Bharti Bhawan History Class-9:Chapter-8:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:इतिहास:कक्षा-9:अध्याय-8:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

                 









                   कृषि और खेतिहर समाज 










                      अतिलघु उत्तरीय प्रश्न






1. जय जवान जय किसान का नारा किसने दिया था? 
उत्तर:-लाल बहादुर शास्त्री
2. कपास की खेती सबसे पहले कहाँ हुई? 
उत्तर:-सिंधु घाटी में
3. बिहार  में कितने प्रकार के फसल होते हैं? 
उत्तर:-4
4. बिहार में चाय की खेती कहाँ आरंभ की गई है? 
उत्तर:-किशनगंज
5. बिहार में पहली चीनी मिल कहाँ स्थापित की गई? 
उत्तर:-मढौरा
6. औपनिवेशिक काल में चीनी का कटोरा किसको कहा जाता था? 
उत्तर:-बिहार
7. विश्व की रोटी की टोकरी के रूप में कौन क्षेत्र विख्यात है? 
उत्तर:-अल्पेशियन पठार से मिसीसिपी नदी घाटी एवं विशाल मैदानी भाग
8. अमेरिका के किस क्षेत्र को गेंहूँ की पट्टी कहा जाता है? 
उत्तर:-प्रेयरी क्षेत्र
9. अमेरिका में उपजाए जाने वाले गेंहूँ के दो प्रकारों के नाम लिखें|
उत्तर:-वसंतकालीन गेंहूँ एवं शीतकालीन गेंहूँ
10. अमेरिका में उगाई जानेवाली कपास के दो प्रकारों के नाम लिखें|
उत्तर:- सी आइलैंड कपास तथा अपलैंड वेरायटी
                       लघु उत्तरीय प्रश्न






1. भारत में कितने प्रकार की खेती होती है? इनके नाम लिखें-
उत्तर:- 6
(क) झूम खेती (ख) पारंपरिक खेती (ग) गहन खेती (घ) फसल चक्र (ड़) मिश्रित खेती (च) रोपण या बागवानी खेती
2. झूम खेती किसे कहते हैं? यह किस क्षेत्र में होती है? 
उत्तर:- इसे स्थानांतरित कृषि भी कह सकते हैं| बरसात के पहले जंगल के एक निश्चित भूभाग में आग लगा दी जाती है| इससे जमीन समतल एवं कृषियोग्य बन जाती है| जले हुए राख पर बीज छिड़क दिया जाता है| वर्षा होने पर बीज से पौधे निकल आते हैं| जले हुए राख से नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ जाती है| इससे जमीन उपजाऊ हो जाती है| कुछ वर्षों तक वहाँ खेती करने के बाद बढ़ जाती है| इससे जमीन उपजाऊ हो जाती है| कुछ वर्षों तक वहाँ खेती करने के बाद उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर यही प्रक्रिया दोहरायी जाती है| इस प्रकार की खेती वन्य एवं पहाड़ी भागों में प्रचलित है|
3. आदिवासी जमीन पर हल चलाना क्यों नहीं चाहते थे? 
उत्तर:-आदिवासी धरती को अपनी माता सदृश मानते थे| मातारुपी धरती पर हल चलाना वे अपराध मानते थे| इसिलिए झूम खेती का सहारा लिया जाता था|
4. गहन खेती से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:- इस प्रकार की खेती उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ सिंचाई के प्रचुर साधन उपलब्ध हैं| ऐसे क्षेत्रों के किसान उर्वरकों एवं कीटनाशक दवाओं का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं| कृषि में आधुनिक कृषि यंत्रों का भी व्यवहार किया जाता हैं| फसल भी एक से अधिक उगाए जाते हैं| नयी तकनीकी के व्यवहार से गहन खेती से प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि हुई है|
5. बागानी खेती पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें-
उत्तर:-इसे झाड़ी कृषि अथवा वृक्ष कृषि भी कहा जाता है| इसमें व्यापार के उद्देश्य से झाड़ीनुमा पौधे या पेड़ लगाए जाते हैं| एक बार इन्हें लगाने से उनसे वर्षों उत्पादन लिया जाता है| बागान के रूप में भूमि का उपयोग होने के कारण आगानी खेती भी कहा जाता है| इस प्रकार की खेती में एक ही फसल का उत्पादन किया जाता है|ऐसी फसलों में प्रमुख हैं रबर, चाय, कहवा, कोको, मसाले, नारियल, सेब, अंगूर और संतरा प्रमुख है|

6. फसल चक्र की व्याख्या करें-
उत्तर:-लगातार लंबे समय तक एक ही प्रकार की फसल उगाने से जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर पड़ जाती है| इसे रोकने के लिए दो खाद्यान्नों के मध्य एक दलहनी पौधे को उगाया जाता है| फसल बदलने की इस पद्धति को फसल चक्र कहते हैं|
7. परंपरागत कृषि के प्रचलित होने का क्या कारण है? 
