Bharti Bhawan Biology Class-9:Chapter-6:Short Question Answer:जीवविज्ञान:कक्षा-9:अध्याय-6:लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

                      खाद्य संसाधन पशु






                         लघु उत्तरीय प्रश्न




1. पशुपालन की परिभाषा दें-
उत्तर:-पशुपालन विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के भोजन, आवास, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है|
2. उपयोगिता के आधार पर पालतू पशुओं के वर्गों का उल्लेख उदाहरण के साथ करें-
उत्तर:-(क)पशुधन- पशुधन का पालन पोषण आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है|जैसे- दूध, मांस, चमड़ी आदि के उत्पादन तथा आर्थिक विकास के लिए उनके श्रम का उपयोग करने के उद्देश्य से किया जाता है|जैसे- गाय, भैंस, बैल, सांढ़, बकरी आदि|
(ख) कुक्कुट पालन- कुक्कुटों का पालन अंडे तथा मांस के लिए किया जाता है|इनमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पायी जाती है|जैसे- मुर्गी, बत्तख, टर्की तथा हंस| 
(ग) मत्स्य पालन- मछली का पालन पौष्टिक भोजन के अतिरिक्त तेल, उर्वरक जैसे अन्य उपयोगी पदार्थ के लिए किया जाता है|जैसे- मछली के प्रकार (रेहू,कतला इत्यादि) 
(घ) मधुमक्खी पालन- मधुमक्खी पालन आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है जिससे शहद तथा मधुमेह प्राप्त होता है|जैसे- मधुमक्खी
3. पशुपालन के अध्ययन के किन किन क्षेत्रों में सुधार लाया जा सकता है? 
उत्तर:-(क) दुग्ध उत्पादन- दुधारू पशुओं की अत्यधिक संख्या होने के बावजूद हमारे देश में दूध का उत्पादन संतोषजनक नहीं है|हमारे देश में एक गाय औसतन करीब 200 किलोग्राम दूध प्रति वर्ष देती है, जबकि यह औसत आस्ट्रेलिया और नीदरलैंड में 3500 किलोग्राम तथा स्वीडन में 3000 किलोग्राम प्रति वर्ष है|अत: पशुपालन विज्ञान के अध्ययन से उन्नत नस्ल के अधिक दुधारू पशुओं प्रजनन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है|उनके रख रखाव की उचित व्यवस्था की जा सकती है|
(ख) मांस उत्पादन- जनसंख्या के अनुरूप भोजन की बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिक पुष्ट, मांसल तथा जल्दी बढनेवाली नस्ल की मुर्गियाँ प्रजनन के द्वारा प्राप्त की जा सकती है|इसी प्रकार इच्छित गुण वाले, उन्नत नस्ल के भेड़, बकरी, सूअर आदि मांस उत्पादक पशुओं को प्रजनन के द्वारा पशु विज्ञान के अध्ययन से प्राप्त किया जा सकता है|हमारे देश में प्रति व्यक्ति भोजन के रूप में मांस की वार्षिक खपत सिर्फ 131 किग्रा है जबकि अमेरिका में यह 1318 किग्रा है|
(ग)अंडा उत्पादन- जनसंख्या के अनुरूप हमारे देश में अंडे की खपत दिन प्रतिदिन बढती जा रहा है|बढते मांग को देखकर अंडा देनेवाला उन्नत किस्म की मुर्गियाँ प्रजनन के द्वारा प्राप्त की जाती है|हमारे देश में भोजन के रूप में अंडे की प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत मात्रा 6 है जबकि अमेरिका में यह 295 है|
(घ) मछली उत्पादन- हमारे देश में मृदू जल की मछलियों के उत्पादन बढाने की संभावना बहुत अधिक है|इस विज्ञान के अध्ययन से अंडे से बच्चे का सफल निष्कासन, मछलियों के आकार में समुचित वृद्धि, उनका उचित रख रखाव, रोगों से बचाव आदि संबोधित बातें सीखी जा सकती है|
(ड़) पशुओं के मल मूत्र का समुचित उपयोग- हमारे देश में गोबर का उपयोग सामान्यतः जलावन के रूप में किया जाता है|पशुओं के मल मूत्र से बायोगैस का उत्पादन हो सकता है इनका उपयोग खाद के रूप में भी किया जाता है|
(च) कार्य क्षमता में बढ़ोतरी- पश्चिमी देशों की अपेक्षा हमारे देश के पालतू पशुओं में कार्य करने की क्षमता बहुत कम है|पशुपालन के सिद्धांतों का सही अनुपालन कर ऐसे पालतू पशुओं की कार्यक्षमता बढायी जा सकती है|
(छ)ऊन उत्पादन- अन्य ऊन उत्पादक देशों की तुलना में हमारा देश बहुत पीछे है|पशुपालन के सिद्धांतों और तकनीकी का इस्तेमाल कर ऊन उत्पादक भेड़ों, अंगोरा किस्म के खरगोश की नस्ल सुधार कर ऊन का उत्पादन बढाया जा सकता है|
4. भारतीय गायों और भैसों की प्रमुख प्रजातियाँ कौन कौन सा है? 
