ने शासन अपने हाथों में ले लिया|10 अगस्त, 1792 को ट्यूलेरिये के राजमहल पर पेरिसवालों ने आक्रमण किया| राजा बंधक बना लिया गया| नेशनल ऐसंबली पर दबाव डालकर राजा और उसके परिवार को गिरफ्तार करने का प्रस्ताव पारित करवाया गया| नयी एसेंबली के लिए चुनाव करवाने का भी निर्णय लिया गया| नयी एसेम्बली में उग्रपंथी जैकोबियनों को बहुमत मिला|
7. फ्रांस की क्रांति के स्वरूप के विषय में आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:- फ्रांसी की क्रांति एक मध्यवर्गीय क्रांति था| जो बाद में उग्ररुप धारण कर लिया| इस क्रांति मे ं बुद्धिजीवी, साधारण जनता, किसान और अमेरिका से वापस आये सैनिकों ने भाग लिया| 5 मई 1789 ई० थे| स्टेट्स जेनरल की बैठक शुरू हुई और मतदान के प्रश्न पर विवाद बढ गया| तीसरे स्टेट के प्रतिनिधियों ने सभा की बैठक का विरोध किया और इसका बहिष्कार कर दिया| क्रांति का प्रभाव यहीं से शुरू हो गया| विश्व के अनेक देशों में इसका प्रभाव पड़ा|
8. विश्व इतिहास में फ्रांस की क्रांति का क्या महत्व है? 
उत्तर:-पुरातन व्यवस्था का अंत, नयी व्यवस्था की नींव 1789 की फ्रांसीसी का विश्व इतिहास में विशिष्ट स्थान है| इस क्रांति ने एक युग का अंत कर दूसरे युग का आरंभ कर दिया| मध्यकाल का अंत और आधुनिक काल का आरंभ हुआ| प्रजातंत्र, राष्ट्रवाद, समाजवाद, व्यक्ति की महत्ता, स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की भावना इस क्रांति के परिणामस्वरूप बलवती हुयी|
                        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न





1. फ्रांस की क्रांति के कारणों का संक्षिप्त उल्लेख करें-
उत्तर:- 1789 की फ्रांसीसी क्रांति की पृष्ठभूमि बहुत पहले ही तैयार हो चुकी थी| तत्कालीन, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक कारणों से फ्रांस का वातावरण उद्वेलित था|
(क) राजनैतिक कारण- यूरोप के अन्य देशों के समान फ्रांस में भी निरंकुश राजतंत्र था| राजा के हाथों में सारी शक्ति केन्द्रित थी| 1974 ई० में लुई-16 गद्दी पर बैठा जो अत्यधिक निरंकुश फिजूल खर्च एवं अयोग्य था| उसकी पत्नी मेरी एंतोएनेत भी फिजूल खर्च तथा राजकाज में दखल देने वाली थी| निरंकुश राजतंत्र पर नियंत्रण का अभाव था| 1789 आते आते जनसाधारण शासन में भाग लेने के लिए उतावला होने लगा|उस समय वहाँ कोई ऐसी संस्था नहीं थी जो उसकी उग्र मनोवृत्ति पर रोक लगा सके|
(ख) सामाजिक कारण- फ्रांस का समाज वर्गों में विभाजित था, जिनकी स्थिति एक दूसरे से पूर्णतः भिन्न थी| समाज तीन वर्गों में विभक्त था पहला वर्ग पादरियों का दूसरा वर्ग कुलीनों का था| तीसरे वर्ग में समाज के अन्य सभी लोग आते थे| यह वर्ग माध्यम वर्ग कहलाता था| मध्यम वर्ग के साथ कुलीन वर्ग के लोग बुरा व्यवहार करते थे| यह बात उन्हें बहुत अपमानजनक लगती थी| फ्रांस की क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण नारा समानता का था|
(ग)आर्थिक कारण- विदेशी युद्ध और अपव्यय ने फ्रांस की आर्थिक स्थिति डांवाडोल कर दी थी|यहाँ कर लगाने की प्रथा प्रचलित थी, जो असमानता और पक्षपात के सिद्धांत पर आधारित थी| करों के आर्थिक बोझ के अलावा फ्रांस की आर्थिक स्थिति को दयनीय बनाने में वहाँ के समाज में व्याप्त बेकारी की समस्या ने अहम् भूमिका अदा की| इसके अलावा अव्यवस्थित शासन व्यवस्था ने व्यापारिक जीवन को भी पंगु बना दिया था|