उत्तर:-इस प्रकार की खेती में मानव श्रम का अधिकतम उपयोग किया जाता है| परंपरागत कृषि पद्धति में जमीन को हल बैल की सहायता से जोतकर उसमें बीज की बुआई कर खेती की जाती है| खेतों की सिंचाई वर्षा या उपलब्ध कृत्रिम साधनों जैसे कुआँ, जलाशय, नहर आदि द्वारा की जाती है|
8. वैज्ञानिक कृषि ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डाला है? 
उत्तर:-वैज्ञानिक कृषि पद्धति का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की खेतियां होती है| आधुनिक खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढती है| इससे उत्पादन अधिक होता है| कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों को लाभ होता है| नगदी फसलों और बागानी उत्पादों को बेचकर किसान धन कमाते हैं| इससे किसानों की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है|
9. कृषि और कृषकों की स्थिति में और अधिक सुधार कैसे किया जा सकता है? 
उत्तर:-किसानों को उन्नत और आधुनिक वैज्ञानिक कृषि के लाभ समझाएँ किसानों को आर्थिक सहायता एवं संसाधन उपलब्ध कराया जाय| खाद्यान्न के अतिरिक्त वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन एवं बागवानी को बढावा दिया जाय| उन्नत बीज, खाद्य, नयी तकनीक एवं मशीनों के उपयोग तथा सिंचाई के साधनों के व्यवहार से कृषि उत्पादन में वृद्धि संभव है एवं कृषकों की स्थिति में सुधार भी संभव है|
10. बिहार की कृषि को उत्पादन ‘मानसून के साथ जुआ’ क्यों कहा जाता है? 
उत्तर:-सिंचाई के साधनों की कमी| यहाँ की कृषि मौनसूनी वर्षा पर निर्भर है| इसलिए यहाँ की कृषि को “मानसून के साथ जुआ” कहा गया है|
11. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:- सामान्य तौर पर हरित क्रांति का अभिप्राय कृषि व्यवसाय में क्रांतिकारी नीतियों द्वारा सर्वांगीण विकास से है और इसका अंतिम लक्ष्य कृषि फसलों का अधिकतम उत्पादन होता है| हरित क्रांति कृषि व्यवसाय में अधिक और इच्छा अन्न उपजाने का एक प्रयास प्रभावी आंदोलन है|
(क) हरित क्रांति अभियान की पृष्ठभूमि—–
कृषकों के लिए कृषि की वैज्ञानिक विधि एक अनुपम उपहार है| इसके द्वारा उनकी कृषि भूमि की गुणवत्ता तथा मृदा की उर्वरा शक्ति में अप्रत्याशित वृद्धि की जा सकती है तथा फसलों की पैदावार में आशातीत सुधार तथा बढोत्तरी अवश्यंभावी है| इसी परिप्रेक्ष्य में सरकार द्वारा इस दिशा में सक्रियता दिखाई गयी तथा हरित क्रांति का सुत्रपात हुआ|
(ख) हरित क्रांति के लाभ एवं उपलब्धियाँ——
नयी वैज्ञानिक तकनीक द्वारा कृषि की उपज में अत्यधिक वृद्धि हुई है| वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से कृषक काफी लाभान्वित हुए हैं| भारत सरकार द्वारा फसल चक्र, बहुफसली कृषि, मिश्रित खेती आदि अनेक वैज्ञानिक कृषि विधि अपनाकर कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धि लायी गयी, जिससे कृषि कार्य में अभूतपूर्व क्रांति आयी| इससे प्रोत्साहित होकर सरकार ने सन् 1960 ई० में “हरित क्रांति अभियान” का आह्वान किया| इस हरित क्रांति कार्यक्रम के माध्यम से निरंतर कृषि के विकास का क्रम जारी है|
12. अमेरिका में कपास की खेती के विकास के कारणों का उल्लेख करें-
उत्तर:- औद्योगिक क्रांति से इंग्लैंड में कपास की माँग—–
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र उद्योग के लिए कपास की माँग अधिक होने लगी| सिर्फ भारत से ही इसकी पूरी आपूर्ति नहीं हो सकती थी| इसलिए, अंगरेज व्यापारी कपास की आपूर्ति के लिए अमेरिकी की ओर आकृष्ट हुए|
                        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न






1. भारत में कृषि का आरंभ एवं विकास कैसे हुआ? औपनिवेशिक शासन का कृषि एवं कृषकों पर क्या प्रभाव पड़ा? 