उत्तर:- भारतीय गाय——साहीवाल, गीर, रेडसिंधी, थर्पाकर, हरयानवी 
भारतीय भैंस——-नागपुरी, सुर्ती, नीली रवि, मेहसाना, जाफराबादी
5. रुक्षांश क्या है? ये पशुओं को कैसे प्राप्त होते हैं? 
उत्तर:-रुक्षांश पशुधन के लिए एक आहार है|इसमें पोषक तत्व काफी कम पाये जाते हैं|परन्तु पेट भरने के लिए तथा आहारनाल के समुचित कार्य के लिए आहार में इनकी उचित मात्रा में होना आवश्यक है|ये पशुओं को भूसा, चोकर, चारा, जैसे ज्वार, बाजरा, रागि, मकई, फली, जैसे बरसीम, लूसर्न,लोबिया आदि से प्राप्त होता है|
6. हमारे देश में दूध का औसत उत्पादन कम होने का क्या कारण है? 
उत्तर:-हमारे देश में दूध का औसत उत्पादन बहुत कम है|इसका मुख्य कारण दुधारू पशु को दिये जानेवाला निम्न स्तर का आहार है|दुधारू पशु के आहार में हरा चारा का होना अत्यंत आवश्यक है|हरा चारा में विटामिन ए की बहुलता रहती है|इसमें एक रंजित पदार्थ कैरोटीन होता है|यही कैरोटीन आंत और यकृत में पहुँचकर विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है जिससे आवश्यकता अनुसार शरीर को पौष्टिक तत्व मिलता रहता है|इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में हरे चारे तथा पेयजल का न होना, निम्नस्तरीय देशी नस्ल के दुधारू पशु का जमावड़ा न होना तथा उन्नत नस्लों के दुधारू पशुओं का न होना, दूध के औसत उत्पादन को और देशों की तुलना में हमारे देश की तुलना में बहुत कम है|
7. दुधारू पशुओं को रोगाणुओं से होनेवाले प्रमुख रोगों तथा उनके लक्षणों का उल्लेख करें-
उत्तर:-प्रमुख रोग है- खुर एवं मुंह के रोग, चेचक, क्षयरोग, एंथ्रेक्स, रिंगवर्म
लक्षण-
(क)खून एवं मुंह के रोग वायरस द्वारा फैलते है ं|इसके अन्तर्गत खुर एवं मुंह में छाले, अधिक लार का बनना, भूख न होना, सुस्ती, उच्च ज्वर के साथ कंपकपी आदि के लक्षण हैं|
(ख)चेचक भी वायरस द्वारा दुधारू पशुओं में होता है|इसके अंतर्गत धन, हाथ, फेफड़ा संक्रमित होते हैं|साथ ही साथ ज्वर आदि भी दुधारू पशुओं में लक्षण होते हैं|
(ग) एंथ्रेक्स भी बैक्टीरिया द्वारा दुधारू पशुओं में होनेवाले रोग है ं|इसके अंतर्गत पशुओं का शरीर फूल जाता है, बुखार रहता है तथा दूध में कमी हो जाती है|
(घ)रिंगवर्म कवक द्वारा दुधारू पशुओं में फैलते है|इसके प्रमुख लक्षणों में दुधारू पशुओं में खुजली का पाया जाना है|
8. कृत्रिम वीर्य सेचन के लाभ क्या है? 
उत्तर:-(क) इस विधि से अधिक उत्पादन वाले नस्लों के पशुओं (जैसे- दुधारू गाय भैंस मुर्गी) का विकास होता है|
(ख) पशुओं के प्रजनन की यह सस्ती विधि है|जैसे- एक सांढ़ के वीर्य से करीब 3000 गायों को निषेचित किया जा सकता है|
(ग) परिरक्षित वर्ग को सुगमता से दूसरे सूदूर स्थानों पर ले जाया जा सकता है|
(घ) यह ज्यादा स्वास्थ्यकर तथा भरोसे योग्य विधि है|
(ड़)इस विधि के द्वारा उन्नत नस्ल का परिरक्षित वीर्य सालों हर जगह उपलब्ध हो सकता है|
(च)इसके द्वारा विदेशों से उन्नत नस्लों के वीर्य आयात कर देनी किस्मों के पशुओं के नस्ल का सुधार किया जाता है|
9. अंडा देने वाली मुर्गियों का आहार कैसा होना चाहिए? 