(घ) सैनिक कारण- फ्रांस के सैनिकों में भी बहुत अधिक असंतोष था|नियुक्ति में असमानता रहती थी|खराब भोजन एवं कम वेतन इत्यादि से भी सैनिक रूष्ट रहते थे|अतः, आगे चलकर प्रारंभ फ्रांस की सेना भी क्रांतिकारियों का साथ दिया|
(ड़) व्यक्तिगत एवं धार्मिक कारण- फ्रांस में सभी तरह की स्वतंत्रता था| भाषण, लेखन, विचार और धार्मिक स्वतंत्रता|फ्रांस में बिना अभियोग के गिरफ्तारी होती थी जिसको ‘लेटर्स द कैचेट’ कहते थे|
(च) बौद्धिक कारण- फ्रांसीसी एक मध्यवर्गीय क्रांति थी जिसमें शिक्षित वर्ग के लोगों ने तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दोषों का पर्दाफाश किया और जनमानस में आक्रोश पैदा किया| फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आंदोलन का सूत्रपात किया|
(छ) तात्कालीन कारण- फ्रांस में विषम परिस्थिति होते हुए भी संभवतः क्रांति नहीं होती, अगर शासन की बागडोर एक योग्य राजा के हाथों में होती|लूई में राज्य की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के प्रयास में फ्रांस की संसद एस्टेट्स जेनरल की बैठक बुलाने का निर्णय लिया| यह बैठक 175 वर्षों से नहीं हुई थी| कर लगाने के लिए एस्टेट्स जेनरल की मंजूरी आवश्यक थी| 5 मई 1789 को एस्टेट्स जेनरल की बैठक आरंभ हुई|इसके साथ ही फ्रांस की क्रांति आरंभ हो गयी|
2. फ्रांस की क्रांति में बौद्धिक कारणों की क्या भूमिका थी? 
उत्तर:- क्रांति में फ्रांस के बौद्धिक वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका थी|फ्रांस में अनेक दार्शनिक, विचारक और लेखक हुए| इन लोगों ने तत्कालीन व्यवस्था पर करारा प्रहार किया|जनता इनके विचारों से गहरे रूप से प्रभावित हुए एवं क्रांति के लिए तैयार हो गयी|जिन दार्शनिकों ने फ्रांस के जनमानस को झकझोर दिया उनमें माटेस्क्यू, वाल्तेयर और रूसो के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है|इन विचारों के अतिरिक्त फ्रांस में अन्य लेखक एवं विद्वान हुए जिनके विचारों ने क्रांति को प्रेरणा दी| अपने विश्वकोश में दिदरो ने निरंकुश राजतंत्र, सामंतवाद एवं जनता के शोषण की घोर भर्त्सना की| फ्रांस के अर्थशास्त्रियों- क्वेसने, तुर्जो और नेकर ने फ्रांस की दुर्बल अर्थव्यवस्था की आलोचना की तथा मुक्त व्यापार की वकालत की| इन सभी का फ्रांस की जनता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा|
3. क्या आप जानते हैं कि फ्रांस की क्रांति बूर्जुआ वर्ग की क्रांति थी? व्याख्या कीजिए-
उत्तर:-हां, फ्रांस की क्रांति को मध्यमवर्गीय (बूर्जुआ वर्ग की) क्रांति कहा जाता है|इस वर्ग ने क्रांति के पूर्व, क्रांति के दौरान एवं क्रांति के बाद भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|क्रांति के अधिकांश नेता और दार्शनिक इसी वर्ग से आते थे|क्रांति से मध्यम वर्ग के लोग ही अधिक लाभान्वित हुए| स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत से मध्यम वर्ग ही लाभान्वित हुए|साधारण जनता को मताधिकार भी नहीं मिला| प्रथम एवं द्वितीय वर्ग के विशेषाधिकारों को समाप्त कर मध्यम वर्ग ने ही उनका लाभ उठाया| मिल मजदूरों के संगठनों पर तो पाबंदी भी लगा दी गई| अत:, कहा जा सकता है कि 1789 की फ्रांसीसी मध्यवर्गीय क्रांति थी| 