उत्तर:- सिंधु घाटी की सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) में कृषि का प्रमाण मिलता है| हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भी कृषि का विकास होता रहा| लोहे के कृषि उपकरणों के व्यवहार से कृषि का विस्तार हुआ| प्रत्येक राजवंश ने कृषि को प्रोत्साहन दिया| राज्य को सबसे अधिक आमदनी भूमि से मिलनेवाली लगान से ही होती थी| अतः 18वीं-19वीं शताब्दी तक सभी भारतीय राज्यों ने कृषि को प्रोत्साहन देने एवं किसानों को आर्थिक सहायता देने की नीति अपनायी|
(क) भारत को कच्चा माल का निर्यात बनाना—–
आरंभ में अंगरेज भारत में व्यापारी के रूप में आए| वे भारतीय उत्पादों एवं निर्मित सामानों को यूरोपीय बाजारों में बेचकर मुनाफा कमाते थे, परंतु इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति एवं बंगाल में अंग्रेजी सत्ता की स्थापना के साथ ही इस व्यवस्था में परिवर्तन आया| इस्ट इंडिया कंपनी ने अब भारत को कच्चा माल का निर्यातक, जिनकी इंग्लैंड के उद्योगों को चलाने में आवश्यकता थी तथा भारत को इंग्लैंड में बने सामानों का बिक्री का बाजार बना दिया| इसका खेती और खेतिहरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा|
(ख) किसानों पर लगान को बोझ——
1765 में ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल बादशाह ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी, अर्थात् लगान वसूलने का अधिकार दे दिया| फलतः कंपनी ने अधिक से अधिक लगान वसूली की नीति अपनायी| जिसे खेतिहरों और कृषक की दशा इतनी अधिक दयनीय बना दी कि वे खेतिहर से मजदूर बन गये|
(ग) कृषि का वाणिज्यीकरण——
ईस्ट इंडिया कंपनी ने कृषि के वाणिज्यीकरण की नीति भी अपनायी| जिससे गन्ना, कपास, जूट, नील और अफीम की खेती को बढ़ावा दिया गया| बागवानी को भी प्रोत्साहित किया गया| चाय और काफी बागान स्थापित किए| अफीम और नील की खेती में किसानों का शोषण हुआ| नील की खेती के विरुद्ध बंगाल में नील विद्रोह हुआ| चंपारण के किसानों को निलहों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए गांधी जी ने वहाँ सत्याग्रह किया|
2. भारत कृषि प्रधान देश है? क्या आप इससे सहमत हैं? कारण स्पष्ट करें-
उत्तर:-भारत एक कृषि प्रधान देश है` यहाँ की 70℅ जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है| कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है| भारत की कुल भूमि का लगभग 51 प्रतिशत भाग कृषि योग्य है| भारत की राष्ट्रीय आय में 35℅ योगदान कृषि का है| स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कृषि बहुत समय तक अस्थिर रही और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ वर्षों तक भारतीय कृषि निर्वाहन कृषि ही बनी रही| भारत के समग्र आर्थिक विकास के लिए वैज्ञानिक एवं उन्नत कृषि की योजनाएँ बनायी गयी| इसी के फलस्वरूप 1960 में भारत में हरित क्रांति की नीति अपनायी गयी| कुछ जिलों में सघन कृषि के कार्यक्रम चलाये गए| उन्नत बीज, खाद, नयी तकनीक एवं मशीनों के उपयोग तथा सिंचाई के साधनों के व्यवहार से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई| वर्तमान समय में  कृषि एवं कृषकों के विकास के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध करायी जा रही है| खाद्यान्न के अतिरिक्त बागवानी एवं वाणिज्यिक कृषि पर बल दिया जा रहा है| भारत में कृषि एवं कृषकों की समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास किया जा रहा है|