उत्तर:-अंडा देने वाली मुर्गियों के आहार में खनिज का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है|शरीर और अंडे के वर्धन तथा अंडे की खोल की बनावट के लिए कई प्रकार के खनिजों की जरूरत है|इनमें कैल्सियम और फास्फोरस प्रमुख है|खनिज की पूर्ति के लिए, बोनमील,सीत या पत्थर का चूर्ण तथा नमक इनके भोजन में दिया जाना चाहिए|
10. हमारे देश में अधिक दूध देने वाली संकर नस्ल के तीन गायों का नाम लिखें|इन्हें किन किन नस्लों के संकरण से विकसित किया गया है? 
उत्तर:- संकरण नस्ल की तीन गायें करण स्विस, करन फ्लाइट तथा फ्रिसवाल है|करन स्विस को भारतीय नस्ल के साहीवाल तथा स्वीटजरलैंड की नस्ल ब्राउन स्विस से विकसित किया गया है|करन फ्राइस को भारतीय नस्ल थर्पाकर तथा हालैंड की नस्ल की प्रजातियाँ हाल्सटाइन फ्रीसिआन से विकसित किया गया है|फ्रिसवाल को भारतीय नस्ल के साहीवाल तथा हालैंड की नस्ल हाल्सटाइन फ्रीसिआन विकसित किया गया|
11. हमारे देश में विकसित की गयी संकर नस्ल की मुर्गियाँ कौन कौन सी है? इनकी विशेषताओं का उल्लेख करें-
उत्तर:-हमारे देश में विकसित की गयी संकर नस्ल की, ज्यादा उत्पाद देनेवाला मुर्गियाँ ILS-82, HH-260, B-77 है| इनमें से ILS-82, B-77 तकरीबन 200 अंडे प्रतिवर्ष तथा HH-260 प्रतिवर्ष 260 तक अंडे देती है|
विशेषताएं- 
संकर नस्ल की मुर्गियाँ में केवल अंडमान क्षमता ही अधिक नहीं होता है, बल्कि इनकी खुराक भी कम होती है|एक सामान्य देशी नस्ल की मुर्गी 12 अंडा देने के लिए जहाँ 6 किग्रा भोजन खाती है| वहाँ ऐसी संकर नस्ल वाली मुर्गी मात्र 2 किग्रा भोजन करती है| 1 किग्रा मांस देने वाली देशी मुर्गी इस अवस्था तक की वृद्धि के लिए जहाँ 5-6 किग्रा तक भोजन करती है वहाँ ठीक ऐसी ही अवस्था तक की वृद्धि के लिए संकर नस्ल की उन्नत किस्म की मुर्गी मात्र 2-3 किग्रा भोजन करती है|संकर नस्ल वाली मुर्गियाँ शीघ्र परिपक्व हो जाती है तथा इनकी मृत्यु दर भी कम है|
12. लेअर तथा ब्रौलर मुर्गियों की क्या विशेषता है? 
उत्तर:-लेअर मुर्गियाँ ज्यादा अंडे देनेवाला होती है, जबकि ब्रौलर मुर्गियाँ अधिक मांस प्राप्त होता है |
13. मिश्रित मछली संवर्धन क्या है? 
उत्तर:-मृदूजलीय मछली उत्पादन में वृद्धि करने के उद्देश्य से मिश्रित मछली संवर्धन विधि अपनायी जाती है|मिश्रित मछली संवर्धन विधि में कई प्रजातियाँ की मछलियों का संवर्धन एक तालाब में एक ही समय किया जाता है|
14. व्यावसायिक दृष्टिकोण से मधुमक्खियों की चार प्रजातियाँ कौन कौन सी है? 
उत्तर:-(क) सामान्य भारतीय मधुमक्खी- एपिसोड सेरना इंडिका
(ख) शैव मधुमक्ख – एपिस डोरसोटा
(ग) लिटित मधुमक्खी- एपिस फ्लोरी
(घ) इटली मधुमक्खी- एपिस मेलीफेरा 
15. कार्यकर्ता या सेवक मधुमक्खियाँ शहद का निर्माण कैसे करती है? 
उत्तर:- कार्यकर्ता द्वारा एकत्र किये गए परागकण तथा मकरंद ही इनके भोजन है| कार्यकर्ता के आहारनाल में परागकण तथा मकरंद में कयी प्रकार के जीव रासायनिक परिवर्तन के बाद शहद या मधु का निर्माण होता है|इसी मधु को कार्यकर्ता छत्ते से संचित रखते हैं|
16. मधुमोम हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है? 
उत्तर:-मधुमोम हमारे लिए कई प्रकार से उपयोगी होता है|जैसे इसका व्यवहार प्रसाधन सामग्री, मोमबत्ती, विभिन्न प्रकार के पालिश, दाढ़ी बनाने के उपयोग में आनेवाले क्रीम के उत्पादन में किया जाता है|

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