4. आतंक के राज्य पर संक्षिप्त निबंध लिखें-
उत्तर:-राजशाही समाप्त करने के बाद राब्सपियर ने शासन पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया| 1793 में आतंक का राज्य आरंभ हुआ| गणतंत्र के विरोधियों कुलीनों, पादरियों जिरोंदिस्तो को बड़ी संख्या में गिरफ्तार कर उन्हें गिलोटिन पर चढा दिया गया|महंगे सफेद आटा के व्यवहार पर रोक लगाकर “” बराबरी का प्रतीक माने जानेवाली समता रोटी “” का उपयोग अनिवार्य करना|मजदूरों की मजदूरी की दरें तय करना| धनिकों पर युद्ध करने तथा आयकर लगना| क्रांति विरोधियों की संपत्ति जब्त करना गरीबों के बच्चों के लिए बुनियादी शिक्षा की व्यवस्था करना| गिरजाघर बंद कर दिए गए, उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई तथा गिरजाघरों में दफ्तर और सैनिक छावनी बनाए गए| फ्रेंच भाषा को फ्रांस की राष्ट्रभाषा बनाया गया| राब्सपियर के अति कठोर और दमनात्मक नीतियों से कन्वेंशन के अंदर ही उसके विरोधी सक्रिय हो गये | एक योजनानुसार उसे गिरफ्तार कर उसके 92 साथियों सहित 27 जुलाई 1794 को गिलोटिन पर चढा दिया गया| इस प्रकार आतंक का राज्य समाप्त हो गया|
5. फ्रांस की क्रांति के महत्वपूर्ण परिणामों की विवेचना करें-
उत्तर:-
(क) सामंती व्यवस्था- (पुरातन व्यवस्था) की समाप्ति- फ्रांसीसी क्रांति ने सामंती व्यवस्था को समाप्त कर दिया| सामंतों के विशेषाधिकार समाप्त कर दिया गया| इससे सबसे बड़ी राहत किसानों को मिली| उनका शोषण समाप्त हो गया|
(ख) राजतंत्र की समाप्ति- 1789 की फ्रांसीसी क्रांति ने फ्रांस में राजतंत्र को समाप्त कर दिया;यद्यपि यह व्यवस्था स्थायी नहीं हो सकी | राजा को गद्दी से हटकर उसे मृत्युदंड दिया गया| फ्रांस में गणतंत्रात्मक व्यवस्था लागू की गयी|
(ग) प्रशासनिक एकरूपता- राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से फ्रांस को एक इकाई में परिवर्तित कर दिया| पुरानी प्रशासनिक समाप्त कर दी गई|
(घ) राजनीतिक चेतना का विकास- 1789 की क्रांति ने जनसाधारण में भी राजनीतिक चेतना जगा दी | यद्यपि यह एक मध्यवर्गीय क्रांति थी तथापि जनसाधारण ने भी इसमें भाग लिया| 
(ड़) राष्ट्रीयता की भावना का उदय- फ्रांसीसी क्रांति ने नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना जगा दी| अब वे अपने एक राष्ट्र के रूप में देखने लगे| क्षेत्रीयता की भावना विलुप्त हो गयी| वे एकजुट होकर तानाशाही और शोषण के विरुद्ध खड़े हो गये|
(च) व्यक्ति का महत्व बढना- फ्रांस की क्रांति ने व्यक्ति के महत्व को स्वीकार किया| 1791 में राष्ट्रीय सभा ने मानव के मूलभूत अधिकारों की घोषणा की तथा स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया|इसके द्वारा समाज में प्रत्येक व्यक्ति के महत्व को स्वीकार किया गया|
(छ) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की भावना का उदय- 1789 की क्रांति ने यूरोप के सामने एक नया सिद्धांत रखा | यह था- स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व का सिद्धांत| यह सिद्धांत यूरोप के अन्य देशों के लिए भी अनुकरणीय बन गया| इसी के आधार पर अनेक यूरोपीय राष्ट्रों में क्रांतियाँ हुयी|