3. बिहार में कृषि के अविकसित होने के कारणों की विवेचना करें-
उत्तर:-कृषि के अविकसित होने के अनेक कारण है|
(क)कृषि पर जनसंख्या का बढता दबाव (ख) छोटे छोटे और बिखड़े खेत (ग)अनुपस्थित भू स्वामित्व (घ) खेती का पुराना परंपरागत ढंग (ड़)उत्तम बीज का उपयोग नहीं होना (च) नयी तकनीक का व्यवहार नहीं होना (छ) सिंचाई के साधनों की कमी यहाँ की कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर है| इसलिए यहाँ की कृषि मानसून के साथ जुड़ा हुआ कहा जाता है| (ज) बिहार में कृषि विपणन की दोषपूर्ण व्यवस्था के कारण किसानों को कृषि उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है| अतः छोटे किसान खेती छोड़कर बिहार से पलायन कर रहे हैं| अन्य राज्यों में वे श्रमिकों के रूप में अथवा औद्योगिक संस्थानों में काम करते हैं| कृषि के विकास के लिए उन्हें खेतों से बांधे रखना आवश्यक है|
4. भारत में प्रचलित विभिन्न प्रकार की खेतियों का संक्षिप्त विवरण दें- ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्व है? 
उत्तर:-(क) झूम खेती—
इस प्रकार की खेती वन्य और पहाड़ी भागों में प्रचलित थी| कुछ आदिवासी आज भी इस प्रकार की खेती करते हैं| बरसात के पहले जंगल के एक निश्चित भूभाग में आग लगा दी जाती है| इससे जमीन समतल एवं कृषि योग्य बन जाती है| जले हुए राख से भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ जाती है| इससे जमीन उपजाऊ हो जाती है| कुछ वर्षों तक वहाँ खेती करने के बाद उस स्थान पर यही प्रक्रिया दोहरायी जाती है| इससे वननाशन भी नहीं होता है| और आवश्यकतानुसार कृषि उत्पादन भी होता है|
(ख) पारंपरिक खेती—-
पारंपरिक कृषि पद्धति में जमीन को हल बैल की सहायता से जोतकर उसमें बीज की बुआई कर खेती की जाती है| खेतों की सिंचाई वर्षा या उपलब्ध कृत्रिम साधनों का आवश्यकतानुसार कृषि उत्पादन भी होता है|
(ग) पारंपरिक खेती—-
पारंपरिक कृषि पद्धति में जमीन को हल बैल की सहायता से जोतकर उसमें बीज की बुआई कर खेती की जाती है| खेतों की सिंचाई वर्षा या उपलब्ध कृत्रिम साधनों जैसे कुआँ, जलाशय, नहर, आदि द्वारा की जाती है| इस प्रकार की खेती में मानव श्रम का अधिकतम उपयोग किया जाता है|
(घ) गहन खेती—-
कुछ क्षेत्रों में विकसित गहन खेती भी की जाती है| इस प्रकार की खेती उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ सिंचाई के प्रचुर मात्रा में साधन उपलब्ध है| ऐसे क्षेत्रों के किसान उर्वरकों एवं कीटनाशकों का उपयोग करते हैं| कृषि में आधुनिक कृषि यंत्रों का भी व्यवहार किया जाता है| फसल भी एक से अधिक उगाए जाते हैं| नयी तकनीक के व्यवहार से गहन खेती में प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि हुई है|
(ड़) फसल चक्र—-
लगातार लंबे समय तक एक ही प्रकार की फसल उगाने से जमीन की उर्वरा शक्ति कमज़ोर पड़ जाती है| इसे रोकने के लिए दो खाद्यान्नों के मध्य एक दलहनी पौधे को लगाया जाता है| फसल बदलने की इस पद्धति को फसल चक्र कहते हैं| यह पद्धति जमीन की उर्वरा शक्ति बढाने में सहायक होती है|
(च) मिश्रित खेती—-
इस प्रकार की खेती में एक ही खेत में एक ही फसल में दो तीन फसलें उगायी जाती है इससे यह लाभ होता है कि एक ही समय में विभिन्न प्रकार के और अधिक फसल उगाए जा सकता है|
(छ) रोपण या बागानी खेती—–
इसे झाड़ी कृषि अथवा वृक्ष कृषि भी कहा जाता है| इसमें व्यापार के उद्देश्य से झाड़ीनुमा पौधे या पेड़ लगाए जाते हैं| एक बार इन्हें लगाने से उनसे वर्षों उत्पादन लिया जाता है| बगान के रूप में भूमि का उपयोग होने के कारण इसे बागानी खेती भी कहा जाता है| ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की खेतियां की अत्यधिक आवश्यकता है| ग्रामीण समुदाय का बहुत बड़ा भाग कृषि पर ही निर्भर है| अतः कृषकों की आय बढाने के लिए आवश्यक है कि आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की खेतियां करें| आधुनिक खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढती है| इससे उत्पादन अधिक होता है| कृषि उत्पाद में वृद्धि होने से किसानों को लाभ होता है| नगदी फसलों और बागानी उत्पादों को बेचकर किसान धन कमाते हैं| इससे किसानों की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है|
5. बिहार की प्रमुख व्यावसायिक फसलों पर निर्भर लिखें|
उत्तर:-गन्ना अथवा गुड़ बिहार की मुद्रादायिणी फसलों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है| गन्ना तृण प्रजाति का पौधा है जो सामान्यतः तीन मीटर तक ऊंचा होता| इसकी धड़ से रस भरा रहता है जिसे पेरकर रस निकाला जाता है| इस रस से गुड़ और चीनी बनायी जाती है| गन्ना की बुआई फरवरी मार्च महीने में की जाती है| नवम्बर दिसम्बर तक गन्ना की फसल तैयार हो जाती है| बिहार में गन्ना की खेती के लिए अनुकूल परिस्थियाँ उपलब्ध है| इसकी खेती के लिए एवं तर जलवायु, भारी दोमट मिट्टी तथा मानव श्रम की आवश्यकता होती है जो बिहार में उपलब्ध है| आजादी के पूर्व बिहार भारत का प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्र था| औपनिवेशिक काल में बिहार को चीनी का कटोरा कहा जाता था|
केला—
बिहार में मुख्यतः चीनिया और सिंगापुरी केला उगाया जाता है| कहीं कहीं मालभोग केला भी होता है| चीनिया एवं मालभोग केला पीला छाल का एवं सिंगापुरी हरा छाल का होता है| हाजीपुरी का चीनिया केला अपने स्वाद के लिए विख्यात है| केला की खेती के लिए गर्म एवं नम जलवायु तथा दोमट मिट्टी आवश्यक होती है| केला के पौधे मई से अगस्त महीनों के बीच लगाए जाते हैं| केला की बागवानी से किसानों की आर्थिक स्थिति एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है|
लीची—
बिहार का दूसरा विख्यात फल लीची है| संपूर्ण भारत में सबसे अधिक लीची बिहार में ही होता है| लीची का उत्पादन मुख्यतः वैशाली (हाजीपुरी) एवं मुजफ्फरपुर जिला में होता है| मुजफ्फरपुर की शाही लीची की माँग भारत के विभिन्न भागों के अतिरिक्त विदेशी में भी है| इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है|
8. अमेरिका में गेंहूँ की खेती पर एक निबंध लिखें-
उत्तर:-18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अमेरिका की कृषि में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया| गोरे अमिरेकनों का प्रसार पूर्व से पश्चिम की ओर हुआ| इस प्रक्रिया में उनलोगों ने पश्चिम में समुद्रतट तक अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया| 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक अमिरेकनों का प्रसार अल्वेशियन पठार से लेकर मिसीसिपी नदी घाटी तक हो गया| बाद में आगे बढ़ते हुए वे विशाल मैदानी भाग तक पहुँच गए| इस पूरे क्षेत्र को कृषि योग्य बनाकर कृषि का विस्तार किया