(ज) नागरिक स्वतंत्रता की स्थापना- फ्रांस की क्रांति के फलस्वरूप नागरिकों की स्वतंत्रता का सिद्धांत स्वीकार कर लिया गया| अब फ्रांस में न तो शासक वर्ग नहीं शासित वर्ग था| सभी नागरिक एकसमान माने गये| उन्हें विचार अभिव्यक्ति और चुनावों में भाग लेने की स्वतंत्रता मिली| 
(झ) धार्मिक स्वतंत्रता- क्रांति के पूर्व फ्रांस में रोमन कैथोलिक चर्च का व्यापक प्रभाव था| यह वस्तुतः राजधर्म था| राजा चर्च का हिमायती था| गैर कैथोलिकों पर अत्याचार होते थे| क्रांति के बाद लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता मिली| राज्य का धार्मिक मामलों पर से नियंत्रण समाप्त कर दिया गया| फ्रांस में धर्म सहिष्णुता की नीति अपनायी गयी | फ्रांस धर्मनिरपेक्ष राज्य बन गया|
(ञ) समाजवाद का आरंभ- फ्रांसीसी क्रांति ने समाजवाद का बीजारोपण कर दिया| जैकोबिनों ने बहुसंख्यक गरीबों को अनेक सुविधाएँ दीं| अमीरी गरीबी का भेद मिटाने का प्रयास हुआ| खाद्य पदार्थों के मूल्य निर्धारित किया गया|
6. क्या आप मानते हैं कि फ्रांस की क्रांति एक युगांतरकारी घटना थी? 
उत्तर:- हां, फ्रांसीसी क्रांति के बाद यूरोप के अनेक राष्ट्रों में क्रांतियाँ हुयी| 1789 की क्रांति का जन जीवन और उनकी रोजाना की जिन्दगी पर गहरा प्रभाव पड़ा| स्वतंत्रता एवं समानता की भावना बलवती हुयी| क्रांति के बाद फ्रांसीसी उपनिवेशों में रहनेवाले सभी दासों को मुक्त करने का निश्चय किया| यूरोपीय राष्ट्रों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत कर दी| फलतः इटली के भावी एकीकरण की नींव पड़ी| बाद में जर्मनी एवं पोलैंड का एकीकरण हुआ| इंगलैंड में संसदीय सुधारों का मार्ग प्रशस्त कर दिया| 1789 की क्रांति से भारत भी अछूता नहीं रहा| महान समाज सुधारक राजा राजमोहन राय के विचारों पर भी इस क्रांति ने गहरा प्रभाव डाला| स्वतंत्रता और जनवादी अधिकारों के लिए फ्रांसीसी क्रांति के सबसे महत्वपूर्ण विरासत बन गये|
7. फ्रांस की क्रांति का अन्य देशों पर प्रभाव पड़ा? स्पष्ट करें-
उत्तर:-फ्रांस की क्रांति के प्रभाव सिर्फ फ्रांस तक ही सीमित नहीं रहे| इसने समस्त यूरोप में एक तहलका सा मचा दिया| यूरोप के राजाओं और वहाँ की जनता दोनों का ध्यान फ्रांस की ओर था| क्रांति से जहाँ यूरोपीय तानाशाह अपने लिए खतरा महसूस करने लगे वहीं उन देशों की जनता आशा भरी निगाहों से फ्रज्ञंस की ओर देख रही थी| फ्रांस की देखा देखी सामंती व्यवस्था को मिटाने एवं समानता के सिद्धांत को लागू करने का प्रयास किया गया| जर्मनी एवं पोलैंड के भावी एकीकरण का रूप रेखा बना| इंगलैंड में 1832 का रिफार्म ऐक्ट पारित हुआ| इसने इंगलैंड में संसदीय सुधारों का मार्ग प्रशस्त कर दिया| 1789 की क्रांति के परिणामस्वरूप इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति को भी गति मिली| फ्रांस की क्रांति से प्रेरणा लेकर मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने भी अंग्रजों की सत्ता समाप्त करने का प्रयास किया|

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