गया| इस क्षेत्र में गेंहूँ की खेती बड़े स्तर पर की गई| अत: यह क्षेत्र विश्व की रोटी की टोकरी के नाम से विख्यात हुआ| यहाँ पर गेंहूँ उत्पादक क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु गेंहूँ की खेती के लिए उपयुक्त थी| अतः गेंहूँ की खेती बड़े स्तर पर की गई| अमेरिका की जनसंख्या में होनेवाली वृद्धि के कारण अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता हुई| चावल की उपज कम होने के कारण अमेरिकी जनता का मुख्य खाद्यान्न गेंहूँ ही था| अतः गेंहूँ की खेती के विकास को बढ़ावा दिया गया|
वसंतकालीन गेंहूँ——— यह गेंहूँ प्रेयरी भाग में होता है| इस क्षेत्र की रेड नदी घाटी को “विश्व की रोटी की टोकरी” कहा जाता है| गेंहूँ की यह फसल तीन चार महीनों में तैयार हो जाती है| यहाँ वसंत ऋतु में गेंहूँ उपजाया जाता है|
शीतकालीन गेंहूँ——–शीतकालीन गेंहूँ की पैदावार संयुक्त राज्य के उत्तर पूर्वी भाग में होती है| यहाँ उपजाया जानेवाली गेंहूँ भी कड़ा होता है| परन्तु पूर्वी भाग में अधिक आर्द्रता मिलने के कारण मुलायम गेंहूँ की उपज होती है| संयुक्त राज्य अमेरिका का लगभग 80℅ गेंहूँ इसी क्षेत्र में उपजता है|
8. अमेरिका में कपास की खेती पर एक निबंध लिखें|
उत्तर:-कपास की खेती अमेरिका सहित विश्व के अन्य भागों में होती है| कपास की रूई को उजला सोना कहा जाता है| कपास का उपयोग सूती वस्त्र निर्माण में होता है| इससे मोटा और महीन सूती वस्त्र तैयार किया जाता है| कपास की खेती हजारों वर्ष पहले से होती आई है| 17वीं शताब्दी के आरंभ तक अमेरिका सहित एशिया के बड़े भागों में इसकी खेती बड़े स्तर पर होने लगी|
(क) औद्योगिक क्रांति से इंगलैंड में कपास की माँग—–
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र उद्योग के लिए कपास की माँग अधिक होने लगी| सिर्फ भारत से इसकी आपूर्ति नहीं हो सकती थी| इसलिए अंग्रेज व्यापारी कपास की आपूर्ति के लिए अमेरिका की ओर आकृष्ट हुए|
(ख) अमेरिका के दक्षिणी भाग में कपास का उत्पादन—
अमेरिका के दक्षिणी भाग में गुलामों की सहायता से कपास की खेती बड़े स्तर पर करवाई जाती थी| यहाँ पैदा किया जानेवाला कपास उत्तम प्रकार का होता था|
(ग) किंग काटन की खेती—–19वीं शताब्दी के मध्य तक अमेरिकी में कपास की खेती का विस्तार हुआ| किंग काटन दक्षिण अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गया| कपास की खेती गुलामों का प्रमुख रोजगार बन गया|
(घ) अमेरिकी गृहयुद्ध का प्रभाव——-1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद इंग्लैंड में अमेरिकी कपास की माँग पुनः बढ गई| इसका मुख्य कारण कपास की गुणवत्ता आयात में आने वाली कम खर्च था| बढती माँग ने दक्षिणी अमेरिकी राज्यों में कपास की खेती ने पुनः जोर पकड़ लिया|
(ड़) अमेरिकी कपास पट्टी—– वर्तमान समय में विश्व के कपास उत्पादन का लगभग 20℅ अमेरिका में होता है| कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका ही विश्व में सबसे अधिक कपास उपजानेवाला देश था, परंतु अब यह तीसरे स्थान पर आ गया है| अमेरिका के विस्तृत भाग में कपास की खेती होती है| इस क्षेत्र को कपास पट्टी कहा जाता है| यहाँ कपास के लिए आवश्यक प्रचुर धूप भी मिलती है| कपास के होड़े में रेशे निकलने के बाद इन्हें तेज धूप मिलना आवश्यक है| जिससे रेशे में चमक और मजबूती आए|

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